सियासत और साजिश complete

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mastram
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Re: सियासत और साजिश

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टीना भी 2 महीने पहले अपने पति और ननद के साथ देल्ही मे कुछ दिनो पहले सेट हुई थी. सुबह का वक़्त था, आज साहिल का कॉलेज का पहला दिन था….आज वो बीएससी 1स्ट एअर के पहले दिन कॉलेज जाने वाला था…..कॉलेज का पहला दिन हर किसी के लिए बहुत खुशियों भरा होता है. पर साहिल के अतीत ने उसके जिंदगी पर ऐसे असर क्या था, कि वो तो जीना ही भूल गया था……बाहर जय शर्मा और उसकी पत्नी वीना सुबह-2 उठ चुके थे…..जय शर्मा अब एक स्कूल मे प्रिन्सिपल का जॉब कर रहा था…..

ज़य शर्मा: अर्रे वीना सुनो साहिल को उठा दो….आज उसका कॉलेज का पहला दिन है.

वीना: जी मैं अभी उठा देती हूँ..

वीना साहिल के रूम मे गयी….साहिल अभी भी सो रहा था…..भगवान ने उसे बहुत खूबसूरत बनाया था…..जो भी उसे देखता, उसी मे खो जाता….गोरा रंग कसरती बदन भूरे रंग के आँखे और सुनहरी बाल…..वीना ने जब साहिल को सोते हुए देखा, तो वो उसके पास जाकर बेड पर बैठ गयी…..और एक टक उसके रूहानी चहरे को देखने लगी….फिर उसने साहिल के माथे पर आए हुए बालों का अपने हाथों से सहलाते हुए, पीछे किया, और साहिल को आवाज़ दी.

वीना: बेटा उठो…..आज कलाज का पहला दिन है…..देर हो जाएगी….

जब साहिल नींद से बाहर आया, तो उसे अपने बालों मे नरम और ममता भरी उंगलियाँ महसूस हुई, वो उठ कर बैठ गया, और वीना की ओर देखने लगा….वीना ने उसके बालों को एक बार फिर से उसके माथे से पीछे किया, वीना के ममता भरे स्पर्श को पाकर साहिल की आँखे भर आई…..

वीना: अर्रे क्या हुआ, क्यों रो रहा है, पागल आज तेरे कॉलेज का पहला दिन है.

साहिल: (वीना की और देखते हुए) माँ मे कितना ख़ुसनसीब हूँ….जो मुझ आप जैसे माँ और बाबा जी मिले, वरना माँ के बाद तो, मे तो अनाथ हो गया था.

वीना: चल पागल ऐसी बात नही करते….हम नही है क्या….चल जल्दी से उठ कर तैयार हो जा. मैं नाश्ता लगाती हू,….जल्दी से नीचे आ जा….वीना उठ कर नीचे आ गयी…

ज़य शर्मा: हां उठ गया साहिल.

वीना: जी उठ गया…पर वो आज भी वैसे ही उदास है…..मुझ समझ मे नही आता…उसकी ये उदासी कब दूर होगी…हर वक़्त दुनियाँ से अलग रहता है, ना किसी से मिलना जुलना, ना कोई दोस्त और ना ही कोई एक्सट्रा आक्टिविटी…..कभी-2 तो डर लगता है कि, कहीं वो यूँ ही उदासी मे हमेशा- 2 के लिए ना डूब जाए….

ज़य शर्मा: ह्म्म तुम साहिल कह रही हो….पर जो उसके साथ हुआ, और जो उसने देखा, उसे भूल जाना भी तो आसान नही होगा उसके लिए….और भूल भी कैसे सकता है, आख़िर उसने अपनी माँ खोई है….जिस उम्र मे बच्चों के खेलने के दिन होते हैं….उस उम्र उसने वो देख लिया, जिसे देख कर बड़े बड़ों के हॉंसले पस्त हो जाए…..वो तो फिर अभी बच्चा है…..धीरे-2 सब ठीक हो जाएगा…..

तभी साहिल भी नीचे आ गया….तीनो ने साथ बैठ कर नाश्ता किया….नाश्ता करते वक़्त जय शर्मा उसे कॉलेज की लाइफ के बारे मे समझा रहा था….तीनो ने नाश्ता ख़तम किया, और जे शर्मा और साहिल बाहर आ गये….

ज़य शर्मा: चलो साहिल मे तुम्हे कलाज छोड़ देता हूँ….

साहिल: नही बाबा मे चला जाउन्गा….

ज़य शर्मा: अर्रे तेरा कॉलेज मेरे स्कूल के रास्ते मे ही है ना….चल बैठ …

और साहिल जय शर्मा के साथ कार मे बैठ गया….जब साहिल का कॉलेज आया, तो जय शर्मा ने कार रोकी, और साहिल ने जय शर्मा के पावं छुए, और कॉलेज मे चला गया…साहिल के जाने के बाद जय शर्मा प्रार्थना करने लगा कि, साहिल की जिंदगी को भगवान खुशियों से भर दे….अब उसने बहुत दुख देख लिए हैं…..

