चूतो का समुंदर

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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

तुम्हारे डॅड मेरे भाई के सबसे ख़ास दोस्त थे...और मेरी भाभी , तुम्हारे डॅड की सबसे लाडली बहेन थी...तुम्हारी छोटी बुआ....
आंटी की ये बात सुनकर तो मैं अवाक रह गया....मुझे समझ आ गया कि आंटी धर्मेश की बात कर रही है....
पर आंटी और धर्मेश की बेहन...इसका तो डाइयरी मे कोई ज़िक्र ही नही था...
मेरा दिल तो कर रहा था कि आंटी से सब सॉफ बात कर लूँ...पर मैं ये देखना चाहता था कि उस रात के बारे मे आंटी क्या बोलती है, जिस रात मेरी छोटी बुआ और धर्मेश की मौत हुई थी....
आंटी- चौंक मत बेटा...मैं सच बोल रही हूँ...मेरे भाई ने आकाश की बेहन से लव मेरिज की थी...जो आकाश को मंजूर नही थी...इसलिए गुस्से मे आकर आकाश ने मेरे भाई धर्मेश को मार डाला...
और फिर तेरी बुआ यानी मेरी भाभी ने अपने आप को ख़त्म कर लिया....
मेरे पापा धर्मेश भाई की मौत के बाद टूट गये और अटॅक आने से मर गये...इसी गम मे मेरी माँ भी ज़्यादा दिन तक जी नही पाई....
आंटी अपनी बात कहते -कहते रोने लगी...और वजह मैं समझ सकता था....
आंटी(आसू पॉच कर)- बेटा, तुझे पता है...तेरे डॅड और मेरे धर्मेश भाई बहुत ख़ास दोस्त थे...
दोनो हमेशा साथ रहते थे...उन दोनो ने कई अच्छे और बुरे काम साथ-साथ ही किए...
यहाँ तक कि सेक्स के मामले भी दोनो साथ मे होते थे...दोनो ने कई लड़कियो और औरतों को साथ मे चोदा था...
यही एक वजह थी कि तुम्हारे डॅड को धर्मेश का रिश्ता अपनी बेहन के साथ पसंद नही था...
अगर वो गाओं मे होता तो शायद ये शादी कभी नही हो पाती...पर वो उस टाइम गाओं मे नही था...
मैं- क्यो...कहाँ गये थे...
आंटी- असल मे तुम्हारी बड़ी बुआ की शादी के टाइम कुछ प्राब्लम हो गई थी...
वहाँ तुम्हारे दादाजी के दोस्त की बीवी ने इल्ज़ाम लगाया था कि आकाश ने उसका रेप किया..और उसके पास रेप की एक रेकॉर्डिंग भी थी....सही या ग़लत...पता नही....
तो गाओं वालो मे तुम्हारे दादाजी के नाम की वजह से आकाश को पोलीस मे नही दिया...बस गाओं से निकाल दिया था...
इसी सदमे मे तुम्हारी दादी भी गुजर गई थी....
और बेटा...जब आकाश को पता चला कि उसकी बेहन की शादी धर्मेश से हुई तो वो आग-बाबूला हो गया ...
और धर्मेश के साथ-साथ, सरिता और सुभास को भी मार डाला...सुभास और कोई नही..बल्कि तुम्हारे बड़े फूफा जी थे...
बस तभी से मैं नफ़रत करती हूँ तेरे डॅड से...और उनकी जान लेना चाहती थी....
मैं- तो आपने अब तक इंतज़ार क्यो किया ..आप पहले ही मार देती ...
आंटी- बेटा...मैं बस तुझे देख कर ही अपने बदले के बारे मे भूल जाती थी...और भूल भी गई थी...पर..
मैं- पर क्या आंटी..??
आंटी- पर ये कि जबसे कामिनी लोगो के टच मे आई तो बदले की आग फिर से भड़क उठी...
मैं- ह्म्म...पर आंटी...मैं तो बाद मे आया था...तो आपने डॅड को क्यो नही मार डाला...
आंटी- वो इसलिए की तेरे डॅड की जान और मेरी जान एक ही थी...
मैं- क्या मतलब...??
आंटी- अलका...तेरी माँ...वो तेरे डॅड की जान थी...और वो मेरी भी जान थी...मेरी सबसे ख़ास सहेली...हमारा रिश्ता बहनो से बढ़कर था बेटा...तो तू ही बता कि मैं उसके पति को कैसे कुछ कर पाती...
मैं- आंटी..मैं कुछ समझा नही...अगर मेरी माँ आपकी ख़ास सहेली थी...तो आपको कैसे पता नही चला कि वो आपके भाई के दोस्त के साथ...
आंटी(बीच मे)- मैं नही जानती थी कि आकाश कौन है...मैने भाई के दोस्त को सालो से नही देखा था और ना ही उसने मुझे...और फिर हमारी अलका के साथ ऐसी कोई बात भी नही हुई कि हम जान पाते की हम एक ही गाओं के है...
मैं- ह्म्म्मा...ये बात है...अच्छा आंटी..एक बात बताइए...क्या किसी ने देखा था कि मेरे डॅड ने आपके भाई को मारा...
