मैं प्रेमा की लाश देख कर घबराने लगा था...मुझे समझ ही नही आ रहा था कि क्या करूँ....
आज मेरी लाइफ मे अचानक से एक ऐसा हादसा हो गया था...जिसकी मैने ख्वाब मे भी कल्पना नही की थी....
वो औरत जो इस सहर मे किसी को जानती नही...जिसने कल रात ही मेरे घर मे कदम रखा...अचानक मारी गई...और लाश बन कर मेरे सामने पड़ी है...
मैं इस टाइम कुछ भी नही सोच पा रहा था...बस मुझे पारूल का मासूम चेहरा याद आ रहा था....
मैं(नम आँखो से)- ये सब कैसे हुआ...
आकाश(मेरे कंधे पर हाथ रख कर)- अब ये तो पोलीस ही पता लगा सकती है बेटा.....
मैं- पोलीस....नही...पोलीस नही...पोलीस आयगी तो पारूल...नही...उसे पता नही चलना चाहिए....वो सह नही पायगी...नही...पोलीस नही...
आकाश- पर पोलीस को तो बुलाना ही होगा बेटा...ये मर्डर केस है...और फिर ये लाश...
मैं(बीच मे)- जानता हूँ...पर अभी नही...अभी कोई कुछ नही बोलेगा....और पारूल से तो बिल्कुल नही...मैं करता हूँ कुछ...अभी चलो यहाँ से...और चुप ही रहना....ओके ...
फिर मैं सबको वहाँ से ले कर आ गया और उन्हे चुप रहने की हिदायत दे दी...
थोड़ी देर बाद जब पारूल रेडी हो कर नीचे आई तो मैने उसे रक्षा के साथ जाने का बोल दिया...और ये भी बोल दिया कि उसकी माँ ज़रूरी काम से गाओं चली गई....कल तक आ जाएगी...
पारूल की हैरानी तो हुई...पर वो मेरी बात मान कर चली गई.....
पारूल के जाते ही मैने कुछ कॉल्स किए और फिर पारूल का चेहरा याद कर के मेरी आँखो मे गुस्सा खून बन कर निकलने लगा....
मैं- पारूल....मुझे माफ़ करना बेटा....पर तेरे लिए यही सही था...और हाँ....मैं तेरी माँ के कातिल को छोड़ूँगा नही....ऐसी मौत दूँगा कि मौत भी काँप उठेगी...हाँ......
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एक सुनसान जगह पर......
संजू आगे-आगे भाग रहा था....और अंकित उसका पीछा कर रहा था.....
अंकित- रुक साले.....साले धोखे बाज....मैं तुझे जिंदा नही छोड़ूँगा....रुक साले.....
अचानक संजू को ठोकर लगी और वो ज़मीन पर गुलाटी मार कर गिर गया...तब तक अंकित उनके पास पहुँच गया और संजू पर गन तान दी....
संजू- एम्म...मुझे...म्म्मारआ...माफ़ कर दे ...मुझे ...
अंकित(बीच मे)- मैने तुझ पर भरोशा किया था कुत्ते...और तूने ये सिला दिया...हाअ...
संजू- आ..अंकित..म्म...मेरी बात...मेरी बात सुन...माफ़ कर दे...माफ़...
अंकित- नही...धोखेबाज को माफ़ नही...सॉफ किया जाता है....
संजू- नही अंकित...माफ़ कर दे..प्ल्ज़ माफ़ कर दे....
अंकित- माफी उपर जा कर मागञा....साले धोखेबाज.....
संजू- अंकित..नही..न्न्नाहिी...
और अंकित 3 फिरे करता है और एक जोरदार चीख गूँज उठती है....
""न्न्3ीचनणन्नाआआहहिईीईई......""
और एक जोरदार चीख के साथ रजनी हड़बड़ा कर जाग गई और बेड पर बैठ कर जोरों से सासे लेने लगी....
