चूत देखी वहीं मार ली compleet

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Jemsbond
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Re: चूत देखी वहीं मार ली

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उस दिन दोनो की हालत बहुत खराब थी….इसलिए पोलीस ने हॉस्पिटल मे उन दोनो को अपनी निगरानी मे रखा था….विनोद ने पोलीस को स्टेट्मेंट दे दिया था…अगले दिन जब अजय को होश आया तो, उसने पोलीस को अपना स्टेट्मेंट दिया और अपने वहशी होने के बारे मे बताया तो, पोलीस ने विनोद को समझाया कि, ये आपके घर का मामला है…अगर घर मे ही सुलझा लिया जाए तो, अच्छा होगा, वरना पोलीस के चक्कर मे पड़ कर बदनामी हो जाएगी…आप लोग गली मोहल्ले मे मूह दिखाने लायक नही रहोगे…

विनोद को इस बात का अंदाज़ा भी नही था कि, किरण और विनय के बीच ये सब भी हो सकता है…वो एक दम से परेशान हो गया….उसे समझ मे नही आ रहा था कि, वो ये समस्या कैसे सुलझाए…वो परेशान होकर अपनी पत्नी शीतल के पास चला गया…जब उसने शीतल को सारी बात बताई तो, शीतल भी बहुत परेशान हो गयी…

शीतल: आप मुझे अजय के पास ले चलो…मैं उससे बात करूँगी…..

विनोद: नही शीतल अभी तुम ठीक नही हो….

शीतल: देखिए मैं बिल्कुल ठीक हूँ……अगर आज मैने अजय से बात नही की तो, फिर कुछ भी नही बचेगा….वो आज नही तो, कल फिर से विनय को मारने की कॉसिश करेगा…..

विनोद: ठीक है जैसी तुम्हारी मरजी…..

विनोद ने डॉक्टर और पोलीस वालो से पर्मिशन ली और शीतल को वीलचेर पर बैठा कर अजय के पास ले गया….अजय भी बुरी तरह चोटिल था…शीतल ने विनोद को बाहर जाने के लिए कहा…..और विनोद बाहर चला गया…..

शीतल: मैं जानती हूँ भैया कि, आप की मनोस्थिती क्या है….पर भैया इस तरह विनय को सज़ा देना ठीक नही है….

अजय: तो क्या करूँ मैं….सब जानते हुए भी सब कुछ भूल जाउ….मेरी अपनी पत्नी मुझे धोका देती रही….वो भी मेरे अपने भान्जे के साथ रंग रंगरलियाँ मना कर….

शीतल: देखो अजय विनय तो नादान है….एक बार ठंडे दिमाग़ से सोचो…क्या विनय खुद ऐसा कुछ कर सकता है…तो फिर सज़ा सिर्फ़ विनय को ही क्यों……

अजय: दीदी मैं तो किरण को भी जान से मार दूँगा……आख़िर मैने ऐसा कॉन सा पाप किया था….जो मुझे ये दिन देखना पड़ा….अर्रे सुबह से रात तक बाहर मरता हूँ,. कमाता हूँ और उन सब का पेट भरता हूँ…और ये सब मेरी पीठ मे चाकू घोंप रहे है…..पता नही भगवान मुझसे कॉन से जनम के पापों का बदला ले रहा है….

शीतल: किसी और जनम के पाप नही है…जो अब तुम्हारे सामने आ रहे है…ये सब तुम्हारे इसी जनम के पापों का फल है…..

अजय: क्या दीदी आप ये कह रही है….मैने कॉन सा पाप कर दिया इस जनम मे….
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Jemsbond
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Re: चूत देखी वहीं मार ली

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शीतल: क्यों तुमने अपनी बड़ी बेहन के पति को शराब पिला कर उसके सिग्नेचर नही लिए थे…उसकी प्रॉपर्टी के डॉक्युमेंट पर….जो तुमने उस मिनिस्टर के नाम करवाई थी….

