एक आहट जिंदगी की complete

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Ankit
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एक आहट जिंदगी की complete

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एक आहट जिंदगी की

मित्रो मैने यहाँ पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं और एक से बढ़ कर एक कहानियाँ इस फोरम पर हैं आप सब के लिए मैं भी आरएसएस पर ये कहानी शुरू कर रहा हूँ अब ये ना कहना कि कहानी कॉपी की है या चोरी की है इसलिए पहले ही बता देता हूँ ये कहानी तुषार ने लिखी है और मैं इसे हिन्दी मे पोस्ट कर रहा हूँ . इसके बाद मैं अपनी खुद की लिखी कहानी हिन्दी मे पोस्ट करूँगा अगर आपका सहयोग मिला तो जल्द ही शुरू कर दूँगा . मैने इस कहानी के करेक्टर्स के नाम चेंज कर दिए हैं . तो चलिए कहानी पर चलते है .
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Ankit
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Re: एक आहट जिंदगी की

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मेरा नाम नजीबा है…..मेरी शादी 19 साल की उम्र मे हुई थी…..पर शादी के कुछ ही महीनो बाद मेरे पति की मौत की आक्सिडेंट मे हो गयी….मैं विधवा बन अपने माँ बाप पर बोझ बनकर उनके घर बैठ गयी…..माँ बाप ने बहुत कॉसिश की, पर कही अच्छा रिश्ता ना मिला…फिर एक दिन मेरे मामा ने मेरी शादी अंजुम नाम के आदमी से तय कर दी. तब अंजुम की उम्र 35 साल थी और मेरी 20 साल. अंजुम की पहली पत्नी का इंतकाल शादी के 13 साल बाद हुआ था…..और उसकी एक *** साल की बेटी भी थी….अंजुम रेलवे मे सरकारी जॉब करते थे. इसलिए घर वालो ने सोचा कि सरकारी नौकरी है….और किसी चीज़ की कमी भी नही….इसीलिए मेरी शादी अंजुम के साथ हो गयी….
शादी कहिए या समझौता….पर सच तो यही था कि, शादी के बाद मुझे किसी तरह की ख़ुसी नसीब ना हुई……ना ही मैं कोई अपना बच्चा पैदा कर सकी, और ना ही ना मुझे पति का प्यार मिला….बस यही था कि, बिना किसी परेशानी के 3 वक़्त की रोटी और कपड़े मिल जाते थे ….शादी के 3-4 साल बाद मुझे अपने पति पर उनके बड़े भाई की पत्नी के साथ कुछ चक्कर है शक होने लगा….और मेरा ये शक भी ठीक ही निकला….एक दिन जब उनके भाई की बीवी हमारे यहाँ आई हुई थी. तब मेने उन्हे ऊपेर वाले रूम रंगरेलियाँ मनाते हुए देख लिया….
जब मेने इसके बारे में अंजुम से बात की, तो वो उल्टा मुझ पर ही बरस उठे. पता नही उस ने उनपर क्या जादू किया था….अंजुम ने मुझे सॉफ-2 बोल दिया कि, अगर ये बात किसी को पता चली तो वो मुझे तलाक़ दे देंगे….और मेरी बुरी हालत कर देंगे…मैं ये सब चुप चाप बर्दस्त कर गयी….जितने दिन फ़ातिमा दीदी हमारे यहा रुकती, अंजुम और फ़ातिमा दोनो शराब के नशे मे धुत होकर वासना का नंगा खेल घर मे खेलते…उन दोनो को मेरी जैसे कोई परवाह ही नही थी….कभी-2 तो मेरी बगल मे ही बेड पर फ़ातिमा को चोदते.
