मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त

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Rohit Kapoor
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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त

Post by Rohit Kapoor »

बस से उतरकर मैं और महक क्लास की तरफ चल पड़ी. चलते हुए मुझे अपनी योनि के पास कुछ गीलापन महसूस हो रहा था. मैने महक को क्लास में जाने को बोल कर खुद सीधा वॉशरूम में जाकर घुस गई. अंदर जाते ही मैने सलवार खोल कर थोड़ा नीचे की तो देखा मेरी रेड कलर की पैंटी के उपर मेरी योनि से निकले कम की वजह से एक गीलेपन का निशान पड़ा हुया था. जो कि उस कामीने आकाश की मेहरबानी थी. फिरसे मेरे दिमाग़ में आकाश की बस वाली हरकत घूमने लगी. मुझे ऐसा लगने लगा जैसे अब भी आकाश की उंगली मेरे नितंबों की दरार में घूम रही है मेरे पूरे शरीर में एक तूफान सा मच गया. मैने एकदम से खुद को संभाला और ख्यालों की दुनिया से बाहर आई और मुस्कुराते हुए अपने सर पे हाथ मारते हुए कहा.
मे-ये मैं क्या सोच रही थी.
मैने जल्दी से सलवार पहनी और वॉशरूम से बाहर निकल गई और क्लास की तरफ चल पड़ी. क्लास में जाकर देखा तो आकाश मेरी सीट पे बैठा था महक भी उसके साथ अपनी सीट पे ही बैठी थी. आकाश ने अपना हाथ उसकी पीठ के पीछे से घुमा कर उसकी कमर पे रखा हुआ था. मैं उनके पास गई और कहा.
मे-ये मेरी सीट है उठो यहाँ से.
महक-रीतू जब तक टीचर नही आ जाते तब तक तुम प्लीज़ आकाश की सीट पे बैठ जाओ.
मे-मुझे नही बैठना किसी की सीट पे.
महक-प्लीज़ स्वीतू मेरी प्यारी सिस है ना तू प्लीज़ जा ना यार.
मैं गुस्से से उनके पास से चलकर आकाश की सीट पे जाकर बैठ गई. वहाँ पे पहले से ही तुषार बैठा हुया था. मेरे बैठते ही वो बोला.
तुषार-हाई रीत.
मे-हेलो.
तुषार-आज तुम जल्दी कैसे आ गई.
मे-वो आज मैं बस से आई हूँ इसलिए.
तुषार-ओके ओके. वो रीत एक बात पुछु.
मे-नही रहने दो और प्लीज़ चुप चाप बैठे रहो.
मैं पहले से ही गुस्से में थी उपर से तुषार का बच्चा सवाल पे सवाल किए जा रहा था.
तुषार-ओके जैसे तुम्हारी मर्ज़ी.

