Raj sharma stories चूतो का मेला compleet
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला
अब मैंने तकिये को उसकी गांड के निचे रख दिया और उसकी टांगो को अपनी टांगो पर चढ़ाया ममता ममता ने अपनी आँखों को हल्का सा खोला मैंने अपने लंड को उसकी चूत की दरार पर रगडा
“जेठ जी क्यों तडपा रहे हो बर्दाश्त करनी की भी हद होती है मुझे अपना बना क्यों नहीं लेते आप ”
उसके ऐसा कहते ही मैंने जोर लगाया और अपना लंड चूत में डालने लगा और ममता का बदन अकड़ने लगा
“आह!सच में बहुत मोटा है आराम से ”
मैं- बस एक मिनट की बात है फिर तुम ही चाहोगी की मैं इसको अन्दर ही रखु
अगले कुछ धक्को के बाद मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में पंहुचा दिया और हलके हलके धक्के लगाने लगा ममता ने मेरी पीठ पर अपनी बाहे कस दी
“आह, आह उफफ्फ्फ्फ़ आई सीईईइ ”
उसके होंठो से गर्म आहे निकलने लगी ममता के पसीने की मादक गंध मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी जिस से मैं अब तेज तेज धक्के लगाने लगा था वो मेरी बाहों में पिघल रही थी
मैं- थोडा दम दिखा रानी बड़ा उछल रही थी अब जेठ को ठंडा नहीं करोगी
वो- क्या दम दिखाऊ दो बार तो पहले ही निचोड़ दी
मैं- मेरी रानी, तेरी चूत आज ऐसे मरूँगा की रात को बिस्तर पर करवातो में ही रात गुजरेगी
वो- चोद डालो, जेठ जी मुझे इस तरह रौंद डालो की इस निगोड़ी की सारी खाज मिट जाये अपनी बाहों में पीस डालो मुझे आह शाबाश और तेज और तेज तेज करो चोदो मुझे
मैंने ममता को चूमना चालू कर दिया होंठो से होंठ जुड़ गए थे उसके बाकि के शब्द मुह में ही घुल गए जल्दी ही वो अपनी गांड उठा उठा के मेरी ताल से ताल मिलाने लगी उसके सच में ही काफी स्टैमिना था कामुकता की चाशनी में डूबा हुआ उसका हुस्न मेरे आगोश में पल पल वो पिस रही थी उसकी छतिया किसी धोंकनी की तरह ऊपर निचे हो रही थी पर मेरी रफ़्तार बढती जा रही थी सांसे मुह में ही घुल गयी थी जीभ आपस में तलवार की तरह टकरा रही थी
मेरा लंड उसकी चूत के गाढे पानी से सना हुआ था चिकना हुआ द्रुत गति से दौड़ते हुए उसकी चूत के छल्ले को चौड़ा किये हुए था ममता का बदन अकड़ने लगा था वो मुझे कसने लगी अपनी बाहों ने सांसे फूल गयी थी उसका जिस्म ऐंठ और फिर एक बार से वो झड़ने लगी थी अब हुई वो पस्त और खाट पर किसी बेजान लाश की तरह पड़ गयी मैंने धक्के रोक दिए , कुछ देर बाद उसने अपनी सांसो को संयंत किया और मैंने उसे घोड़ी बना दी उसने मेरी और देखा पर मेरा हुआ नहीं था तो मैं क्या करता
उसने अपने अगले हिस्से को पूरी तरह से झुका दिया और पिछले हिस्से को ऊपर उठा लिया मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और अपने लंड को चूत से भिड़ा चूत पूरी तरह से लाल हो रखी थी एक जोर का शॉट लगाया और फिर से उसको चोदने लगा ममता की हालात बुरी हुई पड़ी थी बस वो हाय हाय कर रही थी धीरे धीरे वो भी गरम होने लगी चूत का गीला पण बढ़ते ही मेरा हथियार और खूंखार होने लगा अपना पूरा जोर लगते हुए मैं उसकी चूत मार रहा था
“आह!जेठ जी सुसु आ रहा है बहुत तेज ”
“यही कर दो ”
“दो पल छोड़ो मुझे आः मैं रोक नहीं पाऊँगी ”
