सियासत और साजिश complete

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mastram
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Re: सियासत और साजिश

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पूनम ने अपनी बाहों से साहिल के सर को अपनी चुचियों मे दबोच लिया. साहिल भी पूरे जोश मे आ चुका था, उसने अपने दोनो हाथों से पूनम के चुतड़ों को कस्के पकड़ लिया, और तेज़ी से कमर हिलाते हुए, अपने लंड को चूत के अंदर बाहर करने लगा.

तेज धक्कों से पूनम के बदन मे मस्ती की लहरें दौड़ जाती, और वो और जोश मे आकर अपनी कमर को हिलाने लगती. आने वाले कल भूल कर दोनो जान अपनी काम वासना को पूरा करने मे लगे हुए थे. अगली सुबह जब पूनम उठी, तो उसने अपने आप को साहिल के रूम मे पाया, उसका हाथ साहिल के सिकुडे हुए लंड को थामे हुआ था. जब उसने टाइम देखा तो, वो जल्दी से उठी, और साहिल को उठा कर अपने रूम मे चली गयी.

जब तिवारी घर पर वापिस आया, तो साहिल तिवारी के साथ गाँव हवेली जाने के लिए तैयार हो गया, पूनम भी साथ जाने के लिए तैयार हो गयी. तिवारी ने मना नही क्या. तीनो हवेली आ गये. राज घर पर ही था.

राज : (साहिल और तिवारी को देखते हुए) आओ तिवारी. बातों कैसे आना हुआ ?

तिवारी: बाबू जी आप को बताया था ना. इसको काम ज़रूरत है .

राज : ओह्ह हां मे भूल गया था. चलो कोई बात नही. वैसे भी हमे आदमी की ज़रूरत थी. जो हमारे धंधों का हिसाब किताब रख सकें. पर ये तुम्हारा भरोसे मंद आदमी तो हैं ना.

तिवारी: जी बिल्कुल सरकार. ये पूरी ईमानदारी से काम करेगा.

राज : (पूनम की ओर देखते हुए) तो फिर ठीक है. मेरा एक आदमी इसे सब काम समझा देगा.

तिवारी: अच्छा बाबू जी मे चलता हूँ.

तिवारी वापिस चला गया. पूनम को जब राज अपनी वासना से भरी नज़रों से देख रहा था, तो पूनम मन है मन उसे गालियाँ दे रही थी. पर अपनी साज़िश को अंज़ाम देने के लिए , वो अपने होंठो पर कातिल मुस्कान लाकर , राज की ओर देखने लगी. और उसको तिरछी नज़रों से देखते हुए, पीछे अपने पिता हरिया के रूम मे चली गयी.

पूनम की कातिल अदाओं को देखते ही, राज के अंदर छुपी वासना जागने लगी. पर राज चुप- चाप बैठा रहा.

राज : (साहिल से) अच्छा अब तुम भी जाकर आराम कर लो. शाम को आ जाना. मेरा आदमी तुम्हे सब काम समझा देगा.

साहिल: जी सर.

साहिल भी पीछे हरिया के रूम मे आ गया. जब दोपहर हुई, तो पूनम आगे हवेली मे आ गयी. अब सब कुछ उसके ऊपर था. राज जैसे शेर को उसकी गुफा से बाहर लाने का काम उसका था. हवेली मे हरिया खाना तैयार कर रहा था. 2 बजे के करीब राज और सुमन दोनो खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर आ गये. पूनम ने टेबल पर खाना लगाना चालू कर दिया.

राज अपनी वासना से भरी आँखों से पूनम के गदराए हुए बदन को ऊपेर से नीचे देखे जा रहा था. सुमन ने भी ये बात नोटीस की. जो पूनम राज से दूर रहना ही ठीक समझती थी. वो आज मुस्कुराते हुए, अपने हुश्न का जलवा राज को दिखा रही थी.

खाना खाने के बाद राज हवेली से निकल गया, किसी काम के सिलसिले मे. पूनम किचिन मे से निकल कर जाने लगी, तो सुमन ने उसे पीछे से आवाज़ दी. पूनम सुमन के पास आई.

सुमन: ये तुम क्या कर रही हो ?

पूनम: (मुस्कुराते हुए) आपकी मदद कर रही हूँ. बीबी जी.

