वो शाम कुछ अजीब थी complete

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rangila
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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उधर सुनील ने बड़ी मेहनत कर एक ही महीने में पिछला सारा बॅक लॉग पूरा कर लिया अब वो सकुन से क्लास के साथ चल सकता था. इस कड़ी मेहनत ने उसे बहुत थका दिया था. सनडे का दिन था और सुनील 10 बज चुके थे तब भी सोया हुआ था.

सोनल उसके कमरे में घुसी उसे उठाने के लिए तो देखा वो सिर्फ़ एक शॉर्ट पहन कर सोया हुआ था. उसकी चौड़ी छाती पे घुँगराले बाल सोनल को अपनी तरफ खींचने लगे.

सोनल सुनील के पास जा के बैठ गयी और प्यार से उसकी छाती पे हाथ फेरते हुए उसे उठाने लगी.

‘उठ जा भाई 10 बज चुके हैं’

सुनील कुन्मूनाता हुआ बोला.

‘सोने दे ना यार बहुत दिनो बाद चैन की नींद आ रही है’

सोनल प्यार भरी नज़रों से अपने भाई को देखने लगी – वो मंज़र उसकी आँखों के सामने फिर आ गया – कैसे सुनील तीन के साथ अकेला लड़ रहा था. उसे अपने भाई पे बहुत प्यार आया उसके माथे को चूम वो उठ गयी और उसे सोने दिया.

सोनल जब कमरे से बाहर निकली तो देखा उसके मोम डॅड रेडी थे कहीं जाने के लिए.

सोनल : आप लोग कहीं जा रहे हो.

सुमन : हां बेटी तेरे पापा के दोस्त ने बुलाया है किसी ज़रुरू काम से दोपहर तक आ जाएँगे. सुनील उठा के नही.

सोनल : नही मोम उसे सोने दो बहुत थका हुआ लग रहा था – इसलिए मैने ज़ोर नही दिया और उसे सोने दिया.

सुमन : ठीक है, जब उठे उसे नाश्ता करवा देना. लंच तक हम आजाएँगे.

ये कह सागर और सुमन चले गये.

सोनल वहीं हाल में बैठी टीवी चला के चॅनेल इधर से उधर करने लगी.
तभी उसके मोबाइल पे माधवी का फोन आ गया.

‘हाई माधवी – आज कैसे फोन किया’

‘यार मैं कल से नही आउन्गि – मेरा रेसिग्नेशन तुझे भिजवा दूँगी प्लीज़ सब्मिट कर देना’

‘रेसिग्नेशन !!!! क्या हुआ’

‘मेरी शादी फिक्स हो गयी है – कल ही हम सब लोग मुंबई के लिए निकल रहे हैं’

‘ओह – दट’स गुड- कोंग्रथस. कब वापस आएगी’

‘वापसी का कोई चान्स नही लड़का वहीं का है तो वहीं रहना पड़ेगा.’

‘करता क्या है मेरा जीजा’

‘सर्जन है’

‘ह्म्म गुड – अच्छा मेरी मासी वहीं मुंबई रहती है तुझे उनका डीटेल भेज दूँगी एसएमएस पे – कोई भी ज़रूरत पड़े बेझिझक उनसे बात कर लेना.’

‘थॅंक्स यार – तो सुना तेरी कब शादी हो रही है – कोई लड़का फिक्स किया हुआ है या नही’

‘ना यार मैं तो लड़कों से दूर ही रहती हूँ – पहले एमडी फिर सोचेंगे’

‘कोई तो होगा जिसे तू चाहती है – बता ना’

‘नही यार कोई नही है’

‘हो ही नही सकता इस उम्र में कोई भी लड़का तेरे दिमाग़ में ना हो जिसने तेरे दिल पे क़ब्ज़ा ना कर रखा हो – ये बात अलग है तेरी उससे इस बारे में कोई बात ना हुई हो’

