हवस की प्यासी दो कलियाँ complete

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rajaarkey
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Re: हवस की प्यासी दो कलियाँ

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मैं बस स्टॉप पर पहुँची और बस का वेट करने लगी….काफ़ी देर तक वेट करने के बाद पता चला कि, आज बस वालों ने स्ट्राइक कर दी है…मैं परेशान हो गयी थी….सब बच्चे किसी ना किसी तरह अपने घर की तरफ निकल चुके थे…अगर मैं पैदल चल कर जाती तो दो घंटे लग जाते…और ऊपेर से टाइम भी बहुत लगता….तभी भाभी की कॉल आई…

भाभी: हेलो डॉली कहाँ रह गयी तुम….अभी तक आए नही…..?

मैं: वो भाभी बस वालो ने स्ट्राइक कर दी है..कोई कन्विन्स नही मिल रही…

भाभी: अच्छा रूको मैं कुछ देखती हूँ….

और भाभी ने कॉल कट कर दी….मैं वही खड़ी होकर वेट करने लगी….करीब 15 मिनिट बाद राज अपनी बाइक लेकर आया…उससे देखते ही मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया….उसने मेरे सामने बाइक रोकते हुए कहा….”चलो बैठो….” मैने दूसरी तरफ फेस कर लिया…”नही मैं चली जाउन्गी….मुझे तुम्हारी हेल्प की कोई ज़रूरत नही है..” वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था…

राज: नखरे ना करो और बैठो….मुझे कोई नया शॉंक नही चढ़ा तुम्हारी हेल्प करने का….वो तो तुम्हारी भाभी ने कहा तो तुम्हे लेने आ गया…

मैं: तो मत आते….मेरे ऊपेर अहसान करने की कोई ज़रूरत नही है…..मैं चली जाउन्गी….

राज: कैसे पैदल….देखो यहाँ से तुम्हे कुछ नही मिलने वाला….बैठो और घर चलो….मुझे घर जाकर तुम्हारी भाभी को जवाब देना पड़ेगा..

मैं: मैने कहा ना मैं खुद चली जाउन्गी….

राज: (हँसते हुए) वैसे तुम गुस्से मे बहुत हसीन लगती हो…..जब नॉर्मल होती हो तो, तुम बिकुल खारूस लगती हो….अच्छा लगता है….ऐसे ही गुस्से में रहा करो.. तुम्हारे फेस पर ये गुस्सा ही सूट करता है..

मैने राज को खा जाने वाली नज़रो से घूर कर देखा…..”उफ्फ तेरी ये अदा….सनम हमें किसी दिन ले डूबे गी….चलो बैठो….रास्ते मैं खा नही जाउन्गा….” तभी भाभी के कॉल आई….”हेलो डॉली राज पहुँचा कि नही….”

मैं: हाँ वो भाभी…

भाभी: अच्छा चल शुकर है….तू उसके साथ आजा डॉली….महॉल बहुत खराब हो रखा है…टीवी पर भी न्यूज़ आ रही है….

मैं: क्या….पर आज तो आरके आने वाले थे…..अब क्या होगा…?

भाभी: अर्रे वो तो अभी घर पहुँच भी गये है….तू राज के साथ आ जा….

मैं: क्या आरके घर पहुँच गये है….

भाभी: हां पहुँच गये है…तू भी आजा…..

भाभी ने फोन कट क्या….और मजबूरन मुझे राज के पीछे उसकी बाइक पर बैठना पड़ा…राज ने बाइक बढ़ाई…..”वैसे एक बात है मॅम अभी भी आपके दूसरो के मामले मे टाँग अड़ाने की आदत नही गयी……”

मैं जानती थी कि, राज अपने और भाभी के बीच मे चल रहे अफेर की बात कर रहा है…. “दूसरो के मामले मे.. वो मेरी भाभी है….और तुम उससे दूर रहा करो….देखो राज तुम अपनी लाइफ मे क्या कर रहे हो, और क्या करोगे…मुझे उससे कोई लेना देना नही है…..पर प्लीज़ मेरे फॅमिली से दूर रहो…..”

राज: अब इसमे मेरे क्या ग़लती है….आपकी भाभी ही मेरा पीछ नही छोड़ती… जब तक दिन मे एक बार मेरा ले नही लेती, उसको नींद नही आती ना….

मैं: (मुझे हैरान हो रही थी कि, राज मेरे सामने ही भाभी के लिए ऐसा बोल रहा था….पर मैं ना चाहते हुए भी उसका मूह नही तोड़ पा रही थी…) अपनी बकवास बंद करो….और बाइक थोड़ा तेज चलाओ…मुझे तुम्हारी ये फालतू के बक-2 नही सुननी….

राज: आइ थिंक सम थिंग ईज़ रॉंग विथ यू….कुछ तो है जिसकी वजह से तुम बिना किसी बात के किसी भी किस्से को तूल देने लगती हो…अब तो अपना माइंड चेंज कर लो…तुम्हारी शादी भी हो गयी है…आइ होप तुम्हारी सेक्षुयल लाइफ अच्छी चल रही होगी….

मैं: तुम्हे मेरे और मेरी सेक्षुयल लाइफ से क्या लेना देना…..तुम अपने काम से काम रखो….और कम से कम मेरी लाइफ से दूर रहो….

राज: ओके ओके अब और इस पर बात नही…..

थोड़ी ही देर मे हम घर पहुँच गये….

रात को जब मैं खाना खा कर आरके के साथ रूम मे आए, तो मेरे दिल मे ढेरो अरमान थी….आरके आज 15 दिन बाद वापिस आए थे…..पर मैं दुवधा मे थी की, उन्हे कैसे कहूँ कि, मैं आज क्या चाहती हूँ….खैर जब हमने सेक्स करना शुरू किया तो आरके आम तोर पर जैसे करते है…वैसे मेरे ऊपेर आ गये…और अपने बाबूराव को जिसमे कभी मेने पूरा तनाव आते हुए नही देखा था….मेरी चुनमुनियाँ के ऊपेर रख कर अंदर करने लगे….

मैं: आरके आज किसी और तरह से करो ना…..?

आरके: (मेरी बात सुन कर चोन्कते हुए) और तरह से कैसे….? चलो तुम बताओ कैसे करना है…..

मैं: (मैं झिझक रही थी कि कहूँ तो कैसे…..) आप को नही पता….

आरके: पता है….पर उसमे टाइम बहुत कम लगता है मुझे….फिर बेकार मे थोड़ी देर मे ढीले होकर लेट जाएँगे….

मैने इससे आगे कुछ नही बोला….और वो मेरी चुनमुनियाँ मे बाबूराव घुसा कर ऊपेर झुक कर घस्से मारने लगे….और फिर 4-5 मिनिट मे ही झड कर ढीले हो गये…..मैं तड़प कर रह गयी….उस रात मुझे नींद नही आई…कभी राज और दीपा की चुदाई का सेसेन याद आ जाता तो, कभी भाभी की चुदाई का…तो कभी ललिता की जंगल मे राज के बाबूराव के चुप्पे लगाते हुए के दृश्य मेरे आँखो के सामने घूम जाते…

भाभी सही कह रही थी….कि औरत की मर्द के बिना जिंदगी अधूरी है…अगली सुबह मुझे आरके ने 9 बजे उठाया…नाश्ता कर लिया….फिर हम भैया के साथ उनके रूम मे बैठ कर बातें करने लगे…..मैं किसी काम से ऊपेर आई तो देखा राज ऊपेर छत पर बैठा हुआ था….उसके हाथ मे स्कूल की बुक थी….मेने उसे एक बार देखा और फिर रूम मे चली गयी…जब मैं बाहर आई तो देखा वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था…उसकी मुस्कुराहट देख कर मुझसे रहा नही गया….