सुमन: मेरी मदद और इस तरहा.

पूनम ने फिर सारी बात सुमन को बताई. जो सुमन इतने दिनो से नही सोच सकी थी. उसको पूनम ने सोच लिया था. और सुमन के दिमाग़ से बहुत बड़ा बोझ उतर गया था.

पूनम: पर इसके लिए आपको हमारा साथ देना होगा .

सुमन: ओके ठीक है. जैसे तुम कहो.

पूनम: सबसे पहले आप को मुझे और राज को कुछ वक़्त देना पड़ेगा. ताकि मे उसको रिझा सकूँ.

सुमन: तुम जो कर रही हो ? वो ठीक तो है ना ?

पूनम: हां बिकुल ठीक कर रही हूँ. आप बस बेफिकर हो जाएँ.

सुमन: ठीक है.

शाम को राज हवेली वापिस आया तो, उसने पाया कि, पूनम हवेली के हाल मे बैठी हुई, रात के खाने की तैयारी कर रही थी. राज पूनम को अपनी वासना भरी नज़रों से देखते हुए, अपने रूम की तरफ जाने लगा. जब वो अपने रूम मे पहुँचा , तो उसने देखा कि, सुमन अभी भी सो रही थी.

राज : (सुमन के पास बेड पर बैठते हुए) क्या बात है सुमन. अभी भी सो रही हो.

सुमन: (जागने का नाटक करते हुए) जी वो मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है.

राज : (सुमन के माथे पर हाथ लगा कर देखते हुए) चलो फिर डॉक्टर से चैक करवा लाते हैं.

सुमन: नही रहने दीजिए. अभी टॅबलेट ली है. थोड़ी देर आराम करूँगी. तो ठीक हो जाउन्गी.

राज : अच्छा फिर तुम आराम करो.

राज बाथरूम मे घुस गया, और जब वो फ्रेश होकर बाहर आया तो, उसने देखा, कि सुमन की आँखे बंद हैं. राज ने सोचा शायद वो सो रही हैं. राज बाहर हाल मे आकर सोफे पर बैठ गया. पूनम सोफे के सामने कुछ ही दूरी पर नीचे बैठी हुई, सब्जी काट रही थी. पूनम ने जान बुझ कर अपने पल्लू को कंधों से हटा कर अपनी कमर मे फँसा रखा था.

राज की नज़र पूनम के ब्लाउस मे क़ैद तो बड़ी-2 आम जैसी चुचियों पर जैसे गढ़ गयी हो. वो एक टक उसकी साँस लेने से ऊपेर नीचे हो रही चुचियों को घुरे जा रहा था. राज की आँखों मे वासना के लाल डोरे तैर रहे थे. उसका हाथ अपने आप ही पाजामे के ऊपेर अपने लंड पर पहुँच गया. और वो अपने लंड को पूनम की चुचियों की ओर देखते हुए सहलाने लगा.

पूनम की बड़ी-2 चुचियाँ राज को ब्लाउस मे ऐसी लग रही थी. जैसे कि वो अभी उसके ब्लाउस के बटन तोड़ कर बाहर आ जाएँगी. पूनम ने धीरे से अपने सर को उठा कर राज की तरफ देखा. जो अपनी वासना भरी नज़रों से उसकी चुचियों की ओर देख रहा था. जैसे ही पूनम और राज की नज़रें आपस मे टकराई. पूनम अपने होंठो पर मुस्कान लाकर शरमाने लगी. राज मन है मन सोचने लगा, कि शायद पूनम अब उसके जाल मे फँस चुकी है. राज का लंड यही सोच कर उसके पाजामे मे झटके खाने लगा.

पूनम उठ कर किचिन मे गयी. और कटी हुई सब्जी को रख कर बाहर आ गयी. वो फिर से अपनी कातिल अदाओं के साथ राज को देखते हुए ऊपेर की ओर जाने लगी. जैसे ही पूनम ऊपेर की मंज़िल पर गयी. तो राज सोफे से उठ कर उसके पीछे चला गया.

