वो शाम कुछ अजीब थी complete

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rangila
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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‘डॅड – मोम – भाई होश में आ गया पर पर वो वो….’ और सोनल की रुलाई फुट पड़ती है.

सुमन और सागर फटाफट सुनील के पास जाते हैं. डॉक्टर्स की टीम भी इस बीच वहाँ पहुँच जाती है.

सुनील इस वक़्त शॉक में था – वो किसी को पहचान नही पा रहा था. उसका चेक अप करने के बाद डॉक्टर उसे नीद का इंजेक्षन देदेते हैं ताकि दिमाग़ पे ज़ोर ना पड़े.

सोनल वहीं सुनील का हाथ पकड़ बैठ जाती है - वो वहाँ से हिलने को बिल्कुल तयार ना थी.

अगले दिन सुनील जब जागा तो देखा सोनल वहीं उसके पास उसके हाथ को अपने हाथ में पकड़े स्टूल पे बैठी बिस्तर पे सर टिकाए सो रही थी.

सुनील को सारे जिस्म में काफ़ी दर्द हो रहा था. उसके मुँह से कराह निकली जिसने
सोनल की नीड तोड़ी और उसने सर उठा अपने भाई की तरफ देखा.

‘भाई तुझे होश आ गया – ओह गॉड – थॅंक यू गॉड – हम सब बहुत डरे हुए थे भाई – कल तू किसी को पहचान नही रहा था- आइ आम सो हॅपी भाई – अभी मोम डॅड को फोन करती हूँ’

‘अहह’ सुनील फिर कराहा ‘ बहुत दर्द हो रहा है यार’

सोनल – नर्स को इशारा करती है जो ऑन ड्यूटी डॉक्टर को बुला लाती है.

वो सुनील को अच्छे से चेक करता है और दर्द से निवारण दिलाने के लिए एक इंजेक्षन लगा देता है.

इतने मे सोनल मोम डॅड को फोन कर देती है और आधे घंटे में दोनो वहाँ पहुँच जाते हैं.

अपने बेटे को होश में आया देख दोनो बहुत खुश थे.

सागर : आइ आम प्राउड ऑफ यू सोन – यू सेव्ड युवर सिस.

सुमन : मेरा राजा बेटा बहुत बहादुर है – तूने मेरे दूध की लाज रख ली वरना किसी को मुँह दिखाने के काबिल ना रहते.

सुनील : अहह (दर्द की वजह से बोल नही पा रहा था)

तभी वहाँ पोलीस इनस्पेक्टर भी पहुँच जाता है सुनील का बयान लेने जिसे उसके डॅड रफ़ा दफ़ा करते हैं कि जब तक वो कुछ ठीक नही होता उसे कोई डिस्टर्ब ना करे.

सुनील पे दवाइयाँ अपना असर दिखाने लगती हैं और उसे फिर नींद आ जाती है –

सुनील को ड्रिप्स के ज़रिए ग्लूकोस और नमक दिया जा रहा था – और उन्ही बॉटल में इंजेक्षन भी डाल दिए जाते थे.

दो घंटे बाद सुनील फिर जागा तो उसके एक्स्रे लिए गये – सर में जो चोटे थी वो ठीक हो रही थी. उसकी सभी ड्रेसिंग बदली गयी और नर्स ने ही उसे हल्के गरम पानी में भिगोएे तोलिये से उसकी सपंगिंग करी .

शाम तक सुनील को आइसीयू से प्राइवेट रूम में शिफ्ट कर दिया गया. ये रूम किसी होटेल के रूम से कम ना था अटेंडेंट के लिए बाक़ायदा एक अलग बेड था कमरे में टीवी फ्रिज दोनो थे और विज़िटर्स के लिए दो चेर्स भी थी.

शाम को ही जब वो रूम में शिफ्ट हुआ तो उसके सारे प्रोफेस्सर्स और उसकी पूरी क्लास के लड़के लड़कियाँ उसे मिलने आए. देखा जाए तो पूरा कॉलेज उससे मिलने आया था. पूरा कमरा गेट वेल सून के कार्ड्स और फूलों से भर गया.
सब उसे मिलके चले गये और एक लड़की पीछे रह गयी रजनी जिससे सुनील की अच्छी दोस्ती थी पर अभी तक दोनो में ऐसी कोई बात नही हुई थी और नाएक दूसरे को प्रपोज़ किया था.

