मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त

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Rohit Kapoor
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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त

Post by Rohit Kapoor »

आकाश-ओये होये गुस्से में तो तुम और भी हसीन लगती हो.
मे-चुप चाप खड़े रहो वरना मैं ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर सब को बता दूँगी कि तुम मुझे छेड़ रहे हो फिर देखना लोग तुम्हारा क्या हाल करेंगे.
आकाश-अरे डार्लिंग यहाँ किसी की क्या मज़ाल कोई मुझ पे हाथ उठाए. एक-2 की बजा डालूँगा.
वो अपनी बक बक कर ही रहा था कि मुझे बस आती हुई दिखाई दी. जैसे ही बस रुकी मैं भाग कर सबसे पहले उसमे चढ़ गई और आकाश बेचारा पीछे भीड़ में ही फस गया. सब लोग धक्का-मुक्की करते हुए बस में चढ़ गये और बस चल पड़ी. मैं बस के बीच में खड़ी और महक मेरे पास ही सीट पे बैठी थी. उसने मुझे सीट ऑफर की मगर मैने मना कर दिया. मैने पीछे की तरफ देखा तो आकाश बेचारा पीछे वाले डोर के पास बुरा सा मूह बनाए खड़ा मुझे ही घूर रहा था. मैं सब से नज़रें बचाती हुई अपनी जीभ निकाल कर उसे चिडाने लगी. वो भी मेरी हरकत देखकर मुस्कुराने लगा. शायद अब उसे भी इस खेल में मज़ा आने लगा था. वो भी अपने होंठों पे जीभ फिराने लगा जैसे कह रहा हो कि कब तक बचोगी मुझसे.


ऐसे ही पूरे रास्ते हम एकदुसरे को चिड़ाते रहे और जैसे ही स्कूल का स्टॉप आया तो मैं और महक जल्दी से नीचे उतरकर क्लास की तरफ जाने लगी. आकाश पीछे वाले डोर से उतरा और जाकर अपने दोस्तो के पास खड़ा हो गया. उसके जैसे ही लफंगे दोस्त थे उसके हर रोज़ स्कूल के गेट पे खड़े रहते थे बस आती जाती लड़कियों को ताड़ते रहते थे.

महक और में क्लास में पहुँच गई. महक मुझसे पूछ रही थी कि तुषार के बारे में क्या सोचा है मैने उसे बता दिया था कि मैं उसे हां बोलने वाली हूँ. तुषार मुझे कही दिखाई नही दिया. फिर मुझे याद आया कि तुषार ने मुझे लाइब्ररी में आने को बोला था. महक ने मुझे चुप चाप बैठे देखकर कहा.
महक-रीतू तुम्हारा तुषार तो दिखाई ही नही दे रहा आज.
मैने महक को बताया.
मे-मिक्कुु मुझे लाइब्ररी में आने को कहा था उसने.
महक-तो तू यहाँ क्या कर रही है. चल जल्दी से लाइब्ररी में जा.
मे-नही यार मुझे डर लग रहा है.
महक-अरे यार तुझे खा थोड़े ना जाएगा वो.
मे-तू चल ना मेरे साथ.
महक-अच्छा चल ठीक है अब उठ जल्दी.
हम दोनो लाइब्ररी में पहुँच गई. मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. तुषार एक कोने में बैठा था. महक और में उसके पास जाकर बैठ गई. मुझे और महक को देखते ही वो खुश हो गया. इस टाइम कोई और स्टूडेंट नही था सिर्फ़ हम तीनो ही थे लाइब्ररी में. महक ने उठते हुए कहा.
महक-तुम दोनो बातें करो मैं डोर के बाहर वेट करती हूँ.
महक के जाते ही तुषार ने मेरे दोनो हाथों को पकड़ लिया और कहा.
तुषार-तो क्या सोचा तुमने रीत.
मैं शरमा रही थी और कुछ नही बोल पा रही थी.
तुषार-प्लीज़ बोलो ना रीत. तुम्हारी 'यस' है या 'नो'
मैने धीरे से शरमाते हुए कहा.
मे-'यस'
मेरी 'यस' सुनते ही वो खुशी से झूम उठा वो अपनी चेर से उठा और मुझे खीच कर अपने सीने से लगा लिया. मैं डरती डरती उसके सीने से जा लगी. मेरे दोनो हाथ उसकी छाती पे थे और हाथों के बीच अपना सर उसकी छाती से चिपका रखा था और उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर को थाम रखा था. फिर उसने अपने दोनो हाथों से मेरे चेहरे को थाम लिया और एक टक मेरा चेहरा देखने लगा. धीरे धीरे उसके होंठ मेरे होंठों की तरफ बढ़ने लगे. मेरे होंठ डर के मारे काँपने लगे और मेरा दिल आने वाले पल को सोचकर ही जोरो से धड़कने लगा.