‘अरे सच कह रही हूँ ऐसा कोई नही है’

‘मैं नही मानती – रात को कॉन तेरे सपनो में आता है – किसके बारे में तू हर दम सोचती है. आज जब सोना तो ध्यान रखना किसके बारे में सोचती है तू – सब क्लियर हो जाएगा’

‘चल हट ऐसा कुछ नही है – ये बता डेट क्या फिक्स हुई है’

’20 दिन बाद की तुझे कार्ड भेज दूँगी – आना ज़रूर’

‘हां ज़रूर इस बहाने मासी से भी मिल लूँगी’

‘चल रखती हूँ – मेरी बात पे गौर ज़रूर करना’

‘ओके चल बाइ’
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rangila
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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माधवी से बात करने के बाद सोनल ने पहले उसे अपनी मासी का नंबर एसएमएस किया और फिर मासी को फोन करने की कोशिश करी पर उनका फोन ऑफ आ रहा था. बाद में करने का सोच वो हॉल में बैठी टीवी के चॅनेल्स सर्फ करने लगी. उसे कोई भी प्रोग्राम अच्छा नही लग रहा था.

ऐसे ही एक चॅनेल पे कोई इंग्लीश फिल्म आ रही थी तो वो उसे देखने लगी. पर फिल्म उसे कुछ अच्छी ना लगी तो टीवी ऑफ कर दिया. और वहीं आँखें बंद कर आराम से अढलेटी पोज़िशन में आ गयी.

आँखें बंद करने के बाद वो यूँ ही अपनी जिंदगी के बारे में सोचने लगी – किस तरहा लड़के उसके पीछे पागल थे कितनो ने प्रपोज़ करने की कोशिश करी थी. माधवी की बातें उसके दिमाग़ में घूमने लगी और वो सोचने लगी कि कोई भी लड़का तो आँखें बंद करने के बाद उसे नज़र नही आता..

यूँ ही थोड़ा और वक़्त गुजर गया और सुनील उठ के फ्रेश हो कर अपने कमरे से बाहर आ गया.

उसने सोनल को हॉल में आराम करते देखा तो उसे उठाने की कोशिश नही करी खुद ही किचन में जा कर अपने लिए चाइ बनाने लग गया.

बर्तनो की खड़खड़ाहट से सोनल की आँख खुल गयी और उसे समझते देर ना लगी कि सुनील कुछ कर रहा होगा किचन में. वो किचन में चली गयी तो सुनील को गॅस पे चाइ रखते हुए देखा.

‘मुझे क्यूँ नही उठाया भाई – तू चल बैठ मैं चाइ बना के लाती हूँ’

‘अरे दी तुम आराम कर रही थी तो कैसे उठाता’

‘बुद्धू ये भी कोई वक़्त है आराम करने का मैं तो वैसे ही आँखें बंद किए पड़ी थी टीवी में भी कुछ अच्छा नही आ रहा था. अच्छा ये बता नाश्ता भी ले आउ या फिर सीधा लंच ही करेगा 12 तो बज ही चुके हैं.’

‘दी अभी तो चाइ पिलाओ’ कह कर सुनील हॉल में जा के बैठ गया और टीवी ऑन कर लिया.

सोनल दो कप चाइ ले कर हॉल में आ गयी और सेंटर टेबल पे कप रख दिए. सुनील एक कप उठा कर चाइ पीते हुए टीवी देखने लगा. सोनल बिल्कुल उसके सामने बैठ गयी और अपना कप उठा लिया. लेकिन चाइ पीना भूल वो सुनील को देखने लगी. सुनील उसका हीरो जो था आज वो उसे बिल्कुल किसी फिल्मी हीरो की तरहा लग रहा था. सोनल प्यार भरी नज़रों से उसे देख रही थी.

तभी सुनील की नज़र सोनल पे पड़ी.

