भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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आशना के गले से दिल दहला देने वाली चीख निकली मगर इस बार वीरेंदर नहीं रुका. लंबे और ताकतवर धक्कों के साथ वो आशना की योनि को मथने लगा. इस वाइल्ड फक्किंग से आशना जल्द ही सखलित हो गयी. वीरेंदर बिल्कुल हैवान की तरह उसे नोच रहा था. ना जाने आशना कितनी बार सखलित हुई और साँसें दुरुस्त करके वीरेंदर के अमानवीय धक्कों को सहती रही. अंत मे जब वीरेंदर के लिंग की नसें फूली तो आशना ने एक ज़ोरदार चीख के साथ वीरेंदर के लिंग को अपने गर्भ मे प्रवेश करवाया और उसके वीर्य के समुंदर का सॅंगम अपनी छलक्ति नदी से करवाते हुए अपनी कोख के महासागर मे सींच लिया.

सुबह जब बिहारी अपने कमरे से बाहर निकला तो वो अभी भी डरा हुआ था. उसकी नज़रें हाल के चारो और ऐसे दौड़ रही थी जैसे किसी को ढूँढ रहा हो लेकिन सूरज के उजाले मे रात का डर थोड़ा फीका पड़ जाता है.

किचन मे जाकर उसने नाश्ता तैयार किया. इस बीच आशना, अपनी ऑर वीरेंदर की फंतासी भरी रात बिताकर अपने कमरे मे जा चुकी थी. कुछ देर बाद आशना और वीरेंदर फ्रेश होकर नीचे आए. आशना को देख कर बिहारी एक दम सकपका गया.

बिहारी के चेहरे पर आए डर के भाव पढ़ते हुए आशना ने रुआंसी होकर कहा: काका, आप भी मुझसे डर रहे हैं. वीरेंदर भी मेरे पास आने से कतराने लगे हैं. अब आप भी ऐसा करोगे तो मैं इस घर मे कैसे रह पाउन्गी. मुझे तो लगता है कि मुझे यहाँ से चली ही जाना चाहिए.

बिहारी: ऐसी ग़लती ना करना बिटिया. जानती हो ना बीना की आत्मा ने सचेत किया था कि कोई भी इस घर से जाने की कोशिश करेगा तो वो हम सब को मार देगी.

आशना: हमे क्यूँ मारेगी काका वो. वो तो अपने कातिल से बदला लेने के लिए आई है. हम ने उसका कतल नहीं किया तो भला हम क्यूँ डरे.

आशना(वीरेंदर की तरफ देखते हुए): वीरेंदर, अब तो आपको यकीन हो गया ना कि मैं आपसे झूठ नहीं बोल रही थी. बीना जी की आत्मा सच मे वापिस आ गयी है.

वीरेंदर: यकीन नहीं होता लेकिन कल रात जो आँखों से देखा उसे झुठला भी नहीं सकता.

बिहारी: बाबू जी, पहले तो मुझे भी अजीब लगा था जब आपने मुझे आशना बिटिया के हाल के बारे मे बताया था लेकिन कल रात जो भी देखा, उसे नकारा भी तो नहीं जा सकता. मुझे तो लगता है कि सच मे बीना जी की आत्मा वापिस आ गयी है.

वीरेंदर: लेकिन अगर वो वापिस आ भी गयी है तो वो यहाँ क्यूँ आई? हम ने तो उसे नहीं मारा.

बिहारी से कोई भी जवाब देते ना बना.

आशना खाने की टेबल पर बैठ चुकी थी. रात भर वीरेंदर द्वारा किए गये अतिक्रमित सेक्स के कारण वो काफ़ी थकि हुई महसूस कर रही थी. उसके चेहरे को देख कर इस वक्त अनुमान लगाया जा सकता था कि वो शायद काफ़ी बीमार है. बिहारी भी यही समझ रहा था कि आत्मा के प्रवेश ने उसके बदन को झींझोड़ दिया है.

