पाप पुण्य complete
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Re: पाप पुण्य
Shukriya Dosto
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Re: पाप पुण्य
आह फ़क मी हह आह लड़की चिल्ला रही थी. ये वोही लड़की थी जिसे मैंने दोपहर को फिल्म में देखा था बस अंतर इतना था की काले आदमी की जगह अब उसे मैं चोद रहा था. फ़क मी आह यस आह मेरी ऑंखें बंद थी तभी मुझे कुछ गीला गीला लगा मेरी ऑंखें खुल चुकी थी और मेरा सपना टूट गया था पर मेरे लंड ने सपना देखते देखते ही पानी छोड़ दिया था. सामने घडी में रात के दो बज रहे थे. नाईट बल्ब की लाल रौशनी कमरे में फैली हुई थी और सामने के बेड पर रश्मि दीदी सो रही थी. दीदी सीधे लेती हुई थी. उनकी चून्चिया बिलकुल सीधे तनी हुई थी और उनकी सांसो के साथ जुगलबंदी कर रही थी. मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए और मेरी नज़रे उन उभारो पर जम गयी और मेरे पैजामे में फिर से वोही हलचल होने लगी. मुझे समझ नहीं आ रहा था की अपनी बेहेन को देख कर क्यों मुझे ऐसा हो रहा है. मैं गिल्ट फील करने लगा और उठकर बाथरूम चला गया और लौट कर नाईट बल्ब बंद करके सो गया.
अगली सुबह मेरी आँख ८ बजे खुली तो मैंने देखा की दीदी का बैग टेबल पर रखा है मतलब दीदी कॉलेज नहीं गयी थी. मैं फ्रेश हुआ और नीचे ड्राइंग रूम में चला गया. रश्मि दीदी सोफे पर बैठ कर टीवी पर न्यूज़ देख रही थीं. मुझे फिर रात की बात याद आ गयी और फिर से मुझे गिल्ट फील होने लगा.
अरे तू जाग गया. आ बैठ. दीदी मुस्कुराते हुए बोली.
आप कॉलेज नहीं गयी दीदी मैंने पुछा.
लो कर लो बात. कहा दिमाग रहता है तेरा. अरे सन्डे को कॉलेज कब से खुलने लगा भाई.
अरे हाँ आज तो सन्डे है. मम्मी और पापा कहा है. मैंने पुछा और मन में सोचा की रिशू के साथ रहते हुए मै भी कैसा होता जा रहा हूँ.
वो तो बुआ के यहाँ गए है शाम तक आएंगे. दीदी टीवी देखते हुए बोली. मम्मी नाश्ता और खाना बना कर गयी है. चाहिए तो मांगना मैं दे दूँगी. मैंने भी अभी नाश्ता नहीं किया है.
मैंने कहा दे दो और दीदी किचेन में चली गयी और मैं रिमोट लेकर चैनल बदलने लगा पर रिमोट के सेल वीक हो गए थे और कई बार बटन दबाने से के बाद बड़ी मुश्किल से एक चैनल लगा जसमे जानवरों के बारे में बता रहे थे तो मैं वही देखने लगा. थोड़ी देर में दीदी नाश्ता ले आई और हम दोनों नाश्ता करने लगे.
तू बड़ा होकर जरूर जानवरों का डॉक्टर बनेगा दीदी हँसते हुए बोली.
क्यों दीदी. मैं बोला
सारा दिन टीवी पर जानवरों को जो देखता रहता है. दीदी अपने रेशमी बालो को खोलकर अपने सीने पर डालते हुए बोली. मेरा तो बुरा हाल हो गया. एक तो दीदी इतनी खूबसूरत और उस पर जब वो अपने बाल खोल लेती हैं तो बॉलीवुड क्या हॉलीवुड भी फ़ैल हो जाता है.
ला अपना लेफ्ट हैण्ड दे मैं तेरा फ्यूचर बताती हूँ. कहते हुए दीदी ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया. क्या मुलायम हाथ था उनके हाथो में मेरा हाथ एकदम काला नज़र आ रहा था. हां तो तू बड़ा होकर एक बहुत बड़ा हां जोकर बनेगा. दीदी मेरा मजाक बना कर हंस रही थी पर मैं उनकी ख़ूबसूरती को निहार रहा था.
