भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

Post Reply
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2734
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

Post by Dolly sharma »

काफ़ी दिनों के बाद अच्छे से नहाने के बाद आशना काफ़ी अच्छा महसूस कर रही थी. टवल से अपने आप को अच्छी तरह से पोछने के बाद उसने वोही अपने कप्पड़े पहने और बाहर आई. वो फिर से जाकर आग के पास बैठ गई. कोई पाँच मिनट के बाद बिहारी काका अपने कमरे से बाहर आए.

बिहारी काका: नहा लिया बिटिया?

आशना एक दम चौंक गई.

बिहारी: वो मे कुछ देर पहले बाहर आया था पर आप यहाँ नहीं मिली. बाथरूम की लाइट जली हुई देखी तो लगा शायद नहा रही होंगी.

आशना: जी काका.

बिहारी: अच्छा बिटिया अब खाना खा लो, 9 बज गये हैं. आशना ने चौंक कर दीवार घड़ी की तरफ देखा जो कि 9:10 का टाइम बता रही थी. आशना (मन मे): बाप रे पिछले एक घंटे से नहा रही थी मे.

आशना: जी काका खाना लगा दो और आप भी खा लो.

बिहारी: आइए बिटिया, आप डाइनिंग टेबल पर बैठें मे खाना परोस देता हूँ. यह कहकर बिहारी आगे आगे चलने लगा और आशना उसके पीछे डाइनिंग रूम की तरफ चल पड़ी. डाइनिंग रूम क्या यह तो एक बहुत बड़ा हाल था कमरे के बीचो बीच एक बड़ा सा टेबल और उसके इर्द-गिर्द 12-15 आरामदायक कुर्सियाँ. हाल के एक साइड पर एक बड़ी सी मेज और उसके इर्द-गिर्द 8 सोफा चेर्स. आशना ने चारो तरफ नज़रें घुमा के देखा. सामने दीवार पर एक बहुत बड़ी एलसीडी लगी थी.


आशना: काका क्या वीरेंदर भाई......., मेरा मतलब कि क्या वीरेंदर भी खाना यहीं खाते हैं. (आशना ने बड़ी सफाई से काका से वीरेंदर का अपना रिश्ता छुपा लिया था).

बिहारी काका: नहीं बेटी यहाँ तो आए हुए भी उन्हे 8 साल हो गये. जब से उनके परिवार के साथ यह हादसा हुआ है वो यहाँ आए ही नहीं. अक्सर वो अपना खाना उपर अपने रूम मे खाते हैं.

आशना: उपर?????

बिहारी: हां बिटिया यह जो कमरे से बाहर की तरफ सीडीयाँ हैं ना यह उपर के फ्लोर को जाती हैं. वीरेंदर बाबू का कमरा वहीं है. आशना एकदम पलटी और कमरे से बाहर आकर पहली सीडी पर खड़ी हो गई.

आशना: काका तुम मेरा खाना वीरेंदर के रूम मे ही लेकर आ जाओ.

बिहारी: नहीं बिटिया वीरेंदर बाबू को अगर पता लगा तो उन्हे बहुत दुख होगा. बोलेंगे तो वो कुछ नहीं पर मे उनका दिल दुखाना नहीं चाहता.

आशना: आप चिंता ना करिए काका, मे संभाल लूँगी उन्हें.

बिहारी अजीब सी कशमकश मे पड़ गया और फिर बोला, आप ठहरिए मे उनके रूम की चाबी लेकर आता हूँ. बिहारी यह कहकर अपने रूम मे चला गया और एक बड़ा सा चाबियो का गुच्छा लेकर सीडीयाँ उपर चढ़ने लगा. आशना भी उनके पीछे पीछे सीडीयाँ चढ़ने लगी, उपर पहुँच कर बिहारी काका पाँचवें रूम के दरवाज़े के पास जाकर रुक गये और एक चाभी से ताला खोल दिया. दरवाज़ा खोलने के बाद उन्होने मूड कर आशना की तरफ़ देखा जो कि दूसरी तरफ देख रही थी.


तभी आशना ने पूछा: काका नीचे की तरह यहाँ भी हर कमरे पर ताला क्यूँ है?

बिहारी: वीरेंदर बाबू का आदेश है. सारे रूम हफ्ते मे एक ही बार खुलते है वो भी सिर्फ़ सफाई के लिए.

आशना: काका क्या सारा घर आप अकेले सॉफ करते हो.

बिहारी: नहीं बिटिया मे तो वीरेंदर बाबू जी का रसोइया हूँ और कभी कभी उनका कमरा साफ कर लेता हूँ क्यूंकी उनके कमरे मे जाने की किसी और को इजाज़त नहीं. बाकी का घर सॉफ करने के लिए 3नौकर हैं जो पहले यहीं पीछे सर्वेंट क्वॉर्टर्स मे रहते थे पर अब वीरेंदर बाबू के कहने पर यहीं पास मे ही रहते हैं. उनके रहने का सारा खर्चा वीरेंदर बाबू ही देखते हैं. वो हफ्ते मे एक बार आकर बाहर स्विम्मिंग पूल, लॉन और बाकी कमरो की सफाई कर देते हैं.


आशना:हूंम्म्मम. अच्छा काका बहुत भूख लगी है, आप जाकर खाना ले आओ.

बिहारी: जी बिटिया पर वीरेंदर बाबू जी के आने के बाद आपको ही जवाब देना पड़ेगा कि आप उनके रूम मे क्यूँ ठहरी हैं.

आशना: आप चिंता ना करें. मे उन्हे कल ही यहाँ ले आउन्गी और हम मिलकर यहाँ उनका ध्यान रखेंगे.

