हवस की प्यासी दो कलियाँ complete

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rajaarkey
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Re: हवस की प्यासी दो कलियाँ

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भाभी ने जब देखा कि उसके इस तरह राज के बाबूराव को सक करने से राज किस तरह से मस्ती मे सिसक रहा है….और उसकी तारीफ कर रहा है…भाभी ने उसी पल अपने होंटो को राज के बाबूराव के सुपाडे पर दबा-2 कर चूसना शुरू कर दिया….अब भाभी का पूरा ध्यान राज के बाबूराव को चूसने और उसके चुप्पे लगाने मे था….और राज नीचे देख कर कमीनी मुस्कान के साथ अपने आप पर मुस्कुरा रहा था….राज का बाबूराव अब और भी ज़्यादा अकड़ चुका था…उसने भाभी के सर को दोनो हाथों से पकड़ कर अपने बाबूराव को भाभी के मूह मे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…..

ठीक ऐसा ही कुछ भाभी उस वीडियो मे भी देख चुकी थी….इसलिए उसने राज को रोका नही…..उसने राज की जाँघो को अपने हाथों से पकड़ लिया…और राज ने भी अपना बाबूराव अब आधे से ज़्यादा भाभी के मूह मे अंदर बाहर करते हुए भाभी के मूह को ही चोदना शुरू कर दिया…..जिसके कारण भाभी को थोड़ा सा थन्स्का लगा..और अगले ही पल राज ने अपना बाबूराव भाभी के मूह से निकाल लिया….पर ये देख कर राज के होंटो पर मुस्कान फेल गयी…..जब भाभी ने अपने मूह मे इकट्ठा हुआ सारा थूक राज के बाबूराव पर थूक दिया…..

फिर भाभी ने भी उसी रंडी पोर्नस्टार की अदा के साथ अपने थूक को राज के बाबूराव को मुट्ठी मे लेते हुए फेलाना शुरू कर दिया….राज ने झुक कर भाभी की नाइटी को पकड़ कर उठाते हुए उनके गले से निकाल दिया….कुछ ही पलों मे भाभी के ब्रा और पेंटी भी उनके बदन से अलग होकर फर्श पड़ी धूल चाट रही थी…और राज अब भाभी के ऊपेर आ चुका था….उसने भाभी के होंटो को अपने होंटो मे भर कर चूसना शुरू कर दिया….और भाभी भी उसका खुल कर साथ दे रही थी……

कई महीनो से उसकी फुद्दि मे आग जो लगी हुई थी…राज का बाबूराव भाभी की जाँघो के बीच मे रगड़ खा रहा था…..राज ने भाभी के होंटो को कुछ देर चूसने के बाद अपने होंटो को अलग किया और फिर झुक कर भाभी के लेफ्ट मम्मे को मूह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया…..”ओह हइई राज चुस्स्स ले मेरे शेर ओह्ह उम्ह्ह्ह आहह और ज़ोर से चूस अहह उम्ह्ह्ह्ह्ह….”

भाभी के हाथों के उंगलियों राज के बालो मे घूम रही थी….और राज भाभी की चुचियों को मसलते हुए उनकी चुचियों को चूस रहा था….बीच-2 मे वो भाभी की चुचियाँ के निपल्स को अपने उंगलियों मे लेकर मसलता तो भाभी एक दम से सिसक उठती….मदहोश होकर भाभी ने अपनी टाँगे उठा कर राज की कमर पर कस ली, और अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उठाते हुए, राज के बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ मे लेने की कॉसिश करने लगी….

चुनमुनियाँ मे बाबूराव लेने के लिए तरस रही भाभी को देख कर राज मन ही मन मुस्कुरा रहा था…उसने अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपेर उठाया….और बिना हाथ से पकड़े ही, अपने बाबूराव को धीरे-2 कमर नीचे लाते हुए भाभी की चुनमुनियाँ के ऊपेर सेट कर दिया…. पूरे तरह तने हुए बाबूराव के गरम सुपाडे को अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर महसूस करते ही भाभी एक दम से मचल उठी…..उसने राज को अपनी बाहों मे कसते हुए पागलो की तरह उसके होंटो को चूसना शुरू कर दिया….बदले मे राज ने भाभी की जीभ को अपने मूह मे लेकर चूसने की कॉसिश शुरू कर दी….