थोडा हंसी मजाक के बाद हम फिर से टीवी देखने लगे. फिर कुछ ऐसा हुआ की मेरी ही नहीं दीदी की भी हंसी रुक गयी. दरअसल टीवी पर कुछ जेब्रा दिखाए जा रहे थे की अचानक एक मेल जेब्रा फीमेल जेब्रा को पीछे से सूंघने लगा और चाटने लगा. चैनल के कैमरामैन का पूरा फोकस अब वही पर था. फिर कैमरे का फोकस जेब्रा की टैंगो की तरफ हुआ और अब उसका लंड पूरा लाल हो कर विशालकाय रूप ले चूका था. उसका लंड देख कर ही हम दोनों की हंसी रुक गयी थी और आवाज़ बंद हो गयी थी. मैंने दीदी की तरफ देखा वो बिना पलकें झपकाए एकटक टीवी देख रही थी. उनके सीने के उभर कुछ और तन गए थे. उनकी सांस भी कुछ तेज चल रही थी. अचानक उन्होंने मुझे देखा और उनका चेहरा शर्म से लाल हो गया और उन्होंने बिना कुछ बोले रिमोट उठाया और चैनल चेंज करने की कोशिश करने लगी पर बैटरी वीक होने की वजह से चैनल नहीं बदला और वो जेब्रा फीमेल जेब्रा पर चढ़ गया. मेरा हाथ अभी भी दीदी के हाथ में था जो उनकी जांघ पर रखा था. उनकी कोमल त्वचा का एहसास मुझे उनके पैजामे के ऊपर से भी हो रहा था.तभी जेब्रा ने एक ही झटके में अपना विशाल लंड फीमेल जेब्रा की चूत में घुसा दिया और दीदी ने उस पहले झटके के साथ ही मेरा हाथ कास के भींच लिया. मेरी हालत बहुत बुरी हो गयी थी ऐसा लग रहा था की मैं दीदी के साथ बैठ कर ब्लू फिल्म देख रहा हूँ. मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था और उधर जेब्रा लगातार झटके मार रहा था.
मुझ पर सेक्स का नशा चढ़ता जा रहा था और अब दीदी भी चैनल बदलने की कोशिश नहीं कर रही थी. कुछ तो उन जानवरों का सेक्स देख कर और कुछ दीदी की नरम जांघ की गर्मी मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपने हाथों को थोडा खोला और दीदी की राईट जांघ, जिस पर मेरा हाथ था, को कस कर दबा दिया... बस मेरे लिए इतना ही काफी था और मेरे लंड ने पानी छोड दिया. तभी फ़ोन की रिंग बजी और दीदी जैसे नींद से जागी और फ़ोन उठाने के लिए चली गयी और मैं बाथरूम की तरफ.
अगली सुबह मेरी आँख ८ बजे खुली तो मैंने देखा की दीदी का बैग टेबल पर रखा है मतलब दीदी कॉलेज नहीं गयी थी. मैं फ्रेश हुआ और नीचे ड्राइंग रूम में चला गया. रश्मि दीदी सोफे पर बैठ कर टीवी पर न्यूज़ देख रही थीं. मुझे फिर रात की बात याद आ गयी और फिर से मुझे गिल्ट फील होने लगा.
अरे तू जाग गया. आ बैठ. दीदी मुस्कुराते हुए बोली.
आप कॉलेज नहीं गयी दीदी मैंने पुछा.
लो कर लो बात. कहा दिमाग रहता है तेरा. अरे सन्डे को कॉलेज कब से खुलने लगा भाई.
अरे हाँ आज तो सन्डे है. मम्मी और पापा कहा है. मैंने पुछा और मन में सोचा की रिशू के साथ रहते हुए मै भी कैसा होता जा रहा हूँ.
वो तो बुआ के यहाँ गए है शाम तक आएंगे. दीदी टीवी देखते हुए बोली. मम्मी नाश्ता और खाना बना कर गयी है. चाहिए तो मांगना मैं दे दूँगी. मैंने भी अभी नाश्ता नहीं किया है.
