रिश्तों की गर्मी complete

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007
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Re: रिश्तों की गर्मी

Post by 007 »


ठाकुर राजेंदर लक्ष्मी से बोला सुबह होने ही वाली है तो दिक्कत हो जाएगी टाइम पास ना करो किस्सा ख़तम करो इसका तो लक्ष्मी बोली हाँ हाँ करते है पर पहले तुम से तो निपट लें, ये सुनकर राजेंदर सकपका गया और बोला मुझसे निपट क्या बोली तुम तो लक्ष्मी बोली देव के मरने के बाद इसके कतल का इल्ज़ाम तुम पर ही तो लगेगा इस से पहले राजेंदर कुछ समझ पाता उसके सर पर मुनीम ने बंदूक की बट से वार किया तो वो बेहोश हो गया

मुनीम ने फॉरन उसे रस्सियो से बाँध दिया लक्ष्मी ने अपने पूरे प्लान को पहले ही सोच लिया था कि कैसे क्या करना है और काफ़ी हद तक वो कामयाब भी हो गयी थी इधर देव को भी अपना अंत नज़दीक लग रहा था लक्ष्मी ने मुनीम से कहा कि इसको बाहर पेड़ के पास ले चलो मैं इसको जिंदा जलाना चाहती हू इसकी चीखो से मुझे शांति मिलेगी तो देव को मुनीम बाहर घसीट कर ले जाने लगा पर सीढ़ियो के पास......................

वो देव का बोझ से लड़खड़ाया और उसी पल मे देव ने अपनी बची कुची शक्ति को बटोरते हुवे उसके अंडकोषो पर वार किया तो मुनीम दर्द से दोहरा हो गया और नीचे को बैठ गया और बिजली की सी फुर्ती से देव ने उसकी बंदूक उठाई और मुनीम की छाती पर गोली दाग दी मुनीम का राम नाम सत्य हो गया पर फिर वो भी ज़मीन पर गिर पड़ा कि दौड़ती हुई लक्ष्मी उधर आई तो मुनीम की लाश देख कर वो जैसे पागल ही हो गयी थी

इधर देव ने पड़े पड़े ही लक्ष्मी पर फाइयर किया पर अबकी बार किस्मत ने उसका साथ नही दिया बंदूक की गोलियाँ ख़तम हो चुकी थी , अपने पति को मरा देख कर लक्ष्मी जैस विक्षिप्त हो गयी थी वो देव को घसीट कर पेड़ के पास ले आई और पास रखी तेल की बॉटल्स से उसको भिगोने लगी वो ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी शैतान उस पर सवार हो गया था

लक्ष्मी ने देव के पर पर जहाँ गोली लगी थी वहाँ अपनी बीच वाली उंगली घुसेड दी थोड़े चाह कर भी अपनी चीख पर काबू ना रख सका पूरा जिस्म उसका खून मे नहाया हुआ था मौत पल पल उसकी ओर बढ़ रही थी लक्ष्मी ने उसे पेड़ के तने से सटा दिया और उसको रस्सी से बाँध ही रही थी कि देव ने आख़िरी कोशिश करते हुए पूरी ताक़त से लक्ष्मी को धक्का दिया तो वो नीचे ज़मीन पर गिर गयी और देव उस पर कूद गया और उसके गले को दबाने लगा पर शायद उसकी ताक़त अब कम पड़ने लगी थी

और लक्ष्मी तो वैसे ही वहशी बन चुकी थी उसने अपने उपर से देव को साइड मे कर दिया और खुद उसके उपर सवार हो गयी उसने देव की पॅंट से उसकी बेल्ट को खीच लिया और उस से देव का गला घोटने लगी थी देव की साँसे दम तोड़ने लगी थी आँखो के आगे अंधेरा छाने लगा था किसी भी पल देव इस दुनिया से अलविदा होने वाला था पर शायद आज उसकी मौत का दिन नही था जब उसने अपने हाथों को निढाल छोड़ दिया तो