और मस्ती के नशे मे चूर भाभी ने बिना कोई देर किए, अपनी जीभ को राज के होंटो मे दे दिया….जैसे ही राज ने भाभी की जीभ को अपनी होंटो मे दबा कर चूसा. भाभी ने मस्ती मे आकर अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उठाना शुरू कर दिया….राज के बाबूराव के सुपाडे का दबाव भाभी की चुनमुनियाँ की फूली हुई फांके नही सह पाई…और चुनमुनियाँ की फांको ने बाबूराव के सुपाडे के आगे हथियार डालते हुए, उसे चुनमुनियाँ के छेद तक रास्ता दिखा दिया…..

जैसे ही राज के बाबूराव का दहकता हुआ सुपाडा और भाभी की चुनमुनियाँ का लबलबा रहा छेद आपस मे भिड़े तो, भाभी की आँखे मस्ती मे बंद होती चली गयी….उनके होंटो पर कुर्बान हो जाने वाली मुस्कान फेल गयी….भाभी को अपनी चुनमुनियाँ की नसों मे धुनकि जैसी महसूस होने लगी…जैसे कलाई की नब्ज़ बजती है ठीक वैसे ही….भाभी की चुनमुनियाँ का छेद उसके बाबूराव के मोटे सुपाडे को अपने ऊपेर सटा हुआ महसूस करते हुए, धीरे-2 फैलने लगा….जैसे उसे अपने अंदर समा लेना चाहता हो….

भाभी ने अपने होंटो को राज के होंटो से हटाया और अपने गले का थूक गटक कर लंबी साँस ली, और फिर विनती भरे स्वर मे लाचार नज़रों से राज की आँखो मे देखते हुए बोली…..”करो ना…..”

अपने बाबूराव के लिए भाभी को इस तरह गिडगिडाते हुए देख कर राज मुस्कुरा उठा…उसने भाभी की दोनो टाँगो को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठाते हुए, अपने कंधो पर रख लिया….और धीरे-2 अपने बाबूराव के सुपाडे को चुनमुनियाँ के छेद पर दबाने लगा….चुनमुनियाँ का छेद रब्बर की तरह फेलता हुआ, राज के बाबूराव के मोटे सुपाडे को अपने अंदर लेने लगा…..

जैसे ही बाबूराव का मोटा सुपाडा भाभी की चुनमुनियाँ मे घुसा, तो भाभी मस्ती मे एक दम से सिसक उठी….अपनी चुनमुनियाँ के अंदर उस मोटे गुलाबी सुपाडे को महसूस करके, भाभी का बदन अंदर तक कांप गया…आँखे फिर से बंद हो गयी….राज ने अपनी पूरी ताक़त इकट्ठा की, और फिर एक ज़ोर दार धक्का मारा…बाबूराव का सुपाडा इस बार भाभी की चुनमुनियाँ की दीवारो को चीरता हुआ अंदर घुसता चला गया….तब तक जब तक उसके बाबूराव का मोटा सुपाडा भाभी की बच्चेदानी से जाकर ना टकराया….

“हाई मैं मर जावां……” भाभी का पूरा बदन मस्ती मे कांप गया….उसने राज के फेस को पकड़ कर अपने होंटो की तरफ उसके होंटो को झुका लिया….और पागलो की तरह उसके होंटो को चूसने लगी….भाभी की चुनमुनियाँ अंदर ही अंदर राज के बाबूराव का मर्दन कर रही थी….जब भाभी से बर्दाश्त नही हुआ, तो उसने अपनी गान्ड को बेड पर इधर उधर घिसते हुए सरकाया तो, राज समझ गया कि, अब ठुकाई का समय आ गया है…

उसने भाभी की टाँगो को अपने कंधो से नीचे उतारा और अपने बाबूराव को धीरे-2 अंदर बाहर करने लगा….भाभी की टाँगे नीचे होते हुए, राज की कमर तक आ कर रुक गयी…भाभी अपनी टाँगे उठाए हुए, राज के बाबूराव से अपनी फुद्दि मरवाने लगी…राज भी अपना बाबूराव सुपाडे तक बाहर निकाल-2 कर भाभी की चुनमुनियाँ मे पेलने लगा…..

