भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete
- Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete
- rangila
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी
Waiting for next and wish u a very haapy diwali
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
- Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना के गले से दिल दहला देने वाली चीख निकली मगर इस बार वीरेंदर नहीं रुका. लंबे और ताकतवर धक्कों के साथ वो आशना की योनि को मथने लगा. इस वाइल्ड फक्किंग से आशना जल्द ही सखलित हो गयी. वीरेंदर बिल्कुल हैवान की तरह उसे नोच रहा था. ना जाने आशना कितनी बार सखलित हुई और साँसें दुरुस्त करके वीरेंदर के अमानवीय धक्कों को सहती रही. अंत मे जब वीरेंदर के लिंग की नसें फूली तो आशना ने एक ज़ोरदार चीख के साथ वीरेंदर के लिंग को अपने गर्भ मे प्रवेश करवाया और उसके वीर्य के समुंदर का सॅंगम अपनी छलक्ति नदी से करवाते हुए अपनी कोख के महासागर मे सींच लिया.
सुबह जब बिहारी अपने कमरे से बाहर निकला तो वो अभी भी डरा हुआ था. उसकी नज़रें हाल के चारो और ऐसे दौड़ रही थी जैसे किसी को ढूँढ रहा हो लेकिन सूरज के उजाले मे रात का डर थोड़ा फीका पड़ जाता है.
किचन मे जाकर उसने नाश्ता तैयार किया. इस बीच आशना, अपनी ऑर वीरेंदर की फंतासी भरी रात बिताकर अपने कमरे मे जा चुकी थी. कुछ देर बाद आशना और वीरेंदर फ्रेश होकर नीचे आए. आशना को देख कर बिहारी एक दम सकपका गया.
बिहारी के चेहरे पर आए डर के भाव पढ़ते हुए आशना ने रुआंसी होकर कहा: काका, आप भी मुझसे डर रहे हैं. वीरेंदर भी मेरे पास आने से कतराने लगे हैं. अब आप भी ऐसा करोगे तो मैं इस घर मे कैसे रह पाउन्गी. मुझे तो लगता है कि मुझे यहाँ से चली ही जाना चाहिए.
बिहारी: ऐसी ग़लती ना करना बिटिया. जानती हो ना बीना की आत्मा ने सचेत किया था कि कोई भी इस घर से जाने की कोशिश करेगा तो वो हम सब को मार देगी.
आशना: हमे क्यूँ मारेगी काका वो. वो तो अपने कातिल से बदला लेने के लिए आई है. हम ने उसका कतल नहीं किया तो भला हम क्यूँ डरे.
आशना(वीरेंदर की तरफ देखते हुए): वीरेंदर, अब तो आपको यकीन हो गया ना कि मैं आपसे झूठ नहीं बोल रही थी. बीना जी की आत्मा सच मे वापिस आ गयी है.
वीरेंदर: यकीन नहीं होता लेकिन कल रात जो आँखों से देखा उसे झुठला भी नहीं सकता.
बिहारी: बाबू जी, पहले तो मुझे भी अजीब लगा था जब आपने मुझे आशना बिटिया के हाल के बारे मे बताया था लेकिन कल रात जो भी देखा, उसे नकारा भी तो नहीं जा सकता. मुझे तो लगता है कि सच मे बीना जी की आत्मा वापिस आ गयी है.
वीरेंदर: लेकिन अगर वो वापिस आ भी गयी है तो वो यहाँ क्यूँ आई? हम ने तो उसे नहीं मारा.
बिहारी से कोई भी जवाब देते ना बना.
आशना खाने की टेबल पर बैठ चुकी थी. रात भर वीरेंदर द्वारा किए गये अतिक्रमित सेक्स के कारण वो काफ़ी थकि हुई महसूस कर रही थी. उसके चेहरे को देख कर इस वक्त अनुमान लगाया जा सकता था कि वो शायद काफ़ी बीमार है. बिहारी भी यही समझ रहा था कि आत्मा के प्रवेश ने उसके बदन को झींझोड़ दिया है.
बिहारी, आशना की इस अवस्था को देख कर परेशान हो उठा था. वो आशना के जिस रूप पर फिदा था, इस वक्त आशना उसके बिल्कुल विपरीत दिख रही थी. बेतरतीब हुए बाल, ढीली सी टी-शर्ट और मुरझाया हुआ चेहरा.
आशना, बिहारी के मनो भाव को अच्छे से समझ रही थी. उसे इस वक्त बिहारी से सख़्त चिड हो रही थी. उसका मन कर रहा था कि उठकर बिहारी को एक ज़ोरदार झापड़ रसीद करे. वीरेंदर भी आशना के दिल मे उठ रहे आक्रोश से अन्भिग्य ना था. ऐसी सिचुयेशन्स से निपटने केलिए उसने आशना को पहले ही आगाह कर रखा था और उसे क्या करना है यह भी बता दिया था.
