चूतो का समुंदर

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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »


सूमी के घर...............


सूमी के घर इस वक़्त सूमी ,उसकी बेटी और संजू मौजूद थे....और संजू किसी गहरी सोच मे डूबा हुआ था .....उसने अभी-अभी अपनी माँ रजनी से फ़ोन पर कुछ बात की...जिससे वो परेशान हो गया था....

सूमी- संजू...संजू...

संजू(चौंक कर)- हूँ....हाँ...क्या हुआ...हाँ..

सूमी- मुझे क्या हुआ ...अरे तुम बताओ कि तुम्हे क्या हुआ...कहाँ खोए हुए हो....और ये बताओ कि तुमने बुलाया किसे है....

संजू(खड़ा हो कर)- जल्दी जान जाओगी....वो लोग आते ही होंगे...

सूमी(खड़ी हो कर)- ओके...पर तुम इतने परेशान क्यो हो...क्या हुआ...

संजू- क्क़..कुछ नही...मैं बस ..पता नही...मेरा सिर दर्द हो रहा है....

सूमी(पास आ कर)- ओह्ह....बस इतनी सी बात...आओ मैं तुम्हारी मालिश कर देती हूँ....

संजू(हाथ दिखा कर)- नही....अभी मुझे मालिश से ज़्यादा ज़रूरी काम निपटाने है ...तुम बस...1 कॉफी बना लाओ...

इसके बाद सूमी कॉफी लेने चली गई और संजू अपनी माँ की बातों के बारे मे सोचने लगा...जो थोड़ी देर पहले ही रजनी ने फ़ोन पर बोली थी..

संजू(मन मे)- मोम...अंकित मुझे मारे उसके पहले मैं कुछ ऐसा करूँगा कि आप को अपने बेटे पर नाज़ होगा....बस अब कुछ ही दिनो की बात है...फिर सब ठीक हो जायगा .....

थोड़ी देर बाद सूमी के घर संजू के आदमी कुछ लोगो को ले कर आ गये.....

इन लोगो मे रेणु,रिचा,आकृति, कामिनी, दनिनी और उनकी फॅमिली थी....और अभी तक उन सब की आँखो पर पट्टी बँधी हुई थी....

सब के सब काफ़ी गुस्से मे पूछ रहे थे कि हमें यहाँ क्यो लाए...कौन हो तुम...एट्सेटरा...

तभी संजू उनके पास पहुँचा और ज़ोर से चिल्लाया....

संजू- चुप...अब कोई भी बोला ना तो यही मार डालुगा...समझे...

संजू की जोरदार आवाज़ ने रूम मे सन्नाटा कर दिया पर उन सब के दिल और दिमाग़ मे खलबली मच गई....

संजू(अपने आदमी से)- ले जाओ इन्हे और चलने की तैयारी करो...

आदमी- पर सर...इन सबको सबसे छिपा कर...कैसे...

संजू(घूर कर)- अब ये भी मैं बताऊ....हाँ..जाओ...और याद रखना...कोई गड़बड़ हुई तो वो तुम्हे छोड़ेगा नही...जानते हो ना ...

आदमी(डरते हुए)- जी..जी सर...

और फिर वो आदमी सबको वहाँ से ले गये...और उनके जाते ही सूमी लपक कर संजू के पास आई और चिल्लाती हुई बोली...

सूमी- आख़िर ये सब चल क्या रहा है....

संजू(मुस्कुरा कर)- वेट जान...वेट...सब समझ आ जायगा...

सूमी(घूर कर)- अच्छा...पर इन सबको कहाँ भेज दिया....

संजू- ह्म...जहाँ तुझे भेजना है....

सूमी(हैरानी से)- क्या मतलब...??

संजू- मेरे वापिस आने का इंतज़ार करो....और हाँ ...तैयारी कर के रखना....

इतना बोल कर संजू घर से निकल गया और सूमी सोच मे पड़ गई कि आख़िर ये सब हो क्या रहा है.....पर सूमी को संजू पर भरोशा था...इसलिए वो अपनी बेटी के साथ तैयारी करने मे जुट गई....

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shubhs
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Re: चूतो का समुंदर

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ये सब क्या है
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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VKG
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Re: चूतो का समुंदर

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Great
@V@
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »


संजू के घर..............

रजनी आंटी को रोता हुआ छोड़ कर मैं उनके घर से बाहर निकला ही था कि मुझे संजू का कॉल आ गया.....

(कॉल पर )

मैं- क्या सही टाइम पर कॉल किया तूने...मैं तेरे को ही कॉल करने वाला था...

संजू- सच मे....हाँ तो बोल...

मैं- अब बोलना क्या....मैं जो नही चाहता था....तूने वही कर दिया...अब क्या बोलू....

संजू(हैरानी से)- क्या.., मैं कुछ समझा नही....मैने क्या किया....

मैं- बताउन्गा....सब बताउन्गा...पर ये वक़्त सही नही....और जगह भी...

