काले जादू की दुनिया complete

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Jemsbond
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Re: काले जादू की दुनिया

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“और यह महाशय कोन है....” आचार्य करण की तरफ इशारा करते हुए बोले.

“आप इनको नही जानते होंगे....यह कभी आश्रम मे नही आए...” अर्जुन ने आचार्य को बीच मे ही रोकते हुए बोला.

“प्रणाम आचार्य मैं इन दोनो का दोस्त हू....” झूट बोलते हुए करण ने भी आचार्य के पैर छू कर आशीर्वाद लिया. वो नही चाहता था कि आचार्य को पता चले कि वो उसकी माँ की नाजायज़ औलाद है.

अब आगे................................

“वैसे अर्जुन बेटा....इतनी रात को और वो भी इतनी तेज़ बारिश मे यहाँ आने को कोई खास वजह ?....देखो तुम लोग भीग भी चुके हो...” आचार्य बोले.

“वजह है आचार्य...और इसी लिए तो हम सब आपकी मदद लेने यहाँ आए है...”

“ठीक है बेटा पर तुम मुझे पहले पूरी बात बताओ...”

“आचार्य पिच्छले कुछ दो महीनो से मुझे माँ का एक ही सपना रोज़ रात मे आता है जिसमे माँ एक अंधेरी काली गुफा मे फसि है और मुझे मदद के लिए पुकार रही है...पर समझ मे नही आता क़ी मा की मौत के 12 साल बाद यह सब का क्या मतलब हो सकता है...कही माँ जिंदा तो नही है ???”

“बेटा होने को तो कुछ भी हो सकता है...हम सब उपर वाले के हाथ की कट्पुतली है...वो जब चाहे तब हमे अपने इशारो पर नचाता है...उसके मर्ज़ी के बिना धरती का एक भी पत्ता नही हिलता...”

“आचार्य वो सब तो ठीक है...पर मुझे यह नही समझ आ रहा कि हम वो गुफा ढूंढ़ेंगे कैसे...उस गुफा को ढूँढने मे हमे आपकी मदद चाहिए...अगर आपने हमारी मदद कर दी तो हम आपका यह एहसान कभी नही भूलेंगे क्यूकी इस बार दाव पर हमारी माँ की जान लगी है...”

“अर्जुन बेटा अगर ऐसी बात है तो मैं हर संभव तुम्हारी मदद करने को तय्यार हू...तुम्हारी माँ रत्ना मेरी भी शिष्या रह चुकी है...पर सबसे पहले तुम सब आज रात को यही आराम कर लो...कल सुबह बात करेंगे क्यूकी अभी बहुत रात हो गयी है...” आचार्य ने घड़ी देखा तो आधी रात से भी ज़्यादा का वक़्त हो रहा था.

आचार्य सत्या प्रकाश के कहे अनुसार उनकी पत्नी और उनकी बेटी ने करण अर्जुन और काजल को उनका कमरा दिखा दिया. वो तीनो वही अपना डेरा डाल के लेट गये.
खिड़की से बाहर घने बादलो के बीच चाँद को देखते हुए करण बोला, “मुझे तो लगता है हम यहाँ अपना समय बर्बाद कर रहे है...इस से अच्छा होता अगर हम पोलीस की मदद लेते...”

अर्जुन तो वैसे ही करण को नापसंद करता था सो उसकी इस बात पर वो भड़क गया, “देखो करण, हम तुम्हे यहाँ ज़बरदस्ती नही लाए है....अगर तुम्हे यहाँ नही रहना तो दफ़ा हो जाओ यहाँ से...मैं अकेले ही अपनी माँ को ढूँढ लूँगा...”
बात बिगड़ता देख काजल बीच बचाव करने लगी, “अर्जुन भैया प्लीज़...अब यहाँ पे कोई तमाशा मत खड़ा करो...”

“वाह! तमाशा मैं खड़ा कर रहा हू ???....तमाशा तो यह करण खड़ा कर रहा है....अगर यह पैदा ही नही हुआ होता तो आज हमे इस मुसीबत का सामना नही करना पड़ता...मनहूस कही का...हुहह.” अर्जुन दाँत पीसता हुआ बोला.

काजल ने अपना सर पीट लिया, “अब भी वही रट लगा रखे हो...बोला ना पुरानी यादो को भूल जाओ...अभी माँ को हम सब की ज़रूरत है...देखते है आख़िर आचार्य जी कल हम से क्या कहते है...तब तक के लिए प्लीज़ सो जाओ...” और फिर करण को बोलते हुए, “सॉरी कारण भैया...मैं अर्जुन भैया की तरफ से आपसे माफी मांगती हू...”

