चूतो का समुंदर
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
सबनम की शादी तो हो गई पर 2 महीने तक सरफ़राज़ और सबनम ने एक-दूसरे को टच भी नही किया.....
पर उसके बाद हालात नॉर्मल होने लगे और सबनम सरफ़राज़ के साथ नई जिंदगी सुरू करने लगी...
पर एक तरफ हालात ठीक हुए ही थे कि तभी एक दिन दोनो परिवारों को एक और बड़ा झटका लगा....
एक दिन जावेद, परवीन, परवेज़, गुलनार और सकील कार से किसी के घर शादी मे गये हुए थे....
वहाँ से वापिस आते वक़्त कुछ लुटेरों ने उन्हे लूटने की कोसिस की....उन्होने जब विरोध किया तो लुटेरे सबको मार कर भाग गये....
एक साथ 5 मौतें...और वो भी सहर के नामी परिवारों से....इस खबर से पूरा सहर दहल उठा...बहुत खोज-बीन हुई...पर कुछ हाथ नही लगा....
इन मौतों ने एक बार फिर से सबनम, सफ़राज़ और सादिया को हिला कर रख दिया....उनकी जिंदगी जैसे रुक सी गई थी...
फिर सरफ़राज़ ने सबनम और सादिया को संभाला और उस सहर मे दोनो परिवारों की सारी प्रॉपर्टी बेच कर इस सहर मे आ गये....ताकि जिंदगी नये सिरे से सुरू कर सके.....
प्रेज़ेंट मे...............
पूरी बात बोलते-बोलते सबनम की आँखो से आँसू बहने लगे थे...और अकरम की आँखे भी नम हो गई थी....
सबनम(आसू पोछ कर)-आहह...तो ये था पूरा सच....इसके आगे का तो तुम जानते ही हो....
अकरम(नम आँखो से)- मोम...
अकरम सिर्फ़ इतना ही बोल पाता है और सबनम को कस के गले लगा कर रो पड़ता है....
सबनम भी अपने बेटे से लिपट कर अपने आप को रोक नही पाती और दोनो रोने लगते है...
थोड़ी देर बाद जब दोनो के दिल का दर्द कुछ कम हुआ तो अकरम अपनी मोम से अलग होता है और उसके आँसू पोछ देता है....
अकरम- मोम...नही...आप रोओ मत....मैं जान चुका हूँ कि आपने कुछ ग़लत नही किया...आपने जो भी फैशला लिया वो आपका नही बल्कि मेरे डॅड का था...प्ल्ज़ मों...चुप हो जाइए....
सबनम- नही बेटा...आज मुझे रो लेने दे...कब्से अंदर ही अंदर घुट रही थी...यही सोच कर कि मेरे बच्चो को सच कैसे बताऊ....
अकरम- बस कीजिए मों..चुप हो जाइए प्ल्ज़...
थोड़ी देर तक अकरम ने अपनी मोम को चुप करवाया और फिर दोनो फ्रेश हो कर बातें कर ने लगे....
सबनम- बेटा...अब मुझे ये तो बता कि तुझे ये सारी फोटोस कहाँ से मिली....
अकरम- वो...वो मोम...ये तो वसीम ख़ान के कवर्ड से मिली...
सबनम- बेटा...उनका नाम मत लो....अब वो तुम्हारे डॅड है...समझे...
अकरम- ओके मोम...डॅड बोलूँगा...पर एक बात और बताइए....
सबनम- हाँ बोलो...
अकरम- अगर डॅड का नाम ..आइ मीन दूसरे डॅड का नाम सरफ़राज़ था..तो ये वसीम ख़ान....
सबनम- ह्म्म...मुझे पता था तू ये ज़रूर पूछेगा....असल मे बेटा...इस सहर मे आने के बाद हमने न्यू लाइफ सुरू की...इसी के चलते सरफ़राज़ ने अपना नाम वसीम रख लिया...क्योकि उनका कहना था कि सरफ़राज़ नाम सुनते ही उनके जख्म हरे हो जाते है....इसलिए यहाँ उन्हे सब वसीम ख़ान के नाम से जानने लगे....
अकरम- ओह...तो ये बात है....अच्छा मोम...एक बात और बताओगी...
सबनम- जो भी पूछना है बेझिझक पूछ बेटा....
अकरम- क्या आप वसीम ख़ान की रियल फॅमिली के बारे मे कुछ जानती है...कुछ भी..आइ मीन...वो कहाँ है...कैसे है...
सबनम- हाँ...उनकी रियल फॅमिली के बारे मे बताया तो था....वो किसी गाँव मे रहते थे...और शायद किसी हादसे मे उनकी मौत हो गई यही...
अकरम- ओह्ह...ओके मोम....अब आप सो जाइए...
