भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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देर शाम को शुरू हुआ मूवी देखने का सिलसिला अगले दिन दोपहर तक चला. हर एक मूवी को बार-बार देख कर वो उसमें से ज़रूरी बातें नोट करते रहे. दोपहर तक सारा प्लान फाइनल हो चुका था.

अब सबसे ज़रूरी था इस प्लान का आगाज़ करना. होटेल मे लंच करने के बाद वीरेंदर और आशना अपने शोरुम गये और वहाँ से कुछ ज़रूरी अपने साथ लेकर फिर से नोएडा मे अपने हनिमून सूट मे आ गये. आशना, वीरेंदर के काम करने के तरीके और तेज़ दिमाग़ से काफ़ी इंप्रेस हुई थी. उसे वीरेंदर द्वारा बनाए हुए प्लान के सफल होने की पूरी उम्मीद थी. वीरेंदर का यह रूप उसने पहले कभी नहीं देखा था. इस वक्त वीरेंदर बिल्कुल एक डीटेक्टिव की तरह सोच रहा था और उसे अमल मे लाने के लिए काफ़ी मेहनत कर रहा था.

आशना भी उसका बखूबी साथ निभा रही थी. आख़िर दोनो को ज़िंदगी भर साथ रहने के लिए इस वक्त साथ होना बहुत ज़रूरी था. शाम को यमुना नदी के किनारे बैठ कर उन्होने आने वाले दिनो के हसीन ख्वाब देखे और फिर वहीं से अपने प्लान पर अमल करना शुरू कर दिया.

सबसे पहले वीरेंदर ने अपने डीटेक्टिव दोस्त को फोन करके इस मामले को यहीं पर ख़तम करने के लिए कह दिया और उस से यह वादा लिया कि फ्यूचर मे कोई प्राब्लम होगी तो वो उसकी हेल्प करेगा. उसके बाद घर आकर हल्का सा डिन्नर करके वीरेंदर और आशना निकल पड़े प्लान के पहले फेज़ के लिए जो के बहुत ही अहम था.


अगली सुबह, वीरेंदर और आशना ऑफीस चले गये और फिर दोपहर को वापिस "शरमा निवास" मे आ गये.

आशना-वीरेंदर को देखकर बिहारी की साँस अटक गयी.

बिहारी(चेहरे पर झूठी खुशी लाते हुए): मालिक आप तो एक हफ्ते के लिए गये थे तो फिर अचानक से इतनी जल्दी वापिस कैसे आ गये? सब कुशल मंगल तो है?

वीरेंदर(चेहरे पर दुख भरे भाव लाते हुए): काका, ग़लती कर ली इसे वहाँ ले जाकर. वीरेंदर ने आशना की तरफ इशारा करते हुए कहा.

बिहारी ने आशना की तरफ देखा. आशना के चेहरे को देखकर बिहारी को भी थोड़ा अजीब लगा. कहाँ वो खिला हुआ चेहरा और अब तो ऐसा लग रहा था कि इस लड़की में जान ही नहीं है. चेहरा काफ़ी उतरा हुआ था, जैसे काफ़ी दिन से बीमार हो.

बिहारी: क्या हुआ मालकिन, आप ठीक तो हैं.

आशना ने बिहारी की तरफ देखा और बोली: वो....वो यहाँ भी आएगी. नहीं छोड़ेगी वो, वो मेरा पीछा करते हुए यहाँ भी आएगी.

आशना की हालत देख कर बिहारी चौंक गया. बिहारी ने वीरेंदर की तरफ सवालिया नज़रों से देखा.

वीरेंदर: काका पता नहीं कुछ दिनो से इसे क्या हो गया है. जब से हम यहाँ से गये हैं यह खोई खोई सी रहने लगी है. अजीब अजीब सी बातें करती है. अब पिछले दो दिन से इसे यह वहम हो गया है कि डॉक्टर. बीना की आत्मा वापिस आ गयी है.

इतना सुनते ही बिहारी के पैरों से ज़मीन खिसक गयी.

बिहारी: क,क्या ....ये...यह कैसे हो सकता है?