आंटी(सोचते हुए)- नही..पर..
मैं(बीच मे)- क्या कोई वहाँ मौजूद था..जो बता सके कि सच क्या है..कोई भी..
आंटी- नही बेटा...पर गाओं वालो ने...
मैं(बीच मे)- तो इसका मतलब...ये सिर्फ़ सुनी सुनाई बाते है..कोई सबूत नही..कोई गवाह नही...
आंटी(मुझे आँख फेड देखते हुए)- हाँ...पर तू कहना क्या चाहता है...
मैं- आंटी...जो आपने सुना वो सही हो ये मुमकिन है...पर ग़लत भी हो सकता है ना...शायद असलियत कुछ और ही हो...शायद ...
आंटी- हो सकता है...पर तुम्हारी बुआ ने खुद सबके सामने बोला था कि आकाश ने धर्मेश को मार डाला...वहाँ सब लोग थे ...कुछ गाओं के और तुम्हारे परिवार वाले भी...
मैं- हूँ...बट ये झूठ भी हो सकता है ना...
आंटी- अच्छा...बेटा तुम ये इसलिए बोल रहे हो क्योकि वो तुम्हारे डॅड है...है ना...
मैं- नही आंटी...मैं बस सब कुछ सुनने के बाद इस नतीजे पर पहुचा हूँ...हो सकता है कि मैं ग़लत निकलु...पर ये भी हो सकता है की मैं सही निकलु...
आंटी- मैं..मैं कुछ समझी नही...
मैं- समझाता हूँ आंटी...देखो..आपने ही बोला कि मेरे डॅड आपके भाई के बहुत ख़ास दोस्त थे...और मेरी बुआ मेरे डॅड की सबसे लाडली बहेन थी..है ना....
आंटी- हाँ...ये दोनो आकाश के लिए बहुत ख़ास थे...और प्यारे भी..
मैं- फिर भी आपको लगता है कि मेरे डॅड ने अपने खास दोस्त को जान से मार दिया...हाँ...क्या इतनी कमजोर दोस्ती थी...और फिर धर्मेश उनकी लाडली बहेन के पति भी तो थे...क्या मेरे डॅड इतने बुरे थे जो गुस्से मे ये भी भूल गये कि धर्मेश ना सिर्फ़ उनका दोस्त है बल्कि उनकी प्यारी बेहन का सुहाग भी है...बोलो आंटी...
आंटी मेरी बात सुन कर सन्न रह गई...उनके पास कोई जवाब नही था...
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

मैं- आंटी...आप तो मेरी माँ की खास सहेली थी...क्या उन्होने आपको मेरे डॅड के नेचर के बारे मे कुछ नही बताया...
आंटी- हूँ..बताया था...
मैं- तो क्या बताया ...क्या मेरे डॅड इतने गुस्से वाले है...पत्थर दिल है..हाँ...
आंटी- नही..अलका ने तो यही बताया कि वो बहुत प्यार करने वाला...शांत..सुर इमोशनल है...
मैं- हाँ..मैने भी आज तक अपने डॅड को गुस्सा करते नही देखा...कभी नही...अब बोलिए आपको सुनी हुई बात पर पूरा यकीन है...??
आंटी- नही पता...ये सब सुनकर तो नही...पर जो लोगो ने देखा वो...??
मैं- वो...उसका पता लगाना होगा...
आंटी- पर..पर कैसे..और कौन लगाएगा...??
मैं- पता मैं लगाउन्गा...क्योकि मुझे यकीन है कि जो भी हुआ...वो कोई नही जानता...सब अंधेरे मे है...
आंटी- बेटा मैं..क्या कहूँ...मुझे कुछ समझ नही आ रहा...
मैं- आप मेरा साथ देगी...??
आंटी- मतलब...??
मैं- आंटी...मैं सब सच्चाई बाहर लाना चाहता हूँ...और साथ मे अपने दुश्मनो को भी ख़त्म करना चाहता हूँ...इसके लिए मुझे सब कुछ जानना होगा..सब कुछ...
आंटी- सब कुछ क्या..??
मैं- वो सब...जिसकी वजह से ये दुश्मनी हुई...मैं जानना चाहता हूँ कि दामिनी, कामिनी, रिचा, विनोद और दीपा...क्यो मेरे डॅड के दुश्मन है...क्या बिगाड़ा है हमने इनका...सब कुछ..
आंटी- ह्म्म..मैं सब बताउन्गी...जो भी मैं जानती हूँ...पर मेरा क्या...मेरे लिए क्या करेगा तू..
मैं- आपके लिए...मैं सच पता करूगा....अगर आपकी बात सही है तो मेरे डॅड को सज़ा मिलेगी...क़ानूनन....और सच कुछ और है...तो असली कातिल को मैं खुद सज़ा दूँगा...
आंटी- पर तू ये सब करेगा कैसे बेटा...
मैं- मेरे साथ मेरी एक माँ का आशीर्वाद है...और दूसरी माँ का साथ...अब मुझे क्या फ़िक्र...कर लूँगा आंटी...
मेरी बात सुनकर आंटी के चेहरे पर खुशी दौड़ गई...और आंटी ने मेरा सिर चूम लिया...
