चूतो का समुंदर

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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »


सहर मे ही अंकित के सीक्रेट हाउस मे....


अंकित का आदमी (स ) लॅपटॉप मे कुछ देख रहा था और साथ मे रेकॉर्डिंग भी सुन रहा था....

जैसे ही उसने लॅपटॉप पर काम ख़त्म किया तो सामने बैठे सक्श ने कहा...

"लगता है ये अभी मानी नही...दीपा का भूत फिर से भेजना पड़ेगा...हाँ..."

स- ह्म्म..शायद...पर अभी नही...

"क्यो...क्या उसे माफ़ कर दोगे..."..सामने वाले ने सवाल किया..

स- माफ़...माफी तो किसी को नही मिलेगी...सब को सज़ा मिलेगी...पर हिसाब से...

"पर सज़ा देने मे देर किस बात की...अभी काम ख़त्म करो..."...सामने वाले ने फिर बोला...

स- मुझे क्या करना है ये तुम मत बताओ...जाओ रूम मे और रेडी हो जाओ...मैं आता हूँ...

फिर सामने वाला सक्श अंदर निकल गया...और स कुछ सोचने लगा...

स(मन मे)- अब ये भी दिमाग़ चलाने लगी...ह्म्म..अंकित को बताना पड़ेगा...पर अभी नही...उसे वापिस आ जाने दो..

स अभी सोच ही रहा था कि उसका फ़ोन बजने लगा....स्क्रीन पर नाम देख कर ही स खुश हो गया....

( कॉल पर )

स- हाँ..बोलो...

सामने- सर..सब मिल गया आपको...

स- ह्म...तुमने बहुत अच्छा काम किया है...

सामने- तो अब क्या ऑर्डर है सर...

स- अभी तुम वही रहो...और अपनी नज़रे जमाए रखो...ये भी देखना कि कौन आता है और क्या बातें होती है...

सामने- ओके सर...हो जायगा...

स- और हां...अगर पोलीस की कोई बात हो तो तुरंत बताना....

सामने- ओके सर...पर पोलीस आपका क्या बिगाड़ लेगी...

स(गुस्से से)- वो मैं जानता हूँ...तुमसे जितना बोला उतना करो...ओके...

सामने- ओके...सॉरी सर..

स- ह्म्म..चलो रखता हूँ...बाइ...

स ने कॉल कट कर दी और फिर एक मेसेज कर के अंदर वाले रूम मे निकल गया....

...........................

वापिस फार्महाउस पर .....रात शुरू होते ही....

हम सब रेडी हो कर शादी के लिए गाओं निकल गये ...

कुछ देर बाद हम एक घर के सामने खड़े हुए थे...

ये घर ज़्यादा बड़ा तो नही था..पर एक छोटी हवेली की तरह लग रहा था....

पूरा घर एक दुल्हन की तरह सज़ा हुआ था...घर के सामे बहुत बड़ा ग्राउंड था...वो भी सज़ा हुआ था...

हम सब जिसके घर शादी मे गये थे...वो इस गाओं के नामी-गिरामी इंसान थे...

शादी मे काफ़ी लोग आए हुए थे...ज़्यादातर लोग गाओं के ही थे....जो धोती-कुर्ता, सफ़ारी सूट मे थे और ज़्यादातर लोग सिर पर पगड़ी(साफा) बाधे हुए थे ...

बिल्कुल पूरे इंडियन परिधान....इन्हे देख कर लग रहा था कि इंडियन कल्चर सिर्फ़ गाओं मे ही बचा रह गया है...

सहरों मे तो हम सब ने वेस्टर्न कल्चर अपना लिया है...

हमारा स्वागत इतरा छिड़क कर किया गया...बिल्कुल राजाओ के जमाने की तरह....

घर की साज़-सजावट और वाहा के लोगो को देख कर कहीं ना कही हम सब थोड़े शर्मिंदा हो रहे थे...क्योकि हमारे साथ आई लॅडीस तो वेस्टर्न कपड़ों मे थी....

स्वागत होने के बाद हम सब शादी की रस्मों को देखने लगे...

तभी मैने गौर किया कि शबनम मुझे बड़ी हसरत भरी निगाहो से देख रही थी...

