भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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बिहारी: मैने गाँव मे अपने एक दोस्त को फोन करके पूछा था मालिक, लेकिन वो वहाँ पहुँची ही नहीं.

वीरेंदर: तो कहाँ गयी होगी वो?

बिहारी: हो सकता है मालिक वो यहाँ से निकल कर कहीं और चली गयी हो. जवान लड़की है, किसी के प्यार मे पड़कर यहाँ से भाग निकलने के लिए उसने मुझसे झूठ बोला होगा.

वीरेंदर: अगर ऐसे हुआ तो आप उसके घर वालो को क्या जवाब देंगे काका?

बिहारी: भला इसमे मैं क्या कर सकता हूँ मालिक. उसकी ही मर्ज़ी नहीं थी इस घर मे रहने की तो मैं उसे ज़बरदस्ती यहाँ कैसे रख सकता था.

वीरेंदर- ह्म्म्म्म , लेकिन मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा. अचानक से जैसे हमारे घर को किसी की नज़र लग गयी हो.

बिहारी खामोश रहा.

वीरेंदर, आशना को उसके रूम मे ले गया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया. नीचे आकर वीरेंदर ने बिहारी को एक की चैन दिया.

वीरेंदर: काका इस ट्रिप पर आपके लिए कुछ ख़ास तो नहीं ला सका. यह एक की चैन ही लाया हूँ आपके लिए, आप घर की ज़रूरी चाबियाँ इसी की-चैन मे पिरो लीजिए, आपको काफ़ी परेशानी होती होगी सभी चाबियों को संभाल कर रखने मे.

बिहारी ने वीरेंदर से की चैन ले लिया और मन मे सोचने लगा: अब तो बहुत जल्द घर की तिजोरिओं की सारी चाबियाँ ही इस की चैन मे डालूँगा.

वीरेंदर ने बिहारी को आशना का ध्यान रखने को कहा और खुद ऑफीस जाने के लिए निकल गया. वीरेंदर के जाते ही उसकी साँस मे साँस आई.

बिहारी: चिंता मत कर वीरेंदर तेरे इस बेशक़ीमती छल्ले मे तो मैं घर की बेशक़ीमती तिजोरियों की चाबियाँ ही रखूँगा, बस जल्दी से आशना का वेहम दूर हो जाए और तुम दोनो एक दूसरे के इतने करीब आ जाओ कि दुनिया के सामने जब तुम्हारा सच आए तो तुम्हे मुँह दिखाने की जगह भी ना मिले. सोचा था कि काम हो जाने के बाद रागिनी को रानी बना कर रखूँगा और आशना को अपनी रखैल बनाकर लेकिन रागिनी की किस्मत मे तो कुछ और ही लिखा था शायद. अब तो बहुत जल्द ही उसे मारना होगा. अफ़सोस तो बहुत होगा उसे मारने का. तुम्हारी दौलत के लिए पहले बीना की और अब रागिनी की बलि चढ़ती है तो चढ़ जाने दो, आख़िर आशना तो बच ही जाएगी मेरी प्यास भुजाने के लिए. कसम से एक बार उसे चोद कर जन्नत का नज़ारा तो ज़रूर करूँगा.

बिहारी: आज तो रागिनी को खाना खिलाने की भी ज़रूरत नहीं, आख़िर साली को आज रात मारना जो है.

ऑफीस का काम ख़तम करके वीरेंदर शाम को थोड़ा देर से घर पहुँचा. बिहारी ने उसे बताया कि आशना सारा दिन अपने कमरे में आराम करती रही और उसने कुछ खाया भी नहीं.

वीरेंदर जब आशना के रूम मे पहुँचा तो उसे देख कर आशना उठकर बैठ गयी. वीरेंदर ने दरवाज़ा बंद किया और आशना की तरफ देख कर मुस्कुराया.

वीरेंदर: तुम तो कमाल की आक्ट्रेस हो यार. उसे अभी तक हम पर कोई शक नहीं हुआ. अच्छा है इसी बहाने आज तुमने सारा दिन रेस्ट किया, आख़िर रात को तो जागना ही है.

आशना ने शरमा कर नज़रें झुका ली और वीरेंदर की तरफ देख कर बोली: मुझे नहीं लगता कि, बिहारी पर इस बात का कोई भी असर पड़ा है कि मुझे बीना का भूत दिखाई दिया.

वीरेंदर: क्यूंकी बिहारी ने उसे खुद मारा है बस उस मर्डर को एक ऐक्सीडेंट का रूप दे दिया.

आशना: क्या, क्या कह रहे हैं आप? इस बात का तो हमारे पास कोई सबूत नहीं है कि बीना का मर्डर हुआ है.