रजनी : सोनल तुम घर जा के थोड़ा आराम कर लो तब तक मैं रुकती हूँ यहाँ.

सोनल : नही नही ऐसी कोई ज़रूरत नही – इट’स ऑल ओके जब ज़रूरत पड़ेगी तो ज़रूर तुम्हें तकलीफ़ दूँगी.

रजनी : सुमन की तरफ मुड़ते हुए. – आंटी कहिए ना इसे थोड़ा आराम कर ले घर जा के वरना इस तरहा तो ये बीमार पड़ जाएगी.

सागर : हां सोनल चलो बेटी – घर चलो सुनील अब ठीक है बस जख्म भरने में थोड़ा समय लगेगा.

सोनल : डॅड – मोम प्लीज़ – आप बस मेरे कुछ कपड़े ले के आ जाना – जब तक भाई यहाँ है मैं इसके साथ ही रहूंगी.

रजनी ने एक हसरत भर नज़र सुनील पे डाली और मन मसोस के वहाँ से चली गयी.

थोड़ी देर में सागर भी चला गया उसे हॉस्पिटल में राउंड लेना था अपने पेशेंट्स देखने के लिए. सुमन ने तो लंबी छुट्टी ले ली थी. वो घर जा के सोनल के कपड़े ले आई.

सोनल वहीं बाथरूम में नहाई फ्रेश हुई और साथ लगे बिस्तर पे लेट गयी.

सुमन अपने बेटे के पास बैठी प्यार भरी नज़रों से उसे देख रही थी.

सुनील को फिर नींद ने घेर लिया था. इतने लोगो से मिलने की वजह से वो कुछ थक सा गया था.
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एक हफ्ते बाद सुनील के घाव भर चुके थे बस प्लास्टर रह गया था हाथ और टाँग में. उसके सारे दोस्त हॉस्पिटल पहुँच चुके थे उसे घर ले जाने के लिए जहाँ उसका पूरा मोहल्ला भी इंतेजार कर रहा था उसके स्वागत के लिए- और करते भी क्यूँ ना एक ऐसी मिसल कायम कर दी थी जिसका जिक्र हर रोज एक माँ अपने बेटे से किया करती थी – कि वक़्त पड़ने पे उसे भी ऐसे ही अपनी बहन की लाज की रक्षा करनी थी.

रंजीत और उसके दोस्त शायद शहर छोड़ के भाग चुके थे क्यूंकी उनका कोई सुराग नही मिल रहा था.


खैर सुनील घर पहुँचता है अपनी बहन सोनल और दोस्तो के साथ तो उसके स्वागत की भव्य तैयारी थी. सुमन ने पूरा घर महकते हुए फूलों से सज़ा रखा था और अपने हीरो बेटे के लिए दरवाजे पे तिलक का थॉल लिए खड़ी थी.

अपने दोस्त और सोनल के कंधों का सहारा ले सुनील अपनी माँ के सामने जा खड़ा हुआ सुमन ने उसका तिलक किया और उसके सर पे प्यार भरा एक चुंबन जड़ दिया – फिर उसकी बालाएँ लेते हुए नोटों का एक बंडॉल उछाल दिया ग़रीब बच्चों के लिए जो आस पास आस लगाए इंतेज़ार कर रहे थे.

सुनील को घर के अंदर ले जाया गया और आराम से उसके बिस्तर पे उसे लिटा दिया गया.

बहुत से मिलनेवाले आते रहे और सुमन और सागर को बधाई देते रहे ऐसे होनहार और साहसी बेटे के माँ बाप होने का गौरव प्राप्त करने के लिए.

इस दोरान सोनल सुनील की हर छोटी से छोटी तकलीफ़ और उसकी ज़रूरत को समझ चुकी थी और वही उसका ख़याल रख रही थी.

सुनील लोगो से मिल के थक चुका था और फिर सोनल एक दीवार बन के खड़ी हो गयी की अब उसे आराम करना है जिसने भी मिलना हो बाद में मिले.