वीरेंदर: यही बात तो मैं इसे समझा रहा हूँ कि यह सब फिल्मों में होता है, असल ज़िंदगी में ऐसा नहीं होता. इतना पढ़ने-लिखने के बाद भी अंधविश्वाश ने इसे जकड रखा है. देल्ही जैसे बड़े शहर मे रहकर डॉक्टर की पढ़ाई करने वाली लड़की इन सब बातों मे कैसे विश्वास कर सकती है.

बिहारी की आँखों मे खोफ़ सॉफ देखा जा सकता था.

वीरेंदर: काका, आप रागिनी को फोन करके जल्दी बुला लीजिए. अब रात को रागिनी इसके पास ही सोया करेगी. इसे तो अकेले सोने मे भी डर लगता है.

बिहारी को एक और झटका लगा.

बिहारी: ल..... ले..... लेकिन रागिनी का तो अभी तक कोई पता नहीं चला. जब से गयी है, उसने कोई फोन भी नहीं किया. उसका फोन भी स्विचऑफ आ रहा है.

वीरेंदर: पता नहीं यह लड़की कहाँ चली गयी.

काका: आपने अपने गाँव में ही किसी से फोन पर बात करके पूछना था कि वो वहाँ पहुँची भी है या नहीं.

बिहारी की आँखो मे डर बढ़ता ही जा रहा था.
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jay
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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बिहारी: मैने गाँव मे अपने एक दोस्त को फोन करके पूछा था मालिक, लेकिन वो वहाँ पहुँची ही नहीं.

वीरेंदर: तो कहाँ गयी होगी वो?

बिहारी: हो सकता है मालिक वो यहाँ से निकल कर कहीं और चली गयी हो. जवान लड़की है, किसी के प्यार मे पड़कर यहाँ से भाग निकलने के लिए उसने मुझसे झूठ बोला होगा.

वीरेंदर: अगर ऐसे हुआ तो आप उसके घर वालो को क्या जवाब देंगे काका?

बिहारी: भला इसमे मैं क्या कर सकता हूँ मालिक. उसकी ही मर्ज़ी नहीं थी इस घर मे रहने की तो मैं उसे ज़बरदस्ती यहाँ कैसे रख सकता था.

वीरेंदर- ह्म्म्म्म , लेकिन मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा. अचानक से जैसे हमारे घर को किसी की नज़र लग गयी हो.

बिहारी खामोश रहा.

वीरेंदर, आशना को उसके रूम मे ले गया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया. नीचे आकर वीरेंदर ने बिहारी को एक की चैन दिया.

वीरेंदर: काका इस ट्रिप पर आपके लिए कुछ ख़ास तो नहीं ला सका. यह एक की चैन ही लाया हूँ आपके लिए, आप घर की ज़रूरी चाबियाँ इसी की-चैन मे पिरो लीजिए, आपको काफ़ी परेशानी होती होगी सभी चाबियों को संभाल कर रखने मे.

बिहारी ने वीरेंदर से की चैन ले लिया और मन मे सोचने लगा: अब तो बहुत जल्द घर की तिजोरिओं की सारी चाबियाँ ही इस की चैन मे डालूँगा.

वीरेंदर ने बिहारी को आशना का ध्यान रखने को कहा और खुद ऑफीस जाने के लिए निकल गया. वीरेंदर के जाते ही उसकी साँस मे साँस आई.

बिहारी: चिंता मत कर वीरेंदर तेरे इस बेशक़ीमती छल्ले मे तो मैं घर की बेशक़ीमती तिजोरियों की चाबियाँ ही रखूँगा, बस जल्दी से आशना का वेहम दूर हो जाए और तुम दोनो एक दूसरे के इतने करीब आ जाओ कि दुनिया के सामने जब तुम्हारा सच आए तो तुम्हे मुँह दिखाने की जगह भी ना मिले. सोचा था कि काम हो जाने के बाद रागिनी को रानी बना कर रखूँगा और आशना को अपनी रखैल बनाकर लेकिन रागिनी की किस्मत मे तो कुछ और ही लिखा था शायद. अब तो बहुत जल्द ही उसे मारना होगा. अफ़सोस तो बहुत होगा उसे मारने का. तुम्हारी दौलत के लिए पहले बीना की और अब रागिनी की बलि चढ़ती है तो चढ़ जाने दो, आख़िर आशना तो बच ही जाएगी मेरी प्यास भुजाने के लिए. कसम से एक बार उसे चोद कर जन्नत का नज़ारा तो ज़रूर करूँगा.

