सियासत और साजिश complete

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rajaarkey
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Re: सियासत और साजिश

Post by rajaarkey »

बहुत ही गजब की कहानी है दोस्त
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
mini

Re: सियासत और साजिश

Post by mini »

bahut achhi...erotic story//////pls continew
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mastram
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Re: सियासत और साजिश

Post by mastram »



टीना भी 2 महीने पहले अपने पति और ननद के साथ देल्ही मे कुछ दिनो पहले सेट हुई थी. सुबह का वक़्त था, आज साहिल का कॉलेज का पहला दिन था….आज वो बीएससी 1स्ट एअर के पहले दिन कॉलेज जाने वाला था…..कॉलेज का पहला दिन हर किसी के लिए बहुत खुशियों भरा होता है. पर साहिल के अतीत ने उसके जिंदगी पर ऐसे असर क्या था, कि वो तो जीना ही भूल गया था……बाहर जय शर्मा और उसकी पत्नी वीना सुबह-2 उठ चुके थे…..जय शर्मा अब एक स्कूल मे प्रिन्सिपल का जॉब कर रहा था…..

ज़य शर्मा: अर्रे वीना सुनो साहिल को उठा दो….आज उसका कॉलेज का पहला दिन है.

वीना: जी मैं अभी उठा देती हूँ..

वीना साहिल के रूम मे गयी….साहिल अभी भी सो रहा था…..भगवान ने उसे बहुत खूबसूरत बनाया था…..जो भी उसे देखता, उसी मे खो जाता….गोरा रंग कसरती बदन भूरे रंग के आँखे और सुनहरी बाल…..वीना ने जब साहिल को सोते हुए देखा, तो वो उसके पास जाकर बेड पर बैठ गयी…..और एक टक उसके रूहानी चहरे को देखने लगी….फिर उसने साहिल के माथे पर आए हुए बालों का अपने हाथों से सहलाते हुए, पीछे किया, और साहिल को आवाज़ दी.

वीना: बेटा उठो…..आज कलाज का पहला दिन है…..देर हो जाएगी….

जब साहिल नींद से बाहर आया, तो उसे अपने बालों मे नरम और ममता भरी उंगलियाँ महसूस हुई, वो उठ कर बैठ गया, और वीना की ओर देखने लगा….वीना ने उसके बालों को एक बार फिर से उसके माथे से पीछे किया, वीना के ममता भरे स्पर्श को पाकर साहिल की आँखे भर आई…..

वीना: अर्रे क्या हुआ, क्यों रो रहा है, पागल आज तेरे कॉलेज का पहला दिन है.

साहिल: (वीना की और देखते हुए) माँ मे कितना ख़ुसनसीब हूँ….जो मुझ आप जैसे माँ और बाबा जी मिले, वरना माँ के बाद तो, मे तो अनाथ हो गया था.

वीना: चल पागल ऐसी बात नही करते….हम नही है क्या….चल जल्दी से उठ कर तैयार हो जा. मैं नाश्ता लगाती हू,….जल्दी से नीचे आ जा….वीना उठ कर नीचे आ गयी…

ज़य शर्मा: हां उठ गया साहिल.

वीना: जी उठ गया…पर वो आज भी वैसे ही उदास है…..मुझ समझ मे नही आता…उसकी ये उदासी कब दूर होगी…हर वक़्त दुनियाँ से अलग रहता है, ना किसी से मिलना जुलना, ना कोई दोस्त और ना ही कोई एक्सट्रा आक्टिविटी…..कभी-2 तो डर लगता है कि, कहीं वो यूँ ही उदासी मे हमेशा- 2 के लिए ना डूब जाए….

ज़य शर्मा: ह्म्म तुम साहिल कह रही हो….पर जो उसके साथ हुआ, और जो उसने देखा, उसे भूल जाना भी तो आसान नही होगा उसके लिए….और भूल भी कैसे सकता है, आख़िर उसने अपनी माँ खोई है….जिस उम्र मे बच्चों के खेलने के दिन होते हैं….उस उम्र उसने वो देख लिया, जिसे देख कर बड़े बड़ों के हॉंसले पस्त हो जाए…..वो तो फिर अभी बच्चा है…..धीरे-2 सब ठीक हो जाएगा…..

