वो शाम कुछ अजीब थी complete

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rangila
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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वक़्त गुजरने लगा रजनी रोज आती रही और सोनल अंदर ही अंदर जलती रही. जब भी अकेली होती तो खुद से पूछती उसे रजनी का आना बुरा क्यूँ लगता है पर उसके पास कोई जवाब नही होता. अपने आप में वो परेशान रहने लगी और सुनील का देखभाल और भी ज़यादा करने लगी.

यूँ ही तीन महीने गुजर गये और सुनील के दोनो प्लास्टर काट दिए गये. अब उसे कुछ एक्सरसाइज़ज़ करनी थी कि जिस्म में वही ताक़त वापस आ सके.

सोनल खुद उसे वो एक्सर्साइज़ कराने लगी. हफ्ते बाद सुनील ने कॉलेज जाना शुरू कर दिया. सोनल ने अपने डॅड को मजबूर कर कॉलेज से पर्मिशन ले ली कि सुनील अभी हॉस्टिल में नही रहेगा जब तक वो पूरी तरहा ठीक नही हो जाता.

सोनल सुनील को रोज एक्सर्साइज़ करवाती खुद उसे कॉलेज छोड़ती और शाम को लेने भी पहुँच जाती.

सुनील प्रॅक्टिसस में बहुत पीछे रह गया था उसने प्रीसिपल से पर्मिशन ली कि वो सनडे को आ कर लॅब में प्रॅक्टिसस कर सके और जल्द से जल्द क्लास के बराबर पहुँच सके.

सुनील पूरे कॉलेज का चहेता बन चुका था इसलिए प्रिन्सिपल ने उसे इज़ाज़त दे दी यहाँ तक कि प्रोफेस्सर्स भी सनडे को आते उसे प्रेक्टिकल करने के लिए.

सुनील सनडे को भी बिज़ी हो गया और सोनल के लिए घर में सनडे काटना मुश्किल हो गया. जाने क्यूँ उसके दिल में यही ख्वाहिश रहने लगी कि वो हर दम सुनील के साथ रहे.

सागर ने ये सोचा कि उसकी बेटी सोनल क्यूंकी अब घर में खाली बैठी रहती है इसलिए उदास रहती है. उसकी उदासी का असली कारण तो वो जान नही पाया पर उसके ख़ालीपन को दूर करने के लिए उसने अपने ही हॉस्पिटल में उसे ट्रेनी लगवा दिया.

सोनल का भी वक़्त हॉस्पिटल में गुजरने लगा. यहाँ उसकी मुलाकात माधवी से हुई जो उससे एक साल सीनियर थी पर किसी और मेडिकल कॉलेज से आई थी. दोनो बहुत जल्द एक दूसरे की सहेली बन गयी.

सोनल का वक़्त तो गुजरने लगा मरीजों और अपनी नयी सहेली के साथ पर दिल हमेशा एक आवाज़ लगाता सुनील के पास चल ना – देख कितने दिन हो गये उससे ढंग से बात भी नही हो पाती.

पर सुनील के पास वक़्त ही कहाँ था एमबीबीएस करना कोई मज़ाक तो था नही और वो भी तब जब 3 महीने की क्लासस मिस हो चुकी हूँ.
सुनील अपनी पढ़ाई में खो गया और उसे इस बात का तनिक भी एहसास नही हुआ कि सोनल उसे मिस करने लगी है.
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rangila
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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अहह!!!! आराम से भाई.

रूबी ज़ोर से चीखी जब रमण ने अपना लंड एक ही बार में उसकी चूत में पेल दिया.

‘क्या करूँ यार तू है ही इतनी मस्त रहा नही जाता’

‘उफफफ्फ़ जान निकलोगे क्या मेरी’

‘नही मेरी जान तुझे मस्ती की उन उँचाइयों तक ले जाउन्गा जो कभी सोची भी ना होगी’ रमण अपने लंड को हरकत में डालता हुआ बोलता है.

