हवस की प्यासी दो कलियाँ complete

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rajaarkey
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Re: हवस की प्यासी दो कलियाँ

Post by rajaarkey »

कभी मेरे होंटो को छोड़ कर मेरी चुचियाँ और निपल्स को चूसना शुरू कर देता, तो कभी मेरे गालो और होंटो….मैं फिर से गरम होने लगी थी…उसने मुझे लेटे-2 ही घुमाया और मुझे अपने ऊपेर ले आया…..मैने भी बिना रुके अपनी गान्ड को ऊपेर नीचे करना शुरू कर दिया….उसका बाबूराव फिर से मेरी चुनमुनियाँ के पानी से तर होकर अंदर बाहर होने लगा…इस बार हम दोनो 10 मिनिट बाद एक साथ झडे…..

उसके वीर्य ने मेरी चुनमुनियाँ को पूरी रात मे इतना भर दिया कि, मैं सारी रात उससे लिपट कर लेटी रही….उसके बाद जो उस रात शुरू हुआ, वो आगे 3 साल तक चला…..मैं उसके जाल मे ऐसी फँसती चली गयी कि, मुझे याद नही कब मेने और भाभी ने उसके साथ मिल कर थ्रीसम करना शुरू कर दिया….जब वो मेरी चुनमुनियाँ मे अपने बाबूराव को अंदर बाहर कर रहा होता तो, भाभी झुक कर मेरी चुनमुनियाँ की क्लिट पर अपनी जीभ चला रही होती…एक ऐसा सुखद अनुभव था…..जो मैं कभी भूल नही सकती….

बीच मे जब पति महोदय आते तो, राज अक्सर किचिन की छत पर चढ़ कर मुझे आरके से चुदवाते हुए देखता. और मैं भी आरके के बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ मे लेते हुए, उसे दिखाती….इन सब मे मुझे अजीब सा मज़ा आता….आज उस रात को बीते हुए 4 साल बीत चुके है…1 साल पहले ही मैने एक बेटे को जनम दिया था….पर तब राज ग्रॅजुयेशन करके, ललिता से शादी करके अपने मम्मी पापा के पास आब्रॅड जा चुका था…

आज भी जब आरके मेरे साथ सेक्स कर रहे थे…..तब भी मेरी नज़रे उस रोशनदान पर थी…काश मुझे उस निर्मोही की एक झलक ही मिल जाती…..


दोस्तो ये कहानी यही समाप्त होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए अलविदा

समाप्त
एंड

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
Jaunpur

Re: हवस की प्यासी दो कलियाँ complete

Post by Jaunpur »

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Nice ending.
Thanks for completing the story.

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