चूतो का समुंदर

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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »


रूम मे आते ही मुझे सोनम का मेसेज आ गया...उसने मेरी तवियत के बारे मे पूछा था...
मसेज पढ़ कर मुझे याद आया कि सोनम से मिलना था...तो मैने रिप्लाइ मे कल मिलने को बोल दिया और फिर रेस्ट करने लगा...
रात को सबके साथ डिन्नर करते वक़्त भी सब लोग सहमे हुए थे...शायद डॅड की हालत देख कर...
डॅड अभी भी नशे मे सोए पड़े थे...
मैने महॉल को बातें कर के हल्का करने की कोसिस की...
मैं- उउंम..क्या मस्त बेंगन भरता है...मज़ा आ गया...किसने बनाया...
पारूल- रश्मि दीदी ने..
मैं- वाह रश्मि ..तुम्हारे हाथो मे तो जादू है...लाओ तो ज़रा चूम लूँ...
रश्मि ने हँसते हुए अपने हाथ आगे कर दिए...और उसकी उंगली मे चमकती रिंग देख कर मैं बोला.
मैं- वाउ....हीरे की अंगूठी...
रश्मि- न..नही तो...ये तो दिखने वाली है...असली हीरा हमारे नसीब मे कहाँ...
मैं- ओके..पर ये हाथ तो असली है ना...
और मैने रश्मि के हाथ चूम लिए...
ऐसे ही हसी-मज़ाक करते हुए हमारा डिन्नर ख़त्म हो गया...
फिर मैं रूम मे आया और अपने आदमी को एक पिक सेंड कर दी...तुरंत ही उसका कॉल आ गया...
( कॉल पर )
स- ये पिक क्यो भेजी..
मैं- इसके बारे मे पूरी जानकारी चाहिए...समझ गये...
स- ह्म्म..समझ गया...मैं आदमी लगता हूँ इस काम के लिए...वैसे मैं कॉल करने ही वाला था...
मैं- क्यो...कुछ काम था...
स- मुझे नही..तुम्हे...सोनी को भूल गये क्या...उसे छोड़ दूं...??
मैं- नही...अभी नही...ह्म्म्म ..एक काम करो..30 मिनट के बाद उसके घर पर मिलो....उसे साथ ले कर...
स- क्यो...क्या करने वाले हो..
मैं- बस...सोनी को सबक दे दूं कि अंकित के खिलाफ जाने पर क्या-क्या हो सकता है...आप बस 30 मिनट मे पहुच जाना...ओके
स- ओके...
फिर मैने कॉल कट की और घर से निकल गया...जाते-2 सबको डॅड का ख्याल रखने को बोल गया..
करीब 10 मिनट बाद मैं एक घर के सामने खड़ा था....
मैं(मन मे)- आज कितने दिनो बाद तुझे जी भर के चोदुन्गा...उउंम्म..
और मैने डोरबेल बजाई ही थी कि गेट खुल गया...और मुझे देख कर सामने वाले की धड़कने बढ़ गई...
मैं- और स्मिता ...क्या हाल है मेरी रानी...
स्मिता- त्त..तुम..यहाँ...इस वक़्त...
मैं- ह्म्म..मैं...इस वक़्त...
स्मिता- क्या हुआ...मतलब क्या काम था...
मैं- ह्म ...तुम्हारे पति से काम था...
स्मिता- पर वो तो है नही...
मैं- अरे ...कहाँ गये...
स्मिता- पता नही...कल से गये है...तबसे बस ये बोला कि जल्दी आउगा...और कुछ पता ही नही...
मैं- तब तो मैं सही वक़्त पर आया...ऐसी गरम बीवी ..घर मे अकेली छोड़ कर भाग गया...ह्म्म्मै..कदर ही नही...कोई नही...हम है ना...
स्मिता- क्या कर रहे हो...होश मे हो ना...
मैं(आगे बढ़ कर)- हाँ मेरी रानी...पूरे होश मे ...सिर्फ़ तुम्हारे हुश्न का नशा छा रहा है...
स्मिता(पीछे जाते हुए)- देखो...मेरे पति आ गये तो...तुम जाओ यहाँ से...
मैं- क्यो डर रही हो....
स्मिता- किसी ने देख लिया तो...जाओ ना...
मैं- ओह्ह..तो ये बात है...
और मैने गेट लॉक कर दिया...
मैं- अब तो कोई नही देखेगा...अब सिर्फ़ तुम और मैं...
स्मिता- नही..प्ल्ज़...


मैने स्मिता को अपने पास खीच लिया और उसके होंठो के करीब अपने होंठ ले गया...
मैं- क्या हुआ...डर लग रहा है...
स्मिता- हाँ...वो..मेरे पति...
मैं- तुम सब भूल गई क्या..कैसे मैने....हाँ...
स्मिता- नही..पर अभी...
मैं- अभी...क्या...ये गुलाबी होंठ भी...उउउंम्म
और मैने स्मिता के होंठो पर होंठ रख दिए. ..
स्मिता- उउउंम..नही ना...
मैं- थोड़ा सा...उउउंम्म...उउउंम्म...
स्मिता- उउउंम्म..तुम शैतान हो...उउउंम्म..
और अब स्मिता ने भी रेस्पोन्स देना शुरू कर दिया...
मैं- उउंम..हू तो...अब तुझे खाने वाला हूँ...उउउम्म्म्म...
और मैने अपने हाथो को ले जाकर उसकी गान्ड पर जमा दिया...और दबाने लगा...
स्मिता- उउउंम्म....तुम ना...उउउंम्म...जाओ...उउउंम्म...
मैं- अच्छा...उउउम्म्म्म..चला जाउ...उूउउम्म्म्म...उउंम
स्मिता- उउउंम्म...जाओ ना....चले जाओ...उउंम
मैने एक झटके मे स्मिता को छोड़ दिया....
मैं- सच मे...सोच लो...चला गया तो कभी नही आउगा...देखुगा भी नही...
स्मिता- ह्म...
और मैने भी स्मिता को छोड़ कर गेट की तरफ कदम बढ़ा दिया...
अचानक स्मिता ने भाग कर पीछे से मुझे बाहों मे भर लिया...
स्मिता- रुक जाओ...मत जाओ प्ल्ज़्ज़...