“अह्ह्ह्ह क्यों मेरी जान कैसा लग रहा है मेरा बाबूराव अपनी चुनमुनियाँ मे लेकर….” राज ने अपनी रफ़्तार बढ़ाते हुए कहा….”ओह्ह्ह्ह शियीयीयीयियी उम्ह्ह्ह्ह्ह राज आह पूछ मत कितना मज़ा आ रहा है….हाई राज बस करते रहो…..मेरी फुद्दि मे घस्से मारते रहो…..निकाल दे अपनी मेडम की फुद्दि से पानी अह्ह्ह्ह उंग़ग्ग उंघह अह्ह्ह्ह….”

राज: आह मॅम अभी तो शुरुआत है….आज से तेरी फुद्दि रोज मारूँगा…..तुझे बाबूराव के लिए अब और तरसना नही पड़ेगा…..बोल मारने दे गी ना मुझे फुद्दि रोज….

भाभी: अह्ह्ह्ह राज रोज ले लिया करना….मैं नही मना करती तुझे….अह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह.. बस किसी से कहना नही….हां रोज दूँगी मैं तुझे…..जब तेरा दिल करे…आह हां सबाश और ज़ोर से घस्से मार अहह आह दिखा दे अपनी माँ को तेरे बाबूराव का ज़ोर….
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राज ने अपना बाबूराव भाभी की चुनमुनियाँ से बाहर निकाला और उसकी बगल मे लेटते हुए भाभी को ऊपेर आने के लिए कहा…भाभी बिना देर किए, राज की कमर के दोनो तरफ अपने घुटनो को टिका कर बैठ गयी…एक हाथ से उसने राज के बाबूराव को पकड़ कर अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर सेट किया, और दूसरा हाथ राज की चेस्ट पर रख दिया…जैसे ही चुनमुनियाँ के छेद पर बाबूराव सेट हुआ, भाभी धीरे-2 अपना वजन डालते हुए, नीचे बैठ गयी….

एक बार फिर से राज का बाबूराव भाभी की चुनमुनियाँ की गहराइयों मे समा चुका था….भाभी धीरे-2 अपनी कमर को आगे पीछे हिलाने लगी….बाबूराव आधे से ज़्यादा बाहर आकर फिर से भाभी की चुनमुनियाँ मे घुस जाता…खुद को ड्राइविंग सीट पर पहली बार पाकर भाभी और ज़्यादा उतेज़ित हो गयी….उन्होने घुटनो के बजाय पैरो के बल बैठते हुए अपनी गान्ड को तेज़ी से ऊपेर नीचे करना शुरू कर दिया…जब भाभी के मोटे फेले हुए चूतड़ आकर राज की जाँघो से टकराते तो-2 थप-2 की आवाज़ पूरे रूम मे गूँज जाती,….

राज ने लेटे-2 भाभी की चुचियाँ को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया…कभी उनके निपल्स को अपने उंगलियों मे लेकर मसलता तो कभी उनके बड़े-2 मम्मो को हाथों मे लेकर ज़ोर-2 से दबाता…..भाभी पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी….और तेज़ी से अपनी गान्ड को उछाल-2 कर अपनी चुनमुनियाँ को राज के लंड पर पटक रही थी……

भाभी: शियीयीयी हाई राज….ओह्ह्ह्ह मैं तो आहह आह हाई मेरी फुद्दि तो पानी छोड़ने वाली है….

राज: आह मॅम छोड़ दो ना….लहला दो मेरे बाबूराव को आज अपनी फुददी के पानी से….

भाभी: हां हां ले राज ले, नहला दे अपने बाबूराव को मेरे आहह आह हाई भोसड़ी की पानी से…..उन्घ्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हाई……

जैसे ही भाभी की चुनमुनियाँ ने पानी छोड़ना शुरू किया….इधर राज के बाबूराव ने भी भाभी की चुनमुनियाँ की गहराइयों मे अपना लावा उगलना शुरू कर दिया…..दोनो झड कर हाँफने लगी थी….पसीने से भीगे हुए वो एक दूसरे से चिपके कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे….