जिसे देख मैं भी गरम हो जाती. पर अपनी ख्वाहिशो को अपने सीने मे दबाए रखती. पर फ़ातिमा ने अंजुम की जिंदगी इस क़दर तबाह कर दी थी कि, वो जो कभी कभार मुझसे सेक्स करते थे….वो भी करना छोड़ दिया…..धीरे-2 उनकी मर्दाना ताक़त शराब मे डूबती चली गयी. कोई दिन ऐसा नही होता जब वो नशे मे धुत गिरते पड़ते घर ना आए हो….
फिर मेने नाजिया अंजुम की पहली पत्नी से जो बेटी थी मेने उसकी परवरिश मे ध्यान लगाया…नाजिया भी 18 साल की हो चुकी थी….कभी -2 अकेले मे बैठ कर सोचती थी कि, यही मेरी इस दुनिया मे आने की वजह है…मेरा दुनिया मे होना ना होना एक बराबर है….. पर कर भी क्या सकती थी….जैसे तैसे जिंदगी कट रही थी…..फिर एक दिन वो हुआ जिसने मेरी पूरी जिंदगी बदल दी….मेने कभी सोचा भी ना था….कि ये बेरंग दिखने वाली दुनिया इतनी हसीन भी हो सकती है…..पर मुझे इसका अहसास तब हुआ, जब हम सब की जिंदगी मे राज आया.
राज की एज 20 साल की है….20 की उम्र मे ही ग्रॅजुयेशन कर लिया था…उसके घर पर सिर्फ़ राज और उसकी माँ ही रहते थे….बचपन मे ही पिता की मौत के बाद माँ ने राजको पाला पोसा पढ़ाया लिखाया…उसके पापा के गुजरने के बाद माँ को उनकी जगह रेलवे मे नौकरी मिल गयी थी…सिर्फ़ दो जान थे…..इसीलिए पैसो की कभी तंगी महसूस नही हुई…राज की पढ़ी लिखाई भी एक साधारण से स्कूल और फिर गवर्नमेंट कॉलेज से हुई थी..इसीलिए राज की माँ को उसकी पढ़ी लिखाई का ज़्यादा खरच नही उठाना पड़ा….
ग्रॅजुयेशन करने के बाद ही, राज ने रेलवे मे जॉब के लिए फॉर्म भर दिए थे. उसके बाद टेस्ट्स हुए और राज पास हो गया….और जल्द ही राज को नौकरी भी मिल गयी…राज बेहद खुश था….पर एक दुख भी था….क्योंकि राज की पोस्टिंग बिहार मे हुई थी…क्योंकि राज पंजाब का रहने वाला था…इसीलिए वहाँ नही जाना चाहता था…पता नही कैसे लोग होंगे वहाँ के….कैसी उनकी भाषा होगी. बस यही सब ख़याल राज के दिमाग़ मे थे….
राज की माँ भी उदास थी….पर राज के लिए सकून की बात ये थी कि 10 दिन बाद ही राज की माँ की रिटाइयर्मेंट होने वाली थी….इस लिए वो अब सकून के साथ बिना किसी टेन्षन के राज के मामा यानी अपने भाई के घर रह सकती थी….जिस दिन माँ को जॉब से रिटाइयर्मेंट मिला….उससे अगले ही दिन राज बिहार मे सिवान के लिए रवाना हो गया. वहाँ एक छोटे से कस्बे के स्टेशन पर उसे टिकेट काउंटर अपायंट किया गया था… जब राज वहाँ पहुँचा..और स्टेशन मास्टर को रिपोर्टिंग की, तो उन्होने स्टेशन के बाहर ही बने हुए स्टाफ हाउस मे से एक फ्लॅट राज को दे दिया….
जब राज फ्लॅट के अंदर गया तो, अंदर का हाल देख कर परेशान हो गया… फर्श जगह -2 से टूटा हुआ था….दीवारो पर सीलन के निशान थे…बिजली की फिटिंग जगह-2 से उखड़ी हुई थी….जब राज ने स्टेशन मास्टर से इसकी शिकायत की , तो उसने राज से कहा कि, उसके पास और कोई फ्लॅट खाली नही है….अड्जस्ट कर लो यार… स्टेशन मास्टर की एज उस वक़्त 45 साल थी….और उसका नाम रफ़ीक था….
रफ़ीक: यार राज कुछ दिन गुज़ारा कर लो…फिर मैं कुछ इंतज़ाम करता हूँ…
राज: ठीक है सर..
