चूतो का समुंदर

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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

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घर आते ही मुझे रॉनी मेरे गेट के बाहर मिल गया....

मैं(कार से निकल कर)- अरे रॉनी...तुम इस वक़्त ...

रॉनी- सर..बोला था ना कि आपके घर पहुँचने के पहले ही काम ख़त्म कर के पहुँच जाउन्गा...

मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म..मान गये यार....तो काम पूरा हो गया ना...

रॉनी- जो काम पूरा ना करे वो रॉनी ही क्या सर...लीजिए...ये रहा आपके काम का सामान...

फिर रॉनी ने मुझे 2 सीडीज़ पकड़ा दी...

मैं- ह्म्म..इसकी कॉपी है ना...

रॉनी- जी सर...एकदम रेडी...

मैं- ह्म्म..तो अब बताओ...पैसे कितने लगेगे...

रॉनी- ह्म...5000 उस लड़की के...और 2-3 हज़ार इस सीडी के लिए...

मैं- ओके...अंदर चलो....

फिर मैने कार पार्क की और अंदर से पैसे लाकर रॉनी को दे दिए....

रॉनी- सर ..ये तो 20000 है...मुझे तो बस....

मैं(बीच मे)- रख यार...ज़रूरत पड़ गई तो..चल अब तू निकल और रेस्ट कर...मैं भी रेस्ट कर लूँ थोड़ा...वैसे भी कल बहुत काम है तो रेस्ट बनता है ना...

रॉनी(मुस्कुरा कर)- एस सर....कल तो धमाका होगा....वेल..टेक रेस्ट सर...मिलते है...

मैं- यू टू...बब्यए....

और फिर रॉनी को भेज कर मैं भी रात की थकान मिटाने सो गया.....

मस्ती भरी रात के बाद जब मेरी आँख खुली तो एक झटके के साथ....असल मे इन्स.आलोक ने मुझे कॉल कर के जल्द से जल्द एक फार्महाउस पर बुलाया था....

मैं रेडी होकर घर से निकल कर उस फार्महाउस पर पहुँचा और सामने पड़ी लाषो को देख कर हैरान हो गया....

मैं- ये..ये तो सुषमा है...सोनू की मोम...और ये विनोद...

आलोक- विनोद ...ये वही है ना...रजनी का देवर....

मैं- जी हाँ...ये अनु के डॅड है..पर ये यहाँ...इस हाल मे...कैसे....

आलोक- अभी तक कुछ पता नही चला....वैसे ये दोनो हमे नंगे ही मिले...एक दूसरे से लिपटे हुए....शायद इनके बीच...

मैं- नही...ये नही हो सकता....ये दोनो तो एक-दूसरे को जानते तक नही थे...तो फिर इनने बीच कुछ....नही...ये पासिबल ही नही...

आलोक- ह्म्म..हो सकता है तुम सही हो...पर अभी के हालात देख कर तो यही लगता है...कि ये दोनो अपनी मस्ती मे खोए हुए थे और किसी ने आ कर इन्हे गोली मार दी....

मैं- नही...ये हो ही नही सकता सर...ज़रूर कुछ और ही बात है...यहाँ कुछ और ही माजरा है....और प्ल्ज़...आप इन्हे यहाँ से...मैं...इन्हे ऐसे नही देख सकता....प्ल्ज़..

आलोक- ओके...1 मिनट..

फिर आलोक ने हवलदार को इशारा लिया और उसने दोनो बॉडी को कवर कर दिया....

मैं(दिमाग़ को ठंडा कर के)- वैसे आपको यहाँ कुछ और मिला...आइ मीन कुछ खास...

आलोक- कुछ खास तो नही...बस लाषो के अलावा सिर्फ़ खून ही मिला....

मैं- ह्म...

आलोक- वैसे एक बात कुछ खास है...आइ मीन मुझे खास लग रही है...

मैं- वो क्या...

आलोक- वो ये कि लाषो के पास तो खून मिलना आम बात है...पर हमे गेट पर भी कुछ खून मिला है...असल मे गेट की चोखट से एक कील बाहर निकली है....जो किसी को चुभि है...तभी वहाँ काफ़ी खून पड़ा है...


मैं- ह्म...हो सकता है कि वो कातिल का हो...

आलोक- हाँ हो सकता है...क्योकि इन लाषो मे कील चुभने का कोई निशान नही है...

मैं- तो पक्का उसी का होगा जिसने इन दोनो को मारा...मतलब कातिल का....