मैं- क्यो...मुझे क्या मिलेगा यहाँ...
स्मिता- सब कुछ...जो तुम चाहो...
मैं- ह्म..
और मैने पलट कर स्मिता को किस कर दिया...
मैं- तो फिर हटा दो ये कपड़े...और वो जिस्म दिखाओ...जो आज रात मेरी भूख मिटायगा...
स्मिता- पर मेरे पति...
मैं- डोंट वरी....आज की रात तेरे पति के सामने तुझे चोदुन्गा....
स्मिता- नही...ये नही हो सकता..
मैं- और तेरा पति खुद बोले तो...
स्मिता- पागल हो क्या...वो क्यो बोलेगा...
मैं- अगर बोला तो...
स्मिता- अगर बोला तो...तो फिर मैं उसी के सामने तुम्हे खुश कारूगी...
मैं- ह्म्म..तो जाओ...अंदर वेट करो.....अब मैं तुम्हे तभी टच करूगा...जब तेरा पति बोलेगा...ओके...
स्मिता- पर...
मैं- तुम बस तैयार रहना....तेरे पति से हाँ बुलवाना मेरा काम है...
स्मिता- अगर ऐसा हुआ तब तो मैं तुम्हारी रखेल बन जाउन्गी....
मैं- तो समझ लो कि आज से तुम मेरी रखेल हुई....जाओ और वेट करो...
स्मिता अपने बेडरूम मे चली गई और मैने कॉल कर के सोनी को बुलवा लिया..
थोड़ी देर बाद ही सोनी के बेडरूम मे सोनी, स्मिता और मैं थे...
मैं- हाँ तो सोनी....क्या सोचा...
सोनी- क्क़..क्या...
मैं- देख सोनी...या तो मैं तुझे दुनिया के सामने नंगा कर दूं और जैल भिजवा दूं...या फिर इस बात को यही घर के अंदर ख़त्म कर दूं...
सोनी- नही...मुझे जैल नही जाना...और कोई सज़ा दे दो पर जैल नही...
मैं- ह्म्म..तो सज़ा आक्सेप्ट करोगे....
सोनी- हाँ...जो भी कहो...प्रोमिस...
मैं- सोच लो...फिर मुकरने नही दूँगा...
सोनी- नही...नही...मैं नही मुकुरुन्गा...बोलो...क्या चाहते हो...
मैं- तेरी बीवी...
मेरे बोलते ही स्मिता की आँखे बड़ी हो गई और सोनी की आँखे तो बाहर ही आ गई...


सोनी- क्क्क..क्या...
मैं- हाँ..तेरी बीवी...इसे मैं अपनी रखेल बनाउन्गा....
सोनी- नही...ऐसा मत करो ...प्ल्ज़्ज़...
मैं- ओके..तो जैल जाओ..मैं इसे देखुगा भी नही...ठीक है...
सोनी- नही जैल नही...और कोई रास्ता नही है..
मैं- रास्ते तो यही दो है...सोचना तुझे है कि तुझे किस रास्ते जाना है...
एक रास्ता तुझे जैल ले जायगा...जहाँ तन्हाई, बदनामी और कंगाली है...
और दूसरा रास्ता ये है...तेरी बीवी मेरी रखेल बन कर रहेगी...तू बदनामी से बच जायगा..और घर पर रह कर मस्त जिंदगी जिएगा...अब बोल..
सोनी- मेरे लिए तो दोनो रास्ते ही मुस्किल है...
मैं- ये तेरी प्राब्लम है...तू सोच...
सोनी- मेरी इज़्ज़त क्यो उतारना चाहते हो...
मैं(गुस्से मे)- साले...तू मेरे बाप की इज़्ज़त को सरे बाजार नीलाम करने निकला था ना...अब उसका हिसाब तो देना ही होगा...इज़्ज़त का बदला इज़्ज़त से...
सोनी सिर नीचे कर के रोने लगा...और मेरे पैरों पर आ गया...
सोनी- माफ़ कर दो सर...माफ़ कर दो...मेरी बीवी क्या सोचेगी...
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

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स्मिता हमारी बातें सुनते हुए चुप चाप बैठी थी...उसे तो शायद सिर्फ़ सोनी के हाँ बोलने का इंतज़ार था...
मैं- देख सोनी...मैं किसी भी लड़की के जिस्म को जबरन हासिल नही करता...तू खुद सोच ले...तेरी बीवी से बात कर ले...फिर बताना...ओके...जो तू चाहेगा...वही रास्ता मैं तेरे लिए खोल दूँगा....अब तू अपनी बीवी से बात कर ले...
मैं तुझे कल तक का टाइम देता हूँ...कल इसी वक़्त मैं फिर आउगा...और इस बार मुझे फाइनल आन्सर चाहिए...वरना तेरे साथ इतना बुरा होगा जो तूने सपने मे भी ना सोचा होगा.....
सोनम के घर.....
सोनम और काजल एक रूम मे बैठी हुई थी...काजल ड्रिंक कर रही थी...
काजल(पेग ख़त्म कर के)- एक पेग और बना...और एक सिगरेट...ला दे तो...
सोनम- इतना क्यो पी रही है ...और जल्दी मे भी...रिलॅक्स...
काजल(सिगरेट जला कर)- फफफफूऊ.....आअहह..क्या करूँ...साला कुछ मन का नही होता तो दिमाग़ गरम हो जाता है...
सोनम- रिलॅक्स...सब ठीक होगा...ऐसे टेन्षन लेने से क्या होगा...
काजल- ह्म...पर कब...साला 2 दिन से टाल रहा है...यहाँ लड़की के बुलाने पर लोग उल्टे पैर भागते है और ये अंकित...साला बहुत नखरे है इसके...
सोनम- अरे नखरे कैसे...बीमार है वो...
काजल- तू उसकी वकालत बंद कर...झूठा है साला..कोई बीमार नही...
सोनम- वो क्यो झूठ बोलेगा...हाँ..
काजल- क्यो..हो सकता है उसे कुछ शक हो कि काजल ये सब नाटक कर रही है...ला पेग ला...
और काजल ने पेग गठलाना शुरू कर दिया...
सोनम- काजल...अरे वो सोनम से मिलने आएगा...काजल से नही...याद है ना...