उस दिन भाभी ने राज से चार बार अपनी चुनमुनियाँ मरवाई….और रात को 3 बजे दोनो सोए….अगली सुबह सनडे था….इसलिए उठाने की कोई जल्दी ना थी….जब भाभी उठी तो उन्होने अपने आप को राज के साथ बेड पर नंगा लेटे हुए पाया…राज का बाबूराव सिकुड कर उसकी जाँघ से चिपका हुआ था….भाभी अपनी हालत देख कर खुद ही शरमा गयी…भाभी बेड से नीचे उतरी…और ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर खुद को आयने मे देखने लगी….

भाभी के निपल्स और मम्मे सूजे हुए लग रहे थी….एक दम लाल हो गयी थी…कही-2 पर तो राज उंगलियों की छाप अभी भी नज़र आ रही थी…अपनी चुचियाँ पर राज की उंगलयों की छाप देख कर भाभी शरमाते हुए मुस्कुराने लगी…तभी उसे अपनी गान्ड पर राज के हाथ महसूस हुए तो, भाभी का बदन एक दम सिहर गया….” क्या देख रही हो जाने मन….” राज ने अपने आधे तने हुए बाबूराव भाभी के गान्ड की दरार मे रगड़ते हुए कहा….”चलो हटो पीछे, वो नीचे उठ गये होंगे….”

भाभी ने अपनी नाइटी पहनी और रूम से बाहर आकर नीचे आ गयी…..मैं मंडे को सीधा स्कूल पहुँची…..और फिर वहाँ से 5 बजे घर….मेरे घर आने से पहले भाभी एक बार फिर राज के बाबूराव को अपनी फुद्दि मे ले चुकी थी….भाभी धीरे-2 राज के बाबूराव आदि होती चली जा रही थी….जो शरीराक सुख उसे शादी के बाद कई सालो तक नही मिला था….वो अब जो मिल रहा था….

दोनो के बीच बढ़ती नज़दीकयाँ मुझे भी दिखाई देने लगी थी….मेने कई बार उनको फूस फुसाते हुए देखा था…कभी उनकी बातें सुन नही पे थी…कई बार दोनो घर में एक दूसरे के बेहद करीब बैठे होते….और जब मैं नीचे आती तो मुझे देख कर थोड़ा दूर हट जाते….एक बार जब मैं पानी पीने नीचे किचिन मे गये तो, मेने राज को भाभी की सलवार के ऊपेर से उनकी गान्ड पर हाथ फेरते हुए देख लिया था. पर ये सब सिर्फ़ दो सेकेंड तक ही देख पाई थी….

मुझे खुद पर पूरा यकीन नही था….कि मैं जो सोच रही हूँ, क्या वही मेने देखा है….या फिर मेरी आँखो से देखने मे कोई ग़लती हो गयी है….पर उस दिन के बाद से मेरी आँख मे दोनो खटकने लगे थे….दिन ब दिन भाभी के रूप मे निखार आता जा रहा था…उनका चेहरा अब पहले से कही ज़्यादा खिला हुआ रहने लगा था….मैने उन दोनो पर नज़र रखना शुरू कर दिया था….कि आख़िर पता तो चले इन दोनो के बीच मे क्या चल रहा है….कही राज भाभी को अपने जाल मे फँसा कर कुछ ग़लत इस्तेमाल ना करे…..

एक दिन जब स्कूल ऑफ हुआ था….मैं एक्सट्रा क्लासस के लिए नही रुकी….मैं भाभी के साथ ही घर आ गयी….उस दिन सॅटर्डे था….इसलिए स्कूल 12 बजे ही ऑफ हो गया था.. हम 12:30 बजे घर पहुँच गये थे…खाना हम ने ढाबे से ही ले लिया था…चेंज करने के बाद और खाना खाने के बाद मेने भाभी से कहा कि, मैं मिस्टर. वेर्मा के घर जा रही हूँ मुझे कुछ ब्रा और पेंटी लेनी है….