साहिल कलाज के कॅंपस मे आगे बढ़ रहा था, तभी उसे पीछे से आवाज़ आई, कोई उसे बुला रहा था….ये आवाज़ जानी पहचानी लग रही थी….जब साहिल ने मूड कर देखा, तो टीना खड़ी थी….सुमन की छोटी बेहन…साहिल टीना के पास जाने लगा…तब उसने देखा की टीना के साथ एक लड़की खड़ी थी…जो शायद **-18 साल की थी….

साहिल: नमस्ते मासी जी….आप यहाँ कैसे…

टीना: नमस्ते ये मेरी ननद है. आज इसका कॉलेज का पहला दिन था..इसीलिए साथ आई थी… पायल ये मेरी बेहन की ननद का बेटा है, साहिल…साहिल और ये पायल…चलो अच्छा हुआ..तुम दोनो एक ही कॉलेज मे हो, एक दूसरे के हैल्प करना हाँ….

पायल: हाई साहिल.( ये कह कर उसने साहिल की तरफ अपना हाथ बढ़ाया)


साहिल ने अपने रिज़र्व नेचर के अनुसार शरमाते हुए, अपना हाथ पायल की तरफ बढ़ाया. और जैसे ही पायल ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर साहिल के हाथ को छुआ, तो साहिल ने अपने नज़रें नीचे कर ली…..

साहिल: हेलो पायल.

पायल: कॉन सी क्लास मे हो ?

साहिल: जी बीएससी 1स्ट एअर मे.

पायल: ओह्ह फिर तो हम एक ही क्लास मे हैं. चलो क्लास मे चलते हैं.

साहिल: जी चलिए.

पायल और साहिल दोनो क्लास मे चले गये. दूसरी और घर पर वीना घर के काम निपटा कर बैठी ही थी, कि बाहर डोर बेल बजी. जब वीना ने उठ कर गेट खोला तो, बाहर सुमन खड़ी थी. सुमन को देखते है उसकी आँखों से ख़ुसी झलक उठी. और उसने आगे बढ़ कर अपनी बेटी को गले से लगा लिया.

वीना: कैसे हो बेटी. आज कितने सालों के बाद तुम्हे देख रही हूँ. आओ अंदर चलो.

वीना सुमन को साथ लेकर अंदर आ गयी, और उसे सोफे पर बैठा दिया. और किचिन मे कोल्ड्रींक लाने चली गयी. जब वो वापिस आई तो वो सुमन के पास बैठ गयी.

सुमन: माँ पापा कैसे हैं?

वीना: वो ठीक हैं. तू सुना तुम कैसी हो ?

सुमन: मे भी ठीक हूँ माँ. (सुमन की आँखों और बातों से उसकी दुखी पन सॉफ झलक रहा था. और वो अपने आँसुओं को रोक ना पायी)

वीना: (सुमन को अपनी बाहों मे भरते हुए) ना बेटा रो मत. जब भी हम तुम्हे दुखी देखते हैं. तो हमारा दिल छलनी हो जाता है. तुम्हे भी हमारी याद नही आती.

सुमन: (अपने आँसुओं को पोन्छते हुए) तुम तो जानती हो माँ. मे अकेले नही आ सकती बार-2, और राज का यहाँ आना ठीक नही है. बड़ी मुस्किल से राज को मनाया है. तब जाकर उसने यहाँ आने दिया. अच्छा साहिल कैसा है. कहाँ है वो ?

वीना: वो भी ठीक है. अभी कॉलेज गया है .

सुमन: 5 साल हो गये उसे और आप सब को देखे हुए.

वीना: अर्रे तू दिल छोटा ना कर भगवान सब ठीक कर देगा. एक बार साहिल की पढ़ाई पूरी हो जाए, फिर उसे भी अमित के पास उस भेज देंगे. उस जल्लाद की पहुँच से बहुत दूर.

सुमन: नही माँ. उसने यही रहना होगा.

वीना: पर क्यों.?

सुमन: जब वक़्त आएगा तो पता चल जाएगा माँ. अच्छा ये बताओ साहिल अब दिखने मे कैसा लगता है ?

वीना: देख लेना दोपहर को घर पर आएगा ही.
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mastram
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Re: सियासत और साजिश

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दूसरी तरफ कॉलेज मे पायल और साहिल क्लास मे बैठे हुए थे. साहिल का ध्यान तो पढ़ाई मे था, पर पायल वो तो बस साहिल की ओर कनखियों से देखे जा रही थी. आज इस *** साल की कच्ची कली का दिल पर साहिल आ गया था. वो तो उसे देखते ही दिल दे बैठी थी.

जैसे तैसे कॉलेज ख़तम हुआ, साहिल जैसे ही क्लास से निकल कर बाहर आया, तो पायल उसके पीछे से भागती हुई उसके पास आई.

पायल: साहिल रूको साहिल

साहिल ने पीछे मूड कर पायल की तरफ देखा, पायल उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी.

साहिल: जी.

पायल: कहाँ जा रहे हो?

साहिल: जी घर जा रहा हूँ. कुछ काम था क्या?

पायल: नही कुछ खास नही. मे सोच रही थी, कि अगर हम दोनो थोड़ी देर कहीं घूमने चलते तो.

साहिल: नही पायल जी. आज नही. फिर कभी. घर पर माँ फिकर करेगी.