मैंने जैसे ही उसको ढील दी वो खाट से निचे उतरी और मूतने बैठ गयी सुर्र्र्रर सुर्र्र करके उसकी चूत से पेशाब की धर धरती पर गिरने लगी जैसे ही उसका मूत बंद हुआ मैंने उसको बिस्तर भी खीच लिया और फिर से हमारी चुदाई शुरू हो गयी ममता की सुध बुध खो चुकी थी बस वो मेरे धक्को को झेल रही थी करीब दस मिनट और मैंने उसकी ली फिर मैंने उसकी चूत में अपना गरमा गर्म वीर्य छोड़ दिया
एक के बाद एक वीर्य की पिचकारिया निकल कर उसकी चूत में गिरती रही और साथ ही वो भी झड़ गयी आज से पहले मेरा इतना पानी कभी नहीं निकला था ऐसा लग रहा था की जैसे किसी ने मेरी सारी शक्ति निचोड़ ली हो मैं उसकी बगल में ही पड़ गया
थोड़ी देर हम लोग लेटे रहे फिर ममता लड़खड़ाते कदमो से उठी और अपने कपड़ो को पहनने लगी
मैं- क्या हुआ और नहीं करना
वो- मुझसे गलती हो गयी जेठ जी मुझे माफ़ कीजिये
मैं- क्या हुआ मजा नहीं आया क्या
वो- मजा तो आया पर आपने तो मुझे निचोड़ दिया सर घूम रहा है पता नहीं घर तक पहुच भी पाऊँगी या नही
मैंने भी अपने कपडे पहने उसके बाद मैंने उस से वादा लिया की वो मेरा पूरा साथ देगी और कुछ भी पता चलते ही मुझे बताएगी उसने वादा किया की मैं उसको ऐसे ही पेलूँगा तो वो मेरी बन के रहेगी उसके बाद हमने अपना अपना रास्ता ले लिया
अब समस्या ये थी की हर एक के तार दुसरे से जुड़े थे और सारे ही ही मेरे अपने होने का दम भर रहे थे एक तरफ चाचा और बिमला थे जिन्होंने सब रिश्ते नाते ताक पर रख दिए थे अपने चोदुप्न के कारण, दूसरी तरफ प्यारी मामी थी जिसने चूत देके मेरी गांड मार ली थी मार ही डाला था मुझे और तीसरी तरफ रतिया काका था ममता के अनुसार उसने हमला करवाया था और लोचा भी उसका ही था अब साला जाये तो कहा जाये दिमाग में कुछ नहीं आ रहा था
दुनिया के केस सुलझाये थे पर खुद की गांड में पड़ा बम्बू नहीं निकल रहा था सब दरवाजे पीट लिए पर कुछ हासिल ना हो रहा था जी कर रहा था की उसी दिन मर जाते तो ठीक रहता ना हम रहते न ये सवाल होता ऊपर से ममता ने बुरी तरह थका दिया था तो मैं जाते ही सो गया फिर जब आँख खुली तो चारो तरफ अँधेरा था शायद बिजली चली गयी थी मैं उठ के अन्दर गया मोमबत्ती जलाई भूख सी लग आई थी अब इस समय किसी को जगाना ठीक नहीं था तो रसोई में गया कुछ खाया पिया नींद अब आनी थी नहीं मैंने देखा नीनू बैठक ने सोयी हुई है मैं उसके पास ही लेट गया
उस से चिपक गया उसको अपने से लगा लिया वो कसमसाई और मेरी बाहों में ढीली हो गयी मैंने एक हाथ उसकी कमर पर लपेट लिया
नीनू- सोने दो ना क्यों तंग करते हो
मैं- मैं कब जगा रहा हु अब क्या तुम्हे थोडा सा प्यार भी नहीं कर सकता मैं
वो- टाइम तो देखो
मैं- प्यार करने वाले टाइम नहीं देखते
वो- सोने दो ना बहुत नींद आ रही है
मैं- ठीक है , पर मैं इधर ही सो रहा हु
वो हां, वो मुझसे चिपक गयी और हम सो गए
सुबह जरा देर से आँखे खुली बदन जैसे टूट सा रहा था मैंने फ़ोन देखा तो मंजू की कई मिस काल आई हुई थी मैंने फ़ोन मिलाया डॉट इन घंटी के बाद उसने फ़ोन उठाया
मंजू-कब से फ़ोन कर रही हु तू है कहा
मैं- अभी उठा हु बस
वो- देव, मिलना है तुझसे
मैं- घर आजा
वो- नही उधर नहीं बात कुछ अर्जेंट है
