चूतो का समुंदर

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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

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मदन- रिलॅक्स समर...बच्ची है...खुल के बात करने की आदत है उसकी...तुम उसे छोड़ो....आओ बैठो...पेग लगाते है....

समर(गुस्से से)- बाकी सब तो मैं समझ गया..पर अंकित को छोड़ने वाली बात...मैं उसे भी नही छोड़ना चाहता...समझे ...

मदन(पेग बना कर)- फिलहाल चुप रहो....और टाइम आयगा तो कर लेना अपने मन की....मैं भी उस खानदान मे किसी को जिंदा नही देखना चाहता....नफ़रत है मुझे सबसे...

समर- पर तुम्हारी बेटी ने तो...

मदन(समर को पेग थमा कर)- अभी उसकी मान लो....पर हमेशा मानने को कौन कहता है....भाई ग़लती तो इंसान से ही होती है ना....और ग़लती से कोई मर भी सकता है...ह्म..

समर(मुस्कुरा कर)- आप भी कम कमीने नही..हाँ...

मदन(मुस्कुरा कर)- पेग पियो...आज़ाद की तबाही के नाम...चीएररससस्स...

और इसी के साथ दोनो जाम टकरा कर खुशी पेग गटकने लगे. ..

पर इन सारी बातों को छिप कर सुनने वाली आकृति अपना मुँह दवाए आँसू बहाने लगी.....


सेम नाइट.......अंकित के सीक्रेट हाउस पर.......


रात के सन्नाटे के बीच अंकित और आकाश सीक्रेट हाउस मे एक रूम मे बैठे हुए थे.....

जहाँ उनके साथ एक और सक्श था...जो चेयर से बँधा हुआ था...और उसका मुँह भी टेप से बंद था....

आकाश- अंकित...हम यहाँ क्यो आए...अब तो बताओ....

मैं- डॅड..बस 2 मिनट दो...फिर आपको सब बताता हूँ....

आकाश ने सिर हिला कर हाँ, बोला.....

फिर मैने अपने एक आदमी को बुला कर कुर्सी पर बैठे सक्श को आज़ाद करवाया और सबके लिए कॉफी भी मंगवा ली....

वो सक्श अपने हाथ मलते हुए हैरानी से हमे देखता रहा और जब मैने उसे कॉफी का कप पकड़ाया तो वा और ज़्यादा हैरान हो गया....और बोल ही पड़ा....

""आज इतने मेहरवाँ कैसे हो गये मुझ पर....""

मैं(मुस्कुरा कर)- अपनो पर मेहरवानी नही की जाती चाचा जी...

मेरी बात सुनकर योगेन्द्र की हैरानी का ठिकाना नही रहा...क्योकि उसे नही पता था कि मैं उसका असली रूप जानता हूँ....

मैं- चौंकिए मत...मैं जानता हूँ कि आप योगेन्द्र है...मेरे सगे चाचा...

योगेंद्र(हैरानी से)- तुम..तुम्हे कैसे पता कि मैं....

मैं- मैने कहा ना...हैरान होने की ज़रूरत नही ..आप पहले कॉफी पीजिए...फिर सब बताता हूँ ...

फिर रूम मे खामोशी छा गई.. कॉफी पीने की सुरसूराहट ही सुनाई दे रही थी....

आकाश(कॉफी ख़त्म कर के)- अंकित....

मैं समझ गया कि अब डॅड उतावले हो रहे है...वो जल्द से जल्द जानना चाहते थे कि मैं करने क्या वाला हूँ....

मैं(कप रखते हुए)- जी डॅड...मैं समझ गया....(योगेन्द्र को देख कर)- तो चाचा जी....कैसा लग रहा है अब...

योगेंद्र(हैरानी से देखते हुए)- अच्छा....पर तुमने बताया नही कि तुम ये सब कैसे जानते हो...कि मैं...

मैं- चुप क्यो हो गये....मैं योगेंद्रा हूँ...यही बोलना चाहते थे ना....

योगेंद्र- हाँ...तुम्हे कैसे पता चला...

योगेंद्र की बात सुनकर मैं मुस्कुराया और खड़े हो कर रूम मे घूमते हुए बोला....

मैं- मुझे कब पता चला...कैसे पता चला...इन बातों के अब कोई मायने नही....हाँ...इम्पोर्टेंट बात ये जानना है कि आपने डॅड का चेहरा क्यो अपनाया....खैर...मैं तो जानता हूँ...बट मैं चाहता हूँ कि आप डॅड के सामने सच बताए....उन्हे भी तो पता चले कि उनका भाई कितना होशियार हो गया है....हाँ तो बोलिए.....