काजल(पेग गटक कर)- अरे हाँ...बुलाया तो तूने ही है..मैं तो भूल ही गई थी...
सोनम- ह्म्म्मु...पर मिलेगी काजल...
और सोनम की आँखो मे फिर से उन्माद चहा गया ..पर उसने अपने आप को संभाले रखा...
काजल- एक बार बस आ जाए...फिर देख...क्या हाल करती हूँ मैं इसका...साला ..ना जी पायगा और ना मर पायगा...(और काजल ने सिगरेट का काश खीच कर हवा मे छल्ला बना डाला)
सोनम(मन मे)- सॉरी काजल...अब ये ग़मे तुम्हारा नही...मेरा है...अब तुम नचोगी और मैं बाज़ार बंद करूगी....
वही दूसरे कमरे मे सोनू भी अपने ही ख़यालो मे खोया हुआ था...
सोनू(मन मे)- ऐसा क्यो होता है कि अच्छे लोग ही हमेशा मुस्किल मे पड़ते है...
बचपन से यही सीखा कि अच्छे कर्म करो तो फल अच्छा मिलेगा...तो मैने किसका बुरा किया ..जो आज इस परेशानी मे फस गया...
आज मेरे सामने दो ही रास्ते है..या तो कुआँ या फिर खाई....
एक तरफ अंकित को मारने का काम और दूसरी तरफ अपने डॅड को बचाने का काम...
अंकित को छोड़ता हूँ तो डॅड नही बचेगे...और डॅड को बचाता हूँ तो ...बेचारा अंकित...
अंकित ने मेरा कुछ भी बुरा नही किया...फिर मेरे हाथो ही उसका बुरा क्रो करवाना चाहते हो...
ये कैसा न्याय है भगवान...कमीने लोग आगे बढ़ते जा रहे है ...और परेशानिया सिर्फ़ और सिर्फ़ अच्छे लोगो पर...
क्या करूँ भगवान कोई तो रास्ता दिखाओ...कोई चमत्कार करो कि मैं अंकित और दाद , दोनो को बचा लूँ...
सोनू मन ही मन भगवान से प्रथमा कर रहा था कि तभी उसके गेट पर नॉक हुई...
गेट खोलने पर सोनम सामने खड़ी हुई थी...
सोनू- अरे सोनम....क्या हुआ...और काजल कहाँ है...
सोनम- काजल तो टल्ली हो कर पड़ी है...मुझे आपसे ज़रूरी बात करनी है...
सोनू- अच्छा...आ अंदर आ...
सोनम- भाई...मैं अंकित को धोखा नही दे सकती...
सोनू- जानता हूँ.....पर करेगी क्या...काजल को ना बोलेगी क्या...
सोनम- नही...काजल जो चाहती है...वही होगा...पर मेरे हिसाब से...
सोनू- अच्छा...वो कैसे...तेरा फ़ोन तो काजल की निगरानी मे है और तू खुद अंकित से मिल नही पायगी...काजल बड़ी शातिर है...बताया था ना कि तुझ पर नज़र रखे हुए है...
सोनम- जानती हूँ...इसलिए एक प्लान है..ये काम करेगा...
सोनू- बता फिर...
फिर सोनम ने एक प्लान बताया और उसे सुन कर सोनू के चेहरे पर भी खुशी आ गई...उसे भी अपनी प्राब्लम का सल्यूशन दिखने लगा था...
सोनम- कैसा लगा...
सोनू- शानदार...एक काम कर ...तू जा...मैं तैयारी करता हूँ...आज रात को ही फिनिश करते है...
सोनम रूम से बाहर निकल गई...
सोनू(अपने आप से)- थॅंक यू गॉड...अब देखना...कल से मैं दूसरों के इशारे पर नही नाचुगा...और ना ही सोनम...
अब हमे नचाने वाले...खुद ही नाचेगे...दूसरे की उंगलियो पर...हाहहाहा......
अगले दिन सुबह मेरी आँख खुली तो मेरे गेट पर कोई हाथ ठोके जा रहा था....
मैने बंद आँखो के साथ ही गेट की तरफ चेहरा घुमाया कि तभी आवाज़ आई...
मेघा- अंकित...अब उठ भी जाओ...जिम का टाइम हो गया...
अचानक से मेघा की आवाज़ सुन कर मैं चौंक गया...पर जिम वाली बात से मुझे याद आ गया कि मेघा क्यो आई है...
मैं(आँखे बंद किए हुए)- ह्म्म...आया आंटी...आप जिम मे चलो...मैं फ्रेश हो कर आता हूँ...
फिर थोड़ी देर बाद मैं जिम मे पहुचा तो सामने देख कर खुश हो गया...
मैं(मन मे)- आज तो दिन की शुरुआत अच्छी हो गई...ह्म्म...देखता हूँ थोड़ा और...
सामने मेघा अपना ट्रॅक पेंट पहन रही थी...शायद कुछ ज़्यादा ही टाइट था...
पर ऐसे खुले मे क्यो...क्या बेवकूफ़ औरत है...कोई और आ जाता तो.....
फिर मैं गेट के साइड मे छिप कर देखने लगा कि आगे क्या होता है...
पर मुझे और कुछ खास देखने नही मिला...मेघा ने ट्रॅक पेंट पहना और वॉर्म-अप करने लगी...
मैं भी चुप चाप मेघा के पीछे आ कर खड़ा हो गया...असल मे मैं तो उसकी मस्त गान्ड देख रहा था....
मेघा को मेरे आने का अहसास तब हुआ जब वो आगे झुकी और उसकी गान्ड मेरे लंड को टच कर गई....
मेघा- एयेए...त्त..तुम..ओह..डरा ही दिया....
मैं- अरे...डरना कैसा...यहाँ मेरे अलावा कौन आएगा...खास कर कोई बाहर वाला तो आ नही सकता...
मेघा- जानती हूँ...पर अचानक आए ना...और बोले भी नही..
मैं- मैने तो बस देख रहा था कि आप कैसा कर रही है...
मेघा- ह्म..तो कैसा किया..अच्छा या बुरा...
मैं- ह्म..अच्छा तो है..पर आप नीचे तक नही झुक रही ...और आपके पैर भी नही खुल रहे...
मेघा- मतलब..कैसे....तुम बताओ ना...
