सियासत और साजिश complete

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lalaora
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Re: सियासत और साजिश

Post by lalaora »

Pls update
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mastram
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Re: सियासत और साजिश

Post by mastram »

superstar wrote:Mast story
007 wrote:kahaani ki shuruwwat hi bata rahi hai ki kahaani bahut hi achhi rahegi . dost shuru ho jaao
Jaunpur wrote:.
मित्र,
कहानी बढ़िया नहीं… बहुत बढ़िया है

.

Keep it up.
.
.
lalaora wrote:काफ़ी मज़ेदार लगरही है कृपया निरन्तरता बनाए रखे धन्य वाद
Rohit Kapoor wrote:मस्तराम भाई कहानी धमाकेदार है चालू रखिए
jay wrote:Dear Mastram thanks for new stori


plz continue,.....................
lalaora wrote:Pls update
दोस्तो आप सब के सहयोग के किए तहे दिल से धन्यवाद आप सब का रिस्पोन्स देख कर अच्छा लगा
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mastram
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Re: सियासत और साजिश

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गुरमीत: लगता है माँ आ गयी तुम बैठो मे आती हूँ

गुरमीत ने गेट खोला तो बाहर उसकी माँ रूपिंदर खड़ी थी

रूपिंदर: क्या हुआ इतनी देर क्यों लगा दी बाहर सच मे बहुत गरमी है

गुरमीत: माँ वो मेरा एक स्टूडेंट आया हुआ था उससे बात कर रही थी

और दोनो अंदर आ गये अंदर आते ही गुरमीत ने अपनी माँ से लकी को मिलवाया और लकी ने आगे बढ़ कर उनके पावं छुए कुछ देर बात करने के बाद गुरमीत की माँ अपने रूम मे चली गयी

लकी : अच्छा अब मे चलता हूँ अब फिर कब मिलोगी

गुरमीत : कल मिलेंगे ना क्लास मे नही आना क्या

लकी: नही मे यूनिवर्सिटी से बाहर मिलने की बात कर रहा हूँ अकेले मे

गुरमीत (मुस्कुराते हुए) कल देखते हैं

लकी अच्छा तो मे चलता हूँ बाइ बेब

गुरमीत: हे यू कॉल मी बेब मारूँगी हां

लकी: (हंसते हुए) क्यों अब भी मॅम ही कहना होगा

गुरमीत: हां अगर कोई आस पास हो (और गुरमीत के होंटो पर कातिल मुस्कान आ जाती है)



लकी घर से बाहर निकल आता है और अपने फ्लॅट की तरफ चल पड़ता है आज लकी का दिल खुशी मे झूम रहा था उसने मस्ती मे चलते हुए अपनी जेब मे हाथ डाला तो उसके पॉकेट मे चॉकलेट थी तभी उसे ध्यान आया कि वो गुरमीत को देना ही भूल गया फिर सोचने लगा यार ये तो कल भी दे दूँगा और मस्ती मे झूमते हुए वो कब फ्लॅट तक पहुँच गया उसे पता नही चला

वो कब फ्लॅट तक पहुँच गया उसे पता नही चला फ्लॅट के अंदर आते ही उसकी पहली नज़र राज पर पड़ी जो बेड पर लेटा हुआ कुछ सोच रहा था जैसे किसी के ख़यालों मे खोया हुआ हो आहट सुन कर एक दम चोंक जाता है

राज : अबे साले कहाँ चला गया था कुछ बता कर भी नही गया था

लकी: बस यार कुछ ज़रूरी काम था इसीलिए बिना बताए जल्दी मे चला गया तू बता यार किसके ख़यालों मे खोया हुआ था

राज :नही कुछ नही बस ऐसे ही लेटा हुआ था

लकी:यार मेरे साथ पिछले दो साल से रह रहा हूँ तेरी हर रग से वाकिफ़ हूँ तू मुझ बहला नही सकता यार तू मुझे भी नही बताएगा

राज : (कुछ देर सोचने के बाद) यार मुझे पता नही क्या हो गया है जब से उस लड़की को देखा है उसका ही चेहरा आँखों के सामने घूमता रहता है चाहे जितनी भी कोशिश कर लूँ पर उसका ख़याल दिमाग़ से नही निकाल पा रहा हूँ