तुषार के होंठ जैसे जैसे मेरे होंठों के नज़दीक आ रहे थे वैसे ही मेरे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी. अब तुषार के होंठ मेरे होंठों के बिल्कुल नज़दीक आ चुके थे. हम दोनो को एक दूसरे की सांसो की आवाज़ तक सुनाई दे रही थी. मेरी आँखें अब बंद हो चुकी थी. आचनक मुझे अपने होंठों पे तुषार के होंठ महसूस हुए और उसके होंठों ने मेरे नीचे वाले होंठ को क़ैद कर लिया और बड़े ही प्यार से चूसने लगा. मेरा पूरा शरीर मस्ती में डूबता चला गया और मैं मदहोश होकर उसका साथ देने लगी थी. मेरे हाथ खुद ही उसके चेहरे के उपर पहुँच गये थे. हम दोनो के हाथ एक दूसरे के चेहरे को थामे हुए थे और हमारे बीच एक प्यारा सा चुंबन चल रहा था. ना तो तुषार मेरे होंठों को छोड़ना चाहता था और नही मैं अपने होंठ उसके होंठों की क़ैद से छुड़ाना चाहती थी. अब तुषार ने मेरे नीचे वाले होंठ को छोड़ दिया था और अपनी जीभ निकालकर मेरे होंठों के बीच घुमाने लगा था. मैने अपने होंठ थोड़े से खोलकर उसकी जीभ को अंदर जाने का रास्ता दे दिया था. जैसे ही उसकी जीभ मेरे होंठों में घुसी तो मैने उसे अपने होंठ बंद करते हुए उसे अपने होंठों के बीच ही भींच लिया था जैसे मैं उसकी जीभ का सारा रस निकाल लेना चाहती थी. चुंबन में मेरे साथ देने की वजह से तुषार को भी खूब मज़ा आ रहा था उसकी खुशी का कोई ठिकाना नही था.
.................
वो खुश होता भी क्यूँ नही रीत जैसे नाज़ुक, मुलायम कच्ची कली जो उसके हाथ लग चुकी थी. वो कच्ची कली तो थी ही साथ ही साथ इस कली पे जवानी भी कहर बन कर आई थी. पता नही कितने ही भंवरों पे उसकी जवानी कहर बन कर टूटने वाली थी. तुषार खुद को लकी मान रहा था कटॉंकि वो पहला मर्द था जिसे रीत के गुलाबी होंठों को चूसने का मौका मिला था.
...............
मैं और तुषार चुंबन में इतना खो गये थे कि हमे पता ही नही चला कि महक कब हमारे पास आकर खड़ी हो गई. उसकी आवाज़ सुनते ही हम दोनो चौंक कर एक दूसरे से अलग हो गये.
महक-तुषार अब छोड़ भी दे खा ही जाएगे क्या मेरी स्वीतू को.
महक की बात सुनकर मैं शरमा कर नीचे देखने लगी. तुषार के द्वारा होंठो का रास्पान किए जाने की वजह से मेरे होंठों में हल्का हल्का दर्द होने लगा था.
हमे चुप चाप वही खड़े देख महक बोली.
महक-चलो अब 1स्ट पीरियड का टाइम हो चुका है.
तुषार महक की बात सुनते ही बाहर निकल गया और मैं और महक भी क्लास की तरफ आने लगी.
महक ने मुझे छेड़ते हुए कहा.
महक-कैसी लगी पहली किस स्वीतू.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया बस मुस्कुराती रही.
महक-ओह हो तो मेडम शरमा रही है. अभी से शरमाने लगी अभी तो आगे बहुत कुछ करेगा तुषार तेरे साथ.
मैने उसे मारते हुए कहा.
मे-प्लीज़ मिक्कु यार स्टॉप ना.
महक-ओह हो मज़े भी लेना चाहती है और शरमाती भी है.
मे-मिक्कुह तू मुझसे मार खाएगी आज.
बातें करते करते हम क्लास में पहुँच चुके थे. मैं और महक अपनी बेंच पे जाकर बैठ गयी और मैने तुषार की ओर देखा तो वो मुझे ही घूर रहा था. जैसे ही हमारी नज़रें मिली तो हम दोनो मुस्कुराने लगे. आकाश ने जब हमे एक दूसरे की तरफ देखते हुए मुस्कुराते देखा तो उसका चेहरा देखने लायक था. उसका लटका हुआ चेहरा देखकर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. सारा दिन क्लास में यही चलता रहा. मैं थोड़े टाइम बाद तुषार की तरफ देखकर मुस्कुराती और बदले में तुषार भी मुझे स्माइल पास करता फिर मैं शैतानी नज़रो से आकाश की तरफ देखती जिसका कि चेहरा देखने लायक होता. उसे ऐसे जलाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. आकाश के लिए जैसे आज का दिन बहुत ही मुश्क़िल से निकला जैसे ही छुट्टी हुई तो वो जल्दी जल्दी स्कूल से निकल गया.