बिहारी, आशना की इस अवस्था को देख कर परेशान हो उठा था. वो आशना के जिस रूप पर फिदा था, इस वक्त आशना उसके बिल्कुल विपरीत दिख रही थी. बेतरतीब हुए बाल, ढीली सी टी-शर्ट और मुरझाया हुआ चेहरा.

आशना, बिहारी के मनो भाव को अच्छे से समझ रही थी. उसे इस वक्त बिहारी से सख़्त चिड हो रही थी. उसका मन कर रहा था कि उठकर बिहारी को एक ज़ोरदार झापड़ रसीद करे. वीरेंदर भी आशना के दिल मे उठ रहे आक्रोश से अन्भिग्य ना था. ऐसी सिचुयेशन्स से निपटने केलिए उसने आशना को पहले ही आगाह कर रखा था और उसे क्या करना है यह भी बता दिया था.

वीरेंदर और आशना ने चुपचाप नाश्ता किया. बिहारी को वो यह जताना चाहते थे कि उनके बीच काफ़ी तनाव पैदा हो गया है. काफ़ी हद तक वो बिहारी के सामने तनावपुराण वातावरण दर्शाने मे कामयाब रहे थे. वो यह भी जानते थे कि बिहारी जैसा साँप किसी भी वक्त काट सकता है. उसका फन जल्द ही ना कुचला गया तो वो ख़तरनाक हो सकता है.

जब तक बिहारी ने किचन का काम ख़तम किया तब तक वीरेंदर और आशना टेबल पर ही बैठे रहे. कोई किसी से कुछ ना बोला. बिहारी उनके बीच की चुप्पी से काफ़ी परेशान था. वो चाहता था कि जल्द से जल्द इन दोनो का मिलन हो जाए ताकि वो अपने प्लान मे कामयाब हो जाए और फिर किसी तरह आशना को लेकर इस घर से हमेशा हमेशा के लिए दूर चला जाए.

किचन से बाहर आकर बिहारी वीरेंदर के पास जाकर खड़ा हो गया.

बिहारी: छोटे मालिक मुझसे आशना बिटिया की यह हालत देखी नहीं जा रही. मेरी जान पहचान के एक तांत्रिक बाबा हैं जो बीना की आत्मा को क़ैद करके हमे छुटकारा दिला सकता है. आप अगर आग्या दें तो मैं उनसे निवेदन करके उन्हे यहाँ पर बुला लाउ.

वीरेंदर की आँखों में चमक आ गयी.

वीरेंदर: काका, क्या यह सच मे संभव है? मेरा मतलब क्या आशना उस आत्मा के चंगुल से बच सकती है?

बिहारी: क्यूँ नहीं छोटे मालिक. वो तांत्रिक बाबा बहुत ही पहुँचे हुए बाबा हैं. उनके लिए तो यह काम बाए हाथ का है. मैं अभी उनके पास जाकर उन्हे अपने साथ ले आता हूँ. भगवान ने चाहा तो कल का सूरज हम सब की ज़िंदगी से इस अंधेरे को मिटा देगा.

वीरेंदर: काका, चलिए मैं भी आप के साथ चलता हूँ. आप रुकिये मैं चेंज करके आता हूँ. वीरेंदर अभी सीडीयों तक पहुँचा ही था कि आशना ने पहले से सुनियोजित किए हुए प्लान के मुताबिक अपने बेतरतीब बालों को झटक कर आगे की तरफ किया और टेबल के नीचे से अपने हाथों से अपनी बेल्ट पर लगा बटन दबा दिया.