‘आईई दी क्या देख रही हो चाइ ठंडी हो रही है’

सोनल शरमा गयी और हड़बड़ाहट में चाइ का कप मुँह को लगा लिया.

सुनील फिर टीवी में मस्त हो गया और सोनल फिर उसके चेहरे में खो गयी. चाइ का कप यूँ ही मुँह को लगा रहा.

सुनील कुछ देर बाद उठा तो देखा कि सोनल की नज़रें उसपे टिकी हुई हैं और चाइ का कप यूँ ही होंठों से लगा हुआ है.

‘अरे दी क्या हो गया है आज आपको – कहाँ खो गयी हो’

सोनल ने चाइ का कप नीचे रख दिया ‘ कहीं नही बस अपने हीरो को देख रही थी’

‘ ओह दी प्लीज़ डॉन’टी एंबॅरस मी – ये क्या हीरो हीरो लगा रखा है’

‘मेरा तो तू ही हीरो है ना – तू ना होता तो……’ सोनल की आवाज़ भर्रा गयी.

सुनील उसके पास आके बैठ गया और उसके चेहरे को अपने हाथों में ले उसकी आँखों में झाँकने लगा’

‘दी इन आँखों में कभी आँसू ना देखूं – मैं हूँ ना – तुम्हारी हर तकलीफ़ को दूर करने के लिए – नाउ स्माइल’

सुनील के प्यार ने सोनल के चेहरे पे हसी बिखेर दी.

‘दट’स लाइक माइ दी’ और सोनल के माथे को चूम के उठ गया.

इतने में सुमन और सागर भी आ गये और सारा परिवार बातों में मशगूल हो गया.

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रूबी के बर्ताव से रमण समझ गया था कि रूबी बहुत नाराज़ है और होगी भी क्यूँ नही उसने रूबी के विश्वास को जो चोट पहुँचाई थी. जो वादे रूबी से किए थे वो वादे रूबी को टूटते हुए नज़र आए थे. इससे पहले कि रमण रूबी को समझाने की कोशिश करता दोनो के माँ बाप घर आ चुके थे और उनके सामने रमण रूबी से इस मामले में कोई बात नही कर सकता था.

उसने अगले दिन पे ये मसला टाल दिया. क्यूंकी सविता और समर दोनो के माता पिता अगले दिन एक हफ्ते के लिए अपनी वार्षिक छुट्टी पे जा रहे थे.

ये लोग साल में दो छुट्टियाँ बिताते थे एक में केवल माँ बाप जाते थे और एक में सारा परिवार.

कोई नही जानता था कि जो छुट्टी सविता और समर अकेले मनाते थे वो असल में इनका प्रोग्राम होता था सुमन और सागर से मिलने का. पहले तो सुमन इस बार का ये मिलन सुनील की वजह से कॅन्सल करने वाली थी पर जब देखा वो बिल्कुल ठीक हो गया है और अपने कॉलेज का बॅकलॉग तक पूरा कर चुका है तो मान गयी.
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rangila
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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जब सोनल और रमण छोटे थे तब से ये दोनो बहने आपस में स्वापिंग करने लग गये थे क्यूंकी दोनो भी अपना टेस्ट बदलना चाहते थे और इनके पति तो अपनी साली पे लार टपकाया ही करते थे.

एक बार स्वापिंग का मामला कुछ लंबा ही हो गया था. यानी सविता एक महीने के लिए सागर के साथ उसकी पत्नी बन के रही और सुमन समर के साथ.

जिस्मो की ख्वाहिश पूरी करते हुए चारों एक ज़रूरी बात को ध्यान में ना रख पाए और नतीजा ये निकला कि महीने बाद सुमन और सविता दोनो ही प्रेग्नेंट हो चुकी थी.

चारों देखा जाए तो चार जिस्म और एक जान बन चुके थे इस लिए दोनो ने ही अपनी पत्नी को प्रेग्नेन्सी टर्मिनेट नही करने दी.