रजनी की साँसे पूरे रूम मे सॉफ सुनाई दे रही थी...और उसका तेज़ी से धड़कता दिल उसके सीने मे खलबली मचा रहा था...और उसका पूरा चेहरा पसीने से तर-बतर हो चुका था.......
रजनी(मन मे)- ये कैसा सपना था...नही...ऐसा तो कभी हो ही नही सकता....अंकित और संजू तो एक-दूसरे को भाई से बढ़ कर मानते है...फिर उनके बीच ऐसा कुछ....न्हिईीई....ये सिर्फ़ एक सपना है...सिर्फ़ सपना.....
पर थोड़ी देर शांत रहने के बाद राजनू को कुछ याद आया और वो फिर से सोच मे पड़ गई ......
रजनी(मन मे)- पर अंकित....वो धोकेबाजों को कभी माफ़ नही करता...भले ही वो कोई भी हो...कितना भी खास.....इसका मतलब....संजू को भी....हे भगवान....इससे पहले कि अंकित को संजू के इरादे किसी और से पता चले...मुझे खुद अंकित से बात करनी होगी...
वरना मेरा सपना कही हक़ीक़त मे ना बदल जाय ...नही-नही...मैं ऐसा नही होने दूगी...कभी नही....
रजनी आख़िरी शब्द उसके मुँह से ज़ोर से निकल गये...जिसे सुनकर संजू के डॅड बाथरूम से बाहर आ गये....
प्रमोद- क्या हुआ ....तुम चिल्लाई क्यो....??
रजनी(सकपका कर)- हा...नही...कुछ नही...मैं तो बस...वो...एक सपना....
प्रमोद(बीच मे)- क्या...सपना....हाहाहा....तुम भी ना...सपने से डर गई....ह्म..चलो जाओ और फ्रेश हो जाओ....पूरा चेहरा पसीने से लत्पथ हो रहा है...उठो जाओ...
फिर रजनी ने अपने आप को संभाला और बाथरूम चली गई और मान ही मान सोचने लगी कि अब आगे उसे क्या करना है......
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चूतो का समुंदर
- Ankit
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- shubhs
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Re: चूतो का समुंदर
चलो देखते हैं क्या होता हैं
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
jaroor bhai
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
रेणु के घर..............
रात के हादसे के बाद रेणु की आँख सीधे सुबह ही खुली...और जब उसकी आँखे खुली तो उसने अपने आप को एक अंजान कमरे मे पाया...
अंजान जगह देख कर रेणु ने तुरंत खड़े होने की कोसिस की पर वो उठ भी नही पाई....क्योकि उसके हाथ और पैर को बाँध कर रखा गया था.....
रेणु(चिल्ला कर)- कौन है यहाँ....कौन लाया मुझे...हहााअ.....
रेणु कुछ देर तक झटपटाती रही और चिल्लती रही....पर उसे कोई जवाब ना मिला...और ना ही कोई उसकी आवाज़ सुन कर उस कमरे मे आया.....
करीब 10 मिनट तक रेणु झटपटाती रही...तब कही जाकर उसे गेट खुलने की आवाज़ आई और उसकी आँखे गेट पर लग गई....
जैसे ही गेट खोलने वाला रेणु के सामने आया तो रेणु का चेहरा गुस्से से लाल हो गया....
रेणु(चिल्ला कर)- तो ये सब तुमने किया ...हाँ....
संजू- श्हीए....आराम से...रिलॅक्स...
रेणु(गुस्से से)- रिलॅक्स गया भाड़ मे....तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ ये सब....
संजू(बीच मे)- बोला ना....रिलॅक्स...कुछ देर मे सब जान जाओगी...
और संजू ने आगे बढ़ कर रेणु को आज़ाद किया और फिर पानी ऑफर किया....
रेणु(पानी पी कर)- हुह...अब बको...ये सब क्या था...
संजू- मुझे यही ठीक लगा...बस कर दिया...
रेणु(आँखे दिखा कर)- ठीक...इसे तुम ठीक कहते हो...आख़िर ये सब हो क्या रहा है...तुम पागल हो क्या....
