चूतो का समुंदर
- shubhs
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Re: चूतो का समुंदर
भाई अपडेट करो
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
friends update kal se
- shubhs
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Re: चूतो का समुंदर
इंतजार रहेगाAnkit wrote:friends update kal se
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- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
कमल ने फिर से मुझे गन दिखाते हुए धमकाया...
कामिनी(बीच मे)- चुप रहो..दीदी...मुझे बात करने दो...अंकित...क्या सबूत है तुम्हारे पास..जो तुम्हारी बात को सच साबित करे...
दामिनी- कम्मो ये बकवास...
कामिनी- मैने कहा ना ....चुप रहो....अंकित...तुम बोलो..क्या सबूत है...
दामिनी(मेरी तरफ बढ़ कर)- हाँ ..बोल तो..क्या सबूत है तेरे पास...हाँ..
मैं- एक नाम...नही..असल मे दो नाम...और उनमे से एक है बहादुर...क्यो याद आया....
दामिनी(सकपका कर)- मुझे....नही तो..मुझे कुछ नही पता...कौन है ये...
मैं- क्या तुम भी...इतने बार मेरे दादाजी के साथ चुदाई की और बहादुर को नही जानती....
कामिनी- कौन है ये बहादुर....
मैं- ये वो इंसान है जो दादाजी के साथ हमेशा रहता था....तब भी जब वो तुम्हारे घर रासलीला मनाने जाते थे....वो ड्राइवर कम बॉडी था दादाजी का....पूछो दामिनी से...ये जानती है उसे. ..और बहादुर भी इसे अच्छे से जानता है ...क्योकि ये सारी बातें उसने ही बताई है मुझे...
कामिनी- दीदी...क्या अंकित सही बोल रहा है...आप बहादुर को...
दामिनी(गुस्से मे)- हाँ...मैं जानती हूँ उसे...पर वो तो अपने मालिक के साइड ही बोलेगा ना...साला झूठ बोल रहा है...समझा.....
मैं- ओके..मान लिया बहादुर झूठा है...पर एक और नाम भी है मेरे पास...जिसे दम कर तुम्हारी फट जायगी...बताऊ...हाँ...
दामिनी- मेरी फट जायगी...अबे फटेगी तो तेरी...जब कमल तुझे मरेगा...1 गोली और सब ख़त्म...पर मैं सुनना ज़रूर चाहुगी...क्या है वो नाम...
मैं- छोटा सा नाम है...पर है असरदार....चंदू....हां...याद आया ना...
दामिनी- चंदू...वो नौकर...हाँ याद है...पर उसको क्यो याद कर रहा है...वो तो गया...
दामिनी मुस्कुराने लगी...और साथ मे कमाल भी...
मैं- ओह...वैसे कमाल...एक गुड न्यूज़ है तुम्हारे लिए...तुम्हारा असली बाप जिंदा है....
कमाल- क्या..
मैं- हाँ...चंदू जिंदा है...और वो ही मेरा आख़िरी सबूत है तुम दोनो को झुटलाने ले लिए...
दामिनी- पर चंदू तो...
मैं(बीच मे)- वो मरने वाला ही था...पर मेरे दादाजी ने ठीक टाइम पर उसे हॉस्पिटल भेज दिया...तब से वो उन्ही के साथ है....उसने सब सच बोल दिया था..पर मेरे दादाजी ने तुम्हे बच्ची समझ कर छोड़ दिया...और ये बात तभी ख़त्म हो गई...
सुना कमाल ...तेरा बाप जिंदा है...
मेरी बात दम कर दामिनी की शीटी पिट्टी गुम हो गई...उसका झूठ सबके सामने आ ही गया था...अब दामिनी को डर इस बात का था कि कामिनी को सच पता चला तो अब वो क्या करेगी......
मैं- दामिनी जी...अब भी मुझे झूठा कहोगी या अपना झूठ कबूल करोगी...
बताओ अपनी बेहन को कि मैने जो कहा वही सच है...मेरा एक- एक लब्ज सच है...बोलो...
दामिनी- हाँ..हाँ...हाँ...सब सच है...मेरी माँ की ही ग़लती थी...पर मैं...मैं आज़ाद को नही छोड़ूँगी....साले ने इतना मज़ा लिया और अब...मैं उसे नही छोड़ूँगी...और उसकी सारी दौलत कमल के सहारे हासिल करूगि...
मैं- ह्म्म...तो अब ये भी बता दो..कि मैं और मेरे डॅड इस सब मे कैसे आए...तुम्हे तो सब वापिस मिल गया था ना...और मेरे डॅड तो कब का उनसे दूर आ गये थे...तो फिर क्यो...
दामिनी- क्योकि..हमारी सारी प्रॉपर्टी आकाश के नाम है...और उसे कुछ हुआ तो वो तेरी होगी...
मैं- ह्म्म्म..अब सच बोला ना...सुना कामिनी...ये है पूरा सच...और ये कैसे हुआ...ये भी बता दो...
कामिनी- हाँ दीदी...जब हमे सब वापिस मिल गया था तो फिर ये आकाश के नाम कैसे....
दामिनी- वो इसलिए कि जब आज़ाद को पता चला कि कमल के सहारे हम उसकी दौलत हथियाना चाहते है तो वो गुस्सा हो गया और प्रॉपर्टी के पेपर वापिस मागने लगा...पर मोम ने वापिस नही किए...आज़ाद ने भी फिर माँगना छोड़ दिया...
पर चंदू के मिलने के बाद जब मैं वहाँ से भागी तो आज़ाद को कोठी से सारे पेपर मिल गये..जो अब तक उसके ही नाम थे....
आज़ाद ने वो प्रॉपर्टी हम से छीनी तो नही पर हिफ़ाज़त के लिए सब अपने बेटे के नाम कर दी...ताकि अगर मैं कुछ कदम उठाऊ तो वो सब छीन ले...इसी वजह से मैं चुप थी और आकाश को मारने का सोचने लगी..क्योकि आज़ाद का तो पता भी नही ..बस आकाश था जो बीच मे था...और उसका बेटा...ये अंकित...