मैं- ठीक है तू हमारे कुवे पर आजा मैं आधे घंटे में वहा मिलता हु
मैं करीब आधे घंटे में वहा पंहुचा तो मंजू वही बैठी थी
मैं- क्यों बुलाया
वो- देव, तूने सच कहा था तेरे साथ हुए हादसे में मेरे परिवार का कुछ तो लेना देना है
मैं- तुझे कैसे पता
वो- देव,मेरे बापू कल भाभी को चोद रहे थे मैंने देख लिया वो आपस में कुछ बात कर रहे थे तुम्हारे बारे में
मैं- क्या बात कर रहे थे
वो- देव, बात खजाने को लेकर थी
खजाना , तो जान का जंजाल बन गया था
मैं-बता जरा
वो- बापू भाभी से बोल रहे थे की उनको पूरा विश्वास है की देव बाकि का सोना ढूंढ ही लेगा तो भाभी बोली हां पर अगर वो ढूंढ लेगा तो हमे क्या मिलेगा फिर बापू बोला एक बार सोना मिलने तो दे उसके बाद देखेंगे उस सोने के लिए बड़े पापड़ बेले है
मैं- आगे
वो- बस इतना ही सुना
मैं- मंजू, अगर तेरे बापू ने गद्दारी की होगी तो तू किसका साथ देगी
वो- देव, मैं तेरा साथ दूंगी क्योंकि जब अपने ही दुश्मन हो जाये तो आदमी क्या कर सकता है देव तेरा मेरा बचपन से साथ रहा है मेरे बापू ने जो कलंक लगाया है उसे धोने के लिए मैं कुछ भी करुँगी
मैं- मुझे तेरा विश्वास है मंजू पर ये बात बता तूने अपने बापू से भी गांड मरवा ली
वो- देव, तुझे किसने
मैं- बस पता चला गया
वो- देव, एक दिन बापू ने मुझे और भाई को करते हुए पकड़ लिया था अब मैं क्या करती मज़बूरी हो गयी थी मेरी
मैं- जाने दे , तू मेरी बात सुन तू तेरे बापू से जाके चुदा और उस टाइम उस से इस बारे में पूछना और ये बोलना की देव को बाकि का खजाना मिल गया है मैंने तुझे बताया है
वो- समझ गयी आज ही तेरा ये काम कर दूंगी
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला
उसके बाद मैंने उसे एक काम और करने को कहा फिर हमने अपना रास्ता पकड़ा अब कहानी ये थी की रतिया काका को चाह थी उस बाकि हिस्से की जो ना जाने कहा था और ममता को वो शायद ये कहना चाह रहे थे की सोना मिलने के बाद देव को रस्ते से हटा देंगे घर आके मैंने एक मैप बनाया ज्सिमे सबको लिखा, चाचा, बिमला, रतियाकाका, मामी, चारो ही मेरे लिए बहुत खास थे मेरे अपने थे पर चारो ही शक के घेरे में थे अब इनमे से तीन एक साथ थे और बिमला अलग थी सोना दो लोगो को मिला था
पिताजी के मन में कोई लालच नहीं था उन्होंने सबको हिस्सा दिया था चाहे वो नगद हो या सोना अगर ऐसा था तो उन्होंने मेरे लिए भी मेरा हिस्सा छोड़ा होगा ये बात पक्की थी क्योंकि जब वो उन नालायको पर दया कर सकते थे तो मैं तो उनका बेटा था इसका मतलब उन्होंने चाची को भी दिया होगा हां, पक्का पर आज चाची जिंदा थी नहीं तो कैसे मालूमात करू
मैंने अतीत के पन्ने खंगालने शुरू किये और मेरे दिमाग में एक बात आई चाची ने उन दिनों एक नया बैंक अकाउंट खुलवाया था तो शायद उन्होंने अपना सोना बैंक मे रखा हो मुझे याद था उन्होंने उस अकाउंट के बारे में चाचा को बताने से मना किया है मैंने तलाश किया तो उस अकाउंट की डिटेल्स मिल गयी मैंने पिस्ता को साथ लिया और बैंक पंहुचा
