रिश्तों की गर्मी complete

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Re: रिश्तों की गर्मी

Post by 007 »

komaalrani wrote:जबरदस्त मोड़ , एक के बाद एक सस्पेंस , एकदम चन्द्रकान्ता की याद आ गयी।

कहानी कहाँ से शुरू हुयी और अब किधर पहुँच गयी , इन्तजार रहेगा अगली पोस्ट का।
komaalrani wrote:
007 wrote:

मैने सुना मुनीम फोन पर कह रहा था कि हाँ अब सही समय आ गया है अपना काम भी हो जाएगा और शक़ भी नही होगा , अब ये कॉन सा काम कर रहा है कहीं ये भी कुछ प्लॅनिंग तो नही कर रहा है मैं हैरान परेशान पर फिर उसकी बाते सुन ने के बाद मैं वहीं से ही मूड गया दो रोज बाद मुझे नाहरगढ़ जाना था


एक और जबरदस्त मोड़


थॅंक यू कोमल जी अभी तो दिलचस्प मोड़ आने वाला है बस आप साथ देते रहें
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: रिश्तों की गर्मी

Post by 007 »

अगले दिन सुबह सुबह ही गोरी आ गयी मैने कहा गोरी आज तुमने दिल खुश कर दिया गोरी ने कहा ऐसा मैने क्या कर दिया
तो मैने कहा आज दिल बहुत परेशान था



तो वो बोली माँ है नही घर पर तो आ गयी मैने कहा अच्छा किया मैं भी बोर हो रहा था मैने गोरी को खीच कर अपनी गोद मे बिठा लिया और उसकी गर्दन पर अपनी ज़ुबान फिराने लगा तो गोरी कसमसाते हुवे बोली देव मत छेड़ो ना फिर मुझे खुद पर काबू करना मुश्किल हो जाता है मैं अपने दाँत उसकी सुरहिदार गर्दन पर गढ़ाते हुए बोला तो फिर आज हो जाना बेकाबू किसने रोका है
बड़ा मज़ा आएगा जब मिल बैठेंगे दीवाने दो



मैं अपने हाथ उपर ले गया और सूट के उपर से ही उसके पुष्ट उभारों को दबाने लगा तो गोरी शरमाते हुए बोली देव मत छेड़ो मुझे मान भी जाओ ना तो मैने कहा गोरी बस कुछ देर खेलने दे ना अच्छा लग रहा है तो वो शरमाते हुए बोली पर मुझे तुम्हारा वो नीचे चुभ रहा है तो मैने गोरी को बेड पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया



और उसको अपनी बाहों मे दबोच लिया गोरी के काँपते होठ मुझे अपनी ओर बुला रहे थे तो मैने अपने प्यासे लबो पर जीभ फेरी और गोरी के सुर्ख होटो से अपने होटो को मिला लिया मैं तो कई दिनो से प्यासा था आज मैं जी भर कर गोरी के शहद से भरे होटो को पीना चाहता था तो मैं काफ़ी देर तक उनको चाट ता ही रहा फिर गोरी ने अपना मूह अलग किया



और हान्फते हुवे बोली उफफफफफफफफ्फ़ सांस तो लेने दो ज़रा मैने उसके सूट को समीज़ समेत उतार कर साइड मे रख दिया तो गोरी का उपरी हिस्सा पूरी तरह नंगा हो गया मैने तुरंत उसकी एक चूची को अपने मूह मे भर लिया और दूसरी को हाथ से भीचने लगा तो गोरी मस्ती के सागर मे गोते खाने लगी उसने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और उस से खेलने लगी

10-12 मिनिट तक उसके उभारों को चूस चूस कर मैने बिल्कुल ही लाल कर दिया गोरे के गाल गुलाबी हो गये थे अब मैने उसकी सलवार के नडे पर अपना हाथ रखा और उसको खीच दिया गोरी ने ज़रा सा भी विरोध नही किया गुलाबी रंग की कच्छि मे क्या मस्त लग रही थी वो बस मैं तो मर ही मिटा उसके योवन पर मैने अपनी नाक उसकी चूत पर रखी तो बड़ी भीनी भीनी सी खुश्बू आ रही थी



