चूतो का समुंदर

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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »



अंकित के ऑफीस मे.........


अंकित ने अपने डॅड से बात की और उठकर दूसरे कॅबिन मे निकल गया....

अंकित के जाते ही बाहर खड़ी सुजाता गुस्से से भरी आकाश के कॅबिन मे आई और भड़क उठी...

सुजाता- तुम उसके बाप हो या वो तुम्हारा बाप...

आकाश- तुम ये क्या....क्या हुआ....

सुजाता- मैने पूछा...तुम उसके बाप हो या वो तुम्हारा बाप....

आकाश- अरे ..मैं ही उसका बाप हूँ...पर तुम गुस्से मे क्यो हो...

सुजाता- तो ये बताओ कि वो तुम्हारी सुनता क्यो नही...क्या उसे नही पता कि तुम उसके बाप हो...

आकाश- मैं क्या बोलू...वो ऐसा ही है...मन की करता है...

सुजाता- तो क्या बाप की भी नही सुनता..

आकाश- सुनता है...पर ..

सुजाता- पर क्या...तुम चुपचाप सुनते रहे और वो सब बोलता गया...उसने मुझे भी फटकार दिया...और तुम...

आकाश- सुजाता...भूलो मत कि आकाश अपने बेटे की हर बात मानता है...इसलिए मैं चुप रहा....

सुजाता- हुह...तुम सच मे उसके बाप बन गये...हाँ...पर याद रखो...ये भूल मत जाना कि तुम हो कौन..और किस काम के लिए आए हो यहाँ...

आकाश- नही..मुझे सब याद है...भरोशा रखो...

सुजाता- भरोशा...भाड़ मे जाओ तुम..तुम ना..किसी काम के नही....अब मुझे ही सब करना होगा...

आकाश- तुम..पर तुम क्या करोगी...वो तो तुम्हारी सुनेगा भी नही...

सुजाता- तुम चुपचाप तमाशा देखो...और मैं दिखाउन्गी की औरत चाहे तो कुछ भी करवा सकती है...बस देखते जाओ...

आकाश- पर मुझे तो बताओ कि तुम करने क्या वाली हो...

सुजाता- टाइम आने पर बता दूगी...अभी चुप बैठो..और ड्रिंक मग्वाओ..मेरा मूड सही करना है मुझे...तब जाकर कुछ सोच पाउन्गी....

और आकाश ने चुपचाप ड्रिंक का ऑर्डर दे दिया और सोच मे डूबी सुजाता को देख कर कुछ समझने की कोसिस करने लगा....

वहाँ दूसरे कॅबिन मे मैं अपनी ही सोच मे डूबा हुआ था...

मैं(मन मे)- इस सुजाता से जल्दी से सब कुछ पता चल जाए ..तो सही है..वरना ये कुछ ना कुछ हाथ-पैर मारती ही रहेगी....बस एक बार ये कुछ बक दे...फिर इसका ऐसा हाल करूगा कि साली रंडी से भी बदतर हो जाएगी....

बहुत होसियार समझती है भैन की लौडी...आज रात को इसका कुछ करना ही होगा...

पर ये आसानी से कुछ नही बकेगी...इसके लिए कुछ अलग ही करना होगा...कुछ ख़तरनाक...

तभी कॅबिन के गेट पर नॉक हुई और मैं अपनी सोच से बाहर आ गया....

मैं- यस...कमिंग....

गेट खोल कर सोनी और उसकी बीवी स्मिता अंदर आ गये और मुझे देखते ही स्मिता ने सोनी से छिप कर एक प्यारी मुस्कान दे दी...

मैं- अरे ...तो तुम स्मिता को ले ही आए...हाँ...

सोनी- जी..वो आपने कहा था ना कि...

मैं(बीच मे)- पर मैने उस रात ये भी कहा था कि अब तुम्हे ऐसी सिचुयेशन कभी नही देखनी होगी...भूल गये...

सोनी- नही सर..पर आज आपने...

