चूतो का समुंदर
- Ankit
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- Joined: 06 Apr 2016 09:59
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
सरिता खुश थी...क्योकि उसने आज़ाद को एक गहरी चोट भी दे दी थी और वो माँ भी बनने वाली थी.....
सरिता ने अपने पति को ये शक़ नही होने दिया कि उसके पेट मे पल रहा बच्चा उसके पति का नही बल्कि आकाश का है......
वही बच्चा रेणु के रूप मे दुनिया मे आया....जो आकाश और सरिता की औलाद थी.....
पर जब तुम्हारे डॅड आकाश गाओं बापुस आए तो सरिता ने रेणु को आकृति को सौंप दिया और खुद आरती के घर चली गई...जहाँ आकाश आने वाला था....
सरिता जानती थी कि वहाँ कुछ ग़लत हो सकता है...इसलिए वो रेणु को आकृति के पास छोड़ गई....पर वो वहाँ से जिंदा वापिस नही आई....और इस तरह रेणु आकृति के पास ही रह गई .....
उस दिन आकृति ने भी अपने पति यानी सुभाष को खोया था...और वो उसका ज़िम्मेदार आकाश को ही मानती थी....इसलिए आकृति ने तय कर लिया कि अब रेणु को वो माँ बन कर पालेगी और वक़्त आने पर रेणु को सच बता कर आकाश से अपना और सरिता का बदला लेगी.....
और उसने दुनिया को ये बताया कि रेणु को उसने अडॉप्ट किया है...क्योकि उसे एक बेटी चाहिए थी....इसी वजह से आकाश को भी नही पता कि रेणु असल मे है कौन.....
पर सरफ़राज़ को ये बात पता थी....और उसने रेणु के बड़े होते ही उसे ये बात बता दी......
सरफ़राज़ से फ़ोन पर सच सुनकर रेणु ने आकृति से बात की और आकृति ने सारा सच रेणु को बता दिया.....
फिर क्या था...रेणु ने सरफ़राज़ से हाथ मिला लिया.....सिर्फ़ आकाश को मिटाने के लिए....हालाकी वो तुम्हे कोई नुकसान नही पहुँचना चाहती थी...पर अपने मक़सद के लिए उसे तुम्हे धोखा देना पड़ा.....
और हाँ...रेणु की नज़रों मे मदन ही उसका बाप है....क्योकि आकृति ने भी उसे यही बताया था....सच वो भी नही जानती.......
सरिता ने अपने पति को ये शक़ नही होने दिया कि उसके पेट मे पल रहा बच्चा उसके पति का नही बल्कि आकाश का है......
वही बच्चा रेणु के रूप मे दुनिया मे आया....जो आकाश और सरिता की औलाद थी.....
पर जब तुम्हारे डॅड आकाश गाओं बापुस आए तो सरिता ने रेणु को आकृति को सौंप दिया और खुद आरती के घर चली गई...जहाँ आकाश आने वाला था....
सरिता जानती थी कि वहाँ कुछ ग़लत हो सकता है...इसलिए वो रेणु को आकृति के पास छोड़ गई....पर वो वहाँ से जिंदा वापिस नही आई....और इस तरह रेणु आकृति के पास ही रह गई .....
उस दिन आकृति ने भी अपने पति यानी सुभाष को खोया था...और वो उसका ज़िम्मेदार आकाश को ही मानती थी....इसलिए आकृति ने तय कर लिया कि अब रेणु को वो माँ बन कर पालेगी और वक़्त आने पर रेणु को सच बता कर आकाश से अपना और सरिता का बदला लेगी.....
और उसने दुनिया को ये बताया कि रेणु को उसने अडॉप्ट किया है...क्योकि उसे एक बेटी चाहिए थी....इसी वजह से आकाश को भी नही पता कि रेणु असल मे है कौन.....
पर सरफ़राज़ को ये बात पता थी....और उसने रेणु के बड़े होते ही उसे ये बात बता दी......
सरफ़राज़ से फ़ोन पर सच सुनकर रेणु ने आकृति से बात की और आकृति ने सारा सच रेणु को बता दिया.....
फिर क्या था...रेणु ने सरफ़राज़ से हाथ मिला लिया.....सिर्फ़ आकाश को मिटाने के लिए....हालाकी वो तुम्हे कोई नुकसान नही पहुँचना चाहती थी...पर अपने मक़सद के लिए उसे तुम्हे धोखा देना पड़ा.....
और हाँ...रेणु की नज़रों मे मदन ही उसका बाप है....क्योकि आकृति ने भी उसे यही बताया था....सच वो भी नही जानती.......
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Re: चूतो का समुंदर
मैं ये सब सुन कर थोड़ा शॉक्ड था...पर खुद को संभाले रहा...जबकि अकरम और रफ़्तार ये सब सुन कर मुझे अजीब सी नज़रों से देख रहे थे.....