संजू(बैठ कर)- ह्म..तभी तो तुम्हे बचाया है...पागलपन है ना...हा...
रेणु(हैरानी से)- बचाया....पर किससे.....
संजू- तुम्हारे डॅड ...मदन से...
रेणु- क्या....क्या कहा तुमने....वो मेरी जान...नही...तुम झूठ बोल रहे हो....
संजू(मुस्कुरा कर)- जानता था कि तुम यकीन नही करोगी...पर सच यही है...और मेरे पास इसका प्रूफ भी है...
रेणु- कैसा प्रूफ...मुझे बताओ...
संजू- ह्म...तो ये सुनो...
और इतना बोल कर संजू ने अपने मोबाइल पर एक ऑडियो क्लिप प्ले कर दी...जिसमे मदन और समर की बातें रेकॉर्ड थी...और उन बातों से सॉफ हो गया कि मदन और समर रेणु की जान लेना चाहते थे....और कल रात बिजली गुल होना...उनके ही प्लान का हिस्सा था...पर संजू ने सही वक़्त पर अपने खास आदमियों को भेज कर रेणु को बेहोश करवाया और यहा पहुँचा दिया.....
ये बातें सुन कर रेणु की आँखे नम हो गई और उसने अपना सिर पकड़ कर सिसकना शुरू कर दिया.....
संजू- अब बोलो...क्या मैने ग़लत किया...हाँ...
रेणु(सुबक्ते हुए)- इतना बड़ा धोखा....साला...कमीना....मैं उसे छोड़ूँगी नही....उसकी जान ले लुगी...
संजू- रिलॅक्स....तुम्हारी गाली बकने से कुछ नही होने वाला....समझी....
रेणु(गुस्से से)- उस कमिने के लिए मैने क्या नही किया...कितनो से अपने जिस्म को कुचलवाया...अपनो को धोखा दिया...उस औरत को धोखा दिया जो मेरी माँ से बढ़ कर थी...और बदले मे...मेरी जान लेनी चाही....मेरी जान...
संजू(खड़ा हो कर)- सब करमो का फल है ....जो तुमने किया...वो तुम्हारे साथ हुआ...है ना...
रेणु(खड़ी हो कर)- पर तुमने मुझे क्यो बचाया....तुम भी तो उनमे से एक हो....हाँ...
संजू- बिल्कुल सही...पर मुझे तुम्हारी ज़रूरत है....कम से कम अभी तो है ही....
रेणु- ह्म्म..मतलब बाद मे तुम भी मेरी जान ले लोगे....
संजू(मुस्कुरा कर)- फ्यूचर किसने देखा मेडम....पर यकीन मानो...अगर तुम मेरे हिसाब से चली तो जिंदा रहोगी....जिंदा भी और सेफ भी....ओके....
रेणु- ह्म्म...चलो...देखते है...मेरी लाइफ भी अजीब है...आसमान से टपकी और खजूर पर अटकी....आगे पता नही...कहाँ जाउन्गी....
संजू- आगे का आगे देखना...फिलहाल कुछ खा लो...और रेस्ट करो...मैं बाद मे आता हूँ....
रेणु- ह्म..क्यो नही...आज मरने से बची हूँ...तो दवा कर खाउन्गी....
इसके बाद संजू वहाँ से निकल गया और एक नौकर रेणु के लिए खाना ले आया....
संजू(मन मे)- रेणु मेडम....मरोगी तो तुम यहाँ भी...पर ये मौत उस मौत से काफ़ी अलग होगी....
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अंकित के घर..............
सुबह-सुबह पारूल की माँ की लाश ने मेरे दिल-ओ-दिमाग़ को हिला कर रख दिया था....
एक तरफ मैं ये सोच रहा था कि पारूल की माँ को आख़िर कौन मार सकता है और क्यो....जबकि दूसरी तरफ मुझे पारूल की टेन्षन हो रही थी कि आख़िर उसे कैसे समझा पाउन्गा....क्या बोलुगा उसे कि उसकी माँ कहाँ गई....क्यो गई...???