कामिनी- पर आकाश ने तो मेरी हेल्प भी करना चाही थी..उसने तो कुछ नही माँगा...
मैं- और हाँ..डॅड ने तो एक कंपनी के 30% शेयर भी कामिनी के नाम किए है...और वो सब जानते थे...पर कभी वापिस नही माँगा...
दामिनी- पर माँग लेता तो...और ये सिर्फ़ प्रॉपर्टी की बात नही थी...मेरी फॅमिली तबाह हुई थी आज़ाद की वजह से तो मैं भी उसकी फॅमिली को मिटाना चाहती थी...
मैं- पर इसमे ग़लती किसकी थी...तुम्हारे पिता की...माँ की या खुद तुम्हारी...
दामिनी- आज़ाद की ग़लती थी...
कामिनी- नही दीदी...इसमे आज़ाद की क्या ग़लती....जो कुछ हुआ उसमे ग़लती तो बस माँ की ही थी..और साथ मे आपकी भी...
दामिनी- ये तू कह रही है...तू दुश्मन का साथ दे रही है...अरे तू नही जानती कि ये किस कमीने का खून है...
कामिनी- जानती हूँ...पर जो भी हुआ...वो माँ और तुम्हारी वजह से ...हाँ दी...आज़ाद की कोई ग़लती न्ही...
मैं- हाँ..सही कह रही है कामिनी...और कमीनेपन की बात तुम मत करो दामिनी...तुमने तो कमीनेपन की हद पार कर दी है...
दामिनी- क्या मतलब तुम्हारा...
मैं- तुमने किसी को बताया कि तुम्हारा पति कहाँ है...
कामिनी- हाँ...जीजू तो दुबई मे है...है ना दी...
मैं- नही कामिनी...ये तो सबको बताया गया है ..असल मे दामिनी को ही सच पता है...तो दामिनी...बताओ..कहाँ है तुम्हारा पति...जिंदा है या...हां...बताओ....
दामिनी की हालत ऐसी हो गई कि काटो तो खून नही...उसे कुछ समझ नही आ रहा था...बस बुत बनी खड़ी थी...
कामिनी- बोलो दी...कहाँ है जीजू...
मैं- कामिनी...मैं बताता हूँ...तुम्हारे जीजू मर गये...और उनका कातिल हमारे बीच ही है....
दामिनी- त्त्त...तुम्हे...कैसे....
मैं- वो भी बताउन्गा...पहले ये तो बताओ अपनी बहेन को कि तुम्हारे पति कैसे मारे गये....
दामिनी मेरी बात सुन कर कुछ नही बोल पाई बस किसी पत्थर की तरह खड़ी रही...उसकी आँखो मे दर्द और डर के मिले -जुले भाव उमड़ आए थे....
कामिनी भी अब शॉक्ड थी...और ये जानने के लिए बेताब थी कि आख़िर दामिनी के पति को हुआ क्या....
मैं- तो तुम नही बोलॉगी दामिनी...ठीक है...मैं ही बताता हूँ...तो सुनो कामिनी...
ये तो तुम जानती ही हो कि तुम्हारी दीदी दामिनी सेक्स के मामले मे कितनी हद तक जा सकती है...
इसी का नतीजा ये हुआ कि दामिनी , कमल के साथ भी सेक्स के मज़े लेने लगी थी...और अब तक ले रही है...
पर एक दिन इनकी अयाशी इसके पति ने देख ली...उसे तो यकीन नही हुआ कि दामिनी किसी गैर मर्द के साथ ये सब कर सकती है...
पर बेचारा अपनी बदनामी के डर से चुप रहा ...यहाँ तक कि दामिनी को भनक भी नही लगने दी कि उसने कुछ देखा....
पर जब देखते-देखते उसका सब्र टूट गया तो वो दोनो के सामने आ गया और दोनो को धमकाने लगा...
और उसी दौरान उसकी मौत हो गई...क्योकि किसी ने गुस्से मे आ कर उसका सिर दीवाल से मार दिया था....
और फिर उसकी लाश को ये दोनो ही दूर दफ़ना आए थे....
कामिनी(रोते हुए)- क्या...जीजू के साथ ...पर ये सब किया किसने....
मैं- वो और कोई नही..बल्कि तुम्हारा ये भाई है...कमल...इसी ने मारा उनको...
कमल(गुस्से मे)- हाँ साले...मैने मारा...बड़ा मूह चला रहा था..कि सबको बोल देगा कि मैं नौकर की औलाद हूँ...चंदू की नही...
मैं- उसे कैसे पता...
कमल- उस दिन मैं और दामिनी यही बाते कर रहे थे जो उसने सुन ली...और साला चुदाई रोकने नही आया था...वो तो हमे दुनिया के सामने नंगा करने आया था...तो टपका डाला साले को ...और अब तू भी जायगा...और ये कामिनी भी..
कामिनी- क्या..तू मुझे मारेगा...अपनी बेहन को..
कमाल- चुप कर बेहन की बच्ची...काहे की बेहन...मैने तुझे अपनी रखेल माना है हमेशा...समझी...
दामिनी तो अपने पति की बात सुन कर धोके मे थी...और कमल की बातों पर ध्यान ना दे कर मुझसे बोली...
दामिनी(सुबक्ते हुए)- तुम्हे कैसे पता...बोलो अंकित...
मैं- मुझे सिर्फ़ ये पता था कि तुम्हारे पति को तुम्हारी असलियत पता चली थी...पर ये एक अंदाज़ा था कि वो मर चुका...बट अब सब सॉफ है...
दामिनी- तुम्हे कैसे पता...प्लीज़ बताओ.....
मैं- उनकी डाइयरी ...जो तुम्हारी बेटी को मिल गई थी...उसमे पढ़ा...
दामिनी(चोंक कर)- मेरी बेटी...
मैं- हाँ...उस पर नज़र थी मेरी...और अभी वो मेरी निगरानी मे ही है.....क्या करूँ तुम्हारे करमो की सज़ा मिल रही उसे...बस उसी के पास डाइयरी मिल गई...