उसके बाद मैं भैया के रूम मे गयी….भैया सो चुके थे…मैं जानती थी…क्योंकि भैया का रूम बिकुल गली के साइड मे था…..और उस रूम का एक डोर बाहर गली मे भी खुलता था…..मैने चुपके से जाकर भैया के रूम से बाहर वाला डोर अनलॉक कर दिया…और फिर भाभी को कह कर मिस्टर वेर्मा के घर की तरफ बढ़ी…पर फिर आधे रास्ते ही वापिस लौट आई….मैं आज अपने ही घर मे चोर की तरफ दाखिल होने वाली थी…घर के बाहर पहुँच कर मेने रूम के डोर को धीरे से खोला और भैया के रूम मे आकर अंदर से डोर लॉक कर दिया…..

फिर मैं घर के अंदर वाले रूम के डोर पर आई….और धीरे से सर निकाल कर बाहर देखा…मुझे सीढ़ियों पर किसी के चढ़ने की आवाज़ आ रही थी….मैने वहाँ 5 मिनिट वेट किया…फिर रूम से बाहर निकल कर राज के रूम मे देखा वो अपने रूम मे नही था….फिर भाभी के रूम मे चेक किया…वहाँ पर भी कोई ना था…. मेरा शक और गहरा होता जा रहा था….मैं दबे पावं सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपेर जाने लगी. ये सब करते हुए मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था…

मैं मन ही मन दुआ कर रही थी कि, जो मैं सोच रही हूँ….वो ग़लत निकले….पर होनी को कॉन टाल सकता है….मैं ऊपेर पहुँची तो, देखा मेरे रूम का डोर बंद था. पर लॉक्ड नही था…क्योंकि थोड़ा सा खुला हुआ था….जिससे डोर के अंदर की तरफ जो परदा लगा हुआ था, वो मुझे सॉफ नज़र आ रहा था…

मैं धीरे-2 उस रूम की तरफ बढ़ने लगी…..मेरे हाथ पैर अंजानी उत्सुकता और डर की वजह से कांप रहे थे…..जब मैं डोर के पास पहुँची तो मुझे भाभी के मस्ती मैं सिसकने की आवाज़ आई….”अहह राज तेरा लंड तां कमाल दा है….हाई सीधा धुनि तक जनदा है…हाई और तेज कासे मार…छेती नाल मेरी फुददी दे अग्ग नू बुझा दे…” भाभी के मूह से ऐसी गंदे बातें सुन कर तो मेरा कलेजा मूह को आ गया….मेरा दिल तो कर रहा था कि, अभी अंदर जाऊ….और राज के बच्चे को खेंच कर घर से बाहर फेंक दूं….

पर मैं ऐसा नही कर सकती थी….मैं घर मे किसी भी तरह का ड्रामा क्रियेट नही कर सकती थी….मैं नही चाहती थी कि, उस राज की वजह से हमारे घर मे तनाव आए. मुझे ठंडे दिमाग़ से काम लेना होगा….नही तो सब कुछ बिखर सकता है….राज तो जैसा है सो है…पर भाभी को क्या हुआ, वो तो समझदार है….छी….मुझे यकीन नही हो रहा था कि, भाभी इस कदर तक गिर सकती है….मुझे भाभी से भी नफ़रत सी होने लगी थी…

तभी मुझे रूम मे से थप-2 थाप-2 आह ओह्ह्ह्ह धीरे राज हाई मेरी फुद्दि फॅट गयी हाई….ओह अहह अहह और ज़ोर से मार घसे मेरी फुद्दि मे ओह्ह्ह्ह…” की आवाज़े सुनाई देनी लगी….ना चाहते हुए भी मेरे हाथ खुद ब खुद पर्दे की तरफ बढ़ गये….मैने हल्का सा परदा साइड मे करके देखा तो अंदर का नज़र देख मेरा खून का दौरा मानो कुछ पल के लिए रुक गया हो….भाभी बेड पर किसी चुदास कुतिया की तरह डॉगी स्टाइल मे थी….और राज उसके ऊपेर चढ़ा हुआ, पीछे से उससे सटा सॅट चोद रहा था….मुझे भाभी की चुनमुनियाँ मे राज का अंदर बाहर होता बाबूराव सॉफ नज़र आ रहा था….उसने भाभी के बालो को पकड़ रखा था….और भाभी भी हीट मे आई हुई कुतिया की तरह ऊपेर सर उठा कर अपनी गान्ड को पीछे की तरफ धकेल रही थी…