मैं अपनी सोच मे डूबा हुआ था कि तभी गेट पर नॉक हुई और जब मैने गेट खोला तो सामने संजू की चाही (मेघा ) को खड़ा पाया....
मेघा इस वक़्त साड़ी मे थी...और मेरे सामने नज़रे झुकाए खड़ी थी....
मेघा को देख कर मुझे याद आया कि मैने ही इससे आज सुबह आने को कहा था....
मेघा- अंकित...मैं वो...तुमने कहा था...कि मैं....तो ...आ गई...
मैं- हाँ...हाँ ...याद है मुझे...आइए....
मेघा(मुझे देख कर)- क्या हुआ...तुम कुछ परेशान हो....क्या मैं वापिस...
मैं(बीच मे)- अरे नही...ऐसी कोई बात नही...आप एक काम करो...आप जिम मे जा कर चेंज करो...मैं फ्रेश हो कर आता हूँ...ओके....
और मैने मेघा को जिम मे भेज दिया और फिर से सोच मे पड़ गया....
मैं(मन मे)- अब क्या करूँ....एक तरफ पारूल का टेन्षन....उसकी माँ की मौत का टेन्षन...और आज ही मेघा आ गई...क्या करूँ....
मेघा को वापिस भेजा तो वो और उदास हो जाएगी....नही...मैने उसे खुश करने को बुलाया था...तो खुश करना ही होगा...चलो...कुछ देर के लिए दिल और दिमाग़ मेघा पर लगाता हूँ...फिर पारूल की माँ के कातिल की खोज होगी...चलो...
और फिर मैं अपने आप को नॉर्मल करके जिम पहुँचा और वहाँ मेघा को देख कर ही मेरे माइंड की टेन्षन कुछ देर के लिए गायब हो गई...और दिल मे अजीब सी खुशी पैदा हो गई.....
पर फिर मैने किसी तरह अपने अरमानो को कंट्रोल किया और मेघा के साथ जिम करने लगा....
जिम मे पूरे टाइम मैने मेघा को सिर्फ़ फिज़िकल ट्रैनिंग ही दी....और कुछ भी नही किया...हालाकी उसके जिस्म की खुसबू मेरा माइंड हिला रही थी...पर जैसे-तैसे मैने खुद को रोके रखा...
मेघा(बाहर आते हुए)- तुम ठीक तो हो....
मैं- हुह...क्या...क्या कहा...
मेघा- मुझे लग रहा है कि आज तुम्हारा ध्यान कहीं और है...मुझ पर नही ...
मैं(नज़रे चुराते हुए)- नही...ऐसा कुछ नही ...असल मे मेरी नीद पूरी नही हुई...इसलिए थोसा सा...
मेघा- ओह्ह...अच्छा तो....मैं जाउ अब...
मैं(सिर हिला कर)- ह्म...पर कल ज़रूर आना....कुछ खास ट्रैनिंग होगी कल....
मेघा(सिर झुका कर)- ह्म...बाइ...
और फिर मेघा चुपचाप निकल गई और मैं भी अपने काम पर लग गया....
थोड़ी देर बाद मैं घर से निकल कर रॉनी से मिलने पहुँचा...जहा मेरे कुछ खास आदमी भी मौजूद थे....
रॉनी- हे बॉस...
मैं- हाई रॉनी...जल्दी बताओ क्या मिला तुम्हे....
रॉनी(लॅपटॉप दिखा कर)- ये देखो...इसमे तो कुछ खास नही दिख रहा....यहा किसी भी कमरे मे ऐसा कुछ नही जो अजीब लगे...
मैं- ह्म...वैसे भी कोई पागल ही होगा जो इतनी भीड़ मे कुछ भी ग़लत करेगा...
रॉनी- वैसे बॉस...ये जो औरत थी...आइ मीन पारूल की मोम...वो यहाँ किसी को जानती थी क्या....आपको छोड़ कर....