मैं- ह्म...तो रेणु मेरी बेहन है....ओह गॉड....ये सब कैसे हुआ...और क्यो हुआ....
रिचा- जो होना था वो हो चुका....उसकी फ़िक्र ना कर के वो सोचो जो आगे हो सकता है....रेणु अब भी सच्चाई नही जानती...और अब तो वो अपने बाप के साथ है....मतलब जिसे वो अपना बाप समझती है...मदन.....
मैं(शॉक्ड)- क्या बकवास कर रही हो....मदन जिंदा है...वो तो मर चुका था ना......
रिचा- नही....वो जिंदा है...और अब वो रेणु के साथ है....
मैं- पर मैने तो सुना था कि उसका कार आक्सिडेंट हो गया था...और कार के साथ वो भी जल कर मर गया था....तो फिर वो जिंदा कैसे.....
रिचा- तुमने सुना तो ठीक था...पर जल कर मरने वाला मदन का ड्राइवर था.....मदन नही....उसने अपने आप को दुनिया के सामने मरा हुआ साबित किया था....
मैं- पर मदन ऐसा क्यो करेगा....मतलब...कोई वजह तो ज़रूर होगी ऐसा करने की....
रिचा- अब इसका जवाब तो मदन ही दे सकता है....मैं तो बस इतना ही जानती हूँ कि वो जिंदा है और रेणु के साथ है......
मैं(लंबी सास ले कर)- हमम्म....चलो...उससे मैं खुद ही निपट लुगा....फिलहाल तुम मेरे अगले सवाल का जवाब दो.....
मेरी बात सुन कर रिचा मेरा मुँह ताकने लगी....जैसे बेसब्री से मेरे सवाल का इंतज़ार कर रही हो....
मैं- तो...अब मुझे वो बताओ...जो उस दिन आरती बुआ के घर मे हुआ था....समझ गई ना...मैं किस दिन की बात कर रहा हू.....
रिचा(आँखे बड़ी कर के)- तुम्हारा मतलब उस दिन से तो नही जब आकाश गाओं मे वापिस आया था...और तुम्हारी बुआ ने सु....
मैं(बीच मे)- हाँ....मैं बिल्कुल यही बात पूछ रहा हूँ...जिस दिन ना सिर्फ़ मैने अपनी आरती बुआ को खो दिया था...बल्कि उनके साथ-साथ सुभाष, धर्मेश और सरिता भी मारे गये थे...और उन सबके खून का इल्ज़ाम मेरे डॅड पर लगाया गया था...जो आज तक बरकरार है.....
रिचा(चौंक कर)- तुम....कैसे...क्या तुम ये सब जानते हो....
मैं(घूर कर)- मैं क्या जानता हूँ ये छोड़ो....बस मुझे ये बताओ कि असल मे वहाँ हुआ क्या था.....
रिचा- वहाँ...वो मैं कैसे....मुझे नही पता.....
मैं(ज़ोर से)- झूठ...तुझे सब पता है...मैं जानता हूँ कि उस दिन तू वही थी....वही थी तू....अब जल्दी से बता वरना एक गोली तेरे पैर मे जाएगी...और फिर तू तड़पति रहेगी....चल बोल....
मैने तुरंत पिस्टल हाथ मे ली और रिचा पर तान दी....
मैं- तो बता...किसने किया था वो सब....जल्दी बता...वरना....
रिचा- मैने कहा ना...मैं वहाँ थी ही नही....
मैं- ओह्ह...तो फिर तू किस काम की...चलो...तुझसे तडपा-तडपा कर ख़त्म कर देते है....तू तो वहाँ थी ही नही ना...
और मैने रिचा के पैरो के पास एक फिरे कर दिया और रिचा चीख पड़ी.....
रिचा(चिल्ला कर)- न्ह्ही....मुझे कुछ मत करना...मैं सब बताती हूँ.....मैं वही थी...वही थी...
मैं(पिस्टल घुमा कर) - ह्म्म....तीर निशाने पर लग गया....मुझे तो बस शक़ था....पर अब क्लियर हो गया कि तू वही थी...गुड...तो अब...चल बोलना शुरू कर...क्या हुआ था वहाँ.....
रिचा थोड़ी देर तक खामोश रही और फिर से कहानी सुनाना शुरू कर दिया......
उस दिन जब आकाश गाओं मे धर्मेश और आरती से मिलने आ रहा था...तब सरिता आकृति के घर मे बैठी थी.....
फिर जब सरिता को पता चला कि आकाश गाओं वापिस आ गया है और वो भी बहुत गुस्से मे....तभी सरिता का शैतानी दिमाग़ एक चाल सोचने लगा....और चाल सोच कर उसने सरफ़राज़ को कॉल कर दिया....