जिस वक्त आशना ने अपने बालों को झटका दिया उस वक्त बिहारी आशना के ठीक सामने खड़ा था. जैसे ही आशना ने यह हरकत की, बिहारी उछल कर दूर जा गिरा. बिहारी की हालत देख कर आशना की हँसी निकल गयी लेकिन बटन दबने से माइक्रोफोन से एक डरावनी हँसी की आवाज़ आई. ठीक उसी वक्त वीरेंदर के कदम भी रुक गये. आशना के चेहरे पर आए बालों को देख कर और उसकी डरावनी हँसी सुनकर वीरेंदर समझ गया कि प्लान का दूसरा फेज़ शुरू हो चुका है.
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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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वीरेंदर झट से बिहारी के पास जाकर खड़ा हो गया. आशना(डरावनी आवाज़ मे): कोई मेरा कुछ नहीं बिगड़ पाएगा. आने दो उस तांत्रिक को, एक एक को देख लूँगी. एक बार वो तांत्रिक अगर यहाँ आ गया तो चुन चुन कर तुम सबका खून पी जाउन्गी. किसी को ज़िंदा नहीं छोड़ूँगी.

वीरेंदर(डरते हुए): बीना आंटी ल...... लेकिन आप हमारे पीछे क्यूँ पड़ी हैं? आपके कतल में हमारा कोई हाथ नहीं.

बीना: हाथ है, तुम तीनो मे से ही किसी ने मेरी कार की ब्रेक्स फैल की थी. अगर ऐसा नहीं है तो मेरे कातिल का पता करना तुम्हारा काम है. अगर कल तक मुझे अपने कातिल का पता ना चला तो मैं तुम मे से किसी को भी नहीं छोड़ूँगी.

बिहारी थर थर काँप रहा था. वीरेंदर भी डरने का नाटक कर रहा था.

वीरेंदर: बीना आंटी आपने आशना के शरीर का ही सहारा क्यूँ लिया. क्या आपको लगता है कि यह सब इसी ने किया है.

बीना: इसी के कारण हुआ है मेरे साथ जो भी हुआ है. मेरा कतल होने की वजह यही लड़की है. कल तक अगर मुझे मेरे कातिल का पता ना चला तो सबसे पहले मैं इसे ही मारूँगी. उसके बाद तुम दोनो को तडपा तडपा कर मारूँगी.


वीरेंदर: नहीं बीना आंटी.........
इस से पहले के वीरेंदर आगे कुछ बोल पता, आशना ने एक ज़ोरदार ठहाका लगाया. आशना ने तुरंत ही अपनी बेल्ट पर लगे बटन को प्रेस किया और उसकी चीख पूरे हाल मे गूँज गयी. चीख मारते ही आशना बेहोश होकर टेबल पर गिर पड़ी. वीरेंदर ने दौड़कर उसे सहारा दिया. बिहारी वहीं खड़ा जड बन चुका था.

आशना को अपने कमरे मे छोड़ कर जब वीरेंदर नीचे पहुँचा तो उसने जड बन चुके बिहारी को झींझोड़ा. बिहारी एक दम घबरा कर दूर हट गया.

वीरेंदर: काका, होश मे आइए, मैं हूँ. क्या हुआ है आपको? इस तरह डरे हुए क्यूँ लग रहे हैं आप?

बिहारी: वो, वो मुझे मार डालेगी मालिक. मुझे बचा लीजिए, मैं मरना नहीं चाहता.

वीरेंदर: काका, कुछ नहीं होगा. हम कल तक कुछ ना कुछ ज़रूर कर लेंगे.

वीरेंदर ने बिहारी के कान मे कहा: काका हमे इसी वक्त उस तांत्रिक को यहाँ बुला लेना चाहिए. चलिए हम दोनो उनसे निवेदन करके उन्हे यहाँ लेकर आते हैं.

बिहारी की आँखों में दर के भाव थे. उन्ही डरी हुई आँखों से उसने पहले वीरेंदर की तरफ देखा और फिर हाल के चारो और नज़र दौड़ाई. डर उसके चेहरे से सॉफ झलक रहा था.

बिहारी(धीमे से): अगर उस आत्मा को पता लग गया तो वो आज के आज ही हमे मार डालेगी मालिक. अब मुझे मरने से कोई नहीं बचा सकता. वो मार देगी मुझे.