मैं- ओके...पर मुझे आपको टच करना पड़ सकता है...आइ होप यू डोंट माइंड..हाँ...
मेघा- अरे...इसमे क्या...तुम मुझे सिखाने के लिए टच करोगे ना...मैं माइंड नही कारूगी...जैसे चाहो टच करो...
मैं(मन मे)- ह्म....खुल के बोल दे ना कि अभी चोद दो...मैं सब जानता हू....अब बताता हूँ....
मेघा- हाँ तो...क्या कह रहे थे...कैसे करूँ...
मैं- ह्म..हाँ..बताता हूँ...
और मैने मेघा को अपने सामने घुमा दिया...उसकी गान्ड मेरे लंड के करीब थी...
फिर मैने उसके हाथो को अपने हाथो मे ले कर उपेर उठा दिया...
मैं- ये हाथ बिल्कुल सीधे रखना...और फिर नीचे तक ले जाना है...पैर के अंगूठे तक...ओके...
मेघा- ह्म..
और मेघा हाथ आगे तक ले गई...और उसकी गान्ड पीछे उभर कर मेरे लंड से टकरा गई...
मेघा- आहह...ये अंगूठे तक...उउउंम्म
मुझे समझ नही आ रहा था कि मेघा सिसक क्यो रही है...मेरे लंड के अहसास से या फिर हाथ नीचे ले जाने से...शायद झुक नही पा रही...
मैं- ह्म..क्या हुआ...
मेघा- वो...वो हाथ अंगूठे तक नही जा रहे...
मैं- रूको..मैं पहुचाता हूँ..
और मैने मेघा के उपेर झुक गया और उसके हाथो को अंगूठे से टच करने लगा...
अब मेरा लंड पूरा मेघा की गान्ड मे दबा हुआ था...और इस वजह से मेघा की सिसकी निकल गई...
मेघा- उउंम्म....नही..आअहह...
मैं- अरे..जायगा...थोड़ा रूको...पूरा जायगा...चलो झुको...हाँ..ऐसे ही...
मेघा- आअहह..नही गया...इतने मे ही ..आअहह...दर्द हो रहा है...
मैं- ह्म..अभी इसे रहने देते है...जल्दी ही आदत पड़ जाएगी...एक-दो दिन मे...चलो आगे करते है...
फिर थोड़ा वॉर्म-अप करवा कर मैने मेघा को एक्सरसाइज़ करने को कहा...

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Re: चूतो का समुंदर

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सबसे पहले मैने उसे लेट कर अप-डाउन करने को बोला...इससे पेट की चर्बी कम होती है...
पर मेघा से हो नही पा रहा था...
मेघा- अंकित...ये नही हो रहा...मेरे पैर भी उठ जाते है तो मैं आगे तक नही जा पाती...
मैं- ह्म..कोई नही...मैं देखता हूँ...
और फिर मैं मेघा की जाघो को हाथ से दबा लिया....
मैं- ह्म..अब करो...अब पैर नही उठेगे...
मेघा ने फिर से ट्राइ किया पर अभी भी नही हो रहा था...
फिर मैने आगे हाथ कर के मेघा की जाघो को चूत के पास पकड़ लिया...
मैं- अब ट्राइ करो...हाँ...कम ऑन...
मेघा- हाँ...कर रही हूँ...
मेघा ट्राइ कर रही थी..पर उसकी जाघो पर मेरी उंगलिया चलने लगी थी...
धीरे-धीरे मेरी उंगलियाँ मेघा की चूत तक पहुच गई...और मैने धीरे से एक उंगली दबा दी....
मेघा- आअहह...
मैं- यस...थोड़ा और....
मेघा- हाँ...थोड़ा और...
और मैने दोनो तरफ से उंगलियो से चूत दबाना शुरू कर दिया...
मेघा- आअहह...अंकित...उउउंम..
मैं जानता था कि मेघा को मुझसे चुदवाने मे कोई प्राब्लम नही होगी...उपेर से वो इतने दिनो से प्यासी थी..
पर मैं चाहता था कि वो खुद से आगे बढ़े ...इसलिए मैने उसे गरम करना जारी रखा...
थोड़ी देर मे मेघा थक कर आहें भरती हुई सीधी लेट गई...और मैने भी मौका पा कर उसके पैरो को खोल कर उसकी चूत पर हाथ जमा लिए..
मेघा- आआहह...अंकित...
मैं- अरे आंटी...यहाँ तो आग लगी हुई है...हाँ....
मेघा- आहह...
मैं- आप चाहे तो आग को ठंडा किया जा सकता है ...
मेघा चुप रही...
मैं- नही चाहती तो कोई नही...कुछ और करते है..चलो..
मैं उठने वाला ही था कि मेघा के मुँह से सिसकी निकल गई...
मेघा- आअहह...पल्लज़्ज़्ज़्ज़...
बस मेघा के इस वर्ड ने सब कुछ कर दिया था...
मैने भी कुछ नही बोला ..बस मेघा के उपेर आ कर झुक गया और उसके होंठो के उपेर होंठ कर दिए...अभी होंठ आपस मे टच नही हुए थे...
मेघा अभी आँखे बंद किए हुए लेटी थी...जब उसने मेरी तरफ से कोई हलचल नही देखी तो आँखे खोल दी और लपक कर मेरे होंठो को चूसने लगी...
मेघा पूरे जोश मे मुझे किस करने लगी...और मैने भी कोई कमी नही की...
मैने मेघा के बूब्स को मसलना शुरू कर दिया...और हम मस्ती मे डूबने लगे....
मैने गरम हो ही चुका था...तो मैने मेघा के दोनो बूब्स को आज़ाद कर लिया और जोरों से मसल्ने लगा....
मेघा- उूउउंम्म...आअहह...अंकित...येस्स...एस्स...
अब कोई परदा नही था हमारे बीच...अब हम दोनो ही चुदाई के लिए तैयार थे...
मैने तेज़ी से बूब्स मसलना और किस करना जारी रखा...


मैं मेघा को पूरा गरम करना चाहता था...जिससे चुदाई का मज़ा बढ़ जायगा...
पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था....
हमे किसी के आने की आहट सुनाई दी तो हम जल्दी से अलग हो गये...और मेघा ने अपनने बूब्स को जल्दी से अंदर डाल लिया....