उसके बाद रफ़ीक ने राज को ट्रेन्स का शेड्यूल बताया….जिस स्टेशन पर राज ड्यूटी थी…वहाँ पर सिर्फ़ दिन को ही 5 ट्रेन्स का स्टॉप था..शाम 5 बजे के बाद वहाँ कोई ट्रेन नही रुकती थी…..इसीलिए राज की ड्यूटी 9 बजे से शाम 5 बजे तक ही थी…. धीरे-2 राज की जान पहचान स्टेशन पर बाकी के एंप्लाय से भी होने लगी… जब कभी राज फ्री होता तो, टिकेट कॅबिन से बाहर निकल कर प्लेट फॉर्म पर घूमने लगता….सब कुछ बहुत अच्छा था….
सिर्फ़ राज के फ्लॅट को लेकर……रफ़ीक भी अभी तक कुछ नही कर पाया था…..राज उस से बार-2 शिकायत नही करना चाहता था….एक दिन राज दोपहर को जब फ्री था, वो अपने कॅबिन से निकल कर बाहर आया तो देखा रफ़ीक भी प्लॅटफॉर्म पर चेअर पर बैठे हुए थे….राज को देख कर उन्होने उसे अपने पास बुला लिया…
रफ़ीक: सॉरी राज यार…..तुम्हारे फ्लॅट का कुछ कर नही पा रहा हूँ…
राज: कोई बात नही सर….अब सब कुछ तो आपके हाथ मे नही है….ये मुझे भी पता है…..
रफ़ीक: और बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ….अगर किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो बेझिजक बोल देना…
राज : सर जब तक मेरे फ्लॅट का इंतज़ाम नही हो जाता….आप मुझे कही रेंट पर ही रूम दिलवा दो…
रफ़ीक: (थोड़ी देर सोचने के बाद) अच्छा देखता हूँ….(तभी रफ़ीक की नज़र, रेल की पटरियों पर काम कर रहे मेरे पति अंजुम पर पड़ी….अंजुम स्टेशन पर गॅंग मॅन का काम करते थे….वो यहाँ रुकने वाली ट्रेन्स के डिब्बो मे पानी भरने और पटरियों की निगरानी का काम करते थे…..उसे देख रफ़ीक ने अंजुम को आवाज़ लगाई…)
रफ़ीक: अर्रे ओई अंजुम ज़रा इधर आ….
अंजुम:आया बड़े बाबू….
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Ankit
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अंजुम उन्दोनो के सामने आकर खड़ा हो गया……और रफ़ीक से बुलाने के कारण पूछने लगा….
रफ़ीक: अंजुम बाबू जी के लिए कोई रूम रेंट पर ढूँढ दे…..
अंजुम: जी बड़े साहब….मैं जल्द ही ढूँढ देता हूँ….कितनी रेंज चलेगी.
राज : अगर 2-3 हज़ार रेंट भी होगा तो भी चलेगा….
रफ़ीक: और हां रूम के पास कोई अच्छा सा ढाबा ज़रूर होना चाहिए. ताकि बाबू जी को खाने पीने की तकलीफ़ ना हो….
अंजुम: (थोड़ी देर सोचने के बाद) बाबू जी अगर आप चाहे तो….मेरे घर मे भी एक रूम खाली है ऊपेर छत पर…..बाथरूम टाय्लेट सब अलग है ऊपेर. और रही खाने की बात तो…आपको मेरे घर पर घर का बना खाना भी मिल जाएगा…क्या कहते है आप. ?
राज: ठीक है मैं तुम्हे शाम को बताउन्गा…
अंजुम के जाने के बाद राज ने रफ़ीक से पूछा कि, क्या अंजुम के घर पर रहना ठीक होगा….तो उसने हंसते हुए बोला….यार राज तू आराम से वहाँ रह सकता है…वैसे तुझे पता है कि, ये जो अंजुम है ना बड़ा पियाक्कड किसम का आदमी है. रोज रात को दारू पीए बिना नही सोता….और जब तुमने 3 हज़ार देने की बात की तो साले ने सोचा होगा….चलो दारू के पैसो का अलग से इंतज़ाम हो गया….
