अकरम के घर..........
अकरम जाग चुका था...पर अभी भी बेड पर डाला हुआ किसी ख़यालो मे खोया हुआ था.....
अकरम को अंकित की बताई एक -एक बात परेशान कर के रखे हुई थी....
उसका दिल और दिमाग़ उन बातों को सुन कर एक-दूसरे के खिलाफ हो चुका था.....
एक तरफ उसका दिमाग़ कह रहा था कि अगर आज़ाद ने उसकी फॅमिली को जला दिया तो आज़ाद की फॅमिली को उसकी सज़ा मिलनी चाहिए....वो चाहे कोई भी हो...अंकित या अंकित के डॅड...सज़ा सबको मिलना चाहिए....
दूसरी तरफ उसका दिल ये सोचने की मनाही कर रहा था...
दिल कह रहा था कि अगर अंकित ने तुझ पर भरोशा कर के सब सच बताया है तो उसका साथ दे...उसके साथ मिलकर सच्चाई की जड़ तक पहुँच और फिर उसे सज़ा दे जो वाकई मे ग़लत है....
अकरम काफ़ी देर बेड पर पड़ा हुआ दिल और दिमाग़ की कस्मकस मे फसा रहा...जब तक की उसकी माँ नही आ गई....
सबनब- अकरम...जाग गया...चल तेरे डॅड जाने वाले है...तुझे बुला रहे है...
अकरम- क्या...डॅड जा रहे है..पर अचानक क्यो...वो अभी तो आए थे...
सबनम- पता नही..कोई काम होगा...तू खुद पूछ ले...
अकरम- ह्म्म..मुझे ही पूछना पड़ेगा...बहुत कुछ पूछना है उनसे..
सबनम- क्या...
अकरम- वो..कुछ नही...बस यही कि कब आओगे...और मुझे कॅंप पर जाना है ना...उसका भी पूछना था...
सबनम- ह्म्म..चल आ जा...
थोड़ी देर बाद...हॉल मे....नाश्ता करते हुए.....
अकरम- वैसे डॅड....आप कब तक आ जाएँगे....
वसीम- बस...1-2 दिन मे...फिर कुछ दिन रुक कर दुबई निकलूंगा....
अकरम- ह्म्म..अच्छा डॅड..एक बात बताइए....मेरे दादाजी का नाम क्या था...
अकरम के मुँह से ये सवाल सुन कर वसीम खाते हुए रुक गया और सबनम को देखने लगा...सबनम भी वसीम को उसी तरह देख रही थी...
अकरम ने दोनो के रियेक्शन नोटीस किए और फिर से स्वाल दागा...
अकरम- डॅड...दादाजी का नाम...
वसीम- हुह...हाँ..वो उनका नाम...सरफ़राज़ था...
अकरम(मन मे)- अगर अंकित की बात सही है तो सरफ़राज़ तो आप ही हो....गुड...पहले ही सवाल ने शक को बढ़ा दिया....
वसीम- क्यो..आज अचानक दादाजी की याद कैसे आ गई...
अकरम- कुछ नही..ऐसे ही...एक सपना देखा कि मैं दादाजी और आप साथ मे खाना खा रहे है...तो बस...पूछ लिया...
वसीम- ह्म्म..काश ऐसा होता बेटा...पर ये मुमकिन नही...
अकरम- हाँ डॅड..जानता हूँ...वैसे डॅड...मेरी दादी का नाम क्या था...
वसीम- उनका नाम...ह्म्म..हीना बानो...
अकरम- अच्छा...और आपके भाई-बेहन...
वसीम- मैं अकेला था...पर अब ये सवाल बंद करो...मैं निकलता हूँ...लेट हो रहा है...
वसीम ने पानी पिया और घबराया हुआ सा जल्दी ने बाइ बोल कर निकल गया...
अकरम(मन मे)- ये क्या डॅड...आपने झूट क्यो बोला...आपके झूठ से मेरे शक को और हवा मिल गई...अब मुझे सच पता करना ही होगा.....आंड आइ होप कि मेरा शक ग़लत साबित हो जाए....