वीरेंदर: सब समझा दूँगा डार्लिंग, रात को ज़रा गहरा तो लेने दो. बस बिहारी को सब काम निपटा लेने दो. बीना के ना सही लेकिन उसके भूत तो आज ज़रूर नाचेंगे.

आशना: मुझे बहुत भूख लगी है वीरेंदर. आपके कहने पर मैने बीमार होने का नाटक तो कर लिया लेकिन भूख के मारे जान निकल रही है.

वीरेंदर ने अपना बॅग खोला और आशना को खाने का पॅकेट थमा दिया.

वीरेंदर: जब तक तुम कुछ खा लो तब तक मैं फ्रेश होकर आता हूँ.

वीरेंदर के जाते ही आशना ने डोर लॉक कर दिया. वीरेंदर फ्रेश हो चुका था और बिहारी ने उसे चाइ भी पिला दी थी. वीरेंदर ने बिहारी को खाने के लिए मना कर दिया था. वीरेंदर जानता था कि आशना उसके बिना खाना नहीं खाएगी.

बिहारी ने सोच रखा था कि आज की रात आशना और वीरेंदर को खाने मे नींद की दवाई मिला कर खिला देगा ताकि वो निसचिंत होकर रागिनी को ठिकाने लगा सके लेकिन वीरेंदर ने उसके इस मंसूबे पर पानी फेर दिया.

बिहारी ने खाना खाया और किचन की सफाई करके अपने रूम मे चल दिया.

वीरेंदर ने आशना के रूम मे जाकर आशना के साथ डिन्नर किया और फिर वीरेंदर ने आशना को एक हेडफोन दिया कान से लगाने के लिए.

आशना: यह क्या है वीर?

वीरेंदर ने आशना के कान मे हेडफोन लगाया और अपनी जेब से एक ट्रांसमीटर निकाल कर उसका बटन ऑन कर दिया.

आशना वीरेंदर की तरफ हैरानी से देखने लगी. वीरेंदर ने आशना को खामोश रहने का इशारा किया और उसे ध्यान से सब सुनने के लिए कहा.जैसे जैसे आशना सुनती रही उसकी आँखें हैरानी से खुलती चली गयी.

सारी रेकॉर्डिंग सुनकर, आशना ने हेडफोन कान से निकाला और वीरेंदर की तरफ हैरानी से देखने लगी: छी कितना कमीना इंसान है यह वीर. मेरे बारे मे कितना गंदा सोचता है यह. इसे तो मैं अपने हाथों से मारूँगी.

वीरेंदर मुस्कुराया और आशना की तरफ देख कर बोला: इसमें उस बेचारे का भी कोई दोष नहीं, तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि तुम्हे जो भी देखेगा, कम से कम एक बार छुने के लिए तो तडपेगा ही.

वीरेंदर की बात सुनकर आशना ने वीरेंदर की तरफ गुस्से से देखा और उसे मारने के लिए दौड़ी.

वीरेंदर ने उसे पकड़ कर अपने से चिपका लिया और बोला: चिंता मत करो गुड़िया, तुम्हारा यह वीर हर उस हाथ को काट देगा जो तुम्हे छुने के लिए उठेगा.

आशना ने भी वीरेंदर को कस कर जकड लिया और बोली: वीर मुझे बहुत डर लग रहा है. यह तो बहुत खरनाक आदमी है. बीना को इसी ने मारा है और अब रागिनी को भी मारने वाला है. तभी आशना को जैसे कुछ याद आया हो.

आशना: वीर लेकिन आपने यह रेकॉर्डिंग कब की?

वीरेंदर: तुम्हे याद है जब हम नोएडा से वापिस आने के लिए निकले थे, मैं एक शॉप पर रुका था.

आशना: हाँ लेकिन.......

वीरेंदर: पूरी बात तो सुनो जानेमन, सब समझ आ जाएगा.

उस शॉप से मैने एक की चैन लिया.

आशना: लेकिन की चैन का इस रेकॉर्डिंग से क्या संबंध है?

वीरेंदर: यार तुम सवाल बहुत करती हो. सुनो तो सही.
उस के चैन के अंदर मैने एक पॉवेरफ़ुल्ल माइक्रोफोन फिट कर दिया है और यह ट्रांसमीटर (अपने हाथ मे पकड़े ट्रांसमीटर की तरफ इशारा करते हुए) इस के चैन क आस पास हो रही सारी बातें रेकॉर्ड कर एक चिप में स्टोर कर देता है. मैने वो की चैन बिहारी को गिफ्ट कर दिया था. जिस कारण उसकी अपने आप से की हुई बातें इस में रेकॉर्ड हो गयी.