लकी:ओह्ह मेरे शेर को प्यार हो गया है यार आज मे तेरे लिए बहुत खुस हूँ तू बस एक बार हुकम करके देख कुछ दिनो मे वो लड़की तेरी हो जाएगी

राज : अच्छा चल देखते हैं यार उस लड़की ने सच मे मुझे अपना दीवाना बना दिया है पर यार वो तो मेरी तरफ देखती ही नही

लकी: कोई बात नही देखे गी भी और बात भी करेगी

और दोनो शाम को तैयार हो कर फ्लॅट से निकल घूमने निकल पड़ते हैं

अगली सुबह दोनो जब यूनिवर्सिटी पहुँच ते हैं तो लकी गुरमीत को ढूँढने लाइब्ररी मे चला जाता है और राज अपनी क्लास मे जाने लगता हैं आज राज भी क्लास के लिए लेट हो जाता हैं वो घड़ी मे टाइम देखता है

राज : सिर्फ़ पाँच मिनिट बचे है ये लकी साला मुझ भी लेट करवाने लगा है

और राज तेज कदमों के साथ चलते हुए क्लास की तरफ जाने लगा राज को इतना भी मालूम नही था ललिता जिसे उसे ने अपना दीवाना बना लिया था अपनी एक फ्रेंड के साथ उसके पीछे आ रही थी शायद वो भी क्लास के लिए लेट हो गयी थी तभी अचानक राज को एक लड़की के चिल्लाने की आवाज़ आई राज एक दम से चोंक गया ललिता ने भी उस आवाज़ को सुना राज तेज कदमों से चलते हुए उस डाइरेक्षन की ओर बढ़ा आवाज़ कॅंपस की गॅलरी से आ रही थी तभी राज की नज़र एक लड़की पर पड़ी जिसे दो लड़कों ने घेर रखा था और उससे छेड़ छाड़ कर रहे थे वो लड़की 1स्ट एअर मे नयी-2 आई थी भगवान ने उसके साथ बहुत बुरा किया था इसीलिए वो लड़की बैसाखियों के सहारे खड़ी थी आस पास कई लड़के और लड़कियाँ खड़े देख रहे थे पर उनमे से कोई भी उन दोनो आवारा लड़कों को रोकने की हिम्मत नही कर रहा था ललिता ये देख एक दम गुस्से मे आ गयी और उस लड़की की तरफ जाने लगी पर उसकी फ्रेंड ने ललिता का हाथ पकड़ कर रोक लिया

आनी: कहाँ जा रही है

ललिता : तुम देख नही रही हो वो दोनो बदमाश उस बेचारी बेसहारा लड़की को कैसे तंग कर रहे है

आनी: देख रही हूँ पर उन गुण्डों के कॉन मुँह लगे तुम छोड़ो तुम नही जानती कितने छन्टे हुए बदमाश हैं देख नही रही कितने लोग खड़े तमाशा देख रहे हैं तू बीच मे जाएगी तो तेरे साथ भी उल जलूल हरकतें करेंगे जीना हराम कर देंगे इस यूनिवर्सिटी मे

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mastram
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Re: सियासत और साजिश

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ललिता हैरान होकर आनी की बातें सुन रही थी तब तक राज उन्दोनो लड़कों के पास पहुँच गया था एक दम सन्नाटा सा छा गया जैसे जंगल मे शेर के बाहर निकल आने पर सब चूहे अपने बिलों मे घुस्स गये हों ललिता और आनी ने उनकी तरफ देखा दोनो लड़के राज के सामने सहमे से खड़े थी आस पास खड़े स्टूडेंट अपना सर झुका कर खड़े थे राज की आँखों मे मानो जैसे खून उतर आया हो दोनो लड़कों की बोलती राज को देख कर बंद हो गयी थी और वो लड़की भी सहमी सी अपनी एक बैसाखी के सहारे खड़ी थी उसकी एक बैसाखी नीचे गिरी हुई थी

