सियासत और साजिश complete

Post Reply
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: सियासत और साजिश

Post by mastram »


ललिता हैरान होकर आनी की बातें सुन रही थी तब तक राज उन्दोनो लड़कों के पास पहुँच गया था एक दम सन्नाटा सा छा गया जैसे जंगल मे शेर के बाहर निकल आने पर सब चूहे अपने बिलों मे घुस्स गये हों ललिता और आनी ने उनकी तरफ देखा दोनो लड़के राज के सामने सहमे से खड़े थी आस पास खड़े स्टूडेंट अपना सर झुका कर खड़े थे राज की आँखों मे मानो जैसे खून उतर आया हो दोनो लड़कों की बोलती राज को देख कर बंद हो गयी थी और वो लड़की भी सहमी सी अपनी एक बैसाखी के सहारे खड़ी थी उसकी एक बैसाखी नीचे गिरी हुई थी

राज ने झुक कर गिरी हुई बैसाखी को उठाया और उस लड़की के हाथों मे दे दी और उन्दोनो लड़कों की तरफ घूरते हुए देख कर बोला

राज : क्या हो रहा था ये (कोई जवाब नही मिला एक बार फिर राज ने दहाड़ती हुई आवाज़ मे पूछा ) क्या कर रहे थे तुम

लड़का; जी वो रेग्गिन्ग

और पटाक की आवाज़ यूँ पूरे कॅंपस मे गूँज गयी राज ने एक जोरदार झापड़ लड़के के गाल पर लगा दिया लड़का अपने हाथ से अपने गाल पर सहलाते हुए सॉरी राज भाई

राज : चलो दफ़ा हो जाओ यहाँ से और तुम लोग क्या तमाशा देख रहे हो चलो सब यहाँ से निकलो (और सब लोग हड़बड़ी मे इधर उधर होने लगे )

राज (लड़की के गिरे हुए बॅग को उठाया) चलो मैं आप को आपकी क्लास मे छोड़ देता हूँ

और राज और वो लड़की दोनो क्लास के तरफ चल पड़े ललिता वहाँ खड़ी राज को एक टक देखती रह गयी उसकी नज़र राज से हट नही रही थी उसकी नज़र राज का पीछे कर रही थी आज राज की शख्शियत ने ललिता के दिल पर पहली दस्तक दी थी ललिता अपने गुलाबी होंटो पर मुस्कान लिए राज को जाता हुआ देख रही थी

आनी: क्या हुआ कहाँ खो गयी अब क्लास मे छोड़ कर आएगी क्या कहीं पसंद तो नही आ गया बोल बात करूँ (हंसते हुए )

ललिता: क्या बोल रही है मारूँगी हां (वैसे ये है कॉन सब लोग इससे डरते क्यों है)
आनी: उंह सीधा-2 बोल ना तू उसके बारें मे जानना चाहती है

ललिता: तू बताती है कि नही या मैं फिर जाओं यहाँ से

आनी: अच्छा-2 बताती हूँ ये है राज फाइनल एअर मे है और बहुत ही अच्छा लड़का हैं और जानती है सब लड़के इससे डरतें है और ये बेचारा लड़कियों से डरता हैं

ललिता: राज हां बड़ा हेवी नाम है

जब सभी क्लासस ख़तम हो गये तो राज बाहर पार्क मे अकेला खड़ा लकी का इंतजार कर रहा था ललिता आनी के साथ क्लास से बाहर निकल कर घर जा रही थी तभी उसकी नज़र राज पर पड़ी

ललिता: सुन आनी चल ना थोड़ी देर पार्क मे चलते हैं

आनी: चल यार वैसे भी अभी से हॉस्टिल जाकर भी करूँगी क्या

और दोनो पार्क की तरफ जाने लगी ललिता का ध्यान राज की तरफ था जो आनी सॉफ देख पा रही थी और मुस्कुरा रही थी पर उसने ललिता को जाहिर नही होने दिया दोनो पार्क मे आकर खड़ी हो गयी दोनो राज के सामने थोड़ी दूरी पर खड़ी थी ललिता ने अपने बालों को जल्दी से हाथ से सँवारा और राज की तरफ देखने लगी पर राज अपनी मस्ती मे खड़ा लकी का इंतजार कर रहा था

दूसरी तरफ लकी स्टाफ रूम मे चला गया और वहाँ गुरमीत को देख कर उसकी जान मे जान आई जब गुरमीत ने लकी को स्टाफ रूम के डोर पर खड़ा देख तो उसने जल्दी से अपने पर्स उठाया और बाहर आ गयी