तभी साहिल भी नीचे आ गया….तीनो ने साथ बैठ कर नाश्ता किया….नाश्ता करते वक़्त जय शर्मा उसे कॉलेज की लाइफ के बारे मे समझा रहा था….तीनो ने नाश्ता ख़तम किया, और जे शर्मा और साहिल बाहर आ गये….

ज़य शर्मा: चलो साहिल मे तुम्हे कलाज छोड़ देता हूँ….

साहिल: नही बाबा मे चला जाउन्गा….

ज़य शर्मा: अर्रे तेरा कॉलेज मेरे स्कूल के रास्ते मे ही है ना….चल बैठ …

और साहिल जय शर्मा के साथ कार मे बैठ गया….जब साहिल का कॉलेज आया, तो जय शर्मा ने कार रोकी, और साहिल ने जय शर्मा के पावं छुए, और कॉलेज मे चला गया…साहिल के जाने के बाद जय शर्मा प्रार्थना करने लगा कि, साहिल की जिंदगी को भगवान खुशियों से भर दे….अब उसने बहुत दुख देख लिए हैं…..

साहिल कलाज के कॅंपस मे आगे बढ़ रहा था, तभी उसे पीछे से आवाज़ आई, कोई उसे बुला रहा था….ये आवाज़ जानी पहचानी लग रही थी….जब साहिल ने मूड कर देखा, तो टीना खड़ी थी….सुमन की छोटी बेहन…साहिल टीना के पास जाने लगा…तब उसने देखा की टीना के साथ एक लड़की खड़ी थी…जो शायद **-18 साल की थी….

साहिल: नमस्ते मासी जी….आप यहाँ कैसे…

टीना: नमस्ते ये मेरी ननद है. आज इसका कॉलेज का पहला दिन था..इसीलिए साथ आई थी… पायल ये मेरी बेहन की ननद का बेटा है, साहिल…साहिल और ये पायल…चलो अच्छा हुआ..तुम दोनो एक ही कॉलेज मे हो, एक दूसरे के हैल्प करना हाँ….

पायल: हाई साहिल.( ये कह कर उसने साहिल की तरफ अपना हाथ बढ़ाया)


साहिल ने अपने रिज़र्व नेचर के अनुसार शरमाते हुए, अपना हाथ पायल की तरफ बढ़ाया. और जैसे ही पायल ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर साहिल के हाथ को छुआ, तो साहिल ने अपने नज़रें नीचे कर ली…..

साहिल: हेलो पायल.

पायल: कॉन सी क्लास मे हो ?

साहिल: जी बीएससी 1स्ट एअर मे.

पायल: ओह्ह फिर तो हम एक ही क्लास मे हैं. चलो क्लास मे चलते हैं.

साहिल: जी चलिए.

पायल और साहिल दोनो क्लास मे चले गये. दूसरी और घर पर वीना घर के काम निपटा कर बैठी ही थी, कि बाहर डोर बेल बजी. जब वीना ने उठ कर गेट खोला तो, बाहर सुमन खड़ी थी. सुमन को देखते है उसकी आँखों से ख़ुसी झलक उठी. और उसने आगे बढ़ कर अपनी बेटी को गले से लगा लिया.

वीना: कैसे हो बेटी. आज कितने सालों के बाद तुम्हे देख रही हूँ. आओ अंदर चलो.

वीना सुमन को साथ लेकर अंदर आ गयी, और उसे सोफे पर बैठा दिया. और किचिन मे कोल्ड्रींक लाने चली गयी. जब वो वापिस आई तो वो सुमन के पास बैठ गयी.

सुमन: माँ पापा कैसे हैं?

वीना: वो ठीक हैं. तू सुना तुम कैसी हो ?

सुमन: मे भी ठीक हूँ माँ. (सुमन की आँखों और बातों से उसकी दुखी पन सॉफ झलक रहा था. और वो अपने आँसुओं को रोक ना पायी)

वीना: (सुमन को अपनी बाहों मे भरते हुए) ना बेटा रो मत. जब भी हम तुम्हे दुखी देखते हैं. तो हमारा दिल छलनी हो जाता है. तुम्हे भी हमारी याद नही आती.

सुमन: (अपने आँसुओं को पोन्छते हुए) तुम तो जानती हो माँ. मे अकेले नही आ सकती बार-2, और राज का यहाँ आना ठीक नही है. बड़ी मुस्किल से राज को मनाया है. तब जाकर उसने यहाँ आने दिया. अच्छा साहिल कैसा है. कहाँ है वो ?