मैने तुषार को बाइ बोला वो मुझे किस करना चाहता था मगर हम क्लास में थे इसलिए मैने उसे मना कर दिया. फिर मैं और महक बस स्टॉप की तरफ चल पड़ी और ऑटो में बैठकर घर के लिए निकल गई.

घर पहुँच कर मैने खाना खाया और जाकर अपने रूम में घुस गई और आज तुषार के साथ हुए चुंबन के बारे में सोचने लगी. चुंबन को याद करते ही मेरे होंठो पे मुस्कुराहट फैल गई. मैं मन ही मन सोचने लगी कि कितनी अच्छी तरह से तुषार ने आज मेरे होंठो को चूमा था. आज मेरा दिल खुशी से झूम रहा था. आगे तो ऐसे पहले कभी नही हुआ था. एक तरफ यहाँ में खुश थी तो दूसरी तरफ एक बेचैनी भी थी कि कब सुबह हो और मैं फिरसे स्कूल जाकर तुषार की बाहों में क़ैद हो जाऊ.
फिर मैने सोचा चलो थोड़ा गुलनाज़ दीदी के पास जाकर आती हूँ और मैं अपने घर से बाहर निकल गई. मेरे घर के सामने ही आकाश अपने दोस्तो के साथ खड़ा था मुझे देखते ही वो अपनी पेनिस वाली जगह पे हाथ फिराने लगा और अपने होंठो पे जीभ फिराने लगा. मैं मूह सा बनाते हुए वहाँ से आगे चल पड़ी. मुझे पता था कि आकाश की नज़र अब मेरी लोवर में क़ैद मेरे नितंबों पे होगी इस लिए मैं जान बुझ कर अपने कूल्हे कुछ ज़्यादा ही मतकाते हुए चलने लगी. पता नही क्यूँ आकाश को ऐसे जलाने में मुझे बहुत मज़ा आता था. गुलनाज़ दीदी के घर के अंदर जाने से पहले मैने उसे घूम कर एक बार देखा तो वो मुझे ही घूर रहा था और तो और उसके 2 दोस्त भी मुझे ही घूर रहे थे. मैं उनकी ओर से नज़र हटाती हुई नाज़ दीदी के घर में घुस गई.
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Rohit Kapoor
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गुलनाज़ दीदी के घर में घुसते ही मैं उन्हे आवाज़ देने लगी. तभी जावेद भैया अपने रूम में से निकले और बोले.
जावेद-ओये रीतू कहाँ रहती है तू बड़े दिनो बाद देखा आज तुम्हे.
मे-मैं तो यही होती हूँ भैया आप ही गायब रहते हो.
जावेद-आज कैसे आना हुआ.
मे-गुलनाज़ दीदी कहाँ है उनसे मिलना है मुझे.
जावेद-गुल अपने रूम में होगी. जा जाकर मिल ले उसे.
मैं गुलनाज़ दीदी के रूम में चली गई. दीदी हमेशा की तरह अपने बेड पे बैठ कर पढ़ाई कर रही थी. मैं उनके पास गई और बेड पे चढ़ते हुए उन्हे बाहों में भरते हुए पीछे की तरफ गिरा दिया. मेरी इस हरकत से झुंझलाते हुए दीदी बोली.
गुल-ओये रीतू तू सीधी तरह से गले नही मिल सकती क्या.
जवाब में मैं सिर्फ़ हँसते हुए दाँत दिखाने लगी.
गुल-अब हँस रही है देख मेरी बुक के उपर कैसे घुटने टिका कर बैठी है अगर फट जाती तो.
मे-तो अब आपकी बुक आपको मुझ से ज़्यादा प्यारी है.
गुल-बच्ची प्यार की बात नही है. अब आप बड़ी हो गई हैं थोड़ा ढंग से पेश आया करो.