भाभी की चुनमुनियाँ से निकल रहा काम रस उसकी फांको से बह कर नीचे बेड पर टपक रहा था…आरके ने तो कभी मुझे इस तरह नही चोदा था….भाभी की चुनमुनियाँ पर कितने जबर्दश्त प्रहार राज के बाबूराव से हो रहे थे….उसका अंदाज़ा उनके चुतड़ों के और राज की जाँघो के टकराने की आवाज़ सुन कर ही लगाया जा सकता था…मुझे पता नही क्या हो गया था….मुझे मेरी जाँघो के जोड़ो मे अजीब सी टीस उठती हुई महसूस होने लगी थी….अब मैं और ज़्यादा देर वहाँ खड़ी नही रह सकती थी….

मैं वैसे ही दबे पाँव पीछे हटी, और फिर नीचे आ गयी….और भाभी के रूम मे आकर बैठ गयी…करीब 15 मिनिट बाद मुझे भाभी और राज के नीचे उतरने की आवाज़ आई….राज अपने रूम मे चला गया…और जैसे ही भाभी अपने रूम मे आई, तो सामने मुझे अपने बेड पर बैठे देख कर भाभी के चेहरे का रंग एक दम से उड़ गया…..डर के मारे उसके हाथ पैर काँपने लगी…..
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superstar wrote:Phadu story he
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Re: हवस की प्यासी दो कलियाँ

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भाभी: त तू डॉली तुम तो मिस्टर वेर्मा के यहाँ…..?

मैं: हाँ गयी थी….सिर्फ़ तुम्हे दिखाने के लिए भाभी….मुझे नही पता था कि, भाभी मेरी पीठ पीछे क्या गुल खिला रही है……

भाभी: ये ये तू क्या बोल रही है डॉली….गेट तो लॉक था…तू अंदर कैसे आई….?

मैं: वो सब छोड़ो…और अब ये नाटक बंद करो….मुझे सब पता चल गया है…और खुद मैने अपनी आँखो से देख भी लिया है….कि तुम हमारी पीठ पीछे उस आवारा राज के सामने क्या गुल खिला रही हो….

भाभी: देखो डॉली अभी तुम शांत हो जाओ…मैं तुम्हे सब बता दूँगी….पर अभी शांत हो जाओ…..मैं मैं मैंन बताउन्गी ना तुम्हे सब….

मैं: अब बताने को बचा ही क्या है….जो मेने आँखो से देखा है…वो झूठ तो नही हो सकता ना…और आप आपने एक बार नही सोचा, कि अगर मुझे या भैया को पता चलेगा तो हम पर क्या बीतेगी…..आप भैया के साथ उनके पीठ पीछे उन्हे धोखा दे रही है…..

भाभी: ओके डॉली तो सुनो आज तुम्हे अपने भैया पर तरस आने लगा है….उस दिन तुम कहाँ थी….जब तुम्हारे भैया….मुझे छोड़ कर खुद नशे की हालत मे दर ब दर भटकते रहते थे….जब से उस आदमी से शादी हुई है…कभी एक दिन ऐसा नही देखा. जिसमे उसने मुझे कोई खुशी दी हो…अगर मेने अपनी लाइफ के कुछ पल एंजाय कर भी लिए तो तुम्हारा क्या जाता है….

मैं: अच्छा ये बात है….आप भैया को धोखा देकर अपनी लाइफ एंजाय करना चाहती हो….

भाभी: देखो डॉली अब तुम्हारे समझ मे मेरी बात नही आएगी….तुम्हारी शादी जो हो गयी है…तुम्हे क्या पता कि आदमी के बिना औरत की क्या जिंदगी होती है….तुम्हारी लाइफ तो सेट हो गयी है ना…डॉली फरक सिर्फ़ इतना है कि, तुम्हे और आरके को चुदाई करने का लाइसेन्स मिला हुआ है….और हम जो कर रहे थे….वो जायज़ नही है…पर कब तक मैं अपने अंदर ही अंदर यूँ घुट-2 कर जीती रहूं….