अजय: नही दीदी मैने ऐसा कुछ नही किया….ये सब आप को किसने कहा…कॉन है जो मेरे खिलाफ आपके कान भर रहा है….

शीतल: अजय मैं सब जानती हूँ….नीलम दीदी ने आत्म हत्या करने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा था….जिसमे उसने आपके बारे मे सब लिखा था…आप ने जीजा को शराब पिलाई और नशे की हालत में उनसे प्रॉपर्टी डॉक्युमेंट पर साइन करवा कर, उनकी सारी खेती की ज़मीन उस मिनिस्टर के नाम कर दी….ताकि वो अपना मॉल वहाँ बना सके…

अजय: ये सब झूठ है दीदी भला मैं ऐसा क्यों करूँगा….

शीतल: ताकि तुम्हारी अवैध ज़मीन पर दुकान और फॅक्टरी को गिराया ना जाए….और वो दुकान और फॅक्टरी तुम्हारे नाम पर हो सके….मुझे मालूम है कि, उस मिनिस्टर ने तुम्हे फॅक्टरी चालू करने के लिए 50 लाख नकद भी दिए थे……

तुम इतना कैसे गिर सकते हो…..मुझे तो तुम्हे अपना भाई कहते हुए भी शरम आती है….मैं सब कुछ जान कर भी अंज़ान बनी रही….ये मैने ही फैंसला किया था कि, विनय तुम्हारे घर पर रहेगा….ताकि आगे चल कर मैं किसी भी तरह उसको उसका हक़ दिलवा सकूँ….तुमने एक नही दो-2 हत्याए की है…दीदी भी तुम्हारी वजह से मरी है….तुम्हारे साथ मेरे मोह ने मुझे चुप रहने के लिए मजबूर कर दिया था. भाई हो ना….इसीलिए तुम्हारा बुरा ना सोच सकी….

अपनी ग़लतियों को तो तुमने छुपा लिया….पर आज अगर उस नादान से ग़लती हो भी गयी तो, क्या तुम उसे भी मार दोगे…..देखो अजय मैं ऐसा हरगिज़ नही होने दूँगी…वो मेरी बेहन की आख़िरी निशानी है…अगर तुमने ऐसी वैसी कोई हरक़त की तो, मैं सारे रिश्तेदारों को बुला कर तुम्हारी सच्चाई सब के सामने रख दूँगी….दीदी का वो सुसाइड नोट आज भी मेरे पास है…

ये कह कर शीतल ने विनोद को आवाज़ दी…और विनोद उसे लेकर उसके वॉर्ड मे चला गया….विनोद ने किसी तरह से पोलीस वालो से सेटल्मेंट करके मामले को वही दबा दिया…थोड़े दिन लगे शीतल को ठीक होने मे….उस दिन जब शीतल और विनोद घर पहुँचे तो, किरण उनके घर पर आई…..

किरण: दीदी अब आप कैसी है…..?

शीतल: मैं ठीक हूँ…तुम कैसी हो….?

किरण: मैं ठीक हूँ….

शीतल: अजय घर पहुँचा कि नही….?

किरण ने शीतल की आँखो मे देखा और एक पेपर उसकी तरफ बढ़ा दिया…शीतल ने पेपर को पढ़ना शुरू किया….उसमे लिखा हुआ था कि, अजय घर और सारा कारोबार किरण के नाम करके उनकी ज़िंदगियों से दूर जा रहा है….और वो अब लौट कर कभी नही आएगा…..

अजय सब सारी प्रॉपर्टी और पैसा किरण के नाम करके उनसे बहुत दूर चला गया था. लेकिन अब किरण की ज़िम्मेदारियाँ बहुत ज़्यादा बढ़ गयी थी….जिस दुकान से उनका घर चलता था….अब उसको भी किरण को ही संभालना था…दुकान के ऊपेर वाली मंज़िल पर अजय ने एक साल पहले रेडीमेड गारमेंट की मॅन्यूफॅक्चरिंग शुरू की थी. जिसे संभालना अभी किरण के बॅस की बात नही थी….किरण सुबह वशाली और विनय को स्कूल भेजने के बाद दुकान पर जाने लगी थी…किरण को अगले 15 दिन काफ़ी मुस्किलो का सामना करना पड़ा….