शाम को जैसे ही राज अपने कॅबिन से बाहर निकला. तो अंजुम बाहर डोर पर ही खड़ा था….वो राज को देखते ही बोल पड़ा….साहब चलिए आप मेरे घर पर. रूम देख लेना….अगर आपको पसंद आए तो रह लेना वहाँ पर…..राज ने अंजुम की बात मान ली. और उसके साथ उसके घर की तरफ चल पड़ा… खैर वो दोनो ऑटो से घर पहुँचे…तो अंजुम ने, डोर बेल बजाई. बाहर से घर की हालत से पता चल रहा था कि, उसका ये मकान काफ़ी पुराना है….बाहर दीवारो पर सीमेंट नही था….एंत सॉफ दिखाई दे रही थी….जिस पर फ़रोज़ी कलर का पैंट था……थोड़ी देर बाद डोर खुला…..तो अंजुम ने थोड़ा गुस्से से डोर खोलने वाले को कहा….”क्या हुआ इतनी देर क्यों लगा दी “ राज बाहर से घर की हालत को देख रहा था….अंजुम की आवाज़ सुन कर राज ने डोर पर नज़र डाली.
सामने 1**** साल की बेहद ही खूबसूरत गोरे रंग की लड़की खड़ी थी….उसके बाल खुले हुए थे…..और भीगे हुए थे…..शायद उसने थोड़ी देर पहले ही. बाल धोए थे….उसने वाइट कलर का सलवार कमीज़ पहना हुआ था…..जिसमे उसका बदन कयामत ढा रहा था…..राज को अपनी तरफ यूँ घुरता देख वो लड़की अंदर चली गयी……तभी अंजुम ने राज से कहा….”बाबू जी मेरी बेटी नाजिया है…..आइए अंदर चलते है…..” राज उसके साथ अंदर चला गया…..अंदर जाकर उसने राज को एक रूम मे चेर पर बैठाया……और बाहर डोर पर जाकर आवाज़ दी….”रुकसाना ओह्ह रुकसाना कहाँ मर गयी….जल्दी इधर आ…..” और फिर अंजुम राज के पास जाकर बैठ गया….मैं जैसे ही रूम मे पहुँची तो अंजुम मुझे देख कर बोले….
अंजुम: ये बाबू जी हमारे स्टेशन पर नये है…..इनको ऊपेर वाला कमरा दिखाने लाया था….अगर इनको रूम पसंद आया तो. कल से ये ऊपेर वाले रूम में रहेंगे….जा कुछ चाइ नाश्ते का इंतज़ाम कर…..
राज: अरी नही अंजुम भाई….इसकी कोई ज़रूरत नही है….
अंजुम: चलो बाबू जी चाइ ना सही एक-2 पेग हो जाए…..
राज : नही मैं पीटा नही….मुझे बस रूम दिखा दो….
राज ने अंजुम से झूट बोला था…..कि वो ड्रिंक नही करता…पर असल मे वो भी कभी-2 ड्रिंक कर लिया करता था….उसने एक बार मेरी तरफ देखा…..मैं सर झुकाए हुए उनकी बातें सुन रही थी…. अंजुम बोले चलिए बाबू जी आप को रूम दिखा देता हूँ….फिर राज अंजुम के साथ छत पर चला गया………
भले ही घर बहुत अच्छी हालत मे नही था….पर राज को रहने के लिए सही लगा. सोचा जब तक किसी अच्छी जगह का इंतज़ाम नही हो जाता….तब तक यही रह लेता हूँ. रूम देखने के बाद राज ने अंजुम से पूछा….”बताइए अंजुम भाई…कितना किराया लेंगे आप….” अंजुम ने राज की तरफ देखते हुए कहा….”बाबू जी रूम का 2 हज़ार और अगर घर का खन्ना चाहिए तो टोटल 4000 ……
राज ने खुशी-2 अंजुम को हाँ बोल दी….फिर राज अंजुम से मेरे उसके रिश्ते के बारे में पूछा….तो अंजुम ने बताया कि, मैं उसकी पत्नी हूँ…..
अंजुम: वो दरअसल बाबू ये बात ये है कि, नजीबा मेरी दूसरी बीवी है….जब मैं 25 साल का था….तब मेरी पहली शादी हुई थी…..और पहली बीवी से नाजिया का जनम हुआ…..लेकिन नाजिया के जनम के 13 साल बाद मेरी पहली पत्नी की मौत हो गयी.. फिर मेने अपनी बीवी की मौत के बाद 35 साल की उम्र मे नजीबा से शादी की. नजीबा की भी पहले शादी हुई थी…..लेकिन उसके पति की मौत हो गयी….. और बाद मे जब नजीबा 20 साल की थी….तब मेरी और नजीबा की शादी हुई…..