आंटी- ठीक है बेटा...तुम्हारी माँ तुम्हारे साथ है...बोलो..क्या करना होगा...
मैं- सबसे पहले मुझे आपके सभी साथियों का नाम बताइए और फिर उनकी दुश्मनी की वजह...
और हाँ..मैं उस घटना को डीटेल मे जानना चाहूगा जब आपके भाई यानी मेरे फूफा जी और मेरी बुआ की मौत हुई थी...
आंटी- हाँ बेटा..वो मनहूस घटना मुझे अच्छी तरह से याद है...मैं वहाँ थी तो नही...पर जो सुना वो बताती हूँ....सब बताती हू...
गाओं मे एक घर मे धर्मेश और आरती खुशी-खुशी रह रहे थे...
आरती की बड़ी बेहन भी उसी गाओं मे अपने पति और बच्चे के साथ रहती थी...
आज़ाद की दोनो बेटियाँ खुश थी...ये देख कर आज़ाद को अपने बेटे की जुदाई का गम भी कम होता था...
सब ठीक चल रहा था...
एक शाम को धर्मेश अपनी बीवी और बेटी के साथ सुनहरे पल बिता रहा था कि तभी वहाँ सुभाष भी सरिता के साथ आ गया....
सरिता सबको अपने घर पर बेटी के जन्मदिन की पार्टी को बुलाने आई थी...वो अभी सुभास के घर से ही आ रही थी....और सुभाष को साथ ले आई...
सभी हँसते - बोलते चाइ नाश्ता करने मे बिज़ी थे...
तभी बाहर एक आदमी चिल्लाते हुए आ गया...
आदमी- धर्मेश बाबू...धर्मेश बाबू...
आदमी की आवाज़ मे बहुत डर भरा हुआ था...
धर्मेश जल्दी से बाहर आ गया...
धर्मेश- क्या हुआ ...
आदमी- बाबू जी...छोटे मालिक (आकाश) आ रहे है...बड़े गुस्से मे है....
धर्मेश(डरते हुए)- कहाँ देखा तूने...
आदमी- वहाँ....चोपाल के पास...हरिया की बैलगाड़ी रास्ता रोके हुए खड़ी थी...तो वही फसे है कार मे....आते ही होगे...बड़े गुस्से मे है बाबू...
धर्मेश- ह्म्म...तू जा और आज़ाद अंकल को बुला ला...जल्दी...
आदमी आज़ाद को बुलाने चला गया और धर्मेश डरा हुआ अंदर चला आया...
जब धर्मेश ने ये बात अंदर बताई तो सबके होश उड़ गये....आरती की तो जान ही हलक मे आ गई...
आरती- भैया...यहाँ...उन्हे पता चल गया क्या...??
धर्मेश- लगता तो यही है...मैने पहले ही कहा था कि उसे बता देते है कि हम शादी करना चाहते है..पर तुम और तुम्हारे पापा...
आरती(बीच मे)- वो मार डालेगे मुझे...क्या करूँ...
घर के अंदर सब घबरा रहे थे...
और जब वो आदमी आज़ाद को बुला कर भागता हुआ वापिस आ रहा था तो उसने 3 गोलिया चलने की आवाज़ सुनी...
गोलियों की आवाज़ सुन कर वो वही बैठ गया...उसके पैर जाम हो गये...उसे कुछ दिखाई ही नही दे रहा था...
थोड़ी देर बाद उसे होश आया तो वो फिर से भागा और धर्मेश के घर पहुच गया...
वहाँ उसने देखा कि आकाश की कार बाहर ही खड़ी है...
वो कुछ बोलता या करता..उसके पहले आरती रोती हुई बाहर आ गई...उसके हाथ मे एक पिस्टल थी...
आरती- कोई है..कोई है...देखो आकाश ने मेरे पति को मार डाला....कोई है...
और आरती ज़ोर से रोने लगी...
तभी आकाश भी बाहर आ गया और उसके हाथ मे भी पिस्टल थी...
दूसरी तरफ आज़ाद भी कुछ गाँव वालो के साथ आ गया...और सामने का नज़ारा देख कर सन्न रह गया...
थोड़ी ही देर बाद आरती ने आकाश के पास जा कर अपने आप को गोली मार ली और ढेर हो गई...
किसी को कुछ समझ नही आया...
जब सबने अंदर जा कर देखा तो सिर्फ़ 3 लाशे पड़ी हुई थी...और कोई नही था वहाँ...
सबने आकाश को ज़िम्मेदार माना...पर आकाश सिर्फ़ रोता रहा...कुछ नही बोला...
गाओं वालो ने आज़ाद की वजह से आकाश को पोलीस के हवाले नही किया ..बस गाओं से निकाला दे दिया...जो पहले ही निकल चुके थे....
आकाश ने जाते-जाते आज़ाद से बात करना चाही..पर आज़ाद ने एक ना सुनी..और आकाश को थप्पड़ मारते हुए गाओं से बाहर कर दिया.....
ये बात आज़ाद की वजह से गाओं मे ही दब गई....और सच हमेशा के लिए दफ़न हो गया...