किरण रोज की दौड़ धूप से परेशान हो चुकी थी….आख़िर कार उसने फैंसला किया कि, वो गारमेंट के मॅन्यूफॅक्चरिंग का काम बंद कर देगी…और उससे दुकान के ऊपेर जो जगह खाली होगी….उसे वो अपने रहने के लिए घर की तरफ इस्तेमाल करेगी…काम बंद करने के बाद उसने ऊपेर वाली मंज़िल को दो रूम्स किचन बाथरूम मे तब्दील कर दिया. और वो वशाली और विनय के साथ वही रहने के लिए आ गयी….वो सुबह 10 बजे दुकान खोलती और रात को 7 बजे बंद करती….

दोपहर को स्कूल से आने के बाद कभी वशाली तो कभी विनय दुकान पर बैठ जाया करते और किरण को आराम करने और घर का काम करने का मौका मिल जाता…दिन इसी तरह गुजर रहे थे…वशाली और विनय दोनो बच्चे नही थे…हालाकी शीतल के हज़्बेंड ने उस बात को बाहर किसी तक पहुँचने नही दिया था…पर फिर भी वशाली और विनय इस बात से अंज़ान नही थे कि, उनके घर कुछ दिन पहले क्या हुआ था….वशाली जब भी किरण का उदास चेहरा देखती तो, उसका दिल उदास हो जाता….वो एक बार फिर से अपनी माँ को खुश देखना चाहती थी….

इसलिए दोपहर को ज़्यादा से ज़्यादा टाइम नीचे दुकान पर बैठने लगी थी…वैसे तो दुकान पर काम करने वाले दो आदमी और थे…इसलिए वशाली को सिर्फ़ बेचे हुए कपड़ों का हिसाब ही रखना होता था…धीरे-2 सब नॉर्मल होने लगा…किरण को पेट से हुए 3 महीने हो चले थे…उसको पति के जाने को जो थोड़ा बहुत गम था…वो भी वो काफ़ी हद तक भूल चुकी थी…दुकान ठीक ठाक चल रही थी….पैसो की कोई तंगी नही थी….उस दिन दोपहर का टाइम था….वशाली नीचे दुकान पर आई…और किरण से बोली. “मम्मी आप ऊपेर जाकर आराम कर लीजिए….मैं यहाँ बैठती हूँ….”

किरण: अच्छा ठीक से…ध्यान रखना…..

ये कह कर किरण ऊपेर आ गयी….जब किरण ऊपेर पहुँची, तो वो विनय को देखने के लिए उसके रूम मे गयी….लेकिन जैसे ही वो विनय के रूम के डोर पर पहुँची तो, उसके कदम वही जम गये…विनय बेड पर बैठा हुआ था….उसकी पेंट उसके घुटनो से नीचे तक उतरी हुई थी…और वो अपने लंड को तेज़ी से हिला रहा था….ये देख किरण का कलेजा मूह को आ गया…ऐसा नही था कि, उसने इस हाल मे विनय को पहली बार देखा था….पर लेकिन मूठ मारते हुए उसने विनय को कभी पहले नही देखा था….वो बिना कुछ बोले वहाँ से अपने रूम मे आ गयी….
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Re: चूत देखी वहीं मार ली

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किरण जानती थी कि, हस्तमैथुन कितनी गंदी आदत है….और इससे विनय के आने वाली जिंदगी पर क्या असर पड़ता है….वो इस सब का कसूरवार अपने आप को मान रही थी. क्यों कि वो यही समझती थी कि, उसने ही विनय को इस दलदल मे झोंका है…वो अपने रूम मे बैठी यही सब सोच रही थी….थोड़ी देर बाद किरण उठी और सीडीयों का डोर बंद करके बाथरूम मे नहाने के लिए घुस गयी….बाथरूम में पहुँच कर उसने अपनी साड़ी उतारी और फिर ब्रा और पैंटी उतार कर नहाने से पहले उसको धोने लगी…वो बेखायाली मे बाथरूम का डोर भी बंद करना भूल गयी थी…