मैं(मन मे)- काश गेट लॉक कर लेता....
सामने सविता थी...जियाने बताया की इन्षुरेन्स वाले मिलने आए है...
मैं- ह्म..आता हूँ...
फिर मैने मेघा को देखा तो वो शर्म से पानी हो रही थी...
मैं- अब बाकी का काम कल करेंगे...ओके आंटी...
और मैं मुस्कुरा कर नीचे चला आया...और मेघा भी चेंज करने निकल गई...
मैने नीचे जा कर इन्षुरेन्स का मामला निपटाया और रेडी हो गया...
रेडी होते ही मुझे सोनम का मसेज आ गया...उसने मुझे माल मे मिलने बुलाया था....
मैं भी जल्दी से माल निकल गया...क्योकि मुझे तो सोनम को हासिल करने की जल्दी थी...
पर जब मैं माल मे सोनम के सामने पहुचा तो उसका बात सुन कर शॉक्ड रह गया...
सोनम- अरे अंकित...आप यहाँ...कैसे...कुछ लेने आए थे क्या...
मुझे समझ नही आया कि मैं क्या बोलू...मुझे तो सोनम पर गुस्सा आने लगा...
पर तभी मेरी नज़र काजल पर पड़ी...और उसे देख कर मुझे उसकी और कामिनी की बातें याद आ गई...
मैं(मान मे)- साली...ये भी यही है...पहले इसे देख लूँ...
मैं- ओह...हाई
काजल - हाई...
सोनम- वैसे आपने बताया नही कि आप क्या लेने आए थे...ओह...ये लिया आपने..क्या है...ओह..सीडीज़...किसी मूवी की है...या गेम...
मुझे सोनम की कोई भी बात समझ नही आई...मैं कुछ पूछता उससे पहले उसने एक सीडी मेरे हाथ मे पकड़ा दी..
सोनम- ओके..तो देख कर बताना ज़रूर कि कैसी लगी...बाइ...चल काजल..
और सोनम के हाथ काजल भी मुझे बाइ कर के निकल गई...
काजल- सोनम...तूने ऐसे क्यो बात की...तूने ही बुलाया था ना इसे...??
सोनम- मेरा मोबाइल तेरे ही पास है...मसेज चेक कर ले...मैने ही बुलाया था...
काजल- हाँ..पर मुझसे मिलवाने...और अब...
सोनम- डोंट वरी...तू आज ही उससे मिलेगी...और तेरी मुलाक़ात मज़े दार होगी..बस..अभी तड़पने दे उसे...
काजल- ह्म्म..और वो सीडी...उसने आते ही शॉपिंग कर ली..
सोनम- यार..माल मे आ कर मन हो गया तो ले ली...छोड़ ना ...तू बस आज शाम को अपनी प्यारी मुलाक़ात के लिए तैयार रहना...
काजल- ओके...चल..
सोनम(मन मे)- बस...मेरे कॉल करने से पहले ही अंकित वो सीडी देख ले गॉड...प्लज़्ज़्ज़...
हमसे कही दूर ...एक गाओं मे......
रघु एक रूम मे बैठे साक्ष् से बात कर रहा था ...
रघु- सर...एक बात पता चली है...मैने सोचा आपको बता दूं...
क्या अपने मतलब की बात है...""...सामने वाले सक्श ने सिगरेट पीते हुए बोला....
रघु- ये तो आप खुद डिसाइड कर लेना. ...वैसे ये सम्राट सिंग से रिलेटेड है....
क्या...सम्राट सिंग.....क्या बात है बोलो...""...सामने वाले ने बड़ी ही उत्सुकता के साथ पूछा...
रघु- एक कोई लड़की है...जो पास के गाओं मे सम्राट सिंग को ढूँढ रही है...
लड़की....पर क्यो...क्या उसने बताया कि वो सम्राट को क्यो ढूँढ रही है...""
रघु- नही जानता....उसने कुछ नही बताया...लेकिन हाँ...जो भी उसे पता बतायगा...वो उसे कीमत देने को तैयार है...
ह्म्म्मय...कमाल की बात है...कीमत देने को तैयार है...कौन हो सकता है...या तो कोई दोस्त हो सकता है या कोई दुश्मन...."""
रघु- ये भी नही पता...क्या आदमी भेजे उसके पीछे....
ह्म्म...भेजो...पर मारना नही...हम उससे मिलना चाहेगे....""
रघु- ठीक है सर...
थोड़ी देर मे ही रघु कुछ आदमी ले कर रेणु के पास पहुच जाते है...जो सम्राट सिंग को ढूँढने आई थी...
रेणु- जी..कहिए...
रघु- सुना है तू सम्राट को ढूँढ रही है...
रेणु- हाँ...आप जानते हो क्या....
रघु- ह्म..पर तुम उसे कैसे जानती हूँ...दोस्त हो या दुश्मन...??
रेणु- इससे तुम्हे क्या....तुम पता बताओ....मैं कीमत देती हूँ..
रघु- ह्म...पर मेरी कीमत थोड़ी ज़्यादा है...
रेणु - कीमत बोलो...
रघु- तेरी गोरी चमड़ी...पूरी रात के लिए...
रेणु(गुस्से मे)- बकवास बंद करो... .रास्ता छोड़ो..मैं खुद ढूँढ लूगी...
रघु- ठीक है...बस थोड़ा पीछे देख लो..
रेणु ने पीछे देखा ही था कि उसकी आँखे बंद हो गई...
और जब उसे होश आया तो वो सामने वाले सक्श को देख कर बोली....
रेणु- पापा...आप.......??????????????
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Re: चूतो का समुंदर

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अंकित के घर......
मैने रात को डिन्नर किया और रजनी आंटी को कॉल किया....
( कॉल पर )
मैं- हेलो आंटी...
रजनी- हाँ बेटा...बोलो...
मैं- आपको कुछ याद आया...
रजनी- क्या...वो फोटो के बारे मे क्या...??
मैं- जी..कुछ याद आया...
रजनी- बेटा...चेहरा तो देखा हुआ लगता है...पर एक-दो ही बार देखा होगा....तभी ठीक से याद नही आ रहा...पर मैं कोसिस कर रही हूँ...
मैं- ओके...आप ट्राइ करो...और हां...वो रफ़्तार की बीवी का..कुछ..