मे-मैं तो ऐसी ही रहूंगी.
गुल-तो रहो जैसी रहना है मुझे क्या.
मे-ओह हो मेरी दीदी को गुस्सा भी आता है. वैसे दीदी आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो.
सच में गुलनाज़ दीदी आज बहुत खूबसूरत लग रही थी. उन्होने ब्लॅक कलर का सलवार कमीज़ पहना था जो की उनके उपर बहुत फॅब रहा था.
गुल-ओह हो अब हमारी रीतू मक्खन लगाना भी सीख गई.
मे-नही दीदी सच में अगर विश्वाश नही होता तो आप मार्केट का चक्कर लगाकर आओ फिर देखने लड़के कैसे आहें भरेंगे आपको देखकर.
गुल-चुप कर बदमाश बहुत बोलने लगी हो तुम.
मेरी नज़र बार बार गुल दीदी के उरोजो के उपर जा रही थी जो कि काफ़ी बड़े बड़े थे. लगभग 34डी साइज़ था उनका. मैने थोड़ा झीजकते हुए उनके उरोजो की तरफ इशारा करते हुए दीदी से पूछा.
मे-दीदी आपके ये इतने बड़े कैसे हो गये.
मेरी बात सुनकर दीदी एकदम से चौंक गई और मेरा कान पकड़ते हुए बोली.
गुल-किस से सीखी तुमने ये सब बातें लगता है अब तुम्हारे स्कूल में जाना पड़ेगा मुझे.
मे-दीदी मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी.
गुल-ऐसे कैसे पूछ रही थी आप.
मैने अपने उरोजो को पकड़ते हुए कहा.
मे-अब देखो ना दीदी मेरे ये कितने छोटे हैं और आपके कितने बड़े. क्या आपने किसी से खिचवाए हैं दीदी.
गुल-चुप कर पागल कही की. अरे पगली ये नॅचुरल होता है जैसे जैसे आपकी एज बढ़ेगी तो ये भी बढ़ते जाएँगे.
मैने शरारत में कहा.
मे-नही दीदी मुझे तो अभी बड़े करने है ये.
गुल-अरे ओह पागल लड़की तेरे उरोज तेरी एज के हिसाब से बड़े है. जब तू मेरी एज में आएगी तो देखना मेरे उरोजो से भी बड़े हो जाएँगे ये.
मे-वाउ क्या सच में ऐसा होगा दीदी.
गुल-यस चलो अब मुझे पढ़ने दो. वैसे भी अंधेरा हो गया है या तो यही सो जाओ आप वरना घर पे जाओ जल्दी चाची जी फिकर कर रही होंगी.
मे-ओके दीदी. बाइ.
मैं दीदी के घर से बाहर निकली तो बाहर काफ़ी अंधेरा हो चुका था. मैं अपने घर की तरफ चलने लगी. आचनक मुझे पीछे से किसी ने मज़बूती के साथ दबोचा और एक हाथ मेरे मूह पे रखते हुए मुझे एक साइड में खीचते हुए ले गया. गुलनाज़ दीदी के घर के साथ साथ एक गली मुड़ती थी वो मुझे वही पे ले गया और गली में जाकर उसने मुझे दीवार के साथ सटा दिया. मैं जी तोड़ कोशिश कर रही थी उस से छूटने की मगर बहुत मज़बूती से उसने मुझे थाम रखा था. अब मेरा चेहरा दीवार की ओर था वो बिल्कुल मेरे पीछे मेरे साथ सट कर खड़ा था. उसका एक हाथ मेरे मूह पे था तो दूसरा हाथ मेरे पेट पे था जिसकी वजह से वो मुझे मजबूती से पकड़े हुए था. उसने अपना चेहरा मेरे कानो के पास किया और कहा.
'हाई डार्लिंग कब से तुम्हारा वेट कर रहा हूँ'