मैं कच्छि के उपर से ही उसको किस करने लगा तो गोरी बेड पर नागिन की तरह मचलने लगी मस्ती उसके रोम रोम मे भरती जा रही थी तभी गोरी बोली देव रुक जाओ ना सुबह का टाइम है पुष्पा आती ही होगी थोड़ी देर मे मैने कहा तू उसकी चिंता ना कर बस मेरा साथ दे तो फिर उसने कुछ नही कहा मैने उसकी कच्छि की एलास्टिक मे अपनी उंगलिया डाली और उसको भी उतार कर फेक दिया



हल्की रोएँदार झान्टो के बीच मे छुपी हुई उसको छोटी सी गुलाबी योनि रस से भरी पड़ी थी तो मैं अपनी उंगली को उसकी चूत की दरार पर फिराने लगा गोरी बड़ी मस्त होकर हल्की हल्की सी सिसकारियाँ भरने लगी थी फिर मैं अपनी उंगली को अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा तो गोरी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली ऐसा ना करो दर्द होता है तो मैने कहा और जब इसमे लंड जाएगा तब ,



तो वो शरमाते हुए बोली धात, बेशर्म हो तुम तो मैने अपने होटो मे उसकी चूत को भर लिया तो गोरी जैसे सीधा आसमान की सैर पर पहुच गयी और बोली उफफफफफफफफफफ्फ़ ओह देवववववववववववववववव ईईए कैसा जादू कर देते हो तुम कितना अच्छा लगता है जब तुम वहाँ पर क़िस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स करते ईईईई हूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ ओह आआआआआआआआाआआआआआआआ



उसकी चूत से जैसे उस गरम मजेदार रस का झरना ही बह चला था गोरी ने अपनी आँखो को मस्ती के मारे बंदकर लिया था और मेरे सर को अपनी जाँघो पर भीच ने लगी थी सुडूप सुडूप मैं अपनी जीभ को तिकोना कर के उसकी चूत को चाटे जा रहा था फिर मैं वहाँ से उठा तो गोरी मेरी ओर ऐसे देखने लगी कि जैसे किसी ने भूखी शेरनी के आगे से शिकार छीन लिया हो

गोरी ने बेड की चादर अपने पे लपेट ली थी मैने किवाड़ को बंद किया पर कुण्डी नही लगाई और बेड पे आके गोरी के पास बैठ गया हमारी आँखे एक दूसरे से टकराई वो शरमाते हुवे बोली प्लीज़ बल्ब बुझा दो तो मैने कहा फिर मैं तुम्हारे इस मादक जिस्म का दीदार कैसे करूँगा तो उसने अपने चेहरा नीचे की ओर कर लिया मैने उसके मुखड़े को अपने हाथो से उपर की ओर उठाया और उसके होंटो पे अपनी उंगलिया फेरने लगा

उसका बदन पता नही क्यों कांप रहा था तो मैने उसे बिल्कुल रिलॅक्स होने को कहा और बोला कि अगर वो कंफर्टबल नही है तो रहने देते हैं तो वो बोली नही ठीक हैं तो मैने अपना हाथ उसकी गर्दन मे डाला और उसे थोड़ा मेरी ओर खींच लिया गोरी कसमसाने लगी मैने देर ना करते हुवे उसके गालो को चूम लिया अब गरम तो वो थी ही बस थोड़ा ठहराव आ गया था गालो को चूमते चूमते मैं उसके हल्के लाल लाल होंटो की ओर बढ़ रहा था और फिर मैने अपने होंठ उसके होंटो से जोड़ दिए ऐसा लगा जैसे को पिघली हुवी आइस क्रीम हो धीरे से मैने उसके शरीर पे लिपटी चादर को एक साइड कर दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा फिर उसे लिटा दिया और उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया

उसने बिना किसी शरम के उसे थाम लिया मैं एक बार फिर से उसके कोमल अधरो का रस चूसने लगा वो उत्तेजना के शिखर की ओर अग्रसर होने लगी उसके हाथ का दबाव लंड पे बढ़ता ही जा रहा था गोरी का बदन ऐसे तप रहा था जैसे उसे बुखार चढ़ा हो अब मैने उसके बोबे को चूसना शुरू किया और उसकी चूत पे अपनी उंगलिया फेरने लगा बिना बालो की एक दम करारी चूत जिसपे आज मेरे लंड की मोहर टिकने वाली थी उसकी निप्पल बिल्कुल गुलाबी रंग की थी वो खुद मेरे चेहरे को अपनी छातियों पे दबाए जा रही थी जब मेरी उंगलिया उसकी चूत से टकराई तो मैने गीलापन सॉफ मह सूस किया उसकी चूत थोड़ी लंबी सी थी बाकियों से थोड़ी अलग सी मैं उसके दाने को जोरो से रगड़ने लगा

उसकी टाँगे अकड़ने लगी मैं थोड़ा उपर हुआ और उसके होंठो को एक बार फिर अपने मूह मे भर लिया मैं बहुत ही ज़ोर से उंगली करता जा रहा था गोरी बुरी तरह कांप रही थी मैने दूसरी उंगली भी चूत मे सरका दी और पूरी स्पीड से अंदर बाहर किए जा रहा था उसका हाल बहुत बुरा हो रहा था फिर मैं झट से नीचे आया और चूत पे अपने होंठ टिका दिए अब मेरी जीभ उसे अपना कमाल दिखाने लगी वो 5 मिनिट भी ना टिक पाई और अपना गाढ़ा सफेद पानी छोड़ दिया और किसी लाश की तरह पसर गयी उसकी आँखे बंद थी और छातिया किसी ढोँकनी की तरह उपर नीचे हो रही थी मैं उसके पास लेट गया और उसे से सट गया उसने आँख खोली और बड़े प्यार से मेरी ओर देखने लगी


मैने कहा गोरी इसे चुसोगी तो उसने अपना सर हां मे हिला दिया और मेरी टाँगो के पास बैठ ते हुवे लंड को अपने मूह मे भर लिया और तुरंत ही निकाल भी दिया और थूकते हुवे बोली ये तो खारा खारा हैं तो मैने कहा कुछ नही होता जानेमन दुनिया तो इसे चाटने के लिए मरती है और तुम्हे पसंद नही आ रहा तो उसने उसे पानी से धोया और चूसने लगी उसकी जीभ का स्पर्श बहुत ही जबरदस्त था मेरे हाथ खुद ब खुद उसके सर पे कस गये वो बड़ी ही अदा से लंड चूस रही थी पहले वो उसे पूरा मूह मे लेती चुस्ती और झट से बाहर निकाल देती थी

मैं बिना रुके उसके होंठो को पिए जा रहा था मैने अपनी हथेली उसकी चूत पे रख दिया और उसको मसल्ने लगा उसकी चूत तो बहुत ही ज़्यादा गरम हो रही थी उसकी चूत की साइड से पसीना बह रहा था मैं अपनी उंगली को उसकी चूत के दाने और उसकी लाइन पे फिराने लगा उसके बदन मे कंपकंपी होने लगी


मेरे लंड का भी बुरा हाल हो रहा था तो देर करना उचित नही था मैने उसे लिटा दिया और उसकी टाँगो को चौड़ा कर दिया मैने अपने मुँह को नीचे किया और ढेर सारा थूक उसकी चूत पे लगा दिया थोड़ा अपने लंड की टोपी पे भी लगाया और लंड को चूत पे सेट कर दिया पहली बार मे लंड फिसल गया कई ट्राइ की पर लंड घूंस ही नही रहा था तो मैने सुपाडे को कस के छेद पे रखा और अपना पूरा ज़ोर लगाते हुए धक्का मारा अबकी बार सुपाडा अंदर घूंस गया जैसे ही सुपाडा अंदर घूँसा उसकी आँखो की आगे तारे नाच उठे सांस गले मे ही अटक गयी उसने अपनी जीभ को दाँतों मे दिया आँखो से आँसुओ की धारा बह निकली गोरी रोते हुए बोली