तभी वो जैसे किसी पत्थर से टकराया तो उसने वो पत्थर अपनी मुट्ठी मे लिया और लक्ष्मी के सर पर दे मारा उसके माथे से खून बह चला और वो दर्द से बिलबिला पड़ी उन कुछ ही सेकेंड्स मे देव को मोका भी गया हवा के दुबारा से फेफड़ो मे जाते ही जैसे उसमे उर्जा का संचार हो गया उसके पास बस यही एक लास्ट मौका था उसने उसी पत्थर से लक्ष्मी के सर पर मारना शुरू किया

पता नही वो कितने वार करता रहा वो भी पागल पन पर उतर आया था क्या क्या वो बड बड़ा रहा था और लक्ष्मी के सर पर वार किए जा रहा था लक्ष्मी के प्राण कब का उसका साथ छोड़ गये थे पर देव उस पर वार करता ही रहा , फिर ना जाने उसे क्या हुआ उसने लक्ष्मी को अपनी बाहों मे भर लिया और रोने लगा काफ़ी देर तक वो रोता ही रहा फिर उसे किसी के आने की आहट सुनाई दी तो वो घिसट ते हुवे उसकी ओर चलने लगा

तो उसने देखा कि वो गोरी थी वो गोरी की बाहों मे झूल गया और काँपति आवाज़ मे उसे बताने लगा गोरी ने उसे अपनी बाहों मे ले लिया तो देव को जैसे दो पल के लिए राहत मिल गयी थी पर तभी गजब हो गया उसका पूरा बदन दर्द मे जैसे भीगता चला गया गोरी का चाकू उसकी पसलियो मे धंसा पड़ा था ज़मीन पर गिरते हुए उसने कहा गोरी तुम भी ……………………………… तो गोरी बोली कमीने मेरी माँ को मार दिया तूने कातिल हो तुम तुम्हे भी जीने का कोई हक़ नही है
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: रिश्तों की गर्मी

Post by 007 »



गोरी हँस ही रही थी कि तभी पीछे से एक फाइयर हुवा और गोरी का सर फट गया वो किसी पेड़ के कटे तने की तरह ज़मीन पर आ गिरी ये दिव्या थी जो वहाँ आ पहुचि थी असल मे उसने ठाकुर राजेंदर को किसी से फोन पर देव को मारने की बात करते हुए सुन लिया था पोलीस को लेकर आने मे उसे देर हो गयी थी पर वो बिल्कुल सही टाइम पर पहुचि थी दिव्या दौड़ती हुई देव के पास पहुचि सांस अभी चल रही थी

पोलीस की सहयता से उसने देव को अपनी गाड़ी मे डाला और गाड़ी सहर की ओर दौड़ा दी वो किसी भी कीमत पर देव को मरने नही दे सकती थी इधर पोलीस ने हवेली को अपने अंडर ले लिया और स्थिती को समझने का प्रयास कर रही थी आज अगर कोई रेस होती तो पक्का दिव्या ही जीत ती , क्र्र्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर चर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर करते हुए गाड़ी हॉस्पिटल के गेट के बाहर रुक गयी देव को तुरंत ऑपरेशन थियेटर मे ले जाया गया

जहाँ 5 दिन तक वो आइसीयू मे रहा पर बच गया , ठाकुर राजेंदर को पोलीस ने गिरफ्तार कर लिया उन्होने अपना जुर्म कबूल कर लिया देव ने सारी हत्याएँ अपनी जान बचाने के लिए की थी तो उसको बरी कर दिया गया था समय गुजरने के साथ दिव्या और उसके करीब आती गयी और अंत मे दोनो ने विवाह कर लिया तो ये थी कहानी देव की आपको कैसी लगी ज़रूर बताना .


समाप्त

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Re: रिश्तों की गर्मी

Post by 007 »

दोस्तो इस तरह ये कहानी यहाँ समाप्त हो जाती है आप सभी के सहयोग के ढेर सारा आभार और प्यार


जल्द ही नई कहानी के साथ फिर अपने सफ़र पर चलेंगे
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jay
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Re: रिश्तों की गर्मी complete

Post by jay »

भाई कहानी बहुत ही बढ़िया है ऐसी कहानियाँ दिल को छू जाती है


कहानी कम्प्लीट करने के लिए थॅंक्स
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