करण ने कुछ ना कहा और सब सो गये लेकिन अर्जुन की कड़वी बातो से करण की आँखो मे आए आँसू कोई नही देख सका.

अगली सुबह जब तीनो उठे तो आचार्य किसी हवन या यज्ञ का बंदोबस्त कर रहे थे. मौसम सॉफ और सुहाना था.

“आओ बेटा...मैं तुम लोगो के उठने का ही इंतेज़ार कर रहा था...”

“यह यज्ञ किस लिए है आचार्य...?” अर्जुन ने आचार्य को प्रणाम करते हुए कहा.

“इसी यज्ञ के बाद ही हम तुम्हारी माँ के बारे मे कुछ जान सकते है...” कहते हुए आचार्य सत्या प्रकाश हवन सामग्री लेकर अपने स्थान पर बैठ गये और तीनो को भी वही बैठने को बोला.

सूरज की पहली किरण के साथ ही आचार्य का यज्ञ शुरू हुआ. तीनो कारण अर्जुन और काजल बस आचार्य को देखे जा रहे थे. करण को तो इन सब बातो पे विश्वास नही था पर यह उसकी माँ के तलाश की बात थी इसीलिए वो हर वो कदम उठाने को तय्यार था जो उसे उसकी माँ तक पहुचा दे.

करीब तीन घंटे की लंबी पूजा के बाद आचार्य बोले, “अर्जुन बेटा इस पवित्र अग्नि को अपना रक्त भेट करो...ताकि मैं तुम्हारे रक्त से तुम्हारी माँ रत्ना की ताकत को आपस मे अपने मस्तिष्क मे जोड़ सकु...”

बिना एक पल गवाए अर्जुन पास मे रखे चाकू से अपनी दाए कलाई की नस काटकर उसमे से दो चार बूँद खून की उस अग्नि कुंड मे डाल दिया. काजल को अर्जुन की फ़िक्र हो रही थी मगर अर्जुन ने उसे शांत करवा दिया.

जैसे ही कुछ पल की साधना के बाद आचार्य का यज्ञ पूरा हुआ उनकी आँखे क्रोध और गुस्से से तिलमिला गयी. इसे देख के तीनो घबरा गये. अर्जुन ने पूछा, “क...क्या...हुआ आचार्य...???”

आचार्य अपने स्थान से उठ खड़े हुए और बोले, “तुम्हारी माँ रत्ना सच मुच मे जिंदा है...हम ने थोड़ा बहुत उस से मानसिक संपर्क बनाने की कोशिश की थी..”

यह बात सुनकर तीनो बच्चो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी. पर वो मुस्कान ज़्यादा देर तक नही टिकी जब आचार्य ने आगे बोलना शुरू किया, “तुम्हारी माँ जिंदा तो है पर वो बहुत बड़े संकट मे है..."

“संकट कैसा संकट...???” चिंता की लकीरे ना सिर्फ़ अर्जुन पर बल्कि काजल और करण दोनो के माथे पर भी दिख रही थी.

आचार्य गंभीर स्वर मे बोले, “तुम्हारी माँ नदी मे कूद कर मरी नही थी...बल्कि उसका अपहरण हुआ था...”


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11
“तुम्हारी माँ जिंदा तो है पर वो बहुत बड़े संकट मे है...”

“संकट कैसा संकट...???” चिंता की लकीरे ना सिर्फ़ अर्जुन पर बल्कि काजल और कारण दोनो के माथे पर दिख रही थी.

“तुम्हारी माँ कभी नदी मे कूद कर मरी नही थी...उसका अपहरण हुआ था...” आचार्य गंभीर स्वर मे बोले.

अब आगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


आचार्य के मूह से यह शब्द निकलते ही तीनो के पाँवो तले ज़मीन खिसक गयी, “यह आप क्या कह रहे है आचार्य...हमें तो हमारे दादा दादी ने बताया था कि माँ की नदी मे कूदने से उनकी मौत हुई थी...” अर्जुन बोला.

“मैं जो भी कह रहा हू सही कह रहा हू...” आचार्य फिर गरज कर बोले.

“पर किसने किया रत्ना जी का अपहरण...???” इतने देर से चुप चाप खड़े करण ने आचार्य से पूछा. करण ने जान बूझ कर रत्ना जी कहा ताकि आचार्य को यह ना पता चल सके कि रत्ना उसकी भी माँ है.