हाई हाईईईईईईईईईईईई उम्म्म धीरे धीरे

रमण झुक के रूबी के होंठ चूसने लगता है और रूबी मस्त होती चली जाती है – रूबी के होंठ उसकी कमज़ोरी थे, रमण जब भी उन्हें चूस्ता रूबी के जिस्म में आग फैलने लगती और उसकी चूत रस छोड़ना शुरू कर देती.

जैसे जैसे रमण उसके होंठ चूस्ता गया वैसे वैसे रूबी की कमर लचकने लगी, इतना इशारा रमण के लिए काफ़ी था.
उसने अपने झटके तेज कर दिए.

रूबी ने अपने होंठ रमण से छुड़वाए और बोली -जल्दी कर लो माँ आती होगी.

‘यार जल्दी में मज़ा नही आता’

‘रात को आराम से चोद लेना पर अब तो जल्दी पेलो – हाई मेरी चूत बहुत खुज़ला रही है’

रमण तेज़ी से उसे चोदने लगा अब बिल्कुल मशीन की तरहा उसका लंड रूबी की चूत में घुसता और बाहर निकलता.

सिसकियाँ लेती हुई रूबी भी उसका साथ दे रही थी अपनी गान्ड उछाल उछाल कर.

दोनो तेज़ी से अपने चर्म की तरफ बढ़ रहे थे कि-

अहह श्श्श्श्शूऊऊऊओन्न्न्न्न्न्न्न्नाआआआआल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल चीखता हुआ रमण उसकी चूत में झड़ने लगा और उसी वक़्त रूबी भी झड़ने लगी. वो एक जोंक की तरहा रमण से चिपक गयी.

जब दोनो की साँसे थोड़ी ठीक हुई तो रूबी ने पूछ ही लिया –

‘आज तुम्हारे मुँह से सोनल का नाम क्यूँ निकला’

रमण कुछ देर तो चुप रहा.

रूबी ने फिर पूछा – उसके चेहरे पे नाराज़गी सॉफ जाहिर हो रही थी.

रमण : यार जब से सोनल की रीसेंट फोटो देखी हैं तब से दिमाग़ खराब हो गया है उसके लिए. कई बार तो तुम्हें चोदते हुए सोचता हूँ कि सोनल को चोद रहा हूँ.

रूबी : ओह तो अब मुझ से तुम्हारा मन भर गया जो मौसी की बेटी पे भी नज़र गढ़ाए बैठे हो.

रमण : नही यार ग़लत मत समझ – पता नही क्या हो गया है मुझ को.

रूबी नाराज़ हो कर उठ के बाथरूम में चली गयी.


दो साल से रमण उसे चोद रहा था – पर आज उसके मुँह से सोनल का नाम सुन रूबी के सीने में आग लग गयी – उसे इसमे अपना अपमान लगा और गुस्सा इतना चढ़ा कि दिल कर रहा था कि अभी रमण के चेहरे को अपने थप्पड़ो से लाल कर दे.

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rangila
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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जब तक रूबी बाथरूम से निकलती माँ आ चुकी थी. रूबी अपनी माँ से बोल अपनी सहेली के यहाँ चली गयी. उसने रमण से बिकुल भी बात नही करी.

रूबी शाम को देर से आई और खाना खा के अपने रूम में बंद हो गयी. जब दोनो के माँ बाप सो गये तो रमण ने बहुत कोशिश करी की रूबी रूम खोलदे, पर उसने कोई जवाब तक नही दिया. अंदर बैठी वो आँसू बहा रही थी – उसे रमण से ये उम्मीद ना थी कि वो उसे छोड़ किसी और के बारे में सोचने लगेगा और वो भी बड़ी मासी की बेटी सोनल के बारे में.