गुरमीत: यहाँ क्या कर रहे हो ऐसे पागलों की तरह पीछा ना करो सब को शक हो जाएगा वैसे तुम यहाँ किस लिए आए हो

लकी: वो मे ये पूछने आया था क़ी आज आप मुझसे मिल सकती हैं

गुरमीत: (मुस्कुराते हुए) क्यों कल ही तो मिले थी इतनी भी बेसब्री क्यों

लकी:आप कल की बात कर रही हैं मुझ तो ऐसा लग रहा है जैसे मैने आप को बहुत टाइम के बाद देखा हो मैं तो अब आपको देखे बगैर एक पल भी नही रह सकता मे आप से मिलने शाम को घर आऊ

गुरमीत: नही-2 घर पर माँ होती है वो क्या सोचेगी कि तुम रोज रोज क्यों आने लगे हो

लकी: तो फिर कहीं बाहर मिलें

गुरमीत: नही ये भी पॉज़िबल नही है अगर बाहर किसी ने देख लिया तो शक नही लोगो को पक्का पता चल जाएगा

लकी: तो फिर आप ही बताएँ मैं क्या करूँ

गुरमीत: (लकी के भोलेपन पर फिदा हो गयी) गुरमीत अच्छा -2 उदास मत हो मेरे घर का फोन नंबर नोट करो और मुझे 3 बजे कॉल करना मैं कुछ सोचती हूँ

लकी: (लकी ने नंबर अपनी नोट बुक मे नोट कर लिया ) ठीक हैं मे आपको कॉल करूँगा

और लकी तेज़ी से चलता हूँ पार्क की तरफ़ जाने लगा उसे पता था कि राज इस वक़्त वहीं खड़ा हो गा दूसरी तरफ राज की नज़र अब तक ललिता पर नही पड़ी थी तभी उसने लकी को ढूँढने के लिए चारो तरफ नज़र दौड़ाई और उसकी नज़र ललिता पर पड़ गयी ललिता उसी की तरफ देख रही थी दोनो की नज़रें आपसे मे मिली ललिता ने एक हल्की सी स्माइल पास कर दी पर राज ने अपने नज़रें घुमा ली और अपने पीछे की तरफ देखने लगा पर पीछे कोई नही खड़ा था तब राज को अहसास हुआ कि ललिता की वो स्माइल उसके लिए ही थी पर राज अपने शर्मीले बिहेवियर के कारण ललिता से नज़रे नही मिला पा रहा था बहुत हिम्मत जुटाने के बाद राज ने एक बार फिर ललिता की तरफ देखा पर इस बार ललिता आनी से बात कर रही थी राज उसकी तरफ एक टक देख रहा था जैसे ही ललिता ने बोलना बंद किया और उसने एक बार फिर से राज की तरफ देखा दोनो की नज़रें फिर से मिली और ललिता राज को यूँ अपनी तरफ देखता देख शरमा गयी और एक बार फिर स्माइल पास की इस बार राज के होंटो पर भी मुस्कान आ गयी और राज को स्माइल करते देख ललिता एक दम शरमा गये शरम के मारे उसके गाल लाल सुर्ख हो गये और उसने शरमा कर नज़रें झुका ली आनी जो सब देख रही थी वो भी दूसरी तरफ़ देख मुस्कुराने लगी इतने मे लकी तेज़ी से भागता हुआ राज के पास आया और उसके कंधें पर हाथ रखा
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: सियासत और साजिश

Post by mastram »


लकी: सॉरी यार लेट हो गया चल चलते हैं

लकी का ध्यान ललिता पर नही पड़ा और राज और लकी दोनो फ्लॅट की तरफ निकल पड़े फ्लॅट मे पहुँच कर दोनो ने फ्रेश होकर अपने कपड़े चेंज कर लिए



राज : हां भाई खाने का क्या प्रोग्राम हैं

लकी: यार बनाने का मूड तो बिल्कुल नही मे ढाबे से जाकर खाना ले आता हूँ बोल क्या खाएगा

