चूतो का समुंदर
- shubhs
- Novice User
- Posts: 1541
- Joined: 19 Feb 2016 06:23
Re: चूतो का समुंदर
वाहः भाई लगे रहो
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
- Ankit
- Expert Member
- Posts: 3339
- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: चूतो का समुंदर
shubhs wrote:वाहः भाई लगे रहो
भाई आप बस हौंसला बढ़ाते रहो
- Ankit
- Expert Member
- Posts: 3339
- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: चूतो का समुंदर
ऐसी ही आवाज़े होती रही ऑर मैं स्मिता को चोदता रहा……जब मैं झड़ने के करीब आ गया तो मैने कहा…
मैं-आअहह..बेबी…मैं आ रहा हूँ…कहाँ डालु…
स्मिता-आअहह...मुझे चखना है…मेरे मुँह मे…ऊओह…डाअल्ल्लूओ....
मैने तुरंत ही स्मिता को छोड़ दिया और स्मिता उठ कर घुटनो पर नीचे बैठ गई ओर मेरे लंड को मुँह मे भर कर हाथ से आगे पीछे करने लगी,,,,
थोड़ी देर बाद मैं झड़ने लगा,,,,ऑर स्मिता ने मेरा लंड रस पीना शुरू कर दिया...और थोड़ा रस मुँह से निकाल कर उसके बूब्स पर आ गया.....
स्मिता मुँह मे भरे लंड रस को पी गई और टपक चुके लंड रस को बूब्स पर मलने लगी ऑर थोड़ा -2 चाटने लगी....
स्मिता अपनी मस्ती मे लंड रस से खेल रही थी और ये सब देख कर सोनी शर्मिंदा हो रहा था...
आज उसे लग रहा था कि उसने अपनी बीवी को कभी चुदाई की असली ख़ुसी नही दी....
चुदाई कर के मैं सोफे पर बैठ गया और स्मिता भी आ कर मेरी गोद मे बैठ गई ओर मुझे किस करने लगी…...
स्मिता-मज़ा आ गया ..सच मे…मेरे पति ने ऐसा कुछ कभी नही किया था…
मैं-ह्म्म..पर मेरे मज़े का क्या…
स्मिता-क्यो तुम्हे मज़ा नही आया…
मैं-आया..पर जब तक मैं गान्ड ना मारु…मेरा मज़ा अधूरा रहता है…
स्मिता-ओह…ऐसा…तो वो इक्षा भी पूरी कर लो...मेरा पति भी देख लेगा कि गान्ड असली मर्द ही मार पाते है....
मैं-हाहाहा...ज़रूर....पर अभी टाइम नही...वैसे भी अब तुम मेरी रखेल हो...कभी भी मार लेगे.....
स्मिता- ओके...
और फिर मैने स्मिता को अंदर भेज दिया और खुद फ्रेश हो कर रेडी हो गया....
मैं- ओके सोनी...चलता हूँ...अब तो रोज ही आना होगा...मेरी रखेल जो है यहाँ...
फिर मैं गेट तक आया और रुक गया...
मैं- सोनी...अब से तुम्हारी जॉब और तुम्हारा नाम वैसा ही होगा..जैसा पहले था...
सोनी(चौंक कर)- एम्म..मतलब..??
मैं- कल से मेरा दूसरा ऑफीस जाय्न करो..सेम पोस्ट पर...
सोनी- अंकित...
सोनी खुशी से हैरान था...उसके मुँह से कोई शब्द नही निकल पाया....
मैं- हाँ...तुम्हारी वही इमेज होगी जो आज तक थी...और तेरी बीवी भी तेरी ही रहेगी...अब खुशहाल जिंदगी जियो....
सोनी(खुशी से रोते हुए)- थॅंक यू...थॅंक यू अंकित...थॅंक यू....
मैं- पर याद रखना....1 पैसे की भी गद्दारी की ...तो इस बार ..नो टाइम...तो आरगु....ओन्ली पनिशमेंट...समझा...चल बाइ...