जब राज ऊपेर पहुँचा , तो उसने देखा कि, पूनम एक रूम के पास खड़ी थी. उसकी पीठ राज की तरफ थी, राज धीरे- 2 उसकी तरफ बढ़ा. और पीछे से जाकर उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. राज के हाथों ने तुरंत पूनम की चुचियों पर कब्जा जमा लिया. पूनम एक दम से छटपता उठी. उसका दिल तो कर रहा था, कि वो अभी इसी वक़्त उसकी जान ले ले. पर ये उसके लिए कर पाना मुस्किल था.
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mastram
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Re: सियासत और साजिश

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पूनम: (राज की बाहों मे मचलते हुए) उफ़फ्फ़ बाबूजी जी क्या कर रहे हैं….मालकिन आ जाएगी.

राज : बहुत तड़पाया है मेरी रानी तुमने. आज मुझ अपनी तड़प मिटा देने दो. तुम्हारे कदमों मे दुनिया भर की दौलत बिछा दूँगा.


पूनम: (चौंकने का नाटक करते हुए, उसकी तरफ घूम गयी. और अपनी बाहों को राज के गले मे डाल दिया) सच बाबू जी. मैं आपको इतनी अच्छी लगती हूँ ?

राज : हां मेरी रानी. बस एक बार इस प्यासे की प्यास बुझा दो.

पूनम: वो तो मे बुझा दूँगी. और फिर कभी आपको प्यास भी नही लगेगी. पर आपको मेरी एक बात माननी पड़ेगी.

राज : (पूनम की चुचियों को मसलते हुए) एक क्या, मैं तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूँ. एक बार बोल कर तो देख.

पूनम: ठीक है बाबू जी. पर आपको मुझे पाने के लिए कल तक का इंतजार करना पड़ेगा.

राज : नही मेरी रानी, अब मे एक पल और इंतजार नही कर सकता. तुम्हारी गदराई हुई जवानी का रस चखने के लिए.

पूनम: नही बाबू जी आज नही. अगर किसी को पता चल गया, तो मे किसी को मुँह दिखाने के लायक नही रहूंगी. और अगर मालकिन को पता चल गया, तो और बाबा भी तो यहीं पर है ना. यहाँ नही. आप मुझ कहीं और ले चलें कल. जहाँ कोई ना हो. और फिर ये सारी की सारी पूनम आपकी दासी आपकी सेवा के लिए हाजिर है.

राज : पर यहाँ क्या डर है ?

पूनम: बाबू जी आप मेरी इतनी सी भी बात नही मान सकते. मैं बस यही चाहती हूँ कि, मेरे और आपके बारे मे किसी को पता ना चले.

राज : (थोड़ी देर सोचने के बाद) चल ठीक है मेरी जान. जहाँ तुम्हे पाने के लिए इतने सालो इंतजार किया, तो एक दिन और सही. कल रात को तुम हवेली के बाहर मेरा इंतजार करना. मे तुम्हे खेत वाली हवेली ले चलूँगा.

पूनम: हां पर आप अकेले रहोगे ना वहाँ पर. मैं नही चाहती कि, मुझे कोई भी वहाँ पर देखे. आप अपने गुण्डों जैसे आदमियों को साथ मे नही लेकर आओगे ना. अगर वहाँ पर आपके अलावा कोई और हुआ, तो मे वापिस आ जाउन्गी.

राज : तुम घबराओ नही मेरी जान. मेरे अलावा और वहाँ कोई नही होगा. मैं सब को जाने लिए कल बोल दूँगा.

ये कहते हुए. राज ने ब्लाउस के ऊपेर से ही, पूनम की चुचियों को ज़ोर-2 से मसलना चालू कर दिया. पूनम दर्द के मारे सिसक उठी. तभी नीचे से कुछ आहट हुई, तो पूनम राज की बाहों से निकल कर तेज़ी से नीचे भाग गयी. और पीछे बने हुए अपने रूम मे चली गयी. साहिल भी उठ चुका था. उसने साहिल को सारी बात बताई, और साहिल फ्रेश होकर राज के पास चला गया.

जब साहिल हवेली के अंदर आया तो, राज सोफे पर बैठा हुआ था. साहिल को देखते हुए, वो मुस्कुराया और बोला.

राज : आओ बैठो . थोड़ी देर रूको, फिर मैं तुम्हे अपनी दूसरी हवेली मे ले चलता हूँ. हमारा ज़्यादा तर काम वहीं से होता है. और जो मुनीम हमने वहाँ रखा है, वो तुम्हे सब काम समझा देगा.