राज ; यार कुछ भी ले आ बस थोड़ा जल्दी करना

लकी: बस मे यूँ गया और यूँ आया

और ये कह कर लकी फ्लॅट से निकल कर मार्केट की तरफ जाने लगा मार्केट ज़्यादा दूर नही थी मार्केट मे पहुँच कर उसने एक ढाबे पर खाना ऑर्डर कर पॅक करने को कहा और पैसे दे कर बोला आप खाना पॅक कर के रखो मैं अभी एक फोन करके आता हूँ और लकी पास के ही एक पीसीओ बूथ पर चला गया वैसे तो फ्लॅट मे भी फोन था पर लकी राज के सामने फोन नही करना चाहता था इसीलिए उसने बाहर से फोन किया फोन गुरमीत ने ही उठाया

गुरमीत: हेलो कॉन

लकी ; मे लकी बोल रहा हूँ कैसी हो आप

गुरमीत; क्यों मुझे क्या होगा सुबह तो मिली थी तब भी ठीक थी अब भी मज़े मे हूँ तुम बताओ तुम कैसे हो
लकी: मेडम आप तो ठीक हैं पर ये बंदा बेहाल है इस बंदे का इलाज करो वरना ये बंदा कल का सूऱज देखे गा या नही मे नही जानता

गुरमीत: धत कैसे पागलों जैसी बातें करते हूँ आइन्दा ऐसे बात कभी ना करना ऐसी बात कह कर मुझ तुम हर्ट कर रहे हो

लकी: तो फिर आप ही बताओ आज आप मुझसे मिल रहे हो या नही

गुरमीत: ओके अब टाइम कितना हुआ है 2 बजे हैं माँ 3 से 6 बजे तक किसी फंक्षन मे जा रही है तुम 3:30 पर घर आ जाना

लकी: ओह्ह मेरी जान तुमने अपने दीवाने की फर्याद सुन ली अच्छा मैं फोन रखता हूँ मैं शार्प 3:30 पर आपके यहाँ पहुँच जाउन्गा ओके बाइ लव यू

गुरमीत ; बाइ लव यू टू

और लकी तेज़ी से पैसे दे कर ढाबे वाला से खाना लेकर फ्लॅट की तरफ चल पढ़ा फ्लॅट पहुँच कर उसने जल्दी से खाना टेबल पर लगाया और दोनो खाना खाने बैठ गये

लकी; यार राज मुझे कुछ ज़रूरी काम है मैं थोड़ी देर मे यहाँ से निकलुन्गा और शाम को 6 बजे तक आउन्गा

राज : मैं देख रहा हूँ आज कल तू कुछ ज़्यादा ही गायब रहने लगा है आख़िर माजरा क्या है

लकी: कुछ नही बस ऐसे ही यार तू क्यों परेशान हो रहा है चल खाना खा

खाने के बाद लकी जल्दी से तैयार हो कर फ्लॅट से निकल आया और अपनी घड़ी मे टाइम देखने लगा 3:15 हो रहे थे लकी तेज़ी से गुरमीत के घर की तरफ जाने वाले रास्ते पर चल पड़ा

खाने के बाद लकी जल्दी से तैयार हो कर फ्लॅट से निकल आया और अपनी घड़ी मे टाइम देखने लगा 3:15 हो रहे थे लकी तेज़ी से गुरमीत के घर की तरफ जाने वाले रास्ते पर चल पड़ा कुछ ही देर मे जब वो जिस गली मे गुरमीत का घर था वहाँ पहुँचा उसे गुरमीत की माँ नज़र आई उसके साथ दो औरतें और थी गुरमीत जल्दी से एक साइड मे हो गया ताकि गुरमीत की माँ उसे देख ना ले जैसे ही गुरमीत की माँ और दोनो औरतें गली से निकल कर रोड पर पहुँच कर ऑटो रिक्क्षा मे बैठी लकी का दिल ख़ुसी मे कुलाँचे मारने लगा लकी जल्दी गुरमीत के घर की तरफ चल पड़ा घर के बाहर पहुँच कर उसने डोर बेल बजाई गुरमीत ने गेट खोला और जल्दी से अंदर आने को कहा गर्मियों के दिन थे गुरमीत का घर एक पॉश इलाक़े मे था यहाँ के लोग इतनी धूप मे बहुत ही कम निकलते थे लकी के अंदर आते ही गुरमीत ने गेट लॉक किया और दोनो अंदर आ गये

गुरमीत: वैसे तो यहाँ के लोग इस समय कम ही बाहर निकलते हैं पर पता नही होता कि कोई देख ना ले वैसे तुम्हारी आने की टाइमिंग बहुत अच्छी है माँ अभी-2 बाहर गयी है
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: सियासत और साजिश