दामिनी- पर मेरी बेटी क्यो...
मैं- ताकि तुम कुछ बुरा ना कर पाओ मेरा....समझी...दुश्मन की कमज़ोरी को हाथ मे रखना ही पड़ता है ना...ह्म्म्म...
दामिनी- नही...उसे कुछ मत करना..मैं ..मैं कुछ नही करूगी...
मैं- ह्म्म..तो फिर ये कमल....ये तो जैल जायगा...तेरे पति को इसी ने मारा ना..हाँ..और तुम गवाह हो...क्यो...
दामिनी कुछ बोलती उसके पहले कमल ने दामिनी को धक्का दे कर हमारे साइड कर दिया...जहा मैं और कामिनी थे...
अब एक साइड मैं फिर दामिनी और फिर कामिनी खड़ी थी और दूसरी तरफ हम पर गन ताने कमाल....
काजल हमारे पीछे बेड पर बेसूध पड़ी हुई थी....
दामिनी- कमल..ये क्या...क्या कर रहे हो...
कमाल- चुप...एक दम चुप...अब तुम तीनो मरोगे...तीनो...हाँ...
दामिनी- नही कमल..हम तुम्हारी बहने है...और अंकित...उसने क्या बिगाड़ा तुम्हारा....
कमल- चुप...सब चुप...मैने तुम्हे बेहन माना ही कब...मैं तो इसलिए साथ दे रहा था कि मुझे आज़ाद की प्रॉपर्टी मिल जाए...और फिर मैं तुम दोनो को छोड़ देता...पर अब..अब तो तुम दोनो पीछे हट रही हो..तो मेरे किस काम की...तो अब मरो....
मैं- एक मिनट...अभी भी सोच लो...इस सब से कोई फ़ायदा नही...
कामिनी- हाँ कमल...बुरे काम का नतीजा बुरा ही होता है...
कमल- तू तो चुप ही रह...सब तेरी और तेरी बेटी की वजह से हुआ है...सबसे पहले तू ही मर...ये ले...
कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही...धाय-धाय की आवाज़ के साथ दो गोलिया चली....
दोनो गोलियाँ चली तो कामिनी पर था पर रुकी दामिनी के सीने मे जा कर...
हाँ..दामिनी ने कामिनी के सामने आ कर अपनी बेहन को बचा लिया था...
कामिनी- दीदी...न्न्ंहिईीई....
मैं(चिल्ला कर)- साले...ये क्या किया...
कमल- अब तू भी..
मैं(बीच मे)- अभी...
और तभी एक गोली चली ...और गोली की आवाज़ के साथ कमल नीचे गिर गया.....
कामिनी(बीच मे)- चुप रहो..दीदी...मुझे बात करने दो...अंकित...क्या सबूत है तुम्हारे पास..जो तुम्हारी बात को सच साबित करे...
दामिनी- कम्मो ये बकवास...
कामिनी- मैने कहा ना ....चुप रहो....अंकित...तुम बोलो..क्या सबूत है...
दामिनी(मेरी तरफ बढ़ कर)- हाँ ..बोल तो..क्या सबूत है तेरे पास...हाँ..
मैं- एक नाम...नही..असल मे दो नाम...और उनमे से एक है बहादुर...क्यो याद आया....
दामिनी(सकपका कर)- मुझे....नही तो..मुझे कुछ नही पता...कौन है ये...
मैं- क्या तुम भी...इतने बार मेरे दादाजी के साथ चुदाई की और बहादुर को नही जानती....
कामिनी- कौन है ये बहादुर....
मैं- ये वो इंसान है जो दादाजी के साथ हमेशा रहता था....तब भी जब वो तुम्हारे घर रासलीला मनाने जाते थे....वो ड्राइवर कम बॉडी था दादाजी का....पूछो दामिनी से...ये जानती है उसे. ..और बहादुर भी इसे अच्छे से जानता है ...क्योकि ये सारी बातें उसने ही बताई है मुझे...
कामिनी- दीदी...क्या अंकित सही बोल रहा है...आप बहादुर को...
दामिनी(गुस्से मे)- हाँ...मैं जानती हूँ उसे...पर वो तो अपने मालिक के साइड ही बोलेगा ना...साला झूठ बोल रहा है...समझा.....
मैं- ओके..मान लिया बहादुर झूठा है...पर एक और नाम भी है मेरे पास...जिसे दम कर तुम्हारी फट जायगी...बताऊ...हाँ...
दामिनी- मेरी फट जायगी...अबे फटेगी तो तेरी...जब कमल तुझे मरेगा...1 गोली और सब ख़त्म...पर मैं सुनना ज़रूर चाहुगी...क्या है वो नाम...
मैं- छोटा सा नाम है...पर है असरदार....चंदू....हां...याद आया ना...
दामिनी- चंदू...वो नौकर...हाँ याद है...पर उसको क्यो याद कर रहा है...वो तो गया...
दामिनी मुस्कुराने लगी...और साथ मे कमाल भी...
मैं- ओह...वैसे कमाल...एक गुड न्यूज़ है तुम्हारे लिए...तुम्हारा असली बाप जिंदा है....
कमाल- क्या..
मैं- हाँ...चंदू जिंदा है...और वो ही मेरा आख़िरी सबूत है तुम दोनो को झुटलाने ले लिए...
दामिनी- पर चंदू तो...
मैं(बीच मे)- वो मरने वाला ही था...पर मेरे दादाजी ने ठीक टाइम पर उसे हॉस्पिटल भेज दिया...तब से वो उन्ही के साथ है....उसने सब सच बोल दिया था..पर मेरे दादाजी ने तुम्हे बच्ची समझ कर छोड़ दिया...और ये बात तभी ख़त्म हो गई...
सुना कमाल ...तेरा बाप जिंदा है...
मेरी बात दम कर दामिनी की शीटी पिट्टी गुम हो गई...उसका झूठ सबके सामने आ ही गया था...अब दामिनी को डर इस बात का था कि कामिनी को सच पता चला तो अब वो क्या करेगी......
