भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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तभी अंदर से आशना का चीखना चिल्लाना एक बंद हो गया. बिल्कुल खामोशी छा गयी. वीरेंदर और बिहारी लगातार दरवाज़ा पीट रहे थे.

वीरेंदर(रोते हुए): आशना, दरवाज़ा खोलो अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मैं अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाउन्गा.

काफ़ी देर तक वो दोनो दरवाज़ा पीटते रहे और फिर अचानक से रूम का दरवाज़ा खुला. अंदर की सारी लाइट्स जल रही थी. एक दम से इतनी रोशनी मे आ जाने से वीरेंदर और बिहारी की आँखे चुन्धिया गयी. जब उन दोनो की नज़रें अंदर के नज़ारे पर ठहरी तो जहाँ वीरेंदर के मुँह से एक ज़ोरदार चीख निकली वहीं बिहारी खड़े खड़े काँप गया.

सामने आशना अपने बालों को बिखराए खड़ी थी और उसके मुँह से अजीब अजीब आवाज़ें निकल रही थी. वीरेंदर ने आगे बढ़ कर आशना को थामना चाहा लेकिन आशना ने अपना हाथ आगे करके उसे रुक जाने का इशारा किया.

आशना: दूर रह मुझसे वीरेंदर शर्मा. मैं आशना नहीं हूँ बल्कि इस वक्त आशना के जिस्म मे मेरी आत्मा, बीना की आत्मा है.

आशना के गले से निकल रही आवाज़ ऐसा लग रहा था कि किसी औरत और मर्द की मिली जुली आवाज़ें हों. उसकी भयानक आवाज़ सुनकर बिहारी खड़े खड़े काँपने लगा.

वीरेंदर: क....क्या कह रही हो तुम आशना?

आशना ने ज़ोर दार ठहाका लगाया. उसके हँसने की आवाज़ भी काफ़ी डरावनी थी.

आशना: सही कह रही हूँ मैं वीरेंदर. याद है उस रात जब मैं तुमसे मिलने आई थी. उस रात अगर एक एमर्जेन्सी ना आई होती तो मैं तुम्हे अपना जिस्म दे चुकी होती और तुम हमेशा हमेशा के लिए मेरे हो जाते. काश ऐसा होता और मैं वहाँ से ना जाती.

वहाँ से जाने के बाद जैसे ही मैने कार स्टार्ट की और कुछ आगे बढ़ी, कार की ब्रेक्स फैल हो चुकी थी. मैं काफ़ी तेज़ी से कार चला रही थी जिस कारण कार को किसी तरह रोक पाने से पहले ही मैं डिवाइडर से टकरा गयी और उसी समय मेरे प्राण निकल गये.

वीरेंदर: ल.......लेकिन इस में हमारा कोई दोष नहीं है.

आशना: दोष? दोष है, इसी लड़की का दोष है जिसके जिस्म मे मैं इस वक्त शरण लेकर बैठी हूँ. शायद इसी के प्यार मे पड़कर तुमने मेरा कत्ल करवा दिया.

वीरेंदर: नहीं यह झूठ है डॉक्टर. आंटी. मैं भला आप को क्यूँ मारूँगा? आप को इस बात की ग़लत फहमी है.

आशना: ग़लत फहमी नहीं बल्कि मुझे पूरा एकीन है कि मेरी कार के ब्रेक्स फैल किए गये थे.

बिहारी बुत सा बना सब देख रहा था. उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था. वो थर थर काँप रहा था.

वीरेंदर: लेकिन आपको मार कर हमारा क्या फ़ायदा होता.

आशना ने बिहारी की तरफ देखा और बोली: फ़ायदा होता, मेरी मौत से इस बिहारी का ज़रूर फ़ायदा होता.

बिहारी(जो अभी तक हैरान-परेशान सा खड़ा था): यह क्या बकवास है बीना जी. भला मेरा क्या फ़ायदा होता इस सब मे? आप से मेरी कोई ज्यादाती दुश्मनी नहीं है और वैसे भी मैं तो आपको वीरेंदर बाबू के मध्यम से ही जानता हूँ.