रीईईईईईईईईईईई माआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ
आआआआआआआआआआआअ मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर
र्र्र्र्र्र्र्र्रर्डिईईईईईईईईईईईईईय्ाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआरीईईईईईईईईईईईईईईईई
ईईईईईईईईईईईईई बाआआआआआआहर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर
र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर न्न्र्रननननननननननन्न्निईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईिककककककककककककककाअ
आआआआआआआाअलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल लीईईईईईईईईईईईईईईईईई अभी निकाल लो देव मुझे नही लेना मज्जाआाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ पर मुझे पता था कि एक बार अगर अगर लंड को बाहर निकाल लिया तो फिर ये हाथ नही आए गी वो किसी हलाल होती हुई मुर्गी की तरह हो रही थी तो मैने अपना हाथ उसके मुँह पे रख दिया ताकि वो चीख ना मार सके और एक और धक्का लगाते हुए पूरे लंड को उसकी चूत की गहराइयो मे उतार दिया

इतनी जल्दी किस लिए उसकी आँखो मे आँसू आ गये और गालो पे बहने लगे मैने उसके आँसू चाट लिए और उसके कान मे कहा थोडा अड्जस्ट करने की कोशिश करो ये दर्द बस कुछ ही देर मे गायब हो जाएगा और उसके होंठ चूमने लगा कुछ मिनिट बाद मैने लंड को थोड़ा सा खींचा और फिर से अंदर डाल दिया गोरी की आआआआआआः निकल गयी मैं धीमे धीमे धक्के मारने लगा उसकी चूत बहुत ज़्यादा टाइट थी और मेरे लंड पे पूरा दवाब पड़ रहा था गोरी ने अपनी बाहें मेरी पीठ पे कस दी और अपने दाँतों से मेरी गर्दन पे काटने लगी वो किसी जंगली बिल्ली की तरह बिहेवियर कर रही थी



मैने उसे कस्के दबोच लिया था मैने अपने हाथ की पकड़ उसके मुँह पे कस दी तो बुरी तरह से फड़फड़ाने की कोशिश कर रही थी पर मेरी बाँहो के चंगुल से निकल नही पाई 5-7 मिनट तक मैं ऐसे ही उसके उपर पड़ा रहा वो भी कुछ शांत हुई तो मैने अपना हाथ उसके मुँह से हटाया उसकी सांसो की गति बहुत ही तेज हो गयी थी मैने पूछा ठीक हो तो वो बोली बहुत दर्द हो रहा है मैं बोला बस अभी दूर हो जाएगा थोड़ी हिम्मत करो मैने उसके होंठो को फिर से चुंसना शुरू किया और धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा बस धीरे धीरे ही समय बीतने के साथ वो कुछ नॉर्मल तो हो रही थी पर उसको दर्द तो हो ही रहा था उसकी चूत तो हद से ज़्यादा टाइट थी ऐसा एहसास तो मुझे आज तक कभी नही हुई था लग रहा था कि जैसे लंड किसी बोतल मे फस गया हो