नतीजा ये हुआ कि सुनील का असली पिता था समर और रूबी का असली पिता था सागर. ये बात सिर्फ़ ये 4 ही जानते थे.

यानी सोनल और सुनील सगे भाई बहन नही थे और यही हाल रमण और रूबी का था. पर बचपन से ही ये बिल्कुल सगे भाई बहन की तरहा ही रहे और इनका प्रेम भी बिल्कुल ऐसा ही था.

जैसे जैसे बच्चे बड़े होते गये ये लोंग जो पहले हर महीने मिला करते थे वो उसमे लंबे ब्रेक आने लगे और अब हाल ये हो चुका था कि साल में एक बार छुट्टी के बहाने ही मिल पाते थे. और ये छुट्टी वो हमेशा किसी बीच पे ही मनाते थे – जहाँ ये चारों भूल जाते थे कि इनका आपस में क्या रिश्ता है – बस 4 जिस्म की क्रियाओं में लिप्त हो जाया करते थे.

कल ये चारों गोआ में मिलने वाले थे और इस बार का सारा खर्चा समर उठा रहा था, उसने ही सारे अरेंज्मेंट्स किए थे.

रात को सोनल को सुनील के खाने पीने का ध्यान रखने को कह सुमन और सागर अपने कमरे में जा के सो गये – सुबह 10 बजे इनकी फ्लाइट थी गोआ के लिए जो मुंबई हो कर जानी थी जहाँ समर और सविता ने भी बोर्ड करना था.


अगले दिन सुनील - सुमन और सागर को एरपोर्ट छोड़ने के लिए चला गया.
जब वो वापस आया तो उसने काफ़ी बेल बजाई पर किसी ने दरवाजा ना खोला. हार कर उसने अपनी चाबी से दरवाजा खोला और सीधा अपने मोम दाद के रूम में गया कुछ समान रखने.

जैसे ही वो रूम में दाखिल हुआ उसी वक़्त सोनल बाथरूम से बाहर निकली जिसने बाथ टवल लपेटा हुआ था.

सोनल की नज़र सुनील पे नही पड़ी . लेकिन सुनील की आँखें सोनल को इस रूप में देख चोंधिया गयी.

सोनल सीधा ड्रेसिंग टेबल पे गयी और अंगड़ाई लेते हुए कुछ सोचने लगी. सोनल की आँखें उस वक़्त बंद थी.





इससे पहले की कोई ग़लत ख़याल सुनील के दिमाग़ में आते वो सर झटक रूम से बाहर चला गया और हॉल में जा के बैठ गया - खुद को बिज़ी करने के लिए उसने टीवी चला लिया

उधर......................
जब फ्लाइट मुंबई लंड करी तो समर और सविता भी फ्लाइट में चढ़ गये. जैसे ही वो बिज़्नेस क्लास कॅबिन में पहुँचे अदला बॅड्ली वहीं शुरू हो गयी – सुमन अपनी जगह से उठी और सविता के गले मिली फिर वो समर के साथ बैठ गयी और सविता सुमन की जगह पे बैठ गयी.

समर तो जैसे सुमन के लिए पागल हुआ पड़ा था. जैसे ही वो बैठी – समर ने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया और किसी की परवाह ना करते हुए अपने होंठ उसके होंठो से चिपका दिए. कुछ ऐसा ही हाल सागर और सविता के बीच था.

दोनो औरतों ने मुश्किल से खुद को छुड़ाया और अपने चेहरे पे हाथ रख बैठी रही – दोनो को ही यूँ खुले में चुम्मि देने मे बड़ी शर्म आई थी.

उधर सोनल तयार हो कर हॉल में आ गयी और सुनील के सामने बैठ गयी. सफेद टाइट टॉप और नीली जीन्स जिसमे से उसकी पैंटी का टॉप झाँक रहा था.
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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सोनल : भाई कहीं घूमने चलें - बहुत बोर हो गयी हूँ.