अब सारा मसला राज के सामने था…..थोड़ी देर बाद राज वापिस चला गया…अगले दिन अंजुम सुबह काम पर चले गये……दोपहर को अंजुम राज का सारा समान लेकर वापिस आए, और फिर राज का समान ऊपेर वाले रूम मे रख कर मुझसे कहा…..कि मैं और नाजिया दोनो मिल कर राज का समान सेट कर दें…..मेने और नाजिया ने ऊपेर वाले रूम मे राज का समान सेट कर दिया….और अच्छे से सॉफ- सफाई भी कर दी…..

फिर अंजुम शाम को राज के साथ घर वापिस आए, और उन्हे ऊपेर रूम मे ले गये….राज ने अपने रूम को देखा….जो शायद उसे पसंद आ गया था…..उनका पूरा समान पूरे तरीके से रख दिया था….

अंजुम: क्यों बाबू जी रूम पसंद आया ना…..

राज: हां ठीक है…..

अंजुम: अच्छा बाबू जी गरमी बहुत है…..आप नहा धो लो….फिर रात के खाने पर मिलते है…..उसके बाद हम नीचे आ गये….नीचे आने के बाद अंजुम ने मुझसे बोला कि जल्दी से रात का खाना तैयार कर दो…..मैं थोड़ी देर बाहर टहल कर आता हूँ,….ये कह कर अंजुम बाहर चले गये…..मैं जानती थी कि, अंजुम अब कही जाकर दारू पीने बैठ जाएँगे. और पता नही कब वापिस आएँगे….इसीलिए मेने खाना तैयार करना शुरू कर दिया….आधे घंटे मे मेने और नाजिया ने मिल कर खाना तैयार कर लिया….अभी मैं खाना प्लेट्स मे डाल ही रही थी कि, लाइट चली गयी…..ऊपेर से इतनी गरमी थी कि, नीचे तो साँस लेना भी मुस्किल हो रहा था…
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मेने सोचा कि, क्यों ना राज को ऊपेर ही खाना दे आउ…..इसीलिए मेने खाना थाली मे डाला और ऊपेर ले गयी….जैसे ही मैं ऊपेर पहुँची तो लाइट भी आ गयी….राज के रूम की तरफ बढ़ते हुए मेरे जेहन मे अजीब सा डर उमड़ रहा था…..रूम का डोर खुला हुआ था. मैं सर को झुकाए हुए रूम मे दाखिल हुई, तो मेरे कदमो के आहट सुन कर राज ने पीछे पलट कर मेरी तरफ देखा…..”हाई तोबा…..” राज सिर्फ़ लोवर पहने खड़ा था… उसने ऊपेर बनियान वहगरा कुछ नही पहना हुआ था….मेरी नज़रें उसकी चौड़ी छाती पर ही जम गयी…..एक दम चौड़ा सीना मांसल बाहें…..एक दम कसरती बदन….मेने अपनी नज़रों को बहुत हटाने की कॉसिश की….पर नज़ाने क्यों बार-2 मेरी नज़रें राज की चौड़ी छाती पर जाकर टिक जाती….

मैं: जी वो मैं आपके लिए खाना लाई थी……

अभी राज कुछ बोलने ही वाला था कि, एक बार फिर से लाइट ऑफ हो गयी…..रूम मे एक दम से घुप अंधेरा च्छा गया…..एक जवान लड़के के साथ अपने आप को अंधेरे रूम मे पा कर मैं एक दम से घबरा गयी…मेने हड़बड़ाते हुए कहा…..”मैं लालटेन जला देती हूँ….” पर राज ने मुझे रोक दिया……”अर्रे नही आप वही खड़ी रहिए….आपके हाथ मे खाना है.. मैं लालटेन जला देता हूँ….” ये कह कर राज लालटेन और माचिस ढूँढने लगा….फिर थोड़ी देर बाद राज ने लालटेन जला कर टेबल पर रख दी….

जैसे ही लालटेन की रोशनी रूम मे फेली, मेरी नज़र एक बार उसके गठीले बदन पर जा ठहरी, पसीने से भीगा हुआ उसका कसरती बदन लालटेन की रोशनी मे ऐसे चमक रहा था मानो जैसे सोना हो…..तभी राज मेरी तरफ बढ़ा, और मेरी आँखो मे झाँकते हुए मेरे हाथ से खाने की थाली पकड़ ली…..मेने शर्मा कर नज़रें झुका ली, और हड़बड़ाते हुए बोली. “मैं बाहर चारपाई बिछा देती हूँ….आप बाहर बैठ कर आराम से खाना खा लीजिए….”

