चूतो का समुंदर
- rajaarkey
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Re: चूतो का समुंदर
दोस्त मेरी तरफ से इस मुकाम को पाने के लिए आपको हार्दिक बधाई
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- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
कहीं दूर किसी गाओं मे....
दामिनी और रघु को इस गाओं मे रुके हुए लगभग 2 दिन निकल गये थे...फिर भी दोनो के हाथ अभी तक कुछ नही लगा था...
दोनो ने बहादुर के घर पर निगरानी रखी हुई थी...साथ ही साथ गाओं मे भी पूछ-ताछ करवा रहे थे....फिर भी कुछ नही हुआ...
उपेर से दामिनी इस बात से गुस्सा थी कि रघु ने उसे यहाँ रुकने के लिए मजबूर कर दिया और पूरी रात उसे चोदता रहता है...
लेकिन आज दामिनी ने रघु को मना ही लिया....
दामिनी ने रघु को आगे का काम समझाया और वो सहर की तरफ निकल आई....
दामिनी के जाने के बाद रघु से मिलने के लिए एक सक्श आया...
वो सक्श कार से निकला और रघु के साथ कमरे मे आ गया....
रघु- साब...सालों बाद कोई मिल ही गया जो आज़ाद को ढूँढ रहा है...
" ह्म्म...ये औरत अपने काम की है...क्या बताया इसने"...सामने वाले ने सिगरेट जलाते हुए बोला...
रघु ने दामिनी के बारे मे सब कुछ बता दिया...जो भी रघु को पता था....
" ह्म्म्मे..तो पता करो कि उसके माँ-बाप को आज़ाद ने कब और कहाँ मारा था...फिर देखना...खेल मेरा होगा और कीमत ये चुकाएगी...."...और उसने धुन्ये का छल्ला हवा मे उड़ा दिया...
रघु- ह्म्म..साब...एक बात बताइए...आप आज़ाद से इतनी नफ़रत करते है...फिर भी अब तक चुप है...आपको किसी दूसरे की क्या ज़रूरत थी....आप खुद ही उसे....
सामने बैठा सक्श अपनी सिगरेट को झटकते हुए रघु की बात काट कर बोला.....
" ह्म्म...क्या करूँ...गैरों से ज़्यादा अपनो को सज़ा देने मे तकलीफ़ होती है..."
रघु- क्या मतलब....
" तुम नही समझोगे.....चलो...मैं चलता हूँ....तुम दामिनी को ले कर जल्दी आना...."
और वो सक्श कार से निकल गया...और रघु उसकी बातों के बारे मे सोचता रह गया.....
सहर मे....मेरे घर पर....
इनस्पेक्टर के जाने के बाद मैं सबसे मिला...और फिर मैं डॅड के ऑफीस को देखने जाने लगा...
बट सविता ने बताया कि अभी पोलीस ने सब सील कर दिया है....पहले पोलीस से पर्मिशन लेनी होगी ...
मैने भी सोचा कि कल ही जाउन्गा...वैसे भी वहाँ देखने के लिए बचा क्या.है...
फिर मैं सबको ट्रिप की बाते बताने लगा....काफ़ी बाते हुई और फिर मैं रेस्ट करने रूम मे चला गया....
फिर जब मेरी आँख खुली तो रात हो चुकी थी....
मैं(मन मे)- मुझे तो सीक्रेट हाउस जाना था....अब क्या...रात भी हो गई...चलो कॉल ही कर लेता हूँ....
( कॉल पर )
स- हाँ अंकित...तुम आए नही...
मैं- सॉरी...मैं सो गया था...
स- कोई नही...रेस्ट करो...कल मिलते है...
मैं- ह्म्म..पर वो बात तो बताओ...मेरे डॅड और कामिनी की...
स- ह्म..एक काम करो...कल मिलो ..कुछ दिखाता हूँ...तुम खुद समझ जाओगे....
मैं- पर बताने मे क्या प्राब्लम है...
स - कुछ नही...बस मैं चाहता हूँ कि तुम खुद देख कर डिसाइड करो..कि बात कितनी इम्पोर्टेंट है...ओके
मैं- ह्म्म..चलो फिर कल ही देख लूँगा...
स- गुड...ऑर हाँ..एक गुड न्यूज़ है...
मैं- क्या...
स- तुमने कहा था ना कि सोनी को सबक सिखाना है...तो आदमी भेज दिए है....
मैं- नही...उन्हे वापिस बुला लो...सोनी को टच नही करना....
स- पर क्यो...उसे छोड़ रहे हो...क्यो...