गर्मी का मौसम था इसलिए सुनील को प्लास्टर के अंदर बहुत खारिश होती थी और वो बहुत तड़प्ता था पर इस बात का कोई इलाज नही था हां उसके कमरे में ए/सी लगवा दिया गया था.

हॉस्पिटल में तो नर्स सुनील की स्पॉंगिंग करा करती थी अब घर में कॉन करे ये बात सुमन सोच रही थी – जवान बेटे का नग्न जिस्म देखना उसके दिल को गवारा ना था वो इन बातों को सोच ही रही थी और जब वो सुनील के कमरे की तरफ बढ़ी तो देखा की सोनल ने सिर्फ़ अंडरवेर छोड़ उसके सारे कपड़े उतार रखे थे और बड़े प्यार से भाई की सपंगिंग कर रही थी ठंडे पानी में भीगे तोलिये से.

जवान बड़ी बहन अपने छोटे जवान भाई के जिस्म की सपंगिंग कर रही थी ये देख सुमन को पहले तो गुस्सा चढ़ा फिर उसके दिमाग़ में ये ख़याल आया की सोनल की जगह उसे खुद ये काम करना चाहिए.

अभी वो ये सोच रही थी कि सपंगिंग ख़तम हुई और सोनल ने सुनील को कपड़े पहना दिए फिर दवाई दे कर बाहर निकलने को हुई तो सुमन वहाँ से हट गयी.

दोनो भाई बहन में पवित्र प्रेम था और सोनल अपने भाई का पूरा ख़याल रख रही थी यहाँ तक कि उसने एमडी के लिए अड्मिशन भी नही लिया ताकि हर समय वो आवने भाई के साथ रह सके. सुनील का भी इस हादसे की वजह से पढ़ाई का बहुत नुकसान हो रहा था.

अपने जवान बेटे की ये हालत देख सुमन अंदर ही अंदर बहुत रोती थी पर बस में कुछ होता तो ही कुछ कर पाती.
दोनो भाई का अटूट प्रेम देख उसके दिल को बहुत खुशी मिलती थी पर सोनल का यूँ स्पॉंगिंग करना उसे अंदर ही अंदर जाने क्यूँ खल रहा था. वक़्त क्या कुछ नही करवा देता और जब दो जवान जिस्म एक दूसरे के बहुत करीब रहने लगें तो आग का भड़कना निश्चित ही होता है.

हालाँकि दोनो के व्यवहार में ऐसा कुछ भी नही झलकता था पर सुमन को अंदर ही अंदर ये डर लगने लग गया था कि कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए – उसने भी अपने काम से लंबी छुट्टी ले ली थी.

सुमन ने सोनल को बहुत समझाया कि वो अपनी एमडी ना छोड़े अपना साल मत बर्बाद करे पर सोनल का एक ही जवाब होता – जब तक उसका हीरो बिल्कुल ठीक नही हो जाता वो उसके साथ ही रहेगी उसकी देखभाल करेगी.

सोनल की ज़िद के आयेज सुमन चुप रह गयी.

कुछ देर बाद घर की बेल बजी – रजनी आई थी सुनील से मिलने.

उस वक़्त सोनल नहाने चली गयी थी अपने कमरे में. सुमन ने रजनी को सुनील के कमरे में बिताया और खुद उसके लिए चाइ बनाने चली गयी.

रजनी : अब कैसे हो?

सुनील : देख लो तुम्हारे सामने हूँ बिस्तर से बँधा हुआ.

रजनी : तुम्हारे बिना कॉलेज बहुत सूना सूना लगता है. जल्दी ठीक हो जाओ यार.

सुनील : यार मेरा तो ये साल गया – तीन महीने लग जाएँगे टाँग के प्लास्टर को खुलने में और इतनी क्लासस मिस करने के बाद कोप अप नही कर पाउन्गा बाद में.

रजनी : क्लासस की तुम चिंता मत करो. मैने सर से बात कर ली है – जब वो लेक्चर देंगे तो साथ ही रेकॉर्ड होता रहेगा और मैं रोज आ कर तुम्हें रिकोडिंग और नोट्स दे दिया करूँगी ताकि तुम क्लास के साथ बने रहो.