चूत ने उसे पूरी तरह से लॉक कर लिया था मैने लंड को एक दम किनारे तक खेंचा और दुबारा अंदर डाल दिया उसने अपनी टाँगो को सीधा कर दिया काफ़ी देर हो चुकी थी तो मैने अब धक्को की रफ़्तार को बढ़ा दिया उसके होंठ मेरे मुँह मे थे तो उसकी हर सिसकी मेरे मुँह मे ही घुल गयी थी मैं धक्के मारे जा रहा था उसके चूतड़ भी अब हिलने लगे थे मुझे ऐसे लग रहा था कि जैसे मेरे लंड पे पिघला हुआ लावा उडेल दिया गया हो फिर उसने अपने होंठ हटाए और लंबी लंबी साँसे लेने लगी मैं पूछा अब ठीक हो तो उसने इशारा किया तो मैं भी आस्वश्त हुआ उसके हाथ मेरी पीठ पे रेंगने लगे उसके नाख़ून मेरी पीठ मे धँस गये वो बहुत ही ज़ोर से अपने नखुनो को गढ़ाए जा रही थी पूरी तरह से वो भी अब जवानी के मज़े मे बहने लगी थी

मैने लंड को बाहर निकाला उसपे थूक लगाया और फिर से चूत मे धकेल दिया अब लंड चूत की सड़क पर सरपट दौड़ लगाने लगा गोरी मेरी गर्दन पे बुरी तरह काट रही थी दूसरी तरफ उसके नाख़ून मेरी पीठ मे धन्से जा रहे थे तो मैने भी जोश मे उसके निचले होंठ को बुरी तरह काट लिया उसमे से खून की बूंदे छलक उठी वो कराहती हुवी बोली ऐसा मत करो ना तो मैने कहा अभी तुम क्या कर रही थी नीचे लंड गपा गॅप अंदर बाहर हो रहा था मेरी उंगलिया उसकी उंगलियो मे फसि पड़ी थी चुदाई अपने शबाब पे थी कमरे का वातावरण बहुत ही गरम हो चुका था मेरा लंड गोरी की चूत को चौड़ा किए जा रहा था अब वो भी नीचे से धक्के लगाने लगी थी

फॅक फॅक की ही आवाज़ आ रही थी उसकी चूत से बहता पानी मेरी गोलियो तक को भिगो चुका था ऐसी गरमा गरम चूत तो आज तक नही मारी थी गोरी मेरे कान मे फुस्फुसाइ कि उसकी पीठ मे दर्द होने लगा हैं तो मैने फॉरन एक तकिया उसकी कमर पे लगाया इस के दो फ़ायदे हुवे एक तो उसकी कमर को आराम मिला और दूसरा उसकी चूत और भी उभर आई मैने अब लंड को दुबारा सेट किया और फिर से उसमे समा गया उसकी आहें मुझे रोमांचित कर रही थी और मैं अपने अंत की ओर बढ़ रहा था मैने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी गोरी बहुत मज़े से चुदवा रही थी


मैं अपनी गति को निरंतर बढ़ाए जा रहा था मैं उसकी चिन को अपने दाँतों से खाए जा रहा था कुछ भी होश नही था मुझे तो मैं उसमे पूरी तरह से खो चुका था तभी उसने अपनी टाँगो को मेरी कमर मे फसा लिया और बेसूध होकर पड़ गयी उसने अपने चरम को पा लिया था मैं भी बस थोड़ी ही दूर था तो मैने अपने लंड को बाहर निकाला और उसके पेट पे अपना वीर्य छोड़ दिया जब खुमारी उतरी तो मैने देखा मेरा लंड पूरी तरह से खून मे सना पड़ा था और उसमे बहुत ही जलन हो रही थी मैने किसी तरह से पेंट पहनी फिर उसको उठाया उसका भी हाल ज़्यादा बेहतर नही था उस से चला ही नही जा रहा था बड़ी ही मुश्किल से वो उठी कोई आधे घंटे बाद उसकी हालत थोड़ी सुधरी वो बोली ऐसी तैसी मे जाए ऐसा मज़ा आज के बाद सौगंध है मैं ना चुदु किसी से मेरी तो फट ही गयी . मुझे अहसास हुआ कि वास्तव में गोरी की हालत खराब हो गई थी गोरी ने कुछ देर आराम किया फिर वो लगड़ाते हुए अपने घर चली गई .