पर आचार्य सत्य प्रकाश अंतर्यामी थे. करण का यह झूट उनसे ज़्यादा देर तक छुप ना सका, “करण अब मुझसे और झूट बोलने की ज़रूरत नही है...मैं जान गया हू कि तुम रत्ना के बेटे हो उसके पहले पति से...”

करण को यह सुनकर ज़ोर का झटका लगा. अभी तक वो इन बाबा लोगो पर विश्वास नही करता था पर अब उसे थोड़ा थोड़ा यकीन होने लगा था.

फिर आख़िरकार करण ने हिम्मत जुटा के पूछा, “पर आपने बताया नही कि आख़िर किसने किया हमारी माँ का अपहरण...???”

“तांत्रिक त्रिकाल.......!!!”

“यह कौन है आचार्य...?” अर्जुन ने इस बार पूछा.

“इस सदी का सबसे बड़ा, दुष्ट, पापी और ख़तरनाक तांत्रिक...यह भगवान शिव की आराधना छोड़ कर शैतान की पूजा करता है जिस से यह पहले से ज़्यादा ताक़तवर हो गया है...काला जादू कर के यह शैतान को प्रसन्न करना चाहता है ताकि जो इसे भगवान शिव से ना मिल सका वो इसे शैतान द्वारा मिल जाए यानी वो अजय अमर हो जाए....” आचार्य की आँखो मे डर सॉफ देखा जा सकता था.

तांत्रिक त्रिकाल के बारे मे सुनकर तीनो हक्के बक्के रह गये. किसी को कुछ भी समझ मे नही आ रहा था पर आचार्य की बात सुनकर तीनो को अब डर ज़रूर लगने लगा था.

आचार्य ने उन तीनो के चेहरो पर जब हैरानी के भाव देखा तब उनको लगा कि उनको जो भी यज्ञ कर के जानकारी मिली है वो बता देनी चाहिए.

“बात करीब 25-26 साल पहले की है. तुम लोगो की माँ रत्ना बड़े खानदान की एक रूपवान युवती थी. उसके कुंडली मे दोष था इसलिए कोई भी उस से शादी नही करता था. इसी वजह से रत्ना के घरवालो ने त्रिकाल की मदद ली क्योकि उनको लगता था कि एक त्रिकाल ही है जो उनकी बेटी की कुंडली को दोषमुक्त कर सकता है.

लेकिन जब त्रिकाल आया तो मदद करने की बजाए उस दुष्ट की वहशी नज़र रत्ना पे पड़ गयी. रत्ना और उसके घरवाले तो यही सोच रहे थे कि त्रिकाल उनकी मदद कर रहा है जबकि त्रिकाल तो अपनी काम वासना रत्ना के साथ शांत करना चाह रहा था.

इन सबसे अंजान रत्ना के परिवार वालो ने अमावस्या की रात को अकेले उसे त्रिकाल के साथ भेज दिया इस उम्मीद मे कि शायद त्रिकाल की पूजा करने के बाद रत्ना की कुंडली से दोष निकल जाएगा. पर अनहोनी होनी तो अभी बाकी थी. रत्ना को अकेला पाकर उस पापी ने उसपर अपना वहशिपन दिखा दिया और उस कुवारि युवती का जनवरो की तरह रात भर बलात्कार किया...” आचार्य ने एक साँस मे अतीत को अपने शब्दो द्वारा बयान कर दिया.

करण अर्जुन और काजल तीनो की रूह काँप गयी ऐसा सुनकर. काजल तो वही बैठ गयी, उसकी माँ के साथ ऐसा दुराचार सुन ने के बाद उसके पाओ मे थोड़ा भी दम नही रहा. पर करण को इन सब पर विश्वास नही था, उसे तो यह आचार्य कोई पाखंडी लगता था जो उसकी माँ के बारे मे ऐसी गंदी बाते उनको सुना रहा था.

गुस्से से भरे करण ने फ़ौरन ही आगे बढ़ कर आचार्य का गला पकड़ लिया, “पाखंडी साधु...तेरी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी माँ के बारे मे ऐसे अपशब्द बोलने के...अपना यह ढोंग बंद कर वरना...”

“वरना क्या बेटा...मैं तो वही बता रहा हू जो सत्य है...अगर मेरे हाथ मे कुछ भी होता तो मैं समय मे पीछे जाकर वो सब बदल देता...” गर्दन पकड़े जाने पर भी आचार्य की बोली मे मीठास और विनम्रता थी.

“करण छोड़ आचार्य को.....इसमे इनकी कोई भी ग़लती नही है....” अर्जुन ने आचार्य को करण से छुड़ाते हुए बोला, “काजल, करण को ले जा यहाँ से...”