मैंने कहा दे दो और दीदी किचेन में चली गयी और मैं रिमोट लेकर चैनल बदलने लगा पर रिमोट के सेल वीक हो गए थे और कई बार बटन दबाने से के बाद बड़ी मुश्किल से एक चैनल लगा जसमे जानवरों के बारे में बता रहे थे तो मैं वही देखने लगा. थोड़ी देर में दीदी नाश्ता ले आई और हम दोनों नाश्ता करने लगे.
तू बड़ा होकर जरूर जानवरों का डॉक्टर बनेगा दीदी हँसते हुए बोली.
क्यों दीदी. मैं बोला
सारा दिन टीवी पर जानवरों को जो देखता रहता है. दीदी अपने रेशमी बालो को खोलकर अपने सीने पर डालते हुए बोली. मेरा तो बुरा हाल हो गया. एक तो दीदी इतनी खूबसूरत और उस पर जब वो अपने बाल खोल लेती हैं तो बॉलीवुड क्या हॉलीवुड भी फ़ैल हो जाता है.
ला अपना लेफ्ट हैण्ड दे मैं तेरा फ्यूचर बताती हूँ. कहते हुए दीदी ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया. क्या मुलायम हाथ था उनके हाथो में मेरा हाथ एकदम काला नज़र आ रहा था. हां तो तू बड़ा होकर एक बहुत बड़ा हां जोकर बनेगा. दीदी मेरा मजाक बना कर हंस रही थी पर मैं उनकी ख़ूबसूरती को निहार रहा था.
थोडा हंसी मजाक के बाद हम फिर से टीवी देखने लगे. फिर कुछ ऐसा हुआ की मेरी ही नहीं दीदी की भी हंसी रुक गयी. दरअसल टीवी पर कुछ जेब्रा दिखाए जा रहे थे की अचानक एक मेल जेब्रा फीमेल जेब्रा को पीछे से सूंघने लगा और चाटने लगा. चैनल के कैमरामैन का पूरा फोकस अब वही पर था. फिर कैमरे का फोकस जेब्रा की टैंगो की तरफ हुआ और अब उसका लंड पूरा लाल हो कर विशालकाय रूप ले चूका था. उसका लंड देख कर ही हम दोनों की हंसी रुक गयी थी और आवाज़ बंद हो गयी थी. मैंने दीदी की तरफ देखा वो बिना पलकें झपकाए एकटक टीवी देख रही थी. उनके सीने के उभर कुछ और तन गए थे. उनकी सांस भी कुछ तेज चल रही थी. अचानक उन्होंने मुझे देखा और उनका चेहरा शर्म से लाल हो गया और उन्होंने बिना कुछ बोले रिमोट उठाया और चैनल चेंज करने की कोशिश करने लगी पर बैटरी वीक होने की वजह से चैनल नहीं बदला और वो जेब्रा फीमेल जेब्रा पर चढ़ गया. मेरा हाथ अभी भी दीदी के हाथ में था जो उनकी जांघ पर रखा था. उनकी कोमल त्वचा का एहसास मुझे उनके पैजामे के ऊपर से भी हो रहा था.तभी जेब्रा ने एक ही झटके में अपना विशाल लंड फीमेल जेब्रा की चूत में घुसा दिया और दीदी ने उस पहले झटके के साथ ही मेरा हाथ कास के भींच लिया. मेरी हालत बहुत बुरी हो गयी थी ऐसा लग रहा था की मैं दीदी के साथ बैठ कर ब्लू फिल्म देख रहा हूँ. मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था और उधर जेब्रा लगातार झटके मार रहा था.
मुझ पर सेक्स का नशा चढ़ता जा रहा था और अब दीदी भी चैनल बदलने की कोशिश नहीं कर रही थी. कुछ तो उन जानवरों का सेक्स देख कर और कुछ दीदी की नरम जांघ की गर्मी मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपने हाथों को थोडा खोला और दीदी की राईट जांघ, जिस पर मेरा हाथ था, को कस कर दबा दिया... बस मेरे लिए इतना ही काफी था और मेरे लंड ने पानी छोड दिया. तभी फ़ोन की रिंग बजी और दीदी जैसे नींद से जागी और फ़ोन उठाने के लिए चली गयी और मैं बाथरूम की तरफ.