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Dolly sharma
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आशना को जब सारी बात समझ आई तो वो वीरेंदर की सोच और तेज़ दिमाग़ से काफ़ी इंप्रेस हुई.

आशना: अब तो हमारे पास उसका कन्फेशन भी है, हम पोलीस स्टेशन जाकर बीना के मर्डर मे बिहारी को पकड़वा सकते हैं.

वीरेंदर: हां बिल्कुल पकड़वा सकते हैं लेकिन उस से मेरे दिल को तसल्ली नहीं मिलेगी. उसने मेरी जान पर बुरी नज़र डाली है, उसे इतनी आसान सज़ा नहीं दिलवाउंगा.

आशना: वीर मुझे डरा लगता है इस बिहारी से. आप प्लीज़ यह रेकॉर्डिंग पोलीस को जाकर दे दीजिए ताकि वो जल्द से जल्द पोलीस की गिरफ़्त मे आ जाए.

वीरेंदर: ऐसा करने से यह बात उस से छुपि नहीं रहेगी कि हम ने ही उसे फँसाया है. अगर उसे इस बात का पता चल गया तो वो कोर्ट मे हमारे रिश्ते को बदनाम करने से पीछे नहीं हटेगा, इसलिए हमे वोही करना होगा जो हम ने पहले से सोच रखा है.

आशना(कुछ देर सोचने के बाद): ओके डीटेक्टिव साहब, जैसा आप कह रहे हैं वैसा ही होगा.

रात करीब 11:30 बजे जब बिहारी आश्वस्त हो गया कि वीरेंदर और आशना गहरी नींद सो रहे हैं, उसने दूध के गिलास मे बेहोशी की दवाई मिलाई और पोर्च की तरफ चल दिया. उसने वहाँ पर रखा एक टोल बॅग उठा लिया.

बिहारी(बॅग से स्क्रयू ड्राइवर और हथोडा निकालते हुए): मेरे शेरो, आज तुम्हे फिर से इस्तेमाल करने का वक्त आ गया है. बीना की मौत के बाद अब तुम्हे रागिनी का काम भी तमाम करना है. ज़रूरत पड़ी तो तुम्हे वीरेंदर के खिलाफ भी इस्तेमाल करूँगा, उसके बाद तुम हमेशा के लिए आज़ाद हो जाओगे. एक बार मुझे आज़ादी दिला दो, उसके बाद तुम्हारी पूजा किया करूँगा. बॅग को वहीं रखकर, बिहारी ने स्क्रूड्राइवर कुर्ते की जेब मे डाला और हथोडे को पाजामे की साइड मे छिपा कर उसे कुर्ते से ढक लिया.

दूध का गिलास हाथ मे लेकर वो सर्वेंट्स क्वॉर्टर की तरफ बढ़ गया. बिहारी ने दरवाज़े का लॉक खोला और धीरे से अंदर घुस गया. कमरे मे काफ़ी अंधेरा था. एक कोने मे कुर्सी से बँधी हुई रागिनी को उसने एक चद्दर से ढका रखा था. इन चार दिनो मे उसने रागिनी को बेहोशी की दवाई खिलाकर काबू मे किया हुआ था. होश आने पर वो चिल्ला ना पाए इसके लिए उसने उसके मुँह मे कपड़ा ठूंस रखा था और फिर उसके होंठों पर टेप लगाकर उसे सील कर दिया था. इन चार दिनो मे रागिनी की हालत बदतर हो चुकी थी. ठीक से साँस ना ले पाने के कारण और सही ढंग से खाना ना खा पाने के कारण उसकी हालत बहुत नाज़ुक हो चली थी.

हालाँकि बिहारी ने उसके हाथ पाँव बाँध रखे थे लेकिन जिस हालत मे बिहारी ने उसे पहुँचा दिया था अगर वो बँधी ना भी होती तो भी उसकी टाँगो मे इतनी जान नहीं थी कि वो खड़ी भी हो सकती. बिहारी उसे ज़िंदा रखने के लिए जब कुछ खिलाने के लिए उसके मुँह से कपड़ा निकालता तो नशे और कमज़ोरी के कारण वो चीख भी नहीं पाती. बिहारी ने उसके सर पर किसी ज़ोरदार चीज़ से प्रहार किया था जिस कारण उसके सर से काफ़ी खून बह गया था.

बिहारी ने लाइट जलाने के लिए स्विच को ऑन किया लेकिन लाइट नहीं जली.

बिहारी: साली अब इस लाइट को क्या हो गया?

बिहारी ने बाहर आकर देखा तो पाया कि सर्वेंट्स क्वॉर्टर्स की सर्विस लाइन की एक वाइयर अशोका ट्री पर झूल रही थी.