वीरेंदर: होश मैं आओ काका, क्या बके जा रहे हो. वो बस तुमको ही नहीं मुझे और आशना को मारने की धमकी भी दे गयी है. इस से पहले कि वो हम में से किसी को कोई नुकसान पहुँचाए, हमे जल्द से जल्द इस आत्मा को इस घर से निकालने के लिए उस तांत्रिक की मदद लेनी ही होगी. इस से पहले के आशना कि शरीर पर वो आत्मा क़ब्ज़ा कर ले, हमे आशना को बचाना होगा.

बिहारी को इस वक्त आशना या वीरेंदर से कोई सहानुभूति ना थी. उसे बस उनकी दौलत से प्यार था जिस के लिए उसने यह सारा खेल रचा था. उसे क्या पता था कि बीना का कतल उसे इतना भारी पड़ेगा. बीना की मौत के बाद तो वो निसचिंत हो गया था कि देर-सवेर वो इस दौलत को हथिया ही लेगा. बिहारी इस वक्त इतना ज़्यादा डर चुका था कि वो बिना दौलत के भी यहाँ से भाग निकलता लेकिन बीना की आत्मा की धमकी सुनकर वो कोई भी ख़तरा मोल नहीं लेना चाहता था.

वीरेंदर उसे खींच कर घर से बाहर ले गया और गाड़ी मे अपने साथ आगे बिठा दिया. बिहारी अभी भी कांप रहा था. वो बहुत डरा हुआ था. उसे ऐसा लग रहा था कि बीना की आत्मा उसके आस पास ही है. गाड़ी को हाइवे पर लाकर वीरेंदर ने स्पीड पकड़ ली. घर से दूर आकर अब बिहारी भी नॉर्मल साँसें ले रहा था.

तभी बिहारी को अपने कान के पीछे कुछ हलचल महसूस हुई. उसने झट से पीछे मुड़कर देखा लेकिन उसे वहाँ कोई ना दिखा. बिहारी के दिल की धड़कन एक दम तेज़ हो गयी.

वीरेंदर: डरो मत काका, यहाँ कोई नहीं है. वो आत्मा घर से बाहर हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती. उसके लिए उसे आशना के शरीर का सहारा लेना पड़ेगा और आशना इस वक्त घर मे ही है. हमे जल्द से जल्द तांत्रिक को अपने साथ लाना होगा. आशना इस वक्त घर मे बिल्कुल अकेली है, उसकी जान को ख़तरा है.

casanova0025
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

Post by casanova0025 »

कहानी बढ़िया चल रही हँ... और जल्दी जल्दी आगे बढाओ ...
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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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बिहारी को जब यह बात समझ आई कि बीना की आत्मा घर से बाहर उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती, वो थोड़ा निसचिंत हो गया. तभी बिहारी एक दम चौंका. बिहारी को देख कर वीरेंदर ने एकदम ब्रेक लगाई.

वीरेंदर: क्या हुआ काका?

बिहारी: उसने कहा था कि हम मे से अगर किसी ने भागने की कोशिस भी की तो वो हमे नहीं छोड़ेगी तो इसका मतलब वो घर से बाहर भी हमारे पीछे आ सकती है. बिहारी की बात सुनकर, वीरेंदर भी सोचने का नाटक करने लगा.

वीरेंदर: मुझे तो इस वक्त आशना की चिंता हो रही है, कहीं उस आत्मा ने उसे कुछ नुकसान ना पहुँचा दिया हो.

बिहारी: जल्दी चलो, उस तांत्रिक के घर से हम ज़्यादा दूर नहीं हैं. वीरेंदर ने गाड़ी स्टार्ट की और सरपट भगा दी. थोड़ी देर बाद बिहारी को अपने कान के पास फिर से हलचल महसूस हुई. उसने झट से पीछे देखा और जैसे ही उसकी नज़र पीछे पड़ी, उसकी ज़ोरदार चीख निकल गयी.

वीरेंदर(गाड़ी को साइड मे रोकते हुए): काका क्या हुआ? लेकिन बिहारी तो बेहोश हो चुका था. उसका सर डॅशबोर्ड पर गिर चुका था.