राज ने झुक कर गिरी हुई बैसाखी को उठाया और उस लड़की के हाथों मे दे दी और उन्दोनो लड़कों की तरफ घूरते हुए देख कर बोला

राज : क्या हो रहा था ये (कोई जवाब नही मिला एक बार फिर राज ने दहाड़ती हुई आवाज़ मे पूछा ) क्या कर रहे थे तुम

लड़का; जी वो रेग्गिन्ग

और पटाक की आवाज़ यूँ पूरे कॅंपस मे गूँज गयी राज ने एक जोरदार झापड़ लड़के के गाल पर लगा दिया लड़का अपने हाथ से अपने गाल पर सहलाते हुए सॉरी राज भाई

राज : चलो दफ़ा हो जाओ यहाँ से और तुम लोग क्या तमाशा देख रहे हो चलो सब यहाँ से निकलो (और सब लोग हड़बड़ी मे इधर उधर होने लगे )

राज (लड़की के गिरे हुए बॅग को उठाया) चलो मैं आप को आपकी क्लास मे छोड़ देता हूँ

और राज और वो लड़की दोनो क्लास के तरफ चल पड़े ललिता वहाँ खड़ी राज को एक टक देखती रह गयी उसकी नज़र राज से हट नही रही थी उसकी नज़र राज का पीछे कर रही थी आज राज की शख्शियत ने ललिता के दिल पर पहली दस्तक दी थी ललिता अपने गुलाबी होंटो पर मुस्कान लिए राज को जाता हुआ देख रही थी

आनी: क्या हुआ कहाँ खो गयी अब क्लास मे छोड़ कर आएगी क्या कहीं पसंद तो नही आ गया बोल बात करूँ (हंसते हुए )

ललिता: क्या बोल रही है मारूँगी हां (वैसे ये है कॉन सब लोग इससे डरते क्यों है)
आनी: उंह सीधा-2 बोल ना तू उसके बारें मे जानना चाहती है

ललिता: तू बताती है कि नही या मैं फिर जाओं यहाँ से

आनी: अच्छा-2 बताती हूँ ये है राज फाइनल एअर मे है और बहुत ही अच्छा लड़का हैं और जानती है सब लड़के इससे डरतें है और ये बेचारा लड़कियों से डरता हैं

ललिता: राज हां बड़ा हेवी नाम है

जब सभी क्लासस ख़तम हो गये तो राज बाहर पार्क मे अकेला खड़ा लकी का इंतजार कर रहा था ललिता आनी के साथ क्लास से बाहर निकल कर घर जा रही थी तभी उसकी नज़र राज पर पड़ी

ललिता: सुन आनी चल ना थोड़ी देर पार्क मे चलते हैं

आनी: चल यार वैसे भी अभी से हॉस्टिल जाकर भी करूँगी क्या

और दोनो पार्क की तरफ जाने लगी ललिता का ध्यान राज की तरफ था जो आनी सॉफ देख पा रही थी और मुस्कुरा रही थी पर उसने ललिता को जाहिर नही होने दिया दोनो पार्क मे आकर खड़ी हो गयी दोनो राज के सामने थोड़ी दूरी पर खड़ी थी ललिता ने अपने बालों को जल्दी से हाथ से सँवारा और राज की तरफ देखने लगी पर राज अपनी मस्ती मे खड़ा लकी का इंतजार कर रहा था

दूसरी तरफ लकी स्टाफ रूम मे चला गया और वहाँ गुरमीत को देख कर उसकी जान मे जान आई जब गुरमीत ने लकी को स्टाफ रूम के डोर पर खड़ा देख तो उसने जल्दी से अपने पर्स उठाया और बाहर आ गयी

गुरमीत: यहाँ क्या कर रहे हो ऐसे पागलों की तरह पीछा ना करो सब को शक हो जाएगा वैसे तुम यहाँ किस लिए आए हो

लकी: वो मे ये पूछने आया था क़ी आज आप मुझसे मिल सकती हैं

गुरमीत: (मुस्कुराते हुए) क्यों कल ही तो मिले थी इतनी भी बेसब्री क्यों

लकी:आप कल की बात कर रही हैं मुझ तो ऐसा लग रहा है जैसे मैने आप को बहुत टाइम के बाद देखा हो मैं तो अब आपको देखे बगैर एक पल भी नही रह सकता मे आप से मिलने शाम को घर आऊ

