चूतो का समुंदर

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raju raj
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Re: चूतो का समुंदर

Post by raju raj »

please update more and fast
I already read yous post given by you so please write more
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

वो सरिता ही थी...जिसकी वजह से आकाश को घर से दूर जाना पड़ा.....

असल मे सरिता , आज़ाद के दोस्त मदन की बीवी थी....जो बाद मे आकाश की रखैल बन चुकी थी....

वैसे सरिता की कहानी काफ़ी लंबी है....पर उस कहानी का अब कोई मतलब नही....

क्योकि ना तो अब सरिता है और ना ही उसका अपना कोई....उसके अपनो मे सिर्फ़ मोहिनी और मोना ही बची थी...जो कुछ दिन पहले मारे गये....इसीलिए उसको छोड़ देते है....

चलो अब मैं बताती हूँ कि मैने अली की मौत के बाद सम्राट के साथ मिल कर क्या-क्या किया....

ये तो मैं बता ही चुकी हूँ कि मैने सरफ़राज़ को वसीम कैसे बनवाया.....ह्म्म..अब मैं बताती हूँ सम्राट के बारे मे....और उसके बेटो के बारे मे भी....

असल मे सम्राट की बीवी और बेटी मर चुकी थी....जिनकी मौत की वजह आज़ाद था....बस सम्राट ने मुझे इतना ही बताया....

और मैने भी उससे कुछ ज़्यादा नही पूछा...क्योकि मुझे उससे कोई मतलब नही था...मुझे तो सिर्फ़ सम्राट का साथ चाहिए था.....

हाँ...सम्राट के बड़े बेटे की भी एक कहानी है...वो मैं बता सकती हूँ....सुनो....

सम्राट का बड़ा बेटा समर सिंग उसी सहर मे पढ़ता था...जहा आकाश और अलका पढ़ते थे.....

समर दिल ही दिल मे अलका को बेहद प्यार करता था....वो किसी भी हाल मे अलका को पाना चाहता था....पर अलका तो सिर्फ़ आकाश से प्यार करती थी....

और जब अलका ने आकाश से शादी कर ली...तो समर पागल सा हो गया...वो बर्दास्त नही कर पाया....पर चाहते हुए भी आकाश या अलका का कोई नुकसान नही कर पाया.....

फिर समर को अपने पिता से ये बात पता चली कि आलाश का बाप ही उसकी माँ और बेहन की मौत का ज़िम्मेदार था...तो समर का गुस्सा और ज़्यादा बढ़ गया.....

समर ने सोच लिया कि वो आकाश को मिटा देगा और फिर अलका को हासिल कर लेगा.....पर ये इतना आसान नही था.....

तभी समर की मुलाक़ात मुझसे हुई...और मैने उसे ठंडे दिमाग़ से काम लेने को कहा....और यकीन दिलाया कि एक दिन अलका उसको मिल जाएगी....

फिर मैं समर के साथ भी अपने जिस्म की भूख मिटाने लगी.....

और कुछ टाइम बाद मेरे कहने पर ही...मैं और समर इसी सहर मे आ गये...जहाँ आकाश रहता था.....

और यहाँ आकर मुझे कामिनी और दामिनी के बारे मे पता चला...जो मुझे सरफ़राज़ ने बताया....

फिर मैने और दामिनी ने मिलकर अलका की सबसे खास सहेली रजनी और रजनी की फ्रेंड दीपा को भी अपने साथ मिला लिया....

रजनी की तो वैसे भी आकाश से दुश्मनी थी....पर दीपा की कोई दुश्मनी नही थी...वो तो बस सेक्स की भूखी थी...और इसी का फ़ायदा हम ने उठाया....

हम सब ने मिल कर तुम्हे उसी दलदल मे धकेल दिया...जिस दलदल मे तुम्हारे दादा ने हमें फेक दिया था....

हम सब सेक्स की प्यासी हो चुकी थी....हर वक़्त...हर जगह...बस सेक्स ही दिखता था....और इसकी वजह थी...तेरा दादा.... आज़ाद....