आशना: तो ठीक है, तुम मे से कोई भी अपना गुनाह नहीं कबूलेगा ना. कोई बात नहीं, अभी तो मैं जा रही हूँ लेकिन फिर आउन्गि, जब तक मेरे कातिल को सज़ा नहीं मिलेगी तब तक ना मैं चैन से बैठूँगी और ना ही तुम सबको बैठने दूँगी जिनके कारण मेरी मौत हुई है.


तभी आशना को एक ज़ोरदार हिचकी आई और उसने अपने पेट को पकड़ लिया. अपने पेट को ज़ोर से दबाते हुए वो बेड पर बैठ गयी और रोने लगी. वीरेंदर दौड़ता हुआ उसके पास गया.वीरेंदर ने उसकी बगल मे बैठ कर आशना को गले से लगा लिया और रोने लगा. आशना का जिस्म अभी भी काँप रहा था.

बिहारी का खून ठंडा पड़ चुका था. आशना की आवाज़ नॉर्मल हो चुकी थी. अब उसके गले से उसी की आवाज़ निकल रही थी.

आशना: मुझे बचा लो वीरेंदर, मैं मरना नहीं चाहती. बीना की आत्मा मुझे मार देगी.

वीरेंदर: तुम्हे कुछ नहीं होगा आशना, हम कल ही यह घर छोड़कर चले जाएँगे. तुम चिंता ना करो. अब हम यहाँ नहीं रहेंगे.

तभी आशना ने बिहारी की नज़रों से बचा कर एक बार फिर से अपने पेट पर हाथ रख कर दबा दिया और फिर अचानक से खड़ी हो गयी.

आशना(फिर से उसी डरावनी आवाज़ मे): खबर दार अगर किसी ने भी इस घर से जाने की सोची तो. जब तक मुझे मेरा कातिल नहीं मिल जाता तक तब जो भी इस घर से जाने की कोशिश करेगा, समझ लो दुनिया से उठ जाएगा. जान की सलामती चाहते हो तो मेरे कातिल को ढूँढ कर मेरे हवाले कर दो. मैं हर पल इसी घर मे आपके आस-पास ही मौजूद रहूंगी.

यह कहकर आशना फिर से बैठ गयी और धीरे से अपनी बेल्ट पर लगे बटन को दबा दिया.

बिहारी की तो जैसे जान ही निकल गयी थी. सब एक दूसरे का मुँह देख रहे थे.

वीरेंदर: काका अब हम क्या करें, हमें तो पता भी नहीं कि यह सब कैसे हो गया? बीना आंटी को क्यूँ लगता है कि उनका कत्ल हम ने किया है?

बिहारी क्या जवाब देता, वो तो जड बन चुका था. उसके चहरे पर डर सॉफ दिखाई दे रहा था.उसके दिन की धड़कन बहुत ही तेज़ी से चल रही थी. उसे किसी भी वक्त हार्ट-अटॅक आ सकता था.

आशना: वीरेंदर, प्लीज़ आप यहाँ मेरे कमरे मे ही सो जाइए, मुझे बहुत डर लग रहा है.

वीरेंदर: काका, सुबह सोचते हैं क्या करना है. आप भी अपने कमरे मे जाकर सो जाइए मैं आशना के साथ यहीं रहूँगा. काफ़ी डर गयी है यह, पता नहीं वो आत्मा फिर से कब इसके अंदर आ जाए.

बिहारी की तो हिम्मत नहीं हो रही थी अपने कमरे मे जाने की.

बिहारी: छोटे मालिक, डर तो मुझे भी बहुत लग रहा है. मैं भी यहीं किसी कोने मे ही सो जाउन्गा.

वीरेंदर: काका, आप बे-वजह डर रहे हैं. वो तो सिर्फ़ आशण को ही नुकसान पहुँचा रही है. बीना आंटी को शायद यही लगता है कि उनकी जान इसी के कारण गयी है तभी तो वो सिर्फ़ इसके ही सामने आती हैं. आप चिंता ना करे, मुझे और आप को वो कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगी. आख़िर हम निर्दोष हैं और अगर सच मे ही किसी ने उनकी कार की ब्रेक्स फैल कर दी थी तो जल्द ही हमे दोषी को ढूँढना होगा वरना वो आशना की जान ले लेगी और फिर उसके बाद हमे भी मार डालेगी.