मैं: क्या बदतमीज़ जैसे दाँत निकाल रहे हो बिना वजह….

राज: (अपनी बुक बंद करते हुए) मुझे पता लग गया है, कि आप हर समय अपसेट क्यों रहती है….

मैं: मेरे पास तुम्हारी फालतू की बकवास सुनने का टाइम नही है…

राज: अच्छा सच सुनने से तो सभी डरते है….और अगर तुम डर रही हो तो नयी बात नही है…

मैं: अच्छा क्या जानते हो तुम मेरे बारे मे…

राज: (कुछ देर सोचने के बाद) यही कि तुम अपने पति आरके से खुश नही हो….

मुझे राज की बात सुन कर झटका सा लगा…”तुम्हे किस पागल ने कहा…ओह्ह सॉरी, असल मे तुम जैसे घटिया लोगो की सोच भी नीच होती है…तुम जो मरज़ी सोचो…तुम कभी अपनी घटिया सोच से ऊपेर उठ कर नही सोच सकते…” मेने उसकी तरफ गुस्से देखते हुए कहा

…”सच सुन कर सब को गुस्सा आता है…और सच यही है कि, तुम आरके के साथ सेक्षुयल लाइफ एंजाय नही कर पा रही हो…..”

मैं: तुम्हे ऐसा लगता है, तो लगे….मैं आरके के साथ खुश हूँ…और हाँ आरके मुझे हर तरह से खुश रखते है….

राज: (हंसते हुए) हहा हाँ वो तो कल रात मेने देख लिया था….

आरके ने मेरे रूम की तरफ के रोशनदान की तरफ इशारा करते हुए कहा….रूम के दो रोशन दान थे…..एक रूम के डोर के ऊपेर और दूसरा किचिन की छत से थोड़ा ऊपेर. क्योंकि किचिन की छत रूम की छत से 4 फुट नीचे थी…और वहाँ पर पुराना समान रखा हुआ था…उसके 4 फुट ऊपेर बरामदे की छत थी…..

जैसे ही राज ने ये बात कही तो मेरे पैरो तले से ज़मीन खिसक गयी…”क्या क्या कहा तुमने…..”

राज: जो भी कहा सच कहा…कल मैने देख लिया है….कि तुम्हारी सेक्षुयल लाइफ कैसी है….हहा हा….इसलिए तुम हमेशा गुस्से से भरी रहती हो…..

मैं: तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, मेरे रूम मे इस तरह चोरी छुपे झाँकने की…..

राज: बस हो गयी…अब तुम क्या करोगी….मुझे मरोगी…मेरी शिकायत करोगी… इसके इलावा तुम कर ही क्या सकती हो……खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे…..

मैं: ग़लत फेहमी है तुम्हारी….मैं अपनी सेक्षुयल लाइफ से खुस हूँ तो हूँ…इस सच को कोई झुटला नही सकता…

राज: अच्छा….चलो खुद को तसल्ली देने के लिए ठीक है….आज रात देख लेंगे कि, आरके और तुम्हारी सेक्षुयल लाइफ कैसी है….

मैं: खबरदार अगर फिर से मेरे रूम मे झाँकने की कॉसिश की…

राज: क्यों क्या हुआ डर गयी….सारी अकड़ निकल गयी ना…हहा चलो जाओ…और सपने देखो…..अगर तुम्हे आरके सेक्षुयली खुश रखता है, तो दिखाओ ना….डर क्यों रही हो…?

मैं: मैं अब तुम्हारी और बकवास नही सुन सकती…..

ये कह कर मैं नीचे आ गयी…पर राज की बातें मुझे अंदर तक झींझोड़ चुकी थी…शाम को जब मैं और आरके ऊपेर रूम मे थे….तब मेने आरके से बात शुरू की….

मैं: आरके मुझे आपसे एक बात करनी है…..?

आरके: हां बोलो डॉली क्या बात है…?

मैं: आरके मुझे लगता है आप सही से सेक्स नही कर पाते…..

आरके: क्यों क्या हुआ तुम्हे ऐसा क्यों लगा…

मैं: आप बुरा तो नही मनोगे…..?

आरके: नही डॉली तुम मेरी पत्नी हो….तुम्हे तो मुझे पहले ही बता देना चाहिए था….बताओ क्या बात है…..

मैं: (झिझकते हुए) वो आप जल्दी डिसचार्ज हो जाते है…..

आरके (मेरी बात सुन कर सोच मे पड़ गया….) क्या सच मे….?

मैं: हां….

आरके: देखो डॉली मुझे आक्च्युयली पता नही है कि, सेक्स मे कितना टाइम लगाना चाहिए.. पर तुमने आज मुझे ये बात बताई है…पहले क्यों नही बताया….

मैं: वो मैं सोच रही थी कि, कही आपको बुरा ना लगे…

आरके: ओके डियर….आज मैं इस बात का ख़याल रखूँगा…वैसे मेरे पास एक आइडिया है टाइम बढ़ाने का….

मैं: क्या…?

आरके: आज कॉंडम यूज़ करके देखते है….कॉंडम की वजह से उस पर सेन्सिटिविटी कम हो जाती है…..पर एक बात कहूँ डॉली….

मैं: जी कहिए….

आरके: (मुझे बाहों मे लेते हुए) यार तुम हो ही इतनी हॉट कि मेरी जगह अगर तुम्हारी शादी किसी और से भी हुई होती….तो वो भी तुम्हारी आग के आगे नही टिक पाता..

मैने शरमा कर आरके की चेस्ट मे अपने फेस को छुपा लिया….भले ही मेने राज को अपने रूम मे झाँकने से मना किया था….पर मैं जानती थी कि, वो अपनी हरकतों से बाज़ आने वाला नही है….और मैं खुद चाहती थी कि, आरके आज मुझे इतना चोदे कि उस कुत्ते का मूह बंद हो जाए..

आज मेने अपनी चुनमुनियाँ के बालो को अच्छे सॉफ किया था…और फिर बॉडी लोशन लगा कर चुनमुनियाँ के आस पास की स्किन को और स्मूद और शाइन कर लिया था…..रात हुई, और हम खाना खा कर अपने रूम मे आ गये….आरके ने आते ही अपने कपड़े उतार दिए, और अपने बाबूराव पर कॉंडम चढ़ा कर बेड पर आ गये…थोड़ी देर के फॉरपले के बाद उन्होने अपने बाबूराव को मेरी चुनमुनियाँ मे घुसा दिया….और धीरे-2 अपने बाबूराव को इन आउट करने लगे….

मेरा पूरा ध्यान रोशनदान पर था…..पर मुझे वहाँ राज नज़र नही आ रहा था…करीब 3-4 मिनिट बाद मुझे रोशन दान के बीच मे से राज का चेहरा नज़र आया…हम दोनो के ऊपेर चद्दर थी…जो आरके के कंधो तक ओढी हुई थी….मेने जान बुझ के राज की तरफ देखते हुए उस चद्दर को आरके की कमर तक सरका दिया… क्योंकि मेरे बूब्स मेरी नाइटी के अंदर थे….इसलिए राज मेरे मम्मो या प्राइवेट पार्ट्स को नही देख सकता…बस उसे आरके की कमर हिलती हुई नज़र आ रही होगी….

मेने जब बुझ कर सिसकते हुए आरके से कहा….”ओह्ह्ह्ह आरके बहुत मज़ा आ रहा है…यस फक मी डियर…और ज़ोर से करो ना….” मेने आरके को उकसाने के लिए, दो चार बार अपनी गान्ड को ऊपेर की तरफ पुश किया, और आरके जोश मे भी आ गये….पर अफ़सोस मेरी फूटी किस्मत वो अपना जोश एक मिनिट तक ही कायम रख पाए….और झड कर मेरे ऊपेर गिर गये….पर राज को दिखाने के लिए मैं सिसकती रही…जैसे आज मैं सेक्स से बहुत सॅटिस्फाइड हूँ….मेने देखा कि राज के चेहरे पर दिल को रोन्द देने वाली स्माइल थी.