वीरेंदर और आशना ने चुपचाप नाश्ता किया. बिहारी को वो यह जताना चाहते थे कि उनके बीच काफ़ी तनाव पैदा हो गया है. काफ़ी हद तक वो बिहारी के सामने तनावपुराण वातावरण दर्शाने मे कामयाब रहे थे. वो यह भी जानते थे कि बिहारी जैसा साँप किसी भी वक्त काट सकता है. उसका फन जल्द ही ना कुचला गया तो वो ख़तरनाक हो सकता है.
जब तक बिहारी ने किचन का काम ख़तम किया तब तक वीरेंदर और आशना टेबल पर ही बैठे रहे. कोई किसी से कुछ ना बोला. बिहारी उनके बीच की चुप्पी से काफ़ी परेशान था. वो चाहता था कि जल्द से जल्द इन दोनो का मिलन हो जाए ताकि वो अपने प्लान मे कामयाब हो जाए और फिर किसी तरह आशना को लेकर इस घर से हमेशा हमेशा के लिए दूर चला जाए.
किचन से बाहर आकर बिहारी वीरेंदर के पास जाकर खड़ा हो गया.
बिहारी: छोटे मालिक मुझसे आशना बिटिया की यह हालत देखी नहीं जा रही. मेरी जान पहचान के एक तांत्रिक बाबा हैं जो बीना की आत्मा को क़ैद करके हमे छुटकारा दिला सकता है. आप अगर आग्या दें तो मैं उनसे निवेदन करके उन्हे यहाँ पर बुला लाउ.
वीरेंदर की आँखों में चमक आ गयी.
वीरेंदर: काका, क्या यह सच मे संभव है? मेरा मतलब क्या आशना उस आत्मा के चंगुल से बच सकती है?
बिहारी: क्यूँ नहीं छोटे मालिक. वो तांत्रिक बाबा बहुत ही पहुँचे हुए बाबा हैं. उनके लिए तो यह काम बाए हाथ का है. मैं अभी उनके पास जाकर उन्हे अपने साथ ले आता हूँ. भगवान ने चाहा तो कल का सूरज हम सब की ज़िंदगी से इस अंधेरे को मिटा देगा.
वीरेंदर: काका, चलिए मैं भी आप के साथ चलता हूँ. आप रुकिये मैं चेंज करके आता हूँ. वीरेंदर अभी सीडीयों तक पहुँचा ही था कि आशना ने पहले से सुनियोजित किए हुए प्लान के मुताबिक अपने बेतरतीब बालों को झटक कर आगे की तरफ किया और टेबल के नीचे से अपने हाथों से अपनी बेल्ट पर लगा बटन दबा दिया.
जिस वक्त आशना ने अपने बालों को झटका दिया उस वक्त बिहारी आशना के ठीक सामने खड़ा था. जैसे ही आशना ने यह हरकत की, बिहारी उछल कर दूर जा गिरा. बिहारी की हालत देख कर आशना की हँसी निकल गयी लेकिन बटन दबने से माइक्रोफोन से एक डरावनी हँसी की आवाज़ आई. ठीक उसी वक्त वीरेंदर के कदम भी रुक गये. आशना के चेहरे पर आए बालों को देख कर और उसकी डरावनी हँसी सुनकर वीरेंदर समझ गया कि प्लान का दूसरा फेज़ शुरू हो चुका है.
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी
वीरेंदर झट से बिहारी के पास जाकर खड़ा हो गया. आशना(डरावनी आवाज़ मे): कोई मेरा कुछ नहीं बिगड़ पाएगा. आने दो उस तांत्रिक को, एक एक को देख लूँगी. एक बार वो तांत्रिक अगर यहाँ आ गया तो चुन चुन कर तुम सबका खून पी जाउन्गी. किसी को ज़िंदा नहीं छोड़ूँगी.
वीरेंदर(डरते हुए): बीना आंटी ल...... लेकिन आप हमारे पीछे क्यूँ पड़ी हैं? आपके कतल में हमारा कोई हाथ नहीं.
बीना: हाथ है, तुम तीनो मे से ही किसी ने मेरी कार की ब्रेक्स फैल की थी. अगर ऐसा नहीं है तो मेरे कातिल का पता करना तुम्हारा काम है. अगर कल तक मुझे अपने कातिल का पता ना चला तो मैं तुम मे से किसी को भी नहीं छोड़ूँगी.
बिहारी थर थर काँप रहा था. वीरेंदर भी डरने का नाटक कर रहा था.
वीरेंदर: बीना आंटी आपने आशना के शरीर का ही सहारा क्यूँ लिया. क्या आपको लगता है कि यह सब इसी ने किया है.