राज उठ कर अपने रूम मे चला गया. और थोड़ी देर बाद तैयार होकर बाहर आया. और साहिल को लेकर अपने खेतो मे बनी हवेली की ओर चल दिया. जैसे ही राज और साहिल हवेली के पास पहुँचे , तो उसने देखा कि, हवेली के चारो तरफ राज के पाले हुए गुंडें हथियारो के साथ पहरा दे रहे थे. साहिल एक बार सोच मे पड़ गया. ये सब देख कर. वो सोचने लगा कि, कल रात को वो कैसे राज के इस चक्रव्यूह को बेध पाएगा.

कहीं कुछ गड़बड तो नही हो जाएगी. राज ने जो पूनम से वादा किया है, क्या राज उस पर अटल रहेगा. यही सोचते हुए, साहिल राज के पीछे चलते -2 हवेली के अंदर आ गया. हवेली मे बहुत से रूम थे. कुछ बंद थे. पर कुछ खुले हुए थे. राज साहिल को सीधा एक रूम मे ले गया. वहाँ पर कोई 55 साल की उमर का एक बूढ़ा मुनीम बैठा हुआ, हिसाब किताब कर रहा था.राज को देखते ही, वो चेयर से खड़ा हो गया.

राज : और सब कैसा चल रहा है मुंशी जी ?

मुंशी: (हाथ जोड़ कर खड़ा होते हुए) सब ठीक है बाबू जी.

राज : अच्छा इनसे मिलो. इसका नाम अजय है. आज से ये आपके काम मे आपको मदद करेगा.

मुंशी: जी जैसा आप कहे.

राज : (घड़ी की ओर देखते हुए) अच्छा मुझे अभी निकलना है. आप इसे हमारे काम के बारे मे सब समझा देना.

मुंशी: जी.

राज : (साहिल को) तुम यही रूको, और मुंशी जी से काम के बारे मे सीखो. शाम को अकेले हवेली मे पहुँच जाओगे ना.

साहिल: जी सर आप फिकर ना करिए. मैं अकेला पहुँच जाउन्गा.

राज वापिस चला गया. राज के जाने के बाद, मुंशी ने साहिल से उसके और उसके परिवार के बारे मे पूछा. और फिर राज के काम धंधो के बारे मे बताना चालू कर दिया. साहिल और मुंशी को दो घंटे बीत चुके थी. शाम ढाल चुकी थी.

मुंशी: अच्छा आज के लिए काफ़ी है. कल सुबह आ जाना. मैं भी बहुत थक गया हूँ. चलो बाहर चल कर थोड़ा घूमते हैं.

साहिल: जी मुंशी जी.

दोनो बाहर आ गये. बाहर अभी भी राज के आदमी पूरी चोकसी के साथ चारो तरफ नज़र रखे हुए थे. साहिल और मुंशी हवेली के चारो तरफ के खेतो मे थोड़ी देर घूमे. और फिर गाँव के लिए निकल पड़े.


फाइनल डे

आज साहिल को अपनी माँ की मौत का बदला लेना था. आज उसे अपने छीने हुए बचपन का राज से हिसाब लेना था. पर इन्सब के बावजूद भी साहिल बेहद घबराया हुआ था. रात के 9 बज रहे थी. राज घर से निकलने के लिए तैयार हो रहा था. सुमन भी जानती थी, की आज राज के पाप के साम्राज्य का अंत होने वाला है.

सुमन: आप इस समय तैयार होकर कहाँ जा रहे हैं ?

राज : वो वो आज कुछ ज़रूरी काम से सहर जा रहा हूँ. कल सुबह ही वापिस आउन्गा. तुम मेरा इंतजार ना करना.

राज जैसे ही कार लेकर हवेली के बाहर निकला. तो उसे हवेली के एक साइड की दीवार के साथ पूनम खड़ी हुई मिली. राज ने उसे इशारे से कार मे आने के लिए कहा. ब्लू कलर की साड़ी मे लिपिटी हुई, पूनम आज उसे किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी.