मैं भी तो तेरी तरह औरत हूँ…क्या मेरा दिल नही करता…तुझे ये सब बताना है नी अपने भाई को, तो जाकर बता दे….पर मेरे एक बात सुन ली डॉली….मैं घर छोड़ दूँगी. पर अगर तुम सोच रही हो कि, मैं अपनी लाइफ एंजाय करना छोड़ कर पल-2 मरती रहूं तो वो मुझसे नही होगा…पिछले 7 साल और किया भी क्या है मेने…जाओ तुम्हे जो करना है कर लो…..

भाभी बाथरूम मे चली गयी…मैं थोड़ी देर वही बैठी रही और फिर उठ कर ऊपेर अपने रूम मे आ गयी….भाभी की बातों ने मुझे झिझोड़ कर रख दिया था…किसी हद तक भाभी सही भी थी….पर मैं उससे राज के साथ बर्दाश्त नही कर सकती थी…

जब मैं ऊपेर आई और कुछ देर लेटने के बाद मेरा गुस्सा थोड़ा कम हुआ तो, मुझे बेडशीट पर लगे भाभी की चुनमुनियाँ से निकले काम रस और राज के बाबूराव से निकले वीर्य के निशान दिखाई दिए…..उनकी सुंगध जैसे ही मेरे नथुनो मे घुसी मुझे अजीब सा नशा सा चढ़ने लगा था….मेरी आँखो के सामने एक बार फिर से वही मंज़र आ गया. जब राज का बाबूराव भाभी की चुनमुनियाँ मे पूरा घुसता तो राज की जांघे भाभी के गान्ड से टकराती तो उनके दोनो मोटे -2 भरे हुए चूतड़ कांप जाते….

मेरी जांघे आपस मे भिचती चली जा रही थी….मुझे आज फिर से अपनी चुनमुनियाँ मे वो तेज सरसराहट महसूस होने लगी थी….मेरा दिल बेचन हो उठा था….मैं मन ही मन सोच रही थी कि, इस राज से मेरा पीछा कब छूटेगा…जब से ये मेरी लाइफ मे आया है…मेरा चैन सुख सब कुछ छिन सा गया है…सोचते-2 कब शाम हो गयी पता नही चला….आज ना तो भाभी मुझे ऊपेर चाइ को बुलाने आई थी….और ना ही मैं नीचे गयी थी…..

अगले दिन जब मैं स्कूल पहुँची तो मेने भाभी को कहा कि, वो मुझे अपने फ्री पीरियड मे आकर मेरे कॅबिन मे मिलें….जब वो अपने फ्री पीरियड मे आई तो मेने उन्हे बहुत समझाया बहुत मिन्नते की…पर वो ना मानी…मेने उन्हे कहा कि, अब मैं राज को और घर मे नही रख सकती…पर इस पर उल्टा ही मुझ पर बरस पड़ी….उस दिन हम दोनो के बीच बहुत बहस हुई…उस दिन स्कूल के बाद मुझे एक्सट्रा क्लास के लिए रुकना ज़रूरी था. भाभी और राज घर चले गये थे….

पर मेरा ध्यान उन दोनो मे ही अटका हुआ था…..भाभी ने राज को हमारे बीच हुई सारी बात बता दी थी….मुझे रह रह कर ये ख़याल आ रहा था कि, अब वो घर मे क्या कर रहे होंगे…..खैर जैसे तैसे टाइम गुज़रा…और स्कूल के बाद जब मैं घर पहुँची तो भैया ने रूम का डोर खोला और कहा कि यही से अंदर आ जाओ.…क्योंकि उनके रूम का जो डोर बाहर की तरफ खुलता था….वो उनके बेड के पास ही था….इसलिए उन्हे उठना नही पड़ता था….जब मेने भाभी का पूछा तो उन्होने कहा कि पीछे रूम मे है, राज को पढ़ा रही है….मेने भैया की तरफ देखा और मन ही मन सोचा कि वो रांड़ आपकी पत्नी उसे पढ़ा नही रही है, खुद उससे चुदाई के सबक सीख रही होगी….