अब मैं उससे कैसे नज़रें मिला पाउन्गी…वो तो सोच रहा होगा…कि उसने जो कहा था… वो सही है….फिर मन मे सोचा अगर उसने कहा तो बोल दूँगी…हम उसके आने से पहले 15 मिनिट से सेक्स कर रहे थे…या फिर मैं उसके सामने इस बारे मे बात ही नही करूँगी…..वो अभी भी अंदर झाँक रहा था..मेने हाथ बढ़ा कर बेड लॅंप ऑफ कर दिया…रूम मे अंधेरा छा गया….

आरके मेरे ऊपेर से लूड़क कर बगल मे लेट गये….कुछ ही देर मे उनके ख़र्राटों की आवाज़ आने लगी…..मैं लेट हुए सोच रही थी कि, आरके मे आख़िर कॉन सी कमी है, जो राज मे नही है..क्यों आरके उसकी तरह सेक्स नही कर पाते….तभी डोर पर नॉक हुई, मैं एक दम से घबरा गयी….और बेड लॅंप ऑन किया….”क क कॉन है…..?” मेने बेड पर बैठे -2 ही पूछा…..तो बाहर से भाभी की आवाज़ आए…” मैं हूँ डॉली…..”
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भाभी के आवाज़ सुन कर मेने राहत की साँस ली…..मेने उठ कर डोर खोला तो देखा भाभी सामने खड़ी थी…..” क्या हुआ भाभी कुछ काम था क्या……”

भाभी ने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा…..”तुम मियाँ बीवी को इतनी जल्दी क्या रहती है…रूम मे बंद हो जाने की….दूध भी नही लिया तुमने आज तो….? चलो नीचे आ जाओ. अपने और आरके के लिए दूध ले आना..मेने गरम करने को रखा है…”

मैं: नही भाभी रहने दो मूड नही है वैसे भी ये सो गये है…बहुत टाइम हो गया है….(मेने भाभी से पीछा छुड़ाने के लिए बोला….)

भाभी: ओह्ह हेलो कितना टाइम हो गया है….? अभी 10:15 हुए है टाइम तो देखो….

मैने मूड कर दीवार पर लगी घड़ी मे देखा अभी तो 10:15 ही हुए थे…

.”अच्छा चलिए….” मैं भाभी के साथ नीचे आने लगी तो मेने किचिन की छत पर नज़र मारी. राज वहाँ नही था….जब मैं नीचे पहुँची तो देखा राज के रूम का डोर बंद था…भाभी ने दो ग्लास मे दूध डाला और ट्रे मे रख कर मुझे पकड़ा दिया… मैं ट्रे लेकर ऊपेर आ गयी….

मेने रूम मे पहुँच कर ट्रे को टेबल पर रखा और फिर डोर को अंदर से लॉक करके बेड पर गयी, और आरके को उठाने लगी…..पर जब बहुत उठाने पर भी आरके नही उठे, तो मेने उनके दूध का ग्लास ढक दिया और अपने दूध का ग्लास उठा कर दूध पीना शुरू कर दिया…..दूध ख़तम करके मेने ग्लास को टेबल पर रखा और बेड पर लेट गयी….और बेड लॅंप ऑफ कर दिया….

मैं सोचने लगी कि, क्या आरके मे सच मच कोई कामी है…..या फिर राज मे हद से ज़यादा सेक्स करने की ताक़त है….पर जो भी था…आरके मुझे कभी सॅटिस्फाइड नही कर पाए थे…..मुझे याद है जब से हमारी शादी हुई थी…आरके ने किसी भी रात को मुझे दुबारा चोदने के कॉसिश नही की थी….एक बार झड जाने के बाद वो थोड़ी देर मे ही खर्राटे भरने लग जाते थी…मेरे आँखो के सामने से एक बार फिर वही सेसेन घूम गया….जब राज भाभी की जोरदार चुदाई कर रहा था….

अंजाने मे ही मेरा हाथ कब मेरी नाइटी के ऊपेर से मेरी चुनमुनियाँ पर पहुँच गया…. मुझे पता ही नही चला….मैं बेहद गरम हो चुकी थी….पर फिर मुझे अपने आप पर ही घिन आने लगी कि, मैं ये सब क्या सोच रही हूँ…ये सब मेरा दिमाग़ उस राज की वजह से घूम रहा है….

मैं सोने की कॉसिश करने लगी….मेने अपने आँखे बंद कर ली थी….तभी मुझे ऐसा लगा कि जैसे बेड लॅंप ऑन हो गया है…मेने सोचा कि आरके ने बेड लॅंप ऑन किया है…पर वो तो दूसरी तरफ लेटे हुए थे….और मुझे बेड पर कोई हरक़त भी महसूस नही हुई थी….जैसे ही मेने आँखे खोल कर देखा तो, मेरे दिल की धड़कने बंद हो गयी….राज मेरे बेड के किनारे खड़ा था….और मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था…एक पल के लिए लगा….ये सब मेरा वेहम है…मैं उसके बारे मे कुछ ज़्यादा ही सोचने लगी थी…पर सपने और सच्चाई मे फरक होता है….वो अभी भी वहाँ खड़ा मुस्कुरा रहा था….”त तुम यहाँ क्या रहे हो तुम अंदर कैसे आए….डोर तो मेने लॉक….” तभी मुझे अहसास हुआ कि, आरके मेरे बगल मे लेटे हुए खर्राटे हुए भर रहे है…. और मैं गुस्से मे बहुत उँचा बोल रही हूँ…..

अगर वो उठ जाते और राज को इस तरह रात के वक़्त मे रूम मे देख लेंगे तो वो पता नही मेरे बारे मे क्या सोचेंगे…”तत तुम यहाँ क्या कर रहे हो…?” मेने गुस्से से पर धीमी आवाज़ मे कहा…पर वो कुछ ना बोला और मुस्कुराते हुए बेड के किनारे मेरे पास बैठ गया…मैने बेड से नीचे उतर कर उससे दूर होना चाहा तो उसने मेरे दोनो हाथो को पकड़ लिया….”छोड़ो मुझे ये ये क्या कर रहे हो तुम….अभी के अभी मेरे रूम से बाहर निकलो…नही तो मैं शोर मचा दूँगी…” मेने उससे अपने हाथ छुड़ाने की कॉसिश करते हुए कहा…

राज: (गंदी मुस्कान के साथ) शोर मचाओगी….मचाओ….तुम्हारा पति भी तो देखे, कि तुम अपने स्टूडेंट के साथ आधी रात को अपने पति की माजूदगी मे क्या कर रही हो….?

मैं राज की बात सुन कर एक दम से परेशान हो गयी….मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, अब मैं क्या करूँ….”राज देखो मैं कहती हूँ..तुम अभी के अभी यहाँ से दफ़ा हो जाओ…वरना मैं सच कह रही हूँ….तुम्हारी खैर नही….?” मैं जानती थी कि, मैं खाली धमकी देने के सिवाय और कुछ कर भी नही सकती…क्योंकि मैं खुद ही डर गयी थी कि, कही आरके उठ ना जाए….और मेरे बारे मे ग़लत सोचे…क्योंकि आज ही तो मेने उन्हे कहा था कि, वो मुझे सॅटिस्फाइड नही कर पाते…..अगर आरके उठ गये तो पता नही मेरे बारे मे क्या सोचेंगे…..