मैं- दामिनी जी...अब भी मुझे झूठा कहोगी या अपना झूठ कबूल करोगी...
बताओ अपनी बेहन को कि मैने जो कहा वही सच है...मेरा एक- एक लब्ज सच है...बोलो...
दामिनी- हाँ..हाँ...हाँ...सब सच है...मेरी माँ की ही ग़लती थी...पर मैं...मैं आज़ाद को नही छोड़ूँगी....साले ने इतना मज़ा लिया और अब...मैं उसे नही छोड़ूँगी...और उसकी सारी दौलत कमल के सहारे हासिल करूगि...
मैं- ह्म्म...तो अब ये भी बता दो..कि मैं और मेरे डॅड इस सब मे कैसे आए...तुम्हे तो सब वापिस मिल गया था ना...और मेरे डॅड तो कब का उनसे दूर आ गये थे...तो फिर क्यो...
दामिनी- क्योकि..हमारी सारी प्रॉपर्टी आकाश के नाम है...और उसे कुछ हुआ तो वो तेरी होगी...
मैं- ह्म्म्म..अब सच बोला ना...सुना कामिनी...ये है पूरा सच...और ये कैसे हुआ...ये भी बता दो...
कामिनी- हाँ दीदी...जब हमे सब वापिस मिल गया था तो फिर ये आकाश के नाम कैसे....
दामिनी- वो इसलिए कि जब आज़ाद को पता चला कि कमल के सहारे हम उसकी दौलत हथियाना चाहते है तो वो गुस्सा हो गया और प्रॉपर्टी के पेपर वापिस मागने लगा...पर मोम ने वापिस नही किए...आज़ाद ने भी फिर माँगना छोड़ दिया...
पर चंदू के मिलने के बाद जब मैं वहाँ से भागी तो आज़ाद को कोठी से सारे पेपर मिल गये..जो अब तक उसके ही नाम थे....
आज़ाद ने वो प्रॉपर्टी हम से छीनी तो नही पर हिफ़ाज़त के लिए सब अपने बेटे के नाम कर दी...ताकि अगर मैं कुछ कदम उठाऊ तो वो सब छीन ले...इसी वजह से मैं चुप थी और आकाश को मारने का सोचने लगी..क्योकि आज़ाद का तो पता भी नही ..बस आकाश था जो बीच मे था...और उसका बेटा...ये अंकित...
कामिनी- पर आकाश ने तो मेरी हेल्प भी करना चाही थी..उसने तो कुछ नही माँगा...
मैं- और हाँ..डॅड ने तो एक कंपनी के 30% शेयर भी कामिनी के नाम किए है...और वो सब जानते थे...पर कभी वापिस नही माँगा...
दामिनी- पर माँग लेता तो...और ये सिर्फ़ प्रॉपर्टी की बात नही थी...मेरी फॅमिली तबाह हुई थी आज़ाद की वजह से तो मैं भी उसकी फॅमिली को मिटाना चाहती थी...
मैं- पर इसमे ग़लती किसकी थी...तुम्हारे पिता की...माँ की या खुद तुम्हारी...
दामिनी- आज़ाद की ग़लती थी...
कामिनी- नही दीदी...इसमे आज़ाद की क्या ग़लती....जो कुछ हुआ उसमे ग़लती तो बस माँ की ही थी..और साथ मे आपकी भी...
दामिनी- ये तू कह रही है...तू दुश्मन का साथ दे रही है...अरे तू नही जानती कि ये किस कमीने का खून है...
कामिनी- जानती हूँ...पर जो भी हुआ...वो माँ और तुम्हारी वजह से ...हाँ दी...आज़ाद की कोई ग़लती न्ही...
मैं- हाँ..सही कह रही है कामिनी...और कमीनेपन की बात तुम मत करो दामिनी...तुमने तो कमीनेपन की हद पार कर दी है...
दामिनी- क्या मतलब तुम्हारा...
मैं- तुमने किसी को बताया कि तुम्हारा पति कहाँ है...
कामिनी- हाँ...जीजू तो दुबई मे है...है ना दी...
मैं- नही कामिनी...ये तो सबको बताया गया है ..असल मे दामिनी को ही सच पता है...तो दामिनी...बताओ..कहाँ है तुम्हारा पति...जिंदा है या...हां...बताओ....
दामिनी की हालत ऐसी हो गई कि काटो तो खून नही...उसे कुछ समझ नही आ रहा था...बस बुत बनी खड़ी थी...
कामिनी- बोलो दी...कहाँ है जीजू...
मैं- कामिनी...मैं बताता हूँ...तुम्हारे जीजू मर गये...और उनका कातिल हमारे बीच ही है....
दामिनी- त्त्त...तुम्हे...कैसे....
मैं- वो भी बताउन्गा...पहले ये तो बताओ अपनी बहेन को कि तुम्हारे पति कैसे मारे गये....
दामिनी मेरी बात सुन कर कुछ नही बोल पाई बस किसी पत्थर की तरह खड़ी रही...उसकी आँखो मे दर्द और डर के मिले -जुले भाव उमड़ आए थे....
कामिनी भी अब शॉक्ड थी...और ये जानने के लिए बेताब थी कि आख़िर दामिनी के पति को हुआ क्या....
मैं- तो तुम नही बोलॉगी दामिनी...ठीक है...मैं ही बताता हूँ...तो सुनो कामिनी...
ये तो तुम जानती ही हो कि तुम्हारी दीदी दामिनी सेक्स के मामले मे कितनी हद तक जा सकती है...
इसी का नतीजा ये हुआ कि दामिनी , कमल के साथ भी सेक्स के मज़े लेने लगी थी...और अब तक ले रही है...
पर एक दिन इनकी अयाशी इसके पति ने देख ली...उसे तो यकीन नही हुआ कि दामिनी किसी गैर मर्द के साथ ये सब कर सकती है...
पर बेचारा अपनी बदनामी के डर से चुप रहा ...यहाँ तक कि दामिनी को भनक भी नही लगने दी कि उसने कुछ देखा....