मैं- छोड़ नही रहा...उसको अहसास दिलाना है कि धोखा मिलता है तो कैसा लगता है....साले के उपेर डॅड इतना भरोशा करते थे ...और उसने धोखा दिया...नही....इतनी छोटी सज़ा नही मिलेगी....उसको सज़ा भी मिलेगी और धोखे का अहसास भी होगा....अपने आदमियों को बुला लो...
स- ओके...वो अभी निकले है...मैं रोक देता हूँ...पर करना क्या है उसका....
मैं- कल प्लान करेंगे....कुछ मजेदार...
स- ह्म्म..और रिचा का क्या...
मैं- वो तो साली रंडी है...टाइम आने पर यूज़ करेंगे...पर हां....उसकी बेटी....उसकी डीटेल निकालो...पता तो चले कि रंडी की बेटी है कैसी....
स- ह्म्म..तो ठीक है...कल मिलते है...बाइ....
मैं- ह्म्म..बाइ...
और कॉल कट कर के मैं रेडी हुआ और नीचे आ गया...
दामिनी और रघु को इस गाओं मे रुके हुए लगभग 2 दिन निकल गये थे...फिर भी दोनो के हाथ अभी तक कुछ नही लगा था...
दोनो ने बहादुर के घर पर निगरानी रखी हुई थी...साथ ही साथ गाओं मे भी पूछ-ताछ करवा रहे थे....फिर भी कुछ नही हुआ...
उपेर से दामिनी इस बात से गुस्सा थी कि रघु ने उसे यहाँ रुकने के लिए मजबूर कर दिया और पूरी रात उसे चोदता रहता है...
लेकिन आज दामिनी ने रघु को मना ही लिया....
दामिनी ने रघु को आगे का काम समझाया और वो सहर की तरफ निकल आई....
दामिनी के जाने के बाद रघु से मिलने के लिए एक सक्श आया...
वो सक्श कार से निकला और रघु के साथ कमरे मे आ गया....
रघु- साब...सालों बाद कोई मिल ही गया जो आज़ाद को ढूँढ रहा है...
" ह्म्म...ये औरत अपने काम की है...क्या बताया इसने"...सामने वाले ने सिगरेट जलाते हुए बोला...
रघु ने दामिनी के बारे मे सब कुछ बता दिया...जो भी रघु को पता था....
" ह्म्म्मे..तो पता करो कि उसके माँ-बाप को आज़ाद ने कब और कहाँ मारा था...फिर देखना...खेल मेरा होगा और कीमत ये चुकाएगी...."...और उसने धुन्ये का छल्ला हवा मे उड़ा दिया...
रघु- ह्म्म..साब...एक बात बताइए...आप आज़ाद से इतनी नफ़रत करते है...फिर भी अब तक चुप है...आपको किसी दूसरे की क्या ज़रूरत थी....आप खुद ही उसे....
सामने बैठा सक्श अपनी सिगरेट को झटकते हुए रघु की बात काट कर बोला.....
" ह्म्म...क्या करूँ...गैरों से ज़्यादा अपनो को सज़ा देने मे तकलीफ़ होती है..."
रघु- क्या मतलब....
" तुम नही समझोगे.....चलो...मैं चलता हूँ....तुम दामिनी को ले कर जल्दी आना...."
और वो सक्श कार से निकल गया...और रघु उसकी बातों के बारे मे सोचता रह गया.....
सहर मे....मेरे घर पर....
इनस्पेक्टर के जाने के बाद मैं सबसे मिला...और फिर मैं डॅड के ऑफीस को देखने जाने लगा...
बट सविता ने बताया कि अभी पोलीस ने सब सील कर दिया है....पहले पोलीस से पर्मिशन लेनी होगी ...
मैने भी सोचा कि कल ही जाउन्गा...वैसे भी वहाँ देखने के लिए बचा क्या.है...
फिर मैं सबको ट्रिप की बाते बताने लगा....काफ़ी बाते हुई और फिर मैं रेस्ट करने रूम मे चला गया....
फिर जब मेरी आँख खुली तो रात हो चुकी थी....
मैं(मन मे)- मुझे तो सीक्रेट हाउस जाना था....अब क्या...रात भी हो गई...चलो कॉल ही कर लेता हूँ....
( कॉल पर )
स- हाँ अंकित...तुम आए नही...
मैं- सॉरी...मैं सो गया था...
स- कोई नही...रेस्ट करो...कल मिलते है...
मैं- ह्म्म..पर वो बात तो बताओ...मेरे डॅड और कामिनी की...