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Dolly sharma
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वीरेंदर की बातें सुनकर बिहारी और भी डर गया. वो जानता था कि बीना का गुनहगार तो वो खुद है तो उसका डरना लाज़मी था. डरते डरते बिहारी सीडीयों तक पहुँचा. वो अपने चारो तरफ ऐसे देख रहा था जैसे किसी को ढूँढ रहा हो. जैसे ही बिहारी ने कुछ सीडीया उतरी, आशना ने बटन दबा कर कहा: बदला लूँगी, एक एक से बदला लूँगी.

यह सुनते ही बिहारी के कदम लड़खड़ा गये और वो गिरता पड़ता किसी तरह नीचे पहुँचा. तेज़ी से भाग कर वो अपने कमरे मे घुसा और झट से हनुमान चालीसा पढ़ने लगा. काफ़ी देर तक वो हनुमान चालीसा पढ़ता रहा. जैसे ही वो आँखे बंद करता, बीना का चेहरा उसकी आँखों के आगे आ जाता. सारी रात बिहारी ने बैठ कर गुज़ारी. सुबह तक उसकी हालत काफ़ी खराब हो चुकी थी. दर्द से उसका सर फटे जा रहा था.

वहीं आशना और वीरेंदर को अपनी इस कामयाबी पर बहुत खुशी थी. वो बिहारी के दिल मे दर पैदा करने मे कामयाब हो चुके थे.

वीरेंदर ने आशना के टॉप के अंदर से एक छोटा सा माइक निकाला और उसे चूम कर कहा: आज पहली बार लग रहा है कि मैने पापा के एलेक्ट्रॉनिक्स बिज़्नेस को जाय्न करके कोई ग़लती नहीं की. अब तक तो यही लगता था कि मैं अपनी एमबीए की डिग्री यूँ ही बर्बाद कर रहा हूँ.

आशना ने पॅंट की बेल्ट से अटॅच्ड उस वाइयरलेस माइक का कंट्रोल निकाल कर वीरेंदर को दे दिया.

आशना: यह पकडो इसका रिमोट, यह तो सच मे बहुत ख़तरनाक डिवाइस है. मुझे तो आज पता चला कि हॉरर मूवीस मे भूत की आवाज़ कैसे निकाली जाती है.

वीरेंदर ने माइक और रिमोट आशना की पॅंट की पॉकेट मे डाल दिया.

आशना: अब तो वो सारी रात डर के मारे सो नहीं पाएगा. चलो हम भी उसके की-चैन मे छुपाये हुए माइक्रोफोन की रेकॉर्डिंग सुन लेते हैं. शायद कुछ काम की बात पता चल जाए.

वीरेंदर: रेकॉर्डिंग तो सुबह भी सुनी जा सकती है. इस वक्त मेरे ख़याल से हमे सो जाना चाहिए.

आशना: ठीक है वैसे भी आप थक गये होंगे. यह सब प्लान करने मे आपको काफ़ी मेंटल स्ट्रेस भी तो हुआ होगा.

वीरेंदर(शरारत भरी नज़रों से देखते हुए): स्ट्रेस तो है और तुम चाहो तो मेरा स्ट्रेस दूर भी कर सकती हो.

आशना ने शरमाकर वीरेंदर की तरफ देखा और बोली: अपना स्ट्रेस डोर करने के आपके इरादे मुझे नेक नहीं लग रहे.

वीरेंदर: इरादे तो एकदम नेक हैं मेडम अगर प्यार से मान जाओ, वरना तुम्हे एक बार जो बिना कपड़ो के देख ले वो तो आवेश मे आकर तुम्हारा रेप करने से भी ना चुके.

आशना: मुझे तो लगता है कि आपको ज़बरदस्ती करना कुछ ज़्यादा पसंद है.