रजनी- आराम से बेटा....मैं जल्दी ही कुछ करूगी...असल मे, मैं कल उससे मिलने जा रही हूँ...कारूगी कुछ...ओके..
मैं- ओह..माइ स्वीट आंटी...अच्छा...कल बताना...और हाँ...फोटो का कुछ याद आए तो तुरंत फ़ोन करना...
रजनी- हाँ..बिल्कुल...चल अब सो जा...गुडनाइट
मैं- गुडनाइट आंटी...
कॉल कट होने के बाद....
रजनी(मन मे)- ये अचानक से इस फोटो के पीछे क्यो पड़ गया....आख़िर अलका ने इसके लिए ये फोटो रखी ही क्यो थी...पता करना होगा....
वहाँ आंटी सोच मे डूबी थी और यहाँ मैं...
मैं भी फोटो के बारे मे सोच रहा था..कि आख़िर मेरी मोम ने फोटो छोड़ी क्यो...क्या लेना देना है इससे मोम का...
पर अभी कोई भी जवाब नही सूझ रहा था..मेरी उम्मीद रजनी आंटी से लगी हुई थी कि वो ही कुछ बताएगी....वरना मुझे खुद ही सामना करना होगा इस सक्श का...
सोच मे डूबे हुए मुझे सोनम की मुलाक़ात याद आ गई और साथ मे याद आई वो सीडी ...
मैने जल्दी से सीडी ली और प्ले कर दी...
सीडी मे सोनू और सोनम का बनाया गया वीडियो था...जिसे देख-सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये....
जैसे -जैसे वीडियो आगे बढ़ता गया...वैसे-वैसे मेरे मन मे हलचल होने लगी....
मुझे डर..गुस्सा और प्यार का एक साथ अनुभव हो रहा था...
एक तरफ सोनू और सोनम की ईमानदारी ने मुझे उनका कायल कर दिया...और दूसरी तरफ काजल और रश्मि की गद्दारी ने मुझे गुस्से से भर दिया....
मैं(मन मे)- ओह..तो ये सब काजल करवा रही है...मुझे फसाने के लिए सोनम का सहारा ...
वैसे सोनम...मैं काजल की चाल पहले से जानता था...पर तुम्हारा यूज़ करेगी...ये पता नही था...
कोई बात नही...काजल को अपने तरीके से हॅंडल करूगा...आख़िर कामिनी की बेटी है..
और कामिनी मेरे डॅड की बहेन..तो बुआ की बेटी ही हुई ना...चलो...इसे देखते है...और सबक भी सिखाते है....
ह्म..और ये क्या...सोनू को मुझे मारने भेजा था...पर किसने...साला सोनू को ये भी नही पता....और ये रश्मि...ये भी...साली की जान ले लूँगा मैं...
मैने सोचा कि अभी सोनू और सोनम को कॉल करू पर मुझे उनकी बात याद आ गई कि उनके हर स्टेप को मॉनिटेर किया जा रहा है...
यहाँ तक कि उनके हिसाब से मेरा फ़ोन भी ट्रेस किया जा रहा था...
पर मैं जानता था..कि ये झूठ है...मेरे आदमियो मे से एक बंदा टेक्निकल एक्सपर्ट था...उसने मेरे फ़ोन मे ऐसा सॉफ़्टवेरे डाला था कि कोई उसे ट्रेस नही कर सकता ....
मैने सीडी देखने के बाद बैठे-बैठे एक प्लान बना डाला....

Quote
मैं(मन मे)- अब जल्दी ही काजल और रश्मि का गेम ख़त्म होगा...पर मेरे स्टाइल मे ...मज़े के साथ...हाहाहा...
फिर मैने सोनम को कॉल किया....
( कॉल पर )
मैं- हेलो सोनम...
सोनम- हाई...मुझे आपके ही कॉल का इंतज़ार था....
मैं- ह्म..तो फिर कल मिलो...
सोनम- हाँ बिल्कुल...बोलो कहाँ मिलना है....
मैं- ह्म...मैं अड्रेस सेंड कर दूँगा....ओके..
सोनम- ठीक..है...और कुछ...
मैं- हाँ...सोनू से बात कराओ...
सोनम- हाँ...एक मिनट...
फिर मैने सोनू से बात की और कॉल कट कर दिया...थोड़ी देर मे मैने सोनम को एक अड्रेस सेंड कर दिया...जो सहर के बाहर एक फार्महाउस का था...
काजल ने हमारी सारी बातें सुनी थी...इसलिए वो खुश थी...उसे यकीन हो गया था कि कल वो मुझे अपने जाल मे फसा लेगी...
और इस खुशी मे उसने ये बात भी माइंड नही की ...कि मैने सोनू से क्या और क्यों बात की...
मैने सोनू को बता दिया कि उसका सच मुझे पता चल गया है और अब मैं उसके डॅड को आज़ाद करने मे पूरी हेल्प करूगा...
पर मेरे प्लान को पूरा करने के लिए वहाँ कामिनी का होना भी ज़रूरी था...और कामिनी आ गई तो दामिनी खीची चली आयगी...
कल इस बात का फ़ैसला हो जायगा कि कामिनी का मेरे डॅड से क्या रिश्ता है...और इस रिश्ते मे कड़वाहट किस बात की है....
कामिनी को बुलाने का इंतज़ाम कल होगा...अभी के लिए गुड नाइट...
मैने अपने आप से कहा और सोने लगा...
सुबह जब मेरी आँख खुली तो मेघा ही मेरे गेट पर थी ...
हमने आज के दिन सिर्फ़ जिम किया और उसकी वजह थी पारूल....आज उसे भी जिम का शौक चढ़ गया था....
हालाकी मैं पारूल को समझा भी सकता था ..पर मेरा भी आज कोई खास मूड नही था मेघा के साथ कुछ हॉट करने का....
और इसकी वजह थी मेरा आज का प्लान...आज मैं कामिनी की असलियत जानने के लिए बेताब था....
हलकी कामिनी ने दीपा के भूत के सामने कबूल किया था कि कमल उसका भाई है....
और डॅड के कहने के हिसाब से कामिनी आज़ाद की बेटी है...बट डॅड को सिर्फ़ अंदाज़ा था...पक्का विश्वास नही...