बिहारी: आज तो रागिनी को खाना खिलाने की भी ज़रूरत नहीं, आख़िर साली को आज रात मारना जो है.

ऑफीस का काम ख़तम करके वीरेंदर शाम को थोड़ा देर से घर पहुँचा. बिहारी ने उसे बताया कि आशना सारा दिन अपने कमरे में आराम करती रही और उसने कुछ खाया भी नहीं.

वीरेंदर जब आशना के रूम मे पहुँचा तो उसे देख कर आशना उठकर बैठ गयी. वीरेंदर ने दरवाज़ा बंद किया और आशना की तरफ देख कर मुस्कुराया.

वीरेंदर: तुम तो कमाल की आक्ट्रेस हो यार. उसे अभी तक हम पर कोई शक नहीं हुआ. अच्छा है इसी बहाने आज तुमने सारा दिन रेस्ट किया, आख़िर रात को तो जागना ही है.

आशना ने शरमा कर नज़रें झुका ली और वीरेंदर की तरफ देख कर बोली: मुझे नहीं लगता कि, बिहारी पर इस बात का कोई भी असर पड़ा है कि मुझे बीना का भूत दिखाई दिया.

वीरेंदर: क्यूंकी बिहारी ने उसे खुद मारा है बस उस मर्डर को एक ऐक्सीडेंट का रूप दे दिया.

आशना: क्या, क्या कह रहे हैं आप? इस बात का तो हमारे पास कोई सबूत नहीं है कि बीना का मर्डर हुआ है.

वीरेंदर: सब समझा दूँगा डार्लिंग, रात को ज़रा गहरा तो लेने दो. बस बिहारी को सब काम निपटा लेने दो. बीना के ना सही लेकिन उसके भूत तो आज ज़रूर नाचेंगे.

आशना: मुझे बहुत भूख लगी है वीरेंदर. आपके कहने पर मैने बीमार होने का नाटक तो कर लिया लेकिन भूख के मारे जान निकल रही है.

वीरेंदर ने अपना बॅग खोला और आशना को खाने का पॅकेट थमा दिया.

वीरेंदर: जब तक तुम कुछ खा लो तब तक मैं फ्रेश होकर आता हूँ.

वीरेंदर के जाते ही आशना ने डोर लॉक कर दिया. वीरेंदर फ्रेश हो चुका था और बिहारी ने उसे चाइ भी पिला दी थी. वीरेंदर ने बिहारी को खाने के लिए मना कर दिया था. वीरेंदर जानता था कि आशना उसके बिना खाना नहीं खाएगी.

बिहारी ने सोच रखा था कि आज की रात आशना और वीरेंदर को खाने मे नींद की दवाई मिला कर खिला देगा ताकि वो निसचिंत होकर रागिनी को ठिकाने लगा सके लेकिन वीरेंदर ने उसके इस मंसूबे पर पानी फेर दिया.

बिहारी ने खाना खाया और किचन की सफाई करके अपने रूम मे चल दिया.

वीरेंदर ने आशना के रूम मे जाकर आशना के साथ डिन्नर किया और फिर वीरेंदर ने आशना को एक हेडफोन दिया कान से लगाने के लिए.

आशना: यह क्या है वीर?

वीरेंदर ने आशना के कान मे हेडफोन लगाया और अपनी जेब से एक ट्रांसमीटर निकाल कर उसका बटन ऑन कर दिया.

आशना वीरेंदर की तरफ हैरानी से देखने लगी. वीरेंदर ने आशना को खामोश रहने का इशारा किया और उसे ध्यान से सब सुनने के लिए कहा.जैसे जैसे आशना सुनती रही उसकी आँखें हैरानी से खुलती चली गयी.