- jay
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Re: पाप पुण्य
mast update
Read my other stories
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Re: पाप पुण्य
nice plz continue
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
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Re: पाप पुण्य
बस उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ. बस हम दोनों के बीच ज्यादा बात नहीं हुई और धीरे धीरे एक हफ्ता बीत गया. मैं रिशू के साथ एक दो बार साइबर कैफ़े भी हो आया और रिशू के साथ अब मैं खुल कर सेक्स के बारे में बात करने लगा. उसकी सेक्स की नॉलेज सिर्फ बुक और फिल्म तक ही नहीं थी बल्कि उसकी बातो से लगता था की उसने कई बार प्रक्टिकल भी किया था पर किसके साथ ये उसने मुझे नहीं बताया.
कुछ दिनों बाद पापा दीदी के लिए घर में ही कंप्यूटर ले आये थे और मैं अक्सर उसपर गेम खेलता रहता था. मेरे पेपर हो गए थे और हम रिजल्ट का वेट कर रहे थे. गर्मी की छुट्टिया शुरू हो गयी थी. उस दिन भी मैं गेम खेल रहा था. फ्राइडे का दिन था. दीदी मेरे पास आकर बोली चलो कंप्यूटर बंद करो और मेरे साथ बैंक चलो.
क्यों दीदी क्या हुआ.
अरे मुझे एक फॉर्म के साथ ड्राफ्ट भी लगाना है जल्दी से तैयार हो जा.
जब मैं तैयार हो कर नीचे पहुंचा तो दीदी ने भी ड्रेस चेंज करके एक ग्रीन कलर का कुरता और ब्लैक चूडीदार पहन लिया था और अपने रेशमी बालों की एक लम्बी पोनी बनी हुई थी.
जल्दी कर मोनू बैंक बंद होने वाला होगा. आज मेरे को ड्राफ्ट बनवाना ही है. कल फॉर्म भरने की लास्ट डेट है बोलते बोलते दीदी सैंडल पहनने के लिए झुकी तो उनके कुरते के अन्दर कैद वो गोरे गोरे उभार मुझे नज़र आ गए. मेरा दिल फिर से डोल गया और हम बैंक की तरफ चल पड़े.
मैंने मेह्सूस किया की लगभग हर उम्र का आदमी दीदी को हवस भरी नज़रो से घूर रहा था. पर दीदी उनपर ध्यान न देते हुए चलती जा रही थी. मुझे अपने ऊपर बड़ा फक्र हुआ की मैं इतनी खूबसूरत लड़की के साथ चल रहा था भले ही वो मेरी बहन ही.हम १५ मिनट में बैंक पहुँच गए पर उस दिन बैंक में बहुत भीड़ थी. ड्राफ्ट वाली लाइन एक दम कोने में थी और उसके आस पास कोई और लाइन नहीं थी. शुक्र था की वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी.
मोनू तू यहाँ बैठ जा और ये पेपर पकड़ ले मैं लाइन में लगती हूँ दीदी बैग से कुछ पेपर निकलते हुए बोली.
मैं वही साइड पर रखी बेंच पर बैठ गया और दीदी कोने में जाकर लाइन में लग गयी. मैं बैठा देख रहा था की बैंक की ईमारत की हालत खस्ता थी. एक बड़ा हाल जिसमे हम लोग बैठे थे. और बाकि तीन तरफ कुछ कमरे बने थे. कुछ खुले थे कुछ में ताला लगा था. जिस जगह मैं बैठा था उसके पीछे के कमरे में तो सिर्फ टूटा फर्निचर ही भरा था.
खैर ये तो उस समय के हर सरकारी बैंक का हाल था. जहाँ दीदी खड़ी थी उस जगह तो tubelight भी नहीं जल रही थी, अँधेरा सा था. दीदी मेरी तरफ देख रहीं थी और मुझसे नज़र मिलने पर उन्होंने एक हलकी सी तिरछी स्माइल दी जैसे कह रही हो ये कहा फंस गए हम.
तभी दीदी के पीछे एक आदमी और लाइन में लग गया जिसकी उम्र करीब ३५ साल होगी. वो गुटका खा रहा था. उसने एक दम पुराने घिसे हुए से कपडे पहने थे. एक दम काले तवे जैसा उसका रंग था. गर्मी भी काफी हो रही थी.
कितनी भीड़ है बहेंनचोद... उसने गुटका थूकते हुए कहा.