डिग्गि मे रागिनी खड़ी थी. रागिनी के डरावने रूप को देख कर एक पल के लिए तो वीरेंदर भी डर गया. रागिनी ने अपने बाल बिखराए हुए थे. होंठों पर लाल लिपस्टिक कुछ ज़्यादा ही गहरी थी. चेहरे पर सफेद पाउडर की परत और सर से लेकर गालों तक टपकते हुए लाल रंग की स्याही उसे एक भयानक रूप दे रही थी. वीरेंदर ने बिहारी के बेहोश होते ही रागिनी की तरफ दोबारा देखा और उसे "थंब्स अप" का इशारा करके उसे गाड़ी से नीचे उतर जाने को कहा. जैसे ही रागिनी गाड़ी से नीचे उतरी, एक गाड़ी पीछे से तेज़ी से आई और रागिनी के पास रुकी. रागिनी ने बिना देर किए गाड़ी का दरवाज़ा खोला और वो गाड़ी हवा से बातें करने लगी.


रागिनी फ्रंट सीट पर सर को झुकाए हुए बैठी थी. आशना ने उसके कंधे पर हाथ रखा तो रागिनी के आँसुओं की झड़ी छूट पड़ी.

रागिनी(रोते हुए): आइ आम सॉरी दीदी, मुझे माफ़ कर दो. मुझे गुमराह किया गया था. बीना और बिहारी ने मिलकर मुझे फसाया और फिर आप दोनो के खिलाफ इस्तेमाल किया.

आशना: टेक इट ईज़ी रागिनी. यू हॅव टू बी स्ट्रॉंग.

रागिनी: जानती हूँ दीदी, अब आगे की ज़िंदगी आसान नहीं है मगर जीना तो पड़ेगा ही. मेरी हालत देख कर कोई भी लड़की मुझसे एग्ज़ॅंपल ले सकती है कि माँ-बाप को दुख देने वाली संतान कभी सुखी नहीं रह सकती. आज मुझे मेरे ही करमो की सज़ा मिली है. इस ज़िंदगी मे आपके काम आकर अगर मैं एक भी अच्छा काम कर रही हूँ तो मरते वक्त मुझे कोई अफ़सोस नहीं होगा.

आशना: ग़लती तो तुमने की है अपना घर छोड़ कर लेकिन मैं वादा करती हूँ कि बहुत जल्द तुम ऐसा ज़िंदगी जीना शुरू कर दोगि जिसकी तुम हकदार हो. हालाँकि जो कुछ तुम्हारे साथ हुआ है उसे तुम्हारे दिल से तुम्हारी यादों से मिटा तो नहीं सकते मगर हम यह यकीन दिलाते हैं कि आने वाले दिनो मे तुम्हे इतनी खुशियाँ मिलेंगी कि तुम अपने आप को कभी अकेला महसूस नहीं करोगी. इंसान जब अकेला होता है तो तभी उसे पुरानी यादें घेरती हैं और तुम्हारी लाइफ मे अकेलापन दूर करना अब हमारी ज़िम्मेदारी है.

बिहारी को जब होश आया तो वो अपने कमरे मे अपने बिस्तर पर था. वीरेंदर उसके पास बैठा था और एक नर्स उसकी कंडीशन को मॉनिटर कर रही थी.

बिहारी(एक दम चौंकते हुए): म....... मैं, यहाँ कैसे पहुँच गया.

वीरेंदर: काका, आप आराम से लेटे रहिए. आप अचानक से बेहोश हो गये थे. आपकी हार्ट बीट बहुत ज़्यादा बढ़ जाने से आपको कॉम्प्लीट बेड रेस्ट सजेस्ट की गयी है. यह नर्स आपका ध्यान रखेगी.