योगेंद्र(आकाश को देख कर)- मैं...मैं इन्हे मार कर सारी दौलत पाना चाहता था.....

मैं(हँसते हुए)- ये तो डॅड समझ गये है....मैं चाहता हूँ कि आप पूरी बात बताए....वही जो आपकी बीवी ने आपसे कहा था....समझ गये ना...मैं क्या कहना चाहता हूँ...

योगेंद्र(मुझे देख कर)- उसने भी यही कहा था...ये सब हम ने दौलत पाने के लिए किया था....पूरी दौलत...जो कि अभी तक पिताजी ने सिर्फ़ आकाश भैया के नाम कर रखी है....

मैं- ह्म्म...लगता है आपको भी पूरी बात पता नही....क्या आपकी बीवी ने ये नही कहा कि आकाश को ख़त्म करना है...

योगेंद्र(आकाश को देख कर नज़रे झुका कर)- ह्म्म..कहा था...दौलत हाथ आते ही भैया को मारने का प्लान था...और तब तक भैया हमारे क़ब्ज़े मे रहते...पर ऐसा कुछ नही हुआ...

तभी डॅड को गुस्सा आ गया और उन्होने योगेंद्र का गला पकड़ के उसे झकज़ोर दिया...
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

आकाश- कमीने...कैसा भाई है तू...चन्द पैसो के लिए अपनो को धोखा दे रहा है....अपने सगे भाई को मारने चला...हाँ..

मैने- डॅड...प्ल्ज़....शांत हो जाइए...प्ल्ज़...

फिर मैने योगेन्द्र को छुड़वा कर डॅड को शांत किया और फिर से योगेन्द्र से मुखातिब हुआ.....

मैं(आँखे उचका कर)- ह्म..वो तो है...आपका सारा प्लान चौपट हो गया...और ....वैसे आपको एक शॉकिंग न्यूज़ दूं....

योगेंद्र मेरी बात सुनकर मेरी तरफ जिग्यासा भरी निगाहो से देखने लगा...साथ मे डॅड भी मुझे देखने लगे...

मैं- न्यूज़ ये है कि दौलत हाथ मे आते ही डॅड के साथ आपका भी पत्ता सॉफ होने वाला था....

योगेंद्र(आँखे फाड़ कर)- क्या...नही...तुम झूट बोल रहे हो....ऐसा नही हो सकता....मेरी बीवी ऐसा सोच भी नही सकती.....नही...मैं नही मानता...तुम झूट बोल रहे हो....

मैं- हो सकता है आप सही हो...आपकी बीवी आपको धोखा नही दे सकती ...पर सम्राट सिंग की बेटी आपको धोखा ज़रूर दे सकती है....है ना...

योगेंद्र(हैरानी से)- सम्राट सिंग...ये कौन है...और उसकी बेटी का इस सब से क्या मतलब...

मैं(झुक कर योगेन्द्र को घूरते हुए)- सम्राट सिंग वो इंसान है जो इस सब के पीछे है...वही आपका यूज़ करके मेरे डॅड को ख़त्म करना चाहता है...वही आपके पिता यानी मेरे दादाजी को ख़त्म करना चाहता है...और वही सारी दौलत ले कर आपको भी ठिकाने लगाना चाहता है...समझे...

योगेंद्र(हैरानी से)- पर ये सम्राट सिंग है कौन..और वो ये सब क्यो करेगा....उसकी हम से क्या दुश्मनी...

मैं(खड़ा हो कर)- यही बात तो अभी तक समझ नही आई की सम्राट की दुश्मनी है किससे.....

योगेंद्र- और उसकी बेटी...उसका क्या बोल रहे थे...

मैं(सिर खुज़ला कर)- ओह हाँ....उसका नाम है सुजाता...जो आपकी बीवी है...

मेरी बात सुनकर योगेन्द्र के पैरों से ज़मीन ही खिसक गई....

योगेंद्र- नही...ये नही हो सकता...सुजाता तो अनाथ है...

मैं(चिल्ला कर)- नही...वो सम्राट की बेटी है...सम्राट की...कोई अनाथ नही...ये बहुत लंबी प्लॅनिंग है...बहुत लंबी...

योगेंद्र- पर क्यो...किस लिए...

मैं- ये जानने का एक ही तरीका है...पर इसके लिए आपको मेरा साथ देना होगा....

योगेंद्र(हिरान हो कर)- तुम्हारा साथ....