वीना: वो भी ठीक है. अभी कॉलेज गया है .

सुमन: 5 साल हो गये उसे और आप सब को देखे हुए.

वीना: अर्रे तू दिल छोटा ना कर भगवान सब ठीक कर देगा. एक बार साहिल की पढ़ाई पूरी हो जाए, फिर उसे भी अमित के पास उस भेज देंगे. उस जल्लाद की पहुँच से बहुत दूर.

सुमन: नही माँ. उसने यही रहना होगा.

वीना: पर क्यों.?

सुमन: जब वक़्त आएगा तो पता चल जाएगा माँ. अच्छा ये बताओ साहिल अब दिखने मे कैसा लगता है ?

वीना: देख लेना दोपहर को घर पर आएगा ही.
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mastram
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Re: सियासत और साजिश

Post by mastram »


दूसरी तरफ कॉलेज मे पायल और साहिल क्लास मे बैठे हुए थे. साहिल का ध्यान तो पढ़ाई मे था, पर पायल वो तो बस साहिल की ओर कनखियों से देखे जा रही थी. आज इस *** साल की कच्ची कली का दिल पर साहिल आ गया था. वो तो उसे देखते ही दिल दे बैठी थी.

जैसे तैसे कॉलेज ख़तम हुआ, साहिल जैसे ही क्लास से निकल कर बाहर आया, तो पायल उसके पीछे से भागती हुई उसके पास आई.

पायल: साहिल रूको साहिल

साहिल ने पीछे मूड कर पायल की तरफ देखा, पायल उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी.

साहिल: जी.

पायल: कहाँ जा रहे हो?

साहिल: जी घर जा रहा हूँ. कुछ काम था क्या?

पायल: नही कुछ खास नही. मे सोच रही थी, कि अगर हम दोनो थोड़ी देर कहीं घूमने चलते तो.

साहिल: नही पायल जी. आज नही. फिर कभी. घर पर माँ फिकर करेगी.

पायल: ओके नो प्राब्लम. तो कल मिलते हैं. ?

साहिल: जी ठीक है.

और साहिल कॉलेज से निकल कर घर की तरफ चल पड़ा. घर पर सुमन साहिल का इंतजार कर रही थी. उसने खाना भी नही खाया था.

वीना: बेटा खाना खा ले, जब से आई है कुछ नही खाया.

सुमन: माँ साहिल को आ जाने दो. फिर साथ मे खाना खाते हैं.

वीना: अच्छा जैसी तेरी मर्ज़ी.

तभी बाहर डोर बेल बजी.

वीना: लगता है साहिल आ गया. मे गेट खोलती हूँ.

थोड़ी देर बाद वीना के पीछे-2 साहिल अंदर आ गया.

वीना: ये लो आ गया तुम्हारा साहिल.

सुमन को देख कर साहिल के होंठो पर हल्की सी मुस्कान फैल गयी. उसने आगे बढ़ कर सुमन के पावं छुए. सुमन सोफे से खड़ी हो गयी, और साहिल के कंधों से पकड़ कर उसे देखने लगी. ऊपेर से नीचे तक. **** साल की उम्र का होने के बावजूद भी साहिल का बदन किसी भी तरहा राज से कम नही लग रहा था. वैसी ही चौड़ी छाती. हालाँकि कम उम्र होने के कारण उसकी हाइट राज जितनी नही थी. पर अगर जो भी साहिल के कसरती बदन को देखता तो एक बार उसके हाथ पावं फूल जाते.

साहिल: ऐसे क्या देख रही हैं मम्मी जी.

सुमन: कुछ नही बस देख रही थी, कि अब तुम कितने बड़े हो गये हो.

अब वक़्त नज़दीक आ गया है, अब तुम्हे तुम्हारा हक़ और इंसाफ़ मिलने मे देर नही है.

साहिल सुमन की बातों को अच्छे से समझ रहा था. पर सुमन ये नही जानती थी, कि इस ताकतवर जिस्म के पीछे एक बच्चा है, जो आज भी डर कर रातों को उठ कर जाग जाता है, किसी को मारना तो दूर, वो लड़ाई का नाम सुनते ही घबरा जाता है. साहिल सुमन की बात पर कुछ नही बोला.