वैसे तो मेरे आगे खड़ी हुई जूही भी पीछे मूड-मूड कर मुझे देख रही थी...पर उसकी आँखो मे सिर्फ़ प्यार नज़र आ रहा था. ...

जबकि इस समय शबनम की आँखो मे मुझे वासना नज़र आ रही थी....

वैसे मैने भी जबसे शबनम आंटी का नंगा जिस्म देखा था...तभी से मूड बना हुआ था....

मेरी नज़र से उनकी गदराई गान्ड हट ही नही रही थी...फिर भी मैं अपने आपको कंट्रोल किए हुए था...

पर आज शबनम आंटी के दिमाग़ मे कुछ और ही चल रहा था....इसलिए वो किसी वाहने से अपनी जगह से मेरे पास आ कर खड़ी हो गई....और मेरे साइड मे खड़े अकरम को पानी लेने के लिए भेज दिया....

साला संजू भी उसी टाइम अकरम के साथ निकल गया और मैं शबनम के साथ रह गया...

मैने शबनम को देख कर स्माइल कर दी...और बदले मे वो भी मुस्कुरा दी....

वैसे शबनम वेस्टर्न ड्रेस मे क़हर ढा रही थी...उसकी गान्ड और ज़्यादा उभरी हुई दिखाई दे रही थी...

और उपेर से शबनम की आँखे मेरी आग को हवा देने लगी थी....


फिर जैसे ही अकरम पानी ले कर वापिस आया तो शबनम खिसक कर मेरे आगे खड़ी हो गई और अकरम मेरे बाजू मे...

थोड़ी देर मे मंडप मे कुछ रसम शुरू हो गई तो हमारे आजू-बाजू और लोग भी आ गये....

थोड़ा सा भीड़ का महॉल बन गया था और उस भीड़ की वजह से मैं आगे से शबनम के करीब हो गया....

और शबनम तो शायद पहले से रेडी थी...मेरे आगे होते ही वो खुद भी पीछे हो गई और उसकी मदमस्त गान्ड मेरे लंड से चिपक गई....

मैं शबनम की हरकत से कुछ ना बोल पाया बस मूड कर अकरम को देखा ...जो इस टाइम पूरे मन से मंडप मे चल रहे प्रोग्राम को देख रहा था...

फिर मैने आगे देखा तो शबनम ने मुझे स्माइल दे दी और वापिस आगे देखते हुए अपनी गान्ड को मेरे लंड पर दबा दिया....

मैं(मान मे)- आहह...क्या किस्मत है मेरी....इतनी रसीली गान्ड मुझे खुले आम दावत दे रही है पर मैं कुछ नही कर पा रहा....

एक तरफ दोस्ती है और एक तरफ मस्ती...कैसी टफ सिचुयेशन है यार ....

एक मेरा दोस्त है...जिसे मैं धोका नही देना चाहता...पर बार-2 ऐसा महॉल बन जाता है कि मैं रुक नही पाता...

पर मेरी भी क्या ग़लती...मर्द को खुली चूत मिले तो कहाँ छोड़ता है...

बट अभी मैं क्या करूँ...शबनम आंटी मेरे लंड को हार्ड कर रही है और उनका बेटा मेरे बाजू मे खड़ा है...

मैं तो खुल के मज़ा भी नही ले पा रहा हूँ...हे भगवान...कुछ करो...या तो आंटी को रोक लो या फिर मुझे खुल्ला मौका दे दो...कुछ करो भगवान..पल्लज़्ज़्ज़्ज़....

और मैं मन ही मन भगवान से रास्ता दिखाने की मिन्नतें करने लगा....

और आंटी भीड़ का फ़ायदा उठा कर अपनी गान्ड को मेरे लंड पर रगड़ने लगी....

कुछ देर बाद भगवान ने मेरी सुन ली...अकरम को एक कॉल आ गया और वो बात करने के लिए दूर निकल गया...और वसीम भी कही नज़र नही आ रहा था....

मैने भगवान को थॅंक्स बोला और आंटी की गान्ड का मज़ा लेने लगा...

अब मैने भी भीड़ का फ़ायदा उठाया और अपने हाथ आगे ले जाकर आंटी की गान्ड को थाम लिया...

मेरा हाथ लगते ही आंटी ने पलट कर मुझे स्माइल दी और फिर से गान्ड घिसने लगी....