जैसे ही पूनम कार की तरफ बढ़ी. राज ने कार का डोर खोल दिया. पूनम कार मे बैठी , और राज ने डोर बंद कर दिया. और खेतो के बीच बनी दूसरी हवेली की ओर चल दिया. जैसे ही राज की कार की आवाज़ आना बंद हुई. साहिल हवेली से बाहर की ओर जाने लगा. पर तभी उसे पीछे से सुमन की आवाज़ आई.

सुमन: साहिल रूको.

साहिल: (सुमन की ओर चोन्कते हुए देखता है) मम्मी जी आप इस समय यहाँ क्या कर रही है.

सुमन: मैं भी तुम्हारे साथ चल रही हूँ.

साहिल: नही मम्मी जी. आपका मेरे साथ चलना ठीक नही होगा. अगर हम राजको मार नही पाए, तो यक़ीनन वो हम दोनो को मार देगा. इसलिए मैं आपकी जान ख़तरे मे नही डालना चाहता.

सुमन: मुझे अपनी जान की परवाह नही है. मैं बस उस दरिंदे को अपनी आँखों के सामने तड़पता हुआ दम तोड़ते देखना चाहती हूँ. अब हमारे पास बहस करने का टाइम नही है. जल्दी चलो.

साहिल जानता था, कि वक़्त उसके हाथों से रेत के तरहा फिसलता जा रहा है. इसीलिए दोनो हवेली के पीछे की दीवार को फाँद कर हवेली से बाहर आ गये. और छुपते छुपाते खेतो के बीच बनी हवेली की तरफ चल पड़े. दूसरी तरफ पूनम और राज हवेली के बाहर पहुँच चुके थे. वहाँ पहुँचते ही. पूनम ने हवेली के चारो तरफ नज़र दौड़ाई. वहाँ दो आदमी अभी भी चोकन्ने होकर पहरा दे रहे थे.

पूनम: ये क्या बाबू जी. आप ने कहा था. यहाँ पर कोई नही होगा.

राज : अर्रे ये मेरे बहुत खास और वफ़ादार आदमी है.

पूनम: पर मे नही चाहती कि, मुझ आपके साथ यहाँ पर कोई भी देखे. मैं नही जाउन्गी अंदर.
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Re: सियासत और साजिश

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राज का मन तो कर रहा था, कि वो अभी उसे घसीटते हुए अंदर ले जाए. पर जब प्यार से बात बन रही है, तो वो अपना मूड खराब नही करना चाहता था. इस लिए राज कार से नीचे उतरा, और उन दोनो आदमियों की तरफ गया. दोनो आदमी राज को देख कर भागते हुए उसके पास आए.

राज : सुनो तुम दोनो यहाँ से थोड़ी दूरी पर जाकर बैठो. और दूर से ही नज़र रखना.

आदमी: जी मालिक.

और दोनो आदमी वहाँ से चले गये. जब दोनो आदमी पूनम की नज़रों से ओझल हो गये, तो पूनम कार से नीचे उतरी. और राज के साथ हवेली के अंदर जाने लगी. दूसरी तरफ जैसे ही साहिल और सुमन हवेली के पास पहुँचे . तो उन्होने देखा कि, कि दो आदमी रास्ते पर ही बैठे हुए थे. दोनो झाड़ियों मे छुप गये.

सुमन: (तेज़ी से साँस लेते हुए) ये तो राज के आदमी है. और हवेली तक जाने का यही एक रास्ता है.

साहिल: अब क्या करें. ये तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी. वहाँ पर पूनम उस वहशी के साथ अकेली है. अब क्या किया जाए.

सुमन: तुम यहीं रूको. मैं इनका कुछ करती हूँ.

ये कह कर सुमन झाड़ियों से निकल कर बाहर आ गयी. और उसी तरफ जाने लगी. जिस तरफ से वो आई थी. सुमन के पैरों की पायल की आवाज़ सुन कर दोनो आदमी चोंक गये. उनमे से एक ने दूसरे से कहा.

आदमी: अर्रे रघु वो देख. इतनी रात मे कॉन औरत जा रही है.

रघु: अबे साले चुप चाप बैठा रह. बाबू जी ने हमे ध्यान रखने के लिए कहा था ना.

कल्लू: अबे बाबू जी तो लगता है अंदर अपनी रात रंगीन कर रहे हैं. वो अब सुबह से पहले बाहर नही आएँगे. चल हम भी चल कर अपनी रात रंगीन करते हैं.