बिहारी काका ने यह जब सुना कि वीरेंदर बाबू कल आ रहे हैं तो खुशी से उनकी आँखें चमक उठी और आशना से पूछ के क्या तुम भी यही रुकोगी उनका ख़याल रखने के लिए. आशना ने हां मे सिर हिलाया.

काका: जीती रहो बेटी, मुझे नहीं पता कि तुम वीरेंदर बाबू को कैसे जानती हो पर यह विश्वास हो गया कि अब वो पूरी तरह से ठीक हो जाएँगे. यह कह कर बिहारी नीचे खाना लेने चला गया. आशना ने पूरा कमरा बड़े गौर से देखा. हर एक चीज़ करीने से सजी हुई. आशना ने एलसीडी ऑन की उसपर स्तर स्पोर्ट्स चॅनेल चल रह था. आशना वहीं बेड पर बैठ गई और चारो तरफ देखने लगी. उसकी नज़र बेड पोस्ट पर पड़ी डाइयरी पर पड़ी. वो जैसे ही उसे उठाने के लिए बेड से उठने लगी तभी बिहारी काका खाने की ट्रे लिए कमरे मे आए. आशना वहीं बैठी रही. काका ने खाना परोसा.

आशना: काका आप भी खा लीजिए कुछ देर बाद बर्तन लेजाइयेगा. बिहारी नीचे चला गया.


आशना ने खाना खाया. करीब आधे घंटे के बाद बिहारी ने रूम नॉक किया.

आशना: आ जाइए काका. बिहारी अंदर आया और बर्तन उठाने लगा.
आशना: क्या वीरेंदर जी स्पोर्ट्स चॅनेल पसंद करते हैं.

बिहारी: बिटिया भैया को कार रेसिंग और WWF बहुत पसंद थी पर उस हादसे के बाद तो वो सब कुछ भूल ही गये. आज 8 साल बाद आप ने यह टीवी ऑन किया है.
बिहारी: अच्छा बिटिया अब आप आराम करो मे बर्तन साफ करने के बाद आवने कमरे मे सो जाउन्गा. किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बुला लेना.

आशना: जी काका.

बिहारी काका: पर बिटिया आप अपने साथ कोई बॅग तो लाई नहीं तो क्या आप यही पहन के सो जाओगी.

आशना: जी काका आज मॅनेज कर लूँगी, कल कुछ शॉपिंग कर लूँगी.

बिहारी: बिटिया वैसे मधु (वीरेंदर की छोटी बेहन जो आक्सिडेंट मे मारी गई थी) मेम साहब की अलमारी कपड़ो से भरी पड़ी है पर अगर मेने उस मे से आपको कुछ दे दिया तो साब बुरा लग सकता है.

आशना: कोई बात नहीं काका, आज की रात मे मेनेज कर लूँगी. काका ने अलमारी से आशना को एक क्विल्ट निकाल के दिया और वो नीचे चले गये. आशना ने अंदर से दरवाज़ा बंद किया और अपनी जॅकेट उतार दी. फिर उसने डाइयरी उठाई और बेड पर बैठ गई. उसने पिल्लोस को बेड पोस्ट पर खड़ा करके उससे टेक लगा कर अपने उपर क्विल्ट ले लिया. नरम मुलायम क्विल्ट के गरम एहसास से वो एक दम रोमांचित हो गई. उसने डाइयरी उठाकर कवर खोला, पहले पेज पर वीरेंदर की सारी डीटेल्स थी जैसे नाम, अड्रेस्स, कॉंटॅक्ट नंबर. एट्सेटरा एट्सेटरा. वो अगला पेज पलटने वाली थी कि उसकी नज़र पेज के लास्ट मे पड़ी. वहाँ लिखा था "विथ लव फ्रॉम रूपाली टू वीरू." यह लाइन पढ़ते ही आशना के दिल की धड़कने तेज़ हो गई. यह रूपाली कॉन हो सकती है उसके मन मे सवाल आया. खैर अगला पन्ना पलटने से पहले आशना ने क्विल्ट के अंदर ही अपनी पॅंट और टी-शर्ट उतार कर एक साइड मे रख दी क्यूंकी वो काफ़ी अनकंफर्टबल फील कर रही थी इतने टाइट कपड़ो मे. अपने आप को पूरी तरह क्विल्ट से कवर करने के बाद उसने डाइयरी पढ़ना शुरू किया.
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2734
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

Post by Dolly sharma »


१स्ट पेज: 20-04 2000.(यह तारीख उस आक्सिडेंट के 3 दिन पहले की है)

वीरू, आज मे बहुत खुश हूँ. मुझे लगा कि लंडन जाने के बाद तुम मुझे भूल जाओगे पर 12-12 1999 को जब तुमने मुझे शादी के लिए प्रपोज़ किया तो मे एक दम हैरान रह गई. मे उस वक्त तुमसे बहुत बातें करना चाहती थी लेकिन मुझे जान पड़ा. मेरा लास्ट सेमेस्टर था और मे मिस नहीं करना चाहती थी. तुम भी तो यही चाहते थे कि मे इंजिनियर बनू. इतने महीनो से ना मे तुमसे कॉंटॅक्ट कर सकी और ना तुमने कोई फोन किया. मे जानती हूँ कि तुम मुझसे नाराज़ होंगे. लेकिन अब मे आ गई हूँ, सारी नाराज़गी दूर करने. मेने अपनी एक मंज़िल पा ली है और अब मे वापिस आ गई हूँ तुम्हे हासिल करने.