राज: तुम्हे जो करना है वो करो…पर अब मैं जो करने जा रहा हूँ…वो तुम जिंदगी भर याद रखोगी…

ये कहते हुए राज ने मेरे हाथ पकड़ कर मुझे बेड से नीचे उतार दिया…और फिर मुझे खेंचते हुए रूम के डोर के पास आया और डोर खोल कर मुझे खेंचता हुआ बाहर ले आया….ये सब उसने कुछ ही पलों मे कर दिया था…मेरे सोचने समझने की ताक़त जवाब दे चुकी थी….”यी यी क्या कर रहे हो राज छोड़ो…आरके उठ गये तो तुम्हारी खैर नही…तुम अपने साथ मे मुझे भी कही का नही छोड़ोगे…” पर उसने मेरे बात नही सुनी….रूम का डोर बाहर से लॉक किया…और फिर किचिन का डोर खोल कर मुझे ज़बरदस्ती अंदर खेंच कर ले आया…..
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Re: हवस की प्यासी दो कलियाँ

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किचिन मे 0 वॉट का बल्ब जल रहा था…नीचे फर्श पर बिस्तर बिछा हुआ था…उसने अंदर आते ही मुझे नीचे बिस्तर पर पटक दिया….इससे पहले कि मैं कुछ कर पाती. वो मेरे ऊपेर आ गया,….और मेरी नाइटी के स्ट्रॅप्स पकड़ कर खेंचते हुए, मेरे कंधो से सरकाने लगा…मैं हड़बड़ा गयी….मैने उसके हाथो को पकड़ कर रोकने की बहुत कॉसिश की…..पर मैं कामयाब नही हो पे….उसने मेरी नाइटी के स्ट्रॅप्स को कंधो से सरकाते हुए मेरे बाजुओं से बाहर निकाल दिए….

अगले ही पल मेने अपनी नाइटी को अपने मम्मो के ऊपेर से कस्के पकड़ लिया….मेने नीचे ब्रा नही पहनी हुई थी….और पेंटी भी तो आरके के साथ सेक्स करने से पहली उतार दी थी…”देखो राज प्लीज़ मुझे जाने दो….देखो मेने कभी अब तुम्हारे और भाभी के बीच मे आने की कॉसिश भी नही की….प्लीज़ मुझे जाने दो….”

राज: चली जाना मेरे जान….पहले ये तो देख ले कि चुदाई किसे कहते है…

ये कहते हुए, राज ने मेरे कंधो को पकड़ कर नीचे दबाते हुए मुझे लेटा दिया…और फिर मेरे दोनो हाथों को मेरे मम्मो से पकड़ कर हटाते हुए, नीचे बिस्तर पर सटा दिया..,..नाइटी के अंदर मेरे मम्मे बाहर की तरफ उभर आए….नाइटी के अंदर से ही मेरी चुचियों के निपल भी सॉफ नज़र आ रहे थे…मुझे राज की आँखो मे वासना की बढ़ती हुई भूख सॉफ नज़र आ रही थी….और अगले ही पल उसने झुक कर मेरी पतली सी नाइटी के ऊपेर से मेरी राइट चुचि को मूह मे भर लिया….”आह ओह्ह्ह राज नही प्लीज़ ओह्ह्ह अहह नही रूको…..अह्ह्ह्ह शी….” वो पागलो की तरह मेरे निपल को नाइटी के ऊपेर से चूसे जा रहा था….


मुझे अपने निपल्स मे तनाव बढ़ता हुआ सॉफ महसूस हो रहा था….मेरे दोनो हाथ उसके हाथों मे बँधे हुए थे….और मैं अपने दोनो हाथों को और अपने आप को उससे छुड़वाने की पूरी कॉसिश कर रही थी….मुझे लग रहा था कि, आज मैं अपने ही घर मे लुट जाउन्गी….और मैं चाह कर भी किसी को मदद के लिए नही पुकार सकती थी….खुद के बदनाम होने के डर के कारण….मैं अपनी आवाज़ को दबाए हुए थी….वो पागलो की तरह मेरी हर बात हर दलील को अनसुना करते हुए, मेरी चुचि के निपल को चूसे जा रहा था….और मैं उसके नीचे लेटे हुए मचल रही थी….

जब अपनी पूरी ताक़त लगा देने के बाद भी मैं उसकी गिरफत से निकल ना पे, तो मैने कॉसिश करनी भी छोड़ दी….मैं जान चुकी थी कि, अब मैं उसकी गिरफ़्त से नही निकल पाउन्गी…और अब मुझमे और विरोध करने की ताक़त नही बची थी….ऊपेर से जिस तरह से राज मेरे निपल को चूस रहा था….मेरा विरोध अपने आप ही कम होता जा रहा था… और इसी बात का फ़ायदा उठाते हुए, उसके पलक झपकते ही मेरे हाथो को छोड़ कर मेरी नाइटी को मम्मो से पकड़ कर नीचे सरका दिया…..

मेरे मम्मे उछल कर बाहर आ गये….जिसके निपल्स एक दम तन चुके थे….और उन्हे देख कर तो जैसे राज की आँखो के चमक कई गुना और ज़्यादा बढ़ गयी हो….शरम के मारे मैने अपनी चुचियों को फिर से अपने हाथों से छुपाने की कॉसिश की, पर अगले ही पल उसने मेरे हाथो को पकड़ कर फिर से नीचे बिस्तर पर सटा दिया….और पलक झपकते ही झुक कर मेरी राइट चुचि को मूह मे भरते हुए चूसना शुरू कर दिया…. जैसे ही मुझे अपनी नंगे निपल पर उसकी गरम जीभ और होंटो को अहसास हुआ, मैं एक दम से मचल उठी…मुझे लगा कि अब मैं और सहन नही कर पाउन्गी….

और ना ही मैं अब अपने आप को इस पाप से बचा पाउन्गी…उसने मेरी चुचि को मूह मे भर कर ऊपेर की तरफ खेंचा, और फिर उसे ज़ोर से चूसना कर दिया…मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मुझे करेंट की नंगी तारों से बाँध दिया हो….और मेरे जिस्म से कई सो वॉट करेंट को गुज़ार दिया गया हो….मेरा पूरा बदन बुरी तरह से हिल गया था…ना चाहते हुए भी मैं सिसक उठी….और मदहोशी के अलाम मे मेरी आँखे बंद होती चली गयी…अब उसका एक हाथ मेरी दूसरी चुचि को मसलने लगा था…वो पूरे ज़ोर से मेरी चुचि को दबा रहा था….काश कभी आरके ने भी मेरी चुचियों को इस तरह रगड़ा होता मसला होता….जब मर्द किसी औरत को इस तरह बेदर्दी से रगड़ता है, तो औरत को इसमे कैसे मज़ा आता है….ये सब मुझे आज पता चला रहा था…..

शायद मैं इसी तरह अपने बदन के हर अंग को मसलवाना चाहती थी आरके से…पर अब वही काम राज कर रहा था…और जिसके लिए मेरा दिमाग़ चीख-2 कर मुझे रुकने के लिए कह रहा था…एक बार तो सोचा कि शायद राज थोड़ी देर बाद मुझे खुद ही छोड़ देगा…उस दिन की तरह जब मैं ललिता का पीछा करते हुए उस खंडहर मे पहुँची गयी थी….उस दिन भी राज ने मेरे जिस्म के साथ खेल कर मुझे छोड़ दिया था… शायद इसलिए मैं उसका विरोध नही कर पा रही थी…..

मेरी तरफ से कोई विरोध ना पाकर उसने अपने पैरो से मेरे पैरो को फेलाते हुए, अपनी कमर से नीचे वाले हिस्से को मेरी जाँघो के बीच मे ले आया…और उसका ये करना मुझ पर कहर ढा गया….जब उसका तना हुआ बाबूराव सीधा मेरी नंगी चुनमुनियाँ की फांको के ऊपेर आ लगा….जब राज का विरोध करते हुए मैं हिल रही थी….शायद तभी मेरी नाइटी मेरी कमर के ऊपेर तक खिसक गयी थी….और पेंटी तो मेने आरके के साथ सेक्स करने से पहले ही उतार दी थी….