बिहारी: धत्त तेरे की, साली यह तो रागिनी से भी पहले लूड़क गयी. खैर कोई बात नहीं, अगर इसके आख़िरी दर्शन ना भी कर पाए तो कोई बात नहीं, मेरे दिल मैं तो वैसे भी आशना ही बसी है.

रागिनी पर से कंबल हटाकर, बिहारी ने रागिनी को आवाज़ लगाई. रागिनी की तरफ से कोई हलचल नहीं हुई.

बिहारी: रागी, उठो देखो मैं तुम्हारे लिए दूध लाया हूँ. मुझे माफ़ कर दो जो मैं तुम्हारे साथ ऐसा सलूक कर रहा हूँ. लेकिन मैं क्या करूँ, तुम मेरा साथ नहीं दे रही तो मुझे यह सब करना पड़ा. चलो अब दूध पी लो, आज मैं तुम्हे आज़ाद कर दूँगा.

बिहारी ने महसूस किया कि कमरे मे अजीब तरह की दुर्गंध फैली हुई है.
बिहारी: साली यह कहीं मेरे मारने से पहले ही तो नहीं मर गयी? ऐसी दुर्गंध तो किसी मरे हुए शरीर के सड़ने से ही आती है.

बिहारी ने रागिनी के कंधे को झटक कर हिलाया तो वो उसकी गर्दन एक तरफ लूड़कती चली गयी. बिहारी की चीख निकल गयी. माथे पर एक दम से पसीने की बूँदें आने लगी.

बिहारी: साली यह तो पहले से ही मरी पड़ी है. पता नहीं साली ने कब प्राण त्याग दिए, कल शाम को तो ठीक ही लग रही थी. चलो अच्छा है खुद ही मर गयी वरना मुझे अपनी ही बीवी का कत्ल करने का गम सारी ज़िंदगी रहता.

बिहारी ने उसकी नब्ज़ देखी तो वो बंद पड़ी थी.

बिहारी: लग तो यही रहा है कि साली मर गयी है, अब तो जल्द से जल्द इस लाश को ठिकाने लगाना होगा वरना इसकी बदबू कहीं आस-पास ना फैल जाए.

बिहारी ने रागिनी की लाश को उठाकर गाड़ी मे लोड किया और चल पड़ा उसे ठिकाने लगाने. करीब 40-50 मिनट की दूरी तय करने के बाद वो यमुना नदी के किनारे पर पहुँचा. यह इलाक़ा झुग्गी झोंपदियों से घिरा था और इस वक्त वहाँ का महॉल काफ़ी सुनसान था. मज़दूर तबके के लोग दिन भर काम करने के बाद थके मान्दे अपनी अपनी झुग्गियों मे गहरी नींद मे सोए हुए थे. बिहारी ने वहाँ पहुँचते ही कार की हेडलाइट्स बंद कर दी जिस कारण उसे सुनियोजित जगह तक गाड़ी ले जाने मे काफ़ी समय लगा.

एक अच्छी सी जगह देखकर बिहारी ने रागिनी की लाश को डिकी से बाहर निकाला.

बिहारी: वैसे लगता तो नहीं लेकिन अगर यह साली ज़िंदा हुई और किसी के हाथ लग गयी तो मेरे लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन सकती है.

बिहारी ने जेब मे पड़ा स्क्रूड्राइवर निकाला और लगातार कयि वार रागिनी के शरीर पर कर दिए. रागिनी के जिस्म से हल्की सी आह भी नहीं निकली. उसके बाद उसने हथोडे से उसके सर पर कयि वार किए और जब आश्वस्त हो गया कि अब किसी भी कीमत पर रागिनी ज़िंदा नहीं है तो उसकी लाश को पानी मे धकेल दिया. लाश कुछ देर धीरे धीरे बहती रही और जैसे ही पानी की गहराई बढ़ी, लाश ने गति पकड़ ली और पानी के साथ तेज़ी से बहने लगी. लाश कभी पानी के नीचे जाती तो कभी उपर की तरफ तैरने लगती. बिहारी जानता था कि सुबह तक लाश किसी ऐसी जगह पहुँच जाएगी जहाँ उसकी शिनाख्त करने वाला कोई ना होगा
.
अपने हाथ और कपड़ों को सॉफ करके वो घर आकर अपने कमरे मे चैन की नींद सो गया. उसे विश्वास था कि अब उसकी मंज़िल दूर नहीं.

करीब तीन बजे रात को बिहारी चौंक कर उठा. उसे आशना के चिल्लाने की आवाज़ें आ रही थी. बिहारी झट से उठा और उपर उसके रूम की तरफ भागा. आशना के कमरे के बाहर वीरेंदर भी खड़ा था और दरवाज़े को लगातार खटखटाए जा रहा था.