मन मसोसता हुआ रमण अपने कमरे में चला गया – सारी रात वो सो नही पाया और यही सोचता रहा कैसे रूबी को मनाए. वो अपने आप को गालियाँ दे रहा था कि क्यूँ उसके मुँह से सोनल का नाम निकल गया.
रूबी भी एमबीबीएस पढ़ रही थी पर मुंबई में और उसकी और सुनील की उम्र लगभग बराबर थी बस कुछ दिनो का ही फ़र्क था और यही अंतर था रमण और सोनल की उम्र में. सोनल और रमण दोनो डॉक्टर बन चुके थे. रमण तो आगे एमडी करने लग गया था पर सोनल ने तो सुनील की देखभाल के लिए अपना साल जाया कर दिया था.

इनकी माँ आपस में सग़ी बहने थी पहले सभी देल्ही में रहती थे पर बाद में रमण और रूबी का परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया था. जब भी गर्मी की छुट्टियाँ होती तो या तो सुमन का परिवार मुंबई जाता या संगीता ( सुमन की छोटी बहन) का परिवार देल्ही आता.

चारों भाई बहन में अच्छी दोस्ती थी और एक दूसरे का खूब ख़याल रखते थे. आज जब रमण के मुँह से रूबी ने सोनल के बारे में सुना तो उसका तन मन दोनो जल गया. वो तो रमण के साथ अपनी पूरी जिंदगी जीने का सपना लेटी थी. कोई रात ऐसी ना थी जब वो आने वाले कल के बारे में ना सोचती – एक तरहा से रूबी ने रमण को अपना भावी पति ही समझ रखा था और उसे यकीन था कि रमण भी उसे भावी पत्नी के रूप में देखता है.

उसके सारे सपने आज धूल में मिल गये थे. कोई बच्ची तो थी नही जो इतना भी ना समझती कि उसे चोद्ते वक़्त रमण के ख़यालों में सोनल थी जिस्म रूबी का था पर ख़यालों में रमण सोनल को चोद रहा था. और ये रूबी कभी नही बर्दाश्त कर सकती थी.

अपने बिस्तर पे लेटी आँसू बहाती रूबी उन यादों में खो गयी जब रमण उसकी जिंदगी में एक पुरुष बनके आ गया जिसमे वो अपना सब कुछ देखने लगी – जिसे अपने दिल के मन-मंदिर में वो स्थान दे दिया जो लड़की सिर्फ़ अपने पति को देती है.

दो साल पहले की वो रात जब मम्मी पापा कुछ दिनो के लिए बाहर गये हुए थे तो दोनो भाई बहन अकेले घर में रह गये थे क्यूंकी दोनो ही उनके साथ नही जा सकते थे क्यूंकी पढ़ाई का बहुत नुकसान होता.

मोम डॅड को गये दो दिन हो चुके थे, तीसरे दिन रमण अपने दोस्तों के साथ एक पार्टी में गया था और जब वापस लोटा तो नशे में धुत था. उस रात………रूबी लड़खड़ाते हुए रमण को सहारा दे उसके बेडरूम तक ले गयी. रमण उसके साथ जोंक की तरहा चिपका हुआ था और रूबी को उसे संभालना बहुत मुश्किल पड़ रहा था.

किसी तरहा वो रमण को उसके बिस्तर तक ले गयी और जब वो उसे बिस्तर पे लिटाने लगी रमण के पंजे उसके उरोज़ पे कस गये कुछ पल के लिए. रूबी को ज़ोर का झटका लगा क्योंकि पहली बार उसे एक मर्द के हाथों का अहसास अपने उरोज़ पे हुआ था. उसके जिस्म में बिजली सी कोंध गयी – होंठों से चीख निकलते निकलते बची. रमण बिस्तर पे लूड़क गया और उसके मुँह से धीमे से निकला – लव यू रूबी – फिर वो नींद के आगोश में चला गया.

रूबी काँपती टाँगों से अपने कमरे में गयी और अपने बिस्तर पे लेट गयी. रमण के हाथों का अहसास अब भी उसे अपने उरोज़ पे महसूस हो रहा था और रमण के मुँह से निकले अल्फ़ाज़ – लव यू रूबी – उसके कानो में हथौड़े की तरहा बज रहे थे. – ये लव यू – एक भाई बहन के बीच प्यार को दर्शा रहा था या फिर एक मर्द और एक औरत के बीच.