सुनील : कहाँ चलना है .

सोनल : चल कोई मूवी देखने चलते हैं.

सुनील : ह्म्म्मे ठीक है चलो पहले बाहर कुछ खाएँगे फिर मूवी देखेंगे.

दोनो भाई बहन घर लॉक कर निकल पड़ते हैं.

वहाँ घंटे के बाद फ्लाइट गोआ उतर गयी और ये चारों अपने होटेल की तरफ रवाना हो गये. दोनो औरतों ने मर्दों को छेड़ खानी से रोका हुआ था - जब तक होटेल नही पहुँच जाते.

इस लिए सागर और समर चेहरा लटकाए बैठे रहे और दोनो बहने मंद मंद मुस्कुराती रही.

होटेल पहुँच के जब चेक इन किया तो समर लगभग खींचते हुए सुमन को अपने कमरे में ले गया उसने लगेज आने का भी इंतजार नही किया और सुमन पे टूट पड़ा.

सागर का कमरा इनके साथ वाला कमरा था.

समर ने सुमन को कुछ कहने का मोका तक ना दिया और उसके होंठ चूस्टे हुए उसके मम्मे ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा.

सागर थोड़ा रोमॅंटिक किस्म का था उसने कमरे में घुसते ही पहले वाइन मँगवाई और तब तक समान भी आ गया.

सविता को बहुत शर्म आ रही थी - वो खिड़की की तरफ जा के खड़ी हो गयी. इतने में रूम सर्विस वाला वाइन भी ले आया.

सागर ने दो ग्लास में वाइन डाल ली और टेबल पे रख वो सविता के पीछे जा के खड़ा हो गया और अपने दोनो हाथ उसके कंधों से सरकाते हुए उसकी उंगलियों में अपनी उंगलियाँ फसा ली.
सविता की साँसे तेज चलने लगी.

सविता : पहले नहा के फ्रेश हो जाते हैं. ---- उखड़ी हुई सांसो से उसने मुश्किल से बोला.

सागर : एक साथ नहाएँगे.

सविता बाथ रूम में घुस गयी और सागर दोनो वाइन ग्लास ले कर बाथरूम में घुस गया.

सविता ने बाथ टब रेडी किया - और दोनो ने अपने कपड़े उतारे और बाथ तब में घुस गये.

सागर ने सविता को अपने उपर ले लिया दोनो वाइन सीप करते हुए बाथ टब में नहाने का मज़ा लेने लगे.



दूसरे कमरे में जब वेटर ने समान देने के लिए बेल बजाता है तो समर को मजबूरन सुमन को छोड़ना पड़ता है. सुमन के बाल बिखर चुके थे, होंठों की लिपस्टिक समर खा चुका था. ब्लाउस पूरा सिलवटों से भर गया था.

सुमन खुद को वेटर की नज़रों से बचाने के लिए बाथरूम में घुस गयी.

समर ने समान जगह पे रखा तो सुमन को आवाज़ दी. सुमन ने बाथरूम से ही बोला अभी फ्रेश हो के आती हूँ. उसने दरवाजा अंदर से लॉक कर लिया था. समर ने बहुत बार कहा कि दरवाजा खोलो पर सुमन ने खिलखिला के जवाब दिया - अभी नही आराम से नहाने दो.

समर भुन्भुनाता हुआ हाल में बैठ गया और बियर की बॉटल खोल ली.

सुमन बाथ टब में पूरी मस्ती के साथ नहा रही थी और समर बाहर बैठा कूद रहा था.



दूसरे कमरे में सागर और सविता का हाल कुछ इस तरहा था - दोनो पूरी मस्ती में एक दूसरे को चूम रहे थे.

...............................................

सोनल और सुनील देल्ही में पहले पिज़्ज़ा खाने चले गये फिर सुनील सोनल को चाणक्या ले गया जहाँ जायदातर इंग्लीश मूवीस ही लगती थी.