फिर अकरम ने वही सवाल अपनी माँ से किए और सबनम भी जवाब देते हुए हड़बड़ा सी रही थी...इससे अकरम का शक और भी मजबूत हो गया...उसने अंदाज़ा लगा लिया कि उसकी माँ भी काफ़ी कुछ छिपाए बैठी है...
नाश्ता कर ने के बाद सबनम अपने रूम मे आ गई...और अकरम के सवालो के बारे मे सोच कर परेशान हो रही थी कि थोड़ी देर मे अकरम भी आ गया....
अकरम- मोम...
सबनम(चौंक कर)- ह्ह्ह..हाँ...अकरम...क्या हुआ बेटा...
अकरम- कुछ नही...आक्च्युयली मुझे डॅड का इनकम सर्टिफिकेट चाहिए था...
सबनम- ये क्या होता है बेटा...(सबनम ज़्यादा पढ़ी हुई नही थी...)
अकरम- कुछ क्या नही...इससे ये पता चलता है कि डॅड की इनकम कितनी है...
सबनम- पर तुझे वो क्यो चाहिए...हाँ...
अकरम- अरे मोम..मैं कॅंप मे जा रहा हूँ ना...तो वहाँ दिखाना पड़ता है...सबको...जिससे ये होता है कि जिन लोगो के घर की इनकम कम है...उन्हे सरकार की तरफ से पैसे मिलेगे...अब समझी...
सबनम- ओह्ह...पर मुझे क्या पता कि वो कहाँ है..तेरे डॅड से पूछ ले....रुक मैं फ़ोन लगाती हूँ...
अकरम- न..नही-नही...आप रहने दो...मैं लगाता हूँ...
फिर अकरम ने झूठा कॉल किया और डॅड से बात करने का नाटक करने लगा...
अकरम- हाँ..अककचा...आपके रूम मे देखु...ओके...मैं देख लूँगा...
फिर अकरम अपनी मोम को बोल कर वसीम के रूम मे पहुँच गया....
रूम मे आ कर अकरम ने पूरे रूम का जायज़ा लिया..उसे वहाँ कोई भी ऐसी चीज़ नही दिखी..जिससे उसे कोई शक हो..
फिर वो रूम मे रखी अलमारी को देखने लगा...पर उसमे उसे कुछ खास नही मिला...ऐसा कुछ नही था जो अकरम के शक को हवा दे...
अकरम- यहाँ तो कुछ भी नही..जो डॅड को सरफ़राज़ साबित करता हो...अब कहाँ देखु...साला वक़्त भी तो कम है...2 दिन मे डॅड आ जाएँगे..और फिर मोम को शक हो गया और उन्होने डॅड को कॉल कर दिया तो...
क्या करूँ...ये टाइम भी ना...कितने बज गये...??
और अकरम ने अलमारी के उपेर रखी घड़ी की तरफ देखा और टाइम देखते हुए उसके मन मे एक पुरानी घटना ताज़ा हो गई.....
कुछ साल पहले............
अकरम- हाई डॅड...मेरी अलार्म घड़ी खराब हो गई....आप मुझे अपनी घड़ी दे दो ना....
वसीम- मेरी घड़ी..पर मेरे पास तो नही है. .और ये बता कि तुझे अलार्म की क्या ज़रूरत पड़ गई....
अकरम- अरे डॅड...मुझे सुबह रन्निंग के लिए जागना है..भूल गये क्या...रन्निंग करूगा तभी तो मैं सीबीआइ ऑफीसर बनाउन्गा ...हैं ना...
वसीम- हाहाहा...ओके बाबा....समझ गया...पर मेरे पास घड़ी नही है...अपनी दीदी से ले ले...जा..
अकरम मुड़ता उसके पहले उसकी नज़र अलमारी पर रखी घड़ी पर पड़ गई...
अकरम- डॅड..आपने झूठ क्यो बोला...वो रही घड़ी..मैं वो ले जाता हूँ...
अकरम घड़ी की तरफ बढ़ा पर उसके पहुँचने के पहले ही वसीम तेज़ी से वहाँ पहुँच गया और गुस्से मे बोला...
वसीम- नही...इस घड़ी को हाथ मत लगाना..कभी भी...
अकरम- डॅड..दे दो ना...
वसीम(गुस्से मे आँख दिखा कर)- बोला ना नही...इसे कभी छुने की कोसिस भी मत करना...अब जा यहाँ से वरना मार खाएगा ...