मेनेजर को अपनी और चाची की डिटेल्स बताई और आनी का मकसद भी अब वारिस तो मैं ही था तो करीब घंटे भर की कागजी कार्यवाई के बाद चाची के खाते में जितना भी कैश था वो और उनके लाकर की चाबी मेरे हाथ में थी जैसे ही मैंने लाकर खोला मेरी आँखे फट गयी वो पूरा सोने के गहनों से भरा था वो ही गहने जो और लोगो के पास थे पिस्ता ने वो सब बैग में भर लिया करीब पांच किलो क आस पास वजन था वो
आके हम गाड़ी में बैठे
पिस्ता- देव, एक बात तो है पिताजी ने तुम्हारे लिए भी कुछ तो छोड़ा है
मैं- हां, पर कहा वो नहीं पता
वो- शायद उन्हें पता हो की तुम उस तक पहुच जाओगे
मैं- काश वो साथ होते
वो- वो हमेशा तुम्हारे साथ है वो अपने आशीर्वाद के रूप में हमारी मदद कर रहे है देव जल्दी ही हम इस उलझन को सुलझा के तुम्हारे गुनेहगार को पकड लेंगे
मेरे दिमाग को इन नए समीकरणों ने उलझा दिया था किसी पर भी भरोसा करना मेरे लिए वापिस मौत के दरवाजे खोल सकता था मैंने एक चाल तो चली थी पर देखो उसका क्या असर होना था मंजू पर मुझे भरोसा था क्योंकि मैं जानता था वो मेरी मदद करेगी बिमला की बाकि सब से पट रही थी नहीं तो क्या दुश्मन का दुश्मन दोस्त हो सकता है क्या वो मेरी मदद कर सकती है जबकि गुजरे ज़माने में उसने मुझे बर्बाद करने की ठान ली थी असल में देखा जाये तो इस सब के लिए मैं ही जिम्मेदार था अगर मैं अपनी हवस में अपनी भाभी को फंसाता तो क्या पता आज मेरे सब अपने मेरे साथ होते
आखिर कुछ सोच कर मैंने गाड़ी बिमला की कोठी की तरफ मोड़ दी , पिस्ता- देव हम यहाँ क्यों आये है
मैं- मुझे लगता है बिमला को बता देना चाहिए कंवर के बारे में
पिस्ता-देव, वो टूट जाएगी
मैं- जो औरत अपनी जिद में सबको खा गयी उसको अब क्या फरक पड़ना है
पिस्ता- देव,मेरी बात मानो, कुछ बातो को छुपा लेना ही बेहतर है तुम समझ रहे हो ना
मैं- ठीक है पिस्ता पर कुछ और बाते तो कर सकते है है
वो- हाँ
हम लोग अन्दर गए कुछ इंतजार के बाद बिमला आई , हमारी बात शुरू हुई
मैं- देखो मैं उम्मीद करता हु की तुम सब सच बताओगी
वो- क्या जानना चाहते हो तुम
मैं- सोने के बारे में किस किस को पता है
वो- सबको जिन को होना चाहिये
मैं- मतलब
वो- मुझे , तुम्हे, तुम्हारे चाचा और रतिया काका को
मैं- तो तुम्हारा क्या पंगा है रतिया काका से और चाचा से
वो- चाचा ने साथ कर लिया था रतिया का दोनों कुछ खुराफात कर रहे थे मैंने कई बार कहा भी था की वो उस से दूर रही पर एक दिन चाह्चा ने मुझे कहा की मुझे सोना होगा रतिया के साथ तो मेरा दिमाग घूम गया उस दिन हमारा कलेश हुआ कुछ दिन बाद हम अलग हो गए रतिया ने जो फर्म बनायीं है वो हमारी जमीन है आज के हिसाब से उसकी करोडो में कीमत है वो कहता है की चाचा जी ने उसको वो जमीन दी है पर मैं नहीं मानती
मैं-ऐसा क्यों
वो- क्योंकि वो जमीन अपनी पुश्तैनी नहीं है जब घर का बंटवारा हुआ उसके बाद चाचाजी ने वो जमीन तुम्हारे लिए खरीदी थी
ये साला एक और बम फूट गया था
मैं- एक बात तो सा है ये सारा खेल खजाने के लिए हुआ है और इसके पीछे जो भी है मैं उसको माफ़ नहीं करूँगा
वो- मैं खुद इतने दिन से इसी काम में जुटी हु पर जो भी है वो बहुत शातिर है कोई सबूत नहीं कुछ सुराग नहीं मिल पाया है
मैं- गीता ताई से तुम्हारा क्या झगडा है
वो- जाने दो देव, तुम इस मामले में नहीं पडो कुछ बाते दबी ही रहे तो ठीक रहता है