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

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आज़ाद के अच्छे कामो ने आकाश को बचा तो लिया....पर आज़ाद की दोनो बेटियों का परिवार तबाह हो गया और मदन का भी....
इसी के साथ आरती की बेटी भी हमेशा के लिए गायब हो गई...किसी को नही पता चला कि वो कहाँ, कब और कैसे गई...
आंटी की पूरी बात सुन कर मैं भी सोच मे पड़ गया...
मैने यही तो डाइयरी मे पढ़ा था ...पर अभी भी नही मान रहा था कि मेरे डॅड ने सबको मारा....
और अब तो ये भी पता करना था कि मेरी आरती बुआ की बेटी गई कहाँ...कौन ले गया उसे....कोई अपना या कोई पराया....????????????
आंटी की बताई हुई बातों से एक बात तो क्लियर थी कि आंटी को भी सिर्फ़ उतना ही पता है जितना कि मुझे.....
उस घर मे असल मे हुआ क्या था...ये तो आंटी को भी नही पता....
क्या सच मे मेरे डॅड ने ही सबको मारा...नही- नही...ये सोच भी नही सकता मैं...मेरे डॅड ऐसा कभी नही कर सकते....
पर सच पता करूँ तो कैसे ...मुझे आंटी से उम्मीद थी की शायद ये मुझे सच तक ले जाएगी...पर ये तो खुद ही अंधेरे मे है...
और अब ये बात की मेरी छोटी बुआ की बेटी...वो गायब हो गई थी....उसे कौन ले जा सकता है...कोई तो होगा जो ले गया होगा....
इसका मतलब मैं सही सोच रहा हूँ...वहाँ कोई और भी था...जो जिंदा था और वहाँ से निकला था....और साथ मे मेरी बुआ की बेटी को ले गया था....पर कौन...???
ऐसा कौन हो सकता है जो वहाँ आ कर ये सब कर दे....कौन...???....हाँ...सरिया का पति...मदन...हाँ...वो आ सकता था वहाँ...
शायद सरिता ने उसे बुलाया हो...या फिर वो खुद ही आ गया हो...
एक वो ही था जो मेरे डॅड से नफ़रत करता था....सरिता के रेप सीन की वजह से...हाँ...वही होगा...पूछता हूँ शायद आंटी को कुछ पता हो...
मैं- आंटी...एक बात बताओ...आप मदन को जानती है...???
आंटी- मदन...वो...सरिता का पति...तुम्हारे दादाजी का दोस्त ना...पर तुम कैसे...
मैं(बीच मे)- अभी आप कुछ मत पूछिए....सिर्फ़ जवाब दो...मैं आपको सब बताउन्गा...पर अभी नही...बोलो...मदन को जानती है...
आंटी- हाँ..नाम सुना है...मतलब् जानती हूँ...ज़्यादा नही..
मैं- ओके..तो ये बताओ कि क्या उस टाइम ...जब ये हादसा हुआ...वहाँ मदन था की नही....
आंटी- उस टाइम....नही...वो तो बाद मे आया था...मुझे बताया गया था कि मदन तुम्हारे दादाजी के आने के बाद ही आया था...और फिर सरिता की लाश देख कर टूट गया था ...और उस हादसे के बाद किसी ने उसे गाओं मे नही देखा....
मैं(मन मे)- तो शायद मदन ही हो..जो अंदर सबको मार कर और बच्ची ले कर भाग गया हो और फिर आ गया सामने से....पर कैसे....उसने किया होता तो सरिता कैसे मरती...और सुभाष फूफा जी क्यो...वो तो सिर्फ़ डॅड को ही मारता सबसे पहले....और छोटी बुआ मेरे डॅड को कातिल क्यो कहती...क्या यार...कितना उलझा हुआ मॅटर है...ये ऐसे नही सॉल्व होगा...काफ़ी सोचना होगा....
अभी इसे छोड़ते है और आंटी से कुछ और पूछता हूँ...नही तो रात सोचते हुए ही निकल जाएगी...
फिर मैने अपने माइंड को शांत किया और आंटी से बोला....
मैं- आंटी...उस हादसे का सच मैं जल्दी पता कर लूँगा...पर अभी मैं ये जानना चाहता हूँ कि आपके साथियों की मुझसे या मेरी फॅमिली से किस बात की दुश्मनी है...
आंटी- ठीक है बेटा...तुम सच पता कर लो ..हालाकी मुझे नही लगता कि इसमे कुछ मिलेगा...आरती ने मरने के पहले खुद कहा था कि आकाश ने सबको मारा...
मैं- जानता हूँ...पर जो दिखता है वो होता नही...वेल...ये छोड़ो...ये मैं देख लूँगा...आप आगे बोलो...
आंटी- ह्म्म..तो तुम्हे दुश्मनी की वजह जाननी है...ठीक है..मैं सबकी वजह बताती हूँ...जो मुझे पता है......
फिर आंटी ने बारी-बारी सबकी दुश्मनी की वजह बताना शुरू कर दिया....
कामिनी
कामिनी अपनी बहेन और माँ-बाप के साथ उसी गाओं मे रहती थी...जहाँ आज़ाद की फॅमिली रहती थी....