संजू- ओह्ह...समझा...तो बोल फिर, कहाँ मिलूं...

मैं- तू जानता है..... 1 घंटा है तेरे पास....पहुँच जाना....

संजू- ओह्ह...बस 1 घंटा...

मैं- हाँ...बस 1 घंटा...बाइ...

और इतने बोल कर मैने कॉल कट कर दी...

मैं(मन मे)- लगता है अब वही करना होगा जो करने से मैं बच रहा था....सॉरी संजू....तुम्हे तकलीफ़ देने का मन तो नही था पर क्या करूँ...कोई ऑप्षन भी नही छोड़ा तूने...हुह....

पर इससे पहले की मैं अपनी कार मे बैठता....मुझे पीछे से किसी ने रोका...और आवाज़ सुनकर जब मैने पीछे देखा तो मुझे सामने मेघा दिखाई दी....

और उसकी आँखो मे देखते ही मैं जाते-जाते रुक गया....

मैं- हाँ...क्या हुआ...कुछ काम था क्या....मैं असल मे....

मेघा(बीच मे)- क्या कुछ देर रुक सकते हो....मुझे एक ज़रूरी बात...

मैं(बीच मे)- हाँ क्यो नही...मैं फ्री ही हूँ....बोलिए....

मेघा(सकुचाते हुए)- यहा...क्या तुम...मेरे रूम मे....

मैं- हाँ क्यो नही...चलो...मैं बस कुछ कॉल करके आता हूँ....

मेघा- ह्म...तो तुम उपर अनु के रूम मे आ जाना....ओके ...

मैं(मुस्कुरा कर) - ह्म...चलो , मैं आता हूँ....

और फिर मेघा अंदर चली गई और मैं कुछ कॉल्स करने लगा....

थोड़ी देर बाद मैं कॉल्स ख़त्म करके अंदर गया तो देखा कि रजनी आंटी अभी भी अपने रूम मे ही थी...शायद रो ही रही होगी....

पर मैने उन पर ध्यान ना देकर उपर जाना ही सही समझा और जब मैं अनु के रूम मे पहुँचा तो देखा कि मेघा बड़ी बेताबी से मेरा इंतज़ार कर रही थी....और मेरे अंदर आते ही उन्होने रूम को लॉक कर दिया और मुझे घूर्ने लगी...

मैं- ऐसी क्या बात है कि आपने....ये लॉक क्यो किया ...

मेघा(आँखे झुका कर)- कुछ काम बंद कमरो मे ही करना सही होता है....

मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म्म...बात तो सही है....बंद कमरा हो...और एक गरम औरत सामने हो तो...

मेघा(बीच मे)- तो क्या...

मैं- तो फिर...ह्म...अभी बताता हूँ....
इतना बोल कर मैं धीरे-धीरे मेघा की तरफ बढ़ने लगा और मेरे हर कदम पर मेघा की साँसे भी बढ़ने लगी.....

जैसे-जैसे मेरे कदम मेघा के पास पहुँच रहे थे...वैसे-वैसे मेघा के सीने का उभार बढ़ता जा रहा था...जैसे कि उसकी साँसे उसके बूब्स मे समा रही हो ....

वैसे तो मेघा की पूरी बॉडी ही मुझे कामुक बना देती थी...पर इस टाइम उसके सीने की हरक़त मेरे जिस्म मे ज़्यादा ही जोश भर रही थी...

फिर जैसे ही मैने मेघा के पास जा कर उसके कंधो को अपने हाथ मे थमा तो मेघा की सिसकी निकल गई...और उसके होंठ खुले रह गये ....

मेघा- एयेए...आन्ं...अंकित...त्त्त...

मैं(बीच मे)- स्शीई....

और मैने मेघा को एक उंगली दिखाई और अपने होंठ उसके कपकपाते हुए होंठो पर रख दिए....



शुरू मे तो मेघा कुछ शांत रही...पर थोड़ी ही देर मे मेरे होंठो की गर्मी पा कर उसके जिस्म की गर्मी भड़क उठी और वो मेरे होंठो पर टूट पड़ी...

मेघा मेरे होंठो को इस क़दर चूसने लगी जैसे की आज के बाद उसे ये कभी मिलने वाला ना हो...

धीरे -धीरे उसके जिस्म की गर्मी अपने चरम पर पहुँच गई और मेघा मेरे होंठ चूस्ते हुए अपने हाथो से मुझे जकड़ने लगी...

उसकी गर्मी इस क़दर बढ़ गई थी कि उसके नाख़ून मेरी पीठ पर चुभने लगे थे....ऐसा लग रहा था कि जैसे वो आज मुझे कच्चा चवा जाने वाली है...

मेघा मेरे होंठ चूस्ते हुए बेड तक पहुँच गई और मुझे बेड पर पटक कर फिर से मेरे होंठो को चवाने मे जुट गई....और अब रूम मे सिर्फ़ होंठ चुसाइ का सुर गूँज रहा था....