उसके बाबूराव का मोटा सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ की फांको पर सटा हुआ था…मेरे पूरे बदन मे अजीब सी तेज सरसराहट दौड़ गयी थी…”राज नही ना ना पीछे हटो. प्लीज़ ये नही राज ये ये ठीक नही है….अहईए……हुन्न हुन्न….”राज के बाबूराव का सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ की फांको को फेलाता हुआ, मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर आ लगा था..और अगले ही पल उसके बाबूराव ने मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर जैसे ही दबाव बनाया तो मेरी चुनमुनियाँ का छेद खुलता चला गया…..

और उसके बाबूराव मोटा सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ के छेद को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा….मेरा पूरा बदन कांप कर रह गया….एक तरफ मुझे रोना आ रहा था…और दूसरी तरफ मेरी चुनमुनियाँ मे कुलबुलाहट बढ़ती जा रही थी….यहाँ एक तरफ मेरा दिमाग़ चीख कर ये सब रोकने के लिए कह रहा था…..वही मेरे चुनमुनियाँ अपनी ही धुनकि बजा कर उसके बाबूराव को अपने गहराइयों मे समा लेना चाहती थी…..पर ये फैंसला करना मेरे हाथ मे नही था. और अगले ही पल उसने अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपेर उठाया, और फिर एक ज़ोर दार धक्का मारा. उसके बाबूराव का सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ की दीवारो से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर और अंदर घुसता चला गया….

अपनी चुनमुनियाँ की दीवारो पर इतने मोटे सुपाडे की रगड़ को महसूस करके मैं एक दम सिसक उठी…और अगले ही पल जैसे ही उसके बाबूराव का सुपाडा मेरी बच्चेदानी से टकराया तो लगा कि, मैं आज पूरी तरह औरत बन गयी हूँ…..मेरी आँखे मदहोशी मे बंद होती चली गयी…मेरी चुनमुनियाँ की दीवारे उसके बाबूराव के चारो तरफ एक दम कसी हुई थी…ऐसा लग रहा था. जैसे चुनमुनियाँ को उसका साथी मिल गया हो…और वो उसे अपनी बाहों मे कसे हुए है…

उसने मेरे फेस को पकड़ कर सीधा किया…..और अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरे गालो पर बह रहे आँसुओं को चाटने लगा….उसकी जीभ को अपने गालो पर महसूस करते ही मैं एक बार फिर से सिहर उठी…पर मेने अपनी आँखे नही खोली…वो मेरे गालो और होंटो को पागलो की तरह चूस रहा था….वो पूरी कॉसिश कर रहा था कि, मैं अपने होंटो को उसके लिए खोल दूं…पर मैने अपने होंटो को अपने दाँतों मे दबा लिया था…..

थोड़ी देर कॉसिश करने के बाद जब वो कामयाब ना हुआ तो, उसने फिर से मेरे लेफ्ट निपल को मूह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया…मस्ती की तेज लहर मेरे बदन दौड़ गयी….मेने बड़ी मुस्किल से अपने आप को सिसकने से रोका….मैं नही चाहती थी कि, उसको पता चले कि, मैं भी गरम हो चुकी हूँ….उसने मेरे निपल को चूस्ते हुए धीरे-2 अपने बाबूराव को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….उसके बाबूराव का सुपाडा अंदर बाहर होता हुआ मेरी चुनमुनियाँ की दीवारो से रगड़ खा कर मुझे इतना मदहोश किए जा रहा था, कि उसे शब्दों मे बयान नही कर सकती….मज़े की लहरे मेरे रोम-2 मे दौड़ने लगी थी…इतना सुख और आनंद मिल रहा था कि, कब मेने सिसकना शुरू कर दिया मुझे पता ही नही चला….

जिसे देख उसने मेरी टाँगो को घुटनो से मोड़ कर और ऊपेर उठा दिया….और अपने बाबूराव को थोड़ा और तेज़ी से मेरी चुनमुनियाँ मे अंदर बाहर करने लगा…हर बार जब उसके बाबूराव का सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ की दीवारो से रगड़ ख़ाता तो, चुनमुनियाँ कामरस बहा देती…..”आह डॉली मेरी जान…आज आख़िर मेने तेरी फुद्दि भी मार ही ली….देखना साली अब तू रोज मेरे बाबूराव के लिए गिडगिडायेगी…..”
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Re: हवस की प्यासी दो कलियाँ

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राज ने अपने बाबूराव को तेज़ी से मेरी चुनमुनियाँ के अंदर बाहर करते हुए कहा…उसकी बातें सुन कर मैं शरम से मरी जा रही थी…..पर वो मुझे चोदते हुए लगतार ऐसी-2 बातें बोल रहा था…जिसे सुन कर मैं शर्मिंदा होने के साथ-2 गरम भी होती जा रही थी….”डॉली तेरी फुदी आहह कितनी टाइट है….देख मेरे लंड को कैसे दबा रही है….साली तेरी फुद्दि अहह…..मज़ा आ रहा है ना मेरा लंड लेकर…..”

उसने मेरे होंटो के ऊपेर होन्ट रख दिए….और पूरी रफ़्तार से अपने बाबूराव को अंदर बाहर करने लगा….हर पल मैं और मदहोश होती जा रही थी….मेरी चुनमुनियाँ मे संकुचन और बढ़ चुका था….मैं झड़ने के बेहद करीब पहुँच चुकी थी…उसके हर झटके के साथ मेरा पूरा बदन हिले जा रहा था…..उसने मेरी टाँगो को और ऊपेर उठाते हुए, अपने कंधो पर रख लिया, और पूरे ज़ोर शॉरो से अपने बाबूराव को सुपाडे तक बाहर निकाल-2 कर मेरी फुददी मे ठोकने लगा….उसकी जांघे मेरे मोटे चुतड़ों पर टकरा कर थप-2 की आवाज़ करने लगी….जिसे सुनते ही मेरी चुनमुनियाँ ने धुनकते हुए पानी छोड़ना शुरू कर दिया….

झाड़ते हुए मैं इतनी मस्त हो गयी थी, कि मुझे पता ही नही चला कि, कब मेरे होन्ट खुल गये, और कब मेने उसे अपने होंटो को चूसने देना शुरू कर दिया…उसने मेरे होंटो को चूस्ते हुए इतने ज़ोर-2 से घस्से मारे कि, मेरी फुद्दि झाड़ते हुए और ज़यादा पानी बहाने लगी….और फिर कुछ और झटको के बाद वो भी मेरी चुनमुनियाँ मे ही झड़ने लगा….

झड़ने के बाद वो मेरे ऊपेर ढेर हो गया….वासना का नशा जब दिमाग़ से उतरा, तो डर ने घेर लिया…मैं उसके नीचे अपनी टाँगे उठाए हुए लेटी हुई थी…अगर कही आरके उठ कर देख लेते तो मेरा क्या होता….पर मुझे उस वक़्त कहाँ पता था कि, जो सब हुआ था. वो पहले से ही प्लान्ड था…भाभी का भी इसमे हाथ था….ये बात तो मुझे बहुत देर बाद पता चला थी….खाने से पहले भाभी ने चाइ मे वही स्लीपिंग पिल्स डाल कर आरके को पिला दी थी……जो उन्होने अपनी राज की पहली चुदाई के वक़्त भैया को दी थी…..

थोड़ी देर बाद राज मेरे ऊपेर से उठा….और अपने बाबूराव को मेरी चुनमुनियाँ से बाहर निकाला और फिर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए अपने कपड़े उठा कर किचिन से बाहर निकल गया…..मैं बदहवास सी उठी…अपनी नाइटी ठीक की और जब रूम मे पहुँची तो देखा कि, आरके अभी सो रहे थे…मैने अपने आप को बहुत कोसा बुरा भला कहा… दिल मे आया कि राज को जान से ही मार दूं….पर अब मैं उसके ऊपेर कोई इल्ज़ाम भी नही लगा सकती थी….