आज़ाद और कामिनी के पिता दोस्त थे...और बिज़्नेस भी साथ करते थे....
आज़ाद एक अयाश इंसान था और उसकी नज़र कामिनी की माँ पर थी...वो उसे अपने साथ सुलाना चाहता था...
जब प्यार से कामिनी की माँ नही पटी तो आज़ाद ने अपनी पवर का इस्तेमाल कर के कामिनी के बाप की सारी प्रॉपर्टी हथिया ली...और उन्हे कंगाल कर दिया...
कामिनी के पिता ये सदमा सह नही पाए और मर गये...उसके बाद आज़ाद ने कामिनी की माँ के साथ जबर्जस्ति करने की कोसिस की....
रेप होने के बाद कामिनी की माँ ने सुसाइड कर ली और कामिनी अनाथ हो गई...
आज़ाद ने अपनी पहुच का फ़ायदा उठाकर कामिनी और दामिनी को गाओं से निकलवा दिया....
तभी से कामिनी और दामिनी के सीने मे बदले की आग लगी हुई है...
और जब दोनो ने आकाश को इस सहर मे देखा तो वो आग फिर से भड़क उठी...अब दोनो की लाइफ का एक ही मक़सद है...आकाश के पूरे खानदान को मिटाना और उनकी प्रॉपर्टी हासिल करना...
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Re: चूतो का समुंदर

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रिचा.......
रिचा भी अपनी फॅमिली के साथ आज़ाद के गाओं मे रहती थी...
रिचा के पिता टीचर थे...और माँ आज़ाद की फॅक्टरी मे अक्कौंटेंट....
आज़ाद ने अपनी अयाशी के लिए रिचा की माँ को फसा लिया...और रोज उसके मज़े लेने लगा....
एक दिन रिचा ने ये सब देख लिया....और आज़ाद ने रिचा का मुँह बंद करने के लिए उसे अपनी बहू बनाने का वादा कर दिया...रिचा की माँ ने भी उसे रो-रो कर चुप रहने पर मजबूर कर लिया...
रिचा भी अपनी माँ की बदनामी के डर से चुप हो गई और आकाश से शादी के सपने देखने लगी...
फिर एक दिन आज़ाद की गंदी नज़र रिचा पर पड़ गई...और आज़ाद ने रिचा के साथ भी सेक्स कर लिया...
रिचा..बेचारी मजबूरी मे चुप रही...और हादसा समझ के भूलने की कोसिस करने लगी..
पर आज़ाद को रिचा का जिस्म भा गया...और उसने रिचा को बातों मे फसा कर उसे भोगना शुरू कर दिया...
रिचा को बस एक उम्मीद थी कि एक दिन वो आकाश की पत्नी बन जाएगी...फिर सब ठीक होगा...
पर वक़्त आने पर आकाश ने अलका से शादी कर ली..और आज़ाद ने रिचा को रंडी कह कर धूतकार दिया...
रिचा का सब कुछ लूट गया...पर वो कुछ नही कर सकी...
रिचा ने सब कुछ अपने पिता को बता दिया...पर जब रिचा के पिता आज़ाद से बात करने गये तो आज़ाद ने उसे धमका कर भगा दिया...
कोई भी उस गाओं मे आज़ाद के खिलाफ नही जा सकता था...तो रिचा के पिता ने सहर मे रिपोर्ट करने की सोची...
फिर रिचा के माँ-बाप सहर जाने निकले तो रास्ते मे ही उनका आक्सिडेंट करवा दिया गया...वो दोनो ख़त्म हो गये....
माँ-बाप की मौत के बाद रिचा ने गाओं वालो को सच बताया...पर आज़ाद के कहने पर सबने रिचा को रंडी करार दे कर गाओं से निकाल दिया...
पर रिचा की किस्मत उसे इसी सहर मे ले आई...और आकाश को देख कर उसने बदला लेने का मन बना लिया...वो आज़ाद की नस्ल मिटाने के लिए जी रही है बस...
उसे ये बात तो बाद मे पता चली कि अंकित, आकाश का ही बेटा है...अगर उसे पहले पता होता तो शायद दामिनी के घर शादी मे ही अंकित का कुछ बुरा कर देती....
अब वो इंतज़ार कर रही है कि आकाश की प्रॉपर्टी कामिनी को मिले और वो आकाश के परिवार को मिटा दे....
दीपा....
दीपा की कोई पर्सनल दुश्मनी नही थी...वो तो बस पैसो के लालच मे हम सब के साथ हो ली...
बेचारी...बिना किसी मक़सद के हमारे साथ थी...और उसे सज़ा भी मिल गई...जान चली गई बेचारी की....
विनोद........
विनोद की दुश्मनी सिर्फ़ तुम्हारे डॅड से है...बहुत पहले की बात है....
एक ज़मीन के टुकड़े की खातिर दोनो भीड़ गये थे....
उस ज़मीन पर तुम्हारे डॅड एक ऑफीस बनाना चाहते थे...जो बाद मे बनाया भी...
और विनोद को वो ज़मीन एक न्यू शॉप बनाने को चाहिए थी...