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Re: रिश्तों की गर्मी

Post by 007 »

उस दिन और कोई ऐसी घटना नही हुई जिसका वर्णन यहाँ किया जा सके
अगले दिन शाम को विलायती सूट पहन कर मैं तैयार हो चुका था पर मैं ये भी समझ गया था कि आज कुछ ना कुछ होगा ज़रूर क्योंकि मुनीम भी आज का ही बोल रहा था फोन पर कपड़ो मे जितने छोटे हथियार मैं छुपा सकता था उतने मैने छुपा लिए शाम घिरने लगी थी तो मैं भी नाहरगढ़ के लिए निकल पड़ा, दिल थोड़ा सा ज़्यादा ही धड़क रहा था पर देव भी कुछ कुछ सियासत समझने लगा था महल आज किसी दुल्हन की तरह सज़ा हुआ था

रात धीरे धीरे जवान हो रही थी मैने गाड़ी रोकी तो तुरंत ही दरबान मेरी ओर लपका बड़े ही अदब से उसने गाड़ी का दरवाजा खोला और गाड़ी उसके हवाले करके मैं सफेद संगमर मर की सीढ़िया चढ़तेहुवे महल के अंदर जाने लगा और अंदर पहुचते ही वहाँ की चकाचोंध से मेरी आँखे चुन्धिया गयी खूब मेहमान थे एक पल के लिए मेरे दिल मे ख़याल आया कि अगर मेरी फॅमिली भी आज ज़िंदा होती तो ऐसी ही शानो-शोकत मेरे घर पर भी होती मैं अपने ख़यालो मे डूबा हुआ था कि...


ठाकुर राजेंदर मेरे पास आए और बोले देव, हम तुम्हारी ही राह देख रहे थे अपने ननिहाल मे आपका स्वागत है वो बोले अच्छा लगा आपको यहाँ देख कर मैने कहा अब आपने बुलाया है तो आना ही था पर शायद मेरा यहाँ आना कुछ लोगो को अच्छा ना लगे ये बात मैने धनंजय को देखते हुए कही थी तो वो बोले आप चिंता ना करे आज की शाम के खास मेहमान है आप और नाहरगढ़ की मेजबानी का लुफ्त लीजिए फिर वो मुझे और लोगो से मिलवाने लगे थे पर मैं ना जाने क्यो दिव्या को ढूँढने लगा था आख़िर वो भी तो इसी महल मे रहती थी

पर वो कही दिखाई नही दे रही थी और मेरा मन भी पार्टी मे बिल्कुल नही लग रहा था तो बस टाइम काट ही रहा था और फिर मैने जो देखा मैं उसे देख कर हक्का बक्का रह गया सीढ़ियो से एक परी उतार कर चली आ रही थी अपनी सहेलियो के साथ एक खूबसूरत चेहरा , ठाकुर साहब ने सबसे परिचय करवाते हुवे कहा कि दोस्तो स्वागत कीजिए हमारी बेटी दिव्या का , तो दिव्या भी मेरी तरह झूठ के साए की पहचान करवा गयी थी मैने खुद को मेहमानो की भीड़ मे जैसे छुपासा लिया था

पर ये छुपान छुपाई भला कितनी देर रहती तालियो की गड़गड़ाहट के बीच दिव्या ने केक कटा और अपने माता पिता को खिलाने लगी तो ठाकुर साहब ने कहा कि दिव्या केक आज के ख़ास मेहमान को भी खिलाओ तो वो चहकते हुए बोली कॉन पिताजी तो उन्होने कहा अर्जुनगढ़ के ठाकुर देव, अब बारी थी हम दोनो के आमना सामना करने कि जैसे ही उसने मुझे देखा तो वो शॉक हो गयी और उसके मूह से निकल गया तूमम्म्ममममममममम