आज मेरा लंड भी जल्दी ही गरम हो रहा था....शायद 2 दिन से चुदाई नही की थी, इसलिए...

मैं आंटी की गान्ड को सहलाते हुए सोचने लगा कि आज रात तो बहुत रंगीन बनाउन्गा....बट सवाल था कि कैसे.....????
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shubhs
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Re: चूतो का समुंदर

Post by shubhs »

वो भी इंतजाम हो जायेगा
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

मैने तो यहाँ अपनी रात रंगीन करने की सोच रहा था...पर मुझसे कही दूर कोई अपनी जिंदगी का मक़सद पूरा करने के लिए रात को भटक रही थी....

दूर कही किसी गाओं मे.....

रात के सन्नाटे को चीरती हुई कार की आवाज़...अंधेरे को चीरती हुई हेडलाइट्स के साथ रोड पर सनसनाती हुई भागी जा रही थी ....

कार को देख कर तो ऐसा लग रहा था कि कोई कहीं जल्दबाज़ी मे जा रहा है...

पर कार की पिछली शीट पर हवस का नंगा नाच चल रहा था....

कार की पिछली शीट को कार की डिग्गि से मिला कर एक आरामदायक बिस्तेर की तरह बनाया गया था....

उस शीट पर एक रोबीला मर्द और मस्त औरत को कुतिया बना कर चोदे जा रहा था....

वो मर्द था रघु और वो औरत थी दामिनी....

दामिनी- आआहह....ज़ोर से...बस थोड़ा और...आअहह...ज़ोर से....

रघु- हाँ मेरी जान..ये ले...ईएहह....यईएहह....

दामिनी- ओह्ह्ह...मैं आयाआयी....आअहह...आअहह...उूउउम्म्म्म...

रघु- मैं भी मेरी रानी...ये ले....यीहह....आआहह...आअहह...

थोड़ी देर बाद दोनो नॉर्मल हो कर दारू के जाम गटकने लगे...

दामिनी- आहह..तुम सिर्फ़ चोदते ही रहोगे या मेरा काम भी करोगे...

रघु- अरे मेरी जान...तू चीज़ ही ऐसी है कि मन नही भरता...

दामिनी- अच्छा...जबसे मिले हो तबसे मेरी चूत और गान्ड ही बजा रहे हो...मेरा काम भी करो...तो और भी मज़ा मिलेगा...

रघु- हाँ मेरी जान...तेरे काम से ही जा रहे है...उस आदमी के पास जिससे आज़ाद का पता चल सकता है...समझी..

दामिनी(खुश हो कर)- सच...तब तो मज़ा आ जायगा...

रघु- अरे मेरी जान..तेरे मज़े के लिए तो मैं सब कर दूँगा...बस तू मुझे मज़ा करती रह...

दामिनी- ह्म्म..अभी मान नही भरा क्या....

रघु- अरे कहाँ यार...देख ये लंड फिर से खड़ा हो रहा है...आजा...

दामिनी- तुम बस काम का ध्यान रखो...और मैं तुम्हारे लंड का ध्यान रखती हूँ...

और इतना बोलकर दामिनी ने पेग ख़त्म किया और रघु के लंड को हाथ मे ले कर हिलाने लगी...और फिर चूस कर लंड खड़ा कर दिया...

एक बार फिर से रघु ने दामिनी की गान्ड मे लंड घुसा कर उसकी गान्ड मारनी शुरू कर दी और उनकी चुदाई की आवाज़ कार की आवाज़ के साथ चलती रही.....

सफ़र तय कर के कार एक दुकान(शॉप ) पर खड़ी हो गई...

कार रुकते ही दामिनी और रघु ने अपने आप को ठीक किया और कपड़े पहने...तब तक ड्राइवर ने कार से निकल कर दुकानदार से एक अड्रेस पूछा और वापिस कार को उस अड्रेस्स की तरफ दौड़ा दिया ...

थोड़ी देर बाद कार एक छोटे से घर के सामने रुक गई...उस घर को देख कर ही लग रहा था कि घर किसी ग़रीब आदमी का है...

तभी कार से रघु और दामिनी नीचे आए और उस घर का गेट नॉक किया...जो कुछ-2 टूटा हुआ था...


गेट खुलते ही एक अधेड़ एज की औरत बाहर आई...जिसने सिर पर घूँघट डाला हुआ था...