सारी रेकॉर्डिंग सुनकर, आशना ने हेडफोन कान से निकाला और वीरेंदर की तरफ हैरानी से देखने लगी: छी कितना कमीना इंसान है यह वीर. मेरे बारे मे कितना गंदा सोचता है यह. इसे तो मैं अपने हाथों से मारूँगी.

वीरेंदर मुस्कुराया और आशना की तरफ देख कर बोला: इसमें उस बेचारे का भी कोई दोष नहीं, तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि तुम्हे जो भी देखेगा, कम से कम एक बार छुने के लिए तो तडपेगा ही.

वीरेंदर की बात सुनकर आशना ने वीरेंदर की तरफ गुस्से से देखा और उसे मारने के लिए दौड़ी.

वीरेंदर ने उसे पकड़ कर अपने से चिपका लिया और बोला: चिंता मत करो गुड़िया, तुम्हारा यह वीर हर उस हाथ को काट देगा जो तुम्हे छुने के लिए उठेगा.

आशना ने भी वीरेंदर को कस कर जकड लिया और बोली: वीर मुझे बहुत डर लग रहा है. यह तो बहुत खरनाक आदमी है. बीना को इसी ने मारा है और अब रागिनी को भी मारने वाला है. तभी आशना को जैसे कुछ याद आया हो.

आशना: वीर लेकिन आपने यह रेकॉर्डिंग कब की?

वीरेंदर: तुम्हे याद है जब हम नोएडा से वापिस आने के लिए निकले थे, मैं एक शॉप पर रुका था.

आशना: हाँ लेकिन.......

वीरेंदर: पूरी बात तो सुनो जानेमन, सब समझ आ जाएगा.

उस शॉप से मैने एक की चैन लिया.

आशना: लेकिन की चैन का इस रेकॉर्डिंग से क्या संबंध है?

वीरेंदर: यार तुम सवाल बहुत करती हो. सुनो तो सही.
उस के चैन के अंदर मैने एक पॉवेरफ़ुल्ल माइक्रोफोन फिट कर दिया है और यह ट्रांसमीटर (अपने हाथ मे पकड़े ट्रांसमीटर की तरफ इशारा करते हुए) इस के चैन क आस पास हो रही सारी बातें रेकॉर्ड कर एक चिप में स्टोर कर देता है. मैने वो की चैन बिहारी को गिफ्ट कर दिया था. जिस कारण उसकी अपने आप से की हुई बातें इस में रेकॉर्ड हो गयी.

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Dolly sharma
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आशना को जब सारी बात समझ आई तो वो वीरेंदर की सोच और तेज़ दिमाग़ से काफ़ी इंप्रेस हुई.

आशना: अब तो हमारे पास उसका कन्फेशन भी है, हम पोलीस स्टेशन जाकर बीना के मर्डर मे बिहारी को पकड़वा सकते हैं.

वीरेंदर: हां बिल्कुल पकड़वा सकते हैं लेकिन उस से मेरे दिल को तसल्ली नहीं मिलेगी. उसने मेरी जान पर बुरी नज़र डाली है, उसे इतनी आसान सज़ा नहीं दिलवाउंगा.

आशना: वीर मुझे डरा लगता है इस बिहारी से. आप प्लीज़ यह रेकॉर्डिंग पोलीस को जाकर दे दीजिए ताकि वो जल्द से जल्द पोलीस की गिरफ़्त मे आ जाए.

वीरेंदर: ऐसा करने से यह बात उस से छुपि नहीं रहेगी कि हम ने ही उसे फँसाया है. अगर उसे इस बात का पता चल गया तो वो कोर्ट मे हमारे रिश्ते को बदनाम करने से पीछे नहीं हटेगा, इसलिए हमे वोही करना होगा जो हम ने पहले से सोच रखा है.

आशना(कुछ देर सोचने के बाद): ओके डीटेक्टिव साहब, जैसा आप कह रहे हैं वैसा ही होगा.

रात करीब 11:30 बजे जब बिहारी आश्वस्त हो गया कि वीरेंदर और आशना गहरी नींद सो रहे हैं, उसने दूध के गिलास मे बेहोशी की दवाई मिलाई और पोर्च की तरफ चल दिया. उसने वहाँ पर रखा एक टोल बॅग उठा लिया.