तभी अचानक डोर खुला तो, किरण ने चोन्कते हुए डोर की तरफ देखा…तो डोर पर विनय अपने लंड को हाथ मे पकड़े खड़ा था….उसका लंड झटके खाते हुए फूँकार रहा था…विनय के लंड का सुपाडा अंदर जल रही सीएफएल की लाइट से एक दम चमक रहा था… किरण ने काँपती सांसो के साथ पहले विनय और फिर विनय के फुंफ़कार रहे लंड की तरफ देखा….”मामी प्लीज़ इसका कुछ करो ना….कितने दिन हो गये आप ने मेरे साथ वो सब नही किया….” विनय ने झुक कर मामी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया…..किरण बुत बनी कभी विनय को देखती तो, कभी विनय के झटके खाते लंड को……तभी किरण को अहसास हुआ कि, शायद उसे पहले ही ये सब कुछ नही करना चाहिए था….

उसने हड़बड़ाते हुए अपने हाथ को विनय के लंड से हटा लिया…और खड़े होते हुए विनय की तरफ पीठ करते हुए बोली…”ये क्या बदतमीज़ी है….बाहर जाओ विनय….और आइन्दा ऐसी हरक़त मत करना…” विनय किरण की बात सुन कर बाहर आ गया…किरण ने अंदर से डोर बंद किया…और अपना सर पकड़ कर नीचे बैठ गयी…आधे घंटे बाद किरण नहा कर बाहर आई और किचन मे छाई बनाने के लिए चली गयी…चाइ बनाने के बाद उसने तीन कप मे चाइ डाली और 1 कप उठा कर नीचे दुकान पर आ गयी… कप काउंटर पर रखते हुए बोली...”वशाली अब तुम ऊपेर जाओ…..किचन मे तुम्हारी और विनय की चाइ पड़ी है…खुद भी पी लेना और विनय को भी दे देना..”

वशाली: पर माँ विनय भैया तो, थोड़ी देर पहले ही बाहर गये है…..

किरण: क्या बाहर गया है…..? कुछ बता कर गया है किधर जा रहा है…?

वशाली: पता नही बड़े गुस्से मे था….

किरण: अच्छा ठीक है तू ऊपेर जाकर चाइ पी…

वशाली वहाँ से उठ कर ऊपेर चली गयी….दूसरी तरफ विनय घूमता हुआ अपने पुराने घर की तरफ आ पहुँचा….वो पुराने घर की चाबी साथ ले आया था..उसने घर का लॉक खोला और घर के अंदर आ गया….और ऊपेर रूम मे पड़े एक पुराने बेड पर लेट गया….विनय की आँख लग गयी…शाम के 7 बज चुके थे…दूसरी तरफ किरण विनय को लेकर बेहद परेशान हो चुकी थी…विनय अभी तक घर नही लौटा था….वो बार -2 बाहर देख रही थी…विनय कभी किसी दोस्त के भी यहाँ आता जाता नही था….

परेशान होकर उसने शीतल के घर फोन किया…पर विनय वहाँ भी नही था. उल्टा शीतल भी विनय को लेकर परेशान हो गयी…और वो किरण के घर पहुँची, वो सब लोग विनय को आधी रात तक तलासते रहे…पर विनय को पता ठिकाना नही मिला…किरण के घर मातम छा गया था…रह रह कर किरण को बुरे-2 ख़याल आ रहे थे….रात के 1 बज रहे थे…वशाली सो चुकी थी…शीतल का पति वापिस अपने घर जा चुका था. क्योंकि वो बच्चों को घर पर अकेला छोड़ कर आया था…..