मैं- बताओ ना
वो कहा न नहीं
मैं- उसने बताया की तुमने उसके पति को मरवाया
वो- पागल है साली, मैंने उसे कितनी बार कहा की रतिया का काम है पर वो साली मानती ही नहीं खामखा दुश्मनी पाल राखी है उसने
मैं- पर रतिया काका ने उसको क्यों मरवाया
वो- वो तो मुझे नहीं पता बस उडती उडती खबर आई थी और वैसे भी गीता और रतिया के सम्बन्ध ठीक नहीं है सबको पता है
मैं- तुम मुझे पूरी बात क्यों नहीं बताती हो
वो-क्योंकि सच बहुत कडवा है देव और मैं नहीं चाहती की तुम टूट कर बिखरो
“ये दुनिया वैसे नहीं होती जैसा हम समझते है यहाँ पर कोई किसी का अपना नहीं होता सब रिश्ते नाते मोह माया है सब आँखों का फरेब है यहाँ कोई किसी का सगा नहीं कोई किसी का पराया नहीं अगर कुछ सच है तो ये भूख, जिस्मो की भूख लालच की भूख इसके आलावा कुछ नहीं , मैं जानती हु की तुम सच को आज नै तो कल तलाश कर ही लोगे पर देव कम से कम मैं तुम्हे कुछ बाते नहीं बता सकती “
और हां, तुम्हे वो गाँव में मंदिर में कुछ देने की जरुरत नहीं तुम्हारे नाम से मैंने पैसे दे दिए है ”
मैं कुछ कहने ही वाला था की पिस्ता ने मेरा हाथ पकड लिया और चलने का इशारा किया हम वापिस आ गए बिमला से मदद मांगने गए थे ढेर सारी और उलझाने ले आये थे सब लोग अपना सब कुछ मुझे देने को तैयार थे सबका प्यार उमड़ आया था मुझ पर और इस प्यार के निचे था क्या सिर्फ नफरत और सिर्फ लालच
घर आके मैंने चाय नाश्ता किया सब लोग साथ ही बैठे थे मैं- एक बात ये भी है की बाकि का आधा खजाना जो था वो चोरी नहीं हुआ
नीनू- कैसे
मैं- क्योंकि गाँव में इन लोगो के आलावा कोई भी इतना अमीर नहीं हुआ है और बाहर का कोई खजाना ले जा सकता नहीं क्योंकि पिताजी ने वो जमीन खरीदते ही तार बंदी करवा दी थी और उस ज़माने में कोई ऐसे भी किसी की जमीन में नहीं जाया करता था वैसे भी वो उजाड़ जंगली इलाका है उस राज़ को बस दो आदमी ही जानते थे या तो रतिया काका या पिताजी रतिया काका उस समय हॉस्पिटल में थे तो पिताजी ने इतनी नजर तो राखी ही होगी की खजाने की सलामती रहे
पिताजी के मन में कोई लालच नहीं था उन्होंने सबको हिस्सा दिया था चाहे वो नगद हो या सोना अगर ऐसा था तो उन्होंने मेरे लिए भी मेरा हिस्सा छोड़ा होगा ये बात पक्की थी क्योंकि जब वो उन नालायको पर दया कर सकते थे तो मैं तो उनका बेटा था इसका मतलब उन्होंने चाची को भी दिया होगा हां, पक्का पर आज चाची जिंदा थी नहीं तो कैसे मालूमात करू
मैंने अतीत के पन्ने खंगालने शुरू किये और मेरे दिमाग में एक बात आई चाची ने उन दिनों एक नया बैंक अकाउंट खुलवाया था तो शायद उन्होंने अपना सोना बैंक मे रखा हो मुझे याद था उन्होंने उस अकाउंट के बारे में चाचा को बताने से मना किया है मैंने तलाश किया तो उस अकाउंट की डिटेल्स मिल गयी मैंने पिस्ता को साथ लिया और बैंक पंहुचा
मेनेजर को अपनी और चाची की डिटेल्स बताई और आनी का मकसद भी अब वारिस तो मैं ही था तो करीब घंटे भर की कागजी कार्यवाई के बाद चाची के खाते में जितना भी कैश था वो और उनके लाकर की चाबी मेरे हाथ में थी जैसे ही मैंने लाकर खोला मेरी आँखे फट गयी वो पूरा सोने के गहनों से भरा था वो ही गहने जो और लोगो के पास थे पिस्ता ने वो सब बैग में भर लिया करीब पांच किलो क आस पास वजन था वो