बीना: इसी के कारण हुआ है मेरे साथ जो भी हुआ है. मेरा कतल होने की वजह यही लड़की है. कल तक अगर मुझे मेरे कातिल का पता ना चला तो सबसे पहले मैं इसे ही मारूँगी. उसके बाद तुम दोनो को तडपा तडपा कर मारूँगी.
वीरेंदर: नहीं बीना आंटी.........
इस से पहले के वीरेंदर आगे कुछ बोल पता, आशना ने एक ज़ोरदार ठहाका लगाया. आशना ने तुरंत ही अपनी बेल्ट पर लगे बटन को प्रेस किया और उसकी चीख पूरे हाल मे गूँज गयी. चीख मारते ही आशना बेहोश होकर टेबल पर गिर पड़ी. वीरेंदर ने दौड़कर उसे सहारा दिया. बिहारी वहीं खड़ा जड बन चुका था.
आशना को अपने कमरे मे छोड़ कर जब वीरेंदर नीचे पहुँचा तो उसने जड बन चुके बिहारी को झींझोड़ा. बिहारी एक दम घबरा कर दूर हट गया.
वीरेंदर: काका, होश मे आइए, मैं हूँ. क्या हुआ है आपको? इस तरह डरे हुए क्यूँ लग रहे हैं आप?
बिहारी: वो, वो मुझे मार डालेगी मालिक. मुझे बचा लीजिए, मैं मरना नहीं चाहता.
वीरेंदर: काका, कुछ नहीं होगा. हम कल तक कुछ ना कुछ ज़रूर कर लेंगे.
वीरेंदर ने बिहारी के कान मे कहा: काका हमे इसी वक्त उस तांत्रिक को यहाँ बुला लेना चाहिए. चलिए हम दोनो उनसे निवेदन करके उन्हे यहाँ लेकर आते हैं.
बिहारी की आँखों में दर के भाव थे. उन्ही डरी हुई आँखों से उसने पहले वीरेंदर की तरफ देखा और फिर हाल के चारो और नज़र दौड़ाई. डर उसके चेहरे से सॉफ झलक रहा था.
बिहारी(धीमे से): अगर उस आत्मा को पता लग गया तो वो आज के आज ही हमे मार डालेगी मालिक. अब मुझे मरने से कोई नहीं बचा सकता. वो मार देगी मुझे.
वीरेंदर: होश मैं आओ काका, क्या बके जा रहे हो. वो बस तुमको ही नहीं मुझे और आशना को मारने की धमकी भी दे गयी है. इस से पहले कि वो हम में से किसी को कोई नुकसान पहुँचाए, हमे जल्द से जल्द इस आत्मा को इस घर से निकालने के लिए उस तांत्रिक की मदद लेनी ही होगी. इस से पहले के आशना कि शरीर पर वो आत्मा क़ब्ज़ा कर ले, हमे आशना को बचाना होगा.
बिहारी को इस वक्त आशना या वीरेंदर से कोई सहानुभूति ना थी. उसे बस उनकी दौलत से प्यार था जिस के लिए उसने यह सारा खेल रचा था. उसे क्या पता था कि बीना का कतल उसे इतना भारी पड़ेगा. बीना की मौत के बाद तो वो निसचिंत हो गया था कि देर-सवेर वो इस दौलत को हथिया ही लेगा. बिहारी इस वक्त इतना ज़्यादा डर चुका था कि वो बिना दौलत के भी यहाँ से भाग निकलता लेकिन बीना की आत्मा की धमकी सुनकर वो कोई भी ख़तरा मोल नहीं लेना चाहता था.
वीरेंदर उसे खींच कर घर से बाहर ले गया और गाड़ी मे अपने साथ आगे बिठा दिया. बिहारी अभी भी कांप रहा था. वो बहुत डरा हुआ था. उसे ऐसा लग रहा था कि बीना की आत्मा उसके आस पास ही है. गाड़ी को हाइवे पर लाकर वीरेंदर ने स्पीड पकड़ ली. घर से दूर आकर अब बिहारी भी नॉर्मल साँसें ले रहा था.
तभी बिहारी को अपने कान के पीछे कुछ हलचल महसूस हुई. उसने झट से पीछे मुड़कर देखा लेकिन उसे वहाँ कोई ना दिखा. बिहारी के दिल की धड़कन एक दम तेज़ हो गयी.
वीरेंदर: डरो मत काका, यहाँ कोई नहीं है. वो आत्मा घर से बाहर हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती. उसके लिए उसे आशना के शरीर का सहारा लेना पड़ेगा और आशना इस वक्त घर मे ही है. हमे जल्द से जल्द तांत्रिक को अपने साथ लाना होगा. आशना इस वक्त घर मे बिल्कुल अकेली है, उसकी जान को ख़तरा है.
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी
कहानी बढ़िया चल रही हँ... और जल्दी जल्दी आगे बढाओ ...