वीरेंदर ने आशना की आँखों मे देखा और बोला: सच पूछो तो मेरी यह फॅंटेसी रही है कि मैं अपनी बीवी के साथ एक बार तो यह खेल ज़रूर खेलूँ. वैसे तो रेप करने वालों से मुझे सख़्त नफ़रत है लेकिन सेक्स मे अगर थोड़ी वाइल्डनेस हो तो इसका रोमांच क्या होता है, मैं इसे फील करना चाहता हूँ.

वीरेंदर की बात सुनकर आशना अंदर तक सिहर गयी. शायद कुछ कुछ ऐसी ही फॅंटेसी उसकी भी थी. उसके भी दिल के किसी कोने मे तड़प तड़प कर सेक्स फील करने की चाहत थी. आशना का दिल ज़ोर से धड़क उठा था अपनी इमोर्टल डिज़ाइर के लिए. अपने दिल की बात वो अपनी ज़ुबान पर ला पाने मे असमर्थ थी. वो चाहती थी कि वीरेंदर कदम आगे तो बढ़ाए वो झट से उसे थाम लेगी और उसकी हरकतों मे शरीक होकर इस ताबू को फील करना चाहेगी.

वीरेंदर: मैं तुम्हारे चेहरे पर वो दर्द देखना चाहता हूँ गुड़िया जब मैं तुम्हे बिना किसी इंसानियत के नोचूँ. मैं तुम्हारे जिस्म मे उठती हुई दर्द भरी हलचल को तुम्हारे चेहरे पर देखना चाहता हूँ. जानता हूँ कि तुम इसे मेरा सन्किपन समझोगी मगर तुम्हे दर्द देकर मुझे जो आनंद मिलेगा उसे मैं शब्दों मे बयान नहीं कर पाउन्गा.

आशना ने वीरेंदर की आँखों मे देखा. वीरेंदर की आँखों मे इस बात को लेकर डर था कि उसके मन की बात जानकर आशना पता नहीं किस तरह से रिएक्ट करेगी वहीं आशना की आँखों मे स्वीकृति और तपिश देख कर वीरेंदर के दिल की धड़कनें बढ़ गयी थी.

आशना ने वीरेंदर की आँखों मे देखते हुए आगे बढ़ना शुरू किया और उसके करीब पहुँचकर धीरे से होंठ हिलाकर बोली: सुना है कि आपके रूम से कोई भी आवाज़ बाहर नहीं जाती.

वीरेंदर ने सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देखा.

आशना: वेट फॉर मी वीर, आइ विल कॉल यू सून.

यह कह कर आशना अपने रूम से बाहर निकल गयी. वीरेंदर का शरीर अपनी फंतासी के पूरा होने की कल्पना में काँप रहा था. हाथ पाँव ठंडे पड़ने लगे थे जबकि सारे जिस्म की गर्मी उसकी आँखों और कानो मे उमड़ आई थी. उसके दिल की धड़कन एकदम तेज़ हो गयी थी. उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि वो किसी बहुत ही बड़े काम को अंजाम देने जा रहा है. उसके लिंग ने आने वाले पॅलो की कल्पना मे अपने विराट रूप को इख्तियार कर रखा था.


वीरेंदर को एक एक पल भी बहुत भारी लग रहा था. थोड़ी देर बाद उसकी पॉकेट मे पड़ा मोबाइल वाइब्रट हुआ. फोन की तरफ देखे बिना ही वीरेंदर अपने कमरे की तरफ भागा. कमरे का दरवाज़ा हल्का सा खुला हुआ था. सारे कमरे मे अंधेरा छाया था. वीरेंदर ने झट से स्विच ऑन किया जिसकी रोशनी बस बिस्तर पर फोकस्ड थी.

बिस्तर पर आशना ब्लू कलर की एक छोटी सी मिनी-स्कर्ट और टाइट वाइट टॉप मे थी. उसके सर पर लेदर की एक वाइट कॅप थी. उसे देखते ही वीरेंदर समझ गया कि आशना ने इस वक्त अपनी एयिर्हसटेस्स की यूनिफॉर्म पहन रखी है. हालाँकि जब से आशना ने वीरेंदर के साथ रहना शुरू किया है, उसने थोड़ा सा वेट पुट ऑन कर लिया था जिस वजह से उसके जिस्म का हर कर्व उस ड्रेस मे उभर कर दिख रहा था. आशना उसकी तरफ देख कर स्माइल कर रही थी.

