भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

Post by Dolly sharma »

11 नवेंबर 2012:

आज आशना शादी करके शर्मा निवास मे बहू के रूप मे आ गयी और रागिनी मोहित के साथ अपने ससुराल चली गयी. अपने वादे के मुताबिक रागिनी का कन्यादान वीरेंदर ने किया और एक बड़े से होटेल मे शानदार रिसेप्षन के बाद दोनो न्यूली मॅरीड कपल्स अपने अपने घर की तरफ चल दिए.

इस शादी मे मुझे यानी कि "त्रिवेणी" और "डॉक्टर. विजय" को भी इन्विटेशन मिला लेकिन भाग्य का खेल देखिए इसी दिन हमारी यानी मेरी और विजय की एंगेज्मेंट भी फिक्स हुई थी जिस वजह से हम दोनो अपने नेटिव टाउन मे थे. आशना की शादी को मिस करने की जितनी तकलीफ़ मुझे थी उतना ही दुख आशना को मेरी एंगेज्मेंट मिस करने का था.

एंगेज्मेंट के बाद देल्ही वापिस आने पर आशना से बात हुई तो पता चला कि वो दोनो हनिमून के लिए मलेशिया निकल गये हैं और 31स्ट डिसेंबर एक साथ मनाने के वाद करके हम उस दिन का इंतज़ार करने लगे.

31स्ट दिसंबर. 2012:

आख़िर वो दिन आया और वादे के मुताबिक हम चारो फिक्स की हुई जगह पर पहुँच गये. होटेल के हाल के चारो तरफ रंग बिरंगी रोशनी एक खुशनुमा महॉल बना रही थी. हर एक जोड़ा बाहों मे बाहें डाले झूम रहा था.

एक दूसरे को शादी और इंग़ेज़मेंट की विश करने के बाद मैने जीजू को डॅन्स फ्लोर पर खींचा तो वो मेरे साथ ताल से ताल मिलकर झूमने लगे. कुछ देर बाद मेरी नज़र आशना और विजय को ढूँढने लगी लेकिन वो दोनो कहीं नहीं दिखे.

अब शक्की तो मैं नहीं हूँ लेकिन फिर भी यार थोड़ा बहुत तो हो ही जाता है. जीजू की तरफ हैरानी से देख कर मैं बोली: जीजू वो दोनो कहाँ हैं?

जीजू ने मेरी तरफ देख कर स्माइल दी तभी किसी ने मेरी कमर में हाथ डाला और मुझे अपनी ओर खींच लिया. मैं चिल्लाती इस से पहले विजय की फ्रॅग्नेन्स मेरे नथुनो मे समा गयी. एक अंजान डर से मेरी आँखें बंद हो गयी थी लेकिन फिर भी मैने उन्हे पहचान लिया और उनके सीने पर सर रख कर स्लो मूव्मेंट मे डॅन्स करने लगी.

आशना और जीजू मुझ पर हंस रहे थे लेकिन मैं विजय की बाहों मे सेक्यूर फील कर रही थी. खूब नाचने के बाद हम खाने की टेबल पर बैठे. जीजू ने स्कॉच का ऑर्डर दिया तो हम ने भी वोड्का के शॉट्स मग़वा लिए. हालाँकि मैं और आशना बियर से आगे कभी नहीं गयी थी लेकिन नये साल की खुशी मे हम हंगामा करना चाहते थे.

पीने और खाने के बाद मेरी और आशना की हालत बिगड़ चुकी थी. विजय और जीजू हमारा मज़ाक उड़ा रहे थे. आशना बार बार मुझे अपने घर ले जाने के लिए फोर्स कर रही थी लेकिन मेरा मन उस जगह से जाने का नहीं था. एंगेज्मेंट के बाद विजय से पहली बार मिल रही थी. वो बिज़ी हो गये थे और मेरे भी सेशनल्स थे तो हमारा मिल पाना बहुत मुश्किल था.

अंत मैं वीरेंदर बोला: आशना तुम त्रिवेणी को लेकर घर चलो, हम दोनो भी थोड़ी देर मे आते हैं. आज की रात यह दोनो हमारे घर पर ही रुकेंगे लेकिन आज की रात हम चारो मिलकर एक साथ ही बिताएँगे वरना सुबह पता चले कि नये साल की खुशी के नशे मे रातों रात क्या हो गया.