पायल: ओके नो प्राब्लम. तो कल मिलते हैं. ?

साहिल: जी ठीक है.

और साहिल कॉलेज से निकल कर घर की तरफ चल पड़ा. घर पर सुमन साहिल का इंतजार कर रही थी. उसने खाना भी नही खाया था.

वीना: बेटा खाना खा ले, जब से आई है कुछ नही खाया.

सुमन: माँ साहिल को आ जाने दो. फिर साथ मे खाना खाते हैं.

वीना: अच्छा जैसी तेरी मर्ज़ी.

तभी बाहर डोर बेल बजी.

वीना: लगता है साहिल आ गया. मे गेट खोलती हूँ.

थोड़ी देर बाद वीना के पीछे-2 साहिल अंदर आ गया.

वीना: ये लो आ गया तुम्हारा साहिल.

सुमन को देख कर साहिल के होंठो पर हल्की सी मुस्कान फैल गयी. उसने आगे बढ़ कर सुमन के पावं छुए. सुमन सोफे से खड़ी हो गयी, और साहिल के कंधों से पकड़ कर उसे देखने लगी. ऊपेर से नीचे तक. **** साल की उम्र का होने के बावजूद भी साहिल का बदन किसी भी तरहा राज से कम नही लग रहा था. वैसी ही चौड़ी छाती. हालाँकि कम उम्र होने के कारण उसकी हाइट राज जितनी नही थी. पर अगर जो भी साहिल के कसरती बदन को देखता तो एक बार उसके हाथ पावं फूल जाते.

साहिल: ऐसे क्या देख रही हैं मम्मी जी.

सुमन: कुछ नही बस देख रही थी, कि अब तुम कितने बड़े हो गये हो.

अब वक़्त नज़दीक आ गया है, अब तुम्हे तुम्हारा हक़ और इंसाफ़ मिलने मे देर नही है.

साहिल सुमन की बातों को अच्छे से समझ रहा था. पर सुमन ये नही जानती थी, कि इस ताकतवर जिस्म के पीछे एक बच्चा है, जो आज भी डर कर रातों को उठ कर जाग जाता है, किसी को मारना तो दूर, वो लड़ाई का नाम सुनते ही घबरा जाता है. साहिल सुमन की बात पर कुछ नही बोला.

वीना: जाओ बेटा चेंज कर लो, और फ्रेश हो जाओ. फिर साथ मे खाना खाते है. तुम्हारी मम्मी कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी.

साहिल: जी माँ.

साहिल ऊपेर अपने रूम मे चला गया, और फ्रेश होने के लिए अपने बाथरूम मे घुस गया. नीचे वीना सोच मे डूबी हुई थी. उसे समझ मे नही आ रहा था. कि आख़िर सुमन के मन मे क्या है. बड़ी मुस्किल से उन्होने साहिल को राज के चंगुल से बचा कर उसकी नज़रों से दूर रखा था. पर अब सुमन की बातों से आने वाले ख़तरे का अहसास हो रहा था. कहीं सुमन तो अपने निहत स्वार्थ के लिए साहिल का इस्तेमाल तो नही करेगी. नही -2 ये नही हो सकता. वो मेरी बेटी है, उसके अंदर मेरे संस्कार है. वो ऐसा सोच भी नही सकती.

अगर उसके मन मे कुछ ऐसा भी है. मैं ऐसा कुछ भी नही होने दूँगी. मैं साहिल को वापिस उस नरक मे कभी नही जाने दूँगी. भले ही मैने साहिल को नही जनमा. पर उसे अपने बेटे की तरह पाला है. चाहे कुछ भी होज़ाये. मैं उसे अमित के पास भेज दूँगी. यहाँ से बहुत दूर.

वीना को सोच मे डूबा देख, सुमन से रहा नही गया. वो उठ कर वीना के पास आई, और उसके पास बैठते हुए, उसके कंधे से पकड़ कर हिलाया.

सुमन: क्या हुआ माँ ? क्या सोच रही हो ?

वीना: (थोड़ी देर सोचने के बाद. घबराए हुए मन के साथ) ये तू थोड़ी देर पहले क्या कह रही थी? साहिल से. हक़ कैसा हक़. हमे कुछ नही चाहिए. अब मैं साहिल को उस दलदल मे वापिस नही जाने दूँगी.

सुमन: क्यों माँ. क्या हम चुप करके बैठ जाए. जो उसने किया वो सब भूल जाए. उसने एक नही नज़ाने कितनी जिंदगी बर्बाद की है. उस शैतान को उसके अंज़ाम तक पहुँचाने का वक़्त आ गया है. और मुझे इस काम के लिए साहिल की मदद चाहिए होगी.