गुरमीत: नही-2 घर पर माँ होती है वो क्या सोचेगी कि तुम रोज रोज क्यों आने लगे हो

लकी: तो फिर कहीं बाहर मिलें

गुरमीत: नही ये भी पॉज़िबल नही है अगर बाहर किसी ने देख लिया तो शक नही लोगो को पक्का पता चल जाएगा

लकी: तो फिर आप ही बताएँ मैं क्या करूँ

गुरमीत: (लकी के भोलेपन पर फिदा हो गयी) गुरमीत अच्छा -2 उदास मत हो मेरे घर का फोन नंबर नोट करो और मुझे 3 बजे कॉल करना मैं कुछ सोचती हूँ

लकी: (लकी ने नंबर अपनी नोट बुक मे नोट कर लिया ) ठीक हैं मे आपको कॉल करूँगा

और लकी तेज़ी से चलता हूँ पार्क की तरफ़ जाने लगा उसे पता था कि राज इस वक़्त वहीं खड़ा हो गा दूसरी तरफ राज की नज़र अब तक ललिता पर नही पड़ी थी तभी उसने लकी को ढूँढने के लिए चारो तरफ नज़र दौड़ाई और उसकी नज़र ललिता पर पड़ गयी ललिता उसी की तरफ देख रही थी दोनो की नज़रें आपसे मे मिली ललिता ने एक हल्की सी स्माइल पास कर दी पर राज ने अपने नज़रें घुमा ली और अपने पीछे की तरफ देखने लगा पर पीछे कोई नही खड़ा था तब राज को अहसास हुआ कि ललिता की वो स्माइल उसके लिए ही थी पर राज अपने शर्मीले बिहेवियर के कारण ललिता से नज़रे नही मिला पा रहा था बहुत हिम्मत जुटाने के बाद राज ने एक बार फिर ललिता की तरफ देखा पर इस बार ललिता आनी से बात कर रही थी राज उसकी तरफ एक टक देख रहा था जैसे ही ललिता ने बोलना बंद किया और उसने एक बार फिर से राज की तरफ देखा दोनो की नज़रें फिर से मिली और ललिता राज को यूँ अपनी तरफ देखता देख शरमा गयी और एक बार फिर स्माइल पास की इस बार राज के होंटो पर भी मुस्कान आ गयी और राज को स्माइल करते देख ललिता एक दम शरमा गये शरम के मारे उसके गाल लाल सुर्ख हो गये और उसने शरमा कर नज़रें झुका ली आनी जो सब देख रही थी वो भी दूसरी तरफ़ देख मुस्कुराने लगी इतने मे लकी तेज़ी से भागता हुआ राज के पास आया और उसके कंधें पर हाथ रखा
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Re: सियासत और साजिश

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लकी: सॉरी यार लेट हो गया चल चलते हैं

लकी का ध्यान ललिता पर नही पड़ा और राज और लकी दोनो फ्लॅट की तरफ निकल पड़े फ्लॅट मे पहुँच कर दोनो ने फ्रेश होकर अपने कपड़े चेंज कर लिए



राज : हां भाई खाने का क्या प्रोग्राम हैं

लकी: यार बनाने का मूड तो बिल्कुल नही मे ढाबे से जाकर खाना ले आता हूँ बोल क्या खाएगा

राज ; यार कुछ भी ले आ बस थोड़ा जल्दी करना

लकी: बस मे यूँ गया और यूँ आया

और ये कह कर लकी फ्लॅट से निकल कर मार्केट की तरफ जाने लगा मार्केट ज़्यादा दूर नही थी मार्केट मे पहुँच कर उसने एक ढाबे पर खाना ऑर्डर कर पॅक करने को कहा और पैसे दे कर बोला आप खाना पॅक कर के रखो मैं अभी एक फोन करके आता हूँ और लकी पास के ही एक पीसीओ बूथ पर चला गया वैसे तो फ्लॅट मे भी फोन था पर लकी राज के सामने फोन नही करना चाहता था इसीलिए उसने बाहर से फोन किया फोन गुरमीत ने ही उठाया