सोनी खुशी के आँसू बहा रहा था और मैं वहाँ से निकल आया...
मैं-आअहह..बेबी…मैं आ रहा हूँ…कहाँ डालु…
स्मिता-आअहह...मुझे चखना है…मेरे मुँह मे…ऊओह…डाअल्ल्लूओ....
मैने तुरंत ही स्मिता को छोड़ दिया और स्मिता उठ कर घुटनो पर नीचे बैठ गई ओर मेरे लंड को मुँह मे भर कर हाथ से आगे पीछे करने लगी,,,,
थोड़ी देर बाद मैं झड़ने लगा,,,,ऑर स्मिता ने मेरा लंड रस पीना शुरू कर दिया...और थोड़ा रस मुँह से निकाल कर उसके बूब्स पर आ गया.....
स्मिता मुँह मे भरे लंड रस को पी गई और टपक चुके लंड रस को बूब्स पर मलने लगी ऑर थोड़ा -2 चाटने लगी....
स्मिता अपनी मस्ती मे लंड रस से खेल रही थी और ये सब देख कर सोनी शर्मिंदा हो रहा था...
आज उसे लग रहा था कि उसने अपनी बीवी को कभी चुदाई की असली ख़ुसी नही दी....
चुदाई कर के मैं सोफे पर बैठ गया और स्मिता भी आ कर मेरी गोद मे बैठ गई ओर मुझे किस करने लगी…...
स्मिता-मज़ा आ गया ..सच मे…मेरे पति ने ऐसा कुछ कभी नही किया था…
मैं-ह्म्म..पर मेरे मज़े का क्या…
स्मिता-क्यो तुम्हे मज़ा नही आया…
मैं-आया..पर जब तक मैं गान्ड ना मारु…मेरा मज़ा अधूरा रहता है…
स्मिता-ओह…ऐसा…तो वो इक्षा भी पूरी कर लो...मेरा पति भी देख लेगा कि गान्ड असली मर्द ही मार पाते है....
मैं-हाहाहा...ज़रूर....पर अभी टाइम नही...वैसे भी अब तुम मेरी रखेल हो...कभी भी मार लेगे.....
स्मिता- ओके...
और फिर मैने स्मिता को अंदर भेज दिया और खुद फ्रेश हो कर रेडी हो गया....
मैं- ओके सोनी...चलता हूँ...अब तो रोज ही आना होगा...मेरी रखेल जो है यहाँ...
फिर मैं गेट तक आया और रुक गया...
मैं- सोनी...अब से तुम्हारी जॉब और तुम्हारा नाम वैसा ही होगा..जैसा पहले था...
सोनी(चौंक कर)- एम्म..मतलब..??
मैं- कल से मेरा दूसरा ऑफीस जाय्न करो..सेम पोस्ट पर...
सोनी- अंकित...
सोनी खुशी से हैरान था...उसके मुँह से कोई शब्द नही निकल पाया....
मैं- हाँ...तुम्हारी वही इमेज होगी जो आज तक थी...और तेरी बीवी भी तेरी ही रहेगी...अब खुशहाल जिंदगी जियो....
सोनी(खुशी से रोते हुए)- थॅंक यू...थॅंक यू अंकित...थॅंक यू....
मैं- पर याद रखना....1 पैसे की भी गद्दारी की ...तो इस बार ..नो टाइम...तो आरगु....ओन्ली पनिशमेंट...समझा...चल बाइ...
सोनी खुशी के आँसू बहा रहा था और मैं वहाँ से निकल आया...
- Ankit
- Expert Member
- Posts: 3339
- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: चूतो का समुंदर
कार मे बैठे हुए मैं सोच रहा था ...कि मैने आज क्या किया...
मैने सोनी को जलालत की हद तक जॅलील किया...और फिर माफ़ भी कर दिया...क्या सोनी इससे खुश रहेगा...या फिर कुछ आक्षन लेगा...