औरत- जी...कहिए...

रघु- क्या ये बहादुर का घर है...??

औरत- जी हां...आप कौन..

रघु- मैं उसका पुराना दोस्त हूँ...आप उसे बुला देगी...

औरत- पर वो तो घर पर नही है...

रघु- नही है...तो कहाँ है...

औरत- वो कुछ दिन पहले सहर गये थे...तबसे वापिस नही आए...हमें भी अब चिंता होने लगी है...

रघु- सहर ...किस सहर मे...और काम क्या था...

औरत- काम तो पता नही...बोले थे कि कुछ ज़रूरी काम है...और सहर का नाम...****...था...

सहर का नाम सुनते ही दामिनी को झटका लगा और वो आगे आकर औरत से बोली...

दामिनी- तुम्हे पक्का यकीन है कि वो इसी सहर मे गया है...

औरत- जी...पर बात क्या है मेडम...

दामिनी- अच्छा ये बताओ कि क्या तुम आज़ाद के बारे मे कुछ जानती हो...??

औरत- नही मेडम...कौन है वो...

दामिनी- कोई नही ..छोड़ो...अच्छा बहादुर किसके पास जाने वाला था ये पता है तुम्हे....

औरत - नही मेडम...वो बस बोल कर गये थे कि एक पुराना दोस्त है...उसी के पास जाना है...

दामिनी- अच्छा ये बताओ कि क्या कोई आया था उससे मिलने...उसके जाने के पहले....

औरत- हाँ मेडम...एक आदमी आया था...उसी के दूसरे दिन ये सहर निकल गये...

दामिनी- ओके...

और दामिनी ने रघु को इशारा किया और दोनो कार के पास आ गये....

रघु- तुम सहर का नाम सुन कर चौंक क्यो गई...??

दामिनी- क्योकि मैं उसी सहर मे रहती हूँ...

रघु- तो क्या..

दामिनी- अरे...वही आकाश भी रहता है...आज़ाद का बेटा...

रघु- तो उससे क्या ..??

दामिनी- मैं नही चाहती कि आज़ाद और आकाश आपस मे मिले...कोई बात भी करे...

रघु- पर क्यों...तुम्हे तो दोनो को मारना है ना...

दामिनी- हाँ...पर पहले बहुत कुछ छीनना है उससे ...और अगर आज़ाद ने आकाश को कुछ बता दिया मेरे बारे तो मेरे हाथ कुछ नही आयगा....वो मर भी गये तब भी...

रघु- ह्म्म...काफ़ी घहरी दुश्मनी है...हां...

दामिनी- हाँ...बहुत गहरी...

रघु- तो अभी क्या करना है...ये बोलो...

दामिनी- तुम इस गाओं मे अपने आदमी लगाओ...किसी ने तो देखा होगा उस आदमी को जो बहादुर से मिलने आया था....अगर वो मिल गया तो आज़ाद भी मिल जायगा...और तब तक मैं सहर मे बहादुर को देखती हूँ...

रघु- तो क्या तुम अभी चली जाओगी...

दामिनी(मुस्कुरा कर)- नही मेरे राजा...2 दिन बाद...तब तक तू मज़ा ले...ह्म्म...

और फिर दोनो कार मे बैठ कर निकल गये.....

दामिनी ने जो सोचा था वो उसे नही मिला...उसने रघु को आज़ाद का पता लगाने का काम दे दिया और खुद घर आने का फ़ैसला किया....

पर वो 2 दिन के लिए उसी गाओं मे रुक गई...इस उम्मीद मे कि शायद आज़ाद का पता चल जाए.....

यहाँ सहर मे...रिचा के घर...

रिचा अपनी बेटी के साथ बैठ कर टीवी देख रही थी...तभी उसका फ़ोन रिंग हुआ...


रिचा- हेलो...कौन...

सामने- $$$$..

रिचा- रॉंग नंबर...

और रिचा ने कॉल कट कर दी ...और अपनी बेटी से नीद का बहाना कर के अपने रूम मे आ गई...

गेट लगाते ही उसने वापिस कॉल लगाया ...

( कॉल पर )

रिचा- हाँ..हेलो...

बॉस- क्या हेलो...कॉल क्यो कट की थी...