मैने आकाश और महक की तरफ देखा. महक मेरी तरफ बैठी थी जबकि आकाश दूसरी तरफ था. आकाश का हाथ ही मुझे दिख रहा था जो कि महक की कमर पे घूम रहा था. क्लास में ज़्यादा स्टूडेंट नही थे. बस हमारे अलावा 2-4 स्टूडेंट्स ही थे और वो अपनी बातों में लगे हुए थे. मैने देखा अब आकाश ने महक का कमीज़ थोड़ा उपर सरका दिया था. जिसकी वजह से महक की कमर का और पेट का थोड़ा सा हिस्सा नंगा हो गया था और आकाश का हाथ अब उस नंगे हिस्से पे ही घूम रहा था. एक भी दफ़ा महक ने उसका हाथ वहाँ से हटाने की कोशिश की मगर आकाश के मज़बूत हाथ को वो हिला तक नही पाई. आख़िरकार वो भी उसके स्पर्श का मज़ा लेने लगी. फिर आकाश का हाथ नीचे जाने लगा और महक के नितंबों की साइड पे घूमने लगा और नितंबों और बेंच के बीच घुसने का रास्ता तलाश करने लगा. मेरी नज़र तो जैसे उसकी हरकतों के उपर ही अटक गई थी. आकाश की हरकतें देखकर मैं गरम हो गई थी और मुझे इतना भी ख्याल नही रहा था कि तुषार मुझे ये सब देखते हुए देख रहा है. मैने देखा अब महक थोड़ा सा उठी और आकाश ने झट से अपना हाथ उसके नीचे कर दिया और महक फिरसे नीचे बैठ गई. लेकिन अब वो बेंच पे नही बल्कि आकाश के हाथ के उपर बैठी थी. महक आकाश के हाथ के उपर धीरे धीरे अपने चूतड़ हिला रही थी. आकाश महक को कुछ कह रहा था लेकिन क्या कह रहा था ये हम तक सुनाई नही दे रहा था. महक ने आकाश की बात सुन ने के बाद ना में सर हिलाया. पता नही शायद वो कुछ करने से मना कर रही थी लेकिन आकाश नही मान रहा था. थोड़ी देर बाद महक एक बार फिर से उठी और आकाश ने भी अपना हाथ नीचे से निकाल लिया और उसने अपना हाथ महक की पीठ पे रखा और नीचे को सरकाते हुए अपना हाथ सीधा उसकी सलवार में डाल दिया उसका हाथ आसानी से महक की सलवार के भीतर घुस गया. इसका मतलब था कि महक की सलवार खुल चुकी थी. महक एक दफ़ा फिर से बैठ गई थी और आकाश का हाथ उसके नितंबो के नीचे था लेकिन इस दफ़ा वो सलवार के उपर से नही था बल्कि सलवार के अंदर से महक के नंगे नितंबों के उपर था. महक फिरसे अपने चूतड़ उसके हाथ पे रगड़ने लगी थी. महक को ऐसा करते देख मेरा पूरा शरीर काम अग्नि में जल उठा था और मुझे पता ही नही चला था कि कब मैं भी अपने नितंबों को महक की तरह बेंच पे रगड़ने लगी थी लेकिन मुझे मज़ा नही आ रहा था जबकि महक के चेहरे से सॉफ झलक रहा था कि उसे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं उसी तरह से अपने नितंब बेंच के उपर रगड़ रही थी तभी तुषार ने अपना चेहरा मेरे कान के पास किया और कहा.
तुषार-खाली बेंच पे रगड़ने से मज़ा नही आएगा रीत. महक की तरह हाथ भी तो लो नीचे.
उसकी बात सुनकर मैं एकदम से चौंक गई और अपने नितंबों को रगड़ना बंद कर दिया और मैं बुरी तरह से शरम-सार हो गई थी.
तुषार ने फिरसे मेरे कान में कहा.
तुषार-रीत एक बार मेरा हाथ नीचे लेकर फिर रगडो देखना कितना मज़ा आएगा.
मैं उसकी बात का कोई जवाब देने की हालत में नही थी. एक मन कर रहा था कि उसकी बात मान लूँ और एक मन था कि रीत सम्भल जा. मैं सोच ही रही थी कि तुषार का हाथ मेरे नितंबों की साइड पे आकर उनके नीचे जाने का रास्ता तलाशने लगा था. अब मैं आपा खो चुकी थी और मुझे पता ही नही चला कि कब मैं थोड़ा उपर उठी और तुषार का हाथ मेरे नीचे आया और मैं उसके उपर बैठ गई.
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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त