तभी उसका फ़ोन बजा मैं तो अचम्भे में पड़ गया की ऐसे आदमी के पास मोबाइल फ़ोन कैसे आ गया. उस वक़्त मोबाइल रखना एक बहुत बड़ी बात थी वो भी हमारे छोटे से शहर में.
फ़ोन उठाते ही वो सामने वाले को गलिया देने लगा. बहन के लौड़े तेरी माँ चोद दूंगा वगेरह. दीदी भी ये सब सुन रही थी पर क्या कर सकती थी. उस आदमी को भी कोई शर्म नहीं थी की सामने लड़की है वो और भी गलिया दिए जा रहा था. मुझे गुस्सा आ रहा था पर तभी उसने फ़ोन काट दिया.
५ मिनट के बाद मैंने देखा तो मुझे लगा की जैसे वो आदमी दीदी से चिपक के खड़ा है. उसका और दीदी का कद बराबर था और उसने अपनी पेंट का उभरा हुआ हिस्सा ठीक दीदी के चूतरों पर लगा रखा था. मेरी तो दिल की धड़कन ही रुकने लगी. वो आदमी दीदी की शकल को घूर रहा था और दीदी के कुरते से उनकी पीठ कुछ ज्यादा ही नज़र आ रही थी. मुझे लगा वो अपनी सांसे दीदी की खुली पीठ पर छोड़ रहा था.
दीदी ने मेरी तरफ देखा तो मैं दूसरी तरफ देखने लगा जिससे दीदी को लगा मैंने कुछ नहीं देखा और दीदी थोडा आगे हुई तो मैंने देखा उस आदमी के पेंट में टेंट बना हुआ था उसने अपने हाथ से अपना लंड एडजस्ट किया, इधर उधर देखा और फिर से आगे बढकर दीदी से चिपक गया. अब उसकी पेंट का विशाल उभार उनके उभरे हुए चूतड़ो के बीच में कहीं खो गया. दीदी का चेहरा लाल हो गया था जिससे पता चल रहा था की दीदी के साथ जो वो आदमी कर रहा था उसको वो अच्छे से महसूस कर रही थी. एक बार को मेरा मन हुआ की जाकर उस आदमी को चांटा मार दूं पर पता नहीं क्यों मैं वही बैठा रहा और चुपचाप देखता रहा.
दीदी की तरफ से कोई विरोध न होते देख कर उस आदमी का हौसला बढ़ रहा था और वो दीदी से और ज्यादा चिपक गया और उनके बालों में अपनी नाक लगा कर सूंघने लगा. अब दीदी काफी परेशान सी दिख रही थी. दीदी की चोटी उस आदमी के बदन से रगड़ खा रही थी. मेरी बेहद खूबसूरत बहन के साथ उस गंदे आदमी को चिपके हुए देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा. तभी उस आदमी ने अपना निचला हिस्सा हिलाना शुरू कर दिया और उसका लंड पेंट के अन्दर से दीदी के उभरे हुए चूतरों पर रगड़ खाने लगा. ये हरकतें करते हुए वो आदमी दीदी के चेहरे के बदलते हुए हाव भाव देखने लगा.
उस जगह अँधेरा होने का वो आदमी अब पूरा फायदा उठा रहा था वैसे भी इतनी सुन्दर जवानी से भरपूर लड़की उसकी किस्मत में कहाँ थी. दीदी न जाने क्यों उसे रोक नहीं रही थी और बीच बीच में मुझे भी देख रही थी की कहीं मैं तो नहीं देख रहा हूँ. मैंने एक अख़बार उठा लिया था और उसको पढने के बहाने कनखियों से दीदी को देख रहा था. जब दीदी को लगा मैंने कुछ नहीं देखा तो वो थोड़ी रिलैक्स लगने लगी.
वो आदमी लगभग १० मिनट से दीदी के कपड़ो के ऊपर से ही खड़े खड़े अपना लंड अन्दर बहार कर रहा था. तभी मुझे लगा उस आदमी ने दीदी के कान में कुछ बोला जिसका दीदी ने कुछ जवाब नहीं दिया. फिर उस आदमी ने अपना दीवार की तरफ वाला हाथ उठा कर शायद दीदी की चूंची को साइड दबा दिया और दीदी की ऑंखें ५ सेकंड के लिए बंद हो गयी और उनके दान्त उनके रसीले होंठो को काटने लगे.