गुरमीत: हेलो कॉन

लकी ; मे लकी बोल रहा हूँ कैसी हो आप

गुरमीत; क्यों मुझे क्या होगा सुबह तो मिली थी तब भी ठीक थी अब भी मज़े मे हूँ तुम बताओ तुम कैसे हो
लकी: मेडम आप तो ठीक हैं पर ये बंदा बेहाल है इस बंदे का इलाज करो वरना ये बंदा कल का सूऱज देखे गा या नही मे नही जानता

गुरमीत: धत कैसे पागलों जैसी बातें करते हूँ आइन्दा ऐसे बात कभी ना करना ऐसी बात कह कर मुझ तुम हर्ट कर रहे हो

लकी: तो फिर आप ही बताओ आज आप मुझसे मिल रहे हो या नही

गुरमीत: ओके अब टाइम कितना हुआ है 2 बजे हैं माँ 3 से 6 बजे तक किसी फंक्षन मे जा रही है तुम 3:30 पर घर आ जाना

लकी: ओह्ह मेरी जान तुमने अपने दीवाने की फर्याद सुन ली अच्छा मैं फोन रखता हूँ मैं शार्प 3:30 पर आपके यहाँ पहुँच जाउन्गा ओके बाइ लव यू

गुरमीत ; बाइ लव यू टू

और लकी तेज़ी से पैसे दे कर ढाबे वाला से खाना लेकर फ्लॅट की तरफ चल पढ़ा फ्लॅट पहुँच कर उसने जल्दी से खाना टेबल पर लगाया और दोनो खाना खाने बैठ गये

लकी; यार राज मुझे कुछ ज़रूरी काम है मैं थोड़ी देर मे यहाँ से निकलुन्गा और शाम को 6 बजे तक आउन्गा

राज : मैं देख रहा हूँ आज कल तू कुछ ज़्यादा ही गायब रहने लगा है आख़िर माजरा क्या है

लकी: कुछ नही बस ऐसे ही यार तू क्यों परेशान हो रहा है चल खाना खा

खाने के बाद लकी जल्दी से तैयार हो कर फ्लॅट से निकल आया और अपनी घड़ी मे टाइम देखने लगा 3:15 हो रहे थे लकी तेज़ी से गुरमीत के घर की तरफ जाने वाले रास्ते पर चल पड़ा

खाने के बाद लकी जल्दी से तैयार हो कर फ्लॅट से निकल आया और अपनी घड़ी मे टाइम देखने लगा 3:15 हो रहे थे लकी तेज़ी से गुरमीत के घर की तरफ जाने वाले रास्ते पर चल पड़ा कुछ ही देर मे जब वो जिस गली मे गुरमीत का घर था वहाँ पहुँचा उसे गुरमीत की माँ नज़र आई उसके साथ दो औरतें और थी गुरमीत जल्दी से एक साइड मे हो गया ताकि गुरमीत की माँ उसे देख ना ले जैसे ही गुरमीत की माँ और दोनो औरतें गली से निकल कर रोड पर पहुँच कर ऑटो रिक्क्षा मे बैठी लकी का दिल ख़ुसी मे कुलाँचे मारने लगा लकी जल्दी गुरमीत के घर की तरफ चल पड़ा घर के बाहर पहुँच कर उसने डोर बेल बजाई गुरमीत ने गेट खोला और जल्दी से अंदर आने को कहा गर्मियों के दिन थे गुरमीत का घर एक पॉश इलाक़े मे था यहाँ के लोग इतनी धूप मे बहुत ही कम निकलते थे लकी के अंदर आते ही गुरमीत ने गेट लॉक किया और दोनो अंदर आ गये

गुरमीत: वैसे तो यहाँ के लोग इस समय कम ही बाहर निकलते हैं पर पता नही होता कि कोई देख ना ले वैसे तुम्हारी आने की टाइमिंग बहुत अच्छी है माँ अभी-2 बाहर गयी है
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