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तुषार के हाथ को जैसे ही मैने अपने नितंबों के नीचे महसूस किया तो मेरे पूरे शरीर में मस्ती की एक लहर सी दौड़ गई. लेकिन अब मैं अपने नितंबो को उसके हाथ के उपर हिला नही रही थी क्यूंकी मुझे बहुत शरम आ रही थी ये सोच सोच कर कि मैं तुषार के हाथ के उपर बैठी हूँ. तुषार की उंगलियाँ मुझे अपने पीछे वाले छेद के उपर महसूस हो रही थी. मुझे हिलते ना देख तुषार ने फिरसे मेरे कान में कहा.
तुषार-अब महक की तरह हिलो भी देखना कितना मज़ा आएगा.
मैने थोड़ा थोड़ा खुद को उसके हाथ के उपर हिलाना शुरू कर दिया और फिर मेरी स्पीड बढ़ती गई और मैं अच्छे से अपने नितंब उसके हाथ पे रगड़ने लगी. मैं बेकाबू हो चुकी थी और मेरे पूरे शरीर में मस्ती भर गई थी. मेरी योनि ने एक बार फिरसे रस टपकाना शुरू कर दिया था. तुषार का एक हाथ मेरे नितंबों के नीचे था और उसका दूसरा हाथ अब मेरी जांघों पे घूमने लगा था. उसकी हरकतों ने मुझे मदहोश कर दिया था और मैं उसके हाथों की कठपुतली बन चुकी थी. जाँघो के उपर घूम रहा उसका हाथ अब मेरी योनि की तरफ बढ़ चुका था. मेरे अंदर एक आग सी लगी हुई थी जो बहुत तेज़ी से मेरी योनि की तरफ बढ़ती हुई महसूस हो रही थी. जैसे ही उसका हाथ मेरी योनि के उपर पहुँचा तो मैने अपनी जांघों को कस कर भींच लिया मेरी आँखें अपने आप बंद हो गई और मेरी साँसें तेज़ तेज़ चलने लगी और मेरे अंदर की आग मेरे कम के रूप में मेरी योनि में से बाहर निकल गई. मैने अपने नितंबों को उसके हाथ पे घिसना अब बंद कर दिया था और मैं अपने दोनो हाथों से उसका हाथ जो की मेरी योनि पे था उसे बाहर निकालने लगी थी. जब तुषार ने अपना हाथ वहाँ से हटाया तो मैने देखा कि मेरी योनि से निकलने वाला कम उसके हाथ के उपर भी लगा हुआ था. जिसे देखकर मैं बुरह तरह से शरमा गई मैने थोड़ा सा उपर उठकर तुषार का हाथ अपने नीचे से निकाल दिया. तुषार से आँखें मिलाने की मेरी हिम्मत नही हो रही थी. मैने चुपके से उसकी तरफ देखा तो वो उस हाथ को चाट रहा था जो कि थोड़ी देर पहले मेरी योनि पे लगा हुआ था. उसने धीरे से मुझसे पूछा.
तुषार-मज़ा आ गया रीत तुम्हारी योनि का पानी बहुत टेस्टी है. तुम्हे मज़ा आया ना.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और नज़रें नीची कर मुस्कुराने लगी.
अब मैं वहाँ से उठना चाहती थी और वॉशरूम में जाना चाहती थी. मैने महक और आकाश की तरफ देखा वो दोनो अब भी वैसे ही लगे हुए थे. मैं ये सोच कर घबराने लगी कि कही इन्होने मुझे तुषार के साथ ये सब करते देख तो नही लिया. मैं आकाश की सीट से उठी और क्लास से बाहर निकल गई और सीधा वॉशरूम में जाकर घुस गई मैने अपनी सलवार खोल कर नीचे की तो देखा मेरी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी. मैने सलवार उतार दी और फिर पैंटी भी उतारकर वहीं एक कोने में फेंक दी और जल्दी से वापिस सलवार पहन कर वॉशरूम से निकल गई. जब में क्लास में पहुँची तो हमारे टीचर क्लास में आ चुके थे. मैं जाकर अपनी सीट पे बैठ गई आकाश अपनी सीट पे जा चुका था. मेरा बिल्कुल भी मन नही लग रहा था पढ़ाई में. जैसे तैसे पहला पीरियड ख़तम हुआ. नेक्स्ट पीरियड आज फ्री था क्यूंकी मथ्स की मॅम आज नही आई थी. मैने महक को लाइब्ररी चलने को कहा लेकिन उसने मना कर दिया. मैं अकेली ही उठ कर लाइब्ररी में चली गई. वहाँ कुछ और स्टूडेंट्स भी बैठे थे. मैने एक किताब उठाई और एक कोने में जाकर बैठ गई और पढ़ने लगी. थोड़ी देर बाद मुझे तुषार लाइब्ररी में दिखाई दिया. वो सीधा आकर मेरे साथ वाली कुर्सी पे बैठ गया. मैं कुर्सी के उपर बैठी थी और सामने लगे टेबल जो कि मेरे ब्रेस्ट्स तक आता था उसके उपर बुक रख कर पढ़ रही थी. तुषार ने अपने दोनो हाथों में मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला.
तुषार-रीत तुम्हे पता है तुम बहुत खूबसूरत हो. तुम्हे देखकर तो कोई साधु संत भी तुम पर मोहित हो जाए.
मैं उसकी बातें सुनकर अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी.
उसने आगे कहा.
तुषार-रीत शायद तुम्हे महक ने बताया होगा कि मैं तुम्हे पसंद करता हूँ. पहले मेरी हिम्मत नही होती थी तुमसे कुछ कहने की लेकिन आज क्लास में तुमने मेरा साथ दिया तो मुझे लगा कि तुम भी मुझे चाहती हो.
आइ लव यू रीत.
मैं कुछ नही बोल पा रही थी मुझे कुछ ना बोलते देख वो फिरसे बोला.
तुषार-मुझे पता है रीत तुम मेरी बातों का जवाब देने की हालत में नही हो. आज घर जा कर अच्छे से सोचना और अगर तुम्हारी हां हुई तो कल सुबह जल्दी आ जाना और मुझे यहाँ लाइब्ररी में आकर मिलना मैं यहीं तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा.
फिर उसने मेरे हाथ को चूमा और उठ कर वहाँ से बाहर निकल गया.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करू. फिर मैने सोचा कि इस मामले में अगर घर जा कर ही सोचा जाए तो ज़्यादा बेटर रहेगा.
फिर मैं वहाँ से उठी और अपनी क्लास में जाकर बैठ गई क्यूंकी नेक्स्ट पीरियड अब शुरू होने वाला था.
पूरा दिन बड़ी मुश्क़िल से निकला और आख़िरकार स्कूल ऑफ होने के बाद मैं और महक बस स्टॉप की तरफ चल पड़े. मुझे खामोश देखकर महक बोली.
महक-रीतू आज तू बड़ी चुप चाप सी है क्या बात है.
रीत-कुछ नही महक बस थोड़ा सर दर्द कर रहा है.
मैं उसे अभी कुछ बताना नही चाहती थी. मैने एक ऑटो को रोका और मैं और महक उसमे बैठ कर घर की तरफ निकल पड़े.
mini