मैं बाहर आई, और बाहर चारपाई बिछा दी, राज भी खाने की थाली लेकर चारपाई पर बैठ गया…..”अंजुम भाई कहाँ है….” राज ने खाने की थाली अपने सामने रखते हुए कहा…पर मेने राज की आवाज़ नही सुनी….मैं तो अभी भी उसके बाइसेप्स देख रही थी…. जब मेने उसकी बात का जवाब नही दिया, तो वो मेरी ओर देखते हुए दोबारा अंजुम के बारे मे पूछने लगा…..राज की आवाज़ सुन कर मैं होश मे आई….और एक दम से झेंप गयी. और सर झुका कर बोली…….”पता नही कही पी रहे होंगे….रात को देर से ही घर आते है….”

राज : अच्छा कोई बात नही….उफ़फ्फ़ ये गरमी….इतनी गरमी मे खाना खाना भी मुस्किल हो जाता है…..

मैं राज के बाथ रूम मे चली गयी….और हाथ से हिलाने वाला पंखा लेकर बाहर आ गयी……और राज के पास जाकर बोली…”आप खाना खा लीजिए. मैं हवा कर देती हूँ……”

राज: अर्रे नही -2 मैं खा लूँगा…..आप क्यों तकलीफ़ कर रही है…..

मैं : इसमे तकलीफ़ की क्या बात है….आप खाना खा लीजिए ….

राज चारपाई पर बैठ कर खाना खाने लगा….और मैं राज के साथ चारपाई के बगल मे खड़ी होकर पंखा हिलाने लगी…..”अर्रे आप खड़ी क्यों है….बैठिए ना…” राज ने मुझ को यूँ खड़ा हुआ देख कर कहा….

मैं : नही कोई बात नही मैं ठीक हूँ….(मेने अपने सर को झुकाए हुए कहा)

राज : नही नजीबा जी ऐसे अच्छा नही लगता मुझे कि मैं आराम से खाना खाऊ. और आप खड़ी होकर मुझे पंखे से हवा दें….मुझे अच्छा नही लगता…आप बैठिए ना….(अंजाने मे ही उसने मेरा नाम बोल दिया था….पर उसे जलद ही अहसास हो गया)सॉरी मैने आप का नाम लेकर बुलाया…वो जल्दबाज़ी मे बोल गया…

मैं : कोई बात नही….

राज: अच्छा ठीक है…अगर आपको इतराज ना हो तो आज से मैं आपको भाभी कहूँगा… क्योंकि मैं अंजुम को भाई कहता हूँ….अगर आप को बुरा ना लगे.

मैं : जी मुझे क्यो बुरा लगेगा…

राज : अच्छा भाभी जी….अब ज़रा आप बैठने की तकलीफ़ करेंगी….

राज की बात सुन कर मुझे हँसी आ गयी….और फिर सामने चारपाई पैर नीचे लटका कर बैठ गयी…और पंखा हिलाने लगी….राज ने खाना खाना शुरू कर दिया…..राज खाना खाते हुए बार-2 मुझे चोर नज़रों से देख रहा था. लालटेन की रोशनी मे मेरा हुश्न भी दमक रहा था…..बड़ी-2 भूरे रंग की आँखे….तीखे नैन नक्श गुलाब के रसीले होन्ट….लंबे खुले हुए बाल…. सुराही दार गर्दन….भले ही लाखों मे ना सही पर हज़ारो मे तो एक हूँ ही…
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मेने गौर क्या कि राज की नज़र मेरी चुचियों पर बार-2 रुक जाती…ब्लॅक कलर की कमीज़ मे मेरे गोरे रंग की चुचियाँ गजब ढा रही थी…बड़ी-2 और गोल-2 गुदाज चुचियाँ…..इसका अहसास तब मुझे हुआ जब मेने उसके पयज़ामे मे तन रहे लंड की हल चल को देखा….. खैर राज ने जैसे तैसे खाना खाया…..और हाथ धोने के लिए बाथरूम मे चला गया…..जब वो बाथरूम मे गया, मेने बर्तन उठाए और नीचे आ गयी….नीचे आकर मेने बर्तन किचिन मे रखे और अपने बेड पर आकर लेट गयी….ओह्ह्ह्ह आज नजाने मुझे क्या हो रहा है…. ऐसी बेचैनी मेने कभी जिंदगी मे महसूस नही की थी…बेड पर लेटे हुए मेने जैसे ही अपनी आँखे बंद की, तो राज का चेहरा और उसकी चौड़ी छाती और बालिस्ट बाइसेप्स मेरे आँखो के सामने आ गये…..पेट के नीचले हिस्से मे कुछ अजीब सा महसूस होने लगा था….रह-2 कर राज की छवि आँखों के सामने से घूम जाती….