वीना: नही सुमन ये ठीक नही है, अर्रे साहिल तो अभी बच्चा है, उसने अभी तो ठीक से दुनियाँ भी नही देखी, फिर वो उस शैतान के साथ कैसे टक्कर ले सकता है, अर्रे किसी से लड़ना तो दूर, वो लड़ाई का शोर सुन कर ही घबरा जाता है. बड़ी मुश्किलो से हमने उसे पाला है. तुम तो यहाँ नही थी. उसके पास, मैने देखा है, जब वो रातों को अक्सर डर कर उठ जाता था. चीखने लग जाता था. सारी-2 रात उसके पास बैठ कर काटी है मैने. अपने सीने से लगा कर उसे हॉंसला देने की कॉसिश की है. उसके वो डर के मारें काँपते हाथ पावं मैने महसूस किए है. उसकी आँखों मे छुपा हुआ खोफ़ मैने देखा है सुमन . वो बड़ी मुस्किल से इन सब बातों को भूल पाया है.

सुमन: पर माँ.

वीना: (बीच मे सुमन को टोकते हुए) पर क्या सुमन. तुम क्या सोचाती हो. तुम राज से लड़ सकती हो? नही सुमन. राज से लड़ कर तुम अपनी और साहिल की जिंदगी को ख़तरे मे ही डालॉगी.

तभी अचानक वीना बोलते -2 चुप हो गयी. और एक तरफ देखने लगी. जब सुमन की आँखों ने अपनी माँ की नज़रों का पीछा किया तो, उसने देखा सामने साहिल खड़ा उनकी बातें सुन रहा था. उसके पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था. वीना साहिल की हालत समझ कर जैसे ही उसकी तरफ जाने लगी. साहिल वापिस अपने रूम मे चला गया. वीना उसे पीछे से पुकारती रही. पर साहिल ने उसकी कोई बात नही सुनी. और अपने रूम मे जाते ही, उसने अपना रूम अंदर से बंद कर लिया.

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mastram
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Re: सियासत और साजिश

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वीना ने उसके रूम के डोर को कई बार नॉक किया. पर साहिल ने अंदर से डोर नही खोला. आख़िर कार वीना वापिस आ गयी. और सुमन के लिए खाना लगा कर अपने रूम मे चली गयी. दोनो मे से किसी ने भी खाना नही खाया. शाम के 4 बजे सुमन साहिल के रूम की तरफ गयी. जब उसने साहिल के रूम का डोर को नॉक किया, तो अंदर से कोई जवाब नही आया.

सुमन: साहिल ओपन दा डोर प्लीज़ मे हूँ, तुम्हारी मम्मी.

थोड़ी देर की शांति के बाद डोर खुलने की आवाज़ आई, जैसे ही डोर खुला. सुमन के सामने साहिल सर झुकाए खड़ा था. वो वापस पलट कर बेड पर जाकर बैठ गया. सुमन रूम के अंदर आई, और साहिल के पास जाकर बैठ गयी. सुमन को बोलने के अल्फ़ाज़ नही मिल रहे थे. आख़िर वो साहिल से क्या कहे. थोड़ी देर सोचने के बाद सुमन ने बोलना शुरू किया.

सुमन: आइ आम सॉरी साहिल. मैने अंजाने मे तुम्हे हर्ट किया. मैं अपने सावर्थ मे अंधी हो गयी थी. तुम अपनी जिंदगी जैसे जीना चाहते हो वैसे ही जीओ. मैं तुम पर कुछ भी करने के लिए ज़ोर नही दूँगी.

ये कह कर सुमन उठ कर बाहर जाने लगी. तभी साहिल ने पीछे से सुमन को आवाज़ लगाई. उसकी आवाज़ मे घबराहट करकसता और रोष एक साथ भरा हुआ था.

साहिल: मम्मी मैं चलूँगा आपके साथ.

सुमन के पैर वहीं जम गये. जब उसने पीछे मूड कर साहिल की तरफ देखा, साहिल की आँखे आँसुओ से भीगी हुई थी. और सुमन की ओर देख रहा था. सुमन को अपने कानो पर यकीन नही हो रहा था. सुमन साहिल की तरफ ऐसे देख रही थी. जैसे वो वही अल्फ़ाज़ साहिल के मुँह से फिर से सुनना चाहती हो. और साहिल भी जैसे सुमन के दिल की बात को समझ चुका था.

साहिल: (अपनी आँखों से आँसू पोन्छते हुए. ताकि सुमन को उसकी आँखों मे घबराहट ना दिखाई दे) हां मम्मी मे चलूँगा आपके साथ. आप जैसे कहेंगी वैसा ही करूँगा. कहिए कब चलना है.

सुमन को इस बात की ख़ुसी थी. कि जिस दिन के लिए वो आज तक जी रही थी. वो घड़ी नज़दीक आ चुकी है. पर सुमन जब से यहाँ आई थी. वो एक बात तो जान चुकी थी, कि साहिल अभी राज से टक्कर लेने के लिए बिकुल तैयार नही है. अभी बहुत कुछ साहिल को सीखना बाकी है. और उसने वो कैसे तैयार करे. बस यही सवाल उसके दिमाग़ मे घूम रहे थे.

सुमन: हां साहिल ले चलूंगी. तुम्हे वहाँ पर अभी नही समये आने दो.

ये कह कर वो साहिल के रूम से बाहर आ गयी. और अपनी माँ वीना के रूम मे चली गयी. और किसी तरहा वीना को मना कर बाहर ले आई. इतने मे जय शर्मा भी स्कूल से वापिस आ चुका था. चारों ने मिल कर खाना खाया. और आपस मे बातें करने लगी. पर सुमन के दिमाग़ मे कुछ और ही चल रहा था. फिर अचानक से उसे अपनी बेहन टीना की याद आई. उसका पति एक आइपीएस ऑफीसर था. और उसने बहुत ही ख़तरनाक केस मे काम किया था.