सुनील : अरे वाह ये हुई ना बात. ये सब हो गया तो कोई चिंता नही. बिस्तर पे पड़े पड़े तो वैसे ही बोर हो जाता इस बहाने साथ साथ पड़ता रहूँगा और क्लास में पीछे भी नही रहूँगा.

रजनी : तुम्हारे लिए कुछ भी – ये तो कुछ भी नही है.

सुनील : इधर तो आओ – मेरे पास बैठो.

रजनी उठ के सुनील के पास उसके बिस्तर पे बैठ गयी.

सुनील : और पास आओ ना.

रजनी : ना बाबा कोई आ गया तो. तुम तो मेरा यहाँ आना भी बंद करवा दोगे.

सुनील : यार प्लीज़ एक छोटा सा किस देदो जल्दी.

रजनी : छी बेशर्म.

सुनील : प्लास्टर में बँधा ना होता तो बताता तुम्हें.
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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मस्ती से भरपूर कहानी है दोस्त
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रजनी की साँसे तेज हो गयी दिल की धड़कन बढ़ गयी. उसने झुक के सुनील के होंठों पे अपने होंठ सटा दिए और फिर एक दम हट के कुर्सी पे बैठ गयी. उसका चेहरा पूरा लाल सुर्ख था.

सुनील और रजनी दोनो ही नही जानते थे कि दो आँखें इन्हें देख रही थी और उनमे काफ़ी गुस्सा आ गया था.

इधर रजनी कुर्सी पे बैठती है उधर सुमन चाइ ले कर कमरे में आ जाती है.
चाइ पीते वक़्त इधर उधर की बातें होती रहती हैं और रजनी अगले दिन का आने को कह चली जाती है.

सुमन दूसरे कामो में लग जाती है और सोनल सुनील के पास आ के बिस्तर पे बैठ जाती है.

गीले बालों से टपकती बूंदे जो कभी उसके गालों पे गिरती तो कभी उसके उरोजो की घाटी में . गुलाबी चेहरा इस वक़्त गुस्से से लाल सुर्ख था. उसने रजनी को सुनील का चुंबन लेते देख लिया था.

वैसे तो दोनो भाई बहन एक दूसरे को पूरी स्पेस देते थे कभी पर्सनल मामलों में टाँग नही अड़ाते थे पर आज जब रजनी ने सुनील को किस किया तो सोनल जाने क्यूँ बर्दाश्त नही कर पाई.

सुनील ने सोनल को बताया कि रजनी रोज आएगी और क्लासस की रेकॉर्डिंग देके जाएगी तो सोनल अंदर ही अंदर और जल गयी कि रजनी अब रोज सुनील के साथ वक़्त बिताएगी.

सोनल : तू चिंता मत कर वो आए या ना आए मैं तुझे रोज पढ़ाउंगी – तेरा कोर्स साथ साथ चलेगा और मेरी भी रिविषन होती रहेगी. पर अभी कुछ दिन रेस्ट कर ज़ोर मत डाल खुद पे.

सुनील सोनल के चेहरे की तरफ ही देख रहा था. गालों पे पानी की बूंदे बहुत प्यारी लग रही थी पर आँखों में कुछ था जो सुनील समझ नही पा रहा था और सोनल की आवाज़ में भी कुछ तल्खी थी जो उसने आज तक नही देखी थी.

सुनील : दी बात क्या है? कुछ उखड़ी सी लग रही हो.

सोनल अपने दिल की बात छुपा जाती है ‘ ना कुछ नही – बस यूँ ही गुस्सा चढ़ गया था तेरा कितना नुकसान हो रहा है ना और वो भी मेरी वजह से’

सुनील : किसने कहा मेरा कोई नुकसान हो रहा है. और तुम ये उटपटांग क्या सोचने लग गयी हो.

सोनल : यार मैं सोच रही थी कि अगर तू ना होता तो मेरा क्या हश्र हुआ होता.

आज सोनल ने सुनील को पहली बार यार बोला था. लेकिन सुनील ने इस पर कोई ध्यान नही दिया.

सुनील : अब दुबारा ऐसी कोई बात बोली तो कभी बात नही करूँगा.