हम ने सोचा की तुझे मारने से कोई फ़ायदा नही....बस तुझे सेक्स की दलदल मे डाल दे और ये बात आकाश तक पहुचा दे...तो हमारे दिल को सुकून मिलेगा....और फिर हम तुम दोनो को मार कर अपना मक़सद पूरा करेंगे.....


अब तुम शायद सब कुछ समझ गये होगे....कि जो हुआ...वो क्यो हुआ और कैसे हुआ.....ओह हाँ....वो वीडियो....ह्म्म...तुम ये ज़रूर जानना चाहते होगे कि मैने अपने सगे बाप को और अपने पति को क्यो मारा...है ना.....तो सुनो...ये भी बता ही देती हूँ....

असल मे मेरा बाप बड़ा सीधा और सरीफ़ था...और साथ मे इंसाफ़ पसंद भी.....जिसकी कीमत उसे जान दे कर चुकानी पड़ी.....

असल मे एक दिन मेरे बाप ने मुझे आज़ाद के साथ सेक्स करते हुए पकड़ लिया.....

पर सेक्स के दौरान की बातें सुन कर उसे यकीन हो गया था कि ये सेक्स मेरी रज़ामंदी से हुआ...ना कि कोई जबर्जस्ति से....

फिर मेरे बाप ने मुझे समझाया....मारा भी....पर आज़ाद के खिलाफ कुछ ना कहा....

उसने कहा की कोई भी मर्द औरत की मर्ज़ी के बिना उसे हाथ नही लगा सकता...इसलिए ग़लती तुम्हारी है...आज़ाद की नही.....

बस उनकी यही बात मुझे अच्छी नही लगी कि उसने आज़ाद को बेगुनाह करार दे दिया....

इसलिए मैने भी अपने बाप के खिलाफ बग़ावत कर दी...और उनकी एक ना सुनी....

पर एक दिन मेरे बाप ने मेरा और समर का सेक्स देख लिया....और साथ मे ये भी सुन लिया कि कैसे हम ने अली को उसके परिवार के साथ जला डाला था....

उस दिन के बाद मेरे बाप ने मुझे धमकाना शुरू कर दिया...कि या तो ये सब बंद कर दो...या फिर वो आज़ाद को सब सच बता देगे....

पर बेचारे....अपनी बेटी के प्यार की वजह से आज़ाद को सच नही बोल पाए.....पर अब वो हमारे लिए ख़तरा बन चुके थे....मेरी सेक्स लाइफ के लिए भी...और आज़ाद को मिटाने के मंसूबे के लिए भी.....

आख़िर मैने भी तय कर लिया कि मुझे ऐसा कमजोर बाप नही चाहिए जो मेरे दुश्मन को सही समझे....

तो मैने खुद अपने हाथो से उसे गोली मार दी....पर कम्बख़्त उसी दिन सरफ़राज़ ने मुझे ब्लॅकमेल करने के इरादे से वो वीडियो बना ली....नही तो शायद किसी को कभी पता ही ना चलता कि मेरे बाप को खुद मैने मारा है.....

पर मुझे कोई अफ़सोस नही...मुझे जो सही लगा वही किया....और इसीलिए मैने अपने पति को भी उपर पहुँचा दिया...क्योकि वो भी मेरे मामले मे ज़्यादा टाँग अड़ा ने लगा था....

साला खुद तो बाहर रहता था और मेरे पीछे जासूस लगा दिए थे...ताकि मैं खुल के चुद भी ना सकूँ....

बस....इसीलिए उसे भी ठिकाने लगा दिया...


इतना बोल कर रिचा मुझे देखने लगी....उसकी आँखो मे कोई पछ्तावा नही था.....बल्कि एक खुशी थी...जैसे कोई महान काम किया हो उसने.....

मैं(गुस्से से)- कितनी बड़ी....आअहह...क्या बोलू तुझे....तुझे ज़रा भी पछ्तावा नही...हाँ...

रिचा- पछ्तावा...किस बात का पछ्तावा....हा...मैने जो भी किया वो अपने मक़सद के लिए, अपनी जिंदगी के लिए किया....मुझे कोई पछ्तावा नही....बस एक को छोड़ कर....