सुमन: माँ टीना भी तो आज कल यही रहने आई हुई है ना.

वीना: हां बेटा वो भी देल्ही मे है. कल चलते है उनसे मिलने.

सुमन: ठीक है माँ. कल जब साहिल कॉलेज से घर वापिस आएगा. तब हम तीनो सुमन से मिलने चलेंगे.

फिर उसके बाद चारो ने मिलकर खाना खाया. इस दौरान सब आपस मे नॉर्मल बातें करते रहे. पर सुमन के मन मे तूफान उठा हुआ था. जब से उसे पता चला था कि, साहिल भी अपना बदला लेने के लिए तैयार है, उसके दिमाग़ मे बस यही चल रहा था कि, वो साहिल को राज के सामने ले जाने से पहले उसे कैसे तैयार करे.

नेक्स्ट डे जब साहिल कॉलेज पहुँचा तो, पायल जैसे उसी के इंतजार मे खड़ी थी. साहिल को देखते ही, उसके होंठो पर मुस्कान आ गयी. वो साहिल के पास गयी, और मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखते हुए बोली.

पायल: क्या साहिल आज इतनी लेट कैसे हो गये?

साहिल: (मुस्कुराते हुए) लेट कहाँ लेट हुआ हूँ. अभी तो 10 मिनट हैं क्लास शुरू होने मे.

पायल: (अपनी घड़ी मे टाइम देख कर झांपते हुए) ओह्ह हां शायद मुझ ग़लती लग गयी. सुनो आज कॉलेज के बाद चलो गे ने घूमने.

साहिल: सॉरी पायल जी मे आज भी नही जा पाउन्गी.

पायल का चेहरा उतर गया. साहिल की बात सुन कर. पर साहिल उसकी और देख कर मुस्कुरा रहा था.

पायल: अच्छा नही चलना तो नही सही. पर ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हो.

साहिल: वो क्या है ना. घर पर सुमन मम्मी आई हुई हैं. आज उनके साथ मे आपके घर आ रहा हूँ. उनको टीना मासी से मिलना था.

पायल: (साहिल की बात सुन कर खुस होते हुए) क्या तुम आज हमारे घर पर आ रहे हो? वाउ ये तो बहुत अच्छी बात है.

साहिल: (साहिल को नज़ाने क्यों एक अजीब सा सकून महसूस हो रहा था. पायल को खुस को देख कर) हां सच मे आ रहे हैं. अब चले क्लास मे चलते हैं, टाइम हो रहा है.

पायल: हां चलो क्लास मे.

साहिल का तो पता नही, पर पायल का कॉलेज का टाइम कैसे निकला, उसे पता तक नही चला. वो तो बार -2 बस साहिल की ओर देख कर ठंडी आँहे भरती रही. जब साहिल कॉलेज से घर आया, तो सुमन और वीना दोनो उसका इंतजार कर रही थी. तीनो ने दोपहर का खाना खाया, और वो टीना के घर की तरफ निकाल लिए.

सारे रास्ते मे सुमन के मन मे बस यही उधेड़ बुन चल रही थी. कि वो कैसे, टीना के पति से साहिल के बारे मे बात करे. क्या टीना का पति साहिल को ट्रैनिंग देने के लिए राज़ी हो गा. अगर साहिल को उसे ट्रेनिंग दिलवाने का कारण उसने पूछ लिया, तो वो क्या कहेगी. सुमन बस यही सब सोच -2 कर परेशान थी. खैर तीनो टीना के घर पहुँचे .

पायल ने पहले से ही टीना को साहिल और सुमन के आने के खबर दे दी थी. टीना अपनी माँ और बड़ी बेहन सुमन को देख कर बहुत खुस हुई. टीना उनको लेकर अंदर आ गयी. और उन्हे बैठते हुए, खुद किचिन मे चली गयी. पायल भी टीना के पीछे-2 किचिन मे आ गयी, और टीना की हैल्प करने लगी.

थोड़ी देर बाद टीना और पायल उनके लिए कोल्ड्रींक्स और स्नॅक्स लेकर उनके पास आ गये. फिर सब इधर उधर की बातें करने लगी. थोड़ी देर बातें करने के बाद सुमन टीना को लेकर उसके रूम मे चली गयी.
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टीना: हां दीदी बोलो क्या बात है?

सुमन: वो सुमन तुम्हारे पति घर कब वापिस आते हैं.

टीना: दीदी कोई पक्का टाइम नही है. पर रात 9-10 बजे तक आ जाते हैं. क्यों कोई काम था उनसे ?

सुमन: हां वो दरअसल मुझ उनसे साहिल के बारे मे कुछ बात करनी थी.

टीना: क्या बात है दीदी. तुम परेशान दिखाई दे रही हो?

सुमन: वो टीना वो मुझ समझ मे नही आ रहा. मे कैसे कहूँ ?