आके हम गाड़ी में बैठे
पिस्ता- देव, एक बात तो है पिताजी ने तुम्हारे लिए भी कुछ तो छोड़ा है
मैं- हां, पर कहा वो नहीं पता
वो- शायद उन्हें पता हो की तुम उस तक पहुच जाओगे
मैं- काश वो साथ होते
वो- वो हमेशा तुम्हारे साथ है वो अपने आशीर्वाद के रूप में हमारी मदद कर रहे है देव जल्दी ही हम इस उलझन को सुलझा के तुम्हारे गुनेहगार को पकड लेंगे
मेरे दिमाग को इन नए समीकरणों ने उलझा दिया था किसी पर भी भरोसा करना मेरे लिए वापिस मौत के दरवाजे खोल सकता था मैंने एक चाल तो चली थी पर देखो उसका क्या असर होना था मंजू पर मुझे भरोसा था क्योंकि मैं जानता था वो मेरी मदद करेगी बिमला की बाकि सब से पट रही थी नहीं तो क्या दुश्मन का दुश्मन दोस्त हो सकता है क्या वो मेरी मदद कर सकती है जबकि गुजरे ज़माने में उसने मुझे बर्बाद करने की ठान ली थी असल में देखा जाये तो इस सब के लिए मैं ही जिम्मेदार था अगर मैं अपनी हवस में अपनी भाभी को फंसाता तो क्या पता आज मेरे सब अपने मेरे साथ होते
आखिर कुछ सोच कर मैंने गाड़ी बिमला की कोठी की तरफ मोड़ दी , पिस्ता- देव हम यहाँ क्यों आये है
मैं- मुझे लगता है बिमला को बता देना चाहिए कंवर के बारे में
पिस्ता-देव, वो टूट जाएगी
मैं- जो औरत अपनी जिद में सबको खा गयी उसको अब क्या फरक पड़ना है
पिस्ता- देव,मेरी बात मानो, कुछ बातो को छुपा लेना ही बेहतर है तुम समझ रहे हो ना
मैं- ठीक है पिस्ता पर कुछ और बाते तो कर सकते है है
वो- हाँ
हम लोग अन्दर गए कुछ इंतजार के बाद बिमला आई , हमारी बात शुरू हुई
मैं- देखो मैं उम्मीद करता हु की तुम सब सच बताओगी
वो- क्या जानना चाहते हो तुम
मैं- सोने के बारे में किस किस को पता है
वो- सबको जिन को होना चाहिये
मैं- मतलब
वो- मुझे , तुम्हे, तुम्हारे चाचा और रतिया काका को
मैं- तो तुम्हारा क्या पंगा है रतिया काका से और चाचा से
वो- चाचा ने साथ कर लिया था रतिया का दोनों कुछ खुराफात कर रहे थे मैंने कई बार कहा भी था की वो उस से दूर रही पर एक दिन चाह्चा ने मुझे कहा की मुझे सोना होगा रतिया के साथ तो मेरा दिमाग घूम गया उस दिन हमारा कलेश हुआ कुछ दिन बाद हम अलग हो गए रतिया ने जो फर्म बनायीं है वो हमारी जमीन है आज के हिसाब से उसकी करोडो में कीमत है वो कहता है की चाचा जी ने उसको वो जमीन दी है पर मैं नहीं मानती
मैं-ऐसा क्यों
वो- क्योंकि वो जमीन अपनी पुश्तैनी नहीं है जब घर का बंटवारा हुआ उसके बाद चाचाजी ने वो जमीन तुम्हारे लिए खरीदी थी
ये साला एक और बम फूट गया था
मैं- एक बात तो सा है ये सारा खेल खजाने के लिए हुआ है और इसके पीछे जो भी है मैं उसको माफ़ नहीं करूँगा
वो- मैं खुद इतने दिन से इसी काम में जुटी हु पर जो भी है वो बहुत शातिर है कोई सबूत नहीं कुछ सुराग नहीं मिल पाया है
मैं- गीता ताई से तुम्हारा क्या झगडा है
वो- जाने दो देव, तुम इस मामले में नहीं पडो कुछ बाते दबी ही रहे तो ठीक रहता है
मैं- बताओ ना
वो कहा न नहीं
मैं- उसने बताया की तुमने उसके पति को मरवाया