मैं- अच्छा...तो कुछ ऐसा भी है जिसका तुझे पछ्तावा है....ज़रा मैं भी तो सुनू.....

रिचा(मुझे घूर कर)- तुम्हे ना मारने का....

मैं(मुस्कुरा कर)- ओह्ह...मुझे मारना था...हाँ...

रिचा- हाँ...और ये काम बड़ी आसानी से हो भी जाता....पर हम ने सोचा कि बच्चे को क्यो मारे....इसे इस्तेमाल करेंगे....बस यही सोच कर हम रुक गये...वरना तभी मार डालते जब तुम बच्चे थे.....बस यही पछ्तावा हो रहा है....

मैं- आहह...खैर...ये पछ्तावा तो रहेगा ही...पर अब कुछ नही हो सकता....अब तो सिर्फ़ तुम मरोगी...और फिर तुम्हारे बाकी के साथी....

रिचा(गुस्से से)- अब मुझे मौत का कोई ख़ौफ़ नही....मेरी जिंदगी तो मेरी बेटी थी...जो तुमने छीन ली...अब तो बस मैं एक जिंदा लाश हूँ....

मैं- ओह्ह...तो जिंदा लाश....और कुछ भी अगर तेरे इस शैतान दिमाग़ मे छिपा हो तो वो भी बता दो....ह्म्म...

रिचा(मुस्कुरा कर)- ह्म...और भी है...और ऐसा है ...कि तुम सुनोगे ना तो मुझे मार ही डालोगे....

मैं- मरेगी तो तू पक्का....पर इतनी आसानी से नही.....बहुत लोगो की मौत का हिसाब देना है तुझे....

रिचा(हँसते हुए)- हहेहेहहे.....मौत का....हहहे.....साले सब मेरी उंगलियों पर नाचते गये...और मर गये....हहहे...दीपा....रश्मि....मेरा बाप...मेरा पति...वसीम का खानदान...और..और वसीम खुद....हाँ...और अकरम ....साला वो समझता है कि वसीम ही शैतान था....जबकि वजह तो सिर्फ़ मैं थी...मैं...
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

तभी रूम का गेट खुलने की आवाज़ आई और तुरंत ही एक गोली चलने की आवाज़ हुई....

""द्ड़हाअयययययईंन...""

मैं(मूड कर)- न्न्ंहिि....रूको...रूको....

""ये औरत जिंदा रहने के लायक नही..."""

""द्द्धहाअयईईए.......द्द्धहााययईईंन्न....""

रिचा- न्णएन्न्...आआआअहह.....

और रूम मे 2 गोलियाँ और चली और साथ मे रिचा की जोरदार चीख से रूम दहल उठा......

रूम मे गोलियों की आवाज़ और रिचा की चीख गूजी ही थी कि मैं अपनी जगह से खड़ा हो गया और रिचा के सामने आ गया.....

मुझे रिचा के सामने देख कर अकरम ने अपनी पिस्टल नीचे कर ली और मुझे गुस्से से घूर्ने लगा....

मैं- अब घूर मत...मैं सिर्फ़ तुझे सच बताना चाहता था...इसीलिए तुझे कॉल कर के रिचा की सारी बात सुनवाई....पर मैं अभी इसे मरने नही दे सकता....

अकरम(गुस्से से)- पर क्यो....तूने सुना नही...इसने क्या-क्या घटिया काम किए....कितनी ही चाले चली और कितने मासूमो की मौत की वजह बनी...हाँ....

मैं- हाँ..सुना मैने...सब सुना....पर फिर भी...मैं इसे मरने नही दूँगा....मुझे अभी और भी बहुत कुछ पता लगाना है...जो सिर्फ़ यही बता सकती है.....संहझहे....

अकरम(मुँह बना कर)- ठीक है...नही मारूगा....ओके...ये ले...ये पिस्टल तू ही रख ले...वरना मैं तो इसे...ये ले...

और इतना बोलकर अकरम ने पिस्टल मेरी तरफ फेक दी और मैने पिस्टल उठा कर अकरम को शांति से बैठने को बोला...