मैने कहा हाँ मैं पर ये बातचीत बस इतनी ही थी कि बस हम दोनो ही सुन सके तो फिर उसने मुझे केक खिलाया और फिर बाते होने लगी कई बार धनंजय से भी नज़रे मिली पर वो मुझसे कट ता ही रहा दिव्या बोली तुमने बताया नही कि तुम ही देव ठाकुर हो मैने कहा आपने भी तो नही बताया कि आप नाहरगढ़ के ठाकूरो की बेटी है तो वो बोली ऐसे कैसे बता देती मैने कहा तो फिर कैसे बता सकता था हम बाते कर ही रहे थे कि ममाजी ने कहा आओ आपको महल घुमा देता हूँ

ऐसे ही रात का 1 बज गया था पार्टी तो कब की ख़तम हो गयी थी और फिर मैं भी उनसे विदा लेकर अर्जुनगढ़ के लिए निकल ही रहा था कि दिव्या भागते हुए गाड़ी के पास आई और बोली देव मुझे आपसे कुछ इंपॉर्टेंट बात करनी है तो मैने कहा अभी मुझे जाना होगा दिव्या पर मैं जल्दी ही बगीचे मे आप से मिलूँगा वो मुझे रोकती ही रह गयी चेहरे से कुछ हैरान परेशान सी लग रही थी पर उसकी बातों पर इतना गोर नही किया मैने और हवेली के लिए निकल गया
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Re: रिश्तों की गर्मी

Post by 007 »


आधा रास्ता पार किया था कि मोसम ने करवट ले ली तेज हवा चलने लगी कुछ कुछ आँधी सी तो मैं गाड़ी को थोड़ी कम स्पीड से लहराते हुवे हवेली की ओर जाने लगा था और जब मैं वहाँ से कुछ दूर ही था तो बूँदा-बूँदी शुरू हो गयी थी काली स्याह रात और ये बिन मोसम की तेज हवा और बारिश मेरे कानो मे ऐसी आवाज़ आई की जैसे कहीं पर सियार रो रहे हो

मेरा दिल में एक सर्द लहर दौड़ गई पता नही आज क्या होने वाला था जब मैं हवेली पहुँचा तो गेट पर कोई भी नही था चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था पता नही सभी लोग कहाँ गये ये सोच कर मेरा दिल धड़क उठा . मैने गाड़ी पार्क की और मैं धड़कते दिल से अंदर बढ़ा तो वहाँ पुष्पा खड़ी थी
मैं दौड़ कर उसके पास गया वो भी मेरे गले लग गयी मैं उस से पूछने ही वाला था कि ये सब क्या हुआ और क्या वो ठीक है पर तभी साला धोखा हो गया शरीर मे दर्द के लहर दौड़ती चली गयी , बड़ी सी साफ़गोई से पुष्पा ने पीठ मे खंजर घोप दिया था ये धोखा किया उसने पर क्यों पुस्स्स्स्स्स्शपा……. मेरे मूह से कराह निकली उसने एक वार और किया और मैं ज़मीन पर आ गिरा उसके कदमो में .

मेरी ओर हिकारत से थूकते हुए पुष्पा बोली साले आज तेरी मौत के साथ ही ठाकुरों के इस वंश का अंत हो जाएगा उसने मेरी पसलियो मे एक कसकर लात मारी तो मैं दर्द से दोहरा होता चला गया मैने दर्द भरी आवाज़ मे पूछा कि क्यों किया तुमने ऐसा मैने क्या बिगाड़ा तुम्हारा तो वो बोली मेरा नही पर उनका ज़रूर , ज़रा देख उधर , मैने निगाह दरवाजे की ओर की

तो वहाँ पर लक्ष्मी खड़ी थी, लक्ष्मी जिस पर मुझे शक़ तो हो ही गया था पर इस टाइम मैं खुद बेबस सा था , वो आकर सोफे पर बैठ गयी और उसने एक सिगरेट जला ली फिर उसने किसी को फोन किया और कहा कि हाँ वो इधर ही है तुम पीछे से आ जाओ तो थोड़ी देर बाद एक शख्स और दाखिल हुआ जिसे देख कर मैं और भी हैरत मे पड़ गया ये थे मुनीम जी जो की अब बिल्कुल सही थे और बिना किसी की सहायता के खड़े थे .