रूबी बहुत परेशान हो गयी – उसे ख्वाब में भी ये गुमान ना था कि रमण उसे बहन की तरहा नही एक लड़की की तरहा देखता है.
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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रूबी अब इतनी छोटी भी नही थी कि उसे कुछ पता ही ना हो – अपनी सहेलियों से और एमबीबीएस की पढ़ाई के दोरान वो सेक्स के बारे में काफ़ी कुछ जान चुकी थी. बार बार उसके दिमाग़ में यही ख़याल आ रहा था कि क्या उसका भाई उसे एक लड़की की हैसियत से देखने लग गया है – पर भाई बहन में ये सब तो एक गुनाह है – भाई इतना अकल्मंद होते हुए भी कैसे ये सब सोचने लग गया.

उसने किसी से सुना था कि शराब पीने के बाद आदमी सच बोलता है – और जो हरकत रमण ने उसके साथ करी थी वो भाई तो कभी नही कर सकता बहन के साथ. क्या ये अंजाने में हुआ था या फिर रमण ऐसा कर उसे कुछ कहना चाहता था.
रात भर रूबी सोचती रही – एक पल भी उसकी आँख बंद ना हुई.

अगले दिन सुबह रूबी ने नाश्ता टेबल पे लगा दिया था. रमण हॅंगओवर की वजह से अपना सर पकड़ता हुआ टेबल पे आके बैठ गया. रूबी बड़े गौर से उसे देखने लगी – उसकी आँखों में कयि सवाल थे वो रमण से कुछ पूछना चाहती थी पर उसकी शर्म उसे कुछ कहने नही दे रही थी. रमण ने चुप चाप नाश्ता किया और अपने कमरे में चला गया. दोनो के बीच कुछ खास बात नही हुई.

किचन में बर्तन रख रूबी जब रमण के कमरे की तरफ बढ़ी तो दरवाजे पे ही उसके कदम रुक गये. रमण के हाथ में उसकी फोटो थी जिसे वो चूमता जा रहा था और बार बार- लव यू रूबी – रूबी के पैरों तले ज़मीन निकल गयी. आँखें फाडे कुछ देर वो रमण को देखती रही फिर अपने कमरे में जा के बैठ गयी.

रात के वो लम्हें जब रमण ने उसका उरोज़ पकड़ दबाया था फिर उसकी नज़रों के सामने आ गया और जिस्म में हलचल मचनी शुरू होगयि. जितना वो इस ख़याल को दिमाग़ से बाहर निकालने की कोशिश करती उतना ही ये ख़याल उसे और तंग करता.- कानो में बार बार रमण के अल्फ़ाज़ कोंधने लगे – लव यू रूबी ----

रूबी का जिस्म रमण के हाथ को अब भी अपने उरोज़ पे महसूस कर रहा था. कभी वो रमण को एक भाई की नज़रिए से सोचती तो कभी एक मर्द की तरहा. ........................

दिमाग़ में उथल पुथल मच चुकी थी.......................

हॉल में टेबल पर एक चिट छोड़ वो अपनी सहेली के घर चली गयी. अपनी आदत के अनुसार उसने बेल बजाने की जगह पहले दरवाजे पे हाथ का ज़ोर लगाया और वो खुलता ही चला गया.

अंदर हॉल में कोई नही था. उसे ताज्जुब हुआ कि ऐसे कोई अपना घर खुल्ला भी छोड़ सकता है क्या.