आक्च्युयली ज़मीन के मालिक से विनोद ने पहले बात कर रखी थी...पर तुम्हारे डॅड ने उसकी ज़्यादा कीमत दी तो ज़मीन के मालिक ने वो आकाश को दे दी...
बस..फिर विनोद तुम्हारे डॅड से उलझ गया...तुम्हारे डॅड ने उसे 1 रात के लिए हवालात मे पहुचा दिया था...
वो तो और भी सज़ा दिलवाते बुत संजू के पापा ने तुम्हारे दाद से बात कर के मामला शांत कर लिया...
तभी से विनोद तुम्हारे दाद से नफ़रत करता था...और इस का फयडा किसी और ने उठा लिया...जिसे हम सब बॉस बुलाते है...उसी ने विनोद को काम पर लगाया...इससे विनोद को पैसे भी मिलेगे और अपने बदले की आग को भी बुझा लेगा....
ये सब सुनने के बाद मेरा दिल बस ये जानना चाहता था की आख़िर बॉस है कौन...???
मैं- आंटी...ये बॉस...
आंटी(बीच मे )- वही बता रही हो...और एक साथी और है...उसके बारे मे शायद तुम्हे अंदाज़ा भी नही होगा....
मैं- ह्म्म..
फिर आंटी ने आगे बोलना चालू रखा....
बॉस......
इस शक्स के बारे मे कोई नही जानता....ना मैं और ना कोई और...
हम सब इससे फ़ोन के ज़रिए बात करते है...और वो भी हर बार नये नंबर से...
इसको किसी ने नही देखा...सिर्फ़ आवाज़ सुनी....
पर कमाल की बात ये है कि इसे हम सबकी हिस्टरी मालूम है...
ये अच्छी तरह से जानता है कि हम सब आज़ाद की फॅमिली से किस वजह से नफ़रत करते है और क्या चाहते है...
इसने हमे एक-एक कर के एक साथ कर लिया...और अब हमसे अपने हिसाब से काम निकालता है...
इसी के कहने से हम मे से कुछ अभी तक तुम्हारे डॅड को नुकसान नही पहुचा पाए...और ना ही तुम्हे...
इसका असली मक़सद क्या है और इसकी क्या दुश्मनी है...ये हम मे से कोई नही जानता...
इसने बोला है कि आकाश की फॅमिली ख़त्म करने के वक़्त ही ये हमारे सामने आएगा....तब तक नही...
एक बात और..इस बंदे के पास पैसा बहुत है...ये पैसा पानी की तरह बहा कर किसी को भी खरीद लेता है...
आंटी- अब सिर्फ़ एक साथी और रह गया है...लेकिन इसके बारे मे बताने के पहले मैं चाहती हूँ कि तुम अपना दिल मकबूत कर लो...शायद तुम्हे सुनकर धक्का लगे....
मैं- क्या....ऐसा क्यो बोल रही है आंटी....
आंटी- बात ही कुछ ऐसी है बेटा...जब कोई अपना हमारा दुश्मन निकले तो धक्का तो लगता ही है ना....
मैं- ह्म्म..पर ये झटका तो मैं आपके रूप मे खा चुका हूँ...मैं तैयार हू...आप बताइए...कौन है वो...
आंटी- वो और कोई नही ...बल्कि तुम्हारी बुआ की बेटी रेणु है....
रेणु.....
रेणु को जब पता चला कि सुभास की हत्या आकाश ने की है...तभी से उसे आकाश से नफ़रत हो गई...
उसका बस चलता तो वो अभी तक आकाश को मार चुकी होती..बस बॉस के कहने पर रुकी हुई है...
और बेटा...रेणु के अंदर ज़हर भरने वाली तुम्हारी बड़ी बुआ ही है...वो भी आकाश को अपने पति का कातिल मानती है..
पर दुनिया को दिखाने के लिए उन्होने आकाश को माफ़ कर दिया था...फिर रेणु के ज़रिए अपना बदला लेना चाहती है...
रेणु का एक और मक़सद है...वो है तुम्हारी प्रॉपर्टी...जो तुम्हारे नाम है...इसी वजह से उसने तुम्हे अपने जाल मे फसाने का सोचा था....
बस...ये सब ही है...और कोई नही...अगर हो भी तो मेरी जानकारी मे नही...
आंटी चुप हो गई और सिर झुका कर साँसे लेने लगी...
मैं(मन मे)- अब आपको कैसे बताऊ आंटी..की रेणु दीदी तो मेरी तरफ है...फिर भी आपने जो भी बताया उस पर भरोशा है...क्योकि रेणु दी के बारे मे आपने सच बोला..जो मैं जानता था...इसका मतलब आपने सबके मामले मे सच ही बोला होगा...
आंटी- क्या हुआ बेटा...दुख हुआ...
मैं(सिर हिला कर)- बिल्कुल नही आंटी...इनफॅक्ट मैं खुश हूँ..अब मुझे पता है कि मेरे पीछे कौन-कौन है...और मैं उनसे कैसे निपटू...ये अच्छे से सोच सकता हूँ...
आंटी- बेटा...ये बात किसी को..