सबनम- बेटा....और भी कुछ पूछना हो तो ज़रूर पूछना...मैं सारे सवालो के जवाब दुगी....
अकरम- ह्म्म...कोई सवाल होगा तो ज़रूर पूछुगा मोम...अभी आप सो जाइए....
सबनम- ह्म्म..तो चल..तू भी सो जा..मैं आज अपने बेटे को खुद सुलाउन्गी...
फिर सबनम ने अकरम अपने साथ लिटा लिया और उसका सिर सहलाते हुए नीद की आगोश मे चली गई....अकरम अभी भी जाग रहा था.....
अकरम(मन मे)- मोम...अभी तो मुझे कई सवालो के जवाब चाहिए आपसे....पर अभी आप रेस्ट करो....बाकी सवाल सुबह पूछुगा.....
और अकरम अपनी मों की बताई गई बातों के बारे मे सोचता हुआ सो गया........
- shubhs
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Re: चूतो का समुंदर
बिल्कुल आराम से
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
शीला के घर पर.........
डोर बेल बजते ही मैं और शीला चौंक गये....शीला तो घबरा ही गई थी....उसने जल्दी से अपनी नाइटी पहनी और मेरे साथ बाहर हॉल मे आ गई....
शीला- क्क़..कौन है....
वर्मा- मैं और कौन...खोल जल्दी..
शीला(मुझसे , धीरे से)- ओह माइ गॉड...मेरा पति आ गया...अब क्या होगा...
मैं- अरे...रिलॅक्स..कुछ नही होगा.... एक काम करो..गेट तब खोलना जब मैं छिप जाउ...और तेरे पति को अंदर आते ही बेडरूम मे ले जाना...तब तक मैं निकल जाउन्गा...ओके....
शीला- ऊ..ओके...
वर्मा- क्या हुआ...खोल ना...किसके साथ बिज़ी है...हाँ...
मैं- तुम गेट खोलो...मैं छिपता हूँ...
फिर मैं छिप गया और शीला ने गेट खोल दिया....
गेट खोलते ही वर्मा नशे मे लड़खड़ाता अंदर आया...उसे ड्राइवर पकड़े हुए था....
वर्मा- किसके साथ सो रही थी ...हाँ...
शीला- किसी के साथ नही...चलिए अंदर...कितनी पी रखी है...चलिए...
फिर शीला ने ड्राइवर को जाने को कहा और अपने पति को सहारा दे कर बेडरूम मे ले गई...
मैं भी मौका मिलते ही वहाँ से निकला और कार ले कर घर आ गया ....
मैं(मन मे)- बहन्चोद वर्मा...साले अभी ही आना था....भोसड़ी के कुछ देर बाद आता तो क्या बिगड़ जाता...
साला चूत मुँह ताल आ कर भी मुँह ना लगी....हॅट भैन्चोद....
मैं वर्मा को गालियाँ देते हुए घर पहुँच गया...
मैने सोचा कि किसी को डिस्टर्ब ना करू...इसलिए ड्यूप्लिकेट की (जो मेरे पास रहती थी) से गेट खोला और आराम से अंदर आ गया....
पर हॉल मे आते ही मुझे सुजाता के रूम की लाइट ऑन दिखी...
मैं(मन मे)- देखु तो...साली रंडी रूम मे कर क्या रही है...
मैं चुपके से गेट के पास गया और झुक कर कीहोल से देखने लगा...
सामने सुजाता लेटी हुई किसी से बातें कर रही थी...मैने कान लगा कर सुनना सुरू ही किया कि पहली लाइन सुन कर मेरा माथा ठनक गया......
सुजाता- बस भैया....कुछ दिन और...फिर आकाश भी ख़त्म और आज़ाद भी....दोनो मेरी मुट्ठी मे है....
सामने- $$$$$$$$$$$$$
सुजाता- हाँ भैया...ऐसा ही होगा....नही तो मैं भी सम्राट सिंग की बेटी नही.....
मैं- सुजाता...सम्राट सिंग की बेटी.....अब ये क्या चक्कर है.....??????
सुजाता की बात सुन कर तो मेरा दिमाग़ ही सुन्न पड़ गया.....
अब तक तो मैं ये सोच रहा था कि सुजाता सिर्फ़ दौलत के लिए हमारे पीछे पड़ी हुई है....पर यहा तो बात ही कुछ और है....
सुजाता तो सम्राट सिंग की बेटी है....मतलब सॉफ है...यहाँ कोई बड़ी गड़बड़ है....
क्योकि हो ना हो...सम्राट सिंग की दुश्मनी तो पैसो के लिए हो नही सकती....उसका तो खुद का महल है और साथ मे उसका शानदार घर....और फिर उसके गाँव मे उसका दव्दबा भी बहुत है...मतलब वो है तो रहीस इंसान....