वीरेंदर: आशना, क्या हुआ? दरवाज़ा खोलो. क्यूँ चिल्ला रही हो?

आशना(चिल्लाते हुए): मुझे बचाओ वीरेंदर ब...... बे......... बीना का भूत मुझे मार डालेगा.

इतना सुनते ही बिहारी का सर चकराने लगा. वीरेंदर लगातार दरवाज़ा पीट रहा था. बिहारी भी वीरेंदर का साथ देते हुए: बिटिया दरवाज़ा खोलो, तुम्हे कुछ नहीं होगा.
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तभी अंदर से आशना का चीखना चिल्लाना एक बंद हो गया. बिल्कुल खामोशी छा गयी. वीरेंदर और बिहारी लगातार दरवाज़ा पीट रहे थे.

वीरेंदर(रोते हुए): आशना, दरवाज़ा खोलो अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मैं अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाउन्गा.

काफ़ी देर तक वो दोनो दरवाज़ा पीटते रहे और फिर अचानक से रूम का दरवाज़ा खुला. अंदर की सारी लाइट्स जल रही थी. एक दम से इतनी रोशनी मे आ जाने से वीरेंदर और बिहारी की आँखे चुन्धिया गयी. जब उन दोनो की नज़रें अंदर के नज़ारे पर ठहरी तो जहाँ वीरेंदर के मुँह से एक ज़ोरदार चीख निकली वहीं बिहारी खड़े खड़े काँप गया.

सामने आशना अपने बालों को बिखराए खड़ी थी और उसके मुँह से अजीब अजीब आवाज़ें निकल रही थी. वीरेंदर ने आगे बढ़ कर आशना को थामना चाहा लेकिन आशना ने अपना हाथ आगे करके उसे रुक जाने का इशारा किया.

आशना: दूर रह मुझसे वीरेंदर शर्मा. मैं आशना नहीं हूँ बल्कि इस वक्त आशना के जिस्म मे मेरी आत्मा, बीना की आत्मा है.

आशना के गले से निकल रही आवाज़ ऐसा लग रहा था कि किसी औरत और मर्द की मिली जुली आवाज़ें हों. उसकी भयानक आवाज़ सुनकर बिहारी खड़े खड़े काँपने लगा.

वीरेंदर: क....क्या कह रही हो तुम आशना?

आशना ने ज़ोर दार ठहाका लगाया. उसके हँसने की आवाज़ भी काफ़ी डरावनी थी.

आशना: सही कह रही हूँ मैं वीरेंदर. याद है उस रात जब मैं तुमसे मिलने आई थी. उस रात अगर एक एमर्जेन्सी ना आई होती तो मैं तुम्हे अपना जिस्म दे चुकी होती और तुम हमेशा हमेशा के लिए मेरे हो जाते. काश ऐसा होता और मैं वहाँ से ना जाती.

वहाँ से जाने के बाद जैसे ही मैने कार स्टार्ट की और कुछ आगे बढ़ी, कार की ब्रेक्स फैल हो चुकी थी. मैं काफ़ी तेज़ी से कार चला रही थी जिस कारण कार को किसी तरह रोक पाने से पहले ही मैं डिवाइडर से टकरा गयी और उसी समय मेरे प्राण निकल गये.

वीरेंदर: ल.......लेकिन इस में हमारा कोई दोष नहीं है.

आशना: दोष? दोष है, इसी लड़की का दोष है जिसके जिस्म मे मैं इस वक्त शरण लेकर बैठी हूँ. शायद इसी के प्यार मे पड़कर तुमने मेरा कत्ल करवा दिया.

वीरेंदर: नहीं यह झूठ है डॉक्टर. आंटी. मैं भला आप को क्यूँ मारूँगा? आप को इस बात की ग़लत फहमी है.

आशना: ग़लत फहमी नहीं बल्कि मुझे पूरा एकीन है कि मेरी कार के ब्रेक्स फैल किए गये थे.

बिहारी बुत सा बना सब देख रहा था. उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था. वो थर थर काँप रहा था.

वीरेंदर: लेकिन आपको मार कर हमारा क्या फ़ायदा होता.

आशना ने बिहारी की तरफ देखा और बोली: फ़ायदा होता, मेरी मौत से इस बिहारी का ज़रूर फ़ायदा होता.

बिहारी(जो अभी तक हैरान-परेशान सा खड़ा था): यह क्या बकवास है बीना जी. भला मेरा क्या फ़ायदा होता इस सब मे? आप से मेरी कोई ज्यादाती दुश्मनी नहीं है और वैसे भी मैं तो आपको वीरेंदर बाबू के मध्यम से ही जानता हूँ.