वेल...मुझे जो समझ मे आया...मैने कर दिया....
आइ डोंट नो ....एम आइ आ गुड पर्सन...ऑर बॅड....????????????????
फिर मैं घर आया और सोनी के साथ की गई हरक़त के बारे मे सोचता हुआ सो गया......
सुबह जब जगा तो संजू मेरे सामने खड़ा हुआ था....असल मे उसी ने मुझे जगाया था....
मैं(आँख मलते हुए)- तू...सुबह-सुबह....क्या हुआ भाई ...
संजू- अबे...होना क्या है...आज स्कूल चलना है....
मैं- स्कूल...हाँ यार...काफ़ी दिन हो गये स्कूल की सकल देखे...
संजू- ह्म्म..और इसी लिए प्रिन्सिपल ने तुझे लाने को बोला है...
मैं- क्या...प्रिन्सिपल ने...मर गये...साला बहुत सुनायगा....
संजू- हाँ...वो तो है...तो जल्दी से रेडी हो जा...और हाँ...अकरम भी आ रहा है...
मैं- ह्म्म...तो रुक...अभी रेडी होता हूँ....
फिर मैं रेडी हुआ और अकरम और संजू के साथ स्कूल निकल गया....
जाते ही प्रिन्सिपल ने अच्छी-ख़ासी क्लास ले ली...बट मैने डॅड के ऑफीस की बात बता कर अपने आप को कुछ हद तक बचा लिया....पर आज मुझे फुल टाइम स्कूल मे निकालना था...ताकि प्रिन्सिपल खुश हो जाए...
लंच तक तो सब ठीक रहा...बट उसके बाद मैं बोर होने लगा...बट मजबूरी थी...इसलिए लाइब्ररी मे पढ़ने के बहाने रेस्ट करने चला गया....
मैं वहाँ बुक खोल कर रेस्ट ही कर रहा था कि रूबी आ गई...और मुझे देखते ही शरमाने लगी...
मैं- अब इसको क्या हुआ...ये लड़किया भी ना...
रूबी(मेरे पास आ कर)- ऐसे क्या देख रहे है...भूल गये क्या ...??
मैं- ना..नही तो...कैसी हो...
रूबी- यहाँ कैसे बताऊ...
मैं- मतलब...??
रूबी- अरे ..सुनो...आपको पता है कि मेरा हाल क्या है...
मैं- नही तो...क्या हुआ...
रूबी- क्या हुआ...आपने मुझे सेक्स की आदत लगा दी...और अब भूल गये....
मैं- ओह...तो ये बात है...
रूबी- ह्म्म्म...कुछ करो ना...
मैं- देखो...ये जगह इस सब के लिए ठीक नही...बाद मे मिलना...
रूबी- यहाँ सिर्फ़ मैं और आप ही है...
मैं- ओह गॉड...इतनी गर्मी...तुम कह रही हो कि यहाँ करूँ....
रूबी(सिर हिला कर)- हमम्म...
मैं- पागल है क्या...किसी ने देख लिया तो बॅंड बज जाएगी...
रूबी- कुछ नही होगा...कोई अंदर आएगा तो पहले ही पता चल जायगा...
मैं- वो कैसे...??
रूबी- मेरी फ्रेंड बाहर खड़ी है...वो बता देगी...
मैं- हे साला...तू तो पूरी तैयारी से आई है...हाँ...
रूबी- ह्म्म..मैने आपको आते देख लिया था...
मैं- ओह..पर मेडम का क्या...वो तो होगी ही...
रूबी- वो काउंटर छोड़ के कहीं नही जाती...और हम बुक सेल के पास करेंगे...
मैं- तू ना...तू पागल हो गई है...
रूबी- प्ल्ज़ भैया...बहुत मन है...देखो ना..
और रूबी उपेर से ही अपने एक बूब को मसल्ने लगी....
मैं- तुम लोग ना चाहते हुए भी मूड बना देती हो...