मैं(बीच मे)- नही आंटी...ट्रस्ट मी...ये बात हमारे बीच रहेगी...प्रोमिस...
और हाँ...आपके भाई की मौत का सच आपके सामने ज़रूर लाउन्गा...और भरोशा रखिए...गुनहगार को सज़ा ज़रूर मिलेगी...
आंटी- मुझे तुझ पर पूरा भरोशा है...बस अपना ख्याल रखना बेटा...
मैं - बिल्कुल आंटी...वैसे एक सवाल है...पुछु ...??
आंटी- हाँ बेटा...पूछ ना..
मैं- आप धर्मेश की बेहन है...मेरी माँ की फ्रेंड भी...और आपकी शादी भी इसी सहर मे हुई ...तो भी डॅड ने मुझे आपके पास आने को कभी मना नही किया...जबकि आप तो डॅड से नफ़रत...
आंटी(बीच मे)- आकाश को अभी भी नही पता कि मैं धर्मेश की बेहन हूँ...वो मुझे अलका की सहेली के रूप मे जानता है बस...
मैं- ओह्ह..अच्छा आंटी...अब कुछ और भी है क्या..जो आप मुझे बताना चाहे...
आंटी- नही बेटा...और कुछ नही...सब बता दिया...जो भी मुझे पता था...
मैं- ओके...तो अब क्या आप मेरी माँ के बारे मे कुछ बताएँगी मुझे...वो बातें जो मुझे पता ही नही...
आंटी- हाँ...पर आज नही...पहले तुझे कुछ दिखाना है...वो देख लेना तब बताउन्गी...
मैं- तो दिखाइए ना...
आंटी- आज नही बेटा...थोड़ा इंतज़ार कर...1-2 दिन बस...
मैं- ओके...तो क्या अब मैं अपनी माँ की गोद मे सो सकता हूँ....लॉरी सुनते हुए...मैं माँ के प्यार को फील करना चाहता हूँ....
आंटी ने अपनी बाहे फैलाई और मुझे गले लगा लिया...और फिर मुझे अपनी गोद मे लिटा कर लॉरी सुनाने लगी....
आज आंटी की गोद मे मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था...
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

कुछ ही पॅलो मे मेरी आँख लगने लगी...पर मेरे माइंड मे आंटी के साथ हुई बातें ही घूम रही थी...
मैं(नीड मे बड़बड़ाते हुए)- आंटी...आपने सब सच बोल कर मेरी परेशानी दूर कर दी...लव यू आंटी....
आंटी(अपने मन मे)- माफ़ करना बेटा...एक सच अभी भी मैने छिपाया है..तेरी माँ का सच...
मैने अगर तुझे सच बता दिया तो बहुत परेशान हो जायगा...और मैं ये देख नही सकती...सॉरी बेटा...
कैसे बताऊ कि तेरी माँ की मौत नही हत्या हुई थी...और मैं कातिल को जानते हुए भी कुछ नही कर सकती....आइ एम सॉरी बेटा ...आइ एम सॉरी...
और आंटी ने अपनी आँखो मे आए आँसू पोछ कर मुझे सुलाना जारी रखा......
सुबह -सुबाह आंटी के गेट पर दस्तक हुई तो आंटी हड़बड़ा कर जाग गई...
आंटी मुझे गोद मे सुलाते हुए बैठे हुए ही सो गई थी....

आंटी जाग कर संभाल पाती कि फिर से दस्तक हुई और दस्तक के साथ एक आवाज़ आई...जो मेघा आंटी की थी...
मेघा- भाभी...भाभी...उठो भाभी...
आंटी जाग तो गई पर जब उन्हे याद आया कि मैं उनके रूम मे उनकी गोद मे सो रहा हूँ तो वो थोड़ा डर गई...
क्योकि वो मेघा के सामने इस टाइम ये बात नही आने देना चाहती थी...
मेघा- भाभी...उठो तो...मुझे काम है...
रजनी- हह..हाँ...आई...
रजनी आंटी ने मेरा सिर बेड पर रखा और मेरे उपेर चादर डाल दी...तब जा कर गेट खोला...
और गेट खोल कर इस तरह खड़ी हो गई कि मेघा अंदर ना देख पाए...
रजनी(अगडाई लेकर)- हह...क्या हुआ मेघा...सुबह-सुबह...
मेघा(बीच मे)- अंकित आपके रूम मे है...??
रजनी(सकपका कर)- न..नही..नही तो..वो तो....संजू के साथ होगा....उसके रूम मे..
मेघा- मैं देख कर आई...वहाँ नही है...
रजनी- अरे...वहाँ नही तो कहाँ है...वही होगा...या हो सकता है छत पर निकल गया हो टहलने....छत पर देखा ..??
मेघा- नही...मैने बस संजू के रूम मे देखा था...
रजनी- ह्म्म..तो छत पर ही होगा...वैसे सुबह से अंकित का क्या काम पड़ गया तुझे...
मेघा- अरे भाभी...आज से मुझे अंकित जिम मे ट्रैनिंग देने वाला है...उसके जिम मे...
रजनी- ओह्ह...तो ये बात है...