अकरम अपने डॅड का गुस्सा देख कर दर गया और उदास हो कर वहाँ से निकल आया...
चूतो का समुंदर
- Ankit
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- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
प्रेज़ेंट मे.........
अकरम- डॅड ने उस टाइम इस घड़ी को छुने नही दिया था...और आज भी ये घड़ी उसी जगह पर , उसी तरह रखी हुई है...ऐसा क्या खास है इस घड़ी मे...लाइए इसे उठा कर देखु....देख ही लेता हूँ..शायद मेरे काम का कुछ मिल जाए...
अकरम ने जल्दी से जा कर अलमारी पर रखी घड़ी उठाई...
घड़ी उठाते ही अकरम को एक धक्का लगा...ये धक्का अलमारी से लगा था...
घड़ी उठाते ही अलमारी घूम गई और और देखते ही देखते घूमते हुए आधे रास्ते मे रुक गई...
अकरम ने देखा कि अलमारी हटने से उसके पीछे एक गेट नज़र आने लगा....
अकरम- ये क्या...अलमारी के पीछे गेट...इसमे क्या है...
अकरम ने उठ कर गेट खोलने की कोसिस की पर गेट मे हॅंडल के अलावा कुछ नही था..मतलब लॉक जैसा कुछ नही था...
अकरम- अब ये क्या है...गेट है पर लॉक नही...पर ये खुलता तो ज़रूर होगा..पर कैसे...
काफ़ी देर तक अकरम ने गेट का निरीक्षण किया पर उसे ऐसा कुछ नही मिला जिससे गेट खोला जा सके...
अकरम परेशान होकर गेट पर हाथ मारते हुए इधर-उधर देख रहा था...
तभी उसकी नज़र उस गेट के उपेर की तरफ दीवार पर लटकी फोटो पर पड़ी...ये वसीम ख़ान की ही फोटो थी...
पर इसका फ्रेम टेडा हो गया था...जबकि अलमारी हटने के पहले सीधा था...
अकरम- क्या ये इतना आसान है...कितना मैं सोच रहा हूँ...
अकरम ने पंजो पर खड़े होकर फोटो को सीधा किया तो एक गुऊर्र की आवाज़ के साथ गेट खुल गया...पर आवाज़ सुनते ही अकरम पीछे हुआ और हड़बड़ाहट मे बेड पर गिर गया....
बेड पर गिरते ही अकरम की नज़र अलमारी के पीछे वाले गेट पर पड़ी...अब वो खुल चुका था....
अकरम(मन मे)- ये तो बिल्कुल फ़िल्मो की तरह एक ख़ुफ़िया रास्ता है....पर डॅड को इसकी क्या ज़रूरत पड़ गई...
क्या मेरा शक सही है...क्या डॅड ही सरफ़राज़ है..क्या अंकित की सारी बाते सच है....
सवाल कई है...और शायद मेरे सवालो के जवाब इस दरवाज़े के उस पार छिपे हुए है....
ये दरवाज़ा अकरम के सवालो के जवाब देगा या कुछ नये सवाल खड़े कर देगा....???????????????
अकरम खड़ा हुआ सामने खुला दरवाजा देख रहा था...और सोच रहा था कि उसे उस दरवाज़े के पास जाना चाहिए कि नही....
अकरम का दिमाग़ इस वक़्त डर , उत्सुकता, बैचेनी, और जिग्यासा से भरा हुआ था....
कभी वो सोचता कि पहले इसके बारे मे अंकित से बात करे...तो कभी सोचता कि अपनी मोम को सब बता दे...कभी उसे लगता कि सबसे छिप कर इसके अंदर जाए...तो कभी सोचता कि क्यो ना अपने डॅड से इस बारे मे खुल कर बात कर ले....
अकरम काफ़ी देर तक खड़ा हुआ सोचता रहा और फिर उसने अकेले अंदर जाने का डिसाइड किया...बिना किसी को बताए....
अकरम जल्दी से उस रूम का गेट लॉक कर आया और दरवाजे के पास पहुँचा...
दरवाज़े के उस पार कुछ नही था...बस नीचे की तरफ जाती हुई सीडीयाँ थी....