यह डाइयरी मेरी तरफ से एक छोटी सी भेंट है. तुम्हारी जो भी नाराज़गी है तुम मुझे इसपर लिख कर बता सकते हो क्यूंकी मुझे पता है तुम मुझे कुछ बोलॉगे नहीं और किसी के सामने बात करने से तो तुम रहे. लगता है हमारी शादी की बात भी मुझे ही अपने घरवालो से करनी पड़ेगी. मे 3 दिन बाद तुम्हारे घर मधु से मिलने आउन्गि, तुम जो लिखना चाहते हो इस डाइयरी मे लिख कर मुझे चोरी से पकड़ देना.
वैसे एक बात बोलूं "आइ लव यू टू वीरू".
आशना एक एक लफ्ज़ को ध्यान से पढ़ रही थी. उसने अगला पन्ना पलटा.

20-04-2000:


वोहूऊऊऊ, आइ लव यू रूपाली. तुम नहीं जानती आज मे कितना खुश हूँ. तुमको लंडन मे हमेशा मिस किया और घर आने पर पता लगा कि तुम बॅंगलॉर मे इंजीनियरिंग. करने चली गई हो. मे जनता था कि तुम मुझसे प्यार करती हो पर कहने से डरती हो, इसीलिए मेने हिम्मत करके तुम्हे उस दिन प्रपोज़ कर दिया. उस दिन अचानक तुम मिली तो मे रह नहीं पाया, मेने अपने प्यार का इज़हार कर दिया पर तुम बिना कुछ बोले ही चली गई. मैं काफ़ी डर गया था कि शायद तुम मुझसे प्यार नहीं करती. अगर उस दिन तुम्हारे पापा साथ ना होते तो मे भी तुम्हारे साथ बॅंगलॉर आ जाता. खैर कोई बात नहीं, मे तुमसे कभी नाराज़ नहीं था और ना ही कभी होऊँगा.


कल मोम-डॅड और मधु, चाचू के घर जा रहे हैं, उनके आते ही मे उनसे बात कर लूँगा हमारी शादी की. तुम मेरी हो रूपाली. मे तुम्हे हर हाल मे पा कर रहूँगा. मैने अभी तक अपने आप को संभाल कर रखा है और आशा करता हूँ कि तुम भी मेरे जज़्बातों की कदर करोगी और मुझे रुसवा नहीं करोगी.बस इतना ही लिखूंगा इस डाइयरी मे. अपने दिल का हाल मे तुम्हे मिलके तुम्हारी आँखो मे देख कर कहूँगा .


और हां हो सके तो यह डाइयरी मुझे जल्द वापिस कर देना ताकि मे उन पलो के बारे मे लिख सकूँ जो अब मुझे तुम्हारे बिन गुज़ारने हैं जब तक तुम मेरी नहीं हो जाती.

आशना ने बेड के साथ रखे स्टूल से पानी का ग्लास उठाया और उसे पीने लगी. पानी इतना ठंडा था कि वो सीप करके उसे पीना पड़ा. आशना का शरीर क्विल्ट की वजह से काफ़ी गरम हो गया था. सीप बाइ सीप पानी पीने से उसे काफ़ी सुकून मिल रहा था आशना ने मोबाइल मे टाइम देखा अभी सिर्फ़ 11:00 ही बजे थे. उसने सारी डाइयरी आज रात ही पढ़ने की ठान ली और फिर से बेड पर क्विल्ट के अंदर घुस कर अगला पन्ना पलटा.

27-05 2000.


आज काफ़ी दिनो के बाद डाइयरी लिखने बैठा हूँ. इन बीते दिनो मे मेने बहुत कुछ खोया है. मेरे माँ-बाप, मेरी छोटी लाडली बेहन, मेरे चाचू सब मुझे अकेला छोड़ कर हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गये हैं. 23-04-2000 का दिन मे कभी नहीं भूल सकता. उस दिन मे काफ़ी खुश था. अपने फॅमिली मेंबर्ज़ का वेट कर रहा था और उन्हें खुशख़बरी देना चाहता था कि मेने उनकी बहू ढूँढ ली है पर शायद भगवान को यह खुशी मंज़ूर नहीं थी. मेरा पूरा परिवार इस हादसे का शिकार हो गया था. वो दिन मुझसे सब कुछ छीन कर गुज़र गया था. मे इस कदर सदमे मे चला गया था कि मेरी चचेरी बेहन आशना का भी मुझे कोई ख़याल ना रहा. मे उसे ज़रा भी संभाल नहीं पाया. 28-04-2010 को वो भी मुझसे नाराज़ होकेर चली गई. मे उसे रोकना चाहता था पर मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी कि मे उसका मासूम चेहरा देख सकता. उस बेचारी ने इतनी छोटी उम्र मे कुछ ही सालो मे अपने माँ- बाप को खो दिया था. मे उसकी हर ज़रूरत तो पूरी कर सकता हूँ पर उसके माँ- बाप की कमी को पूरा नहीं कर सकता. इसीलिए मेने उसे रोकने की कोशिश भी नहीं की. शायद अगर उसे मैं रोक लेता तो उसे मुझे और मुझे उसे संभालना बहुत मुश्किल होता. इतने साल घर से बाहर रहने के कारण मुझ मे कुछ सोशियल कमियाँ थी जिस कारण मे उसे खुश ना रख पाता, इसीलिए उसका दूर जाना ही उसके लिए ठीक था.