उसने नीचे आंटी को आवाज़ लगाई पर कोई जवाब नही. फिर वो उपर चली गयी अपनी सहेली के कमरे की तरफ और जैसे ही उसके कदम कमरे के नज़दीक होते गये उसे सिसकियों की आवाज़ें सुनाई देने लगी . दरवाजा खुला था और अंदर का नज़ारा देख उसके होश उड़ गये. बिस्तर पे उसकी सहेली नग्न लेटी हुई थी और उसका बड़ा भाई वो भी नग्न उसके उपर लेटा हुआ उसके निपल चूस रहा था और साथ ही साथ उसका मोटा लंबा लंड उसकी सहेली की चूत में अंदर बाहर हो रहा था.

ये मंज़र देख रूबी के होंठ सुख गये – दिल की धड़कन बढ़ गयी- उसे अपनी आँखों पे भरोसा ही नही हुआ जो उसने देखा . इससे पहले कि उसके काँपती टाँगें उसके बदन का साथ छोड़ती – वो जैसे आई थी वैसे अपने घर वापस चली गयी.
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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अपनी चाभी से दरवाजा खोल चुप चाप अपने कमरे में बिस्तर पे जा गिरी. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी. जो मंज़र उसने देखा था वो उसे बहुत उत्तेजित कर चुका था – उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी इतनी कि पैंटी पूरी भीग चुकी थी और उसका असर उसकी सलवार पे भी पड़ने लग गया था.

अपनी आँखें बंद कर वो अपनी सहेली के बारे में सोचने लगी –लेकिन उसे जो नज़र आने लगा वो मंज़र कुछ और था – अपनी सहेली की जगह वो खुद को महसूस कर रही थी और उसके भाई की जगह अपने भाई रमण को.



रूबी ने खुद अपने उरोज़ मसल्ने शुरू कर दिए और मुँह से रमण रमण निकलने लगा.

अहह रमण…. लव मी रमण……

यही वो वक़्त था जब रमण उसके कमरे में घुसा शायद उसे कुछ काम था – लेकिन जो उसने देखा और सुना वो काफ़ी था उसे उत्तेजना की उँचाइयों पे ले जाने के लिए.

जिस तरहा वो रूबी के बारे में सोचता था और डरता था कुछ कहने के लिए आज वो डर ख़तम हो गया था क्यूंकी उसे सॉफ दिखाई पड़ रहा था कि रूबी भी उसके बारे में वही ख़याल रखती है. अब पहल तो हमेशा मर्द ही करता है चाहे रिश्ता कुछ भी हो – हालात कुछ भी हों.

रमण के कदम रूबी के बिस्तर की तरफ बढ़ गये. उसने अपनी शर्ट उतार फेंकी और रूबी के बिस्तर पे बैठ वो रूबी के चेहरे पे झुकता चला गया और अपने होंठ रूबी के होंठों पे रख दिए.

रूबी यही सोच रही थी कि रमण उसके ख़यालों में उसके होंठ चूम रहा है – उसके होंठ अपने आप खुल गये और रमण की ज़ुबान उसके मुँह में घुस गयी जिसे वो चूसने लगी.
रमण से भी और बर्दाश्त ना हुआ और वो उसके मम्मे मसालने लगा.

खुद अपने मम्मे मसलना और किसी मर्द के हाथों द्वारा मसले जाने में बहुत फरक होता है – इसका असर रूबी पे पड़ा और उसे उसकी जिंदगी का पहला ऑर्गॅज़म हो गया. एक चीख के साथ वो रमण से लिपट गयी. रमण को समझते देर ना लगी कि रूबी अपने चर्म पे पहुँच चुकी है.

थोड़ी देर में रूबी शांत हुई उसने आँखें खोली तो खुद को रमण से चिपका हुआ पाया.

एक चीख के साथ – भाई तूमम्म्मममममम………….. झटके से रमण से अलग हो गयी – उसकी आँखों में आँसू आ चुके थे जो भरभरा कर उसके चेहरे को भिगोने लगे.

जो वो ख्यालों में सोच रही थी वो हक़ीक़त में हो रहा था – सच का ये अहसास उसे सहन नही हुआ मर्यादा अपना सर उठाने लगी .
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