आवाज़ को सुनते ही मैं पहचान गई कि ये आकाश था. मुझे थोड़ी राहत मिली ये सुन कर कि ये आकाश ही है. लेकिन उसकी हरकत पे अब मुझे गुस्सा आने लगा था. उसने मेरे मूह पे से हाथ हटा लिया और दोनो हाथ मेरे पेट पे फिराने लगा. मैने गुस्से से उसे कहा.
मे-आकाश ये क्या बदतमीज़ी है छोड़ो मुझे.
आकाश-बड़ी मुश्क़िल से हाथ लगी हो अब कैसे छोड़ दूं तुझे.
मे-देखो आकाश हद होती है बेशर्मी की. मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी.
आकाश-मैने कॉन सा तुम्हे उम्मीद रखने को कहा था.
अब उसने मेरी टी-शर्ट को तोड़ा उपर उठा दिया था और उसके हाथ मेरे नंगे पेट पे घूमने लगे थे और उसके होंठ मेरी गर्दन पे घूम रहे थे. मेरे शरीर में उसकी छेड़-छाड़ की वजह से करंट उठने लगा था.
मैने एक दफ़ा फिरसे उसे मिन्नत भरे स्वर में कहा.
मे-आकाश प्लीज़ तुम समझते क्यूँ नही अगर किसी ने देख लिया तो बहुत बदनामी होगी मेरी.

आकाश-कोई नही आएगा इस अंधेरे में डार्लिंग तुम बस मज़े लो.

अब उसका एक हाथ मेरी योनि पे चला गया था और वो उसे लोवर के उपर से मसल्ने लगा था. मैं अब पिघलने लगी थी और हल्की हल्की सिसकारियाँ मेरे मूह से निकल रही थी. उसके होंठ मेरे होंठों तक आना चाहते थे लेकिन मैं अपने होंठों को दूसरी तरफ कर लेती थी. शायद मैं नही चाहती थी कि वो मेरे होंठ चूसे या शायद ये जगह सही नही थी इस सब के लिए.

तभी हमारे कानो में किसी के कदमो की आवाज़ आई. शायद कोई उसी तरफ आ रहा था. आवाज़ को सुनते ही जैसे ही आकाश की पकड़ मुझ पर थोड़ी ढीली हुई तो मैं एकदम से उसकी गिरफ से निकल गई और भागती हुई घर में आ गई.