यह पढ़ते पढ़ते आशना की आँखो से आँसू टपक कर डाइयरी पर गिर पड़े. जिस इंसान को वो मतलबी समझती थी वो उसके लिए इतना सोचता है उसे इस चीज़ का कभी एहसास ही नहीं हुआ. जिस गुनाह के लिए वो वीरेंदर को सज़ा दे रही थी वो गुनाह वीरेंदर ने कभी किया ही नहीं और अगर किया भी तो उसकी भलाई के लिए. आशना का मन ज़ोर ज़ोर से रोने को कर रहा था. उसने किसी तरह अपने आप को संभाला और डाइयरी पढ़ने लगी. हर एक पन्ना पढ़ कर वीरेंदर की इज़्ज़त आशना की नज़रो मे बढ़ने लगी. उसे पता चला कि कैसे वीरेंदर ने उसे कई बार मिलने की कोशिश की पर आशना ने हमेशा उसे इग्नोर किया. यहाँ तक कि एक बार वीरेंदर खुद उससे मिलने उसके बोरडिंग स्कूल मे आया पर उसने अपनी सहेली को यह कहके वीरेंदर को वापिस भेज दिया कि आशना एजुकेशनल टूर पर गई है. आशना इन सब के लिए अपने आप को कोसे जा रही थी.कुछ पन्ने पढ़ने के बाद आशना को पता लगा कि रूपाली के बार बार समझाने पर वीरेंदर वो हादसा नहीं भूल पा रहा था. रूपाली ने फिर उससे शादी की बात की तो वीरेंदर ने सॉफ मना कर दिया कि उसे एक साल तक वेट करना पड़ेगा. मगर रूपाली ने उसे 4 महीनो का वक्त दिया और चली गई. वीरेंदर ने काफ़ी बार उससे मिलने की कोशिश की पर वो हर बार शादी की ज़िद करती और इस तरह धीरे- धीरे दोनो मे डिफरेन्सस बढ़ते गये. वीरेंदर को यकीन था कि रूपाली धीरे धीरे मान जाएगी. मगर उसका यकीन उस दिन टूटा जिस दिन रूपाली उसके घर उसे अपनी शादी का कार्ड देने आई. उन लम्हो को वीरेंदर ने कैसे बयान किया उसे पूरा पढ़ना आशना के बस का नहीं था.. वीरेंदर उसे बेन्तेहा मोहब्बत करता था पर रूपाली उसकी मोहब्बत ठुकरा कर किसी और की होने वाली थी. वीरेंदर ने दिल पर पत्थर रखकर उससे शादी करने को भी कहा पर रूपाली ने उसे यह कहकर ठुकरा दिया कि वो एक नॉर्मल ज़िंदगी शायद ही दोबारा जी पाए. वीरेंदर ने उसे लाख समझाने की कोशिश की कि वो धीरे धीरे नॉर्मल हो रहा है और उस हादसे को भूलने की कोशिश कर रहा है. वीरेंदर ने उसे यहाँ तक कहा कि अगर रूपाली साथ दे तो वो जल्द से जल्द एक नॉर्मल ज़िंदगी जी सकेगा. मगर रूपाली ने उसका दिल यह कह कर तोड़ दिया कि वीरेंदर अब काफ़ी देर हो चुकी है. जब तुम मुझसे दूर जाने लगे तो अविनाश( रूपाली'स वुड बी) ने मुझे सहारा दिया. उसने मुझे बताया कि एक नॉर्मल मर्द एक लड़की को कैसे खुश रख सकता है. मुझे तो शक हैं कि तुम इसके लायक भी हो या नहीं.

User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2734
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

Post by Dolly sharma »


इतना सब पढ़ने के बाद आशना को रूपाली से नफ़रत सी हो गई. आशना सोचने लगी कि रूपाली कैसी लड़की होगी जो वीरेंदर के पवित्र प्यार को ठुकरा कर किसी और की बाहों मे चली गई. क्या लड़कियो को सिर्फ़ सहारा चाहिए जो एक से ना मिला तो वो दूसरी तरफ चली जाएँगी. प्यार ऐसा तो नहीं होता. हालाँकि उसने कभी किसी से प्यार नहीं किया पर उसका दिल यह मानने को तैयार नहीं था कि कैसे एक इंसान इतना गिर जाता है कि वो किसी से असीम प्यार की कुर्बानी देने से भी नहीं कतराता.


आशना ने घड़ी की तरफ देखा जो कि रात का 1:00 बजा रही थी. आशना ने अपनी आँखें पोछी और आगे पढ़ना शुरू किया. आगे ज़्यादातर पेजस पर उसका रूपाली को मनाना लिखा था पर वो नहीं मानी और अविनाश से शादी कर ली. वीरेंदर ने लिखा कि उस दिन वो सारा दिन घर से बाहर नहीं निकला. उसके बाद तो जैसे उसकी रुटीन सी बन गई. घर से ऑफीस, ऑफीस से घर. बस इतनी ही ज़िंदगी रह गई थी वीरेंदर की. अगले काफ़ी पेजस पर हर दिन डेट्स के हिसाब से थोड़ा बहुत ही लिखा था. पर उसपे इतनी बार ओवरराइट किया गया था कि आशना को उसे पढ़ना बहुत मुश्किल हो गया था. हर लाइन के एंड मे लिखा होता "आइ लव यू रूपाली, प्लीज़ कम बॅक, आइ कॅन'ट लिव विदाउट यू". उसके बाद तो हर लाइन पर बस रूपाली का ही नाम था जिस मे वीरेंदर उससे माफी माँगता उससे गिड़गिडता. आशना सोचने लगी कि वीरेंदर कितना भोला इंसान है कि वो रूपाली के धोके को अपनी ग़लती मान कर दिल ही दिल मे घुट रहा है. सारी डाइयरी ख़तम करते करते आशना को 3:30 बज गये. जैसे ही वो डाइयरी के मिड्ल मे पहुँची, एक डेट ने उसे चौंका दिया.
13-08-2012. यह डेट तो आज से 12 दिन पहले की है. आशना ने पढ़ना स्टार्ट किया.