तो अगर सम्राट हमारे पैसे के पीछे नही तो वजह क्या होगी....क्यो उसकी बेटी हमारे घर मे शादी कर के आई....क्या वजह हो सकती है....
मैं अपने माइंड मे सोचते-सोचते सुजाता के रूम से दूर आ कर सोफे पर बैठ गया था.....
एक मिनिट...क्या मेरे घरवालो को ये पता है कि उनके घर की बहू सम्राट की बेटी है....पहले ये बात पता करनी होगी....
मैने तुरंत फ़ोन निकाला और अपने आदमी से बात की....
( कॉल पर )
मैं- हेलो...आप कहाँ हो...
स- अभी तो घर पर हूँ...बोलो क्या हुआ...कुछ काम था....
मैं- घर पर हो...ओह...नही -नही..कोई काम नही था...बस मैने सोचा कि आप सीक्रेट हाउस पर होंगे....
स- सीक्रेट हाउस पर कुछ काम था क्या...
मैं- ह्म....नही ...कोई खास काम नही...कल सुबह मिलते है...फिर बात करेंगे...ओके...गुड'नाइट....
स- ओके...गुड'नाइट
जैसे ही मैने कॉल कट किया वैसे ही सुजाता के रूम का गेट खुल गया...और मैं उसके देखने के पहले उठ कर आगे जाने लगा....
सुजाता- अरे..अंकित बेटा...क्या कर रहे हो....सोए नही अभी तक....
मैं- नही आंटी...आक्च्युयली मैं संजू के घर गया था...बस अभी आया हूँ...
सुजाता- अभी आए...पर मुझे तो कोई आवाज़ नही आई...मतलब गेट किसने खोला....
मैं- किसी ने नही..मतलब मेरे पास एक की रहती है...तो बिना किसी को डिस्टर्ब किए आ गया....
सुजाता(मन मे)- थॅंक गॉड....आगे से ध्यान रखना होगा....कभी कुछ गड़बड़ भी हो सकती है...
मैं- वैसे आंटी आप क्यो जाग रही है अब तक...
सुजाता- म्म्मग..मैं...मैं तो बस...पता नही...मुझे नीद नही आ रही....
मैं- ओह..क्यो...कोई प्राब्लम...
सुजाता(मन मे)- यही सही मौका है...रात का वक़्त किसी को हुश्न के जाल मे फसाना आसान होता है...
मैं- क्या हुआ आंटी...कोई प्राब्लम है तो बोलो...
सुजाता- हाँ बेटा...प्राब्लम तो है...
मैं- बोलिए क्या प्राब्लम है...मैं सॉल्व करता हूँ...
सुजाता- ह्म्म..असल मे आज दिन मे मैने एक फिल्म देखी....मतलब उसका 1 सीन...
मैं- हाँ तो...सीन से क्या....
सुजाता- अरे बेटा...उस सीन को देखने के बाद ही से तो हालत खराब है मेरी...
मैं- ओह्ह...ऐसा क्या देख लिया ...मुझे बताइए...शायद मैं कुछ कर सकूँ....
सुजाता- हाँ बेटा....कर तो तू ही सकता है....और कोई नही...
मैं(मन मे)- ओह...शायद यही है जो कॅबिन मे स्मिता की चुदाई देख रही थी...देखता हूँ कि क्या बकती है....
सुजाता- क्यो बेटा करोगे ना...
मैं- मतलब...ऐसा क्या देख लिया आपने...बताओ तो सही...फिर मुझसे जो बन पड़ेगा वो करूगा....
सुजाता-ह्म्म...आओ रूम मे चल कर बात करते है....
मैं- रूम मे...हाँ क्यो नही...चलिए...पर मेरे रूम मे चलते है...
सुजाता - ह्म्म..चलो...
और फिर मैं सुजाता को साथ ले कर अपने रूम मे आ गया....
रूम मे आते ही हम बेड पर बैठ गये ....सुजाता आज फिर मुझसे चिपक कर बैठी थी....उसकी गान्ड मेरे जिश्म को छु कर हलचल मचा रही थी...
मैं- हाँ तो आंटी...अब बोलिए...क्या देखा आपने जिसने आपकी नीद उड़ा दी...
सुजाता(मुस्कुरा कर)- आज मैने वो जाना...जिससे अंजान थी...असल मे ऐसा सोचा नही था कि ये इतना जानदार होगा...
मैं- क्या...मैं कुछ समझा नही...आप किस बारे मे बोल रही है...ज़रा खुल कर बताइए....
सुजाता- ह्म्म...बेटा ...वो आज ऑफीस मे...वो ऑफीस मे....
मैं- आप हिचकिचाईए मत...खुल कर बोलिए ....तभी तो मैं कुछ कर पाउन्गा....