टीना: दीदी मे आपकी छोटी बेहन हूँ. आप खुल कर मुझसे किसी भी तरहा की बात कर सकती हो.

सुमन: दरअसल तुम तो जानती है हो. साहिल कैसे नेचर का है. मे चाहती थी, कि अगर तुम्हारे पति साहिल को कुछ दिनो के लिए अपने पास रख कर गन चलाना और कुछ और सेल्फ़ डिफेन्स के बारे मे सिखा सकें तो,

टीना: लो दीदी इतनी सी बात. मे उन्हे बोल दूँगी. आप तो ऐसे ही परेशान हो रही थी.

सुमन: ठीक है पर इस बात का माँ को पता नही चलना चाहिए.

टीना: पर क्यों इसमे कॉन सी ग़लत बात है.

सुमन: नही माँ नही चाहती इसीलिए कह रही हूँ.

टीना: (एक पल के लिए सुमन की बातों को सुन कर तीन सोच मे पड़ गयी) अच्छा -2 ठीक है. चलो अब बाहर चल कर कुछ नाश्ता कर लो.

सुमन: ठीक है चलो चलते हैं.

तीनो थोड़ी देर और रुकने के बाद घर वापिस आ गयी. टीना ने घर पर अपने पति सुरजीत से साहिल के बारे मे बात के. और सुरजीत जो सचाई को नही जानता था. उसने हामी भर दी. रात को ही टीना ने सुमन को फोन करके बता दिया. और साहिल को अगले दिन से सुबह उसके घर भेजने के लिए कहा. क्योंकि. टीना का पति सुबह 9 बजे जाता था. इस दौरान उसके पास काफ़ी फ्री टाइम रहता था.

जब सुमन को ये बात पता चला. तो वो साहिल के रूम मे चली गयी. और साहिल को अगले दिन से रोज सुबह टीना के घर जाने के लिए बोल दिया.



और साहिल ने वीना को ये बताया कि, वो कल से अपनी किसी टीचर के पास ट्यूशन के लिए जा रहा है. अगले दिन सुमन सुबह है गाँव वापिस चली गयी. उसने साहिल को अगले महीने फिर से आने के लिए कहा. दूसरी तरफ पायल जो सुबह लेट से उठी थी. आज साहिल घर पर आ रहा है, ये सुन कर वो सुबह जल्दी ही उठ बैठी . जब साहिल ने टीना के घर के बाहर आकर डोर बेल बजी.

तो पायल भागती हुई गेट पर गयी, और गेट खोला. सामने साहिल को देख कर उसके होंठो पर बहुत ही प्यारी सी मुस्कान फैल गयी. और साहिल का हाथ पकड़ते हुए उसे अंदर ले आई.

साहिल: (साहिल को पायल के इस बिंदास व्यवहार से थोड़ा अजीब सा लग रहा था. और वो मन ही मन ये दुआ कर रहा था, कि ऐसे कोई उसे देख ना ले) पायल जी मे यहीं हूँ. कहीं भाग कर जा नही रहा. मेरा हाथ तो छोड़िए.

जब पायल को अहसास हुआ कि, उसने साहिल के हाथ को पकड़ा हुआ है. वो एक दम से शरमा गयी. और उसने अपनी नज़रों को झुकाते हुए, साहिल का हाथ छोड़ दिया.

पायल: आप बैठो , मैं भैया को बुला कर लाती हूँ.

साहिल सोफे पर बैठ कर इंतजार करने लगा. थोड़ी देर बाद पायल वापिस आई, और उसने साहिल को अपने साथ ऊपेर छत पर चलने को कहा.

पायल: साहिल वो भैया कह रहे कि, आप छत पर चलो. चलो मे आपको साथ मे ले चलती हूँ.

साहिल पायल के साथ ऊपेर छत पर आ गया. और सुरजीत के आने का इंतजार करने लगा. थोड़ी देर बाद सुरजीत भी ऊपेर आ गया.

साहिल: नमस्ते मौसा जी.

सुरजीत: नमस्ते बेटा. और सूनाओ. कैसे हो. पड़ी कैसे चल रही है तुम्हारी. सब ठीक है ना.

साहिल: जी सब ठीक है. पढ़ाई भी शुरू हो गयी है.

सुरजीत: अच्छा ठीक है, देखो साहिल आज तो मुझ किसी केस के सिलसिले मे जल्दी निकलना है. पर जाने से पहले मे तुम्हे आज गन लोड करना और चलाने के बारे मे कुछ बता देता हूँ.

साहिल: जी ठीक है.

सुरजीत: वैसे तुम्हे क्या ज़रूरत पड़ गयी. ये सब सीखने की.

साहिल: (थोड़ा घबराते हुए) वैसे ही. बस शॉंक है.

सुरजीत: चलो ठीक है.

फिर सुरजीत अपने साथ ली हुई गन निकाल कर साहिल को समझाने लगा. गन कैसे लोड करते हैं. चलाते कैसे है. और पायल उनसे कुछ दूरी पर टहलते हुए, चोर नज़रों से साहिल की तरफ देख रही थी. उसका दिल बार -2 यही कर रहा था. कि साहिल उसकी चढ़ती हुई जवानी को देखे. पर साहिल पूरे दिल के साथ सुरजीत की बातों को सुन रहा था.
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थोड़ी देर साहिल को समझाने के बाद सुरजीत खड़ा हो गया, और साहिल को बोला कि , वो आज खाली गन के साथ प्रॅक्टीस करे. मैं अभी जा रहा हूँ.