रूबी(मुस्कुरा कर)- हाँ भैया...अब मान भी जाओ...प्ल्ज़्ज़...
मैं(मन मे)- सेक्स के लिए इतनी बेताबी...ये क्या कर दिया मैने...चोदता ही नही तो ठीक था...अब भुग्तो...
रूबी- चलो ना भैया...टाइम कम है...
मैं(मुस्कुरा कर)- तू नही मानेगी..हाँ...अच्छा चल..पर याद रखना..फस गये तो तू पछताएगी...
रूबी- नही फसूगी...मेरी गारंटी...
मैं- तो चल फिर...देखु तेरी गर्मी...आजा...
और मैं रूबी के साथ बुक सेल की तरफ आ गया...
हम बुक सेल के बीच मे थे...हमे बाहर से आने वाला देख नही सकता था...पर हम सबको देख सकते थे...
- Ankit
- Expert Member
- Posts: 3339
- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: चूतो का समुंदर
वहाँ आते ही रूबी ने मुझे बाहों मे जाकड़ लिया और चूमने लगी.....
मैं- अरे...साला टाइम कम है और तुझे फुल रोमॅन्स सूझ रहा है...जल्दी से प्यास बुझा और निकलते है....
रूबी- ह्म्म्मे....तो घर पर आ कर रोमांस करना..ओके...
मैं- ओके...अभी तो जल्दी कर...मेरा लंड खड़ा होने लगा है....
रूबी ने झट से नीचे बैठ कर मेरा लंड आज़ाद किया और चूसने लगी....
थोड़ी देर मे ही उसने लंड चूज़ कर तैयार कर दिया.....
मैं- अब आजा...तेरी आग बुझाता हू...
और मैने रूबी को आगे झुका कर नीचे से नंगा किया और लंड चूत के अंदर.....
रूबी- आऐईयइ.....माररर गई...
मैं- अब जल्दी मे तो मारेगी ही....अब चुपचाप मज़ा कर..
और मैने कमर पकड़ कर चुदाई शुरू कर दी....और जब तक चोदता रहा तब तक रूबी झड नही गई...
रूबी के झड़ने के बाद भी मैने चुदाई नही रोकी....और जोरदार चुदाई चालू रखी...
और चुदाई का संग्राम हम दोनो के झड़ने के साथ ख़त्म हुआ....
हम दोनो के झाड़ते ही रूबी फिर से मेरे लंड को चूसने लगी...और जब जी भर के लंड चूस लिया तो उठ कर मेरे गले लग गई...
मैं- अब खुश है ना...स्कूल मे भी चुदवा के मानी तू...
रूबी- ह्म्म..आप सच मे बहुत अच्छे है....जल्दी मान जाते है...
मैं- चल...मस्का मत मार...वो तो मेरा भी मन हो गया था इसलिए...
रूबी- ह्म्म..पर आपको मेरी एक बात माननी होगी...
मैं- कौन सी बात...??
रूबी- पहले प्रोमिस करो कि ना नही कहोगे....
मैं- देख...ऐसे प्रोमिस नही करता मैं...काम बोल फिर देखुगा...
रूबी- ओके...तो आपको मेरे घर आना है...
मैं- अच्छा...और किस लिए...तेरी गान्ड मारने...
रूबी- वो तो आपकी ही है..मार लेना...पर आपको आना होगा...प्ल्ज़..ना नही कहना...मुझे आपसे बहुत खास काम है...
मैं- खास काम...बताओ तो...
रूबी- नही..आप घर आएँगे तभी बताउन्गी...प्ल्ज़ भैया...आ जाना ना...
मैं- ऊओककक...आ जौगा...बस...पर टाइम मिलेगा तब...
रूबी- प्रोमिस...
मैं- ह्म्म्मप....ओके..प्रोमिस...जल्दी आउगा...टाइम मिलते ही...
रूबी- थॅंक यू....मैं इंतज़ार कारूगी...
मैं- ओके ओके...अब चलेगी भी...