नर्स: मिस्टर. बिहारी अब आप कैसा फील कर रहे हैं?
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बिहारी ने उसे बस गर्दन हिला कर "ठीक है" का जवाब दिया. बिहारी ने आँखें बंद की तो अचानक उसे याद आया कि वो किस वजह से बेहोश हुआ था. बिहारी एक दम उठ कर बैठ गया. उसकी हार्ट बीट एक दम तेज़ चलने लगी. नर्स ने उसे पकड़ कर बिस्तर पर लिटाना चाहा लेकिन बिहारी को काबू कर पाना उसके लिए मुश्किल साबित हो रहा था.

बिहारी के चेहरे पर खोफ़ को देख कर वीरेंदर अंदर ही अंदर झूम रहा था. वीरेंदर ने नर्स की हेल्प से बिहारी को बिस्तर पर लिटाया और नर्स ने उसे बेहोशी का इंजेक्षन दे दिया. धीरे धीरे बिहारी बेहोशी मे चला गया.

नर्स: शायद यह किसी घटना से आतंकित हो गये हैं. शाम को डॉक्टर. आकर इन्हे एक बार फिर चेक कर लेंगे. मैने ऑब्ज़र्वेशन्स ले ली हैं. कोई प्राब्लम होगी तो आप मुझे कॉल करके बुला सकते हैं. तब तक ध्यान रहे कि पेशेंट को सोने दिया जाए. इनके दिमाग़ पर काफ़ी मेंटल स्ट्रेस है. यू हॅव टू बी वेरी केर्फुल टू डील वित हिम. ही कॅन लूज़ हिज़ मेंटल बॅलेन्स.

वीरेंदर ने नर्स को उसकी फी देकर विदा किया और उसे बता दिया कि ज़रूरत पड़ने पर वो उसे बुला लेंगे. बिहारी को उसके कमरे मे सोता हुआ छोड़ कर वीरेंदर, आशना के रूम में आ गया. आशना और रागिनी दोनो वहाँ बैठी बातें कर रही थी. वीरेंदर को देखते ही रागिनी उठी और वीरेंदर के पाँव मे गिर गयी.

रागिनी: मुझे माफ़ कर दीजिए सर. मैं बहकावे में आ गयी थी. मैं अपनी ही नज़रों मे गिर चुकी हूँ. जिस घर मे मुझे सहारा मिला मैं उसी को बर्बाद करने पर तूल गयी थी.

वीरेंदर: पुरानी सब बातों को भूल जाओ. तुम ठीक हो हमारे लिए यही सबसे बड़ी खुशी की बात है. परसो रात जब तुम्हे सर्वेंट क्वॉर्टर्स से उठाकर हॉस्पिटल पहुँचाया था उस वक्त तुम्हारी कंडीशन काफ़ी नाज़ुक थी. भगवान का शूकर है कि तुम ठीक हो. अभी कुछ दिन तुम आराम करो. जब तक पूरी तरह से रिकवर नहीं कर लेती तब तक तुम घर से बाहर कदम भी नहीं रखोगी.

वीरेंदर के दिल की सफाई को जानकार रागिनी की आँखें छलक आई. उसे अपने किए पर बहुत पछ्तावा हो रहा था. उसे ऐसा लग रहा थे कि उसने खुद भगवान का दिल दुखा दिया है. वीरेंदर ने उसे एक बार भी यह अहसास नहीं होने दिया कि रागिनी ने उनके साथ ग़लत किया है बल्कि वो तो उसकी हालत पर चिंतित था. इस इंसान को तो शैतान भी धोखा देने मे एक बार सोचेगा तो फिर बिहारी मे कितना कमीनपन होगा जो ऐसे देवता समान पुरुष की पीठ मे चुरा घोंपने चला था.


वीरेंदर: तुम्हारी दीदी ने तुम्हारे लिए एक बेहतर भविष्य चुना है. अगर हम पर भरोसा है तो तुम आशना की सलाह पर गौर करना वरना तुम जहाँ कहोगी हम तुम्हारे लिए रहने का प्रबंध कर देंगे. इस घर के दरवाज़े भी तुम्हारे लिए हमेशा खुले रहेंगे. अब फ़ैसला तुम पर है.