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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त

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आकाश से बचकर में घर में आ गई और घर आकर मुझे थोड़ी राहत मिली. मैने भैया न्ड मम्मी-पापा के साथ मिलकर खाना खाया और अपने रूम में जाकर सो गई.
सुबह हुई तो मैं बिस्तेर से उठ गई. आगे जिस रीत को हिला हिला कर उठाना पड़ता था वो आज खुद ही उठ गई थी. मम्मी मेरे रूम में आई और मुझे उठी हुई देखकर हैरान होती हुई बोली.
मम्मी-आज ये ग़ज़ब कैसे हो गेया. मेरी रीतू आज खुद ही उठ गई.
मैने मम्मी को हग किया और उनके गाल पे किस करती हुई बोली.
मे-आज से रीतू अपने आप ही उठेगी.
मम्मी ने भी जवाब में मेरे फोर्हेड पे किस की और कहा.
मम्मी-बहुत अच्छे मेरी स्वीतू. चल बाहर आकर नाश्ता कर ले.
मे-आप तैयार रखो मैं रेडी होकर आती हूँ.
मम्मी-आज कहाँ जाना है तुझे.
मे-स्कूल जाना है मम्मी और कहाँ.
मम्मी-ओये रीतू आज सनडे है.
मे-क्या...?
मम्मी-और नही तो क्या तू कैसे भूल गई सनडे को.
मेरे दिमाग़ में आया अरे आज तो सचमुच सनडे है.
मे-हां मम्मी आज तो सनडे ही है.
फिर मैं और मम्मी ड्रॉयिंग रूम में आकर बैठ गये और चाइ पीने लगे. हॅरी भैया भी हमारे पास आकर बैठ गये और मम्मी ने उनको भी चाइ दी. फिर मुझे कुछ याद आया और मैने भैया से कहा.
मे-भैया आज मुझे मार्केट जाना है.
हॅरी-क्या काम है तुझे.
मे-भैया मुझे बुक्स लेनी है.
हॅरी-तो जाकर ले आ.
मे-नही मैं आपके साथ जाउन्गी.
हॅरी-मेरे पास टाइम नही है.
मे-आज सनडे तो है भैया प्लेज चलो ना.
मम्मी-हॅरी बेटा जाओ बच्ची के साथ.
हॅरी-पर मम्मी....
मम्मी-पर... वर कुछ नही तू रीतू को लेकर जाएगा तो बस लेकर जाएगा.
हॅरी-ओके जैसा आप कहें.
और भैया उठ कर अपने रूम में चले गये. मैने देखा जाते वक़्त भैया का चेहरा थोड़ा मुरझाया हुया था. मैने अपनी चाइ ख़तम की और उठ कर भैया के रूम की ओर चल पड़ी. क्यूंकी भैया को मैं उदास नही देख पाती थी. उनके रूम का दरवाज़ा खुला ही था. मैं अंदर गई तो देखा भैया फोन पे किसी के साथ बात कर रहे थे. उनकी पीठ मेरी तरफ थी.
मैं चुपके के उनके पास गई और बातें सुन ने लगी.
हॅरी-करू यार तू समझती क्यूँ नही मुझे अपनी रीतू के साथ मार्केट जाना है आज.
इतना बोल कर भैया चुप हो गये शायद दूसरी तरफ से कोई कुछ बोल रहा था.
हॅरी-नही करू यार आज नही आ पाउन्गा समझा कर तू बच्ची थोड़े ना है.
फिर भैया चुप हो गये और फिर एकदम से बोले.
हॅरी-अरे करू करू सुन तो......
और फोन कट गया या शायद करू मेडम ने काट दिया.
फोन कट होते ही भैया मेरी तरफ घूमे और मुझे देखते ही उनके होश उड़ गये.
हॅरी-अरे रीतू...तुम यहाँ कब आई.
मैने अपनी कमर पे हाथ रखते हुए भैया को घूरते हुए पूछा.
मे-भैया ये करू कॉन है.
भैया अंजान बनते हुए बोले.
हॅरी-क.क.क.कौन करू....मैं किसी क.क.करू को नही जानता.
मे-ज़्यादा होशियार मत बनो सीधे-2 बताओ वरना मैं मम्मी को बताने चली कि भैया किसी करू से बात कर रहे थे.
और मैं वहाँ से चलने को हुई तो भैया ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेड पे बिठा लिया और कहा.