सोनल मुस्कुराते हुए अपने कान पकड़ लेती है ‘ सॉरी बाबा अब नही बोलूँगी’

और सोनल सुनील की छाती पे अपना सर रख देती है.

एक अजीब सा सकुन मिलता है सोनल को और सुनील प्यार से उसके सर पे हाथ फेरने लगता है.

तभी सागर आता है और सोनल पहले से ही ठीक होके बैठ जाती है.

अगले दिन रजनी शाम को पहुँच गयी और सुनील को अब तक हुई पढ़ाई के बारे में नोट्स देते हुए समझाने लगी.

जाने क्यूँ सोनल को रजनी का आना अच्छा नही लगा दिल तो किया कि बाहर चली जाए – पर उस दिन दोनो का चुंबन देख वो अब दोनो को तन्हा नही छोड़ना चाहती थी.

अंदर ही जलती हुई वो दोनो के पास बैठी रही.

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वक़्त गुजरने लगा रजनी रोज आती रही और सोनल अंदर ही अंदर जलती रही. जब भी अकेली होती तो खुद से पूछती उसे रजनी का आना बुरा क्यूँ लगता है पर उसके पास कोई जवाब नही होता. अपने आप में वो परेशान रहने लगी और सुनील का देखभाल और भी ज़यादा करने लगी.

यूँ ही तीन महीने गुजर गये और सुनील के दोनो प्लास्टर काट दिए गये. अब उसे कुछ एक्सरसाइज़ज़ करनी थी कि जिस्म में वही ताक़त वापस आ सके.

सोनल खुद उसे वो एक्सर्साइज़ कराने लगी. हफ्ते बाद सुनील ने कॉलेज जाना शुरू कर दिया. सोनल ने अपने डॅड को मजबूर कर कॉलेज से पर्मिशन ले ली कि सुनील अभी हॉस्टिल में नही रहेगा जब तक वो पूरी तरहा ठीक नही हो जाता.

सोनल सुनील को रोज एक्सर्साइज़ करवाती खुद उसे कॉलेज छोड़ती और शाम को लेने भी पहुँच जाती.

सुनील प्रॅक्टिसस में बहुत पीछे रह गया था उसने प्रीसिपल से पर्मिशन ली कि वो सनडे को आ कर लॅब में प्रॅक्टिसस कर सके और जल्द से जल्द क्लास के बराबर पहुँच सके.

सुनील पूरे कॉलेज का चहेता बन चुका था इसलिए प्रिन्सिपल ने उसे इज़ाज़त दे दी यहाँ तक कि प्रोफेस्सर्स भी सनडे को आते उसे प्रेक्टिकल करने के लिए.

सुनील सनडे को भी बिज़ी हो गया और सोनल के लिए घर में सनडे काटना मुश्किल हो गया. जाने क्यूँ उसके दिल में यही ख्वाहिश रहने लगी कि वो हर दम सुनील के साथ रहे.

सागर ने ये सोचा कि उसकी बेटी सोनल क्यूंकी अब घर में खाली बैठी रहती है इसलिए उदास रहती है. उसकी उदासी का असली कारण तो वो जान नही पाया पर उसके ख़ालीपन को दूर करने के लिए उसने अपने ही हॉस्पिटल में उसे ट्रेनी लगवा दिया.

सोनल का भी वक़्त हॉस्पिटल में गुजरने लगा. यहाँ उसकी मुलाकात माधवी से हुई जो उससे एक साल सीनियर थी पर किसी और मेडिकल कॉलेज से आई थी. दोनो बहुत जल्द एक दूसरे की सहेली बन गयी.

सोनल का वक़्त तो गुजरने लगा मरीजों और अपनी नयी सहेली के साथ पर दिल हमेशा एक आवाज़ लगाता सुनील के पास चल ना – देख कितने दिन हो गये उससे ढंग से बात भी नही हो पाती.

पर सुनील के पास वक़्त ही कहाँ था एमबीबीएस करना कोई मज़ाक तो था नही और वो भी तब जब 3 महीने की क्लासस मिस हो चुकी हूँ.
सुनील अपनी पढ़ाई में खो गया और उसे इस बात का तनिक भी एहसास नही हुआ कि सोनल उसे मिस करने लगी है.
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