काजल ने किसी तरह करण को वहाँ से हटाया. अर्जुन ने आचार्य को वही बैठाया और उनको पानी पिलाया, “मुझे माफ़ कर दीजिए आचार्य...करण की तरफ से मैं आपसे माफी माँगता हू...”

“कोई बात नही बेटा...करण की जगह अगर कोई और होता तो वो भी यही करता...इसमे उसका कोई कुसूर नही है...” आचार्य ने विनम्रता से कहा.

“पर आचार्य यह सब हमारे दादा दादी ने तो हमें कभी नही बताया.” अर्जुन ने उत्सुकतावश पूछा.

“यह बात शर्म और लज्जा से तुम्हारी माँ ने अपने घरवालो से भी छुपा ली थी तो तुम्हारे दादा दादी को यह बात पता होना तो नामुमकिन था...”

“लेकिन त्रिकाल का क्या हुआ...?” अर्जुन ने पूछा.

“त्रिकाल की हवस तुम्हारी माँ के बलात्कार के बाद भी कम नही हुई...जब रत्ना तुम्हारे पिताजी के साथ एक सुखी और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही थी तो त्रिकाल वापस लौट आया... फिर उस दुष्ट ने तुम लोगो की माँ का अपहरण कर लिया....” आचार्य बोले.

अर्जुन का भी यह सब सुनकर खून खौल रहा था, “आचार्य बस यह बताइए कि त्रिकाल का अड्डा कहाँ पर है....मैं उस दुष्ट से अपने परिवार को दिए हुए हर कष्ट का बदला लूँगा...”

“अर्जुन बेटा तुम तांत्रिक त्रिकाल को कम मत समझना...वो इस सदी का सबसे बड़ा तंत्रिका है जिसे काला जादू करने मे महारत हासिल है...और इसी काले जादू के प्रयोग से उसने अपने अड्डे को मेरे जैसे संत महात्मा की नज़रो से बचा के रखा हुआ है...इसीलिए तांत्रिक त्रिकाल कहाँ मिलेगा यह तो तुम लोगो को ही ढूँढना पड़ेगा...”

“आचार्य अगर वो पाताल मे भी होगा तब भी मैं उसे ढूंड निकालूँगा....बस आप मुझे अपना आशीर्वाद दीजिए...” कहते हुए अर्जुन ने आचार्य के पाओ छु लिए.

“बेटा मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ ही नही बल्कि करण और काजल के साथ भी है...अब यहाँ से लड़ाई तुम तीनो की है....” आचार्य ने प्यार से अर्जुन के सर पर हाथ फेरा और उसे अपना शिर्वाद दिया.

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Re: काले जादू की दुनिया

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“पर आचार्य आप हमें कोई ऐसा हथियार नही देंगे जिस से हम त्रिकाल पर विजय प्राप्त कर सके...”

“बेटा भाई भाई का प्यार ही वो ऐसा हथियार है जो तुम दोनो को हर ख़तरे से दूर रखेगा....मैं यह बात जानता हू कि तुम अपने भाई करण को पसंद नही करते पर जिस राह पर तुम दोनो निकले हो वो बहुत कठिन है...जिसमे अगर तुम सब एक जुट होकर नही रहोगे तो कभी त्रिकाल को नही हरा पाओगे....मेरी एक बात याद रखना अर्जुन, त्रिकाल की नफ़रत की काट सिर्फ़ तुम तीनो भाई बहेन का प्रेम ही है...वो तुम दोनो को चाहे कितना भी नुकसान पहुचा सकता है पर तुम दोनो के प्रेम को कभी कम नही कर सकता...” आचार्य ने अर्जुन को आख़िरी बात समझाई जो अब उसके कानो मे गूँज रही थी.

तीनो आश्रम से बाहर निकल कर स्कॉर्पियो पर बैठ चुके थे.

“तुम्हे आचार्य के साथ ऐसा नही करना चाहिए था...” अर्जुन गाड़ी स्टार्ट करते हुए करण से बोला.

“मैं उस घटना के लिए बहुत शर्मिंदा हू...पर उस समय मुझे बहुत गुस्सा आ गया था...” करण पीछे की सीट से बोला.

“आप दोनो लोग छोड़ो इस बात को.....अब यह पता करो कि हम त्रिकाल का अड्डा ढूंढ़ेंगे कैसे...?” काजल ने बीच मे कहा.

इस बात का जवाब किसी के पास नही था. अर्जुन गाड़ी भगा ही रहा था कि उसके मोबाइल फोन की घंटी बज उठी.