मुझे ठीक से समझ नहीं आया पर शायद वो आदमी हवस के नशे में दीदी की चूंची को ज्यादा ही जोर से दबा गया था.
कुछ दिनों बाद पापा दीदी के लिए घर में ही कंप्यूटर ले आये थे और मैं अक्सर उसपर गेम खेलता रहता था. मेरे पेपर हो गए थे और हम रिजल्ट का वेट कर रहे थे. गर्मी की छुट्टिया शुरू हो गयी थी. उस दिन भी मैं गेम खेल रहा था. फ्राइडे का दिन था. दीदी मेरे पास आकर बोली चलो कंप्यूटर बंद करो और मेरे साथ बैंक चलो.
क्यों दीदी क्या हुआ.
अरे मुझे एक फॉर्म के साथ ड्राफ्ट भी लगाना है जल्दी से तैयार हो जा.
जब मैं तैयार हो कर नीचे पहुंचा तो दीदी ने भी ड्रेस चेंज करके एक ग्रीन कलर का कुरता और ब्लैक चूडीदार पहन लिया था और अपने रेशमी बालों की एक लम्बी पोनी बनी हुई थी.
जल्दी कर मोनू बैंक बंद होने वाला होगा. आज मेरे को ड्राफ्ट बनवाना ही है. कल फॉर्म भरने की लास्ट डेट है बोलते बोलते दीदी सैंडल पहनने के लिए झुकी तो उनके कुरते के अन्दर कैद वो गोरे गोरे उभार मुझे नज़र आ गए. मेरा दिल फिर से डोल गया और हम बैंक की तरफ चल पड़े.
मैंने मेह्सूस किया की लगभग हर उम्र का आदमी दीदी को हवस भरी नज़रो से घूर रहा था. पर दीदी उनपर ध्यान न देते हुए चलती जा रही थी. मुझे अपने ऊपर बड़ा फक्र हुआ की मैं इतनी खूबसूरत लड़की के साथ चल रहा था भले ही वो मेरी बहन ही.हम १५ मिनट में बैंक पहुँच गए पर उस दिन बैंक में बहुत भीड़ थी. ड्राफ्ट वाली लाइन एक दम कोने में थी और उसके आस पास कोई और लाइन नहीं थी. शुक्र था की वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी.
मोनू तू यहाँ बैठ जा और ये पेपर पकड़ ले मैं लाइन में लगती हूँ दीदी बैग से कुछ पेपर निकलते हुए बोली.
मैं वही साइड पर रखी बेंच पर बैठ गया और दीदी कोने में जाकर लाइन में लग गयी. मैं बैठा देख रहा था की बैंक की ईमारत की हालत खस्ता थी. एक बड़ा हाल जिसमे हम लोग बैठे थे. और बाकि तीन तरफ कुछ कमरे बने थे. कुछ खुले थे कुछ में ताला लगा था. जिस जगह मैं बैठा था उसके पीछे के कमरे में तो सिर्फ टूटा फर्निचर ही भरा था.
खैर ये तो उस समय के हर सरकारी बैंक का हाल था. जहाँ दीदी खड़ी थी उस जगह तो tubelight भी नहीं जल रही थी, अँधेरा सा था. दीदी मेरी तरफ देख रहीं थी और मुझसे नज़र मिलने पर उन्होंने एक हलकी सी तिरछी स्माइल दी जैसे कह रही हो ये कहा फंस गए हम.
तभी दीदी के पीछे एक आदमी और लाइन में लग गया जिसकी उम्र करीब ३५ साल होगी. वो गुटका खा रहा था. उसने एक दम पुराने घिसे हुए से कपडे पहने थे. एक दम काले तवे जैसा उसका रंग था. गर्मी भी काफी हो रही थी.
कितनी भीड़ है बहेंनचोद... उसने गुटका थूकते हुए कहा.
तभी उसका फ़ोन बजा मैं तो अचम्भे में पड़ गया की ऐसे आदमी के पास मोबाइल फ़ोन कैसे आ गया. उस वक़्त मोबाइल रखना एक बहुत बड़ी बात थी वो भी हमारे छोटे से शहर में.