आशना: तो ठीक है, तुम मे से कोई भी अपना गुनाह नहीं कबूलेगा ना. कोई बात नहीं, अभी तो मैं जा रही हूँ लेकिन फिर आउन्गि, जब तक मेरे कातिल को सज़ा नहीं मिलेगी तब तक ना मैं चैन से बैठूँगी और ना ही तुम सबको बैठने दूँगी जिनके कारण मेरी मौत हुई है.


तभी आशना को एक ज़ोरदार हिचकी आई और उसने अपने पेट को पकड़ लिया. अपने पेट को ज़ोर से दबाते हुए वो बेड पर बैठ गयी और रोने लगी. वीरेंदर दौड़ता हुआ उसके पास गया.वीरेंदर ने उसकी बगल मे बैठ कर आशना को गले से लगा लिया और रोने लगा. आशना का जिस्म अभी भी काँप रहा था.

बिहारी का खून ठंडा पड़ चुका था. आशना की आवाज़ नॉर्मल हो चुकी थी. अब उसके गले से उसी की आवाज़ निकल रही थी.

आशना: मुझे बचा लो वीरेंदर, मैं मरना नहीं चाहती. बीना की आत्मा मुझे मार देगी.

वीरेंदर: तुम्हे कुछ नहीं होगा आशना, हम कल ही यह घर छोड़कर चले जाएँगे. तुम चिंता ना करो. अब हम यहाँ नहीं रहेंगे.

तभी आशना ने बिहारी की नज़रों से बचा कर एक बार फिर से अपने पेट पर हाथ रख कर दबा दिया और फिर अचानक से खड़ी हो गयी.

आशना(फिर से उसी डरावनी आवाज़ मे): खबर दार अगर किसी ने भी इस घर से जाने की सोची तो. जब तक मुझे मेरा कातिल नहीं मिल जाता तक तब जो भी इस घर से जाने की कोशिश करेगा, समझ लो दुनिया से उठ जाएगा. जान की सलामती चाहते हो तो मेरे कातिल को ढूँढ कर मेरे हवाले कर दो. मैं हर पल इसी घर मे आपके आस-पास ही मौजूद रहूंगी.

यह कहकर आशना फिर से बैठ गयी और धीरे से अपनी बेल्ट पर लगे बटन को दबा दिया.

बिहारी की तो जैसे जान ही निकल गयी थी. सब एक दूसरे का मुँह देख रहे थे.

वीरेंदर: काका अब हम क्या करें, हमें तो पता भी नहीं कि यह सब कैसे हो गया? बीना आंटी को क्यूँ लगता है कि उनका कत्ल हम ने किया है?

बिहारी क्या जवाब देता, वो तो जड बन चुका था. उसके चहरे पर डर सॉफ दिखाई दे रहा था.उसके दिन की धड़कन बहुत ही तेज़ी से चल रही थी. उसे किसी भी वक्त हार्ट-अटॅक आ सकता था.

आशना: वीरेंदर, प्लीज़ आप यहाँ मेरे कमरे मे ही सो जाइए, मुझे बहुत डर लग रहा है.

वीरेंदर: काका, सुबह सोचते हैं क्या करना है. आप भी अपने कमरे मे जाकर सो जाइए मैं आशना के साथ यहीं रहूँगा. काफ़ी डर गयी है यह, पता नहीं वो आत्मा फिर से कब इसके अंदर आ जाए.

बिहारी की तो हिम्मत नहीं हो रही थी अपने कमरे मे जाने की.

बिहारी: छोटे मालिक, डर तो मुझे भी बहुत लग रहा है. मैं भी यहीं किसी कोने मे ही सो जाउन्गा.

वीरेंदर: काका, आप बे-वजह डर रहे हैं. वो तो सिर्फ़ आशण को ही नुकसान पहुँचा रही है. बीना आंटी को शायद यही लगता है कि उनकी जान इसी के कारण गयी है तभी तो वो सिर्फ़ इसके ही सामने आती हैं. आप चिंता ना करे, मुझे और आप को वो कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगी. आख़िर हम निर्दोष हैं और अगर सच मे ही किसी ने उनकी कार की ब्रेक्स फैल कर दी थी तो जल्द ही हमे दोषी को ढूँढना होगा वरना वो आशना की जान ले लेगी और फिर उसके बाद हमे भी मार डालेगी.

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वीरेंदर की बातें सुनकर बिहारी और भी डर गया. वो जानता था कि बीना का गुनहगार तो वो खुद है तो उसका डरना लाज़मी था. डरते डरते बिहारी सीडीयों तक पहुँचा. वो अपने चारो तरफ ऐसे देख रहा था जैसे किसी को ढूँढ रहा हो. जैसे ही बिहारी ने कुछ सीडीया उतरी, आशना ने बटन दबा कर कहा: बदला लूँगी, एक एक से बदला लूँगी.