रिचा- अरे यार...मेरी बेटी थी मेरे बाजू मे...बोलो क्या हुआ...

बॉस- ह्म्म..तुझे एक काम देना था...

रिचा- कैसा काम...

बॉस- मैं सोच रहा था कि आकाश को एक चोट देने का टाइम आ गया है...और उसके बेटे को भी...

रिचा- मतलब...उनको मारना है क्या...??

बॉस- अरे मारना होता तो क्या तुझे कॉल करता...

रिचा- तो फिर...

बॉस- तुम ये बताओ कि आकाश के सहर मे कितने ऑफीस है...3 है ना...??

रिचा- हाँ...3 ही है...तो..

बॉस- मैं चाहता हूँ कि कल उसके एक ऑफीस पर हमला हो...और पूरा ऑफीस बर्बाद हो जाए...

रिचा- तो इससे क्या होगा...

बॉस- इससे आकाश के बेटे का दिमाग़ उस हमले पर लग जायगा....समझी...

रिचा- नही...बिल्कुल नही..

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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

बॉस- मुझे लगता है कि अंकित आज-कल बहुत दिमाग़ चला रहा है...तो सोचा कि क्यों ना उसका दिमाग़ कहीं और लगा दूं..

रिचा- अंकित...उसने क्या किया....

बॉस- कामिनी पर हमला...फिर दीपा का पिक्चर मे आना...ये कौन कर सकता है...

रिचा- पागल हो क्या...अंकित नही कर सकता...

बॉस- तो और कौन है कामिनी का दुश्मन...हो ना हो ये अंकित का काम है...

रिचा- नही...आकाश हो सकता है...

बॉस- आकाश तो सहर से दूर है...और मान लो कि आकाश है...तो उसका दिमाग़ भी डाइवर्ट हो जायगा....

रिचा- ह्म्म..पर इसमे मुझे क्या करना होगा...

बॉस- मैं तुम्हे एक अड्रेस सेंड करूगा...तुम्हे वहाँ जाना है...

रिचा- ओके..कब...

बॉस- मेसेज मिलने के 1घंटे के अंदर..

रिचा- क्या...पागल हो क्या...मैं रात मे कैसे ....मेरी बेटी को क्या बोलोगि...

बॉस- वो तुम देखो...तुम्हे बस वहाँ पहुचना ही होगा...

रिचा- उउहह...ओके...पर करना क्या है...

बॉस- वही जिसमे तुम एक्सपर्ट हो...उसे खुश करना है...

रिचा- तुम ना...ठीक है...पर एक बात बताओ...क्या तुम्हे भी लगता है कि दीपा जिंदा है...

बॉस- ह्म्म..श्योर तो नही...हो सकता है कि मर गई हो...

रिचा- तो क्या वो सच मे भूत है...

बॉस- भूत होता ही नही...हो सकता है कि दीपा जैसी दिखने वाली हो...कोई बड़ा गेम खेल रहा है...और वही मुझे पता करना है...

रिचा- मैने तभी बोला था..जब कामिनी का आक्सिडेंट हुआ था...पर तुम्हे तो..

बॉस(बीच मे)- इसीलिए अब वेट नही कर सकता...इस हमले से ये क्लियर हो जायगा कि दिमाग़ कौन चला रहा है...आकाश या अंकित...

रिचा- ओके...पर पता कैसे चलेगा...

बॉस- तुम बस ये ख्याल रखना कि ऑफीस पर हमले की खबर आकाश तक ना पहुचे...कुछ दिन तक...और हाँ..अंकित तक तुरंत पहुच जाए....

रिचा- ह्म्म...मैं रजनी से कॉल करवा दूगी..ओके..

बॉस- गुड....

रिचा- पर एक मिनट...आकाश के एंप्लायी ने बोल दिया तो...

बॉस- उसका इंतज़ाम मैने कर लिया है...

रिचा- अच्छा...कैसे...वहाँ तो सब आकाश के वफ़ादार होंगे....

बॉस- हाहाहा...डार्लिंग..भूख इंसान से कुछ भी करवा सकती है...यहाँ भी एक है...जिसे पैसों की भूख है....बस इंसान की भूख शांत कर दो...फिर वो तुम्हारा गुलाम ...

रिचा- अच्छा है....पर पोलीस का क्या...