आज करीब 12 साल बाद रूपाली को देखा, वैसी की वैसी ही है वो. वो अपने पति के साथ मेरे शोरुम मे आई थी. जैसे ही उसने मुझे देखा वो एकदम रुक गई, शायद उसे पता नहीं था यह नया शोरुम मेरा है. खैर उसने अपने पति और एक छोटी सी बच्ची के साथ कुछ एलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स की शॉपिंग की. मैने उससे बात करने की कोशिश की पर अविनाश की उपस्थिति मे उससे बात करना ठीक नहीं लगा. जैसे ही वो लोग पेमेंट करने काउंटर पर आए, उसके पति को किसी का फोन आ गया. उसने रूपाली को पेमेंट करने को कहा और खुद शोरुम से बाहर चला गया बात करते हुए. मेने उससे बच्ची के बारे मे पूछा तो उसने कहा कि 7 साल पहले उसे बेटी हुई थी. वो बार बार दरवाज़े पर देख रही थी, काफ़ी अनकंफर्टबल फील कर रही थी वो. मे उसे इस हालत मे देख नहीं सकता था. मेने जल्दी से उनके समान की रिसीट उन्हे थमा दी बिना पेमेंट के तो रूपाली ने बिना ना नुकर के रिसीट ली और बॅग मे डाल कर मुड़ने लगी. मेने उसे पुकारा तो वो एक पल के लिए रुकी और फिर पलट कर बोली. अगर तुम्हे पेमेंट के पैसे लेने हैं तो ले लो पर मेरे रास्ते मे दोबारा मत आना. मे तुमसे नफ़रत करने लगी हूँ वीरेंदर. तुम कभी किसी लड़की को सुखी नहीं रख सकते, तुम मेंटली बीमार हो. जाओ और पहले अपना इलाज कर्वाओ. इतना कह कर वो मूडी और तेज़ी से दरवाज़े से बाहर निकल गई.

मे हक्का- बक्का उसे जाते हुए देखता रहा. क्या मेरा प्यार पागलपन है?. क्या मे इस काबिल नहीं था कि उसे ज़िंदगी की हर खुशी दे सकता था? क्या मेरे फॅमिली मेंबर्ज़ के प्रति उसकी कोई ज़िम्मेदारियाँ नहीं थी? अगर मे उनकी मौत से परेशान था तो क्या उसका फ़र्ज़ नहीं था कि वो मुझे सहारा दे? क्या उसे ही सहारा चाहिए था, क्या मुझे सहारे की ज़रूरत ने थी? ऐसे ही कितने सवाल उसके अगले दो पेजस पर लिखे थे जिसे पढ़ते पढ़ते एक बार फिर आशना की आँखें गीली हो गई. वो समझ सकती थी कि वीरेंदर उस दिन किस हालात से गुज़रा था. अब उसे वीरेंदर की असली बीमारी का पता लग चुका था. अंत में उस डाइयरी मे लिखा था " आज मुझे पता लगा कि दुनिया मे प्यार की कोई अहमियत नहीं, सब अपना फ़ायदा ढूँढते हैं. आशना ने भी मेरे साथ ऐसा ही किया. उस हादसे के बाद जब उसे लगा कि मैं टूट चुका हूँ और उसे संभाल नहीं सकता तो वो भी मुझे छोड़ कर चली गई. तब तो वो छोटी थी लेकिन अब तो वो भी समझदार हो गई होगी, लेकिन उसने कभी मुझसे मिलने की कोशिश भी नहीं की, मुझे समझने की भी कोशिश नहीं की. सब लड़कियाँ ऐसी ही होती हैं. अगर एक जगह बात ना बने तो वो किसी को भी धोखा देकर कहीं और सहारा ढूंड लेती हैं. अब समझा रूपाली ने कभी मुझसे प्यार नहीं किया, मुझे नहीं समझा. आइ हेट यू रूपाली, आइ रियली हेट यू. आइ हेट यू आशना. मैं दुनिया की हर लड़की से नफ़रत करता. आइ रियली हेट गर्ल्स".


आख़िरी लाइन्स पढ़ते पढ़ते आशना के चेहरे पर चिंता की लकीरे सॉफ देखी जा सकती थी. काफ़ी समय तक आशना लास्ट लाइन्स पढ़ती रही और एकटक उस हर एक अक्षर को देखती रही जिस मे वीरेंदर ने अपने दिल का गुब्बार निकाला था. वो वीरेंदर से नाराज़ नही थी पर उसे अच्छा नहीं लग रहा था कि वीरेंदर उसे भी ग़लत समझता है. काफ़ी देर तक वो इसी बारे मे सोचती रही फिर अचानक उसने घड़ी की तरफ देखा जो कि 5 बजने से कुछ ही दूरी पर थी. आशना अचानक बेड से उठी जैसे उसे कुछ याद आया हो.


उसने डाइयरी बंद की और उसे वहीं रख दिया जहाँ से उसे उठाया था. उसने अपने हॅंड बॅग से डॉक्टर. बीना का विज़िटिंग कार्ड निकाला और उनका नंबर. डाइयल कर दिया. आशना के हाथ कांप रहे थे नंबर. डाइयल करते हुए, ना जाने क्या सोच कर वो इतना परेशान हो गई थी. काफ़ी देर बेल जाती रही पर बीना ने फोन पिक नहीं किया. उसने इस बार भी डाइयल किया लेकिन कोई रेस्पॉन्स नहीं. आशना पूरी तरह कांप उठी. उसने जल्दी से अपने कपड़े पहने और अपना बॅग उठाकर नीचे की तरफ भागी. नीचे आने पर उसने काका को आवाज़ लगाई जो कि उसकी एक आवाज़ सुनते ही अपने कमरे से बाहर निकल आए.

बिहारी काका: अरे बिटिया इतनी सुबह उठ गई, कोई काम है क्या.

आशना: काका मे हॉस्पिटल जा रही हूँ, तुम घर का ख़याल रखना.

आशना की आवाज़ मे काफ़ी डर था जिसे काका ने भी भाँप लिया और बोले बिटिया सब ठीक तो है ना. वीरेंदर बाबू ठीक हैं ना? और तुम्हारी आँखें इतनी लाल क्यूँ हैं, क्या तुम्हें नींद अच्छे से नहीं आई.