यह सुनते ही बिहारी के कदम लड़खड़ा गये और वो गिरता पड़ता किसी तरह नीचे पहुँचा. तेज़ी से भाग कर वो अपने कमरे मे घुसा और झट से हनुमान चालीसा पढ़ने लगा. काफ़ी देर तक वो हनुमान चालीसा पढ़ता रहा. जैसे ही वो आँखे बंद करता, बीना का चेहरा उसकी आँखों के आगे आ जाता. सारी रात बिहारी ने बैठ कर गुज़ारी. सुबह तक उसकी हालत काफ़ी खराब हो चुकी थी. दर्द से उसका सर फटे जा रहा था.

वहीं आशना और वीरेंदर को अपनी इस कामयाबी पर बहुत खुशी थी. वो बिहारी के दिल मे दर पैदा करने मे कामयाब हो चुके थे.

वीरेंदर ने आशना के टॉप के अंदर से एक छोटा सा माइक निकाला और उसे चूम कर कहा: आज पहली बार लग रहा है कि मैने पापा के एलेक्ट्रॉनिक्स बिज़्नेस को जाय्न करके कोई ग़लती नहीं की. अब तक तो यही लगता था कि मैं अपनी एमबीए की डिग्री यूँ ही बर्बाद कर रहा हूँ.

आशना ने पॅंट की बेल्ट से अटॅच्ड उस वाइयरलेस माइक का कंट्रोल निकाल कर वीरेंदर को दे दिया.

आशना: यह पकडो इसका रिमोट, यह तो सच मे बहुत ख़तरनाक डिवाइस है. मुझे तो आज पता चला कि हॉरर मूवीस मे भूत की आवाज़ कैसे निकाली जाती है.

वीरेंदर ने माइक और रिमोट आशना की पॅंट की पॉकेट मे डाल दिया.

आशना: अब तो वो सारी रात डर के मारे सो नहीं पाएगा. चलो हम भी उसके की-चैन मे छुपाये हुए माइक्रोफोन की रेकॉर्डिंग सुन लेते हैं. शायद कुछ काम की बात पता चल जाए.

वीरेंदर: रेकॉर्डिंग तो सुबह भी सुनी जा सकती है. इस वक्त मेरे ख़याल से हमे सो जाना चाहिए.

आशना: ठीक है वैसे भी आप थक गये होंगे. यह सब प्लान करने मे आपको काफ़ी मेंटल स्ट्रेस भी तो हुआ होगा.

वीरेंदर(शरारत भरी नज़रों से देखते हुए): स्ट्रेस तो है और तुम चाहो तो मेरा स्ट्रेस दूर भी कर सकती हो.

आशना ने शरमाकर वीरेंदर की तरफ देखा और बोली: अपना स्ट्रेस डोर करने के आपके इरादे मुझे नेक नहीं लग रहे.

वीरेंदर: इरादे तो एकदम नेक हैं मेडम अगर प्यार से मान जाओ, वरना तुम्हे एक बार जो बिना कपड़ो के देख ले वो तो आवेश मे आकर तुम्हारा रेप करने से भी ना चुके.

आशना: मुझे तो लगता है कि आपको ज़बरदस्ती करना कुछ ज़्यादा पसंद है.

वीरेंदर ने आशना की आँखों मे देखा और बोला: सच पूछो तो मेरी यह फॅंटेसी रही है कि मैं अपनी बीवी के साथ एक बार तो यह खेल ज़रूर खेलूँ. वैसे तो रेप करने वालों से मुझे सख़्त नफ़रत है लेकिन सेक्स मे अगर थोड़ी वाइल्डनेस हो तो इसका रोमांच क्या होता है, मैं इसे फील करना चाहता हूँ.

वीरेंदर की बात सुनकर आशना अंदर तक सिहर गयी. शायद कुछ कुछ ऐसी ही फॅंटेसी उसकी भी थी. उसके भी दिल के किसी कोने मे तड़प तड़प कर सेक्स फील करने की चाहत थी. आशना का दिल ज़ोर से धड़क उठा था अपनी इमोर्टल डिज़ाइर के लिए. अपने दिल की बात वो अपनी ज़ुबान पर ला पाने मे असमर्थ थी. वो चाहती थी कि वीरेंदर कदम आगे तो बढ़ाए वो झट से उसे थाम लेगी और उसकी हरकतों मे शरीक होकर इस ताबू को फील करना चाहेगी.