मैं- अब शांत रहना....वैसे ...सब ठीक है ना....

अकरम(बैठते हुए)- ह्म्म...ठीक है...जैसा तूने कहा था.....

मैं- गुड...अब चुपचाप बैठ जा...और हाँ...वो गेट लगा दे पहले....

और अकरम ने गेट लगाया और चुपचाप बैठ गया....जब तक मैं भी अपनी जगह वापिस बैठ गया....

रिचा तो इन गोलियों की आवाज़ से आधी मर ही गई थी...और उपर से अकरम को देख कर तो बिल्कुल से ही....

मैं(रिचा से)- रिलॅक्स...तू मरी नही...जिंदा है....तुझे अभी तक गोली नही लगी...ह्म्म...चल पानी पी ले...अभी बहुत कुछ बकना है तुझे.....

फिर रिचा ने डरते हुए पानी पिया और थोड़ी देर तक लंबी सासे भरती रही.....

मैं- सब ठीक है...डर मत...तुझे अभी कोई नही मारेगा....समझी....

रिचा(सहम कर)- ये यहाँ कैसे....

मैं(मोबाइल दिखा कर)- कमाल की चीज़ है ना ये मोबाइल....है ना....आक्च्युयली इस मोबाइल के ज़रिए अकरम ने वो सब सुन लिया...जो तूने अभी-अभी मुझे बताया था....और वो सब सुनकर उसको गुस्सा आ गया...और अब वो यहाँ है...तेरे सामने....

रिचा(डरते हुए)- म्म..मुझे माफ़ कर ....

मैं(बीच मे)- माफी तो तू बाद मे माँगना....पहले मेरे सवालो के जवाब तो दे दे.....

रिचा- कौन से सवाल...

मैं- अभी तो बहुत से खास सवाल है....और मैं जानता हूँ कि इन सारे सवालो के जवाब मुझे सिर्फ़ तू ही दे सकती है...सिर्फ़ तू....

रिचा(सिर उठा कर)- ह्म....मुझे पता होगा तो सब बता दूगी.....


मैं- ह्म...तो सवाल रेणु से शुरू करते है....मैं जानता हूँ कि रेणु भी मुझे धोखा दे रही है....पर सवाल ये है कि क्यो...और किस लिए....आख़िर उसे मेरे खिलाफ करने वाला है कौन....क्योकि वो अपने आप तो मेरे खिलाफ जा नही सकती ...ये मैं जानता हूँ....तो बताओ....कौन है ...जो रेणु के दिमाग़ से खेल रहा है...हुह...

रिचा(मुस्कुरा कर)- रेणु ...ह्म...बड़ी प्यारी लड़की है....और दिमाग़ भी बहुत तेज है उसका....सच मे....

मैं(कड़क आवाज़ मे)- ये मेरे स्वाल का जवाब नही....मुझे वो बताओ जो मैं जानना चाहता हूँ....

रिचा- ह्म्म ....जानना चाहते हो...वैसे जानना तो तुमने बहुत कुछ है....मेरा मतलब रेणु के बारे मे...

रिचा की बात सुनकर मैने उसे घूर्ना जारी रखा....पर रिचा के चेहरे पर हल्की से मुस्कान तैर रही थी.....

मैं- मुझे तेरी मुस्कुराहट मे कोई दिलचस्पी नही...समझी....

रिचा- जानती हूँ....पर तुम बहुत कुछ नही जानते...बस यही सोच कर मुस्कुरा उठी....

मैं(गुस्से से)- अब बस भी करो....और सॉफ-सॉफ बको....

रिचा- ठीक है...तो सुनो फिर....तुम तो ये भी नही जानते कि रेणु और कोई नही बल्कि तुम्हारी अपनी बेहन है....हाँ...तुम्हारी सौतेली बेहन....समझे.....

मैं(शॉक्ड)- ये...ये क्या बक रही हो तुम.....

रिचा- बक नही रही....सच बता रही हूँ....रेणु का बाप और कोई नही...बल्कि आकाश है...तेरा बाप....