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wah wah...sab ready hi baithi h..bajayo bajayo khub bajayo
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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त

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sunita123 wrote:very hot lagta hai Mahek aru Rit dono ranidiyo jasie chudne wlai ahi ab
mini wrote:wah wah...sab ready hi baithi h..bajayo bajayo khub bajayo

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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त

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मैं घर पहुँची, खाना खाया और फिर टीवी देखने लगी. टीवी पे चेनेई सूपर किंग्स का रॉयल चॅलेनजर्स के साथ मॅच चल रहा था. चेन्नई सुपर किंग टीम एकदम फुद्दु थी मुझे बिल्कुल भी अच्छी नही लगती थी वो टीम. आज मैं रॉयल चेलेन्जर के साथ थी क्योंकि उसमे इंडिया का सूपर स्टायलिश बॅट्स्मन विराट कोहली जो खेल रहा था. वो भी मुझे बहुत पसंद था और इस क़दर तक पसंद था कि मैं कभी-2 सोचती थी कि 'काश मुझे विराट एक बार जमकर किस करे तो मज़ा आ जाए'
अब क्या करे वो था ही इतना हॅंडसम. मैं कुछ देर बेत कर मॅच देखती रही. विराट और क्रिस पूरा धमाल मचा रहे थे. फोर'स आंड सिक्सस की बरसात हो रही थी लेकिन मेरा दिल आज मॅच में इंट्रेस्टेड नही था.


मैने टीवी ऑफ किया और अपने रूम में जाकर घुस गई. आज मेरे साथ स्कूल में जो कुछ भी हुया सब कुछ मेरे सामने घूमने लगा. पहले बस में आकाश का टच और फिर क्लास में महक और आकाश को देखकर गरम होना और तुषार के साथ बहक जाना. ये सब सोचते ही मेरे पूरे शरीर में मस्ती भरने लगी. मैं मन ही मन सोचने लगी की आज जो मज़ा आया था वो एहसास सचमुच बहुत बढ़िया था. आकाश की उंगली का मेरे नितंबो के उपर घूमना और तुषार के हाथ के उपर अपने कोमल और मुलायम नितंब रखना एक शानदार अनुभव था जो कि मुझे रोमांचित कर रहा था.