आशना: काका सब ठीक है पर मुझे अभी जाना होगा नहीं तो पता नहीं क्या हो जाएगा.

काका: बिटिया तुम इतनी सुबह सुबह अकेले कैसे जा पओगि. एक काम करो वीरेंदर बाबू की गाड़ी ले जाओ.

आशना: पर काका मुझे तो हॉस्पिटल का रास्ता नहीं मालूम.

इतना सुनकर बिहारी काका कुछ देर शांत रहे और फिर बोले मे तुम्हारे साथ चलता हूँ और फिर वहाँ से टॅक्सी लेकर वापिस आ जाउन्गा. आशना को यह ठीक लगा.

आशना: ठीक है काका. गाड़ी की चाबी दो, मे गाड़ी निकालती हूँ तब तक तुम घर को लॉक कर दो. बिहारी ने उपर जाकर वीरेंदर बाबू के कमरे से गाड़ी की चाबी लेकर आशना को दी.


User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2734
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

Post by Dolly sharma »

चाबी लेकर आशना गॅरेज की तरफ भागी और बिहारी काका ने अपने कमरे से चाबियो का गुच्छा लेकर घर को लॉक करना शुरू कर दिया. गॅरेज पहुँच कर एक पल के लिए आशना के कदम ठितके क्यूंकी यह चाबी किस गाड़ी की थी उसे पता नही था और वहाँ पर 4 गाड़ियाँ खड़ी थी. आशना ने बिना वक्त गवाए सबसे पिछली वाली गाड़ी के लॉक मे चाबी घुसाइ और घुमा दी. गाड़ी अनलॉक कर दी. जब तक आशना गाड़ी को मेन गेट पर लाती बिहारी काका दौड़ते हुए वहाँ पहुँच चुके थे. गाड़ी उनके पास रुकी तो बिहारी काका ने मेन गेट लॉक किया और पिछला दरवाज़ा खोल कर वो उस मे बैठ गये. तभी आशना के फोन की घंटी बजी. आशना ने जल्दी से बॅग खोल कर उस मे नंबर. देखा. डॉक्टर. बीना की कॅल आई थी. आशना ने कॉल पिक की और इससे पहले कि डॉक्टर. कुछ बोलती, आशना ने काका की तरफ देखकर डॉक्टर. से पूछा वीरेंदर को होश आ गया क्या डॉक्टर.

बीना: हां, वीरेंदर को अभी कुछ देर पहले ही होश आया है बस अभी कुछ देर मे उसका चेकप करने जा रही हूँ. डॉक्टर. अभय कल से आउट ऑफ स्टेशन गये हैं. आशना ने एक गहरी साँस ली और कहा डॉक्टर. एक बहुत ज़रूरी बात करनी है आपसे, इस लिए मेरे आने तक आप उनसे कोई बात नहीं करेंगी, यह कहकर आशना ने फोन काटा और गाड़ी दौड़ा दी.

बिहारी काका रास्ता बताते गये और 15 मिनट मे ही गाड़ी हॉस्पिटल की पार्किंग मे खड़ी थी. बिहारी काका को टॅक्सी का किराया देकर आशना हॉस्पिटल की ओर भागी. एंटर करते ही उसने डॉक्टर. रूम की तरफ अपने कदम मोड़ लिए. कॅबिन मे डॉक्टर. बीना अपनी चेर पर बैठ कर उसका वेट कर रही थी. जैसे ही आशना रूम के अंदर घुसी, बीना उसे देख कर चौंक गई. आशना के बिखरे बाल, लाल आँखें और अस्त व्यस्त हालत यह बता रही थी कि आशना सारी रात सोई नहीं और काफ़ी परेशान भी है. अंदर आते ही आशना ने बीना से कहा डॉक्टर. मुझे आपसे बहुत ज़रूरी बात करनी है.

बीना: कूल डाउन आशना, वीरेंदर को होश आ गया है और अब उसका हार्ट नॉर्मली वर्क कर रहा है. घबराने की कोई ज़रूरत नहीं. पहले तुम अटॅच वॉशरूम मे जाकर अपनी हालत सुधारो, तब तक मैं चाइ बनाती हूँ.


आशना बिना कुछ बोले वॉशरूम मे घुस गई और ठंडे पानी के छींटो से अपनी सुस्ती मिटाने लगी. अच्छी तरह से हाथ मूह धोकर और अपने बाल और कपड़ो की हालत सुधारकर वो बाहर आई. बाहर आते ही उसने देखा कि डॉक्टर. बीना चाइ बना रही हैं एक कॉर्नर मे छोटी सी किचन मे. आशना भी उनके साथ उसी किचेन मे आ गई.

डॉक्टर. बीना: हो गई फ्रेश?, गुड, चलो अब चाइ पीते हैं और मुझे सब कुछ डीटेल मे बताओ. यह कह कर उन्होने एक कप आशना की तरफ बढ़ाया. आशना ने कप पकड़ा और बाहर कॅबिन मे आकर एक चेर पर बैठ गई. बीना भी अपनी चेर पर बैठ गई अपने रूम को लॉक करने के बाद.

बीना: हां आशना अब बोलो ऐसा क्या हुआ जो तुम इतनी सुबह सुबह परेशान दिख रही हो. जब तुमने मुझे कॉल किया तो मे तब वॉश रूम मे थी, बाहर आकर अननोन नंबर. देखा तो पहले तो इग्नोर कर दिया पर फिर जब मेने कॉल किया तो तुम्हारी डरी हुई आवाज़ ने मुझे चौंका दिया. बोलो क्या बात है.