मैं(गुस्से से)- चुप कर....अब एक भी झूठ बोला तो पूरी पिस्टल तेरे सीने मे दाग दूँगा....समझी....

रिचा(हँसते हुए)- मरे हुए को मौत का ख़ौफ़ मत दिखाओ....अगर सच जानना ही है तो सच सुनने का दम भी रखो....

मैं(अपने आप को शांत कर के)- तो तू ये कहना चाहती है कि मेरे डॅड का मेरी बुआ से.....नही...मैं ये मान ही नही सकता....ये झूठ है....

रिचा- सही कहा....तेरे डॅड और आकृति के बीच कुछ नही है.....

मैं- तो फिर तूने ये क्यो बोला साली कि रेणु के पापा मेरे डॅड ही है....हाँ...

रिचा- तुमने अभी आधी बात ही सुनी है....पहले पूरी तो सुन लो....फिर बोलना....

मैं- ओके....बताओ....सच क्या है....

रिचा- जैसे कि तुझे ये नही पता था कि रेणु का बाप आकाश ही है...वैसे ही तुझे रेणु की माँ का भी पता नही.....

मैं(हैरानी से)- मतलब....क्या रेणु मेरी बुआ की बेटी.....

रिचा(बीच मे)- नही....आकृति ने उसे सिर्फ़ पाला है....असल मे वो सरिता की बेटी है.....तेरे दादा के दोस्त की बीवी सरिता....नाम सुना है ना उसका.....

मैं- ह्म्म...सुना है....पर ये कैसे हो सकता है....और अगर ये बात सच है तो मेरे डॅड को इसकी जानकारी क्यो नही है ....

रिचा- ह्म्म...तेरा सवाल सही है....इस सब की ज़िम्मेदार तेरी बुआ है....जिसने ना सिर्फ़ दुनिया से बल्कि अपने भाई से भी रेणु का सच छिपा कर रखा....और उसे अपनी बेटी ही बताया....

मैं- ये कैसे मुमकिन है....मेरे डॅड को इतना तो पता होगा ही कि उनकी बेहन के कितने बच्चे है...हाँ....

रिचा- इस सवाल के जवाब के लिए तो तुम्हे अतीत मे ले जाना होगा.....तभी तुम समझ पाओगे कि जो भी हुआ...वो क्यो हुआ और कैसे हुआ....

मैं- तो फिर बताओ...क्या हुआ था...

एक बार फिर से रिचा ने अतीत के पन्ने खोल कर मैने सामने रखना शुरू कर दिया.....


ये तो तुम जान ही गये हो कि सरिता के आकाश से शारीरिक संबंध थे...और दोनो ही एक दूसरे के जिस्म की आग को कई बार ठंडा कर चुके थे....

पर जैसे ही आकाश को अलका से प्यार हुआ तो उसने सब छोड़ दिया...और अलका को सब सच भी बता दिया....

खैर...आकाश तो सुधर गया...पर सरिता को आकाश का दूर जाना खलने लगा....वो आकाश के सहारे आज़ाद से बदला लेना चाहती थी....ये मैं नही जानती कि किस बात का....

खैर...जब सरिता ने आकाश को खो दिया तो वो तड़पने लगी...और आकाश से नफ़रत भी करने लगी ....पर फिर भी उसे अपने मक़सद के लिए आकाश की ज़रूरत थी.....

इसलिए उसने आकाश को किसी तरह से एक आख़िरी बार सेक्स करने के लिए मना लिया...और इस तरह चुदाई करवाई...जैसे कि आकाश उसका रेप कर रहा हो....

सरिता ने इस चुदाई को कमरे मे क़ैद कर लिया और उसका इस्तेमाल कर के आलाश को सबकी नज़रों मे गिरा दिया और आज़ाद ने गुस्से मे आ कर आकाश को घर से निकाल दिया....

पर उस चुदाई का एक और नतीजा निकला....सरिता प्रेगनेंट हो गई....और उसे माँ बनने का सुख मिला.....
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shubhs
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Re: चूतो का समुंदर

Post by shubhs »

अद्भुत
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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