साहिल: ठीक है. आप जाएँ. मे भी थोड़ी देर बाद निकलता हूँ.

सुरजीत नीचे चला गया, तैयार होने के लिए, जैसे ही सुरजीत नीचे गया, तो पायल साहिल के पास गयी, और उसके पास बैठ गयी. साहिल का ध्यान अभी उसके हाथ मे पकड़ी हुई, पिस्टल पर था. साहिल को अपनी तरफ ना देखता देख, पायल बोखला सी गयी, और उसके हाथ से पिस्टल छीनते हुए बोली.

पायल: क्या यार. मैं कब से तुम्हारे पास बैठी हूँ. और तुम इस गन को ऐसे देख रहे हो, जैसे पहली बार देख रहे हो.

साहिल: (पायल की आँखों मे देखते हुए, जो प्यार से भरी हुई थी. पर उसकी प्यार भारी आँखों मे अपने प्यार से रूठना सॉफ दिखाई दे रहा था.) हाँ पहली बार ही तो देख रहा हूँ.

पायल: (मुँह बनाते हुए) तो इसी को देखते रहना. मैं जा रही हूँ नीचे.

साहिल उसकी आँखों मे अपने लिए छुपे हुए प्यार को देख चुका था. जब पायल सीडयों से नीचे जा रही थी. तो साहिल उसे मुस्कुराता हुआ देख रहा था. जब पायल ने पीछे मूड कर देखा, तो साहिल के होंठो पर मुस्कान देख कर, उसका गुस्सा एक दम से ख़तम हो गया. दोनो ने एक दूसरे को देखा, दोनो के होंठो पर प्यार भरी मुस्कान थी. पायल ने नज़रें झुका ली. जैसे जतलाना चाहती हो. कि मे तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. पर तुम समझ नही रहे.

पायल के जाने के थोड़ी देर बाद, साहिल भी नीचे आ गया. पायल नीचे हाल मे ही बैठी हुई थी. साहिल को नीचे उतरता देख, पायल अपने बालों को सेट करनी लगी. जैसे वो खुद को उसके सामने खूबसूरत देखने की कॉसिश कर रही हो.

पायल: जा रहे हो ?

साहिल: हां. अब घर जाकर कॉलेज के लिए तैयार भी तो होना है.

पायल: कल फिर आओगे ना ?

साहिल: (पायल की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए) हां. कलाज मे मिलते हैं. अच्छा अब मे चलता हूँ.

साहिल पायल के घर से निकल कर अपने घर की तरफ चल पड़ा. पायल गेट पर खड़ी तब तक उसे देखते रही, जब तक कि साहिल उसकी नज़रों से ओझल नही हो गया. फिर साहिल रोज सुबह यूँ ही पायल के घर पर आने लगा. कभी -2 सुरजीत को जल्दी जाना पड़ता. इस दौरान पायल और साहिल की नज़दीकयँ बढ़ती रही. अब साहिल भी पायल को चाहने लगा था. पर साहिल जानता था कि, उसे खुद भी अपने अंज़ाम का पता नही है, फिर वो पायल को कैसे अपने प्यार का इज़हार कर सकता है. साहिल के कॉलेज का 1 साल पूरा हो चुका था. सुरजीत ने उसे काफ़ी बदल दिया था.

अब साहिल वही डरपोक किस्म का नही रहा था. जब साहिल के 1स्ट एअर के एग्ज़ॅम के बाद कॉलेज 1 मंथ के लिए क्लोज़ था. इस बात का जैसे ही सुमन को पता चला, तो उसने सोच लिया कि, यही सही वक़्त है. अब किसी भी तरहा साहिल को यहाँ लाना पड़ेगा. पर माँ का क्या. उनको कैसे मनाऊ. और साहिल यहाँ कहाँ रहेगा. मैं राज से क्या कहूँ. सुमन उस दिन सोचती रही. जब शाम को वो सो रही थी, उसके रूम के डोर पर दस्तक हुई.

सुमन ने उठ कर डोर खोला, तो सामने हरिया खड़ा था. हरिया को देखते ही, उसके दिमाग़ मे आया कि, हरिया इस काम मे उसकी मदद कर सकता है, साहिल को बचाने मे भी उसने बहुत मदद की थी.

सुमन: साहब हैं घर पर.

हरिया: नही मालकिन वो बाहर गये हुए हैं. आप आ जाएँ चाइ बन गयी है.

सुमन: अच्छा आप चलें. मे आती हूँ. मुझ आप से कुछ ज़रूरी बात भी करनी है ?

हरिया: जी.

सुमन बाहर हाल मे आकर सोफे पर बैठ गयी. हरिया चाइ की ट्राइ ले आया, और सुमन के सामने टेबल पर रखते हुए बोला. कहिए मालकिन क्या बात करनी है.