मेघा- हा..इसलिए जल्दी जगाने गई थी...एक काम करो...आप उसे बोल दो..मैं फ्रेश हो कर आती हूँ..
रजनी- हाँ...तू जा...मैं बुलाती हूँ उसे...
फिर मेघा फ्रेश होने निकल गई..और आंटी ने जल्दी से गेट लगाया और मुझे उठाने लगी...
मैं(नीद मे)- उउउंम्म..क्या हुआ आंटी...
रजनी- अरे बेटा...उठा जा...वो मेघा तुझे ढूँढ रही है...तुझे जिम जाना है ना उसके साथ...
आंटी की बात सुनकर मेरी झक्की खुल गई और मैं उठ कर बैठ गया...
मैं- हाँ...कहाँ है वो...
रजनी- वो रेडी होने गई है...तू संजू के रूम मे जा और फ्रेश हो जा...और हाँ..बोल देना कि तू छत पर था...अभी वो तुझे देखने गई थी ...
मैं- ओह्ह..ओके..मैं रेडी हो जाता हूँ...आप कॉफी बनाओ ओके..
और मैं खड़ा हुआ और आंटी को एक जोरदार किस कर दिया...
मैं- उउउंम्म....गुड मॉर्निंग वाई दा वे...
रजनी- ह्म्म..गुड मॉर्निंग...अब जा जल्दी...
और मैं वहाँ से निकल कर संजू के रूम मे आ गया फिर रेडी हो कर नीचे पहुचा तो मेघा को देख कर हँसने लगा...
मेघा- ऐसे क्या हंस रहा है...क्या हुआ..
मैं- अरे..मैं आपको देख कर हँस रहा हूँ...ये क्या हाल बना रखा है...
मेघा- मतलब...क्या हुआ...
मैं- आपने साड़ी पहनी हुई है..ऐसे जिम मे जाएगी...हाँ..
मेघा- अरे नही...मेरी जिम वाली ड्रेस बॅग मे है...ये रहा बॅग...वहाँ जा कर चेंज करूगी...यहाँ सब देखेगे तो ठीक नही लगेगा...
मैं- ओके..अब जल्दी चलिए...
फिर हमने कॉफी ख़त्म की और निकलने लगे...आते हुए रजनी आंटी ने मुझे कॉल करने का इशारा किया और हम मेरे घर निकल आए....

घर आते ही मैने चेंज किया और जिम मे निकल गया...मेघा आंटी ने बाद मे आने का बोला और चेंज करने निकल गई....
मैं वॉर्म-अप कर ही रहा था कि मेघा आंटी जिम मे दाखिल हुई...
मेघा को देख कर मैं हैरान हो गया...वो तो मुझे साड़ी मे भी हॉट दिखती थी...और अब ये स्पोर्ट ड्रेस...इसमे तो वो कयामत ढा रही थी...
मेघा के जिस्म का हर एक भाग उभरा हुआ दिखाई दे रहा था...
ड्रेस इतनी टाइट थी की बॉडी का हर एक कटाव सॉफ-सॉफ नज़र आ रहा था....
मेघा को देख कर मेरा लंड सलामी मार कर उठने लगा...पर मैने जैसे-तैसे उसे कंट्रोल किया...
मेघा(हिचकिचाते हुए)- वो..मेरी ड्रेस...थोड़ी टाइट...अच्छी नही है ना...
मैं- नही आंटी...मस्त है....सच मे...
मेघा- सच...कैसी लग रही है...
मैं- हॉट...एम्म..मेरा मतलब...आप पर सूट कर रही है...
मेघा ने मेरी आखो मे देखा और मेरे शब्द सुनकर थोड़ा शर्मा गई...
मैं- अर्रे...आप खड़ी क्यो है...आइए...वॉर्म-अप करते है...
मेघा- मैने आज तक सिर्फ़ योगा किया...ये वॉर्म-अप का कुछ आइडिया नही...
मैं- इसमे क्या...मैं हूँ ना..मैं सिखाता हूँ...आप आइए...
फिर मेघा सकुचाते हुए मेरे पास आ गई...उसे इस ड्रेस मे काफ़ी ऑड फील हो रहा था...पर मुझे खुशी हो रही थी...
मेघा- तो क्या करना है..
मैं- ह्म्म..आक्च्युयली ये योगा जैसा ही है..थोड़ा अंतर है बस...
मेघा- ह्म्म...
मैं- एक काम कीजिए...आप पहले रस्सी कूद कीजिए....इससे बॉडी मे गर्मी आ जाएगी और मूव्मेंट भी अच्छी होगी...
आंटी- ठीक है...ये तो मैने किया भी है...परेशानी नही होगी...
मैं- ह्म्म..आप स्टार्ट करो...फिर आगे का बताउन्गा...
मेघा ने रस्सी से उछलना शुरू किया तो उनके बड़े-बड़े बूब्स भी उनके साथ उपेर-नीचे उछलने लगे...
इसी नज़ारे को देखने के लिए ही तो मैने उन्हे रस्सी उछलने का बोला था...
मेघा के बूब्स तो रजनी से भी बड़े दिख रहे थे...और इस टाइम तो पूछो ही मत..लंड की शामत आ गई थी...
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