सुजाता- ह्म्म..असल मे आज मैने तुम्हारे कॅबिन मे कुछ.....मैं वो..तुझसे मिलने आ रही थी कि...
सुजाता फिर खामोश हो गई ...मुझे बात समझ आ चुकी थी...पर मैं उसके मुँह से सब निकलवाना चाहता था....
मैं- मेरे कॅबिन मे क्या...और आप मुझसे मिलने कब आई...मुझे तो याद नही...
सुजाता- आई थी...पर अंदर आती उसके पहले ही कुछ देख कर वापिस चली गई...
मैं- वापिस क्यो....और क्या देख कर वापिस चली गई ...खुल कर बताइए ना....
सुजाता- कैसे कहूँ...वो तुम उस औरत से बात कर रहे थे ना...तो मैं ...
मैं(बीच मे)- ओह्ह...तो आप तब आई थी...असल मे वो औरत मेरी फ्रेंड है...एक काम से आई थी....
सुजाता(आँखे मटका कर)- हाँ...मैने देखा था...अच्छा काम किया उसका...
मैं(डरने का नाटक कर के)- क्क़..क्या मतलब...आपने क्या देखा....
सुजाता(मन मे)- ये तो घबरा रहा है...चलो...अब इसे डरा कर ही काम निकलवाती हूँ...
मैं- बोलिए आंटी..आपने क्या देखा....
सुजाता(कमीनी मुस्कान दे कर)- अब जो भी देखा ....वो तुम्हारे डॅड को बता दूगी...ओके...
मैं- ड्ड..डॅड को...पर देखा क्या...बोलिए तो...
सुजाता- अब भी नही समझे...अरे बच्चू...मैने सब देख लिया कि तू कौन सा काम कर रहा था उस औरत के साथ...मैं सब तेरे डॅड को बताउन्गी...
मैं(सिर झुका कर)- ओह नो...मतलब आपने सब देख लिया...
सुजाता- ह्म्म..और अब एक-एक बात तेरे डॅड को बोलुगी...
मैं(सुजाता के हाथ पकड़ कर)- नही आंटी...प्ल्ज़...डॅड से कुछ मत कहना...वो..वो मुझे मार डालेगे ..प्ल्ज़ आंटी...
सुजाता(हाथ झटक कर)- छोड़ मुझे ...और सुन..मैं तेरे डॅड को सब बता दूगी...कि तू कैसे काम करता है...हुह...
मैं- आंटी प्ल्ज़...ऐसा मत करना...मैं बर्बाद हो जाउन्गा...प्ल्ज़ आंटी...
सुजाता- अच्छा...चल नही बताती...पर तुझे मेरी बात माननी पड़ेगी...
मैं- आप जो बोलो आंटी...पर प्ल्ज़ ...डॅड को नही बताना...प्ल्ज़ ..
सुजाता(मन मे)- अब आया ना काबू मे...अब देख मैं क्या करती हूँ...अपने जिश्म की भूख भी मिटाउंगी और तुझे अपनी उंगलियों पर भी नचाउन्गी...
मैं- बोलो ना आंटी...क्या सोचने लगी..आप डॅड को नही बोलेगी ना...
सुजाता- ह्म्म..नही बोलुगी...पर तुझे मेरा कहा मानना पड़ेगा...
मैं- हाँ आंटी...मैने बोला ना कि मैं हर बात मानूँगा....आप बस हुकुम करो....
सुजाता- अच्छा...तो चल..रूम का गेट लॉक करके आ...फिर बताती हूँ...
मैं किसी नौकर की तरह उसकी आग्या का पालन करने लगा.....
डोर बेल बजते ही मैं और शीला चौंक गये....शीला तो घबरा ही गई थी....उसने जल्दी से अपनी नाइटी पहनी और मेरे साथ बाहर हॉल मे आ गई....
शीला- क्क़..कौन है....
वर्मा- मैं और कौन...खोल जल्दी..
शीला(मुझसे , धीरे से)- ओह माइ गॉड...मेरा पति आ गया...अब क्या होगा...
मैं- अरे...रिलॅक्स..कुछ नही होगा.... एक काम करो..गेट तब खोलना जब मैं छिप जाउ...और तेरे पति को अंदर आते ही बेडरूम मे ले जाना...तब तक मैं निकल जाउन्गा...ओके....
शीला- ऊ..ओके...
वर्मा- क्या हुआ...खोल ना...किसके साथ बिज़ी है...हाँ...
मैं- तुम गेट खोलो...मैं छिपता हूँ...
फिर मैं छिप गया और शीला ने गेट खोल दिया....
गेट खोलते ही वर्मा नशे मे लड़खड़ाता अंदर आया...उसे ड्राइवर पकड़े हुए था....
वर्मा- किसके साथ सो रही थी ...हाँ...