अकरम- उफ्फ...ठीक है...जो होगा देखा जायगा...अब नीचे जा कर ही कुछ सोचुगा....
अकरम ने अपने आप से कहा और मोबाइल की टॉर्च जला कर नीचे जाने लगा....
जब वो लास्ट की सीधी उतरा और ज़मीन पर पैर रखा तो वहाँ उजाला हो गया....वहाँ लगी सारी लाइट्स जलने लगी...
सीढ़िए घुमावदार थी...और इस वक़्त अकरम उपेर वाले रूम के ठीक सामने खड़ा था...मतलब नीचे...रूम के नीचे रूम...
अकरम ने उस रूम के चारो तरफ नज़रे दौड़ाई तो उसका माथा ठनक गया....
रूम की दीवाल के तीन तरफ...हर दीवाल पर कुछ मॅप्स जैसे बने हुए थे...और साथ मे पिक्स लगी हुई थी....
अकरम- ये तो साला फ़िल्मो से भी बढ़ कर है....आख़िर है क्या है...
अकरम जैसे ही आगे बढ़ा तो वो लाइट ऑफ हो गई और अचानक से एक कंप्यूटर जैसी स्क्रीन अकरम के सामने झूलने लगी...जो उपेर छत से कनेक्टेड थी...
अकरम ने ध्यान से उस स्क्रीन को देखा तो उस पर पासवर्ड लिखा था...और टाइप करने के लिए अल्फ़ाबेट कीबोर्ड जैसा दिया हुआ था....
पासवर्ड सिर्फ़ 4 वर्ड का फिल करना था...
अकरम- पासवर्ड...पर मुझे तो पता ही नही...अब...ह्म्म...कुछ सोचना तो पड़ेगा....
पर साला ये पासवर्ड की ज़रूरत क्यो पड़ी...ऐसा भी क्या है यहा जो पासवर्ड सेट कर दिया....
क्या ये उससे भी बड़ा सच है जो अंकित और मैं सोच रहे है....ह्म्म..कुछ तो ऐसा है जो दाद दुनिया के हर साक्ष् से छिपाना चाहते है...फॅमिली से भी...
पर अभी ये क्या सोचना....मुझे पास्वोर्ड के बारे मे सोचना चाहिए....
अकरम कुछ देर तक सोचता रहा पर उसे कुछ समझ नही आ रहा था...उपर से उसमे नोट लिखा था की ""यू हॅव ओन्ली 3 ट्राइ लेफ्ट""
अकरम- क्या यार...मुझे सीबीआइ मे जाना है...और इतना भी नही सोच पा रहा...सोच भाई...कुछ तो सोच...
अकरम ने अपने आपसे कहा और कुछ सोच कर उसके चेहरे पर खुशी छलक उठी...
अकरम- ये हो सकता है...आमिर...यस...
अकरम ने पासवर्ड फीड किया और खुश हो गया....पर अगले ही पर उसके चेहरे की खुशी गायब हो गई...जब उसने सामने लिखा मसेज पढ़ा...
""यू हॅव ओन्ली 2 ट्राइ लेफ्ट....""
अकरम- शिट....ये तो ग़लत है...अब क्या....जल्दबाज़ी मे 2 ट्राइ और निकल जाएँगे...थोड़ा ठंडे दिमाग़ से सोचता हूँ....
डॅड की लाइफ मे उनकी फॅमिली ही सब कुछ है....और डॅड कोई इंटेलिजेन्स डिपार्टेमेंट मे तो है नही जो कोई अलग पासवर्ड डालेगे...हो ना हो ..कोई नाम ही होगा...किसी चहेते का...पर 4 वर्ड मे कौन...आमिर...वो तो ग़लत निकला...तो फिर..हाँ..जूही..वो डॅड की लड़ली है...4 वॉर्फ..देखता हूँ...जूही...अब क्या आता है....
""यू हॅव ओन्ली लास्ट ट्राइ लेफ्ट...""
अकरम- शिट...शिट...शिट...ये भी ग़लत...ओह गॉड...अब क्या करूँ...
और अकरम सिर पकड़ कर वही बैठ जाता है और अपनी कॅल्क्युलेशन करने लगता है कि आख़िर पास्वोर्ड क्या हो सकता है....
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
कामिनी के घर.........