Post by mastram »


लकी एक बार फिर से थोड़ा नर्वस फील कर रहा था गुरमीत भी ये फील कर सकती थी गुरमीत ने आज वाइट ब्लू कलर का टॉप और साथ मे मॅचिंग स्कर्ट पहना हुआ था गुरमीत ने आज हल्का सा मेकप भी कर रखा था आज पहली बार गुरमीत के होंटो पर लिपस्टिक लगी हुई थी लकी ने आज पहली बार गुरमीत को लिपस्टिक लगाए हुए देखा था हल्के गुलाबी रंग की लिपस्टिक गुरमीत को और सुंदर और आकर्षक बना रही थी लकी की नज़र गुरमीत से हट नही रही थी गुरमीत की स्कर्ट मुस्किल से उसके घुटनों तक पहुँच रही थी लकी का हाल बुरा हो चुका था गुरमीत भी लकी को यूँ अपनी जवानी देखता देख शरमा गयी उसने लकी को सोफे पर बैठने को कहा और किचन मे चली गयी सीलिंग फॅन के नीचे भी लकी के पसीने छूट रहे थे गुरमीत का भी ये सोच कर बुरा हाल हो रहा था अगर आज लकी ने कुछ किया तो शायद वो अपने आप को रोक ना पाए ये सोच कर ही गुरमीत के हाथ पैर फूलने लगी थी गुरमीत ने फ्रेश ऑरेंज जूस लेकर बाहर लकी के पास आ गयी और लकी को जूस देते हुए बोली आज कुछ ज़्यादा ही गरमी है चलो ऊपेर चलते हैं मेरे रूम मे एसी चल रहा है लकी ग्लास को हाथ मे थामें गुरमीत के पीछे-2 ऊपेर आ गया गुरमीत का बेडरूम बहुत अच्छा था काफ़ी खुला जिसमे एक डबल बेड और एक सोफा सेट भी लगा हुआ था और रूम के एक कोने मे स्टडी टेबल लगा हुआ था एसी जो काफ़ी देर से चल रहा था उसके कारण रूम का टेंपरेचर बहुत कम लग रहा था ऊपेर आकर दोनो ने राहत के साँस ली लकी सोफे पर बैठ गया

गुरमीत: आज क्या हुआ बड़े चुप चाप हो

लकी: (ग्लास को टेबल पर रखते हुए) आज आपका हुश्न देख कर मेरे शब्द ख़तम हो गये आज आप किसी अप्सरा से कम नही लग रही हैं

गुरमीत शरमा गयी उसके गाल एक दम लाल सुर्ख हो गये गुरमीत बेड से उठ कर लकी के पास आकर सोफे पर बैठ गयी और लकी के बालों को अपने हाथ की उंगलियों से सँवारते हुए उसकी आँखों मे झाँकने लगी गुरमीत के बदन से आती भीनी भीनी खुसबू लकी को और पागल बनाए जा रही थी लकी ने अपना एक हाथ गुरमीत की कमर मे डाल लाया और उसे अपनी तरफ खींचा

गुरमीत: छोड़ो क्या कर रहे हो मैने तुमसे कहा था ना शादी से पहले कुछ नही करने दूँगी

लकी: मैं कहाँ कुछ ग़लत करने जा रहा हूँ बस अपने ख्वाबों की मालिका को अपनी बाहों मे भरना चाहता हूँ क्या मुझे इसकी भी इजाज़त नही है

गुरमीत: लकी तुम बड़े चालू हो तुमसे कोई जीत नही सकता

लकी : (लकी सोफे से खड़ा हुआ और गुरमीत के हाथ को पकड़ कर उसे भी खड़ा कर दिया) लेकिन मे अपनी मालिका से हार गया

गुरमीत ने शरमा कर नज़रे झुका ली लकी ने अपनी बाँहे गुरमीत की कमर मे डाल कर उसे अपने से सटा लिया गुरमीत के हाथ लकी की चेस्ट पर थे लकी की गरम साँसों को अपने फेस और होंटो पर महसूस करके गुरमीत के बदन मे सरसराहट होने लगी और ना चाहते हुए भी गुरमीत अपना आपा खोने लगी गुरमीत लकी की बाहों मे पिघलने लगी और जब उसे बर्दास्त करना मुस्किल हो गया वो लकी से एक दम चिपक गयी और लकी ने अपने होंटो को गुरमीत के होंटो पर रख दिया गुरमीत ने अपने होंटो को पीछे किया उसकी साँसे एक दम तेज़ी से चल रही थी