सुनील ने कुछ ज़यादा ध्यान ना देते हुए एक ऐक्शन मूवी की टिकेट्स ले ली.

दोनो को कॉर्नर की सीट्स मिली थी इस बात से सोनल को काफ़ी राहत पहुँची और वो कॉर्नर वाली सीट पे बैठ गयी. सुनील अंदर की तरफ बैठ गया.
ज़यादा तार यहाँ पे कॉलेज के जोड़े ही आते हैं मुश्किल से कोई सिंगल होगा.

जैसे ही फिल्म शुरू हुई और अंधेरा हुआ जोड़े हरक़त में आ गये.
सोनल के बिल्कुल सामने वाला जोड़ा किस्सिंग करने लग गया.

चारों तरफ यही महॉल था और दोनो भाई बहन को उस हालत में वहाँ बैठना मुश्किल लग रहा था. सुनील तो अपनी नज़रें स्क्रीन पे जमा के बैठा रहा अब बहन के साथ होते हुए इधर उधर नज़रें दौड़ाना उसे ठीक नही लग रहा था.

तभी स्क्रीन पे एक बहुत ही हॉट सीन आ गया . सोनल को अपने भाई के साथ ऐसे सीन देखने में बड़ी शर्म आ रही थी. सुनील उसकी परेशानी समझ गया और खुद ही बाय्ल उठा - दी चलते हैं.

सोनल ने राहत की साँस ली और सुनील के साथ घर चली आई. दोनो भाई बहन अपने अपने कमरे में चले गये.
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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सुनील तो पढ़ने बैठ गया पर सोनल के दिमाग़ से हाल का वो महॉल और हॉट सीन नही निकल रहा था.

वो आँखें बंद कर के बिस्तर पे लेट गयी और उसे उस सीन में अपने साथ सुनील दिखाई देने लगा.

वो घबरा के आँखें खोल बैठी और अपनी इस सोच पे खुद को लानत भेजने लगी तभी उसे माधवी की बातें याद आई और वो सोचने पे मजबूर हो गयी कि क्या वो अपने भाई से ही प्यार करने लगी है. नही - नही ये कभी नही हो सकता. खुद को लानत देती हुई वो बाथरूम में जा कर शवर के नीचे खड़ी हो गयी.

सोनल ठंडे पानी से नहाई और रात के खाने की तैयारी करने लगी.
सुनील जब पढ़ के फ्री हुआ तो सोचने लगा – दी को कितना अजीब लगा होगा – कैसी वाहियात फिल्म थी – काश पता होता तो टिकेट बिल्कुल भी नही लेता उस फिल्म की.

फिर सुनील को यकायक याद आया कि जब फिल्म में पहले एक रोमॅंटिक सीन चला था तो दी ने अपना सर उसके कंधों पे रख दिया था.

ऐसा क्यूँ हुआ – क्या दी भूल गयी थी कि वो मेरे साथ हैं . फिर उसके दिमाग़ में वो पल भी आया की जब सीन कुछ अडल्ट वाला आया था तो दी ने एक पल को उसका हाथ दबा दिया था और फिर अपना सिर उसके कंधे से हटा लिया था. जिसके बाद वो दोनो बाहर निकल गये.

‘ना ना ‘ क्या ऊटपटांग सोच रहा हूँ मैं – ऐसा कुछ नही – फिल्म कुछ ज़यादा अडल्ट निकली तो दी का बोखला जाना वाजिब था – आख़िर एक भाई के साथ ऐसी फिल्म कॉन बहन देख सकती है .

सुनील अपने बिस्तर पे लेट गया और आँखें बंद कर ली.

कुछ ही पलों में उसकी आँखों के आगे सोनल की वो छवि आ गयी जब वो नहा के सिर्फ़ एक टवल लपेटे हुए बाथरूम से बाहर निकली थी.