और फिर अपनी बेटी को आकृति के पास छोड़ कर सरफ़राज़ के साथ आरती के घर निकल गई.....
सरफ़राज़ ने ये बात मुझे भी बता दी थी और आने को भी कहा....पर मैं उसके साथ नही आई...बल्कि समर के साथ आरती के घर के पीछे से आई...सबसे छिप कर.....
जब मैं वहाँ पहुँची तो मैने देखा की एक तरफ आकाश गन ले कर खड़ा हुआ था और दूसरी तरफ बाकी सारे लोग....सिर्फ़ आरती ही बीच मे खड़ी हुई थी....
फिर मैने गौर किया तो पाया कि सरिता ने आरती की बेटी पर गन तान रखी है और सरफ़राज़ ने धर्मेश पर....और उस टाइम सरफ़राज़ ने अपना चेहरा भी छुपाया हुआ था....ताकि कोई उसे पहचान ना पाए....
सरिता और सरफ़राज़ आरती को धमका रहे थे कि बाहर जा कर सबसे बोल दे कि आकाश उन्हे मारने आया है...वरना वो आरती की बेटी और पति को मार देगे....
बेचारी आरती गिडगिडा रही थी...पर कुछ नही कर सकती थी.....
अचानक से रूम मे एक गोली चली और धर्मेश लाश बनकर फर्श पर जा गिरा....
धर्मेश की मौत से सब शॉक्ड हो गये...पर तुरंत ही सरिता ने फिर से आरती की बेटी को दबोचा और धमकाया.....
""जा सबसे बोल कि आकाश ने तेरे पति को मारा....वरना तेरी बेटी भी मरेगी...समझी...""
बेचारी आरती...अपने पति की लाश देख कर पागल सी हो गई और तुरंत एक कॉवर्ड खोल कर गन निकाल ली और सरिता की तरफ बढ़ी....पर सरिता ने उसकी बेटी को सामने कर दिया...और फिर से धमकाया.....
बेचारी आरती....क्या करती...एक तरफ भाई था और दूसरी तरफ बेटी....इसलिए वो बाहर भाग गई और कहती गई कि वो खुद को ही मार लेगी....
जैसे ही आकाश ने आरती की बात सुनी तो वो भी अपनी प्यारी बेहन के पीछे भागा. ...
और फिर मुझे बाहर एक गोली चलने की आवाज़ आई ....जो बाद मे पता चला कि आरती ने खुद को मार ली थी.....
मैं- ह्म...तो रेणु मेरी बेहन है....ओह गॉड....ये सब कैसे हुआ...और क्यो हुआ....
रिचा- जो होना था वो हो चुका....उसकी फ़िक्र ना कर के वो सोचो जो आगे हो सकता है....रेणु अब भी सच्चाई नही जानती...और अब तो वो अपने बाप के साथ है....मतलब जिसे वो अपना बाप समझती है...मदन.....
मैं(शॉक्ड)- क्या बकवास कर रही हो....मदन जिंदा है...वो तो मर चुका था ना......
रिचा- नही....वो जिंदा है...और अब वो रेणु के साथ है....
मैं- पर मैने तो सुना था कि उसका कार आक्सिडेंट हो गया था...और कार के साथ वो भी जल कर मर गया था....तो फिर वो जिंदा कैसे.....
रिचा- तुमने सुना तो ठीक था...पर जल कर मरने वाला मदन का ड्राइवर था.....मदन नही....उसने अपने आप को दुनिया के सामने मरा हुआ साबित किया था....
मैं- पर मदन ऐसा क्यो करेगा....मतलब...कोई वजह तो ज़रूर होगी ऐसा करने की....
रिचा- अब इसका जवाब तो मदन ही दे सकता है....मैं तो बस इतना ही जानती हूँ कि वो जिंदा है और रेणु के साथ है......
मैं(लंबी सास ले कर)- हमम्म....चलो...उससे मैं खुद ही निपट लुगा....फिलहाल तुम मेरे अगले सवाल का जवाब दो.....
मेरी बात सुन कर रिचा मेरा मुँह ताकने लगी....जैसे बेसब्री से मेरे सवाल का इंतज़ार कर रही हो....
मैं- तो...अब मुझे वो बताओ...जो उस दिन आरती बुआ के घर मे हुआ था....समझ गई ना...मैं किस दिन की बात कर रहा हू.....
रिचा(आँखे बड़ी कर के)- तुम्हारा मतलब उस दिन से तो नही जब आकाश गाओं मे वापिस आया था...और तुम्हारी बुआ ने सु....
मैं(बीच मे)- हाँ....मैं बिल्कुल यही बात पूछ रहा हूँ...जिस दिन ना सिर्फ़ मैने अपनी आरती बुआ को खो दिया था...बल्कि उनके साथ-साथ सुभाष, धर्मेश और सरिता भी मारे गये थे...और उन सबके खून का इल्ज़ाम मेरे डॅड पर लगाया गया था...जो आज तक बरकरार है.....