मुनीम ने भी आकर मुझे ठोकर मारी और मेरे उपर घूँसो की बोछार कर दी, मैं दर्द से तड़पने लगा पीठ से खून बहे जा रहा था कुछ ही देर मे ठाकुर राजेंदर, मेरे मामा और धनंजय और उसके पिता भी वहाँ पर आ गये थे अब कुछ कुछ माजरा मेरी समझ मे आया कि ये सब इन लोगो का मास्टर प्लान था मुझे नाहर गढ़ बुलाना और पीछे से हवेली की सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर देना ताकि आसानी से मेरा शिकार किया जा सके

कलियुग मे आज फिर एक अभिमानु कौरवों के चक्रवहू मे फँस गया था , मुझे मेरा अंत आँखो के सामने दिख रहा था और मैं बुरी तरह से लाचार था बेबस था मदद की बड़ी शिद्दत से ज़रूरत थी उस समय पर कॉन आता धनंजय ज़हरीली हसी हँसते हुए मेरे पास आया और मुझे खड़ा करता हुआ बोला देव ठाकुर आज दिखाओ तुम्हारी मर्दानगी, आज करो मुझ पर वार और कस कर एक घूँसा मेरे पेट मे जड़ दिया

किसी तरह से खुद को संभालते हुए मैने कहा, कुत्ते की औलाद सालो धोखे से घेर लिया तुमने हिम्मत थी तो सामने से हमला करते और उसके मूह पर थूक दिया तो फिर उसने मुझ पर हमला करना शुरू कर दिया काफ़ी देर तक वो मुझे मारता ही रहा फिर लक्ष्मी खड़ी हुई , और बोली नही छोटे ठाकुर बस अब रुक जाओ कही मर मरा ना जाए इसके प्राण निकलने से पहले सारे डॉक्युमेंट्स पर इसके साइन तो लेलो वरना फिर दिक्कत होगी

और फिर वैसे भी मरने से पहले, इसे पता तो होना चाहिए कि आख़िर आज हम इसकी मौत का जशन क्यो मनाएँगे, धनंजय ने मुझे छोड़ा और मैं नीचे ज़मीन पर गिर पड़ा ,मैने कहा पर तुम लोग तो मेरे अपने हो फिर मुझे क्यो मारना चाहते हो, मैं तो तुम्हारी दुनिया से बहुत दूर था फिर क्यो मुझे बुलवाया तुमने, लक्ष्मी मेरे चेहरे पर सिगरेट का धुआ छोड़ते हुवे बोली क्या करे देव बाबू मजबूरी थी हमारी भी

तुम्हारे दादा ने वसीयत ही कुछ ऐसी लिखी थी कि अगर ओफ्फिसीयाली तुम ना आते तो सब कुछ अनाथालय को चला जाता और हम रह जाते ठन ठन गोपाल पर इन पैसो से ज़्यादा मेरी रूचि थी अपना बदला पूरा करने मे, जो आग मेरे सीने मे धड़क रही है आज तेरे खून से वो बुझेगी अब करार आएगा मुझे .लक्ष्मी ने एक जोरदार अट्टहास किया मैने पुष्पा की ओर देखा ,

वो हँसने लगी मैने कहा तुम्हे तो दोस्त माना था तुमने ऐसा क्यो किया तो ठाकुर राजेंदर बोले वो हमारा मोहरा है मेरे प्यारे भान्जे,लक्ष्मी ने छुरी उठाई और मेरे सीने पर हल्के हल्के कट लगा ने लगी मैं दर्द से बिलखने लगा खून से सने चाकू को चाट ते हुए लक्ष्मी बोली देव, जानते हो तुम्हे ये सज़ा जो मिल रही है वो सब तुम्हारे बाप के कर्मों का फल है
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