पर जब देखते-देखते उसका सब्र टूट गया तो वो दोनो के सामने आ गया और दोनो को धमकाने लगा...
और उसी दौरान उसकी मौत हो गई...क्योकि किसी ने गुस्से मे आ कर उसका सिर दीवाल से मार दिया था....
और फिर उसकी लाश को ये दोनो ही दूर दफ़ना आए थे....
कामिनी(रोते हुए)- क्या...जीजू के साथ ...पर ये सब किया किसने....
मैं- वो और कोई नही..बल्कि तुम्हारा ये भाई है...कमल...इसी ने मारा उनको...
कमल(गुस्से मे)- हाँ साले...मैने मारा...बड़ा मूह चला रहा था..कि सबको बोल देगा कि मैं नौकर की औलाद हूँ...चंदू की नही...
मैं- उसे कैसे पता...
कमल- उस दिन मैं और दामिनी यही बाते कर रहे थे जो उसने सुन ली...और साला चुदाई रोकने नही आया था...वो तो हमे दुनिया के सामने नंगा करने आया था...तो टपका डाला साले को ...और अब तू भी जायगा...और ये कामिनी भी..
कामिनी- क्या..तू मुझे मारेगा...अपनी बेहन को..
कमाल- चुप कर बेहन की बच्ची...काहे की बेहन...मैने तुझे अपनी रखेल माना है हमेशा...समझी...
दामिनी तो अपने पति की बात सुन कर धोके मे थी...और कमल की बातों पर ध्यान ना दे कर मुझसे बोली...
दामिनी(सुबक्ते हुए)- तुम्हे कैसे पता...बोलो अंकित...
मैं- मुझे सिर्फ़ ये पता था कि तुम्हारे पति को तुम्हारी असलियत पता चली थी...पर ये एक अंदाज़ा था कि वो मर चुका...बट अब सब सॉफ है...
दामिनी- तुम्हे कैसे पता...प्लीज़ बताओ.....
मैं- उनकी डाइयरी ...जो तुम्हारी बेटी को मिल गई थी...उसमे पढ़ा...
दामिनी(चोंक कर)- मेरी बेटी...
मैं- हाँ...उस पर नज़र थी मेरी...और अभी वो मेरी निगरानी मे ही है.....क्या करूँ तुम्हारे करमो की सज़ा मिल रही उसे...बस उसी के पास डाइयरी मिल गई...
दामिनी- पर मेरी बेटी क्यो...
मैं- ताकि तुम कुछ बुरा ना कर पाओ मेरा....समझी...दुश्मन की कमज़ोरी को हाथ मे रखना ही पड़ता है ना...ह्म्म्म...
दामिनी- नही...उसे कुछ मत करना..मैं ..मैं कुछ नही करूगी...
मैं- ह्म्म..तो फिर ये कमल....ये तो जैल जायगा...तेरे पति को इसी ने मारा ना..हाँ..और तुम गवाह हो...क्यो...
दामिनी कुछ बोलती उसके पहले कमल ने दामिनी को धक्का दे कर हमारे साइड कर दिया...जहा मैं और कामिनी थे...
अब एक साइड मैं फिर दामिनी और फिर कामिनी खड़ी थी और दूसरी तरफ हम पर गन ताने कमाल....
काजल हमारे पीछे बेड पर बेसूध पड़ी हुई थी....
दामिनी- कमल..ये क्या...क्या कर रहे हो...
कमाल- चुप...एक दम चुप...अब तुम तीनो मरोगे...तीनो...हाँ...
दामिनी- नही कमल..हम तुम्हारी बहने है...और अंकित...उसने क्या बिगाड़ा तुम्हारा....
कमल- चुप...सब चुप...मैने तुम्हे बेहन माना ही कब...मैं तो इसलिए साथ दे रहा था कि मुझे आज़ाद की प्रॉपर्टी मिल जाए...और फिर मैं तुम दोनो को छोड़ देता...पर अब..अब तो तुम दोनो पीछे हट रही हो..तो मेरे किस काम की...तो अब मरो....
मैं- एक मिनट...अभी भी सोच लो...इस सब से कोई फ़ायदा नही...
कामिनी- हाँ कमल...बुरे काम का नतीजा बुरा ही होता है...
कमल- तू तो चुप ही रह...सब तेरी और तेरी बेटी की वजह से हुआ है...सबसे पहले तू ही मर...ये ले...
कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही...धाय-धाय की आवाज़ के साथ दो गोलिया चली....
दोनो गोलियाँ चली तो कामिनी पर था पर रुकी दामिनी के सीने मे जा कर...
हाँ..दामिनी ने कामिनी के सामने आ कर अपनी बेहन को बचा लिया था...
कामिनी- दीदी...न्न्ंहिईीई....
मैं(चिल्ला कर)- साले...ये क्या किया...
कमल- अब तू भी..
मैं(बीच मे)- अभी...
और तभी एक गोली चली ...और गोली की आवाज़ के साथ कमल नीचे गिर गया.....
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Re: चूतो का समुंदर
गोली कमल की हथेली पर लगी और कमल की गन हाथ से निकल कर नीचे जा गिरी..
यहाँ दामिनी नीचे गिरने लगी तो मैने उसे सहारा दिया...और वहाँ गेट से इंस्पेक्टर आलोक की एंट्री हुई...और उन्होने कमल को दबोच लिया...
मैं- दामिनी...आराम से....
कामिनी(रोते हुए)- दीदी...ये क्या....आपने मेरे लिए...दीदी....
दामिनी को मैने गोद मे लिटा लिया और कामिनी भी बैसाखी छोड़ कर नीचे आ गई और दामिनी का हाथ पकड़े रोने लगी...
कामिनी- दीदी..ये सब...नही दीदी...आपको कुछ नही होगा...
दामिनी- क..कम्मो...रो मत...आहह...मैने आज ...आहह..पहली बार...अच्छा...अच्छा काम किया...
कामिनी - नही दीदी...आप बहुत अच्छी है...
दामिनी- बुरे का नतीजा...आहह..बुरा ही होता है...अब मेरा...आहह...टाइम...