फ़ोन उठाते ही वो सामने वाले को गलिया देने लगा. बहन के लौड़े तेरी माँ चोद दूंगा वगेरह. दीदी भी ये सब सुन रही थी पर क्या कर सकती थी. उस आदमी को भी कोई शर्म नहीं थी की सामने लड़की है वो और भी गलिया दिए जा रहा था. मुझे गुस्सा आ रहा था पर तभी उसने फ़ोन काट दिया.
५ मिनट के बाद मैंने देखा तो मुझे लगा की जैसे वो आदमी दीदी से चिपक के खड़ा है. उसका और दीदी का कद बराबर था और उसने अपनी पेंट का उभरा हुआ हिस्सा ठीक दीदी के चूतरों पर लगा रखा था. मेरी तो दिल की धड़कन ही रुकने लगी. वो आदमी दीदी की शकल को घूर रहा था और दीदी के कुरते से उनकी पीठ कुछ ज्यादा ही नज़र आ रही थी. मुझे लगा वो अपनी सांसे दीदी की खुली पीठ पर छोड़ रहा था.
दीदी ने मेरी तरफ देखा तो मैं दूसरी तरफ देखने लगा जिससे दीदी को लगा मैंने कुछ नहीं देखा और दीदी थोडा आगे हुई तो मैंने देखा उस आदमी के पेंट में टेंट बना हुआ था उसने अपने हाथ से अपना लंड एडजस्ट किया, इधर उधर देखा और फिर से आगे बढकर दीदी से चिपक गया. अब उसकी पेंट का विशाल उभार उनके उभरे हुए चूतड़ो के बीच में कहीं खो गया. दीदी का चेहरा लाल हो गया था जिससे पता चल रहा था की दीदी के साथ जो वो आदमी कर रहा था उसको वो अच्छे से महसूस कर रही थी. एक बार को मेरा मन हुआ की जाकर उस आदमी को चांटा मार दूं पर पता नहीं क्यों मैं वही बैठा रहा और चुपचाप देखता रहा.
दीदी की तरफ से कोई विरोध न होते देख कर उस आदमी का हौसला बढ़ रहा था और वो दीदी से और ज्यादा चिपक गया और उनके बालों में अपनी नाक लगा कर सूंघने लगा. अब दीदी काफी परेशान सी दिख रही थी. दीदी की चोटी उस आदमी के बदन से रगड़ खा रही थी. मेरी बेहद खूबसूरत बहन के साथ उस गंदे आदमी को चिपके हुए देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा. तभी उस आदमी ने अपना निचला हिस्सा हिलाना शुरू कर दिया और उसका लंड पेंट के अन्दर से दीदी के उभरे हुए चूतरों पर रगड़ खाने लगा. ये हरकतें करते हुए वो आदमी दीदी के चेहरे के बदलते हुए हाव भाव देखने लगा.
उस जगह अँधेरा होने का वो आदमी अब पूरा फायदा उठा रहा था वैसे भी इतनी सुन्दर जवानी से भरपूर लड़की उसकी किस्मत में कहाँ थी. दीदी न जाने क्यों उसे रोक नहीं रही थी और बीच बीच में मुझे भी देख रही थी की कहीं मैं तो नहीं देख रहा हूँ. मैंने एक अख़बार उठा लिया था और उसको पढने के बहाने कनखियों से दीदी को देख रहा था. जब दीदी को लगा मैंने कुछ नहीं देखा तो वो थोड़ी रिलैक्स लगने लगी.
वो आदमी लगभग १० मिनट से दीदी के कपड़ो के ऊपर से ही खड़े खड़े अपना लंड अन्दर बहार कर रहा था. तभी मुझे लगा उस आदमी ने दीदी के कान में कुछ बोला जिसका दीदी ने कुछ जवाब नहीं दिया. फिर उस आदमी ने अपना दीवार की तरफ वाला हाथ उठा कर शायद दीदी की चूंची को साइड दबा दिया और दीदी की ऑंखें ५ सेकंड के लिए बंद हो गयी और उनके दान्त उनके रसीले होंठो को काटने लगे.
मुझे ठीक से समझ नहीं आया पर शायद वो आदमी हवस के नशे में दीदी की चूंची को ज्यादा ही जोर से दबा गया था.