फिर तुषार की कही बातें मेरे दिमाग़ में घूमने लगी. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि मैं करूँ तो क्या करू. तुषार ने मुझे प्रपोज किया था मगर मैं उसे क्या जवाब दूं मेरी समझ से बाहर था. मैं खुद से ही सवाल जवाब कर रही थी.
क्या मुझे उसे हाँ बोल देनी चाहिए?

नही नही रीत ये ठीक नही है तुझे अभी पढ़ना है.
मगर महक भी तो मज़े कर रही है?
हां मुझे भी थोडा बहुत तो मज़ा करना चाहिए.
बस ऐसे ही बेकार की बातें मेरे दिमाग़ में घूम रही थी मगर मैं किसी नतीज़े के उपर नही पहुँच पा रही थी.

अचानक मम्मी की आवाज़ ने मुझे इन ख़यालों से बाहर निकाला. मम्मी मुझे चाइ पीने के लिए बुला रही थी. मैं अपने रूम से निकली और मम्मी के साथ बैठकर चाइ पीने लगी. छाई पीने से मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया. मैने सोचा क्यूँ ना इस बारे में महक से बात की जाए. वैसे भी वो मेरी बेस्ट फ़्रेंड थी हर बात मैं उसी के साथ शेर करती थी और फिर ये बात तो उसे बताना बेहद ज़रूरी था. मैने मम्मी का मोबाइल उठाया. मेरे पास अपना मोबाइल नही था इसलिए मुझे जब भी ज़रूरत होती थी तो मैं मम्मी का फोन ही यूज़ करती थी. मैं मोबाइल और चाइ लेकर छत पे जाने के लिए सीडीयाँ चढ़ने लगी. मम्मी ने पीछे से आवाज़ देते हुए पूछा.
मम्मी-रीतू किसे फोन करना है.
मे-मम्मी महक को करना है मुझे स्कूल का कुछ काम पूछना है उस से.
मम्मी-ओके बेटा.
मैं छत पे पहुँची और जल्दी से महक का नंबर. डाइयल किया. 2-3 रिंग के बाद महक ने उठाया और कहा.
महक-हाई स्वीतू कैसी है आज मुझे कैसे याद किया.
मे-मैं ठीक हूँ मिक्कु . वो बस ऐसे ही तुम्हारा हाल चाल पूछने के लिए किया था.
महक-अरे बता ना क्या बात है अच्छी तरह से जानती हूँ तुझे मैं कोई बात तो ज़रूर है.
मे-वो मिक्कुा ऐक्चुली मुझे तुमसे कुछ पूछना था.
महक-तो पूछ ना क्या पूछना है.
मे-वो.....मिक्कुै....वो.....उस.......
महक-तू कुछ बोलती है या मैं फोन रखू.
मे-नही नही मिक्कुै यार वो...उस तुषार ने मेरे बारे में क्या कहा था तुमसे.
महक-ओह हो तो मेडम को तुषार के बारे में पूछना है. बात क्या है...
मे-यार तू बता ना प्लीज़.
महक-ओके ओके यार उसने तो मुझे यही कहा था कि मैं उसकी तेरे साथ सेट्टिंग करवा दूं. तुझे पसंद करता है वो. तुझे कुछ कहा उसने.
मे-हां यार उसने मुझे प्रपोज किया आज.
महक-हाए मैं मर जावा. कूडीए तूने मुझे बताया क्यूँ नही स्कूल में.
मे-वो यार बस टाइम ही नही मिला.
महक-अच्छा चल छोड़ ये बता तूने क्या सोचा है.
मे-यार उसी के लिए तो तुझे फोन किया है तू ही कुछ बता ना प्लीज़.
महक-अरे स्वीतू प्रपोज तुझे किया है मैं क्या बताऊ तुझे.
मे-यही कि वो कैसा लड़का है तू तो उसे अच्छे से जानती है.
महक-ह्म्म्म्म लड़का तो एकदम फट्टू है. फटाफट हां बोल दे उसे.
मे-मिक्कु यार मुझे बहुत डर लग रहा है.
महक-ओह हो तो मेरी स्वीतू डरने भी लगी उस दिन तो बड़ी बोल रही थी कि तुषार के सपने में जाकर ही तुषार का क़तल कर दूँगी.
मे-मिक्कुत छोड़ ना पुरानी बातें यार. ये बता कि क्या वो सही है मेरे लिए.
महक-सही ही नही एकदम पर्फेक्ट है वो तेरे लिए. स्मार्ट है हॅंडसम है हां उसकी बॉडी मेरे आकाश जितनी नही है. लेकिन बंदा एकदम पर्फेक्ट है. वैसे भी तेरी इस क़ातिलाना जवानी को मसल्ने के लिए तुषार या आकाश जैसे मर्द की ही ज़रूरत है.
मे-मिक्कु् प्लीज़ स्टॉप ना...
महक-रीतू यार मैं तो मज़ाक कर रही हूँ.
मे-पता है मुझे अच्छा अब फोन रखती हूँ. मुझे कुछ सोचने दो अब.
महक-अरे सोचना क्या है कल सुबह फाटाक से जाकर उसके सीने से लग जाना.
मे-बस बस अपनी अड्वाइज़ अपने पास ही रख. ओके डार्लिंग मैं रखती हूँ.
महक-ओके बाइ स्वीतू.
मेरी चाइ ऐसे ही हाथ में ठंडी हो चुकी थी. नीचे जाने के लिए मैं घूमी तो देखा आकाश अपनी छत पे खड़ा मुझे घूर रहा था. पहले मेरी पीठ उसकी तरफ थी इसलिए मुझे वो दिखाई नही दिया था. मुझे देखकर उसने गंदी सी स्माइल पास की मगर मैं उसे जीभ निकाल कर ठेंगा दिखाते हुए नीचे उतर गई.