मैं(बीच मे)- ओह हो..मेरे मुँह से ग़लती से निकल गया...क्या करे ...आपको देख कर स्मिता की मदमस्त जवानी याद आ गई तो मुँह से अपने आप ही निकल गया...

सोनी- तो अब..क्या मैं जाउ...

मैं- ह्म्म...जाइए...पर एक मिनट...

फिर मैने एक फाइल निकाली और सोनी को उसे एक क्लाइंट के पास पहुँचने को बोला ...

सोनी- जी सर...मैं स्मिता को छोड़ कर निकल जाउन्गा...

मैं- अरे यार...स्मिता चली जाएगी...आप बाहर से टॅक्सी मे बैठा दो..और आप क्लाइंट के पास निकलो...ये फाइल जल्दी पहुँचानी है...ओके...

सोनी- जी सर..

सोनी ने स्मिता को टॅक्सी मे बैठाया और क्लाइंट के पास निकल गया....

सोनी के जाने के कुछ देर बाद ही स्मिता मेरे कॅबिन मे आ गई...

स्मिता- मे आइ कम इन..

मैं- अरे आओ जान...तुम कम इन हो सको इसलिए तो तुम्हारे पति को भेजा है..आओ...

स्मिता जल्दी से मेरे पास आई और मैने उसे अपनी गोद मे खीच लिया...

स्मिता- आहह ..आराम से जानू...

मैं- अब आराम कहाँ...उउंम्म...टेस्टी लिपस्टिक...पूरी तैयारी से आई हो...

स्मिता- ह्म्म्मँ...जब आपका हुकुम मिला तो तैयार हो कर ही आओगी ना...उउंम्म..

और हम दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे....

थोड़ी देर बाद स्मिता टेबल पर झुकी हुई गान्ड मे मेरा लंड ले रही थी...तभी उसका फ़ोन बज उठा...वो सोनी का फ़ोन था...
स्मिता- आहह..रूको...इनका फ़ोन आ गया...

मैं- तो डरती क्यो हो...लौडस्पीकर ऑन करो और बात करते हुए गान्ड मरवाओ...

स्मिता ने वैसा ही किया...

स्मिता- हह..हेलो...

सोनी- तुम घर पहुँच गई...

स्मिता- हह..हम्म..सही जगह पहुँच गई...आओउउंम...

सोनी- क्या हुआ..तुम्हारी आवाज़...

स्मिता- आऔउन्ण..कपड़े ...हाँ..कपड़े धो रही थी तो सान्नस्स....उउःम्म्म..

सोनी- ओह...देखा ...सर कितने अच्छे है...

स्मिता- ह्म्म्मच..बहुत...उपेर से नीचे तक....उउंम...

सोनी- ये आवाज़ का हो क्या रहा है...

स्मिता- क्क़..कुछ नही...आप बोलो..

सोनी- कुछ नही...तुम अपना काम करो..और सिर को थॅंक्स का मेसेज कर देना..वो खुस हो जाएँगे...

स्मिता- ह्म्म..मैं पूरा खुश कर दूगी...आप फ़ोन रखो..मैं उन्हे खुश करती हूँ..ओके..बाइ...

और स्मिता ने फ़ोन काट कर पीछे देखा और हँसने लगी...

स्मिता- उसने कहा कि आपको खुश कर दूं...

मैं- तो करो फिर...

स्मिता- आहह...पूरा काम कर के ही जाउन्गी...ज़ोर से...आअहह...

और फिर कुछ देर तक कॅबिन मे चुदाई की आवाज़े गूँजती रही...और लास्ट मे स्मिता मेरे सामने बैठ गई और मैने उसके मुँह मे लंडरस की पिचकारियाँ मारनी सुरू कर दी...

तभी मुझे लगा कि गेट किसी ने खिला है और हमे देख रहा है...पर मैं बिना उसकी परवाह किए तेज धार स्मिता के मुँह मे चोदता रहा......

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shubhs
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Re: चूतो का समुंदर

Post by shubhs »

अब कौन है
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
Vinay86731
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Vinay86731 »

Bahut khoob
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »


सहर मे ही...एक घर मे........