क्योंकि घर मे सब माजूद थे, अगर मेरे साथ जबर्दाश्ती हुई थी, क्यों मेने किसी को मदद के लिए नही पुकारा….सब लोग तो यही कहेंगे ना कि मैं ही सही नही हूँ… इसलिए मैने वो बात अपने दिल के अंदर ही दबा ली थी….अगली सुबह जब उठी तो, देखा आरके पहले से ही तैयार थे….उसके बाद वो निकल गये…मैने नाश्ता किया और भाभी के साथ स्कूल आ गयी…..राज कई बार मुझे देख कर मुस्कुरआया…पर उसकी वो कमीनी मुस्कान देख कर मैं जल कर रह जाती….दो दिन गुजर गये….पर राज ने फिर कभी कोई हरक़त नही की थी….

पर जब भी हमारी नज़रें टकराती तो अपने होंटो पर कमीनी मुस्कान लाकर देखता तो मैं अपना फेस घुमा लेती…पर इन दो दिनो मे पता नही कितनी बार मैं उस रात हुई अपनी जबरदस्त चुदाई के बारे मे सोच चुकी थी..और कई बार जब उसके बारे मे सोचते हुए, मैं गरम हो जाती तो, मैं अपने आप को ही कोसने लगती…कि आख़िर ये मुझे क्या हो रहा है…मैं क्या कर रही हूँ…? मैं स्कूल के बाद अपने आप को बिज़ी रखने की कॉसिश करने लगती….

उस घटना को हुए पूरा एक हफ़्ता गुजर गया था….इस बार आरके सनडे वाले दिन ही सुबह आए थे….उस रात भी वही फीका सा सेक्स हुआ, और मैं तड़प कर रह गयी…मेरे अंदर की आग दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी…..मेने अपने आप को स्कूल के वर्क मे इतना बिज़ी कर लिया था कि, अब वो घटना मेरे दिमाग़ मे नही आती थी…और ना ही राज ने दोबारा मेरे पास फटकने की कॉसिश की थी….ऐसा नही था कि, उसे कभी कोई ऐसा मौका ना मिला हो कि, वो मेरे पास आकर कुछ कर सके…पर वो नही आया….

ट्यूसडे का दिन था….शाम के 6 बज रहे थी कि, भाभी मेरे रूम मे आई, और आकर चुप चाप बेड पर बैठ गयी…उन्हे इस तरह आकर चुप चाप बैठे देख कर मुझसे रहा नही गया…”क्या हुआ भाभी आप कुछ परेशान दिखाई दे रही हो….?” भाभी ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर कुछ बोलने के लिए मूह खोला पर फिर कुछ सोच कर चुप हो गयी…..फिर थोड़ी देर बाद बोली…..”कुछ नही डॉली…..”

मैं: भाभी बात क्या है….बाताओ ना….ऐसे परेशान क्यों हो रही हो…?

भाभी: डॉली वो बात डॉली ये है कि, वो….

मैं: हां भाभी बताओ ना क्या बात है……

भाभी: डॉली तुम बुरा तो नही मनोगी….?

मैं: उफ्फ हो भाभी बताओ भी तो सही….

भाभी: वो डॉली आज मेरा बड़ा मन कर रहा है….

मैं: मन कर रहा है किस लिए भाभी मैं समझी नही सॉफ-2 कहो ना क्या बात है…

भाभी: वो सेक्स करने का…..

मैं: (भाभी के बात सुन कर एक दम चोंक गयी….) क्या सेक्स करने का….?

भाभी: हां डॉली वो तुम्हे तो पता ही है कि मैं और राज…(भाभी फिर से बोलते-2 चुप हो गयी….और मुझे भाभी की बात सुन कर बहुत गुस्सा आया….)

मैं: आप कहना क्या चाहती है भाभी…..?

भाभी: वो डॉली क्या तुम थोड़ी देर के लिए नीचे जा सकती हो….(भाभी ने कहते हुए अपने सर को झुका लिया…..)

मैं: भाभी आप होश मे तो है….ये आप मुझसे किस तरह की बात कर रही है….

भाभी: (मेरे हाथ को अपने दोनो हाथो मे लेते हुए) प्लीज़ डॉली थोड़ी देर के लिए. तू तो जानती है नीचे तेरे भैया है…प्लीज़ थोड़ी देर के लिए, तू उनके पास जाकर बैठ ना.

मैं: नही भाभी प्लीज़ मुझे आपने इस पाप मे भागीदार ना बनाओ….

भाभी: (गुस्से मे आकर खड़ी होते हुए) ठीक है डॉली…..मैं समझ गयी, तुझसे मेरी ख़ुसी देखी नही जाती ना…..मत कर तू मेरी हेल्प…

मैं: भाभी आप जिस चीज़ के लिए मुझसे उम्मीद लगाए हुए है….उसके लिए मैं आपकी कोई हेल्प नही कर सकती….

भाभी: समझ गयी डॉली….पर ये सोच ले, आगे चल कर तेरी भाभी ही तेरे काम आएगी….आज तूने मेरी मदद करने से मना किया है ना…..

भाभी आँखे चढ़ाती हुई नीचे चली गयी…..मुझे इतना गुस्सा आ रहा था… कि पूछो मत…आख़िर ये मेरे घर मे हो क्या रहा है…..और भाभी ने मुझे और मेरे कमरे को समझ क्या रखा है….रंडी खाना….चाइयीयियी…उन्होने मुझसे ऐसे बात करने से पहले एक बार भी नही सोचा….मैने उन्हे मना तो कर दिया था..पर मुझे नही पता था कि, मेरे मना करने का क्या नतीजा होगा…..

उसी रात जब मैं बेड पर लेटे हुए सोने की कॉसिश कर रही थी….तो मुझे किचिन से कुछ आवाज़ आई….मैं अपने डोर के पास गयी…और डोर कर खोला तो देखा, भाभी किचिन के अंदर ज़मीन पर बिस्तर लगा रही थी….और राज बाहर डोर पर खड़ा था. जैसे ही उसने मुझे देखा तो वो मुस्कुराने लगा…”ये ये सब क्या है भाभी….?” मेने अपने डोर पर खड़े हुए भाभी से पूछा….

भाभी: तुम अपने काम से मतलब रखो डॉली…..

भाभी ने बिस्तर पर लेटते हुए राज को इशारे से अंदर के लिए कहा…राज ने मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कुराता हुआ किचिन के अंदर गया….और अगले ही पल धडाम की आवाज़ से डोर बंद हो गया…..मैं गुस्से मे उबली हुई अंदर आ गयी….डोर लॉक किया और बेड पर लेट गयी….अभी थोड़ी देर ही लेटी थी, कि किचिन से चुदाई के थपेड़ो की आवाज़ रूम मे आने लगी….”अह्ह्ह्ह ओह राज येस्स्स फक मी डियर ओह्ह्ह्ह आहह और जोर्र से घस्से मार अह्ह्ह्ह हाए मेरी फुदी….थप थप आह ओह्ह्ह…..” रात के करीब 12 बजे तक किचिन से चुदाई की आवाज़े आती रही ……

मेने अपने ध्यान को वहाँ से हटाने की बहुत कॉसिश की, कभी अपने कानो को अपने हाथो से ढक लेती….पर दिल मे जिग्यासा उठती कि, अब क्या हो रहा है किचिन मे..भाभी किस तरह राज को अपनी फुद्दि दे रही होगी…ये सोच-2 कर मेरी कच्छी भी गीली हो गयी….फिर तो जैसे ये रोज की बात हो गयी….रोज रात रात के 12-1 बजे तक, उस किचिन से चुदाई की आवाज़े आती रहती…मैं अंदर ही अंदर सुलग रही थी…एक वीक और गुजर गया….अब तो राज ने मेरी तरफ देखना भी बंद कर दिया था….