शीला- किसी के साथ नही...चलिए अंदर...कितनी पी रखी है...चलिए...
फिर शीला ने ड्राइवर को जाने को कहा और अपने पति को सहारा दे कर बेडरूम मे ले गई...
मैं भी मौका मिलते ही वहाँ से निकला और कार ले कर घर आ गया ....
मैं(मन मे)- बहन्चोद वर्मा...साले अभी ही आना था....भोसड़ी के कुछ देर बाद आता तो क्या बिगड़ जाता...
साला चूत मुँह ताल आ कर भी मुँह ना लगी....हॅट भैन्चोद....
मैं वर्मा को गालियाँ देते हुए घर पहुँच गया...
मैने सोचा कि किसी को डिस्टर्ब ना करू...इसलिए ड्यूप्लिकेट की (जो मेरे पास रहती थी) से गेट खोला और आराम से अंदर आ गया....
पर हॉल मे आते ही मुझे सुजाता के रूम की लाइट ऑन दिखी...
मैं(मन मे)- देखु तो...साली रंडी रूम मे कर क्या रही है...
मैं चुपके से गेट के पास गया और झुक कर कीहोल से देखने लगा...
सामने सुजाता लेटी हुई किसी से बातें कर रही थी...मैने कान लगा कर सुनना सुरू ही किया कि पहली लाइन सुन कर मेरा माथा ठनक गया......
सुजाता- बस भैया....कुछ दिन और...फिर आकाश भी ख़त्म और आज़ाद भी....दोनो मेरी मुट्ठी मे है....
सामने- $$$$$$$$$$$$$
सुजाता- हाँ भैया...ऐसा ही होगा....नही तो मैं भी सम्राट सिंग की बेटी नही.....
मैं- सुजाता...सम्राट सिंग की बेटी.....अब ये क्या चक्कर है.....??????
सुजाता की बात सुन कर तो मेरा दिमाग़ ही सुन्न पड़ गया.....
अब तक तो मैं ये सोच रहा था कि सुजाता सिर्फ़ दौलत के लिए हमारे पीछे पड़ी हुई है....पर यहा तो बात ही कुछ और है....
सुजाता तो सम्राट सिंग की बेटी है....मतलब सॉफ है...यहाँ कोई बड़ी गड़बड़ है....
क्योकि हो ना हो...सम्राट सिंग की दुश्मनी तो पैसो के लिए हो नही सकती....उसका तो खुद का महल है और साथ मे उसका शानदार घर....और फिर उसके गाँव मे उसका दव्दबा भी बहुत है...मतलब वो है तो रहीस इंसान....
तो अगर सम्राट हमारे पैसे के पीछे नही तो वजह क्या होगी....क्यो उसकी बेटी हमारे घर मे शादी कर के आई....क्या वजह हो सकती है....
मैं अपने माइंड मे सोचते-सोचते सुजाता के रूम से दूर आ कर सोफे पर बैठ गया था.....
एक मिनिट...क्या मेरे घरवालो को ये पता है कि उनके घर की बहू सम्राट की बेटी है....पहले ये बात पता करनी होगी....
मैने तुरंत फ़ोन निकाला और अपने आदमी से बात की....
( कॉल पर )
मैं- हेलो...आप कहाँ हो...
स- अभी तो घर पर हूँ...बोलो क्या हुआ...कुछ काम था....
मैं- घर पर हो...ओह...नही -नही..कोई काम नही था...बस मैने सोचा कि आप सीक्रेट हाउस पर होंगे....
स- सीक्रेट हाउस पर कुछ काम था क्या...
मैं- ह्म....नही ...कोई खास काम नही...कल सुबह मिलते है...फिर बात करेंगे...ओके...गुड'नाइट....
स- ओके...गुड'नाइट
जैसे ही मैने कॉल कट किया वैसे ही सुजाता के रूम का गेट खुल गया...और मैं उसके देखने के पहले उठ कर आगे जाने लगा....
सुजाता- अरे..अंकित बेटा...क्या कर रहे हो....सोए नही अभी तक....
मैं- नही आंटी...आक्च्युयली मैं संजू के घर गया था...बस अभी आया हूँ...
सुजाता- अभी आए...पर मुझे तो कोई आवाज़ नही आई...मतलब गेट किसने खोला....
मैं- किसी ने नही..मतलब मेरे पास एक की रहती है...तो बिना किसी को डिस्टर्ब किए आ गया....
सुजाता(मन मे)- थॅंक गॉड....आगे से ध्यान रखना होगा....कभी कुछ गड़बड़ भी हो सकती है...
मैं- वैसे आंटी आप क्यो जाग रही है अब तक...
सुजाता- म्म्मग..मैं...मैं तो बस...पता नही...मुझे नीद नही आ रही....