पर मुझे अभी भी डाउट था...जितना मैने अपने दादाजी के बारे मे पढ़ा था या सुना था....
उस हिसाब से मेरे दादाजी अयाश तो थे...बट नाजायज़ औलाद पैदा कर दे...ऐसा नही हो सकता...
वेल...आज तो कामिनी हो या कमल...या फिर दामिनी...सब मुँह खोलेगे...और मुँह से सिर्फ़ सच ही निकलेगा....
मैने अपने आदमी को कॉल किया और उसे सब समझा दिया कि उसे क्या करना है....और रेडी हो कर निकल गया....
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

सोनम के घर........
दूसरी तरह सोनम और काजल भी मुझसे मिलने के लिए निकल रही थी...तभी उनके सामने सोनू आ गया...
सोनू- हे..हे...वेट...इतनी जल्दी मे कहाँ...??
काजल- अरे यार...थोड़ा काम है...चल रास्ता छोड़...
सोनू- हाँ पर...मैं तुम दोनो के लिए कोल्ड ड्रिंक लाया था...इसका क्या...
काजल- तो दे ना...हम जाते-जाते पी लेगे...
सोनू- अरे...यही पी लो ना...2 मिनट तो लगेगे....है ना...
सोनम- हाँ काजल ...2 मिनट ही लगेगे...चल पीले...लाओ मुझे कोक दो....
सोनू- हाँ...तेरी कॉक...और ये काजल की फेव , मॅंगो फ्लावेर...
फिर दोनो कोल्ड ड्रिंक पीने लगी और सोनू के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान उभर गई...
ड्रिंक ख़त्म कर के दोनो कार से निकल गई...
और उनके जाते ही सोनू ने अपना फ़ोन रूम मे फेका और अपनी गन ले कर बाहर निकाल गया.....

कामिनी के घर.........
कामिनी अपने रूम मे रेस्ट कर रही थी...तभी एक कॉल आया.....
( कॉल पर )
कामिनी- हेलो...कौन बोल रहा है...
सामने- एक सुभचिंतक...जिसे तुम्हारी फ़िक्र है..और तुम्हारी बेटी की भी....
कामिनी- अच्छा...पर मैं अपने सुभचिंतक का नाम जानना चाहुगी....
सामने- नाम छोड़ो...और मेरी बात ध्यान से सुनो....
कामिनी- क्या है...
सामने- अपनी बेटी से प्यार है...उसकी सलामती चाहती हो कि नही...
कामिनी- बकवास बंद करो...क्या है ये...
सामने- मैं तो आगाह कर रहा हूँ...अगर अपनी बेटी को जिंदा देखना है तो वो करो जो मैं कहता हूँ...
कामिनी- क्या...मेरी बेटी....वो सेफ है...तुम बकवास बंद करो...
मैं- ह्म..तो रूको 1 मिनट...अभी बताता हूँ.....
सामने वाले ने कॉल कट किया और थोड़ी देर मे 2 मेसेज कामिनी के सेल पर आ गये...
एक मेसेज मे काजल की पिक थी..वो बेहोश पड़ी थी और उसके सिर पर गन तनी हुई थी...
और दूसरे मसेज मे एक अड्रेस लिखा हुआ था...
कामिनी फोटो देख कर घबरा गई...पर वो कुछ करती उसके पहले ही फिर से कॉल आ गया....
कामिनी- हेलो..हेलो...कौन हो तुम..और मेरी बेटी को क्यो...क्या चाहते हो..पैसे...जो भी कहो दे दुगी..पर मेरी बेटी...
सामने- रिलॅक्स...मुझे पैसे नही चाहिए...बस दामिनी और कमल का सच जानना है...और तुम्हारा भी...
कामिनी- पर क्यो...तुम कौन हो...
सामने- वो छोड़...बस तू दामिनी और कमल के बारे मे दुनिया को बता दे...उनका मक़सद...उनकी सच्चाई...फिर तुम और तुम्हारी बेटी आज़ाद...ओके...
कामिनी- हाँ..मैं सब बोलूँगी...दामिनी के बारे मे और कमल के बारे मे भी..पर मेरे पैर मे प्लास्टर है...मैं कैसे आ पाउन्गी...
सामने- डोंट वरी....तुम्हारे घर की नौकरानी वो इंतज़ाम कर देगी...मैने उसे बोल दिया है...तुम बस ऐसा कोई सबूत ले कर आना...जिससे तुम्हारी बात सच साबित हो सके...वरना भूल जाओ अपनी बेटी...
कामिनी- सबूत...पर कैसे...मैं...हेलो...हेलो...
सामने वेल ने कॉल कट कर दी...और कामिनी रोने लगी...
कामिनी को समझ नही आ रहा था कि अब वो सबूत कहाँ से लाए...फिर उसने कुछ सोचा और बैसाखी के सहारे दूसरे रूम मे गई और वहाँ कॉवर्द की तलाशी लेने लगी...
कामिनी ने धीरे -2 पूरे रूम की तलाशी ले ली...पर निराशा ही हाथ लगी...
तभी उसे एक बात याद आई....
दामिनी- कम्मो...कभी मैं ना रहूं तो माँ की फोटो को ध्यान से देखता....तुम्हारे बहुत से काम आसान हो जाएँगे...और कई छिपे राज़ भी जान जाओगी....""
पता नही कैसे पर कामिनी का दिमाग़ आज ज़्यादा ही चल निकला...उसने अपनी माँ की फोटो को दीवाल से उतारा और वापिस अपने रूम मे आ गई...
रूम मे आ कर वो कुछ देख ही रही थी कि उसकी नौकरानी आ गई...
नौकरानी- मेडम...जाने का टाइम हो गया...या अभी नही....??
कामिनी(उदासी से)- ह्म्म्मम...हो गया....इससे बेहतर टाइम तो मेरी जिंदगी मे कभी नही आया....आज आँखे पूरी तरह खुल गई...कोई शक नही रहा....दुनियाँ की सारी तस्वीरे सामने आ गई....
नौकरानी- क्या...
कामिनी(आँख सॉफ कर के)- कुछ नही....चलो...
थोड़ी देर बाद कामिनी अपनी नौकरानी के साथ निकल गई.....