रघु: चल देखे तो सही ये छमियां है कॉन. और इस समय यहाँ क्या कर रही है.

रघु और कल्लू दोनो सुमन के पीछे जाने लगे. जैसे ही सुमन को पता चला कि, दोनो उसके पीछे आ रहे हैं. तो उसने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. और एक खेत मे उतर गये. बाज़रे के खेत मे फसल काफ़ी उँची-2 हो चुकी थी. जैसे ही साहिल ने देखा कि, दोनो आदमी सुमन के पीछे चले गये हैं. वो जल्दी से झाड़ियों से बाहर आया, और हवेली की तरफ भागा. उधर सुमन उन दोनो को खेतो मे उलझाए हुए थी.

साहिल ने किसी तरहा हवेली की दीवार फांदी , और अंदर चला गया. जब सुबह साहिल हवेली मे आया था. तो उसने मुंशी से हवेली की सारी मालूमात कर ली थी. इसीलिए वो अच्छे से जानता था कि, राज और पूनम किस रूम मे होंगे. जैसे ही साहिल उस रूम के सामने पहुँचा , तो उसने वहाँ रूम के बाहर टेबल पर रखी हुई पिस्टल देखी. जो कि शायद राज की थी.

पूनम ने साहिल की हर मुश्किल का पूरी चालाकी से हल कर दिया था. साहिल ने पिस्टल उठाई, और उसे तैयार किया, और धीरे-2 रूम के डोर के पास गया. और अपना कान डोर पर लगा कर अंदर का जायज़ा लेने की कॉसिश करने लगा. दूसरी तरफ सुमन की पायल की आवाज़ का पीछा-2 करते-2 दोनो आदमी बहुत दूर आ चुके थे. पर दोनो मे से किसी को सुमन दिखाई नही दे रही थी.

उधर हवेली मे साहिल अपने कान को डोर पर लगाए, अंदर हो रही बात को सुनने की कॉसिश कर रहा था. उसे अंदर से पूनम की हल्की -2 करहाने की आवाज़ आ रही थी. साहिल का खून खोल उठा. उसने अपनी पूरी ताक़त के साथ दरवाजे को धकेला. डोर तो बंद ही नही था. डोर खुलते ही दीवार से जा टकराया. अंदर राज पूनम के ऊपेर सिर्फ़ अंडरवेर पहने लेटा हुआ था. साहिल को अपने सामने देख राज एक दम भौंचक्का रह गया.

एक पल के लिए उसका दिमाग़ सुन्न पड़ गया. पर जैसे ही राज ने साहिल के हाथ मे अपना लोडेड पिस्टल देखा, तो वो एक दम से घबरा गया. और बेड से उठ कर खड़ा हो गया, और साहिल की तरफ बढ़ने लगा.

साहिल: वही रुक जाओ. (अपने उंगली को ट्रिग्गर पर लगा दिया)

राज : वहीं रुक गया

राज : तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? (पर अगले ही पल राज के दिमाग़ मे बहुत सारे सवाल घूमने लगी, और उसके मुँह निकला) कॉन हो तुम ?

साहिल: क्या करोगे मेरे बारे मे जानकर. वैसे भी आज तुम मरने वाले हो.

राज : पर तुम मुझ क्यों मारना चाहते हो ?

साहिल: वो भी पता चल जाएगा.

राज : देखो बेबकूफी मत करो. तुम जानते नही हो. तुम किसेसे उलझ रहे हो ?

साहिल: मैं नही जानता. मैं तो तुम्हारी रग-2 से वाकिफ़ हूँ.

राज साहिल की बात को सुन कर सोच मे पड़ गया. आख़िर ये कॉन हो सकता है. जो मुझे मारना चाहता है. मैने तो इसे पहले कभी नही देखा.

राज : देखो तुम्हे जो चाहिए मैं वो तुम्हे दूँगा. पर ये पिस्टल मुझे पकड़ा दो.

ये कहते हुए राज साहिल की ओर बढ़ा. पर जैसे ही उसने पहला कदम उठाया. एक गोली, दाग दी गयी. जो सीधा राज के घुटने पे जा लगी. पिस्टल से चली गोली की आवाज़ हवेली की मजबूत दीवारों मे क़ैद से होकर रह गयी. जो उसके दूर जा चुके आदमी नही सुन पाए.