मैं- हाँ...कामिनी की फॅमिली...वो उन सब को जानती थी...पर कामिनी के घर से कोई आया ही नही था...सिर्फ़ दामिनी और काजल थी...वो भी जल्दी निकल गई...
रॉनी- वो नही हो सकती...क्योकि ये काम किसी औरत का नही ..मर्द का है...
मैं(चौंक कर)- ये कैसे बोल सकते हो....
रॉनी(सिगरेट दिखा कर)- वो...इसलिए...ये सिगरेट वही मिली...जहाँ लाश मिली थी...और प्रेमा जी सिगरेट पीती नही...तो ये कन्फर्म है कि ये किसी मर्द का काम है...क्योकि मैने वहाँ किसी औरत को सिगरेट पीते हुए नही देखा....
मैं- ह्म्म...हो सकता है...बट वहाँ मौजूद कई औरतें भी सिगरेट पीती है....शायद वहाँ पी हो...
रॉनी- मे बी...बट सीसीटीवी फुटेज से कुछ खास पता नही चला....
तभी मैने लॅपटॉप मे कुछ ऐसा देखा कि मैं चौंक गया...और मैने तुरंत वो सीन रीवाइंड कर दिया.....
रॉनी- क्या...इसमे क्या देखा आपने....
मैं- हाँ..कुछ नही...बस कुछ डाउट हुआ था....वैसे पीएम रिपोर्ट कब आ रही है...शायद कुछ पता चले....
रॉनी- अपने लोग वही है बॉस...जल्दी ही मिल जाएगी...
मैं- अच्छा...चलो मैं निकलता हूँ...पर उससे पहले तुम सब सुन लो कि तुम्हे अब करना क्या है...
रॉनी- जी बॉस...हम रेडी है...हुकुम करो...
फिर मैने सबको उनका नेक्स्ट टास्क समझा दिया.....
मैं- तो...सब समझ गये ना....हमारे पास टाइम कम है...और हाँ..अब हम वही मिलेगे....वैसे...तुम लोग एस के कॉंटॅक्ट मे हो कि नही...
रॉनी- हाँ...वो रोज कॉल करता है...पर 2-3 दिन से कोई पता नही...
मैं- ह्म...वेल..अब उसे परेशान मत करना....कॉल आए तो कुछ मत बताना...नही तो टेन्षन हो जाएगी उसे...और अब तुम सब निकलो....
फिर सारे आदमी वहाँ से निकल गये पर मैने रॉनी को रुकने का इशारा कर दिया...सबके जाने के बाद....
रॉनी- यस बॉस...कोई खास बात...
मैं- ह्म्म..रॉनी क्या कोई ऐसी टेक्निक जानते हो जिससे मास्क के साथ-साथ इंसान की आवाज़ भी बदल जाय...हाँ...
रॉनी- जी बॉस...जानता हूँ...ये मैं भी कर सकता हूँ...
मैं- ग्रेट...तो फिर ध्यान से सुनो...
और कुछ देर रॉनी से बात कर के मैं वहाँ से निकल आया......
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रात के हादसे के बाद रेणु की आँख सीधे सुबह ही खुली...और जब उसकी आँखे खुली तो उसने अपने आप को एक अंजान कमरे मे पाया...
अंजान जगह देख कर रेणु ने तुरंत खड़े होने की कोसिस की पर वो उठ भी नही पाई....क्योकि उसके हाथ और पैर को बाँध कर रखा गया था.....
रेणु(चिल्ला कर)- कौन है यहाँ....कौन लाया मुझे...हहााअ.....
रेणु कुछ देर तक झटपटाती रही और चिल्लती रही....पर उसे कोई जवाब ना मिला...और ना ही कोई उसकी आवाज़ सुन कर उस कमरे मे आया.....
करीब 10 मिनट तक रेणु झटपटाती रही...तब कही जाकर उसे गेट खुलने की आवाज़ आई और उसकी आँखे गेट पर लग गई....