स- ह्म..एक काम करो...कल मिलो ..कुछ दिखाता हूँ...तुम खुद समझ जाओगे....
मैं- पर बताने मे क्या प्राब्लम है...
स - कुछ नही...बस मैं चाहता हूँ कि तुम खुद देख कर डिसाइड करो..कि बात कितनी इम्पोर्टेंट है...ओके
मैं- ह्म्म..चलो फिर कल ही देख लूँगा...
स- गुड...ऑर हाँ..एक गुड न्यूज़ है...
मैं- क्या...
स- तुमने कहा था ना कि सोनी को सबक सिखाना है...तो आदमी भेज दिए है....
मैं- नही...उन्हे वापिस बुला लो...सोनी को टच नही करना....
स- पर क्यो...उसे छोड़ रहे हो...क्यो...
मैं- छोड़ नही रहा...उसको अहसास दिलाना है कि धोखा मिलता है तो कैसा लगता है....साले के उपेर डॅड इतना भरोशा करते थे ...और उसने धोखा दिया...नही....इतनी छोटी सज़ा नही मिलेगी....उसको सज़ा भी मिलेगी और धोखे का अहसास भी होगा....अपने आदमियों को बुला लो...
स- ओके...वो अभी निकले है...मैं रोक देता हूँ...पर करना क्या है उसका....
मैं- कल प्लान करेंगे....कुछ मजेदार...
स- ह्म्म..और रिचा का क्या...
मैं- वो तो साली रंडी है...टाइम आने पर यूज़ करेंगे...पर हां....उसकी बेटी....उसकी डीटेल निकालो...पता तो चले कि रंडी की बेटी है कैसी....
स- ह्म्म..तो ठीक है...कल मिलते है...बाइ....
मैं- ह्म्म..बाइ...
और कॉल कट कर के मैं रेडी हुआ और नीचे आ गया...
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Re: चूतो का समुंदर
नीचे पारूल अपने कमरे मे पढ़ाई करने मे बिज़ी थी....
वो इतना मन लगा के पढ़ रही थी कि उसे पता भी नही चला कि मैं उसके पीछे आ गया हूँ...
उसे पढ़ते देख मुझे बेहद खुशी हुई...मैने अपना हाथ उसके सिर पर फिराया तो वो चौंक कर पलट गई...
पारूल- भैया...आप...आइए ना...
मैं- क्या हो रहा है बेटा....
पारूल- कुछ नही...पढ़ाई कर रही थी...
मैं- ओह्ह...इतना डूब कर...साबाश ...
पारूल- क्या साबास...कुछ भी समझ नही आता....
मैं- आएगा बेटा....मेहनत करो...सब समझ आएगा....
पारूल- भैया...मैं फैल हो गई तो....
और पारूल ने अपना सिर झुका लिया...मैने उसको चेहरा हाथो से उपेर किया...
मैं- नही बेटा...ऐसा नही सोचते...और मान लो हो भी गई...तो क्या...नेक्स्ट टाइम फिर ट्राइ करना....
पारूल- भैया...आपने मेरे लिए इतना कुछ किया...और फिर भी मैं पास नही हो पाई...
मैं- चुप....तुम पास हो या फैल...कोई फ़र्क नही पड़ता...तू मेरी प्यारी गुड़िया है और हमेशा रहेगी....
मेरी बात सुन कर पारूल मेरे गले लग गई और खुशी के आंशु बहाने लगी....
मैने उसे थपथपाया और फिर अलग करके आँसू पोछे...
मैं- अब एक भी आंशु नही..ओके..
पारूल(आँख सॉफ कर के)- ह्म्म...
मैं- अब अपने भैया को कुछ खिला भी दे....ह्म्म..बहुत भूख लगी है...
पारूल- ओह्ह..अभी बनाती हूँ...क्या खाओगे आप...
मैं- ह्म्म..एक काम कर आज एग करी खिला दे...हाँ..
पारूल- आप थोड़ा रूको...मैं अभी लाई...
और पारूल जल्दी से किचन मे निकल गई...और मैं उसकी नॉटबुक देखने लगा...
तभी मेरी नज़र एक डाइयरी पर पड़ी....जब मैने उसे खोल कर देखना शुरू किया तो 1 पेज पर मेरी आँखे ठहर गई....
उस पेज मे एक फोटो रखी हुई थी....जो कि मेरी थी....
और मैने जब फोटो उठाई तो उस पेज पर लिखी लाइन्स पढ़ कर मेरी आँखे नम हो गई....