आशना ने उंगली के इशारे से उसे अपनी तरफ बुलाया और बोली: हाउ कॅन आइ हेल्प यू सर?

वीरेंदर तो जैसे मन्तर्मुगध हो गया था. उस से कुछ बोले नहीं बन रहा था. वो तो आने वाले हसीन पल की कल्पना मे खो गया था. आशना जैसी लड़की को अपना जीवन साथी पाकर वीरेंदर अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समझ रहा था.

वीरेंदर को एकटक अपनी तरफ देख कर आशना शरमा गयी. उसने नज़रें झुककर अपने हाथ वीरेंदर की तरफ बढ़ा दिए. वीरेंदर, आशना की इस हरकत से होश मे आया. आशना की कलाईयों मे बँधे रेशमी गुलाबी रिब्बन्स को देख कर वीरेंदर का दिल और ज़ोर से धड़कने लगा. हालाँकि आशना ने नज़रें झुका रखी थी लेकिन उसकी आँखों मे उठते हुए आमंत्रण भाव को वीरेंदर सॉफ पढ़ सकता था.

आशना की मांसल जांघे आपस मे जुड़ी हुई थी और उसने पैरों की एडीयो पर भी कलाईयों की तरह ही गुलाबी रंग के रेशमी रिब्बन बाँध रखे थे. गुड़िया अपने वीर के लिए पूरी तरह से समर्पण भाव मे थी. अपने वीर को वो हर खुशी, हर तरंग देना चाहती थी जिन्हे वीरे ने अपने दिल मे बसा रखा था.
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वीरेंदर की तरफ से कोई हरकत ना पाकर आशना ने वीरेंदर की तरफ देखा लेकिन वीरेंदर तो किसी अद्वित्य लोक की कल्पना मे खोया हुआ था.

आशना(गले को सॉफ करने की आवाज़ निकालते हुए): लगता है यहाँ पर कोई अपने ही ख़यालों मे खो गया है. उसमे तो दूसरों के जज़्बात समझने की शक्ति ही नही बची.

आशना की तड़प भरी पुकार को सुनकर वीरेंदर एक बार फिर से होश मे आया. वीरेंदर कुछ कहने ही वाला था कि आशना ने उसे खामोश रहने का इशारा किया. वीरेंदर बोलते बोलते रुक गया. आशना ने शरमाते हुए अपने पैरों मे बँधे रिब्बन को पकड़ा और एक एक करके उन्हे लेफ्ट और राइट साइड पर बेड पोस्ट से बाँध दिया. वीरेंदर को ऐसा लग रहा था कि उसका दिल निकल कर बाहर आ जाएगा. आशना का भी बुरा हाल था लेकिन वो वीरेंदर की खुशी के लिए कुछ भी करने को आतुर थी. दोनो पैरों को अलग अलग बाँध कर आशना बिस्तर पर पीठ के बल लाइट गयी.

वीरेंदर की तरफ देख कर आशना बोली: कम ऑन वीर, टाइ माइ हॅंड्ज़ आंड मौल मी ऐज यू विश. कम ऑन, आइ आम वेटिंग फॉर युवर वाइल्ड लव वीर. युवर गुड़िया ईज़ लॉंगिंग फॉर युवर वाइल्डनेस.

आशना की इस पुकार ने वीरेंदर के सबर का बाँध तोड़ दिया और वो दौड़कर आशना के पास चला गया. आशना ने झट से अपने हाथ हवा मे उठाकर उन्हे बांधने का इशारा किया. वीरेंदर ने उसे स्माइल दी और बोला: सब कुछ बाँध दूँगा तो हिल भी नहीं पाओगी.

आशना: पिन मी वीर. आइ डॉन'ट वॉंट टू मूव अंडर यू. आइ जस्ट वॉंट टू गिव यू वॉट यू वॉंट आंड वॉंट टू गेट वॉट आइ डिज़ाइर.

वीरेंदर ने आराम से उसके हाथ पीछे की तरफ बाँध दिए.