रिचा(चौंक कर)- तुम....कैसे...क्या तुम ये सब जानते हो....
मैं(घूर कर)- मैं क्या जानता हूँ ये छोड़ो....बस मुझे ये बताओ कि असल मे वहाँ हुआ क्या था.....
रिचा- वहाँ...वो मैं कैसे....मुझे नही पता.....
मैं(ज़ोर से)- झूठ...तुझे सब पता है...मैं जानता हूँ कि उस दिन तू वही थी....वही थी तू....अब जल्दी से बता वरना एक गोली तेरे पैर मे जाएगी...और फिर तू तड़पति रहेगी....चल बोल....
मैने तुरंत पिस्टल हाथ मे ली और रिचा पर तान दी....
मैं- तो बता...किसने किया था वो सब....जल्दी बता...वरना....
रिचा- मैने कहा ना...मैं वहाँ थी ही नही....
मैं- ओह्ह...तो फिर तू किस काम की...चलो...तुझसे तडपा-तडपा कर ख़त्म कर देते है....तू तो वहाँ थी ही नही ना...
और मैने रिचा के पैरो के पास एक फिरे कर दिया और रिचा चीख पड़ी.....
रिचा(चिल्ला कर)- न्ह्ही....मुझे कुछ मत करना...मैं सब बताती हूँ.....मैं वही थी...वही थी...
मैं(पिस्टल घुमा कर) - ह्म्म....तीर निशाने पर लग गया....मुझे तो बस शक़ था....पर अब क्लियर हो गया कि तू वही थी...गुड...तो अब...चल बोलना शुरू कर...क्या हुआ था वहाँ.....
रिचा थोड़ी देर तक खामोश रही और फिर से कहानी सुनाना शुरू कर दिया......
उस दिन जब आकाश गाओं मे धर्मेश और आरती से मिलने आ रहा था...तब सरिता आकृति के घर मे बैठी थी.....
फिर जब सरिता को पता चला कि आकाश गाओं वापिस आ गया है और वो भी बहुत गुस्से मे....तभी सरिता का शैतानी दिमाग़ एक चाल सोचने लगा....और चाल सोच कर उसने सरफ़राज़ को कॉल कर दिया....
और फिर अपनी बेटी को आकृति के पास छोड़ कर सरफ़राज़ के साथ आरती के घर निकल गई.....
सरफ़राज़ ने ये बात मुझे भी बता दी थी और आने को भी कहा....पर मैं उसके साथ नही आई...बल्कि समर के साथ आरती के घर के पीछे से आई...सबसे छिप कर.....
जब मैं वहाँ पहुँची तो मैने देखा की एक तरफ आकाश गन ले कर खड़ा हुआ था और दूसरी तरफ बाकी सारे लोग....सिर्फ़ आरती ही बीच मे खड़ी हुई थी....
फिर मैने गौर किया तो पाया कि सरिता ने आरती की बेटी पर गन तान रखी है और सरफ़राज़ ने धर्मेश पर....और उस टाइम सरफ़राज़ ने अपना चेहरा भी छुपाया हुआ था....ताकि कोई उसे पहचान ना पाए....
सरिता और सरफ़राज़ आरती को धमका रहे थे कि बाहर जा कर सबसे बोल दे कि आकाश उन्हे मारने आया है...वरना वो आरती की बेटी और पति को मार देगे....
बेचारी आरती गिडगिडा रही थी...पर कुछ नही कर सकती थी.....
अचानक से रूम मे एक गोली चली और धर्मेश लाश बनकर फर्श पर जा गिरा....
धर्मेश की मौत से सब शॉक्ड हो गये...पर तुरंत ही सरिता ने फिर से आरती की बेटी को दबोचा और धमकाया.....
""जा सबसे बोल कि आकाश ने तेरे पति को मारा....वरना तेरी बेटी भी मरेगी...समझी...""
बेचारी आरती...अपने पति की लाश देख कर पागल सी हो गई और तुरंत एक कॉवर्ड खोल कर गन निकाल ली और सरिता की तरफ बढ़ी....पर सरिता ने उसकी बेटी को सामने कर दिया...और फिर से धमकाया.....
बेचारी आरती....क्या करती...एक तरफ भाई था और दूसरी तरफ बेटी....इसलिए वो बाहर भाग गई और कहती गई कि वो खुद को ही मार लेगी....
जैसे ही आकाश ने आरती की बात सुनी तो वो भी अपनी प्यारी बेहन के पीछे भागा. ...
और फिर मुझे बाहर एक गोली चलने की आवाज़ आई ....जो बाद मे पता चला कि आरती ने खुद को मार ली थी.....