हॅरी-नही नही रीतू मम्मी को कुछ मत बताना प्लीज़ यार.
मे-तो मुझे बताओ माजरा क्या है.
हॅरी-रीत यार करुणा मेरी गर्ल-फ़्रेंड है.
मे-ओह वाउ यानी कि मेरी भाभी.
हॅरी-हां हां तेरी भाभी.
मे-तो क्या बोल रही थी मेरी भाभी.
हॅरी-यार हमने आज मिलने का प्रोग्राम बनाया था मगर आज मुझे तुम्हारे साथ जाना है जब मैने ये सब उसे बताया तो वो नाराज़ हो गई और फोन काट दिया.
मे-ऐसा किया उन्होने. ज़रा दुबारा लगाओ फोन मैं बात करती हूँ.
हॅरी-नही नही रहने दे रीत अब.
मे-आप लगाते हो या जाउ मम्मी के पास.
हॅरी-रुक रुक लगाता हूँ मेरी माँ.
भैया ने भाभी का नंबर. मिलाया और मुझे फोन दे दिया. उधर से भाभी ने फोन उठाया और कहा.
करू-हां अब क्या है.
मे-हेलो हेलो इतना गुस्सा और वो भी रीत के सामने.
भाभी हड़बड़ाते हुए.
करू-सॉरी सॉरी रीत मुझे लगा हॅरी का फोन होगा.
मे-कोई बात नही. नमस्ते भाभी.
करू-नमस्ते रीतू. कैसी हो तुम.
मे-एकदम पर्फेक्ट आप बताओ मेरे भैया पे गुस्से क्यूँ हो रही थी आप.
करू-नही नही रीत वो तो बस ऐसे ही मज़ाक कर रही थी मैं.
मे-अच्छा अब ध्यान से सुनो आप. मैं और भैया मार्केट आ रहे हैं और ठीक 10 बजे पे आप भी मार्केट पहुँच जाना क्यूंकी मुझे अपनी भाभी को देखना है.
करू-यस ये हुई ना बात मेरा भी चिलकोजू से मिलने का बहुत मन कर रहा था और आज तो अपनी ननद से भी मिल लूँगी मैं.
मे-ये चिलकोज़ू कॉन है.
करू-हॅरी और कॉन. मैं प्यार से उसे चिलकोज़ू ही बुलाती हूँ.
मे-अरे वाह. ओके तो मैं और चिलकोज़ू आ रहे हैं आपसे मिलने.
करू-ओके रीतू.
भैया हमारी बातें सुन कर मुस्कुरा रहे थे.
मैने उन्हे फोन देते हुए कहा.
मे-चिलकोज़ू जी अब जल्दी से रेडी हो जाओ.
हॅरी-रीतू तू भी अब करू की बोली बोलने लगी.
मे-भाभी चिलकोज़ू बुलाती हैं तो कोई प्रॉब्लम नही मैं बुलाती हूँ तो जनाब को गुस्सा आ रहा है.
अब जल्दी से रेडी होकर बाहर आओ.
10 बजे मैं और भैया बाइक पे मार्केट के लिए निकल पड़े. मैने आज वाइट कलर का टाइट पाजामी सूट पहना था. जब मैं और भैया घर से निकले तो आकाश अपने दोस्तो के साथ वहीं खड़ा था. जब हम उसके पास से गुज़रे तो मैने जान बुझ कर अपनी एक टाँग उठाकर दूसरी के उपर रख ली ताकि अपने टाइट पाजामी में क़ैद गोरी जाँघ आकाश को दिखाकर उसे जला सकूँ.
mini

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update aaya thanks,thoda aur bda kro na.bda hi achha lagta h
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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त

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mini wrote:update aaya thanks,thoda aur bda kro na.bda hi achha lagta h

हाँ रोहित भाई मिनी जी को तो बड़ा पसंद है . यार बड़ा है तो दे दिया करो ना हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा :lol: :lol: :lol: :lol: :lol: :lol: :lol: :lol:
(¨`·.·´¨) Always
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`·.¸.·´ -- Raj sharma
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