सुमन: काका आप तो जानते हैं कि, साहिल अब बड़ा हो गया है, अब राज को उसके अंजाम तक पहुँचाने का टाइम आ गया है. इसके लिए आप को मेरी मदद करनी होगी.

हरिया: मालकिन मैं तो ग़रीबी और कमज़ोरी के चंगुल मे फँसा आदमी हूँ. भला मे राज बाबू जैसे ताकतवर और रोबदार इंसान के विरोध मे कैसे लड़ सकता हूँ. ये मैं नही कर सकता. और वैसे भी मैं उनके माँ बाप के टाइम से इस हवेली मे काम कर रहा हूँ. इस हवेली और इसके लोगो के बहुत अहसान है मेरे ऊपेर. साहिल को बचाना अलग बात थी. एक इंसान होने के नाते ये मेरा फर्ज़ था कि, मैं उस नन्ही सी जान को बचाऊ.

सुमन: पर काका क्या तुम वो सब भूल गये. जो राज ने किया. तुम्हे याद है ना. राज की गंदी नीयत के चलते ही, तुम हमेशा अपनी बेटी से दूर रहे. वो दिन भूल गये, जब राज ने पूनम से ज़बरदस्ती करने की कोशिस की थी. अगर वक़्त रहती मे देख ना लेती. तो तुम्हारी बेटी का क्या होता. उस इंसान के नही उस हैवान की एक ही सज़ा है. और वो मौत.

हरिया: मे कुछ नही भूला मालकिन. पर मैं कर भी क्या सकता हूँ.

सुमन: तुम बस इतना करो क़ि, साहिल के रहने का इंतज़ाम कुछ दिनो के लिए कर दो. तुम्हारी बेटी अपने पति के साथ पास वाले शहर मे ही रहती है ना?. वहाँ पर कुछ दिनो के लिए साहिल के रहने का इंतज़ाम कर दो. फिर साहिल को पूनम के पति का चचेरा भाई बना कर उसे राज के पास काम दिलवा दो. बाकी मे देख लूँगी.

हरिया: ठीक है मालकिन. पर आपको मुझसे एक वादा करना होगा.

सुमन: हां बोलो.

हरिया: मुझ भले ही चाहे कुछ हो जाए. पर पूनम और उसके पति को कुछ नही होना चाहिए.

सुमन: ठीक है, उनकी ज़िम्मेदारी हम लेते हैं. तुम साहिल के रहने का इंतज़ाम करो. मैं साहिल को यहाँ बुल्वाती हूँ.

सुमन ने दोपहर को टीना के घर पर फोन किया. और उसे कहा कि, वो साहिल से बात करना चाहती है. पर कल दोपहर को फिर से फोन करेगी. साहिल को अपने घर पर बुलवा लेना. टीना ने साहिल के घर पर फोन किया. और साहिल को अगले दिन अपने घर आने को कहा. अगले दिन साहिल दोपहर को टीना के घर पर गया. घर पर टीना अकेली थी. दोपहर के 1 बजे सुमन का फोन आया. और उसने साहिल से बात करके सारी बात समझा दी. साहिल के सामने अब ये प्राब्लम थी, कि वो के मंथ के लिए बाहर जा रहा है. पर वो घर पर क्या कहेगा.

शाम को जब जय शर्मा घर वापिस आया, तो साहिल उसके पास जाकर बैठ गया.

साहिल: बाबा वो आपसे एक बात करनी थी.

ज़य शर्मा: हां बोलो बेटा.

साहिल: वो बाबा मेरे कॉलेज के फ्रेंड्स. कुछ दिनो के लिए मंसूरी जा रहे हैं, घूमने के लिए. क्या मे भी उनके साथ जा सकता हूँ.

ज़य शर्मा साहिल की ओर एक टक देखने लगा. साहिल आज तक कभी अकेला कहीं नही गया था. पर जय शर्मा साहिल मे पिछले कुछ दिनो मे बदलाव को देख कर खुश था. साहिल ने कभी उनसे कुछ नही माँगा था. और जय शर्मा जानता था, कि साहिल बहुत ही सुलझा और समझदार लड़का है. वो कभी भी ग़लत काम नही करेगा.

ज़य शर्मा: तो घूमने जाना चाहते हो.

साहिल: जी बाबा.

ज़य शर्मा: ठीक है चले जाओ. कब जा रहे हो ?

साहिल: जी बाबा कल जाउन्गा.

ज़य शर्मा: (उठ कर अलमारी से 20000 रुपये निकाल कर साहिल को देते हुए) ये लो बेटा. और इसमे से अपने लिए कोई अच्छा सा मोबाइल ले लेना. ताकि हम तुमसे बात करते रहे.

साहिल: (पैसे लेते हुए) जी बाबा.


अगले दिन साहिल सुबह ही तैयार होकर घर से निकल पड़ा. ज़य शर्मा ने उसे अपनी कार से स्टेशन तक छोड़ दिया. ज़य शर्मा स्कूल जाने के लिए जल्दी मे था. इसीलिए वो स्टेशन के बाहर ही साहिल को छोड़ कर चला गया. साहिल ने उस शहर के लिए ट्रेन पकड़ी. जहाँ कभी जय शर्मा रहता था. शाम के 6 बजे. साहिल उसी शहर मे पहुँच गया.
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