जैसे ही गेट खोलने वाला रेणु के सामने आया तो रेणु का चेहरा गुस्से से लाल हो गया....
रेणु(चिल्ला कर)- तो ये सब तुमने किया ...हाँ....
संजू- श्हीए....आराम से...रिलॅक्स...
रेणु(गुस्से से)- रिलॅक्स गया भाड़ मे....तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ ये सब....
संजू(बीच मे)- बोला ना....रिलॅक्स...कुछ देर मे सब जान जाओगी...
और संजू ने आगे बढ़ कर रेणु को आज़ाद किया और फिर पानी ऑफर किया....
रेणु(पानी पी कर)- हुह...अब बको...ये सब क्या था...
संजू- मुझे यही ठीक लगा...बस कर दिया...
रेणु(आँखे दिखा कर)- ठीक...इसे तुम ठीक कहते हो...आख़िर ये सब हो क्या रहा है...तुम पागल हो क्या....
संजू(बैठ कर)- ह्म..तभी तो तुम्हे बचाया है...पागलपन है ना...हा...
रेणु(हैरानी से)- बचाया....पर किससे.....
संजू- तुम्हारे डॅड ...मदन से...
रेणु- क्या....क्या कहा तुमने....वो मेरी जान...नही...तुम झूठ बोल रहे हो....
संजू(मुस्कुरा कर)- जानता था कि तुम यकीन नही करोगी...पर सच यही है...और मेरे पास इसका प्रूफ भी है...
रेणु- कैसा प्रूफ...मुझे बताओ...
संजू- ह्म...तो ये सुनो...
और इतना बोल कर संजू ने अपने मोबाइल पर एक ऑडियो क्लिप प्ले कर दी...जिसमे मदन और समर की बातें रेकॉर्ड थी...और उन बातों से सॉफ हो गया कि मदन और समर रेणु की जान लेना चाहते थे....और कल रात बिजली गुल होना...उनके ही प्लान का हिस्सा था...पर संजू ने सही वक़्त पर अपने खास आदमियों को भेज कर रेणु को बेहोश करवाया और यहा पहुँचा दिया.....
ये बातें सुन कर रेणु की आँखे नम हो गई और उसने अपना सिर पकड़ कर सिसकना शुरू कर दिया.....
संजू- अब बोलो...क्या मैने ग़लत किया...हाँ...
रेणु(सुबक्ते हुए)- इतना बड़ा धोखा....साला...कमीना....मैं उसे छोड़ूँगी नही....उसकी जान ले लुगी...
संजू- रिलॅक्स....तुम्हारी गाली बकने से कुछ नही होने वाला....समझी....
रेणु(गुस्से से)- उस कमिने के लिए मैने क्या नही किया...कितनो से अपने जिस्म को कुचलवाया...अपनो को धोखा दिया...उस औरत को धोखा दिया जो मेरी माँ से बढ़ कर थी...और बदले मे...मेरी जान लेनी चाही....मेरी जान...
संजू(खड़ा हो कर)- सब करमो का फल है ....जो तुमने किया...वो तुम्हारे साथ हुआ...है ना...
रेणु(खड़ी हो कर)- पर तुमने मुझे क्यो बचाया....तुम भी तो उनमे से एक हो....हाँ...
संजू- बिल्कुल सही...पर मुझे तुम्हारी ज़रूरत है....कम से कम अभी तो है ही....
रेणु- ह्म्म..मतलब बाद मे तुम भी मेरी जान ले लोगे....
संजू(मुस्कुरा कर)- फ्यूचर किसने देखा मेडम....पर यकीन मानो...अगर तुम मेरे हिसाब से चली तो जिंदा रहोगी....जिंदा भी और सेफ भी....ओके....
रेणु- ह्म्म...चलो...देखते है...मेरी लाइफ भी अजीब है...आसमान से टपकी और खजूर पर अटकी....आगे पता नही...कहाँ जाउन्गी....