रागिनी सर झुकाए खड़ी रही.

वीरेंदर: अगर तुम चाहो तो तुम्हे तुम्हारे घर पहुँचा दें.

रागिनी की आँखों से आँसू छलक पड़े.

रोते हुए रागिनी बोली: अब क्या मुँह लेकर वहाँ जाउन्गी. वो तो अब तक मुझे भूल भी गये होंगे. मेरे वहाँ जाने से उनके ज़ख़्म फिर से हरे हो जाएँगे. आप मुझे किसी भी जगह कोई छोटा मोटा काम दिलवा दीजिए, बाकी की ज़िंदगी मैं इसी तरह गुज़ार लूँगी.

वीरेंदर: आशना, तुम रागिनी से बात कर लो. अगर इसे मंज़ूर हो तो मुझे बता देना, मैं सब फ्रॉमॅलिटीस पूरी करवा दूँगा. आशना ने वीरेंदर की बात सुनकर हामी भरी.

आशना और रागिनी ने किचन मे जाकर लंच तैयार किया. खाना खाते हुए रागिनी बोली: दीदी अब तो आपके पास सारे सबूत हैं, मुझे लगता है कि अब हमे पोलीस की मदद ले लेनी चाहिए. रागिनी की बात सुनकर आशना और वीरेंदर की नज़रें मिली और दोनो मुस्कुरा दिए.

जिस सच को छुपाने के लिए उन्होने यह खेल खेला था उस सच से रागिनी अंजान थी.

आशना: इस इंसान ने हम सबकी ज़िंदगी मे ज़हर घोलने की कोशिस की है. इतनी जल्दी इसे पोलीस के हवाले नहीं करेंगे. बहुत जल्द यह सलाखों के पीछे होगा मगर उस से पहले हमे इसके दिमाग़ की नसों के चिथड़े उड़ाने होंगे ताकि ज़िंदगी मे कभी यह दोबारा अपने दिमाग़ का इस्तेमाल ही ना कर सके.

आशना की बात सुनकर रागिनी चुप चाप खाना खाने लगी. थोड़ी देर बाद जैसे अचानक रागिनी को कुछ याद आया हो.

रागिनी: एक बात तो पूछना भूल ही गयी. अगर उस रात आपने मुझे सर्वेंट्स क्वॉर्टर से छुड़ा लिया था तो फिर वो कॉन थी जिसे बिहारी ने मुझे समझ कर मार दिया और इतना सब होने के बावजूद उस लड़की ने कोई हरकत क्यूँ नहीं की.

आशना मुस्कुराइ और बोली: क्यूंकी लाशें हरकतें नहीं करती.

रागिनी, आशना की तरफ हैरानी से देखने लगी.

वीरेंदर: मैं बताता हूँ.

रागिनी ने वीरेंदर की तरफ देखते हुए नज़रें झुका ली.

वीरेंदर: परसो रात तुम्हे सर्वेंट क्वॉर्टर्स से निकालने से पहले हम ने सारा इंतज़ाम कर लिया था.

तुम्हे याद होगा, जिस हॉस्पिटल मे तुम्हे अड्मिट किया था वहाँ एक डॉक्टर. थे डॉक्टर. विजय.

रागिनी: हां, उन्होने ही तो अपनी सुपारविषन मैं मेरा इलाज करवाया था और डॉक्टर्स. को सख़्त हिदायत दी थी मेरा ख़याल रखने की.

वीरेंदर: वो मेरे होने वाले शाडू साहब हैं. यानी कि आशना की छोटी बेहन के फियान्से.

रागिनी ने धीरे से गर्दन हिला दी.

वीरेंदर: परसो जब मैने और आशना ने तुम्हे वहाँ से छुड़ाने के प्लान को अमल मे लाने के लिए उनसे एक लड़की की लाश की डिमॅंड की तो यह काम उनके लिए कोई मुश्किल तो नहीं था मगर लीगल तौर पर इतना आसान भी नहीं था.
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