मैं- ओह..क्यो...कोई प्राब्लम...
सुजाता(मन मे)- यही सही मौका है...रात का वक़्त किसी को हुश्न के जाल मे फसाना आसान होता है...
मैं- क्या हुआ आंटी...कोई प्राब्लम है तो बोलो...
सुजाता- हाँ बेटा...प्राब्लम तो है...
मैं- बोलिए क्या प्राब्लम है...मैं सॉल्व करता हूँ...
सुजाता- ह्म्म..असल मे आज दिन मे मैने एक फिल्म देखी....मतलब उसका 1 सीन...
मैं- हाँ तो...सीन से क्या....
सुजाता- अरे बेटा...उस सीन को देखने के बाद ही से तो हालत खराब है मेरी...
मैं- ओह्ह...ऐसा क्या देख लिया ...मुझे बताइए...शायद मैं कुछ कर सकूँ....
सुजाता- हाँ बेटा....कर तो तू ही सकता है....और कोई नही...
मैं(मन मे)- ओह...शायद यही है जो कॅबिन मे स्मिता की चुदाई देख रही थी...देखता हूँ कि क्या बकती है....
सुजाता- क्यो बेटा करोगे ना...
मैं- मतलब...ऐसा क्या देख लिया आपने...बताओ तो सही...फिर मुझसे जो बन पड़ेगा वो करूगा....
सुजाता-ह्म्म...आओ रूम मे चल कर बात करते है....
मैं- रूम मे...हाँ क्यो नही...चलिए...पर मेरे रूम मे चलते है...
सुजाता - ह्म्म..चलो...
और फिर मैं सुजाता को साथ ले कर अपने रूम मे आ गया....
रूम मे आते ही हम बेड पर बैठ गये ....सुजाता आज फिर मुझसे चिपक कर बैठी थी....उसकी गान्ड मेरे जिश्म को छु कर हलचल मचा रही थी...
मैं- हाँ तो आंटी...अब बोलिए...क्या देखा आपने जिसने आपकी नीद उड़ा दी...
सुजाता(मुस्कुरा कर)- आज मैने वो जाना...जिससे अंजान थी...असल मे ऐसा सोचा नही था कि ये इतना जानदार होगा...
मैं- क्या...मैं कुछ समझा नही...आप किस बारे मे बोल रही है...ज़रा खुल कर बताइए....
सुजाता- ह्म्म...बेटा ...वो आज ऑफीस मे...वो ऑफीस मे....
मैं- आप हिचकिचाईए मत...खुल कर बोलिए ....तभी तो मैं कुछ कर पाउन्गा....
सुजाता- ह्म्म..असल मे आज मैने तुम्हारे कॅबिन मे कुछ.....मैं वो..तुझसे मिलने आ रही थी कि...
सुजाता फिर खामोश हो गई ...मुझे बात समझ आ चुकी थी...पर मैं उसके मुँह से सब निकलवाना चाहता था....
मैं- मेरे कॅबिन मे क्या...और आप मुझसे मिलने कब आई...मुझे तो याद नही...
सुजाता- आई थी...पर अंदर आती उसके पहले ही कुछ देख कर वापिस चली गई...
मैं- वापिस क्यो....और क्या देख कर वापिस चली गई ...खुल कर बताइए ना....
सुजाता- कैसे कहूँ...वो तुम उस औरत से बात कर रहे थे ना...तो मैं ...
मैं(बीच मे)- ओह्ह...तो आप तब आई थी...असल मे वो औरत मेरी फ्रेंड है...एक काम से आई थी....
सुजाता(आँखे मटका कर)- हाँ...मैने देखा था...अच्छा काम किया उसका...
मैं(डरने का नाटक कर के)- क्क़..क्या मतलब...आपने क्या देखा....
सुजाता(मन मे)- ये तो घबरा रहा है...चलो...अब इसे डरा कर ही काम निकलवाती हूँ...
मैं- बोलिए आंटी..आपने क्या देखा....
सुजाता(कमीनी मुस्कान दे कर)- अब जो भी देखा ....वो तुम्हारे डॅड को बता दूगी...ओके...
मैं- ड्ड..डॅड को...पर देखा क्या...बोलिए तो...
सुजाता- अब भी नही समझे...अरे बच्चू...मैने सब देख लिया कि तू कौन सा काम कर रहा था उस औरत के साथ...मैं सब तेरे डॅड को बताउन्गी...
मैं(सिर झुका कर)- ओह नो...मतलब आपने सब देख लिया...
सुजाता- ह्म्म..और अब एक-एक बात तेरे डॅड को बोलुगी...
मैं(सुजाता के हाथ पकड़ कर)- नही आंटी...प्ल्ज़...डॅड से कुछ मत कहना...वो..वो मुझे मार डालेगे ..प्ल्ज़ आंटी...