काजल जाग कर कामिनी के रूम मे पहुँची और अपनी कातिल मुस्कुराहट के साथ कामिनी को विश किया .....
काजल- गुड मॉर्निंग मोम....
कामिनी- मॉर्निंग....बेटा इट्स आफ्टरनून...समझी...
काजल- ऊप्स...याद नही रहा...गुड'आफ्टरनून मोम...
कामिनी- वो तो ठीक है..पर तू इतनी देर तक क्यो सोती रही...हाँ...
काजल(मन मे)- क्या बताऊ मोम...कल अंकित ने ऐसी गान्ड मारी कि उसकी टीस सारी रात उठती रही....
कामिनी- बोल ना...कल क्या दारू पी ली थी...ह्म्म..
काजल- वो..मोम..हाँ...कल 2-3 पेग मार लिए थे....
कामिनी- अच्छा...पर तू तो ऐसे पीती नही...तो फिर...
काजल- अरे मोम..कल पी ली थी थोड़ी...बस ड्रिंक का असर हो गया तो सोती रही....
कामिनी- अच्छा...कौन से ड्रिंक का...कहीं वो तो नही जो अंकित ने पिलाया था...
कामिनी की बात सुन कर काजल की गान्ड फट गई...वो कामिनी को आख फाड़ कर देख रही थी...पर मुँह से कोई शब्द नही निकला....
कामिनी- क्या हुआ ...अब क्यो चुप हो गई...
काजल ने अपनी गर्दन झुका ली...
काजल- सॉरी मोम...
कामिनी- सॉरी...अरे तूने ऐसा किया ही क्यो...क्या तू हवसी हो गई है...या फिर...
कामिनी बोलते-बोलते रुक गई और गुस्से मे काजल को घूर्ने लगी...
कामिनी- अब बोल...चुप क्यो है...क्या ज़रूरत थी...
काजल- आपने ही तो कहा था कि अंकित को जाल मे फसाओ...और आप जानती ही है कि अंकित को सेक्स की भूख होती है..तो ये सबसे ईज़ी तरीका था....
कामिनी(सिर पकड़ कर)- ओह्ह्ह..मैं तो तुझे बताना भूल ही गई ...अब इसकी ज़रूरत नही...हमे अंकित के खिलाफ कुछ नही करना...
काजल(शॉक्ड)- क्या...पर क्यो...आपने तो कहा था कि...
कामिनी(बीच मे)- यहाँ बैठो..सब बताती हूँ...
काजल- जी...बोलिए...
और फिर काजल ने उस दिन की सारी बात बता दी जिस दिन कमल और दामिनी की सच्चाई अंकित ने सबके सामने रखी थी...वहाँ काजल भी थी पर बेहोश थी...
सब कुछ सुनने के बाद काजल की आँखे नम हो गई...
काजल- मोम...ये आपने पहले क्यो नही बताया...
कामिनी- सॉरी बेटा...याद ही नही रहा...पर अब से अंकित के खिलाफ कुछ नही ..वो सेक्स के मामले मे थोड़ा कमीना है...पर दिल का अच्छा है...
काजल- ह्म्म...पर जो हो गया..उसका क्या..
कामिनी- मतलब....
काजल- मतलब ये कि अब मेरा मन अंकित के साथ...आप समझ गई ना...
कामिनी(मुस्कुरा कर)- क्यो नही...बेटी किसकी है...मेरा भी मन उसके साथ...
और कामिनी शरमा गई...
काजल- ओह हो...तब तो मैं अपनी मोम को अंकित के साथ देखना चाहुगी...वो भी अपने साथ...
कामिनी- तू तो...अरे हां...आगे से थोड़ा ध्यान रखना ...तुझे पता...वो नर्स और नौकरानी ने तुझे देखा था...वो बात कर रहे थे तो मुझे पता चला...
काजल - ओके मोम...अगली बार आपके सामने करेंगे...और आपकी प्यास भी भुजा दूगी...ठीक है...
फिर कामिनी कुछ नही बोली बस शरमा गई और काजल ने कामिनी को गले लगा कर किस किया और वहाँ से निकल गई.......
- shubhs
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- Joined: 19 Feb 2016 06:23
Re: चूतो का समुंदर
ये सही है
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।