एक औरत हवा मे टांगे उठाए लेटी सिसक रही थी और संजू उसकी चूत मे लंड पेल रहा था ....

औरत- आअहह...और तेज बेटा...और तेज...आहह....आअहह...

संजू- हाँ आंटी...यीहह...ईएहह....

औरत- उफ़फ्फ़...क्या चोदता है रे...तभी मेरी बेटी...आहह...तुझसे चुदवाने लगी....

संजू- हाँ आंटी...पर आप तो उससे भी अच्छी हो...क्या मस्ती मे चुदवाती हो..ईएहह....

औरत- ह्म्म्मी...ऐसे ही...ज़ोर से....तेज मार ना...आहह...

संजू ताबड़तोड़ धक्के मारता रहता है और कुछ देर मैं दोनो झड जाते है...

थोड़ी देर बाद दोनो कपड़े पहन कर रूम से बाहर हॉल मे आ जाते है जहाँ एक लड़की और एक लड़का गेम खेल रहे थे...

लड़की ने संजू को देख तो स्माइल कर दी...

लड़की- तो...मोम...कर ली बातें...

औरत(मुस्कुरा कर)- ह्म्म्म ..खुल कर...मज़ेदार बातें करता है संजू...

लड़की(मुस्कुरा कर)- मैं जानती हूँ...

संजू- ओके..मैं चलता हूँ...कल मिलेगे...

औरत- ओके बेटा...पर याद रहे...मैने जो कहा था....

संजू- जी आंटी...ओके अमर बाइ...कल मिलता हूँ...

तभी गेम खेलते हुए उस लड़के ने संजू को बाइ बोला और फिर से गेम खेलने मे बिज़ी हो गया....

औरत- एक ये है...पूरा दिन बस गेम ही गेम...

लड़की- खेलने दो मोम..ये अपना गेम खेलता है ...तभी तो हम अपना गेम खेल पाते है...हाँ..

और फिर दोनो माँ-बेटी मुस्कुराते हुए अंदर चली गई....

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अकरम के घर...........


अकरम को जैसे ही मौका मिला उसने अपने रूम से बॅग लिया और वसीम के रूम मे अलमारी मे रखा हुआ सारा सामान अपने बॅग मे डाल दिया...जो समान वो ख़ुफ़िया रूम से लाया था...

फिर सबसे नज़रे बचाते हुए वो वापिस अपने रूम मे आया और बॅग को छिपा दिया....

अकरम- उफ़फ्फ़...थॅंक गॉड..किसी ने देखा नही...वरना हज़ारों सवाल पूछ लेता...

थोड़ी देर तक अकरम ये सोचता रहा कि अब उसे क्या करना चाहिए...क्या ये सब अंकित को बता दे या खुद ही सच की तलाश मे आगे बढ़े....

अकरम- बाकी सब तो सामान को देखने के बाद सोचुगा...पहले उस सवाल का जवाब तो ले लूँ...जिसका जवाब मेरी मोम ही दे सकती है...

और ये सोच कर अकरम परेशानी की हालत मे सबनम के रूम मे पहुँच गया....

सबनम- अरे अकरम..आओ बेटा...पर ये क्या...परेशान दिख रहे हो...

अकरम- कुछ नही मोम..बस ऐसे ही...मुझे आपसे कुछ पूछना था...

सबनम(मुस्कुरा कर)- तो पूछ ना...आ बैठ..और पूछ क्या पूछना है...

अकरम- जी...मैं..आपसे...एक सवाल...

अकरम एक सवाल पूछने के लिए बेस बनाने की कोसिस मे था..पर वो नाकाम हुआ..और उसके दिल मे चल रही कस्मकस सबनम को नज़र आ गई...

सबनम- बेटा...सब ठीक है ना...तू घबराया सा क्यो है..बात क्या है...ऐसा क्या स्वाल है तेरा...पूछ बेटा....

अकरम- ह्म..मोम...मेरे डॅड का नाम क्या है...

सबनम- क्या..ये क्या सवाल हुआ..हाँ..