सुजाता(हाथ झटक कर)- छोड़ मुझे ...और सुन..मैं तेरे डॅड को सब बता दूगी...कि तू कैसे काम करता है...हुह...
मैं- आंटी प्ल्ज़...ऐसा मत करना...मैं बर्बाद हो जाउन्गा...प्ल्ज़ आंटी...
सुजाता- अच्छा...चल नही बताती...पर तुझे मेरी बात माननी पड़ेगी...
मैं- आप जो बोलो आंटी...पर प्ल्ज़ ...डॅड को नही बताना...प्ल्ज़ ..
सुजाता(मन मे)- अब आया ना काबू मे...अब देख मैं क्या करती हूँ...अपने जिश्म की भूख भी मिटाउंगी और तुझे अपनी उंगलियों पर भी नचाउन्गी...
मैं- बोलो ना आंटी...क्या सोचने लगी..आप डॅड को नही बोलेगी ना...
सुजाता- ह्म्म..नही बोलुगी...पर तुझे मेरा कहा मानना पड़ेगा...
मैं- हाँ आंटी...मैने बोला ना कि मैं हर बात मानूँगा....आप बस हुकुम करो....
सुजाता- अच्छा...तो चल..रूम का गेट लॉक करके आ...फिर बताती हूँ...
मैं किसी नौकर की तरह उसकी आग्या का पालन करने लगा.....
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Re: चूतो का समुंदर
सुजाता(मन मे)- अच्छा फसा बच्चू....सोचा नही था कि इतना आसान होगा...ये तो फत्तु निकला....आकाश की औलाद और फत्तु...लगता नही था...
मैं(मन मे)- आज तू जो करना चाहे कर ले....और आज तू सिर्फ़ मेरी आक्टिंग देख...बाद मे तुझे बताउन्गा कि मैं क्या चीज़ हू...
मैं गेट लॉक कर के आया तो देखा कि सुजाता बेड के सिरहाने से टिक कर आधी लेटी हुई थी...
सुजाता- हाँ...चल मेरे लिए एक पेग तो बना...गला सूख रहा है...
मैने तुरंत एक पेग बना कर दे दिया...
सुजाता(पेग लगाते हुए)- अब आजा...मेरे पैर दबा...बहुत थकान हो रही है...
मैं- जी आंटी ..अभी दबाता हूँ...
फिर सुजाता पेग लगाती रही और मैं उसके पैर दबाता रहा....
मेरे हाथ सुजाता के घुटनो से होते हुए उसकी नरम जाघो तक पहुँच गये थे....
मैने उसकी नरम जाघे दबाता और सुजाता सिसक पड़ती....थोड़ी देर बाद ही मैं और सुजाता दोनो गरम होने लगे...
मेरा लंड तो जल्दी ही तन गया था क्योकि मैं शीला के घर से बिना शांत हुए आया था...
सुजाता(मन मे)- अब इससे अपनी प्यास भुजवाती हूँ...और इसे तड़पाना भी तो है...
सुजाता ना मुझे रोक कर अपनी नाइटी निकाल दी और लेट कर मुझे अपने नंगे जिश्म के दीदार करवाने लगी...
सुजाता- उउंम...अब तू मेरी प्यास बुझा दे...
मैं- ओके..मैं कपड़े निकाल देता हूँ...
सुजाता- नही...ऐसे ही बैठा रह....तू बस मेरी चूत चाट...और कुछ नही...समझा...
मैं- जी आंटी...
सुजाता मेरा घबराया हुआ चेहरा देख कर खुश हो रही थी...और मैं अपने गुस्से को काबू किए हुए आक्टिंग किए जा रहा था....
मैं जैसे ही सुजाता के पैरों के पास आया तो उसके अपनी टांगे खोल कर अपनी चूत दिखा दी और मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर दिया...मैने भी देर नही की और अपना मुँह चूत पर लगा दिया....
मैं- सस्स्स्रर्र्ररुउुुउउप्प्प्प्प्प्प....सस्स्र्र्ररुउुुउउप्प्प्प्प्प्प......
सुजाता- आआहह....बस ऐसे ही चाट...आअहह....
मैं- सस्स्स्र्र्ररुउुउउप्प्प्प.....सस्स्स्र्र्ररुउउउप्प्प्प्प.....
सुजाता- उउउम्म्म्म....अच्छा चाट ता है तू....करते रहो....आअहह....
मैं(मन मे)- साली की चूत तो मस्त है....अभी टाइट लगती है...भोसड़ा नही बना इसका....खैर...मैं इसका भोसड़ा बना कर छोड़ूँगा....
सुजाता- आअहह....अब चाट ता ही रहेगा क्या....जीभ को चूत मे डाल और अंदर तक चाट...