संजू- आगे का आगे देखना...फिलहाल कुछ खा लो...और रेस्ट करो...मैं बाद मे आता हूँ....
रेणु- ह्म..क्यो नही...आज मरने से बची हूँ...तो दवा कर खाउन्गी....
इसके बाद संजू वहाँ से निकल गया और एक नौकर रेणु के लिए खाना ले आया....
संजू(मन मे)- रेणु मेडम....मरोगी तो तुम यहाँ भी...पर ये मौत उस मौत से काफ़ी अलग होगी....
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अंकित के घर..............
सुबह-सुबह पारूल की माँ की लाश ने मेरे दिल-ओ-दिमाग़ को हिला कर रख दिया था....
एक तरफ मैं ये सोच रहा था कि पारूल की माँ को आख़िर कौन मार सकता है और क्यो....जबकि दूसरी तरफ मुझे पारूल की टेन्षन हो रही थी कि आख़िर उसे कैसे समझा पाउन्गा....क्या बोलुगा उसे कि उसकी माँ कहाँ गई....क्यो गई...???
मैं अपनी सोच मे डूबा हुआ था कि तभी गेट पर नॉक हुई और जब मैने गेट खोला तो सामने संजू की चाही (मेघा ) को खड़ा पाया....
मेघा इस वक़्त साड़ी मे थी...और मेरे सामने नज़रे झुकाए खड़ी थी....
मेघा को देख कर मुझे याद आया कि मैने ही इससे आज सुबह आने को कहा था....
मेघा- अंकित...मैं वो...तुमने कहा था...कि मैं....तो ...आ गई...
मैं- हाँ...हाँ ...याद है मुझे...आइए....
मेघा(मुझे देख कर)- क्या हुआ...तुम कुछ परेशान हो....क्या मैं वापिस...
मैं(बीच मे)- अरे नही...ऐसी कोई बात नही...आप एक काम करो...आप जिम मे जा कर चेंज करो...मैं फ्रेश हो कर आता हूँ...ओके....
और मैने मेघा को जिम मे भेज दिया और फिर से सोच मे पड़ गया....
मैं(मन मे)- अब क्या करूँ....एक तरफ पारूल का टेन्षन....उसकी माँ की मौत का टेन्षन...और आज ही मेघा आ गई...क्या करूँ....
मेघा को वापिस भेजा तो वो और उदास हो जाएगी....नही...मैने उसे खुश करने को बुलाया था...तो खुश करना ही होगा...चलो...कुछ देर के लिए दिल और दिमाग़ मेघा पर लगाता हूँ...फिर पारूल की माँ के कातिल की खोज होगी...चलो...
और फिर मैं अपने आप को नॉर्मल करके जिम पहुँचा और वहाँ मेघा को देख कर ही मेरे माइंड की टेन्षन कुछ देर के लिए गायब हो गई...और दिल मे अजीब सी खुशी पैदा हो गई.....
पर फिर मैने किसी तरह अपने अरमानो को कंट्रोल किया और मेघा के साथ जिम करने लगा....
जिम मे पूरे टाइम मैने मेघा को सिर्फ़ फिज़िकल ट्रैनिंग ही दी....और कुछ भी नही किया...हालाकी उसके जिस्म की खुसबू मेरा माइंड हिला रही थी...पर जैसे-तैसे मैने खुद को रोके रखा...
मेघा(बाहर आते हुए)- तुम ठीक तो हो....
मैं- हुह...क्या...क्या कहा...
मेघा- मुझे लग रहा है कि आज तुम्हारा ध्यान कहीं और है...मुझ पर नही ...
मैं(नज़रे चुराते हुए)- नही...ऐसा कुछ नही ...असल मे मेरी नीद पूरी नही हुई...इसलिए थोसा सा...
मेघा- ओह्ह...अच्छा तो....मैं जाउ अब...
मैं(सिर हिला कर)- ह्म...पर कल ज़रूर आना....कुछ खास ट्रैनिंग होगी कल....
मेघा(सिर झुका कर)- ह्म...बाइ...