राज लड़खड़ा गया. अपने ऊपर हुए इस हमले से राज बौखला उठा, दहाड़ते हुए, साहिल की ओर झपटा. पर साहिल इसके लिए पहले से तैयार था. साहिल ने दूसरा फाइयर क्या, जो राज की दूसरी टाँग पर लगा. और इस बार राज फर्श पर जा गिरा. राज दर्द से कराह रहा था. पूनम अपनी आँखों मे आँसू लिए, कभी राज की तरफ देखती, तो कभी साहिल की तरफ.

साहिल ने पूनम को अपनी तरफ आने का इशारा किया, पूनम ने अपनी साड़ी ठीक की, और साहिल के पास आकर उसके गले से लग गयी.

राज : क्यों, आख़िर कौन हो तुम. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है. (राज ज़मीन पर पड़ा, दर्द से तिलमिला रहा था)

साहिल: सोचो. आज तक तुमने किसका क्या-2 बिगाड़ा है. चलो तब तक मैं तुम्हे नही मारता.

राज एक बार तो सोच मे पड़ गया. पर उस टाइम सोचने की ताक़त भी कहाँ थी. राज दर्द से तड़प रहा था.

साहिल: क्यों कुछ याद आया.

राज ने ना में सर हिला दिया. अब उसे साँस लेने मे तकलीफ़ होने लगी थी.

पूनम: बाबू जी हमारे पास जयदा टाइम नही. ख़तम करो इस दरिंदे को.

साहिल: (राज की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए) चलो मैं ही बता देता हूँ मामा जी. कि आप ने मेरा क्या बिगाड़ा है ?

राज : (जैसे ही राज ने साहिल के मुँह से मामा जी का शब्द सुना, तो उसे अपने अतीत में जो करम किए थे. वो सब उसकी आँखों के सामने घूमने लगे) कौन मामा जी. कौन हो तुम ?

साहिल: क्यों अब अपने भानजे को भी नही पहचानते ?

राज : ( राज के ऊपेर तो जैसे आसमान ही गिर पड़ा हो) नही ये नही हो सकता. साहिल को तो मैने अपने हाथों से मारा था. और उसकी लाश को भी गढवा दिया था. तुम झूठ बोल रहे हो.

साहिल: एक बात समझ लो राज कि, मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है. तुम चाहे अपनी दौलत और रुतबे के कारण अंधे होकर अपने आप को भगवान समझते रहे होगे. पर असल भगवान के आगे किसी की नही चलती. शायद उसी ने मुझे अब तक बचा कर रखा था. कि मैं तुम जैसे दरिंदे का अंत कर सकूँ.

साहिल ने पिस्टल को उसके सर के ऊपेर लगा दिया. राज को मालूम था कि, अब उसका अंत आ चुका है. उसने अपनी आँखे बंद कर ली. और साहिल ने एक बार फिर से ट्रिग्गर दबा दिया. इस बार गोली राज के सर को फाड़ते हुए अंदर घुस गयी. राज वहीं उसी पल ज़मीन पर धराशाई हो गया. साहिल थोड़ा पीछे हटा, और वहीं ज़मीन पर बैठ कर ज़ोर-2 से रोने लगा.

पूनम: बाबू जी चलिए उठिए. अब हम यहाँ नही रुक सकते.

पर साहिल को जैसे पूनम की आवाज़ सुन ही नही रही थी. पर पूनम ने भी हार नही मानी. उसने अपनी पूरी ताक़त लगा कर साहिल को उठाया. और साहिल के गालों पे थपकी देने लगी. जैसे उसे होश मे लाने की कॉसिश कर रही हो.

पूनम: बाबू जी बाबू जी.

साहिल : (एक दम चोन्कते हुए) हाँ हाअ.

पूनम: बाबू जी अब निकलो यहाँ से.

और पूनम साहिल को लेकर हवेली के आँगन मे आई. और दीवार को फाँद कर दोनो बाहर आ गये. दूसरी तरफ राज के दोनो आदमी सुमन का पीछे करते-2 हार मान चुके थे. वो वापिस आकर वहीं बैठ गये. पर तब तक पूनम और साहिल दोनो उसी जगह पहुँच चुके थे. यहाँ साहिल पूनम को छोड़ कर गया था.