वो अब जैसे मुझे इग्नोर करने लगा था….और मेरे और भाभी के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था…..मैं सेक्षुयली फ़्रस्टेड हो चुकी थी….राज का इस तरह से मुझे इग्नोर करना खलने लगा था….वो जब भी मेरे सामने या मेरे पास से गुज़रता तो वो मेरी तरफ देखता भी नही….मुझे ये सब बहुत अजीब सा लगता….पर फिर मैं अपने आप को ही कोसने लगती, कि मैं क्या कर रही हूँ….

सनडे का दिन था…..आरके घर पर आए हुए थे….उस दिन भैया को चेकप के लिए हॉस्पिटल मे लेकर जाना था….आरके बाहर से कार ले आए थे….और फिर भैया और भाभी हॉस्पिटल मे चले गये…उनको दोपहर तक घर वापिस आना था…मैं किचिन मे दोपहर का खाना तैयार कर रही थी….और आरके ऊपेर रूम मे थी…तभी मुझे अहसास हुआ, कि कोई मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया है….जब मैने पलट कर देखा तो पीछे राज खड़ा था….उसकी आँखो मे भरी हुई वासना सॉफ दिखाई दे रही थी…..मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा. घर मे और कोई नही था….ये सोच कर मेरे हाथ पैर अजीब से डर के कारण काँपने लगी…

वो मेरी तरफ बढ़ा….”राज तुम त तुम यहाँ क्या क्या कर रहे हो…? “ पर उसने मेरी बात का कोई जवाब नही दिया…और मुझे अपनी बाहों मे भरने की कॉसिश करने लगा… मेने उसके कंधो पर हाथ रखा और उसे अपने से दूर धकेलने की कॉसिश करनी लगी. न नही राज प्लीज़ हट जाओ…..ना नही उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह….” और फिर अगले ही पल उसके होंटो ने मेरे होंटो को दबोच कर मेरी आवाज़ को मेरे मूह मे ही बंद कर दिया…उसने मेरे होंटो को चूस्ते हुए मुझे दीवार के साथ सटा दिया…और मेरी सलवार का नाडा पकड़ कर खेंचते हुए उसे खोल दिया….

जैसे ही मेरे सलवार का नाडा खुला, तो सलवार के जबरन कमर पर ढीली हो गयी…मेने सलवार को अपने हाथो से पकड़ लिया…पर जब तक मेरी समझ मे कुछ आता राज का हाथ मेरी सलवार के अंदर घुस चुका था….उसने मेरी पेंटी के अंदर हाथ डालते हुए, मेरी चुनमुनियाँ की फांको पर अपना हाथ रख दिया…और मेरे होंटो को चूस्ते हुए, मेरी चुनमुनियाँ को मसलने लगा….मेरा पूरा बदन झंझणा गया….टाँगे काँपने लगी….कमर झटके खाने लगी..
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उसने मेरे होंटो को चूस्ते हुए, अपनी एक उंगली को मेरी चुनमुनियाँ मे घुसा दिया…और अपने अंगूठे से मेरी चुनमुनियाँ के दाने को मसलने लगा….जैसे ही उसने मेरी चुनमुनियाँ के दाने को मसला…..मैं एक दम सिसक उठी….आँखे बंद होती चली गये…और सारा विरोध ख़तम होता चला गया….मैं राज के शर्ट के कॉलर को हाथ से कस्के पकड़े हुए थी…वो तेज़ी से अपने अंगूठे को मेरी चुनमुनियाँ के दाने पर हिलाता हुआ उसे मसल रहा था…मैं मदहोश होती जा रही थी….मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था….मेने अपने होंटो को उसके होंटो से अलग किया और तेज़ी से साँसे लेते हुए, धीरे-2 नीचे बैठने लगी…

राज की उंगली चुनमुनियाँ से बाहर आई, और फिर उसका हाथ मेरी सलवार से बाहर आ गया….मैं नीचे पैरो के बल बैठी हुई बुरी तरह से कांप रही थी..,..तभी मुझे राज की पेंट की ज़िप खुलने की आवाज़ आई, जैसे ही मेने अपनी आँखे खोल कर देखा तो राज का मुनसल जैसे साढ़े 8 इंच का बाबूराव मेरी आँखो के सामने झटके खा रहा था….उसने मेरी ओर मुस्कुराते हुए देखा और फिर अपने बाबूराव को हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से मेरे सर को, उसने अपने बाबूराव के सुपाडे को मेरे होंटो पर लगा दिया….

मेने अपना फेस दूसरी तरफ करने की कॉसिश की, मैने कभी बाबूराव को मूह मे नही लिया था….यहाँ तक कि आरके के बाबूराव को भी मूह मे नही लिया था…पर उसने मेरे सर को कस्के पकड़ा और अपने बाबूराव को बेस से पकड़ते हुए उसके सुपाडे को मेरे गालो पर मारने लगा….और फिर से होंटो पर सुपाडे को रगड़ने लगा….उस समय, राज बहुत उत्तेजित हो गया था…”

साली खोल और चूस इसे…..नही तो यही पटक कर चोद दूँगा.. चाहे तेरा पति देख ले…” उसने अपने बाबूराव के सुपाडे को मेरे होंटो पर सटाते हुए कहा…और फिर जबरन मेरे मूह मे अपना बाबूराव ठूंस दिया….”चल अब चूस इसे…”

मेने उसके बाबूराव के चुप्पे लगाने शुरू कर दिए….इस डर से कहीं आरके नीचे ना अजाए, और अगर मैं ना करती तो, शायद वो मुझे वही चोदने लग जाता….इस आई मुसबीत से पीछा छुड़ाने के लिए, मैने उसके बाबूराव के चुप्पे लगाने शुरू कर दिए.. वो मेरे सर को पकड़ कर तेज़ी से अपनी कमर को हिलाते हुए अपने बाबूराव को मेरे मूह के अंदर बाहर करने लगा…उसका मोटा बाबूराव हाथो मे लिए हुए जब मैं उसे चूस रही थी….तो मैं भी गरम होने लगी थी…जिस मोटे बाबूराव से मैं आज तक भाभी को चुदते हुए और भाभी को चुप्पे लगाते हुए देखती आ रही थी…..

वही मोटा और लंबा बाबूराव आज मेरे हाथो मे था….आज मेने उसके बाबूराव को पहली बार छुआ ही नही था….बल्कि, उसके बाबूराव को मूह मे लेकर सकिंग भी कर रही थी…एक अजीब सा नशा छाता जा रहा था मुझ पर….और उस वासना के नशे मे आकर अब मैं खुद ही उसके बाबूराव के मोटे गुलाबी सुपाडे को अपने होंटो मे दबा-2 कर चूस रही थी.

मुझे उसके बाबूराव की नसें अब फुलती हुई अपने हाथ मे सॉफ महसूस हो रही थी…करीब 6-7 मिनिट बाद उसने अपनी कमर को फिर से हिलाना शुरू कर दिया…”आहह डॉली मेरी जान….यस सक मी डियर….येस्स्स अहह ओह्ह्ह्ह्ह….” फिर उसने अपने बाबूराव के सुपाडे को मेरे मूह के अंदर तक धकेल दिया….और काँपते हुए झड़ने लगा….जैसे ही मुझे इस बात का अहसास हुआ, तो मेने उसकी जाँघो को पकड़ कर पीछे पुश किया, तो उसका बाबूराव मेरे मूह से बाहर आ गया….पर तभी उस ने झटके लेते हुए वीर्य की पिचकारियाँ मेरे चेहरे पर छोड़नी शुरू कर दी….