मैं- हाँ...अगर आप सच जानना चाहते है तो मेरा साथ दीजिए...और अगर आपको मेरी बात ज़रा भी ग़लत लगे तो वही करना जो आपकी मर्ज़ी हो...ओके..

योगेंद्र- पर मैं तुम्हारा साथ क्यो दूं....और अपनी जान से प्यारी बीवी को धोखा दूं...सिर्फ़ तुम्हारे कहने पर...क्यो...

मैं- क्यो कि यही एक रास्ता है जिससे आप जिंदा रह सकते है...शायद आपको यकीन ना हो ...पर आप भी बचने वाले नही....पूरी दौलत आपके हाथ आते ही आप मारे जायगे....और फिर सारी दौलत पर सुजाता का राज होगा....समझे...

योगेंद्र(गुस्से से)- नही..ऐसा नही हो सकता...तुम झूट बोल रहे हो ...सुजाता मेरे साथ...

मैं(बीच मे)- यही सच है...और अगर मेरा यकीन नही तो एक बार मेरा साथ देकर देखिए...सच खुद जान जाओगे......

मेरी बात सुनकर थोड़ी देर तक रूम मे खामोशी छाइ रही...फिर योगेंद्र कुछ सोच कर बोला...

योगेंद्र- करना क्या है...

मैं- ह्म...सुनिए....और हाँ...सुनने के पहले ये बता दूं कि ये बात सिर्फ़ हम तीनो के बीच ही रहनी चाहिए...ओके...अब सुनो...

और कुछ देर तक मैने डॅड और योगेंद्र को एक प्लान सुनाया और फिर उनके रिक्षन जानने का इंतज़ार करने लगा....

आकाश(सिर हिलाते हुए)- मुझे नही लगता कि ये प्लान काम करेगा....इसमे बड़ा रिस्क है....

योगेंद्र(झटके से)- मैं तैयार हूँ...

मैं(योगेंद्र को घूर कर)- सच मे...

योगेंद्र(सिर हिला कर)- ह्म्म..मैं सच जानने के लिए कोई भी रिस्क ले सकता हूँ...मैं तैयार हूँ...

मैं- बहुत अच्छे...अब आप खाना खा लो...भूखे होगे ना....

और फिर मैं बिना कुछ सुने रूम से बाहर आ गया...और अपने आदमियों से बात करने लगा....

थोड़ी देर बाद मैं रूम मे गया...

मैं- चलिए..घर चलते है...और आप आराम कीजिए...अभी बहुत काम बाकी है....बस कुछ दिन और...फिर सब ठीक हो जायगा....

और फिर हम अपने घर निकल आया.....

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Re: चूतो का समुंदर

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अगला कदम
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Re: चूतो का समुंदर

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रिचा के घर...............

रिचा के घर रात के समय कुछ गुंडे टाइप के लोग घुसे....सब के सब नकाब मे थे...

घर मे आते ही उन्होने रिचा और उसकी बेटी रिया को गन पॉइंट पर खड़ा कर दिया ...

रिचा और रिया रोती-चिल्लाती हुई अपनी जान की भीख सी माँग रही थी...दोनो को समझ मे नही आ रहा था कि ये हो क्या रहा है...

अचानक से उन गुण्डों मे से एक ने रिचा को धक्का मारा .....

गुंडा- ये....हम तेरी लड़की को ले जा रहे है....और ये तभी वापिस आयगी जब तुम हमारी बातें मनोगी...वरना इसकी लाश वापिस आयगी...समझी...

गुंडा2- और सुन...पोलीस को खबर की ना तो इसको काट कर भेज दूँगा....चल अब दूर हट...

रिचा(रोती हुई)- नही...मेरी बच्ची को छोड़ दो...मैं कुछ भी करूगी...पर मेरी बच्ची...

गुंडा(बीच मे)- चुप कर....बात तो तू मानेगी ही...पर तेरी बेटी हमारे पास रहेगी जमानत के तौर पर....

रिचा(गिडगिडा कर)- नही ..उसे छोड़ दो...तुम बोलो करना क्या है...मैं सब करूगी....

गुंडा- वो तो हुमारा बॉस बातायगा...और तू फ़िक्र मत कर ...हम उसे हाथ भी नही लगाएँगे....लेकिन तूने होशियारी की तो....हा...हाहाहा...

रिया- मोम....मोम...

गुंडा- चुप साली.....वरना अभी दोनो को उड़ा देगे...चुप रह....बिल्कुल चुप ..

बेचारी रिया डर के मारे चुप हो गई और फिर एक गुंडा उसे ले कर कार मे आ गया...