बिहारी(बॅग से स्क्रयू ड्राइवर और हथोडा निकालते हुए): मेरे शेरो, आज तुम्हे फिर से इस्तेमाल करने का वक्त आ गया है. बीना की मौत के बाद अब तुम्हे रागिनी का काम भी तमाम करना है. ज़रूरत पड़ी तो तुम्हे वीरेंदर के खिलाफ भी इस्तेमाल करूँगा, उसके बाद तुम हमेशा के लिए आज़ाद हो जाओगे. एक बार मुझे आज़ादी दिला दो, उसके बाद तुम्हारी पूजा किया करूँगा. बॅग को वहीं रखकर, बिहारी ने स्क्रूड्राइवर कुर्ते की जेब मे डाला और हथोडे को पाजामे की साइड मे छिपा कर उसे कुर्ते से ढक लिया.

दूध का गिलास हाथ मे लेकर वो सर्वेंट्स क्वॉर्टर की तरफ बढ़ गया. बिहारी ने दरवाज़े का लॉक खोला और धीरे से अंदर घुस गया. कमरे मे काफ़ी अंधेरा था. एक कोने मे कुर्सी से बँधी हुई रागिनी को उसने एक चद्दर से ढका रखा था. इन चार दिनो मे उसने रागिनी को बेहोशी की दवाई खिलाकर काबू मे किया हुआ था. होश आने पर वो चिल्ला ना पाए इसके लिए उसने उसके मुँह मे कपड़ा ठूंस रखा था और फिर उसके होंठों पर टेप लगाकर उसे सील कर दिया था. इन चार दिनो मे रागिनी की हालत बदतर हो चुकी थी. ठीक से साँस ना ले पाने के कारण और सही ढंग से खाना ना खा पाने के कारण उसकी हालत बहुत नाज़ुक हो चली थी.

हालाँकि बिहारी ने उसके हाथ पाँव बाँध रखे थे लेकिन जिस हालत मे बिहारी ने उसे पहुँचा दिया था अगर वो बँधी ना भी होती तो भी उसकी टाँगो मे इतनी जान नहीं थी कि वो खड़ी भी हो सकती. बिहारी उसे ज़िंदा रखने के लिए जब कुछ खिलाने के लिए उसके मुँह से कपड़ा निकालता तो नशे और कमज़ोरी के कारण वो चीख भी नहीं पाती. बिहारी ने उसके सर पर किसी ज़ोरदार चीज़ से प्रहार किया था जिस कारण उसके सर से काफ़ी खून बह गया था.

बिहारी ने लाइट जलाने के लिए स्विच को ऑन किया लेकिन लाइट नहीं जली.

बिहारी: साली अब इस लाइट को क्या हो गया?

बिहारी ने बाहर आकर देखा तो पाया कि सर्वेंट्स क्वॉर्टर्स की सर्विस लाइन की एक वाइयर अशोका ट्री पर झूल रही थी.

बिहारी: धत्त तेरे की, साली यह तो रागिनी से भी पहले लूड़क गयी. खैर कोई बात नहीं, अगर इसके आख़िरी दर्शन ना भी कर पाए तो कोई बात नहीं, मेरे दिल मैं तो वैसे भी आशना ही बसी है.

रागिनी पर से कंबल हटाकर, बिहारी ने रागिनी को आवाज़ लगाई. रागिनी की तरफ से कोई हलचल नहीं हुई.

बिहारी: रागी, उठो देखो मैं तुम्हारे लिए दूध लाया हूँ. मुझे माफ़ कर दो जो मैं तुम्हारे साथ ऐसा सलूक कर रहा हूँ. लेकिन मैं क्या करूँ, तुम मेरा साथ नहीं दे रही तो मुझे यह सब करना पड़ा. चलो अब दूध पी लो, आज मैं तुम्हे आज़ाद कर दूँगा.

बिहारी ने महसूस किया कि कमरे मे अजीब तरह की दुर्गंध फैली हुई है.
बिहारी: साली यह कहीं मेरे मारने से पहले ही तो नहीं मर गयी? ऐसी दुर्गंध तो किसी मरे हुए शरीर के सड़ने से ही आती है.