अकरम- मोम...बताइए ना...मेरे डॅड का नाम क्या है....

सबनम(थोड़े गुस्से मे)- ये क्या मज़ाक है...डॅड का नाम नही पता..हाँ...

अकरम(घूरता हुआ...ज़ोर से)- मोम...मेरे डॅड का नाम क्या है...बताइए...

सबनम(गुस्से से)- पागल है क्या..तेरी हिम्मत...

अकरम(बीच मे, सबनम को गुस्से से घूरते हुए)- मोम...मेरे डॅड का नाम क्या है...बोलो....

सबनम , अकरम की आवाज़ सुनकर और उसकी दहक्ति आँखे देख कर सहम गई...

सबनम- व्व..वसीम ख़ान....

अकरम(सबनम की आँखो मे आँखे डाल कर)- क्या..??

सबनम - वसीम ख़ान..पर...

अकरम(बीच मे)- वसीम ख़ान...हाहाहा....

अकरम सीधा हो कर ठहाका मार उठा और फिर सबनम की आँखो मे देख कर बोला...

अकरम(चिल्ला कर)- मोम.... ये अनवर ख़ान कौन है...?????????????

अकरम की रौबदार आवाज़ सुनकर सबनम को ज़ोर का झटका लगा...पर अनवर का नाम सुन कर तो उसकी हिक्की बढ़ गई...

उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी...आँखे फटी की फटी रह गई और पूरे बदन मे सनसनी फैल गई....

अकरम गुस्से से अपनी मोम को घूर रहा था और सबनम तो जैसे कही और ही खो गई थी....

सबनम बिना पलके झपकाए अकरम का ये नया रूप देख रही थी...जो आज से पहले कभी सोचा भी नही था ...

दूसरी तरफ अकरम अपनी मोम का ये हाल देख कर समझ चुका था कि उसकी मोम ही वो सक्श है जो उसके सवालो के जवाब दे सकती है....

अकरम- मोम...मोम....

सबनम(जैसे नीद से जागी हो)- ह..हा...क्या हुआ...हाँ...

अकरम- मोम...अब बताओ...अनवर ख़ान कौन है...

सबनम- क्क़..कौन अनवर ख़ान...मैं नही जानती ....

अकरम- अच्छा...पर आपकी आँखे तो कुछ और ही बोल रही है....

सबनम- क्क़..क्या मतलब...मैं क्या झूट बोलूँगी...हाँ...

अकरम- हाँ...बिल्कुल झूठ...मैं जानता हूँ कि आप अनवर ख़ान को बहुत अच्छी तरह से जानती है...समझी आप...अब सच बोलो ...

सबनम- मैने कहा ना कि मैं किसी अनवर को नही जानती...कौन है ये...और तुझे क्या पड़ गई उसके बारे मे जानने की....

अकरम- तो आप ऐसे नही बोलेगी...ह्म्म ..लगता है आपको सब बताना ही होगा...फिर बोलोगि...

सबनम- क्क़..क्या बताना होगा..हा..तू क्या बताआयययययई.....

सन्नम ने बोलना सुरू ही किया था कि अकरम ने अपनी जेब से एक फोल्ड फोटो निकाल कर सबनम के सामने कर दी....फोटो के नीचे लिखा था...""मिस्टर & मिसेज़ ख़ान..""( मिस्टर.अनवर & मिसेज़.सबनम अनवर ख़ान)

अकरम- ये देखो...और अब बोलो....कौन है ये...अब बताओ...क्या अब भी यही कहोगी कि आप अनवर ख़ान को नही जानती...हाँ...

अकरम का गुस्सा उसकी आँखो मे आग बन कर उभर आया था...अब वो सिर्फ़ सच सुनना चाहता था ....और इसी लिए अपनी मोम को गुस्से से देखे जा रहा था.....

फोटो देखने के बाद तो सबनम की हालत और भी ज़्यादा खराब हो गई...उसकी आँखे पहले से ज़्यादा फट गई थी..और इस बार आँखो से आसू बह निकले थे......
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