रिचा उठकर बाहर भागी...पर दूसरे गुंडे ने उसके सिर पर पिस्टल मार कर बेहोश कर दिया और फिर वो लोग रिया को ले कर निकल गये.......


अंकित के घर.......

सीक्रेट हाउस से जब मैं और डॅड वापिस आए तो सुजाता हमे हॉल मे बैठी हुई मिली...और हमे देखते ही वो मुस्कुराने लगी...

सुजाता(मुस्कुरा कर)- अरे...आ गये आप लोग....बड़ी देर कर दी....

मैं- ह्म्म...पर आप अभी तक सोई क्यो नही...

सुजाता(प्यारा सा मुँह बना कर)- अरी...आप लोग लौटे नही और मैं सो जाउ....ये सही होता क्या....

मैं(मन मे)- अब इसे क्या हुआ...बड़ा प्यार दिखा रही है...कही कुछ गड़बड़ तो नही हो गई...

सुजाता- अब क्या खड़े ही रहोगे....चलो सोते है...मुझे भी नीद आ रही है...

और इतना बोलकर सुजाता ने अंगड़ाई ली और अपने बूब्स को हमारे सामने एक्सपोज़ कर दिया...

उसे देख कर मेरी नियत तो खराब हुई पर मौके की नज़ाकत देख कर मैने नज़रे चुरा ली....

मैं- ओके...डॅड...आप थक गये होंगे...रेस्ट कीजिए...और आंटी आप भी सो जाओ...मैं भी चलता हूँ...

फिर मैने डॅड को उनके रूम मे छोड़ा और अपने रूम मे निकल गया...

वहाँ सुजाता अपने रूम मे बैठी हुई इसी सोच मे डूबी थी कि जो सच्चाई उसे आज पता चली...वो अपने डॅड और भाइयों को बताए की नही...

सुजाता(मन मे)- इन दोनो बाप-बेटे का गेम सही समय पर सामने आ गया...वरना मेरा तो बुरा हाल होता...

पर अगर ये आकाश है तो मेरा पति...वो इन्ही की गिरफ़्त मे होगा...

अगर मैं अभी डॅड को कुछ बताती हूँ तो मेरे पति की जान भी ख़तरे मे पड़ सकती है....और वो मर गया तो हमे दौलत कभी नही मिलेगी....

नही...मैं किसी को नही बोलोगि...अब मुझे ही कुछ करना होगा...वैसे भी मुझे तो बस दौलत चाहिए....और उसे हासिल करने के लिए मुझे क्या करना है...ये मैं अच्छी तरह से जानती हूँ...

इतना सोच कर सुजाता बाथरूम मे घुस गई और थोड़ी देर बाद सज-सबर कर मेरे रूम मे आ गई....

मैने नॉक होते ही गेट खोला तो सामने सुजाता को देख कर मेरे जिस्म मे हलचल होना शुरू हो गई....

मैं- ह्म्म...तो आप है...लेकिन इस समय..वो भी इस रूप मे...इरादा क्या है...

सुजाता(इतराते हुए)- इरादा तो आग लगाने का है...पूरी रात....

मैं(मुस्कुरा कर)- अच्छा है...आओ फिर...देखते है कौन आग लगाता है और कौन बुझाता है...

और इतना बोल कर मैने सुजाता को अंदर खीच लिया और गेट लॉक कर के उसे बाहों मे समेट लिया....

और फिर चुदाई का खेल शुरू हो गया.....
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Re: चूतो का समुंदर

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नेक्स्ट मॉर्निंग...........

सुबह -सुबह हॉल मे अंकित , आकाश , सुजाता और सोनू(सविता का बेटा) नाश्ता करने मे बिज़ी थे...तभी वहाँ रिचा आ धमकी और उसको देख कर सब लोग चौंक गये....

चौंकने की वजह थी रिचा की हालत....उसे देख कर सॉफ पता चल रहा था कि वो बहुत परेशान है....

आँख सूजी हुई , उपेर से सूखे हुए आँसुओ के निशान ...सॉफ बता रहे थे कि वो बहुत देर से रोती रही है....

उसके कपड़े भी बिगड़े हुए , बाल बिखरे हुए.....जो उसकी हालत को और ज़्यादा खराब दरसा रहे थे....

रिचा को देखते ही मैं अपनी जगह से उठा और उसके पास पहुँच गया...

मैं(झल्ला कर)- तुम यहाँ क्या कर रही हो ..और ये...कैसी हालत बना रखी है तुमने...