वीरेंदर: मैं तुम्हारे चेहरे पर वो दर्द देखना चाहता हूँ गुड़िया जब मैं तुम्हे बिना किसी इंसानियत के नोचूँ. मैं तुम्हारे जिस्म मे उठती हुई दर्द भरी हलचल को तुम्हारे चेहरे पर देखना चाहता हूँ. जानता हूँ कि तुम इसे मेरा सन्किपन समझोगी मगर तुम्हे दर्द देकर मुझे जो आनंद मिलेगा उसे मैं शब्दों मे बयान नहीं कर पाउन्गा.

आशना ने वीरेंदर की आँखों मे देखा. वीरेंदर की आँखों मे इस बात को लेकर डर था कि उसके मन की बात जानकर आशना पता नहीं किस तरह से रिएक्ट करेगी वहीं आशना की आँखों मे स्वीकृति और तपिश देख कर वीरेंदर के दिल की धड़कनें बढ़ गयी थी.

आशना ने वीरेंदर की आँखों मे देखते हुए आगे बढ़ना शुरू किया और उसके करीब पहुँचकर धीरे से होंठ हिलाकर बोली: सुना है कि आपके रूम से कोई भी आवाज़ बाहर नहीं जाती.

वीरेंदर ने सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देखा.

आशना: वेट फॉर मी वीर, आइ विल कॉल यू सून.

यह कह कर आशना अपने रूम से बाहर निकल गयी. वीरेंदर का शरीर अपनी फंतासी के पूरा होने की कल्पना में काँप रहा था. हाथ पाँव ठंडे पड़ने लगे थे जबकि सारे जिस्म की गर्मी उसकी आँखों और कानो मे उमड़ आई थी. उसके दिल की धड़कन एकदम तेज़ हो गयी थी. उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि वो किसी बहुत ही बड़े काम को अंजाम देने जा रहा है. उसके लिंग ने आने वाले पॅलो की कल्पना मे अपने विराट रूप को इख्तियार कर रखा था.


वीरेंदर को एक एक पल भी बहुत भारी लग रहा था. थोड़ी देर बाद उसकी पॉकेट मे पड़ा मोबाइल वाइब्रट हुआ. फोन की तरफ देखे बिना ही वीरेंदर अपने कमरे की तरफ भागा. कमरे का दरवाज़ा हल्का सा खुला हुआ था. सारे कमरे मे अंधेरा छाया था. वीरेंदर ने झट से स्विच ऑन किया जिसकी रोशनी बस बिस्तर पर फोकस्ड थी.

बिस्तर पर आशना ब्लू कलर की एक छोटी सी मिनी-स्कर्ट और टाइट वाइट टॉप मे थी. उसके सर पर लेदर की एक वाइट कॅप थी. उसे देखते ही वीरेंदर समझ गया कि आशना ने इस वक्त अपनी एयिर्हसटेस्स की यूनिफॉर्म पहन रखी है. हालाँकि जब से आशना ने वीरेंदर के साथ रहना शुरू किया है, उसने थोड़ा सा वेट पुट ऑन कर लिया था जिस वजह से उसके जिस्म का हर कर्व उस ड्रेस मे उभर कर दिख रहा था. आशना उसकी तरफ देख कर स्माइल कर रही थी.

आशना ने उंगली के इशारे से उसे अपनी तरफ बुलाया और बोली: हाउ कॅन आइ हेल्प यू सर?

वीरेंदर तो जैसे मन्तर्मुगध हो गया था. उस से कुछ बोले नहीं बन रहा था. वो तो आने वाले हसीन पल की कल्पना मे खो गया था. आशना जैसी लड़की को अपना जीवन साथी पाकर वीरेंदर अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समझ रहा था.

वीरेंदर को एकटक अपनी तरफ देख कर आशना शरमा गयी. उसने नज़रें झुककर अपने हाथ वीरेंदर की तरफ बढ़ा दिए. वीरेंदर, आशना की इस हरकत से होश मे आया. आशना की कलाईयों मे बँधे रेशमी गुलाबी रिब्बन्स को देख कर वीरेंदर का दिल और ज़ोर से धड़कने लगा. हालाँकि आशना ने नज़रें झुका रखी थी लेकिन उसकी आँखों मे उठते हुए आमंत्रण भाव को वीरेंदर सॉफ पढ़ सकता था.

आशना की मांसल जांघे आपस मे जुड़ी हुई थी और उसने पैरों की एडीयो पर भी कलाईयों की तरह ही गुलाबी रंग के रेशमी रिब्बन बाँध रखे थे. गुड़िया अपने वीर के लिए पूरी तरह से समर्पण भाव मे थी. अपने वीर को वो हर खुशी, हर तरंग देना चाहती थी जिन्हे वीरे ने अपने दिल मे बसा रखा था.
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