बॉस- पोलीस की टेन्षन छोड़ो...जिसके पास तुम्हे जाना है...वो देख लेना...उसे भी भूख है...जो मैं शांत करवाउन्गा...


रिचा- उसकी भूख क्या है...

बॉस- जिस्म की भूख...वो औरत के जिस्म के लिए पागल है...

रिचा- ओह..तो उसकी भूख मुझे मिटानी है...

बॉस- ठीक समझी...मैं मेसेज करता हूँ...निकलो...और हाँ...अपनी बेटी को बोल देना कि सुबह ही आओगी...

रिचा - सुबह...क्या पूरी रात...

बॉस(बीच मे)- हाँ...उसकी भूख बड़ी है...और ठर्की है साला...पूरा निचोड़ के मज़ा लेगा...तुम उसे खुश कर देना...बाइ...

और रिचा के कुछ बोलने के पहले ही कॉल कट हो गई.....

वापिस....शादी की जगह....

यहाँ मैं सबनम आंटी से चिपट कर अपने लंड को आराम देने मे लगा हुआ था....

मेरे हाथ भी आंटी की गान्ड को दबाते हुए उन्हे गरम करने मे बिज़ी थे...और आंटी भी अपनी गान्ड को धीरे-2 मेरे लंड पर घिसे जा रही थी...

मैने मौका देख कर आंटी के कान मे बोला..

मैं- आंटी...बस कीजिए...वरना गड़बड़ हो जायगी ....

आंटी- ह्म्म..सही कहा ...पर क्या करु...मन हो रहा है..

मैं- मन तो मेरा भी हो गया...पर ये जगह सही नही है...

आंटी- ह्म्म..जानती हूँ बेटा...

मैं- तो अब आराम से शादी देखो...हाँ...

आंटी- अब शादी देखने का मन नही बेटा...अब तो सुहागरात...

मैं(बीच मे)- कंट्रोल आंटी...कंट्रोल...

आंटी- ओके...मैं आती हूँ...

और आंटी अचानक से वहाँ से निकल गई...और मैं उन्हे जाते हुए देख कर सोचने लगा कि अब अचानक क्या हुआ..

फिर मैने सबकी नज़रो से बच कर अपने हथियार को ठीक किया और शादी देखने लगा.....

कुछ ही देर बाद अकरम आया और मुझे अपने साथ बाहर ले गया...जहा हमारी कार पार्क थी...

मैने देखा क़ि वहाँ वसीम और सबनम पहले से ही खड़े थे...

मैं- अकरम...ये सब...बात क्या है..

अकरम- कुछ नही...तुम और मोम फार्महाउस जा रहे हो...

मैं- हम दोनो..और तुम सब...

अकरम- हम थोड़ी देर से आते है...शादी ख़त्म करके...

मैं- पर अचानक...क्यो...??

वसीम- अरे बेटा ...वो तुम्हारी आंटी का सिर दर्द हो रहा है...तो उसे सोना है....

मैं- ओके...पर मैं...

वसीम(बीच मे)- उसने बोला कि तुम्हारे हाथ मे अभी भी दर्द है...इसलिए तुम भी रेस्ट करो...

अकरम- हाँ..और अब कुछ मत बोलना...कार मे बैठ...तुम और मोम ...दोनो रेस्ट करो...हम सब भी 1-2 घंटे मे आ रहे है..ओके...

मैं- ह्म्म...ठीक है...

मैने आंटी को देखा तो आंटी ने हल्की सी स्माइल दी और फिर से सिर पकड़ कर बोली...

सबनम- चलो बेटा...अब रहा नही जाता...

मैं(मन मे)- हाँ आंटी...अब कैसे रहा जायगा...वैसे रहा तो मुझे भी नही जा रहा....मान गये...क्या प्लान बनाया है....

सबनम(कार मे बैठ कर)- आओ बेटा...चले...

मैं- ओके आंटी...चलिए...

और फिर मैं आंटी के साथ फार्महाउस निकल आया....
पूरे रास्ते हम ने कोई बात नही की बस आंटी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर जमाए रखा...

हम दोनो ही नही चाहते थे कि ड्राइवर को कुछ भी शक हो...इसलिए चुप-चाप फार्म हाउस आ गये....