मेघा की तड़प देख कर आख़िरकार मेरा सब्र टूट गया....

मैं- अब और इंतज़ार नही होता....उउउंम्म....

मेघा- उउम्म्म्म...इंतज़ार तो मुझसे भी नही होता....उूउउम्म्म्मम.....उउउंम्म....
मैं- आहह...मेघा मेरी...उूउउंम्म..उउउंम...

मेघा- आआआवउउउम्म्म्म....आहह..मैने कब्से....उूुउउम्म्म्ममम....उूउउम्म्म्म....

मैं- उूुउउम्म्म्मम...उूुउउम्म्म्म....आहह..मैं तो...आओउुउउम्म्म्मममममममम......

एक दूसरे को किस करते हुए हुमारे बदन भी आपस मे रगड़ रहे थे..जिससे हमारे साथ-साथ रूम का तापमान भी हाइ हो चला था.......

मुझे मेघा के कड़क निप्पल भी सीने पर चुभने लगे थे...और मेरे हाथ उसकी कसी हुई गांद को कुरेद रहे थे...

फिर मैं एक्शिटेड हो कर मेघा को पलट कर अपने नीचे कर दिया और कपड़ो के उपेर से ही उसके बूब्स पर टूट पड़ा....

मेघा- आअहह...सस्शहिईिइ...उउउंम्म...आअहह......आअहह....अब बर्दास्त नही होता....

मैं- उउउम्म्मह....मुझसे भी नही मेरी जान ....

मेघा ने तुरंत अपनी नाइटी को निकाल दिया और अपने कड़क हो चुके बूब्स और नंगे जिस्म को मुझे सौंप दिया....

मेघा- अंकित...एयेए...कम ऑन .....आअहह...

मेघा ने मेरा सिर पकड़ के अपने सीने पर झुकाया और मैने भी उसके निप्पल को मुँह मे भर लिया....




मैं- उउउम्म्म्मममम...आअहह...यम्मी....उूउउंम्म...उउउम्म्म्म...

मेघा- ऊओह....आअहह....

मैं- उूउउंम्म...उउउंम्म...आअहह...उउउंम्म...उउउंम....

मेघा- आअहह...एस.....उूुउउम्म्म्म....आअहह....

मैं- उउउंम्म...उउउंम्म...आहह...मज़ा आ गया....वाउ...

पर मैने देखा की मेघा अपनी आँखे बंद किए हुए लेटी है...तो मैं रुका और उसके उपर से उठ गया....

मेघा(आँख खोल कर)- क्या...

मैं- देखो आंटी...मैं जब औरत के साथ बिस्तर पर होता हूँ तो मुझे शर्म करने वाली औरत पसंद नही आती....अगर आपको शरमाना है तो रहने दो...मैं जाता हूँ....

इतना कह कर मैं उठने को हुआ ही था कि मेघा ने मेरा हाथ पकड़ लिया....

मेघा- तुम चाहते क्या हो...

मैं- बस यही कि हर पल का खुल के मज़ा लो...अपने आपको मुझे सौंप दो और मज़ा करो...शरमाना छोड़ दो...ठीक...

मेघा(मुस्कुरा कर)- ह्म्म...तो आओ मेरे राजा....अब मुझे अपनी रंडी बना कर मज़ा करो..

मैं(मान मे)- ये साली तो एक कदम आगे निकल गई....

मेघा(हाथ खीच कर)- अब आ भी जाओ....और रंडी का मज़ा लो...हहहे....

फिर क्या था...मैने मेघा के बूब्स चूस्ते हुए उसकी चोट पर उंगली का जादू चलाना शुरू कर दिया...




मेघा- ओह्ह..अंकित....ये तो अब तक...आअहह...मेरे पति ने भी नही कियाअ....उउउंम...

मैं- सस्रररुउुउउप्प्प्प्प्प.....सस्स्रररुउउउप्प्प्प्प.....सस्स्र्र्ररुउउउप्प्प्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प्प....

मेघा- आहह...मेरी कमर ...आहह...पूरा बदन झूम रहा राजा....उउउंम्म...करते रहो....आअहह...

मैं मेघा की बॉडी के साथ खेल रहा था और मेघा मस्ती मे तड़प रही थी....मेरी हर एक हरक़त उसे पागल कर रही थी.....

मेघा- आअहह...बस...आहह...तडपा मत राजा.....आअहह.....

मेघा की बात सुनकर मैने उसकी नाभि से होता हुआ उसकी चूत तक पहुँच गया...जो कि अब पानी बहाने लगी थी....

मैं- उउंम...पानी बहाने लगी साली.....

मेघा- आहह...ये तो तेरे नाम से ही निकल गया राजा...

मैं- ह्म..तो चलो इसका स्वाद भी चख ले.....

और इतना बोलकर मैने अपनी जीभ को चूत के फांको पर घूमना शुरू कर दिया....


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shubhs
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Re: चूतो का समुंदर

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मस्त
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