मैं- शांत रहो दामिनी...तुम्हे कुछ नही होगा...
आलोक- हाँ...आंब्युलेन्स आ रही है...कॉल कर दिया है..
दामिनी- अंकित...मेरी बेटी..आआहह...वो मासूम है...उसको कुछ....आहह..
मैं- नही...उसे कुछ नही होगा...मैं वादा करता हूँ...
दामिनी- त्थ्ह..थॅंक यू....
तभी आलोक भी हमारे पास आ गये और दामिनी की नब्ज़ देख कर मुझे देखा और...ना मे गर्दन हिला दी...
मैं- दामिनी...एक बात बताओगी..
दामिनी- क्क्क..कहो..
मैं- मैं ये जानता हूँ कि कामिनी तो तुम्हारे कहने पर काम कर रही थी..पर तुम उसे जानती होगी जो ये सब करवा रहा है..है ना...वो बॉस...तुम जानती हो ना उसे...
दामिनी- आ...हाँ..
मैं- तो बोलो...कौन है..कौन है वो कमीना...जिसकी वजह से ये नौवत आई...बोलो दामिनी बोलो...
दामिनी- वउूओ..वू..वो..
मैं- हाँ दामिनी बोलो...
दामिनक़- सस्स..सस्साआ...
मैं- सा ..सा क्या दामिनी...बोलो..
दामिनी- सस्स्स्स्साआस.........
और दामिनी हमेशा के लिए चुप हो गई....दामिनी के खामोश होते ही मैं उसे हिलाने लगा और कामिनी ज़ोर से रोने लगी...
मैं दामिनी को हिलाते हुए नाम पूछ रहा था...तभी इंस्पेक्टर आलोक ने मेरे कंधे पर हाथ रखा.....
आलोक- नही अंकित...शी ईज़ नो मोर....
मेरा तो दिमाग़ हिल गया...क्या सोचा था और क्या हुआ...
मैने सोचा था कि आज दामिनी को डरा कर बॉस का नाम पता कर लुगा..पर इस कमल की वजह से...
मुझे कमल पर गुस्सा आ गया और मैने दामिनी को छोड़ा और कमल को लाते मारने लगा...
मैं- साले...तेरी वजह से मरी वो..मैं तुझे...ये ले साले...
इंस्पेक्टर आलोक ने मुझे आ कर रोक लिया......
मैं- इंस्पेक्टर , ले जाओ इसे..और साले को फाँसी पर लटका दो..
इंस्पेक्टर आलोक ने अपने सिपाहियो को इशारा किया और वो उसे ले कर निकल गये...
मैं भी कामिनी को संभालने लगा...और तभी सोनम भी आ गई...जिसे मैने छिप कर रहने को कहा था...
कुछ देर बाद आंब्युलेन्स आई और दामिनी को ले गई...
मैने सोनम के साथ कामिनी को भी घर पहुचा दिया...
जाने के पहले कामिनी ने काजल के बारे मे कहा तो मैने उसे बिश्वास दिलाया की काजल सही सलामत पहुच जायगी...अभी उसे नीद की गोलिया दी है तो सोने दो...
मैं उसे होश मे आते ही ले आउगा...और जब तक दामिनी का पोस्टमार्टम करके पोलीस बॉडी भी ले आयगी...
मैने उसे ये भी बता दिया कि दामिनी की बेटी भी जल्दी ही पहुच जायगी...
कामिनी , सोनम के साथ निकल गई और मैं काजल के बाजू मे बैठ गया...
तभी मेरे सामने एक नकाब पोस आया...
उसे देख कर मैने उसे थॅंक्स कहा और जाने का बोल दिया...वो निकल गया...
और फिर मैं आज हुई सारी घटना के बारे मे सोचने लगा...
मैं(मन मे)- आज फिर बॉस ना नाम नही जान पाया...सब बरवाद गया...
और जो मैं नही चाहता था वो हो गया..
दामिनी मर गई...अब उसकी बेटी को क्या सम्झाउन्गा....कैसे बताउन्गा की अब वो अनाथ हो गई..
और ये काजल...इसे तो पता भी नही कि इसके पास क्या-क्या हो गया...इसे भी तो समझाना पड़ेगा...
वेल...ये होश मे आ जाए फिर देखते है...
फिर मैने रजनी आंटी को कॉल करके उन्हे कामिनी के घर भेज दिया...साथ मे संजू को भी भेज दिया...दामिनी की अंतिम यात्रा की तैयारी करने...
मेरी दुश्मनी तो जब तक थी तब तक वो जिंदा थी..मरने के बाद कोई दुश्मन नही होता...
मैं वादा करता हूँ दामिनी...तुम्हारे किए पापो का असर तुम्हारी बेटी पर नही होने दूँगा...वादा...
अब मेरे मन मे एक ही सवाल था...कि जो हुआ वो सही हुआ या ग़लत.....??????????
मैं अपने ख़यालो मे खोया हुआ दामिनी के बारे मे सोच रहा था...
मुझे ऐसा लग रहा था कि दामिनी की मौत का ज़िम्मेदार मैं हूँ...क्योकि आज यहाँ सबको मैने ही आने पर मजबूर किया....
मैने जो सोचा था वो हो गया...मुझे और कामिनी को सारी सच्चाई पता चल गई...
पर इसकी कीमत दामिनी की मौत तो नही रखी थी मैने...
मैं तो सिर्फ़ उसको सही रास्ते पर लाना चाहता था...पर रास्ता दिखाते-दिखाते खाई मे ले गया...
नही...ये ठीक नही हुआ....दामिनी की मौत को उसकी बेटी कैसे झेल पायगी...क्या वो मुझे इस सब का कसूरवार समझेगी...शायद हाँ...
माना कि दामिनी ने कई ग़लतियाँ की...कई लोगो की जिंदगी खराब की...पर इस सब मे उसकी बेटियों की क्या ग़लती...
अगर उसकी बेटी को ये सब पता चला...और उसने मुझसे पूछा कि क्या उसकी माँ का मारना ही ज़रूरी था तो....