पूरी रात मैं बे-चैन रही और सोचती रही कल क्या होगा. अब मैं फ़ैसला कर चुकी थी कि तुषार को हां बोल दूँगी. लेकिन मेरे हां बोलने के बाद तुषार मेरे साथ क्या करेगा यही सोच कर मैं घबरा रही थी. जैसे तैसे रात ख़तम हुई और एक नया उजाला हुआ. मैं फटाफट उठ कर तैयार हो गई और ब्रेकफास्ट करते वक़्त भैया से कहा कि अब मैं बस से ही स्कूल चली जाया करूँगी.
मेरी बात सुनकर भैया थोड़े हैरान से होते हुए बोले.
हॅरी-क्या हुया स्वीतू मुझसे नाराज़ हो गई हो क्या.
मे-भैया केसी बात करते हो आप. वो तो मेरी फ़्रेंड महक रोज़ बस से आती है उसने मुझे बोला था कि तू मेरे साथ चला कर.
हॅरी-आर यू श्योर ना.
मे-ओफ़कौर्स भैया.
हॅरी-ओके जैसे तेरी मर्ज़ी.
मैने ब्रेकफास्ट किया और अपना बॅग उठा कर बस स्टॉप की तरफ चल पड़ी. आकाश कल की तरह ही वहाँ पे खड़ा था. मुझे देखते ही उसका चेहरा गुलाब की तरह खिल उठा. मैने एक दफ़ा उसकी तरफ देखा फिर नज़र दूसरी ओर कर ली और जाकर उस से थोड़ी दूरी पे खड़ी हो गई. जैसी मुझे उम्मीद थी वो चुंबक की तरह मेरे पास खिचा आया और बिल्कुल मेरे पास आकर बोला.
आकाश-हाई रीत डार्लिंग कैसी हो.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और दूसरी तरफ नज़र किए खड़ी रही.
आकाश-क्यूँ नखरे कर रही हो डार्लिंग कल बस में तो खूब मज़े ले रही थी और शरमा क्यू रही है आज भी तो तू मज़े लेने ही आई है.
मे-बंद करो अपनी बकवास मुझे महक ने बुलाया था मैं इसलिए आई हूँ.
हालाँकि ये बात सच थी कि मैं दुबारा इसी लिए आज बस में जाना चाहती थी ताकि आकाश आज फिर मेरे साथ छेड़-छाड़ करे. शायद उसकी छेड़-छाड़ में मुझे मज़ा आने लगा था. मैने उसे झूठ बोल दिया था कि में महक के कहने पे बस से जाने के लिए आई हूँ. फिर भी जितना हो सके मैं उस से बचना ही चाहती थी.

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