आलोक- असल मे अंकित...जैसे यहाँ कतल भी 2 हुए और वैसे ही कातिल भी 2 ही है....

मैं- क्या....क्या मतलब....आप कहना चाहते है कि 2 लोग आए थे इन्हे मारने....

आलोक- नही...ये तो नही पता कि कितने लोग आए थे...पर इतना पक्का कह सकता हूँ कि ये दोनो कतल 2 लोगो ने किए है...

मैं- अच्छा...

आलोक- हाँ..और एक कातिल तो हमारे सामने ही है...

मैं(हैरानी से)- क्या...सामने...इसका क्या मतलब...

आलोक- मतलब ये है हीरो कि इस औरत को मारने वाला यही आदमी है...जो इस वक़्त खुद मरा पड़ा है...

मैं(चौंक कर)- क्या कह रहे है आप....मतलब विनोद ने सुषमा को मारा....ऐसा कैसे बोल सकते है आप...नही..ये हो ही नही सकता.....

आलोक-पर ऐसा हुआ है... बड़ा सिंपल है यार...देखो...विनोद के हाथ मे गन अभी भी है...और हमे यहाँ से सिर्फ़ 2 बुलेट होल मिले है...इनमे से एक इसी गन का है जो विनोद के हाथ मे है...

मैं- ह्म्म...

आलोक- और अब ये तो तुम भी जानते हो की विनोद खुद तो अपने आप को गोली मारेगा नही...तो जाहिर सी बात है कि उसने सुषमा को ही गोली मारी होगी...

मैं- शायद आपकी बात सही हो...पर विनोद सुषमा को क्यो मारेगा...और फिर विनोद कैसे मारा...किसने मारा उसे...उसे सुषमा तो मार नही सकती ना...

आलोक- मज़ाक कर रहे हो....

मैं- नही..मैं तो बस...

आलोक- रहने दो....वेल...कोई तो था यहाँ...और शायद 2 लोग थे...

मैं- 2 लोग...अब ये आप कैसे कह सकते है...क्या कोई और बुलेट होल मिला...

आलोक- नही...पर तुम ये सोचो कि अगर कातिल गेट से गया ..जैसा की हमे लगता है तो फिर ये खिड़की का काँच क्यो टूटा...

मैं- हो सकता है कि हाथापाई मे टकरा गया हो कोई...ह्म..

आलोक- हो सकता था...असल मे तुम्हे खिड़की के नीचे देखना चाहिए....वहाँ की गीली मिट्टी तुम्हे बता देगी कि मैं क्या कहना चाहता हूँ...

मैने आलोक के कहने पर खिड़की से नीचे देखा तो सॉफ दिख रहा था कि वहाँ की मिट्टी पर जूतों के निशान है...मतलब कोई सच मे कूदा है...

मैं(वापिस मूड कर)- ह्म्म...सही है...पर हो सकता है कि कातिल गेट से आया हो और खिड़की से कूदा हो...और आते हुए उसे कील लगी हो...हाँ...

आलोक(मुस्कुरा कर)- नही अंकित...ऐसा भी नही हुआ....थोड़ा गेट की तरफ गौर से देखो...शायद समझ जाओ...
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

मैने फिर से आलोक की बात मानी और गेट की तरफ बढ़ा...और गेट के बाहर देख कर मुझे अपने सवाल का जवाब मिल गया....

मैं- आपने सही कहा...यहाँ से निकलने वाले 2 लोग ही है...

आलोक- ह्म्म...तुम कैसे समझे...

मैं- वो...खून के निशान...ये बाहर की तरफ है....मतलब सॉफ है कि कातिल को जाते हुए कील लगी और खून की बूंदे सॉफ बताती है कि बंदा बाहर निकला...अंदर नही...

आलोक- वेरी गुड....अब तुमने पोलीस की तरह सोचा...हाहाहा...

मैं- ह्म..संगत का असर है सर...पर थोड़ा सा...

आलोक- कोई नही...साथ रहो...सब सीख जाओगे....वैसे अब मैं बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज रहा हूँ....और तुम इनके घरवालो को न्यूज़ दे दो...हाँ...

मैं- क्या...मैं...नही सर...ये मुझसे नही होगा...और..मैं क्या कहता हूँ...क्या आप ये बात कुछ देर तक छिपा सकते है...प्ल्ज़...