वीना: जाओ बेटा चेंज कर लो, और फ्रेश हो जाओ. फिर साथ मे खाना खाते है. तुम्हारी मम्मी कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी.

साहिल: जी माँ.

साहिल ऊपेर अपने रूम मे चला गया, और फ्रेश होने के लिए अपने बाथरूम मे घुस गया. नीचे वीना सोच मे डूबी हुई थी. उसे समझ मे नही आ रहा था. कि आख़िर सुमन के मन मे क्या है. बड़ी मुस्किल से उन्होने साहिल को राज के चंगुल से बचा कर उसकी नज़रों से दूर रखा था. पर अब सुमन की बातों से आने वाले ख़तरे का अहसास हो रहा था. कहीं सुमन तो अपने निहत स्वार्थ के लिए साहिल का इस्तेमाल तो नही करेगी. नही -2 ये नही हो सकता. वो मेरी बेटी है, उसके अंदर मेरे संस्कार है. वो ऐसा सोच भी नही सकती.

अगर उसके मन मे कुछ ऐसा भी है. मैं ऐसा कुछ भी नही होने दूँगी. मैं साहिल को वापिस उस नरक मे कभी नही जाने दूँगी. भले ही मैने साहिल को नही जनमा. पर उसे अपने बेटे की तरह पाला है. चाहे कुछ भी होज़ाये. मैं उसे अमित के पास भेज दूँगी. यहाँ से बहुत दूर.

वीना को सोच मे डूबा देख, सुमन से रहा नही गया. वो उठ कर वीना के पास आई, और उसके पास बैठते हुए, उसके कंधे से पकड़ कर हिलाया.

सुमन: क्या हुआ माँ ? क्या सोच रही हो ?

वीना: (थोड़ी देर सोचने के बाद. घबराए हुए मन के साथ) ये तू थोड़ी देर पहले क्या कह रही थी? साहिल से. हक़ कैसा हक़. हमे कुछ नही चाहिए. अब मैं साहिल को उस दलदल मे वापिस नही जाने दूँगी.

सुमन: क्यों माँ. क्या हम चुप करके बैठ जाए. जो उसने किया वो सब भूल जाए. उसने एक नही नज़ाने कितनी जिंदगी बर्बाद की है. उस शैतान को उसके अंज़ाम तक पहुँचाने का वक़्त आ गया है. और मुझे इस काम के लिए साहिल की मदद चाहिए होगी.

वीना: नही सुमन ये ठीक नही है, अर्रे साहिल तो अभी बच्चा है, उसने अभी तो ठीक से दुनियाँ भी नही देखी, फिर वो उस शैतान के साथ कैसे टक्कर ले सकता है, अर्रे किसी से लड़ना तो दूर, वो लड़ाई का शोर सुन कर ही घबरा जाता है. बड़ी मुश्किलो से हमने उसे पाला है. तुम तो यहाँ नही थी. उसके पास, मैने देखा है, जब वो रातों को अक्सर डर कर उठ जाता था. चीखने लग जाता था. सारी-2 रात उसके पास बैठ कर काटी है मैने. अपने सीने से लगा कर उसे हॉंसला देने की कॉसिश की है. उसके वो डर के मारें काँपते हाथ पावं मैने महसूस किए है. उसकी आँखों मे छुपा हुआ खोफ़ मैने देखा है सुमन . वो बड़ी मुस्किल से इन सब बातों को भूल पाया है.

सुमन: पर माँ.

वीना: (बीच मे सुमन को टोकते हुए) पर क्या सुमन. तुम क्या सोचाती हो. तुम राज से लड़ सकती हो? नही सुमन. राज से लड़ कर तुम अपनी और साहिल की जिंदगी को ख़तरे मे ही डालॉगी.

तभी अचानक वीना बोलते -2 चुप हो गयी. और एक तरफ देखने लगी. जब सुमन की आँखों ने अपनी माँ की नज़रों का पीछा किया तो, उसने देखा सामने साहिल खड़ा उनकी बातें सुन रहा था. उसके पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था. वीना साहिल की हालत समझ कर जैसे ही उसकी तरफ जाने लगी. साहिल वापिस अपने रूम मे चला गया. वीना उसे पीछे से पुकारती रही. पर साहिल ने उसकी कोई बात नही सुनी. और अपने रूम मे जाते ही, उसने अपना रूम अंदर से बंद कर लिया.

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