गाड़ी को हाइवे के किनारे खड़ा करते हुए वो बाहर उतर गया पर जब उसने फोन देखा तो जो नंबर था उसे पढ़ कर उसकी भवें सिकुड गयी.

फोन पर एक महिला की रोने की आवाज़ आई, “अर्जुन बेटा सलमा दो रात से घर नही आई है....क्या तुम जानते हो कि वह कहाँ गयी है...”

अर्जुन यह सुन कर हैरान रह गया, उसे वो रात की वो घटना याद आ गयी जब सलमा उस से नाराज़ होकर आधी रात को अकेले उसके घर से चली गयी थी.

“ना....नही...आंटी वो तो मेरे घर से परसो रात को ही निकल गयी थी....उसे तो अब तक आपके पास होना चाहिए था...” अर्जुन थूक गटकते हुए बोला.

“पता नही बेटा....अब तक वो घर नही आई है...मुझे तो डर लग रहा है कि कही मेरी बच्ची के साथ कोई अनहोनी ना हो गयी हो..”

“आप फिकर मत करिए आंटी...अल्लाह पर भरोसा रखिए मैं उसको फोन करके देखता हू...” सलमा के गायब हो जाने की खबर सुनकर अर्जुन के हाथ पाँव फूलने लगे थे.

“ठीक है बेटा...अगर तुम हमारी मदद कर दो तो तुम्हारी बहुत मेहरबानी होगी...” सलमा की अम्मी फ़ातिमा ने कहा.

“अरे आंटी इसमे मेहरबानी की क्या बात है, पर क्या आपने पोलीस मे कंप्लेंट लिखवाई है...?”

“लिखवाई तो है बेटा....पर तुम तो यहाँ की पोलीस को जानते ही हो...हम जैसे ग़रीब लोगो की मदद कोई पोलीस वाला नही करना चाहता है...”

“मैं अभी पोलीस स्टेशन जा के देखता हू....बस आप अपना ख़याल रखिएगा..”

“अल्लाह तुम्हे रहमत बख्से बेटा.....” और फ़ातिमा ने फोन काट दिया.

गाड़ी के अंदर से काजल और करण, अर्जुन को परेशान देख कर खुद परेशान हो रहे थे.

अर्जुन ने तुरंत सलमा का नंबर डाइयल किया. पूरी घंटी बज के काट गयी पर किसी ने फोन नही उठाया. अर्जुन के माथे पर पसीना सॉफ बता रहा था कि सलमा के साथ ज़रूर कोई अनहोनी हो गयी है.

“हे भगवान कहीं सलमा का कोई आक्सिडेंट तो नही हो गया...” अर्जुन माथे पर के पसीना को सॉफ करते हुए बोला.

वो गाड़ी के अंदर आ गया तो काजल ने उस से पूछा, “क्या हुआ भैया....आप बहुत परेशान लग रहे हो..”

“अभी अभी सलमा की अम्मी का फोन आया था....” कहते हुए अर्जुन बीच मे रुक गया.

सलमा का नाम पहली बार सुनकर करण ने पूछा, “यह सलमा कौन है...???”

“अर्जुन भैया की गर्लफ्रेंड....” काजल ने बताया, जिसे सुन करण मुस्कुराए बिना नही रह सका.

“तो सलमा की अम्मी ने क्या कहा फोन पर...?” काजल ने अर्जुन से पूछा.

“सलमा परसो से घर नही आई है....जिस रात वो मेरे घर से गयी थी, उसके बाद वो अपने घर पहुचि ही नही.....हे भगवान यह कैसी कैसी मुसीबत आती जा रही है हम पर....”

“ओह्ह माइ गॉड.....यह क्या कह रहे हो अर्जुन भैया....” काजल को एक झटका सा लगा.

फिर अर्जुन ने सारी बात बता दी. पिच्छले कुछ दिनो से तीनो लोगो पर हैरानी के झटके पर झटके लगते जा रहे थे. कुछ दिन पहले एक आम जिंदगी जीने वाले यह तीन लोगो की जिंदगी अब बिल्कुल बदलने वाली थी.

“भैया अगर ऐसी बात है तो हमें पोलीस स्टेशन ज़रूर चलना चाहिए...” काजल चिंतित स्वर मे बोली.

“हाँ काजल हमें ज़रूर चलना चाहिए....क्यूकी अगर सलमा को कुछ भी हो गया तो मैं अपने आप को कभी माफ़ नही कर पाउन्गा..” अर्जुन ने सरपट गाड़ी मुंबई के दादर पोलीस स्टेशन की तरफ भगा दी.

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007
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Re: काले जादू की दुनिया

Post by 007 »

ek bahut hi achhi kahani hai dost
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

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