तो क्या बोलुगा उसे...नही...मैं तो उससे नज़रे भी नही मिला पाउन्गा....
मैं ऐसा इंसान नही हूँ जो किसी को मारने का सोचे...मैं तो सिर्फ़ अपनी फॅमिली को सुरक्षित रखना चाहता था....
दामिनी की मौत मेरा मक़सद नही थी...वो तो कमल ने....पर मैं उसे रोक भी सकता था....दामिनी को गोली लगने के पहले ही मैं कमल की गन को गिरा सकता था...
पर ना जाने मैं क्या सोच रहा था...मुझे उम्मीद नही थी कि कमल फाइयर कर देगा....
पर अब सोच के क्या फ़ायदा....मैं अयाश तो था ही...आज किसी की मौत की वजह भी बन गया....
मैं अपने ख़यालो से होश तब आया जब मेरा फ़ोन रिंग हुआ...
( कॉल पर )
आलोक- हेलो...अंकित...तुम जल्दी से हॉस्पिटल पहुचो...
मैं- क्यो...क्या हुआ ...
आलोक- पहले आओ तो..सब बताता हूँ ..
इससे पहले की मैं कुछ बोलता फ़ोन कट गया...
फ़ोन कट होते ही मैने टाइम देखा तो पता चला कि मैं लगभग 1 घंटे से अकेला बैठा सोच रहा था...
फिर मुझे आलोक की बात याद आई...जल्दी से हॉस्पिटल पहुचो...
पर मैं काजल को अकेले कैसे छोड़ सकता था...अब क्या करूँ...हाँ...
मैने जल्दी से सोनू को कॉल किया और उसे सब समझा कर हॉस्पिटल निकल गया...
यहाँ फार्महाउस पर सोनू ने जैसे-तैसे कर के काजल को होश मे लाया....
काजल(आँखे मलते हुए)- मैं..हूँ..सोनू...तुम...और मैं यहाँ ...कैसे ..कब...
सोनू- स्शहीए...रिलॅक्स...तुम बिल्कुल ठीक हो...और अभी हम घर जा रहे है....
काजल- पर सोनम...वो कहाँ है...
सोनू- वो तुम्हारे घर पर ही है..डोंट वरी...
काजल अब खड़ी हो गई थी और अपने कपड़े ठीक करने लगी....
काजल- पर मैं यहाँ आई कैसे..मैं तो सोनम के साथ थी...
सोनू- सब पता चल जायगा...पहले तुम फ्रेश हो जाओ ..और घर चलो...
फिर काजल फ्रेश हुई और सोनू के साथ घर निकल आई...
यहाँ दामिनी नीचे गिरने लगी तो मैने उसे सहारा दिया...और वहाँ गेट से इंस्पेक्टर आलोक की एंट्री हुई...और उन्होने कमल को दबोच लिया...
मैं- दामिनी...आराम से....
कामिनी(रोते हुए)- दीदी...ये क्या....आपने मेरे लिए...दीदी....
दामिनी को मैने गोद मे लिटा लिया और कामिनी भी बैसाखी छोड़ कर नीचे आ गई और दामिनी का हाथ पकड़े रोने लगी...
कामिनी- दीदी..ये सब...नही दीदी...आपको कुछ नही होगा...
दामिनी- क..कम्मो...रो मत...आहह...मैने आज ...आहह..पहली बार...अच्छा...अच्छा काम किया...
कामिनी - नही दीदी...आप बहुत अच्छी है...
दामिनी- बुरे का नतीजा...आहह..बुरा ही होता है...अब मेरा...आहह...टाइम...
मैं- शांत रहो दामिनी...तुम्हे कुछ नही होगा...
आलोक- हाँ...आंब्युलेन्स आ रही है...कॉल कर दिया है..
दामिनी- अंकित...मेरी बेटी..आआहह...वो मासूम है...उसको कुछ....आहह..
मैं- नही...उसे कुछ नही होगा...मैं वादा करता हूँ...
दामिनी- त्थ्ह..थॅंक यू....
तभी आलोक भी हमारे पास आ गये और दामिनी की नब्ज़ देख कर मुझे देखा और...ना मे गर्दन हिला दी...
मैं- दामिनी...एक बात बताओगी..
दामिनी- क्क्क..कहो..
मैं- मैं ये जानता हूँ कि कामिनी तो तुम्हारे कहने पर काम कर रही थी..पर तुम उसे जानती होगी जो ये सब करवा रहा है..है ना...वो बॉस...तुम जानती हो ना उसे...
दामिनी- आ...हाँ..
मैं- तो बोलो...कौन है..कौन है वो कमीना...जिसकी वजह से ये नौवत आई...बोलो दामिनी बोलो...
दामिनी- वउूओ..वू..वो..
मैं- हाँ दामिनी बोलो...
दामिनक़- सस्स..सस्साआ...
मैं- सा ..सा क्या दामिनी...बोलो..
दामिनी- सस्स्स्स्साआस.........
और दामिनी हमेशा के लिए चुप हो गई....दामिनी के खामोश होते ही मैं उसे हिलाने लगा और कामिनी ज़ोर से रोने लगी...
मैं दामिनी को हिलाते हुए नाम पूछ रहा था...तभी इंस्पेक्टर आलोक ने मेरे कंधे पर हाथ रखा.....
आलोक- नही अंकित...शी ईज़ नो मोर....
मेरा तो दिमाग़ हिल गया...क्या सोचा था और क्या हुआ...
मैने सोचा था कि आज दामिनी को डरा कर बॉस का नाम पता कर लुगा..पर इस कमल की वजह से...
मुझे कमल पर गुस्सा आ गया और मैने दामिनी को छोड़ा और कमल को लाते मारने लगा...
मैं- साले...तेरी वजह से मरी वो..मैं तुझे...ये ले साले...
इंस्पेक्टर आलोक ने मुझे आ कर रोक लिया......
मैं- इंस्पेक्टर , ले जाओ इसे..और साले को फाँसी पर लटका दो..
इंस्पेक्टर आलोक ने अपने सिपाहियो को इशारा किया और वो उसे ले कर निकल गये...