आलोक- कुछ देर तो ठीक है बट न्यूज़ तो देनी ही होगी...

मैं- हाँ...वो मेरी ज़िम्मेदारी...पर बाद न्यूज़ देने के पहले मुझे थोड़ा टाइम चाहिए....

आलोक- ह्म्म ..ओके...ये बात तब तक सामने नही आयगी...जब तक तुम ना बोलो...पर याद रहे सिर्फ़ शाम तक का वक़्त है तुम्हारे पास....

मैं- जी सर...अब मैं चलता हूँ....मुझे सोचना भी है कि आख़िर मैं इनकी फॅमिलीस से कहुगा क्या....

और फिर मैं वहाँ से निकल आया...पर कार चलाते हुए मुझे ये समझ ही नही आ रहा था कि जाउ कहाँ....


मेरा माइंड तो जैसे सुन्न पड़ा था...कभी मुझे सुषमा की लाश दिखती तो कभी विनोद की...

सच कहूँ तो मुझे उनकी मौत का उतना गम नही था...जितना गम उनकी फॅमिली के लिया था.......

एक तरफ सोनू और सोनम ...और दूसरी तरफ मेघा, अनु और रक्षा.....ये सब मेरे दिल के करीब थे....इसलिए उनको ये गमगीन न्यूज़ देने की हिम्मत ही नही हो रही थी....

मैं काफ़ी देर तक अपने आप से जवाब पूछता रहा कि क्या करूँ...पर कोई जवाब नही मिला....फिर मुझे कुछ याद आया और मैने कार अकरम के घर घुमा दी....

थोड़ी देर बाद मैं अकरम के रूम मे था....

मैं(अकरम को सुषमा और विनोद की मौत की खबर बता कर)- अब तू ही बता ...मैं क्या करूँ...मेरा तो माइंड जैसे काम ही नही कर रहा....इसलिए तेरे पास आया...क्योकि जो किसी से ना बोल पाओ वो साला दोस्त से ही बोल सकते है....

अकरम- हाँ भाई...तूने अच्छा किया...और ये भी सही किया कि संजू को नही बोला....नही तो वो भी टूट जाता. ..उसका चाचा था वो....

मैं- यार...मैं अब करूँ क्या...मैं उन लोगो के सामने ये बात बोल ही नही सकता....कैसे भी नही....

अकरम- तू पहले पानी पी...थोड़ा रिलॅक्स हो जा...तेरा चेहरा लाल पड़ गया...ले पानी पी...

फिर अकरम ने जबरन मुझे पानी पिलाया और मेरा कंधा सहलाने लगा....

अकरम- भाई....तू टेन्षन मत ले...पोस्टपार्टम रिपोर्ट आ जाने दे फिर मैं तेरे साथ चल कर उनको ये खबर दे दूँगा...

मैं- सच मे...वेल मैने भी यही सोचा था कि तुझसे कहलावा दूं...थॅंक्स यार...

अकरम- अरे यार....मुझे थॅंक्स बोलेगा....

मैं- अरे वो तो....अच्छा ये बता...तू मुझे कुछ बताने वाला था...क्या था वो...बोल...

अकरम- हाँ...पर अभी बताना ठीक होगा...आइ मीन तू पहले से इतनी टेन्षन मे है..और फिर...डॅड....आइए....

अकरम बात पूरी करता उसके पहले उसकी नज़र गेट पर खड़े वसीम पर पड़ी और उसने उसे अंदर बुलाया...

वसीम भी अकरम के कहने पर अंदर आया और मैं उसे आते हुए घूर्ने लगा...पर जैसे ही वसीम ने मुझे देखा तो मैने नज़रें चुरा ली...

वसीम ने थोड़ी देर तक हम से बात की और फिर निकल गया...और मैं उसे जाते हुए भी लगातार घूरता रहा...

अकरम- क्या हुआ भाई...

मैं- क्क्क..कुछ नही...तू आज ही बता...जो तुझे बताना था....

अकरम- ओहक...तो रुक...तुझे कुछ दिखता हू...तू खुद ही समझ जायगा...

मैं- ओके...और सुन...एक काम कर....

अकरम- हाँ बोल ना...

फिर मैने अकरम को काम बोला और अकरम के दिए हुए सामान को देख कर सोच मे पड़ गया...असल मे , मैं शॉक्ड हो गया था.....

अकरम- शॉक लगा ना....मुझे भी लगा था...जब मैने ये सब देखा था....