मैं पेट के बल लेटी हुई, अपनी चूत को अपनी टाँगो में दबा कर अपनी उमँगो को दबाने की कॉसिश कर रही थी…..पर ये करना इतना आसान नही था…..तभी मैं सपनो की दुनिया से बाहर आई, तब जब नाजिया रूम मे अंदर आई और बोली…..”मम्मी क्या हुआ खाना नही खाना क्या” मैं एक दम से बेड पर उठ कर बैठ गयी….और अपनी सांसो को संभालते हुए अपने बिखरे हुए बालो को ठीक करने लगी….नाजिया मेरे पास आकर बेड पर बैठ गयी…..और मेरे माथे पर हाथ लगा कर देखते हुए बोली…..”अम्मी आप ठीक तो हो ना ?”

मैं: हां ठीक हूँ….मुझे क्या हुआ है ?

नाजिया: नही आपका बदन बहुत गरम है…..और ऊपेर से आपका चेहरा भी एक दम लाल है.

मैं: नही कुछ नही हुआ….वो शायद गरमी की वजह से है….तू चल मैं खाना लगाती हूँ.

फिर मेने और नाजिया ने मिल कर खाना खाया….और बर्तन वेघरा सॉफ करने लगी, तभी अंजुम भी आ गये….जब मेने उनसे खाने का पूछा तो, उन्होने कहा कि, वो बाहर से ही खाना खा कर आए है…..अंजुम शराब के नशे मे एक दम धुत बेड पर जाकर लेट गये..और बेड पर लेटते ही सो गये…..मैने अपना काम ख़तम किया और मैं भी सो गयी….

खैर करवटें बदलते कब नींद आई पता नही चला….सुबह-2 अंजुम ने ऊपेर जाकर राज का रूम का डोर नॉक किया…..राज ने डोर खोला तो अंजुम शर्मिंदगी से सर झुकाए बाहर खड़ा था….राज को देखते हुए अंजुम बोला…”बाबू जी मुझे माफ़ कर दीजिए….कल आप का यहा पहला दिन था….और मेरी वजह से…”

राज : अर्रे अंजुम भाई कोई बात नही….अब जबकि मैं आपके घर रह रहा हूँ. तो मुझे बेगाना ना समझे…..

अंजुम: अच्छा आप तैयार होकर आ जाइए…आज नाश्ता नीचे मेरे साथ कीजिए..

अच्छा : अच्छा ठीक है मैं तैयार होकर आता हूँ…..

अंजुम नीचे आ गये, और मुझसे जल्दी खाना तैयार करने को कहा….थोड़ी देर बाद राज तैयार होकर नीचे आ गया……मेने नाश्ता टेबल पर रखा और राज की ओर देखा तो उसने मुझे सलाम किया…मेने नाश्ता रखा और फिर से किचन मे आ गयी…..नाश्ते के बाद राज और अंजुम स्टेशन पर चले गये…..शाम के 6 बजे डोर बेल बजी….मेने सोचा कि राज और अंजुम आ गये है….मैने नाजिया को आवाज़ लगा कर कहा कि, तुम्हारे अबू आ गये है, जाकर डोर खोल दो….

नाजिया बाहर डोर खोलने चली गयी……मुझे याद है कि नाजिया ने उस दिन पिंक कलर का सलवार कमीज़ पहना हुआ था….जो उसके गोरे रंग पर कहर ढा रहा था….गरमी होने की वजह से वो अभी थोड़ी देर पहले नहा कर आई थी…..उसके बाल खुले हुए थे….बला की कयामत लग रही थी मेरी नाजिया उस दिन…..मुझे यकीन है कि, जब राज ने उसे देखा होगा, तो उसके दिल पर भी नाजिया के हुश्न ने कहर बरपाया होगा……

नाजिया डोर खोलने चली गयी…..मैं रूम मे बैठी सब्जी काट रही थी……और आँखे रूम के डोर पर लगी हुई थी….तभी मुझे बाहर से राज की हल्की सी आवाज़ सुनाई दी….वो शायद नाजिया को कुछ कह रहा था….पता नही मुझे नाजिया का इतनी देर तक राज के साथ बातें करना खलने लगा…..मैं उठ कर बाहर जाने ही वाली थी, कि राज डोर के सामने से गुज़रा, और ऊपेर चला गया……उसके पीछे नाजिया भी आ गयी, और सीधा मेरे रूम मे चली आई..
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