फार्महाउस आते ही आंटी अंदर निकल गई और मैं भी गार्ड को ध्यान रखने का बोल कर अंदर आया और मेन गेट लॉक कर दिया....

मैं(मन मे)- अब तो रात का मज़ा ही अलग आयगा....

और मैं उपेर रूम की तरफ चला आया...जहाँ आंटी मेरा ही वेट कर रही थी...

मुझे देखते ही आंटी ने स्माइल की और पलट कर खड़ी हो गई...

मैं समझ गया कि आंटी शर्मा रही है....

मैं आराम से आंटी के पास गया और पीछे से उन्हे अपनी बाहों मे कस लिया....

आंटी- आअहह...बेटा...

मैं- क्या हुआ आंटी...ह्म्म..अब शर्मा रही हो...

आंटी- ह्म्म....

मैने अपने हाथ को आंटी की कमर और बूब्स पर फिराना शुरू किया....

मैं- तो शादी मे क्या कर रही थी...तब शर्म नही आई. .

आंटी- आई थी बेटा...पर पता नही कैसे इतनी हिम्मत कर ली...

मैं- बहुत मूड बन रहा था आपका तो...हाँ...

आंटी- ह्म्म...मूड तो शाम से ही बना था...जब तूने मुझे...आहह...

मैने धीरे से आंटी के एक बूब्स को दबा दिया...

मैं- तो आपने कहा क्यो नही...

आंटी- कैसे कहती बेटा...वो अकरम का रूम था...

मैं- ह्म्म..पर आपको कंट्रोल करना चाहिए ना...ह्म्म...

आंटी- कोसिस कर रही हूँ ...पर आज बहुत मन हो रहा था...

मैं- तो आज रात आपके मन को खुश कर दूं...

आंटी- हाँ बेटा...आज जी भर के मज़ा दे दे...

मैने देर ना करते हुए आंटी के कपड़े निकाल दिए...और आंटी ब्रा-पैंटी मे आ गई...

आंटी ने भी मेरी शर्ट निकाल दी और मुझे किस करना शुरू कर दिया....

मैने आंटी को सोफे के साइड पर बैठाया और किस करना जारी रखा...

मैने घुटनो पर आकर आंटी की नाभि पर जीभ फिराने लगा....
आंटी ने एक्सिटमेंट मे अपनी टांगे मेरे कंधे पर फसा दी....और अपने हाथो के बल पीछे झुक कर मज़ा लेने लगी.....

मैं- सस्स्र्र्ररुउउप्प्प्प...सस्रररुउउप्प्प्प...उउउम्म्म्मम...

आंटी- ओह्ह बेटा...उउउंम्म....बेटा...आआहह....

मैं आज आंटी को धीरे-धीरे मज़ा दे रहा था...और आंटी भी तड़पति हुई मज़े के सागर मे डूबती जा रही थी.....

मैं- आअहह...आप बहुत टेस्टी हो आंटी...उउउंम्म....सस्स्स्रररुउउउप्प्प्प्प्प....

आंटी- आअहह....तो चूस लो मुझे....ऊओह..बेटा....उूउउम्म्म्म...

थोड़ी देर तक आंटी की नाभि के मज़े लेने के बाद मैने उन्हे सोफे पर लिटा दिया और उनके साइड मे लेट कर उनके बूब्स को ब्रा से आज़ाद कर दिया ....

मैं- उउउंम...अब मज़ा आयगा...

और मैने आंटी के बूब को मुँह मे भर लिया...
आंटी- उउंम...चूसो बेटा....चूसो...आआहह..

मैने आंटी के बूब्स को बारी-2 चूसना शुरू कर दिया और साथ मे एक हाथ से पैंटी के उपेर से उनकी चूत सहलाने लगा....

आंटी- उउउंम्म..यस बेटा...चूसो...आअहह...ज़ोर से....आआहह...

मैं- सस्स्रररुउउप्प्प....उूउउंम्म...उूउउंम्म...उउउंम्म......

मैं- उउंम्म...यू आर सो हॉट आंटी...उउउंम्म....उउउंम्म...

आंटी- एस बेटा...सारी ह्टनेस निकाल दे ...चूस ले....उूउउंम्म....

मैं- उउंम...हाँ आंटी ..सब चूस लुगा...उूुउउम्म्म्म...सस्स्रररुउउप्प्प्प....
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