मैने तुरंत जीभ को नुकीला कर के सुजाता की चूत मे डाल दिया और जीभ से चोदने लगा....
मैं- उउउंम्म...य्यी...य्यी...यययी....
सुजाता- आआहह...और अंदर...हाँ...ऐसे ही....पूरी जीभ घुसेड दे साले....आअहह....
मैं- यययी...य्यी...यययी...उूउउंम्म...
सुजाता- ओह माँ....क्या मस्त करता है कमीने....करता रह...ज़ोर से....
थोड़ी देर बाद सुजाता ने मेरा सिर चूत पर दबा दिया और उसकी पूरी चूत मेरे मुँह मे भर गई और मैं चूसने लगा....
मैं- उउउंम्म...उउउम्म्म्म....उउउम्म्म्म...उूउउम्म्म्म....
सुजाता- आआहह....चूस कमीने चूस....चूस कर निकाल ले पूरा रस...आअहह...ज़ोर से....उूउउम्म्म्म.....
मैं- उूउउम्म्म्म....उूउउंम्म....उूउउम्म्म्मम....उउउम्म्म्म....
सुजाता- आआहह....थोड़ा और....बस...ऐसे ही....आआहह....क्या चूस्ता है...उूउउम्म्म्ममम....
थोड़ी देर की चूत चुसाइ के बाद सुजाता ने अपना चूत रस मेरे मुँह मे छोड़ दिया...और मेरे सिर को और ज़ोर से चूत पर दबा दिया......
सुजाता- आआहह....निकल गया रे....आआओउउउम्म्म्म...पी ले साले.....पी ले....
सुजाता ने अपना चूत रस निकाल पिला कर मुझे अलग किया और लंबी-लंबी साँसे लेने लगी.....
सुजाता- ओह्ह्ह...क्या चूस्ता है तू...आअहह...मज़ा आ गया....बरसो बाद इतना झड़ी हूँ....आअहह...
मेरा लंड भी अब फुल फॉर्म मे आ चुका था...पर मैं चुप चाप बैठा रहा....
सुजाता- अब ऐसे ही मेरी बात मानते रहना...वरना....तू समझ गया ना...
मैं- जी आंटी...पर आंटी...मेरा भी मूड हो गया....तो...
सुजाता- तो जा बाथरूम मे और हिला ले...ये तो सोचना ही मत कि मैं तेरे नीचे आउगि...हुह...मैं चली सोने...तू हिलाता रह...और हाँ..मेरी बात याद रखना...समझा...
फिर सुजाता उठी और नाइटी पहन कर रूम से निकल गई....
मैने भी उसके जाते ही एक कॉल किया और फिर अपने आप से बातें करने लगा......
मैं(अपने आप से)- सॉरी अंकित...इतना जॅलील होने के लिए....पर क्या करू...दुश्मन को सामने लाने के लिए एक पुरानी तरकीब अपना रहा हूँ...सॉरी...
वो कहते है ना कि आप कमजोर पड़ जाओ तो दुश्मन अपने को होसियार समझ लेता है और होशियारी मे वो बेफ़िक्र हो कर बाहर आ जाता है फिर उसे मिटाना आसान हो जाता है....बस ..मैने भी वही किया...
सुजाता अपनी मस्ती मे कोई ग़लती ज़रूर करेगी...उसके पीछे छिपा मास्टरमाइंड बाहर ज़रूर आएगा....क्योकि सुजाता अकेले तो कुछ कर ही नही सकती....और एक बार मुझे वो मास्टरमाइंड हाथ लगेगा ना..फिर हिसाब चुकता करूगा....सूद समेत....
तभी मेरे रूम मे सविता एंटर हुई....
सविता- क्या हुआ बेटा...इतनी रात को क्यो बुलाया...सब ठीक है ना...
मैं- मुझे भूख लगी है....और तुम उसे मिटाओगी....
सविता(मुस्कुरा कर)- ओह...तो देर किस बात की...तुम्हारी भूख मिटाने तो मैं हमेशा तैयार रहती हूँ....
फिर क्या था..थोड़ी ही देर मे हम दोनो नंगे थे और सविता मेरे लंड को चूस रही थी....
सविता- उउउम्म्म्म...उउउंम्म...
मैं- चूस...और तेज...आज तेरी फाड़ कर रख दूँगा....
सविता अपना काम करती रही और मैं सुजाता का गुस्सा सविता पर निकालने को तैयार था....
मैने सविता को कुतिया बनाया और ताबड़तोड़ गान्ड मारने लगा....
मैने 2 घंटे तक सविता को चोदता रहा और जब मेरा गुस्सा उतर गया तो उसे भेज कर सो गया.....
- shubhs
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- Joined: 19 Feb 2016 06:23
Re: चूतो का समुंदर
सही किया
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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