पेज की लाइन्स :-
मेरे सर....मेरे मालिक...मेरे भैया....मेरे भगवान....
अगर आज कोई पूछे कि मैं सबसे ज़्यादा किसे मानती हूँ तो वो आप हो...
कोई मुझसे कहे कि भगवान देखा है..तो मैं कहुगी हाँ....आप ही मेरे भगवान हो....
मैने अपने पापा को कभी नही देखा था...और जिस माँ को देखा है वो भी दूसरों की माँ के जैसे नही है...
मेरी माँ ने मुझे बचपन से मार और गालियों के अलावा कुछ नही दिया....
मैं ये नही कहती कि वो बुरी है...पर शायद हालात ने उन्हे ऐसा बना दिया....
वो मेरा पढ़ाई करना पसंद नही करती थी...शायद पैसो की वजह से...
इसलिए उन्होने मुझसे काम करवाया...और काम ना होने पर मारा...गालियाँ दी...
उन्ही के कहने पर मैं जिस्म को बेचने के लिए राज़ी हुई....
पर कहते है कि भगवान चाहे तो सब ठीक होता है...
जब मैं जिस्म बेचने निकली तो आप ही मुझे पहली बार मे मिले....
मुझे उस दिन तो आप पर गुस्सा आया...पर आपने मेरी जिंदगी संवार दी...
आपने मुझे बेहन का दर्जा दिया....और सिर्फ़ दर्जा ही नही.. आपने मुझे अपनी बेहन की तरह रखा...
मुझे उस दलदल मे जाने से बचाया और अपने साथ इस महल मे ले आए...
आपने मुझे नौकरानी से राजकुमारी बना दिया....
आपसे मिलने के पहले लोग मुझे हवस और नफ़रत से देखते थे ...पर...
आज इस घर मे सब मुझे प्यार और सम्मान से देखते है....
आपने मुझे एक घर दिया....पढ़ने का मौका दिया...और सबसे बढ़ कर...मुझे आपके रूप मे एक भाई एक पिता और मेरा भगवान मिल गया...
आपको धन्याबाद कह कर मैं आपका अपमान नही कर सकती...बस सिर झुका कर अपने भगवान को नमन करती हूँ और आपकी तस्वीर अपने पास रखती हूँ...जो आपके कमरे से चुराई है....
इस पेज की लास्ट लाइन पढ़ कर मेरे चेहरे पर हल्की स्माइल तो आई लेकिन मेरी आँखे नम हो गई थी....
ऐसा लगा कि पारूल ने दिल का सारा दर्द उन लाइन्स मे छिपा कर पेश कर दिया हो...
मुझे खुशी भी हो रही थी और गुस्सा भी आ रहा था....
खुशी इस बात की मैने एक अच्छी लड़की को अपनी बेहन के रूप मे पाया ...और गुस्सा इस बात का ...कि मैने उसके साथ सेक्स क्यो किया....
फिर मैने सोचा कि जो हो गया सो हो गया...अब मैं अपनी बेहन के सारे सपने पूरे करूगा...
फिर मैने वो फोटो और डाइयरी पहले की तरह रख दी और आँखे सॉफ करते हुए बाहर निकल आया....
हॉल मे आते ही मुझे रेखा मिल गई...
रेखा- क्या हुआ सर ..आप रो रहे है...
मैं- हाँ..नही..नही...बस आँख सॉफ कर रहा था....थका हूँ...शायद इसलिए पानी आ गया....
रेखा- ओह्ह...वैसे सर...आज आपकी मालिश करने आ जाउ...
मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म्म्मह...आ जाओ...तुम्हारी उसकी मालिश भी हो जाएगी...
और फिर हम बाते करते रहे जब तक पारूल खाना नही लाई....
खाना आते ही सबने खाना खाया और पारूल की तारीफ भी की...
फिर मैं पारूल को पढ़ने का बोल कर अपने रूम मे आ गया....
थोड़ी देर बाद रेखा भी आ गई और फिर देर रात तक रेखा की चूत , गान्ड और मुँह ने मेरे लंड की मालिश की....
सुबह मैं उठा तो पारूल स्कूल जा चुकी थी...मैं भी रेडी हुआ और नाश्ता कर के संजू के घर निकल गया......
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- Ankit
- Expert Member
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- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: चूतो का समुंदर
थॅंक्स दोस्तो ये सब आपका प्यार है
- shubhs
- Novice User
- Posts: 1541
- Joined: 19 Feb 2016 06:23
Re: चूतो का समुंदर
बहुत बिंदास
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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