मैं भी कामिनी को संभालने लगा...और तभी सोनम भी आ गई...जिसे मैने छिप कर रहने को कहा था...
कुछ देर बाद आंब्युलेन्स आई और दामिनी को ले गई...
मैने सोनम के साथ कामिनी को भी घर पहुचा दिया...
जाने के पहले कामिनी ने काजल के बारे मे कहा तो मैने उसे बिश्वास दिलाया की काजल सही सलामत पहुच जायगी...अभी उसे नीद की गोलिया दी है तो सोने दो...
मैं उसे होश मे आते ही ले आउगा...और जब तक दामिनी का पोस्टमार्टम करके पोलीस बॉडी भी ले आयगी...
मैने उसे ये भी बता दिया कि दामिनी की बेटी भी जल्दी ही पहुच जायगी...
कामिनी , सोनम के साथ निकल गई और मैं काजल के बाजू मे बैठ गया...
तभी मेरे सामने एक नकाब पोस आया...
उसे देख कर मैने उसे थॅंक्स कहा और जाने का बोल दिया...वो निकल गया...
और फिर मैं आज हुई सारी घटना के बारे मे सोचने लगा...
मैं(मन मे)- आज फिर बॉस ना नाम नही जान पाया...सब बरवाद गया...
और जो मैं नही चाहता था वो हो गया..
दामिनी मर गई...अब उसकी बेटी को क्या सम्झाउन्गा....कैसे बताउन्गा की अब वो अनाथ हो गई..
और ये काजल...इसे तो पता भी नही कि इसके पास क्या-क्या हो गया...इसे भी तो समझाना पड़ेगा...
वेल...ये होश मे आ जाए फिर देखते है...
फिर मैने रजनी आंटी को कॉल करके उन्हे कामिनी के घर भेज दिया...साथ मे संजू को भी भेज दिया...दामिनी की अंतिम यात्रा की तैयारी करने...
मेरी दुश्मनी तो जब तक थी तब तक वो जिंदा थी..मरने के बाद कोई दुश्मन नही होता...
मैं वादा करता हूँ दामिनी...तुम्हारे किए पापो का असर तुम्हारी बेटी पर नही होने दूँगा...वादा...
अब मेरे मन मे एक ही सवाल था...कि जो हुआ वो सही हुआ या ग़लत.....??????????
मैं अपने ख़यालो मे खोया हुआ दामिनी के बारे मे सोच रहा था...
मुझे ऐसा लग रहा था कि दामिनी की मौत का ज़िम्मेदार मैं हूँ...क्योकि आज यहाँ सबको मैने ही आने पर मजबूर किया....
मैने जो सोचा था वो हो गया...मुझे और कामिनी को सारी सच्चाई पता चल गई...
पर इसकी कीमत दामिनी की मौत तो नही रखी थी मैने...
मैं तो सिर्फ़ उसको सही रास्ते पर लाना चाहता था...पर रास्ता दिखाते-दिखाते खाई मे ले गया...
नही...ये ठीक नही हुआ....दामिनी की मौत को उसकी बेटी कैसे झेल पायगी...क्या वो मुझे इस सब का कसूरवार समझेगी...शायद हाँ...
माना कि दामिनी ने कई ग़लतियाँ की...कई लोगो की जिंदगी खराब की...पर इस सब मे उसकी बेटियों की क्या ग़लती...
अगर उसकी बेटी को ये सब पता चला...और उसने मुझसे पूछा कि क्या उसकी माँ का मारना ही ज़रूरी था तो....
तो क्या बोलुगा उसे...नही...मैं तो उससे नज़रे भी नही मिला पाउन्गा....
मैं ऐसा इंसान नही हूँ जो किसी को मारने का सोचे...मैं तो सिर्फ़ अपनी फॅमिली को सुरक्षित रखना चाहता था....
दामिनी की मौत मेरा मक़सद नही थी...वो तो कमल ने....पर मैं उसे रोक भी सकता था....दामिनी को गोली लगने के पहले ही मैं कमल की गन को गिरा सकता था...
पर ना जाने मैं क्या सोच रहा था...मुझे उम्मीद नही थी कि कमल फाइयर कर देगा....
पर अब सोच के क्या फ़ायदा....मैं अयाश तो था ही...आज किसी की मौत की वजह भी बन गया....
मैं अपने ख़यालो से होश तब आया जब मेरा फ़ोन रिंग हुआ...
( कॉल पर )
आलोक- हेलो...अंकित...तुम जल्दी से हॉस्पिटल पहुचो...
मैं- क्यो...क्या हुआ ...
आलोक- पहले आओ तो..सब बताता हूँ ..
इससे पहले की मैं कुछ बोलता फ़ोन कट गया...
फ़ोन कट होते ही मैने टाइम देखा तो पता चला कि मैं लगभग 1 घंटे से अकेला बैठा सोच रहा था...
फिर मुझे आलोक की बात याद आई...जल्दी से हॉस्पिटल पहुचो...
पर मैं काजल को अकेले कैसे छोड़ सकता था...अब क्या करूँ...हाँ...
मैने जल्दी से सोनू को कॉल किया और उसे सब समझा कर हॉस्पिटल निकल गया...
यहाँ फार्महाउस पर सोनू ने जैसे-तैसे कर के काजल को होश मे लाया....
काजल(आँखे मलते हुए)- मैं..हूँ..सोनू...तुम...और मैं यहाँ ...कैसे ..कब...
सोनू- स्शहीए...रिलॅक्स...तुम बिल्कुल ठीक हो...और अभी हम घर जा रहे है....
काजल- पर सोनम...वो कहाँ है...
सोनू- वो तुम्हारे घर पर ही है..डोंट वरी...
काजल अब खड़ी हो गई थी और अपने कपड़े ठीक करने लगी....
काजल- पर मैं यहाँ आई कैसे..मैं तो सोनम के साथ थी...
सोनू- सब पता चल जायगा...पहले तुम फ्रेश हो जाओ ..और घर चलो...
फिर काजल फ्रेश हुई और सोनू के साथ घर निकल आई...