कुछ देर बाद सुमन भी छुपाते छुपाते वहाँ पहुँच गयी. और उसके बाद तीनो हवेली वापिस आ गये.


तीनो हवेली पहुँच गये. इस दौरान तीनो मे से किसी को भी किसी ने नही देखा. हवेली के बाहर खड़े पहरेदार इस बात के गवाह थे, कि तीनो मे से हवेली के बाहर कोई नही गया. अगले दिन सुबह जब राज खेतो मे बनी हवेली से बाहर नही आया तो, उसके आदमियों मे हड़बड़ी मच गयी. उनमे से किसी ने हवेली की दीवार को फाँद कर हवेली का गेट खोला. जब सब लोग हवेली के अंदर आ गये. तो सामने का नज़ारा देख सब लोगो के होश उड़ गये.

राज का शव खून से लथपथ ज़मीन पर पड़ा था. राज के आदमियों मे भगदड़ मच गयी. और उन्हो ने इस बात की इत्तिला सुमन और राज के दोस्तो को की. जब सुमन और विशाल दोनो खेतों मे बनी हवेली मे पहुँचे , तो वहाँ पहले से पोलीस माजूद थी. इनस्पेक्टर वहाँ पर राज के आदमियों से पूछ ताछ कर रहा था. उसके बाद उसने सुमन से पूछ ताछ की और राज की डेड बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए ले गये.

पूरे गाँव मे दहशत सा महॉल बन गया था. राज की मौत की बात जंगल की आग की तरहा पूरे इलाक़े मे फैल गयी. पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट से भी पोलीस वालो को कोई सुराग नही मिल पाया. और राज की डेड बॉडी सुमन को सोप दी गयी. दाह संस्कार के लिए.

दाह संस्कार मे राज के सभी रिश्तेदार शामिल थे. इस मर्डर केस की महीनो जाँच होती रही पर. कोई सबूत हाथ ना लगा. आख़िर कार पोलीस ने इस केस को बंद कर दिया. वैसे भी राज पोलीस वालो के लिए सर दर्द बना हुआ था. अपने काले धंधों को लेकर.

जिस दिन राज के केस की फाइल क्लोज़ हुई, उसी दिन सुमन साहिल को लेकर चंडीगढ़ उसके नाना नानी के घर लेकर आ गयी. उसके नाना नानी अब उम्र के आख़िरी पड़ाव पर थे. जब सुमन ने उनको साहिल के बारे मे बताया, तब वो दोनो बहुत खुश हो गये. आख़िर उन्हें भी अपने बुढ़ापे का सहारा जो मिल गया था.

सुमन: (साहिल से) साहिल अब मे वापिस जा रही हूँ. तुम्हे तुम्हारी नयी जिंदगी मे दुनियाँ की सारी खुशियाँ मिले.

साहिल : पर मम्मी ये खुशियाँ आप सब के बिना अधूरी है. और खास तोर पर पायल के बिना.

साहिल की बात सुनते ही, सुमन के होंठो पर मुस्कान आ गयी. और वो उसके गालों को थपथपाते हुए बोली, “ तुम्हे तुम्हारी हर खुशी मिलेगी” अभी तुम अपने फ्यूचर पर ध्यान दो.

दा एंड.
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mastram
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Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: सियासत और साजिश

Post by mastram »

मित्रो बंधुओ ये कहानी कहानी तो मैने पूरी कर दी है पर अब नई कहानी नही शुरू कर पाउन्गा क्योंकि इस फोरम पर साइलेंट मेंबर्स ज़्यादा हैं आक्टिव मेंबर्स बहुत कम हैं कहानी पोस्ट करने का मन नही करता . इसीलिए नई कहानी कॅन्सल

कोई ग़लती हुई हो उसके लिए आपसे क्षमाप्रार्थी हूँ
Ravi
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Joined: 15 May 2016 13:22

Re: सियासत और साजिश

Post by Ravi »

nice story mastram ji
aap story likho
yha pr sirf padhne bale h ji
kuchh khte nhi h
unlog ki trf se mai sorry bolta hu ji
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