वो घबरा के उठ गया. ये ये…. उसे कुछ समझ नही आया – कि कैसे उसके जेहन में अपनी बड़ी बहन की वो छवि क़ैद हो के रह गयी.

वो खुद को कोसने लगा.

अब हाल ये था कि सुनील जब तक माँ बाप वापस नही आ जाते सोनल को अकेला नही छोड़ सकता था – उधर रूबी रमण से इतना नाराज़ हो गयी थी – या यूँ कहिए कि जिंदगी को ढंग से सोचने लगी थी - कि एक पल भी रमण के साथ अकेले में नही गुज़ारना चाहती थी – जैसे ही दोनो के माँ बाप गये – रूबी भी अपनी सहेली के घर चली गयी और रमण घर में अकेला रह गया.

दोस्तो अब ज़रा देखते हैं गोआ में क्या हो रहा है................................

अपने बालों को सुखाती हुई सुमन बाथरूम से बाहर निकली - वो इस वक़्त बात टवल में लिपटी हुई थी. इस वक़्त कोई भी सुमन को देख लेता तो सीधा उसका रेप करने पे उतारू हो जाता.
समर तो वैसे ही उफना हुआ बैठा था.

'अरे अभी से बियर !' सुमन समर को चिड़ाते हुए बोली.

'अभी बताता हूँ!' समर ने बियर कोई बॉटल टेबल पे रखी और सुमन की तरफ लपका. सुमन खिलखिलाती हुई इधर से उधर रूम में फुदकने लगी और समर उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे पीछे - थोड़ी देर सुमन उसे छकाती रही फिर खुद ही बिस्तर पे हस्ती हुई गिर पड़ी और समर ने सीधा उसपे छलाँग ही लगा दी.

ऊऊऊऊओउुुुुुुुऊउक्कककककचह सुमन चीखी पर समर ने आगे उसे कुछ कहने का मोका ना दिया और पागलों की तरहा उसके होंठ चूसने लग गया. साथ ही उसके हाथ टवल में घुसा ज़ोर ज़ोर से सुमन के मम्मे मसल्ने लगे.

कुछ देर समर पागलों की तरहा सुमन को चूमता और मसलता रहा, उसके इस जंगलीपन में भी सुमन को बड़ा मज़ा आ रहा था.

फिर समर ने अपने कपड़े उतार फेंके और सुमन का टवल भी खींच के अलग कर डाला. सुमन का तराशा हुआ बदन उसमे और भी आग भड़का गया और वो सुमन पे टूट पड़ा. सुमन भी उसका साथ दे रही थी. समर के जंगलीपन की वजह से सुमन की चीखें निकलने लगी - जो दूसरे रूम तक जाने लगी और सागर और सविता की मस्ती को बढ़ाने लगी.



समर सुमन को ऐसे निचोड़ रहा था जैसे उसने बरसों से औरत को देखा ही ना हो.

म्म्म्मुममममममममाआआआआआआआआआआआआआआआ

सुमन ज़ोर से चीखी जब समर ने एक ही बार में अपना लंड उसकी चूत में घुसा डाला - सुमन की ये चीख शायद पूरे होटेल में हर गेस्ट ने ज़रूर सुनी होगी.

अहह उूउउफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ हहाआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

समर सटा सट सुमन को चोदने लग गया और सुमन चिल्लाती रही


अहह आअहह उूुउउफफफफफ्फ़ ऊऊऊऊओ उूुुुुुुउउइईईईईईईईईईईई

द्द्द्द्द्दद्धहिईीईईईइइर्र्र्र्रररीईईई म्म्म्मईममाआआआआआ

सुमन की सिसकियाँ तेज होने लगी - समर के जंगलीपन से उसे मज़ा आने लगा - शुरू में जो दर्द हुआ था वो अब मज़े में बदल गया था.

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