शीतल: क्या तुमने आज विनय को किसी बात पर डांटा था क्या….

किरण: हां दीदी….

शीतल: क्यों…..?

किरण: अब आप को क्या बताऊ दीदी….जो ग़लती मैं कर चुकी हूँ..वो अब मेरा पीछा नही छोड़ रही…..

शीतल: किरण खुल कर बता आख़िर हुआ क्या….?

फिर किरण ने शीतल को सारी बात बताई….”देख किरण जो भी है….सारी ग़लती तेरी है… अब ऐसे मामले मे मैं भी विनय से कैसे बात करूँ…अब जाने अंजाने तुमने विनय के साथ जो रिश्ता कायम किया है….उसे अब तुम्हे जिंदगी भर निभाना पड़ेगा. कही ऐसा ना हो कि, विनय कोई ग़लत कदम उठा बैठे…..”

किरण: दीदी जिस वजह से इतना सब कुछ हो गया….आप कह रही हो कि, मैं वही ग़लती दोबारा करूँ…

शीतल: ग़लती तो तूने पहले की थी…अब उसको सुधारने का वक़्त है….मैं जो कह रही हूँ…वोही तुम्हारे और विनय के लिए सही होगा….

शीतल वहाँ से उठ कर वशाली के पास आ गयी……अगली सुबह शीतल की आँख खुली तो, उसने देखा कि उसका मोबाइल बज रहा था…फोन उसके पति का था….शीतल ने फोन पिक किया….

शीतल: हेलो जी…..

विनोद: शीतल विनय मिल गया है…..

शीतल: क्या कहाँ पर था वो सारी रात…..

विनोद: वो तो मुझे पता नही..अभी अभी घर आया है….तुम जल्दी से घर आ जाओ…लगता है काफ़ी भूका है…

शीतल: ठीक है हम थोड़ी देर मे वहाँ पहुँचते है…..

शीतल ने कॉल कट की और किरण को जाकर बताया कि विनय उनके घर पर है….फिर उन्होने वशाली को उठाया और तीनो घर की तरफ चल पड़ी…शीतल ने किरण को रास्ते मे ही कह दिया था कि, जब तक विनोद घर पर है वो चुप रहे….थोड़ी देर बाद तीनो घर पहुँची, तो देखा विनोद जॉब पर जाने के लिए तैयार हो चुका था. जैसे ही वो तीनो घर पहुँची तो, विनोद जॉब के लिए निकल गया…जैसे ही किरण ने विनय को देखा तो, वो फवक कर रोते हुए उससे लिपट गयी….”कहाँ गया था तू कहाँ था सारी रात…तुम्हे हमारी थोड़ी बहुत फिकर है भी कि नही…हम पागलो की तरह सारी रात तुम्हे इधर उधर ढूँढते रहे…बोलता क्यों नही है…”

शीतल: किरण अभी शांत हो जाओ….और विनय जाकर पहले नहा धो लो…हम तुम्हारे कपड़े साथ लाए है….

ये कहते हुए शीतल ने विनय को कपड़े दिए और उसको बाथरूम मे भेज दिया…और खुद विनय के लिए नाश्ता बनाने लगी….नाश्ता करने के बाद विनय ने बताया कि, वो सारी रात पुराने घर पर रहा था….शीतल ने किरण को समझा कर विनय को साथ भेज दिया. और विनय को एक बार फिर से मामी का प्यार मिला…. मित्रो कहानी यही ख़तम होती है
ये कहानी आपको कैसी लगी अपने कमेंट ज़रूर देना


समाप्त
एंड
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Re: चूत देखी वहीं मार ली compleet

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:b: :b: :b: :b: :b: :b: :b: :b: बॉन्ड भाई एक और कहानी कम्प्लीट करने के लिए बधाई
SUNITASBS
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Re: चूत देखी वहीं मार ली compleet

Post by SUNITASBS »

is kahani ko aage badana cahiye
😪
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