गुरमीत: नही लकी प्लीज़ नही

लकी: पक्का नही (और लकी फिर से गुरमीत के होंटो की तरफ अपने होंटो को ले जाने लगा)

गुरमीत इस कदर गरम हो चुकी थी कि वो ना बोलते हुए भी लकी को रोक नही पा रही थी बल्कि उसने अपने थरथरा रहे होंटो को हल्का सा खोल कर आँखें बंद कर ली और लकी ने एक बार फिर गुरमीत के होंटो को अपने होंटो मे ले लिया गुरमीत लकी की बाहों मे कसमसा गयी उसने अपनी बाहों को लकी गले मे डाल दिया और लकी के सर मे पीछे से अपनी उंगलियों को उसके बालों मे घुमाने लगी लकी अब बिना किसी विरोध के गुरमीत के होंटो का रस पान कर रहा था गुरमीत ने भी अपने होंटो को ढीला छोड़ दिया ताकि वो अपने होंटो को लकी के होंटो से चुस्वा कर पूरा मज़ा ले सकें लकी के हाथ गुरमीत की कमर से सरकते हुए ऊपर की तरफ आने लगे गुरमीत मस्ती मे डूब चुकी थी लकी अब ज़ोर ज़ोर से गुरमीत के होंटो को चूस रहा था अपनी जीभ को गुरमीत की जीभ से रगड़ रहा था ये गुरमीत के लिए बिल्कुल नया अनुभव था स्कर्ट और नाइलॉन की पैंटी के नीचे उसकी प्यासी चूत पानी छोड़ने लगी थी जिसके कारण उसकी पैंटी नम हो चुकी थी अब तक लकी के हाथ गुरमीत की कमर के दोनो तरफ से ऊपेर होकर उसके 38 साइज़ के बूब्स तक पहुँच चुके थे और साइड से टच हो रहे थे अपने बूब्स पर लकी के हाथों को महसूस करके उसके बदन मे बिजली से दौड़ गयी उसका बदन ने ऐसे झटका खाया जैसे उसने नंगी तारों को पकड़ लिया हो उसने एक दम से अपने होंटो को हटा लिया उसकी आँखें बहुत मुस्किल से खुली साँसें एक दम तेज़ी से चल रही थी गाल और कान कामुकता वासना और शरम के कारण एक दम लाल हो चुके थे लकी एक दम से घबरा गया और थोड़ा पीछे हट गया

लकी: सॉरी वो मैं (इससे पहले कि लकी कुछ बोलता गुरमीत ने लकी का हाथ पकड़ कर अपनी लेफ्ट चुचि पर रख दिया और अपने हाथ से लकी के हाथ को अपनी चुचि पर दबा दिया गुरमीत की आँखों मे वासना की लहरें हिलोरे ले रही थी उसने आहह की आवाज़ के साथ अपनी आँखें बंद कर ली)

गुरमीत: (काँपती हुई आवाज़ मे) ओह्ह लकी तुमने मुझ पागल कर दिया है मुझ नही पता मे सही कर रही हूँ या ग़लत तुम मुझे बीच मे छोड़ तो नही दोगे

लकी अपना हाथ गुरमीत की चुचि से हटा लेता है और बेड पर जाकर बैठ जाता है गुरमीत अपनी आँखों को खोल कर देखती है उसकी साँसे अभी भी तेज चल रही थी उसके 38 साइज़ के बूब्स सांस लेने से ऊपेर नीचे हो रहे थे

लकी: मुझ ये सुन कर बहुत दुख हुआ मैं आप से सच्चा प्यार करता हूँ पर लगता है आप को मुझ पर भरोसा नही मैं आप को कभी किसी बात के लिए फोर्स नही करूँगा पर जब आप ऐसी बात करती हैं मेरे दिल को चोट पहुँचती है

गुरमीत: आइ आम सॉरी लकी ओह्ह मुझ इतना प्यार ना करो मुझ पता नही क्यों लगता है कि मैं ग़लत कर रही हूँ कहीं आगे चल कर तुम्हें समाज के बंधनों का सामना ना करना पड़े और वो भी मेरी वजह से लकी मैं पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ
lalaora
Rookie
Posts: 140
Joined: 07 Nov 2014 14:55

Re: सियासत और साजिश

Post by lalaora »

Thanks pls keep continue
Post Reply