मैं बदहवास सी नीचे बैठी हुई, अपनी उखड़ी हुई सांसो को काबू मे करने की कॉसिश करने लगी….मुझे कुछ होश नही था कि, कब राज किचिन से बाहर चला गया…जब थोड़ी देर बाद होश आया, तो मैं जल्दी से भाभी के रूम मे गयी, और फिर बाथरूम मे घुस कर अपने आप को आयने मे देखा….उसके कम से मेरा पूरा फेस भरा हुआ था…मेने जल्दी से अपने फेस को धोया….और फिर फ्रेश होकर बाहर आई…..

मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ….क्यों मैं उसको हर बार रोक नही पाती….

इसी तरह दो दिन और गुजर गये….एक बार फिर से राज मुझसे दूर रहने लगा था…मैं अपने मन मे चल रहे अंतर्द्वंद से परेशान थी…आख़िर ये सब क्या हो रहा है.. और मेरे साथ ही क्यों हो रहा है….अजीब से कस्मकश मे थी…हर दूसरी या तीसरी रात को वो दोनो ऊपेर किचिन मे आकर जबरदस्त सेक्स करते थे….उनकी चुदाई की आवाज़े आधी रात तक सुन-2 कर मैं तड़प कर रह जाती….सॅटर्डे का दिन था….मैं सुबह तैयार होकर नीचे आई….हमें स्कूल के लिए निकलना था….मैं भाभी के रूम की तरफ बढ़ी. पर डोर पर पहुँचते ही मेरे कदम रुक गये….

भाभी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी हुई, अपने होंटो पर मरून कलर की लिपस्टिक लगा रही थी….और उनके पीछे राज खड़ा था…स्कूल यूनिफॉर्म पहने वो भी तैयार था. “आह जान आज तो गजब ढा रही हो….सच्ची तुम्हारे होंटो पर ये मरून लिप कलर बहुत सेक्सी लगता है….” उसने भाभी के पीछे आकर उसे अपनी बाहों मई भरते हुए कहा..

“क्या इरादा है तुम्हारा आज सुबह-2 ही शुरू हो गये हो…” भाभी ने अपने दोनो हाथ ऊपेर उठाए और पीछे लाते हुए राज के सर को पकड़ लिया….

राज: आज इस मरून के लिप्स से बाबूराव चुसवाने का दिल कर रहा है….

भाभी: (ड्रेसिंग टेबल पर बैठे-2 राज की तरफ घूमते हुए) अच्छा तुम्हारा दिल कर रहा हो….और मैं तुम्हारे दिल की ख्वाहिश पूरी ना करूँ कभी ऐसा हो सकता है….?

राज ने अपनी पेंट की ज़िप को खोल दिया….और भाभी ने ज़िप के अंदर हाथ डाला और फिर थोड़ी देर बाद राज के बाबूराव को बाहर निकाल लिया…फिर राज की आँखो मे देखते हुए, अपने होंटो को खोल कर राज के बाबूराव के सुपाडे पर लगा दिया…और फिर राज के बाबूराव के सुपाडे पर अपने होंटो को रगड़ने लगी….”आहह शीइ….तुम्हारे लिपस्टिक लगे होंटो मे मेरा बाबूराव कितना सेक्सी लगता है मेरी जान…अह्ह्ह्ह….” ये सुनते हुए भाभी ने अपने होंटो को राज के बाबूराव पर चारो तरफ रगड़ना शुरू कर दिया…..

मैं वहाँ और खड़ी ना रह सकी, और ऊपेर अपने रूम मे आ गये….वेट करने लगी कि कब भाभी मुझे स्कूल जाने के लिए आवाज़ लगाई….मैं रूम मे आकर ड्रेसिंग टेबल पर बैठ गयी….और तभी मेरे नज़र वहाँ पड़ी मरून कलर की लिपस्टिक पर पड़ी…पता नही क्यों मेरे हाथ खुद ब खुद उस लिपस्टिक को उठाने के लिए बढ़ गये….मेने उसका ढक्कन खोला और उसे अपने होंटो पर लगाने लगी…मैं खुद पर हैरान भी हो रही थी कि, मैं ये क्या कर रही हूँ….और फिर मेने उठ कर जैसे ही अपने होंटो को कपड़े से सॉफ करना चाहा, तो भाभी एक दम से रूम मे आ गयी….

भाभी : डॉली चलना नही है क्या….चल जल्दी कर बहुत देर हो गयी है…

मैं: हां भाभी चलो….

उसके बाद मैं और भाभी स्कूल आ गये…स्कूल शुरू होने मे अभी टाइम था…इसलिए मैं बाहर ग्राउंड मे खड़े होकर भाभी के साथ और दूसरे टीचर के साथ कुछ बातें कर रही थी…तभी मेरी नज़र राज पर पड़ी…जो ललिता के पास खड़ा था…उससे बातें कर रहा था….पर मेरी तरफ देख रहा था…मुझे नज़ाने क्यों ऐसा महसूस हो रहा था कि, उसके नज़र मेरे मरून कलर मे रंगे होंटो पर जमी हुई थी…मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था….पर कुछ-2 अच्छा भी लग रहा था….क्योंकि पिछले कुछ दिनो से उसने मुझे फिर से इग्नोर करना शुरू कर दिया था…

मैं दो राहे पर खड़ी थी…..आख़िर ये सब क्या हो रहा है….कुछ समझ मे नही आ रहा था…..फिर क्लासस शुरू हो गयी….पता नही क्यों मेरा मूड आज कुछ अजीब सा हो रहा था…मैं अपने ऑफीस मे बैठे हुए उकता सी गयी थी…तभी जय सर, ऑफीस के अंदर आए, तो मैं उन्हे देख कर अपनी चेयर से खड़ी हो गयी…”अर्रे बैठो-2…..”

मैं: जी सर,

सर: डॉली तुम अभी राज के साथ मेरे घर चली जाओ…वहाँ मेरे रूम मे स्कूल के कुछ ज़रूरी डॉक्युमेंट पड़े हुए है एक फाइल मे….उसे ले आओ…ढूँढने मे टाइम लगेगा. इसलिए राज के साथ तुम्हे भेज रहा हूँ….

मैं: जी सर कॉन सी फाइल है…..?

सर: स्कूल के रिलेटेड जो भी फाइल्स मिले उन्हे ले आना….मैं राज को बेझता हूँ…..

सर वापिस चले गये…..”अब ये क्या नयी मुसबीत आ गयी….ये राज का भूत मेरा पीछा कब छोड़ेगा….” मैं खुद ही बुदबुदाने लगी….थोड़ी देर बाद राज ऑफीस मे आ गया…और उसने मुझे साथ चलने के लिए बोला…मैं बिना बात किए उसके साथ बाहर आ गयी….और उसकी बाइक पर हम जय सर के घर पहुँच गये…..मैं और राज जय सर के रूम मे गये….और उनके रॅक मे से फाइल्स ढूँढने लगी…

राज जाकर सोफे पर बैठ गया…..वो लगतार मुझे घूर रहा था….मैं नीचे बैठ कर नीचे वाली सेल्फ़ पर फाइल्स को देखने लगी…तभी राज के कदमो की आहट नज़दीक आते हुए सुनाई दी तो, मेने चोंक कर उसके तरफ देखा…वो बिल्कुल मेरे सामने आकर खड़ा हो गया था….मैं नीचे बैठे हुए, उसकी ओर देख रही थी…उसके होंटो पर वही कमीनी मुस्कान फेली हुई थी…उसने मेरे होंटो की तरफ देखते हुए, अपने पेंट की ज़िप को खोल दिया…मैं एक दम से ऐसे हडबडाइ…जैसे किसी सपने से बाहर आई हूँ….
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