वीरेंदर: ओह शिट मॅन, अब ड्रेस का क्या करूँ. यह कैसे उतारूँगी?

आशना उसकी तरफ देख कर शरमाकर मुस्कुराइ और बोली: मेरे पास अभी दो और सेट और हैं यूनिफॉर्म के. वैसे भी वाइल्ड सेक्स मे जब लड़की की फिकर नहीं तो फिर कपड़ो की क्यूँ?

आशना का जवाब सुनकर वीरेंदर बौखला उठा. झट से अपने कपड़े उतार कर वो एकदम नंगा खड़ा हो गया. वीरेंदर का लिंग पूरे शबाब मे अकडा हुआ खड़ा था. उसके विशाल रूप को देख कर एक बार तो आशना की भी रूह कांप गयी लेकिन फिर उसने वीर की तरफ देख कर अपनी जीभ होंठों पर फिरा दी.

वीरेंदर: सेक्सी गर्ल. आइ लव टू फक यू हार्ड बेबी. आइ विल फक यू टिल यू क्राइ आंड प्रे मी टू लीव यू. आशना के जिस्म मे एक मीठे दर्द का आभास हुआ.

वो जानती थी कि अब बातों का दौर ख़तम हो चुका है. वीरेंदर को और उकसाने का मतलब शैतान को लालायित करना था. वीरेंदर, आशना के उपर लेट गया. आशना की टाँगों मे अपने निचले शरीर को टिका कर वो उसके उपर आ गया. आशना ने उसे अपने उपर से झटकने की कोशिश की तो वीरेंदर एक तरफ लूड़कते लूड़कते बचा. वीरेंदर ने हैरानी से उसकी तरफ देखा.

आशना( आँखें बंद करके): इतनी आसानी से थोड़ी ही रेप करने दूँगी अपना.

वीरेंदर उसकी बात सुनकर ताव मे आ गया.

वीरेंदर: पहली ग़लती तो तुम्हारी यह है कि तुमने अपने हाथ पैर बँधवा लिए और दूसरी ग़लती यह कि मेरी फॅवुरेट डिश को मेरे आगे रखकर मुझसे छिनने की कोशिश कर रही हो . अब देखो मैं तुम्हारा क्या हशर करता हूँ. मुझे तो तुम्हारी चिंता हो रही थी और तुम हो कि मुझे और उकसा रही हो.

आशना: जा जा, रेप ऐसे ही हो जाता है क्या? कोई भी लड़की इतनी आसानी से अपना जिस्म ढीला नहीं छोड़ती.

वीरेंदर ने उठकर उसके हाथ पैर खोल दिए. आशना मुस्कुरा कर वीरेंदर की इस हरकत को देख रही थी. उसके दिल मे वीरेंदर के लिए इज़्ज़त और बढ़ गयी थी.

वीरेंदर: अब तुम भी मेरी तरह आज़ाद हो. देखते हैं कि अब इस कमरे से तुम बचकर कैसे जाती हो. तुम देख लेना कुछ ही समय मे मैं अपने अरमान पूरे कर लूँगा.

आशना: लगी बेट.

वीरेंदर ने आशना को अपने सीने से जकड लिया और बोला: बेट मे क्या लगाओगी गुड़िया. पिछला गिफ्ट तो तुम पहले ही हार चुकी हो और बहुत जल्द मैं उसे रिसीव भी करने वाला हूँ.

आशना ने वीरेंदर के कान मे धीरे से कहा: एनितिंग फॉर यू माइ वीर.

उसके बाद बिस्तर पर सेक्स का जो खेल हुआ वो सच मे किसी रेप से कम ना था. जहाँ आशना वीर के चंगुल से निकालने का भरसक प्रयास करती रही वहीं वीरेंदर को आशना को अपने नीचे संतुलित रखने के लिए काफ़ी मेहनत करनी पड़ी. वीरेंदर जैसी शक्सियत से भीड़कर आशना थक कर चूर हो चुकी थी. और जब आशना थक कर टूट गयी तो वीरेंदर ने अपना दाव खेला और झट से अपने लिंग को उसकी योनि पर रखकर एक ज़ोरदार धक्के से उसे जड तक प्रवेश करा दिया.
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