आशना: डॉक्टर., वीरेंदर भैया की डाइयरी मेने पढ़ी, उन्हे डाइयरी लिखने का शौक है और इस तरह से आशना ने उन्हे सारी बाते बता दी. सब कुछ जानने के बाद डॉक्टर. के चहरे पर भी चिंता की लकीरें देखी जा सकती थी.

डॉक्टर.: आशना सब कुछ जानने के बाद मैं बस इतना कह सकती हूँ कि वीरेंदर ने पिछले कुछ सालो मे बहुत कुछ सहा है और शायद उसका दिल अब और दर्द बर्दाश्त ना कर पाए. उसे किसी भी तरह खुश रखना होगा ताकि उसके दिल पर ज़्यादा दवाब ना पड़े और सबसे ज़्यादा ज़रूरी है कि उसकी शादी हो जानी चाहिए जिससे उसके जिस्म मे दौड़ता लहू अपनी लय मे दौड़ सके.

आशना: लेकिन डॉक्टर., क्या भैया पर शादी के लिए दवाब डालना ठीक रहेगा?

डॉक्टर. बीना: कुछ देर चुप रहने के बाद, आशना शायद तुम ठीक कह रही हो, दवाब मे हो सकता है कि उसके दिल पर बुरा असर पड़े. लेकिन इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं. उसकी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं है जो उसे एग्ज़ाइट करे और वो मास्तरबेट या सेक्स करने पर मजबूर हो जाए.


आशना: डॉक्टर., आप कैसे कह सकती है कि अगर भैया की कोई गर्लफ्रेंड हो तो वो उसे मास्टरबेशन या सेक्स पर मजबूर कर सकती है? (अब आशना बिल्कुल खुल के डॉक्टर. से बात कर रही थी).

डॉक्टर. बीना: मुस्कुराते हुए, आशना यह जो औरत का जिस्म होता हैं ना यह तो बूढो मे भी जान देता है और वीरेंदर तो अभी काफ़ी जवान और हॅटा-कटा पुरुष है. मैं यकीन के साथ कह सकती हूँ कि ऐसा ही होगा.

आशना कुछ देर डॉक्टर. की बातों पर गौर करती रही.

डॉक्टर.बीना: अच्छा आशना तुम चाहो तो यहाँ बैठो या मेरे साथ चल सकती हो मुझे एमर्जेन्सी वॉर्ड का एक राउंड लेना है उसके बाद वीरेंदर का चेकप करके तुम्हें दवाइयाँ समझाकर उसे डिसचार्ज कर दूँगी. आशना की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर बीना ने अपना हाथ आशना के हाथो पर रखा. डॉक्टर. बीना के गरम हाथो हाथो का स्पर्श जब आशना के ठंडे हाथो पर पड़ा तो दोनो ने अपने अपने हाथ खेंच लिए. आशना इस लिए चौंकी कि बीना के गरम हाथो ने उसको ख़यालो की दुनिया से बाहर खैंच लिया और डॉक्टर. बीना इसलिए चौंकी क्यूंकी आशना के हाथ बरफ की तरह ठंडे थे. बीना एक सयानी डॉक्टर. थी वो जानती थी कि आशना या तो डरी हुई है या कुछ नर्वस है.
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2734
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

Post by Dolly sharma »


बीना: आशना तुम मुझसे कुछ कहना चाहती हो?

आशना एक दम हड़बड़ाई न..ना..नही डॉक्टर. वो मे सोच रही थी कि . इतना कहकर आशना खामोश हो जाती है.

डॉक्टर. बीना: बोलो आशना, जो भी बोलना है बोल दो . मुझपर भरोसा रखो मैं तुम्हारी बात सुनूँगी और समझूंगी.

आशना: डॉक्टर., भैया के साथ जो भी हुआ उस मे कुछ दोष शायद मेरा भी है, मेरे कारण भी उन्होने काफ़ी तकलीफ़ झेली है, में उन्हे इस सिचुयेशन से बाहर निकालना चाहती हूँ पर वो अंजाने मे ही सही मुझ से नफ़रत करने लगे हैं. तो क्या इस वक्त मेरा उनके पास जाना उनकी सेहत के लिए ठीक रहेगा.

डॉक्टर. बीना उसकी बात सुनकर गहरी सोच मे पड़ गई. कुछ देर सोचने के बाद बीना बोली, आशना तुम आख़िरी बार भैया से कब मिली थी. आशना को कुछ समझ मे नहीं आया पर फिर भी बोली पापा के अंतीमसंस्कार के वक्त.

डॉक्टर: क्या उस वक्त की तुम्हारे पास तुम्हारी कोई तस्वीर है.

आशना ने सवालिया नज़रो से उसे देखा और फिर अपने बॅग से एक आल्बम निकाली. आशना ने कुछ पन्ने पलट कर एक पन्ना डॉक्टर. के सामने रखा "यह फोटो तब की है जब पापा मुझे बोरडिंग स्कूल मे अड्मिट करवा के आए थे. यह उनके साथ मेरी आख़िरी फोटो थी. बीना ने फोटो को गौर से देखा फिर आशना की तरफ देखा. बीना की आँखो मे चमक आ गई जिसे आशना ने भी महसूस किया पर कुछ समझ नहीं पाई. बीना ने जल्दी से आल्बम बंद की और आशना की तरफ बढ़ा दी. आशना ने आल्बम लेकर बॅग मे डाल दी और डॉक्टर. की तरफ देखने लगी. डॉक्टर. के चहरे पर मुस्कान देख कर आशना ने उसका कारण पूछा.

डॉक्टर.: यार तुम तो पहचानी ही नहीं जा रही हो, काफ़ी सेक्सी हो गई हो.