बिहारी ने रागिनी के कंधे को झटक कर हिलाया तो वो उसकी गर्दन एक तरफ लूड़कती चली गयी. बिहारी की चीख निकल गयी. माथे पर एक दम से पसीने की बूँदें आने लगी.

बिहारी: साली यह तो पहले से ही मरी पड़ी है. पता नहीं साली ने कब प्राण त्याग दिए, कल शाम को तो ठीक ही लग रही थी. चलो अच्छा है खुद ही मर गयी वरना मुझे अपनी ही बीवी का कत्ल करने का गम सारी ज़िंदगी रहता.

बिहारी ने उसकी नब्ज़ देखी तो वो बंद पड़ी थी.

बिहारी: लग तो यही रहा है कि साली मर गयी है, अब तो जल्द से जल्द इस लाश को ठिकाने लगाना होगा वरना इसकी बदबू कहीं आस-पास ना फैल जाए.

बिहारी ने रागिनी की लाश को उठाकर गाड़ी मे लोड किया और चल पड़ा उसे ठिकाने लगाने. करीब 40-50 मिनट की दूरी तय करने के बाद वो यमुना नदी के किनारे पर पहुँचा. यह इलाक़ा झुग्गी झोंपदियों से घिरा था और इस वक्त वहाँ का महॉल काफ़ी सुनसान था. मज़दूर तबके के लोग दिन भर काम करने के बाद थके मान्दे अपनी अपनी झुग्गियों मे गहरी नींद मे सोए हुए थे. बिहारी ने वहाँ पहुँचते ही कार की हेडलाइट्स बंद कर दी जिस कारण उसे सुनियोजित जगह तक गाड़ी ले जाने मे काफ़ी समय लगा.

एक अच्छी सी जगह देखकर बिहारी ने रागिनी की लाश को डिकी से बाहर निकाला.

बिहारी: वैसे लगता तो नहीं लेकिन अगर यह साली ज़िंदा हुई और किसी के हाथ लग गयी तो मेरे लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन सकती है.

बिहारी ने जेब मे पड़ा स्क्रूड्राइवर निकाला और लगातार कयि वार रागिनी के शरीर पर कर दिए. रागिनी के जिस्म से हल्की सी आह भी नहीं निकली. उसके बाद उसने हथोडे से उसके सर पर कयि वार किए और जब आश्वस्त हो गया कि अब किसी भी कीमत पर रागिनी ज़िंदा नहीं है तो उसकी लाश को पानी मे धकेल दिया. लाश कुछ देर धीरे धीरे बहती रही और जैसे ही पानी की गहराई बढ़ी, लाश ने गति पकड़ ली और पानी के साथ तेज़ी से बहने लगी. लाश कभी पानी के नीचे जाती तो कभी उपर की तरफ तैरने लगती. बिहारी जानता था कि सुबह तक लाश किसी ऐसी जगह पहुँच जाएगी जहाँ उसकी शिनाख्त करने वाला कोई ना होगा
.
अपने हाथ और कपड़ों को सॉफ करके वो घर आकर अपने कमरे मे चैन की नींद सो गया. उसे विश्वास था कि अब उसकी मंज़िल दूर नहीं.

करीब तीन बजे रात को बिहारी चौंक कर उठा. उसे आशना के चिल्लाने की आवाज़ें आ रही थी. बिहारी झट से उठा और उपर उसके रूम की तरफ भागा. आशना के कमरे के बाहर वीरेंदर भी खड़ा था और दरवाज़े को लगातार खटखटाए जा रहा था.

वीरेंदर: आशना, क्या हुआ? दरवाज़ा खोलो. क्यूँ चिल्ला रही हो?

आशना(चिल्लाते हुए): मुझे बचाओ वीरेंदर ब...... बे......... बीना का भूत मुझे मार डालेगा.

इतना सुनते ही बिहारी का सर चकराने लगा. वीरेंदर लगातार दरवाज़ा पीट रहा था. बिहारी भी वीरेंदर का साथ देते हुए: बिटिया दरवाज़ा खोलो, तुम्हे कुछ नहीं होगा.
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