मैं भैया के रूम से निकल कर भाभी के रूम तरफ जाने लगी….जैसे ही मैं रूम मे पहुँची तो सामने का नज़ारा देख एक बार तो मेरे होश ही उड़ गये…राज सोफे पर पीछे की तरफ पीठ टिका कर बैठा हुआ था…और भाभी उसकी जाँघो के दोनो तरफ घुटने सोफे पर टिकाए हुए उसके ऊपेर बैठी थी…राज की जांघे और भाभी के चूतड़ उसकी मॅक्सी से ढके हुए थी……”ये ये क्या हो रहा है…छी शरम आनी चाहिए तुम लोगो को….”

राज: (हंसते हुए) तुम्हे नही पता क्या हो रहा है…देखन चाहती हो….? (उसने भाभी के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा…दोनो ने एक दूसरे को देखा तो भाभी ने अपना सर को झुका लिया…शायद वो राज के मजबूर करने पर ये सब कर रही थी,…)

तभी राज ने भाभी की मॅक्सी को पकड़ कर उनकी गान्ड से ऊपेर उठा दिया…ये देख कर कि भाभी नीचे से बिल्कुल नंगी राज की गोद मे बैठी हुई है…मेरी आँखे खुली की खुली रह गयी….उसके बड़े-2 चूतड़ राज की जाँघो पर दबे हुए थे…फिर राज ने दोनो हाथो से भाभी के चुतड़ों को पकड़ कर फेलाते हुए थोड़ा सा ऊपेर उठा दिया… तभी मुझे भाभी की चुनमुनियाँ मे फँसा हुआ राज का मोटा बाबूराव जैसे ही नज़र आया.. तो मेरा पूरा बदन एक दम से कांप गया….

मैं दूसरी तरफ पलट गयी…..”शरम आनी चाहिए तुम लोगो को…..तुम लोगो ने तो सभी हदें पार कर दी है….” मैं वहाँ से बाहर आई और सीधा ऊपेर चली गयी…..पर उस रात तो हद ही हो गयी…जब राज और भाभी ने ऊपेर आकर मेरे रूम के आगे बने हुए किचिन को चुदाई खाने में बदल दिया…सारी रात मुझे भाभी की बुरी तरह चुदने की आवाज़ आती रही…….

मुझे अपने ही घर मे ये सब कुछ देखते हुए चुप रहना पड़ रहा था…मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, मैं आख़िर करूँ तो क्या करूँ…..एक दिल कहता कि भाभी जो कह रही थी वो ठीक है….पर यहाँ राज की बात आती मेरा खून खोल उठता…मैं ये भी जानती थी कि, राज हमेशा तो हमारी जिंदगी मे नही रहने वाला….वो तो ऐसा मनचला है….जो कभी एक का होकर रह ही नही सकता….

सब सोचने और समझने के बाद मेने डिसाइड कर लिया कि, राज की वजह से मैं अपने और भाभी के बीच के रीलेशन को नही बिगाड़ूँगी……इसलिए मेने भाभी के साथ स्कूल मे फ्री पीरियड मे बात की, वो चाहे जो भी करें…पर हद मे रह कर करें…मेरे सामने ऐसे वैसा कुछ नही करेंगे….भाभी मेरी बात पर राज़ी हो गयी थी…..

सॅटर्डे का दिन था…..आज आरके भी घर आने वाले थी….जब से मेने भाभी को डॉगी स्टाइल मे चुदते हुए देखा था….मेरा दिल भी करने लगा था कि, आरके भी मुझे उसी तरह उसी जोश मे जबरदस्त तरीके से चोदे….वही आवाज़े हमारी चुदाई की भी सुनाई दें…मैं स्कूल से बाहर निकली और बस स्टॅंड की तरफ जाने लगी…राज और भाभी तो पहले ही चले गये थे…और एक्सट्रा क्लासस के बाद 2 बजे सॅटर्डे को स्कूल क्लोज़ होता था….
(¨`·.·´¨) Always
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`·.¸.·´ -- Raj sharma
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