और फिर मेघा चुपचाप निकल गई और मैं भी अपने काम पर लग गया....
थोड़ी देर बाद मैं घर से निकल कर रॉनी से मिलने पहुँचा...जहा मेरे कुछ खास आदमी भी मौजूद थे....
रॉनी- हे बॉस...
मैं- हाई रॉनी...जल्दी बताओ क्या मिला तुम्हे....
रॉनी(लॅपटॉप दिखा कर)- ये देखो...इसमे तो कुछ खास नही दिख रहा....यहा किसी भी कमरे मे ऐसा कुछ नही जो अजीब लगे...
मैं- ह्म...वैसे भी कोई पागल ही होगा जो इतनी भीड़ मे कुछ भी ग़लत करेगा...
रॉनी- वैसे बॉस...ये जो औरत थी...आइ मीन पारूल की मोम...वो यहाँ किसी को जानती थी क्या....आपको छोड़ कर....
मैं- हाँ...कामिनी की फॅमिली...वो उन सब को जानती थी...पर कामिनी के घर से कोई आया ही नही था...सिर्फ़ दामिनी और काजल थी...वो भी जल्दी निकल गई...
रॉनी- वो नही हो सकती...क्योकि ये काम किसी औरत का नही ..मर्द का है...
मैं(चौंक कर)- ये कैसे बोल सकते हो....
रॉनी(सिगरेट दिखा कर)- वो...इसलिए...ये सिगरेट वही मिली...जहाँ लाश मिली थी...और प्रेमा जी सिगरेट पीती नही...तो ये कन्फर्म है कि ये किसी मर्द का काम है...क्योकि मैने वहाँ किसी औरत को सिगरेट पीते हुए नही देखा....
मैं- ह्म्म...हो सकता है...बट वहाँ मौजूद कई औरतें भी सिगरेट पीती है....शायद वहाँ पी हो...
रॉनी- मे बी...बट सीसीटीवी फुटेज से कुछ खास पता नही चला....
तभी मैने लॅपटॉप मे कुछ ऐसा देखा कि मैं चौंक गया...और मैने तुरंत वो सीन रीवाइंड कर दिया.....
रॉनी- क्या...इसमे क्या देखा आपने....
मैं- हाँ..कुछ नही...बस कुछ डाउट हुआ था....वैसे पीएम रिपोर्ट कब आ रही है...शायद कुछ पता चले....
रॉनी- अपने लोग वही है बॉस...जल्दी ही मिल जाएगी...
मैं- अच्छा...चलो मैं निकलता हूँ...पर उससे पहले तुम सब सुन लो कि तुम्हे अब करना क्या है...
रॉनी- जी बॉस...हम रेडी है...हुकुम करो...
फिर मैने सबको उनका नेक्स्ट टास्क समझा दिया.....
मैं- तो...सब समझ गये ना....हमारे पास टाइम कम है...और हाँ..अब हम वही मिलेगे....वैसे...तुम लोग एस के कॉंटॅक्ट मे हो कि नही...
रॉनी- हाँ...वो रोज कॉल करता है...पर 2-3 दिन से कोई पता नही...
मैं- ह्म...वेल..अब उसे परेशान मत करना....कॉल आए तो कुछ मत बताना...नही तो टेन्षन हो जाएगी उसे...और अब तुम सब निकलो....
फिर सारे आदमी वहाँ से निकल गये पर मैने रॉनी को रुकने का इशारा कर दिया...सबके जाने के बाद....
रॉनी- यस बॉस...कोई खास बात...
मैं- ह्म्म..रॉनी क्या कोई ऐसी टेक्निक जानते हो जिससे मास्क के साथ-साथ इंसान की आवाज़ भी बदल जाय...हाँ...
रॉनी- जी बॉस...जानता हूँ...ये मैं भी कर सकता हूँ...
मैं- ग्रेट...तो फिर ध्यान से सुनो...
और कुछ देर रॉनी से बात कर के मैं वहाँ से निकल आया......
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