रिचा(रुआसी हो कर)- मेरी बेटी कहाँ है....

मैं(हैरानी से)- क्या...मुझे क्या पता...तुम्हारी बेटी से मुझे क्या लेना-देना....

रिचा(मेरी कॉलर पकड़ कर)- झूट मत बोलो....मेरी बेटी तुम्हारे पास है...बताओ कहाँ है वो...

मैं(गुस्से से अपनी कॉलर छुड़ा कर)- पागल हो गई क्या......

रिचा(रोना तेज कर के)- हाँ हाँ पागल हो गई हूँ...मुझे मेरी बेटी चाहिए...मेरी बेटी चाहिए बस...

मैं(गुस्से से)- तेरा दिमाग़ खराब है क्या...तेरी बेटी का तुझे पता होगा..मुझे क्या पता...

रिचा(चिल्ला कर)- अंकित...मेरी बेटी मुझे वापिस कर दो वरना...

मैं(दाँत पिसते हुए)- वरना...अरना क्या ....मैने कहा ना तेरी बेटी मेरे पास नही...बस...अब जा यहाँ से...नही तो मेरे आदमी तुझे बाहर फेक देगे...जा...

रिचा(चिल्ला कर)- तो फेक दो...पर मेरी बेटी मुझे लौटा दो प्ल्ज़....

और इतना बोल कर रिचा रोते हुए ज़मीन पर बैठ गई...

अब तक डॅड और बाकी सब भी हमारे पास आ गये थे...सबके चेहरे पर एक ही सवाल था कि ये औरत क्या बक रही है....

आकाश- अंकित...ये औरत क्या बोल रही है...

मैं(खीज कर)- पता नही...इसकी बेटी गायब हो गई....और इसका कहना है कि वो मेरे पास है...

रिचा(उपर देख कर)- कहना नही ....मैं जानती हूँ वो तुम्हारे पास है...

रिचा की बात का मैं जवाब देने ही वाला था कि डॅड ने मुझे रोक लिया....

आकाश- मुझे पूरी बात बताओ....क्या हुआ....

डॅड की बात सुनकर रिचा ने रोते हुए कल रात की सारी घटना बता दी...जिसे सुनकर बाकी सबके साथ मैं भी हैरान था...

आकाश- पर उस वक़्त तो अंकित मेरे साथ था....

रिचा- वो खुद नही आया था...उसने गुंडे भेजे थे...

मैं(गुस्से से)- मैने कोई गुंडा नही भेजा....मैं आख़िर क्यो करूँगा ये सब...हाँ...

रिचा(मुझे घूर कर)- क्योकि तुम उसे पाना चाहते थे....याद है ना...

मैं बैठ कर रिचा को घूरते हुए धीरे से बोला...

मैं- अगर उसे पाना ही होता तो अब तक वो मेरे नीचे होती...समझी....और सुन..मैं किसी को फोर्स कर के नीचे नही सुलाता....याद रखना...

सुजाता(चिल्ला कर)तो कहाँ है मेरी बच्ची...तुम्हारे अलावा और कौन है जो उसे...

मैं(बीच मे, कड़क आवाज़ मे)- चिल्लाओ मत....चिल्लाने से वो आने वाली नही...मेरी बात सुन...और पहले चुप हो जा...और मेरी बात ध्यान से सुन...

मेरी बात सुन कर रिचा चुप हो गई और हसरत भरी निगाहो से मुझे देखने लगी...

मैं- देखो...रिया मेरे पास नही...कसम से ...पर मैं यकीन दिलाता हूँ कि अगले 24 घंटे मे रिया तुम्हारे पास होगी...ओके...अब रोना-धोना बंद करो और अपने घर जाओ...रिया अब मेरी जवाबदारी है...ठीक...

मेरी बात सुनकर रिचा ने हाँ मे गर्दन हिला दी और फिर मैने सुजाता को इशारा किया तो उसने रिचा को संभाला और थोड़ी देर बाद रिचा अपने घर निकल गई...



आकाश(रिचा के जाते ही)- ये सब क्या चल रहा है...

मैं- आप टेन्षन मत लो...मुझे लगता है कि किसी ने मेरे नाम की आड मे रिया को उठा लिया है....पर वो कोई भी हो...मेरे हाथो से बचेगा नही....

और इतना बोल कर मैं भी घर से निकल गया......और तभी मुझे होटल से कॉल आ गया...

मैं(मन मे)- अब इसको क्या कहूँ...चलो डाइरेक्ट मिल ही लेगे...

और मैने कॉल इग्नोर करके कार चलाना जारी रखा.....

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