मैं- तो क्या...सच मे वसीम तेरे डॅड...(मैं कहते-कहते रुक गया)

अकरम- तू सब पढ़ने के बाद भी पूछ रहा है....नही...वो मेरे डॅड नही...मेरे डॅड तो....

और इसी के साथ अकरम की आँखे नम होने लगी....

मैं- अकरम...सम्भालो अपने आप को...और हाँ...ये बात तूने किसी को कही तो नही....

अकरम- सिर्फ़ सादिया आंटी से...

मैं- पर क्यो...क्या तू नही जानता कि अगर ये बात तेरी फॅमिली आइ मीन तेरी बहनो को पता चली तो क्या होगा....तू ये तो समझ की तेरी मोम ने किसी वजह से ये बात तुम सब से छिपाई होगी....हां....

अकरम- जानता हूँ यार...पर अब मैं क्या करूँ...मेरा तो दिमाग़ ही नही चल रहा ....वो इंसान जिसे आज तक अपना बाप समझ कर जीता रहा...एक पल मे पराया हो गया....और फिर ये सब...वो विदेवे और ये पेपर्स....इन्हे देख कर तो उस इंसान से नफ़रत सी हो गई मुझे....

मैं(अकरम के कंधे को पकड़ कर)- अकरम...मैं समझ सकता हूँ कि तेरे दिल मे क्या चल रहा है..पर तुझे अपने इमोशन्स पर काबू रखना होगा...देख...अभी जूही की हालत ठीक नही और ये हम दोनो जानते है कि जूही वसीम से कितना प्यार करती है...और अगर अभी ये बात उसे पता चली तो...नही...मेरे हिसाब से अभी चुप रहना ही बेहतर होगा....

अकरम- पर ...कब तक...कब तक मुझे उस इंसान को डॅड बोलना पड़ेगा जिसने ना सिर्फ़ हमारे साथ बल्कि सादिया और गुल के साथ भी धोखा किया....क्या धोखेबाज को सज़ा नही मिलनी चाहिए...हाँ...


मैं- बिल्कुल मिलनी चाहिए...और मिलेगी भी...पर उसके लिए तुझे अपने आप को काबू मे रखना होगा...पहले हम ये तो पता कर ले कि वसीम ख़ान किस हद तक नीचे गिर सकता है....

अकरम(चौंक कर)- क्या मतलब....क्या उसने और कुछ भी किया है...

मैं- हाँ...पर इस वक़्त मैं कुछ नही बता सकता...असल मे मुझे अभी पता नही..आइ मीन पक्का नही ...बस डाउट है....

अकरम- कैसा डाउट...

मैं- मुझे लगता है कि हमारी फॅमिलीस से वसीम ख़ान का बहुत कुछ लेना-देना है...और ...

अकरम- और क्या...बोल...

मैं(लंबी साँस ले कर)- और...मुझे लगता है कि वो अकेला नही...और हाल ही मे हुई सारी घटनाओ से वसीम का कुछ कनेक्षन ज़रूरी है....

अकरम(सहम उठा)- तू किस बारे मे बोल रहा है...कही तू इन मर्डर्स....

मैं- हाँ...मुझे लगता है कि...

अकरम(बीच मे, खड़ा हो कर)- तो चल फिर और सामने से बात करते है....

मैं(अकरम का हाथ पकड़ कर)- नही...तू कही नही जा रहा...तू बस रेस्ट कर....और बाकी मुझ पर छोड़ दे....बिलीव मी....मैं सब पता कर लूगा...बस थोड़ा टाइम दे...

अकरम- ओके ..तू कहता है तो ठीक...मैं इंतज़ार करूँगा...और हाँ...मेरी ज़रूरत हो तो बताना...मैं अब ठीक हूँ...ओके...

मैं- ह्म्म...अब मैं चलता हूँ...और जब तक मैं ना बोलू ऐसी कोई हरक़त मत करना जिससे....

अकरम(बीच मे)- समझ गया भाई...मैं चुपचाप लेटा रहुगा...ओके..

अकरम की बात सुन कर मैं मुस्कुरा फिया और अकरम का दिया हुआ सामान ले कर वहाँ से निकल गया........

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Kamini
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Re: चूतो का समुंदर

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mast
Vinay86731
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Re: चूतो का समुंदर

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राहे खुद मंजिल का पता देंगी
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shubhs
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Re: चूतो का समुंदर

Post by shubhs »

बिल्कुल लगे रहो
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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