जीजू की बात सुनकर मे के दम शरमा गयी.

आशना ने कार ड्राइव की. वो काफ़ी स्लो ड्राइव कर रही थी. नशे का असर सॉफ देख रहा था उसपर. वो एकदम खामोशी से सामने देख कर ड्राइव कर रही थी. आशना को इतना खामोश मैने ज़िंदगी मे पहले कभी नहीं देखा. जैसे ही हम गेट के बाहर पहुँचे, बाहर मार्बल प्लेट्स पर बड़े बड़े अक्षरों मे लिखा था "शर्मा निवास".

यह नाम तो सुना सुना सा लग रहा था. नशा ज़्यादा हो जाने के कारण मुझे याद नहीं आ रहा था मगर मैं अपने दिमाग़ पर ज़ोर देकर याद करने की कोशिशों मे जुटी थी. कार से उतर कर आशना ने जब घर का लॉक खोला तो मेरे दिमाग़ मे एक दम धमाका हुआ.

मैं: यार यह तो तुम्हारे भैया का घर है, तुम मुझे यहाँ क्यूँ लाई हो?

आशना ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और किचन मे जाकर फ्रिड्ज से पानी निकल कर पीने लगी. इतनी सर्दी मे भी वो एकदम ठंडा पानी गतगत पी गयी. जब से हम होटेल से निकले थे,आशना एक दम खामोश हो गयी थी. रास्ते मे भी उसने कोई बात नहीं की. आशना सीडीयाँ चढ़ कर उपर के फ्लोर पर जाने लगी तो उसने मुझे भी उपर आने का इशारा किया.

परेशान सी मैं भी उसके पीछे चल दी. अपने बेडरूम का डोर खोलकर आशना ने मुझे पहले अंदर जाने दिया. मेरे पीछे आशना ने एंटर किया और लाइट्स ऑन कर दी. रूम की हर दीवार पर आशना और जीजू की शादी की बड़ी बड़ी तस्वीरे थी. मैं हैरानी से आशना की तरफ देख रही थी. मेरी समझ मे अभी भी कुछ नहीं आ रहा था.

आशना: बैठो.

मैं आशना के सामने वाले सोफे पर बैठ गयी. आशना ने ग्लास मे पानी डालकर मुझे ऑफर किया.मैने ग्लास लेकर टेबल पर रखा और आशना की तरफ देख कर पूछा: तुम दोनो यहाँ रहते हो?

आशना: हां.

मैने हैरान होकर पूछा: तो तुम्हारे भैया कहाँ हैं?

आशना ने मेरी तरफ ध्यान से देखा और फिर मुस्कुरा कर बोली: मेरे जीजू के साथ अभी कुछ देर मे आने ही वाले होंगे.
पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया लेकिन कुछ ही देर मे मेरे दिमाग़ मे अचानक से एक साथ कयि धमाके हुए. इस से पहले के मेरी तरफ से कोई प्रतिक्रिया होती, आशना ने मेरे सामने चेयर रखी और अपने होंठों पर उंगली रखकर मुझे चुप रहने का इशारा किया.

कुछ देर हम दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखते रहे और फिर वो मुझे उस घटना पर लाई गयी जब "शर्मा एलेक्ट्रॉनिक्स" के मालिक "वीरेंदर शर्मा" हॉस्पिटल के आइसीयू वॉर्ड में अड्मिट थे..........................
********समाप्त********



दोस्तो एक ज़रूरी सूचना देना तो भूल ही गयी. शादी के बाद अभी तक वीरेंदर ने आशना का दूसरा गिफ्ट नहीं लिया. जानती हूँ आप सब के लिए यह बड़े दुख की बात है. बट, हू नोस कि कब वीरेंदर अपनी हसरत पूरी कर ले . आफ़टेरल्ल, "मेन विल बी मेन"


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shubhs
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

Post by shubhs »

बहुत ही बढ़िया कहानी नेक्स्ट कहानी का वेट करेगे
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
mini

Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

Post by mini »

end achha nahi hua,mera bihari bina kuch kiye hi pagal ho gya................bahut bura hua
mini

Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

Post by mini »

ek shaandaar kahani,,,,,jabardast,,,,,congrats
student
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

Post by student »

superhit grand shandar jabardast jindabad


dolly ji ab apki nai kahani ka intjar .....
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