आशना का चेहरा शरम से लाल हो गया. ऐसा पहली बार नहीं था कि किसी ने उसे सेक्सी बोला हो. उसकी फ्रेंड्स तो हमेशा उसे सेक्सी ही बुलाती पर एक अधेड़ उम्र के मूह से ऐसा सुनने से वो शरम के मारे गढ़ गई.

बीना: आओ मेरे साथ, इतना कहकर बीना उठ खड़ी हुई. बीना ने वॉशरूम से लेकर उसे एक स्काइ-ब्लू कलर का शॉर्ट गाउन दिया जो कि डॉक्टर. यूज़ करती हैं. आशना ने गाउन पकड़ते हुए डॉक्टर. की तरफ सवालिया नज़रो से देखा.

बीना: तुम वीरेंदर की मदद करना चाहती हो.

आशना ने धीरे से सिर हां मे हिलाया.

बीना: तो इसे पहन लो और मेरे साथ चलो.

आशना को अभी भी कुछ समझ नहीं आया था.

बीना ने उसकी मनोदशा को समझते हुए कहा: देखो जब वीरेंदर ने तुम्हे देखा था तुम एक छोटी सी बच्ची थी और आज तो तुम माशा अल्लाह एक कयामत का रूप ले चुकी हो. तो ज़ाहिर सी बात है कि वो तुम को नहीं पहचान पाएगा और मुझे पूरा यकीन है कि तुम भी उससे उसकी बेहन बनके मिलना पसंद नहीं करोगी. इसी लिए यह गाउन पहन लो जिससे तुम इस हॉस्पिटल की एक. डॉक्टर. लगो और मे तुमको वीरेंदर के घर यह कहकर भेज दूँगी कि तुम उसकी केर के लिए वहाँ जा रही है.

यह सुनते ही आशना की आँखो मे चमक आ गई और उसने झट से अपनी जॅकेट उतार कर वो गाउन पहन लिया. आशना को सब समझ आ गया था. वो डॉक्टर. बीना के एहसान तले दब गई उसकी इस मदद के लिए. दोनो हॉस्पिटल के राउंड के लिए निकल पड़ी. करीब 8:00 बजे वो वीरेंदर के कॅबिन के बाहर पहुँची.

डॉक्टर. बीना ने नॉक किया. अंदर से वीरेंदर की आवाज़ आई. यस, कम इन. बीना ने दरवाज़ा खोला और अंदर आ गई उसके पीछे-पीछे आशना ने भी धड़कते दिल से अंदर कदम रखा. आशना ने एक नज़र वीरेंदर के चेहरे पर डाली, चेहरे पर दाढ़ी काफ़ी आ गई थी. वीरेंदर काफ़ी बदल गया था इतने सालो मे. उसका शरीर काफ़ी मज़बूत हो गया था रोज़ जिम करने से और हाइट तो उसकी पहले ही काफ़ी थी. कुल मिलाकर वो एक बेहद ही तंदुरुस्त पर कमज़ोर दिल का गबरू जवान था. आशना की तंद्रा टूटी जब बीना ने वीरेंदर से कहा कि डॉक्टर, आशना हैं, मेरी असिस्टेंट हैं. आज हम तुम्हें डिसचार्ज कर रहे हैं यह तुम्हारे साथ कुछ दिन तुम्हारे घर पर रुकेंगी जब तक तुम बिल्कुल ठीक नहीं हो जाते.

वीरेंदर: क्या डॉक्टर. आंटी मे बिल्कुल ठीक हूँ, आप इन्हें परेशानी मे मत डालिए. इतना सुनते ही आशना एक दम घबरा गई.

बीना: मुझे पता है तुम कितने ठीक हो, डॉक्टर. मैं हूँ तुम नहीं और तुम्हारे अंकल ने जाने से पहले मुझे ख़ास हिदायत दी है कि कुछ दिनो तक तुमको अब्ज़र्वेशन मे रखना पड़ेगा.


वीरेंदर: बाप रे अंकल का हुकुम है, फिर तो मानना ही पड़ेगा नहीं तो पता नहीं क्या- क्या पाबंदियाँ लग जाएँगी और उनका बस चले तो मुझे यहीं पर रोक लें. इतना कहते ही बीना और वीरेंदर दोनो हँस पड़े. आशना के चेहरे पर भी स्माइल आ गई.

बीना: डॉक्टर. आशना आप मेरे साथ चलिए मैं आपको इनकी दवाइयों के बारे मे बता देती हूँ और फिर आप इन्हे डिसचार्ज करवा के इनका चार्ज अपने हाथो मे ले लें.

आशना: जी डॉक्टर. चलिए.

आशना जाने के लिए मूडी ही थी कि वीरेंदर बोला: एक मिनट डॉक्टर.

आशना. आशना के कदम ठिठक गये और उसने मुड़ते हुए ही वीरेंदर की तरफ देखा.

वीरेंदर: डॉक्टर. आशना आप कहाँ की रहने वाली हो.

इससे पहले कि आशना हड़बड़ाहट मे कोई जवाब देती, बीना बीच मे बोल पड़ी. यह मेरे फ्रेंड की बेटी है. इसके माँ-बाप बचपन मे ही चल बसे. इसीलिए यह बचपन से मेरे पास ही रही और फिर यहाँ के गँवरमेंट. हॉस्पिटल से इसने इसी साल एमबीबीएस किया और अब मुझे असिस्ट कर रही है. आशना ने एक ठंडी सांस छोड़ी और वीरेंदर की तरफ़ देखा.

वीरेंदर: आइ आम सॉरी डॉक्टर. आशना मेने ऐसी ही पूछा था. आपके पेरेंट्स का सुन के मुझे काफ़ी दुख हुआ.

बीना: ओके अब तुम आराम करो आज दोपहर तक तुमको डिस्चार्ज कर देंगे, टेक केर.

वीरेंदर: बाइ डॉक्टर. आंटी, बाइ आशना.

Post Reply