वो- पागल है साली, मैंने उसे कितनी बार कहा की रतिया का काम है पर वो साली मानती ही नहीं खामखा दुश्मनी पाल राखी है उसने
मैं- पर रतिया काका ने उसको क्यों मरवाया
वो- वो तो मुझे नहीं पता बस उडती उडती खबर आई थी और वैसे भी गीता और रतिया के सम्बन्ध ठीक नहीं है सबको पता है
मैं- तुम मुझे पूरी बात क्यों नहीं बताती हो
वो-क्योंकि सच बहुत कडवा है देव और मैं नहीं चाहती की तुम टूट कर बिखरो
“ये दुनिया वैसे नहीं होती जैसा हम समझते है यहाँ पर कोई किसी का अपना नहीं होता सब रिश्ते नाते मोह माया है सब आँखों का फरेब है यहाँ कोई किसी का सगा नहीं कोई किसी का पराया नहीं अगर कुछ सच है तो ये भूख, जिस्मो की भूख लालच की भूख इसके आलावा कुछ नहीं , मैं जानती हु की तुम सच को आज नै तो कल तलाश कर ही लोगे पर देव कम से कम मैं तुम्हे कुछ बाते नहीं बता सकती “
और हां, तुम्हे वो गाँव में मंदिर में कुछ देने की जरुरत नहीं तुम्हारे नाम से मैंने पैसे दे दिए है ”
मैं कुछ कहने ही वाला था की पिस्ता ने मेरा हाथ पकड लिया और चलने का इशारा किया हम वापिस आ गए बिमला से मदद मांगने गए थे ढेर सारी और उलझाने ले आये थे सब लोग अपना सब कुछ मुझे देने को तैयार थे सबका प्यार उमड़ आया था मुझ पर और इस प्यार के निचे था क्या सिर्फ नफरत और सिर्फ लालच
घर आके मैंने चाय नाश्ता किया सब लोग साथ ही बैठे थे मैं- एक बात ये भी है की बाकि का आधा खजाना जो था वो चोरी नहीं हुआ
नीनू- कैसे
मैं- क्योंकि गाँव में इन लोगो के आलावा कोई भी इतना अमीर नहीं हुआ है और बाहर का कोई खजाना ले जा सकता नहीं क्योंकि पिताजी ने वो जमीन खरीदते ही तार बंदी करवा दी थी और उस ज़माने में कोई ऐसे भी किसी की जमीन में नहीं जाया करता था वैसे भी वो उजाड़ जंगली इलाका है उस राज़ को बस दो आदमी ही जानते थे या तो रतिया काका या पिताजी रतिया काका उस समय हॉस्पिटल में थे तो पिताजी ने इतनी नजर तो राखी ही होगी की खजाने की सलामती रहे
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला
माधुरी- भाई मेरा ये अनुमान है की की जो बाकि का आधा खजाना था वो ही आपका हिस्सा है बस जरुरत है उसको खोजने की
माधुरी ने जैसे विस्फोट किया था ऐसा हो सकता था की शायद पिताजी को डर हो की कही कोई उस खजाने को चुरा न ले तो उन्होंने उसे किसी दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया होगा और इस से पहले की वो रतिया काका को बता पाते उनकी मौत हो गयी
मैं- होभी सकता है
पिस्ता- तो फिर कोई तो सुराग, कोई रास्ता जुरूर छोड़ा होगा
मैं- वो ही रास्ता तो नहीं है मेरे पास
नीनू ने एक गहरी नजर मेरे बनाये मैप पर डाली और बोली- हम लगता है की हमे इनमे से एक को उठाना होगा और अपने तरीके से पूछना होगा वैसे भी जो गुंडे उस मुठभेड़ में बच गये थे मैंने उनके बयां ले लिए है पर ताज्जुब ये की उनको किसी औरत ने भेजा था ना की रतिया काका ने तो बात उलझ गयी है अब औरत दो है या तो बिमला या फिर मामी
बिमला बाहुबली है उसके लिए गुंडे भेजना मुश्किल नहीं जबकि मामी भी ये काम करवा सकती है पैसो के दम पे
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला
bhai aap ke udate ka
intajaar hai
intajaar hai