इन सब से बेख़बर दामिनी और कमल अपनी ही मस्ती मे थे...और दोनो अपने रास्ते से कामिनी और उसकी बेटी को हटाने का प्लान बना रहे थे....
पर तभी एक काल आया और दोनो को हिला कर रख दिया....
( कॉल पर )
दामिनी- हेलो ..कौन
अननोन- सुभचिंतक...
दामिनी- अच्छा...तो सुभचिंतक ने कॉल करने का कष्ट कैसे किया...जान सकती हूँ....
अननोन- आज कामिनी दुनिया को सब सच बताने वाली है..कि कमल कौन है....दामिनी क्या चाहती है...और बाकी सब कुछ...
दामिनी- क्या बकते हो...
अननोन- फटी ना....यही सच है...यकीन ना हो तो ये सुनो...
फिर वो बंदा दामिनी को रेकॉर्डिंग सुनने लगा...जो कामिनी से हुई बात की रेकॉर्डिंग थी...
दामिनी- इस कामिनी की तो...मेरे खिलाफ जाएगी...पर तुम कौन हो...और ये सब...
अननोन- स्शहीए...सवाल नही...मैने तो बस उसकी बातें सुन ली तो तुम्हे कॉल किया...वो अभी किसी जगह जा रही है...मैं अड्रेस देता हूँ..तुम और कमल भी जाओ वहाँ...शायद तुम्हारे लिए अच्छा हो...
दामिनी- हाँ ..बोलो कहाँ गई वो...
अननोन- फ़ोन रखो..अड्रेस मिल जायगा...
कॉल कट होते ही मेसेज आ गया...और मेसेज पढ़ते हुए दामिनी , कमल से बोली...
दामिनी- कमल...चल..आज इन माँ- बेटी को रास्ते से हटा कर पूरी प्रॉपर्टी अपनी करते है...चल..और गन ले लेना...
फिर दामिनी और कमल पिस्टल ले कर उस अड्रेस पर निकल गये.....
सहर के बाहर एक फार्महाउस मे.......
एक रूम मे काजल बेहोश पड़ी हुई थी....
कामिनी अपनी नौकरानी के साथ वहाँ पहुचि तो घबराई हुई अपनी बेटी को ढूँढने लगी ...
कामिनी बैसाखियो के सहारे फार्महाउस के अंदर वाले रूम मे आई तो काजल को देखते ही रोने लगी...
जैसे -तैसे वो लंगड़ाते हुए बेड तक पहुचि जिस पर काजल पड़ी हुई थी...
कामिनी- बेटी. .बेटी...उठ बेटी...मैं आ गई हूँ...तुझे कुछ नही होगा...उठ जा बेटी....
कामिनी रोते हुए चिल्लाने लगी...
कामिनी- कौन हो...और मेरी बेटी को क्या किया...सामने आओ...बेटी.....
तभी रूम मे एक आवाज़ गूजी ....
वो ठीक है...बस बेहोश है....डोंट वरी..""
जब कामिनी ने आवाज़ की तरफ देखा तो उसे एक नकाबपोस दिखाई दिया....
कामिनी- सीसी..कौन हो तुम...और मेरी बेटी को क्या किया....
वो ठीक है...बोला ना...सिर्फ़ बेहोश है....फ़िक्र मत करो...""
कामिनी- पर तुमने इसे बेहोश क्यो किया...क्या चाहते हो....
मैं तो सिर्फ़ यही चाहता हूँ कि तुम्हारी बेटी इस सब से दूर रहे...""
कामिनी को ये बात सुन कर थोड़ी राहत मिली...और उसने अपने आसू पोछ लिए...
हाँ तो...अब बताओ...सच क्या है...?? ""
कामिनी- क्या...कैसा सच...
वो सच जिससे सब अंजान है...वो सच जो तुम्हे और आकाश को जोड़ता है...वो सच जिससे तुम आकाश से नफ़रत करती हो....बोलो...सच क्या है...""
कामिनी- सच....सच तो यही है कि आकाश से मुझे नफ़रत है...और उसकी वजह है आकाश के पिता...आज़ाद....
पर आज़ाद ने ऐसा क्या किया कि तुम्हे उससे नफ़रत हो गई..और इस सब मे आकाश की क्या ग़लती....""
कामिनी- आज़ाद ने क्या किया...अरे उसने हमारा हँसता-खेलता परिवार तवाह कर दिया...उसकी वजह से हमारा बचपन नरक के समान बन गया...
ह्म्म..और आकाश...उसने क्या किया....मुझे तो ये पता है कि उसने तुम्हारी हेल्प करनी चाही थी...फिर भी तुम..""
कामिनी(बीच मे)- हेल्प...कैसी हेल्प...वो हेल्प नही...पश्चाताप था..अपने बाप की करनी का....
अच्छा...पर आज़ाद ने किया क्या था...""
कामिनी- आज़ाद ने मेरी माँ को हासिल करने के लिए धोखे से मेरे पिता का सब कुछ छीन लिया...और वापिस करने के बदले मेरी माँ को अपने बिस्तर पर सुला लिया...फिर महीनो...सालो...मेरी माँ को रखेल बना के रखे रहा ...और फिर मेरी माँ को...मार डाला...
क्या बकती हो..आज़ाद क्यो मारेगा तेरी माँ को...?? ""
कामिनी- क्योकि मेरी माँ ने उसकी औलाद को जन्म दिया था..और उसका हक़ माँग रही थी....
क्या...औलाद...कौन औलाद..""
कामिनी- कमल...वो आज़ाद का ही बेटा है...और उसकी माँ मेरी माँ है...
तुम्हे यकीन है...?? ""
कामिनी - हाँ..यकीन था...आज तक यकीन था...पर अब नही....
आज तक...मतलब अब नही...पर कैसे.. ""
कामिनी- आज कुछ राज़ मेरे सामने आ गये...जिनसे मैं अब तक अंजान थी...पर अब मैं सब जान गई हूँ...सब कुछ....
तो अब क्या जानती हो....बोलो...""
कामिनी- यही कि सारी ग़लती मेरी माँ और मेरी बेहन दामिनी की है...और हाँ..कमल मेरी माँ की कोख से ही पैदा हुआ...और वो आज़ाद का ही बेटा है....""
नही..मैं नही मानता...सच बताओ.... कमल है कौन....किसका बेटा है...कौन है उसका बाप.....""
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