वो जिसे प्यार कहते हैं

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rangila
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वो जिसे प्यार कहते हैं

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वो जिसे प्यार कहते हैं

भाइयो मेरी पहली कहानी समाप्त हो चुकी है इसीलिए एक और कहानी शुरू करने जा रहा हूँ आशा करता हूँ आप इसे ज़रूर पसंद करेंगे

मंडे का दिन, केवल 10 किमी का रास्ता घर से अंधेरी में ऑफीस तक, राजेश को हमेशा 25 मिनट ही लगते थे. आज ऐसा लग रहा था कि ये रास्ता कभी ख़तम ही नही होगा.

आज कुछ ऐसा ज़रूर था, कुछ मिस्सिंग सा लग रहा था. इतना अशांत वो कभी नही हुआ. कुछ ना कुछ अड़चने आती जा रही थी अभी आधा रास्ता भी तय नही हुआ था और उसे लग रहा था जैसे जन्मों से बाइक चला रहा हो.

उमसदार वातावरण उसके गुस्से को चार चाँद लगाने लगा. हर सिग्नल पे रुकना पड़ता और वो ‘टाइमिंग’ को गाली देता. हां ये ग़लत टाइमिंग की ही बात है, वरना इतने सारे झंझट एक साथ कैसे और वो भी अचानक.

राजेश दरअसल एक हफ्ते बाद ऑफीस जा रहा था. उसकी सगाई पंजाब की एक खूबसूरत लड़की सिमिरन के साथ पिछले हफ्ते हुई थी.


उसे मालूम था जिस मॅट्रिमोनियल वेबसाइट कंपनी में वो एड.-सेल्स मॅनेजर है वहाँ सब उसकी बाल की खाल निकाल निकाल कर सवाल करेंगे. और यही वो बिल्कुल नही चाहता था.

शादी नाम सोच कर ही लोग नयी आने वाली जिंदगी के बारे में कल्पनाएं करने लग जाते हैं, एक नयी उमंग, एक नया उत्साह उनमे भर जाता है, लेकिन राजेश के लिए ऐसा नही था. ये सगाई उसने ज़बरदस्ती अपने माँ बाप के कहने पे करी थी जो अमृतसर रहते हैं. सगाई के बाद ही खुश होने की जगह एक एक कर के सारी उलझने सामने आने लगी जो उसकी जिंदगी की किताब में दबी पड़ी थी.

क्या वो शादी करने के लिए मानसिक रूप से तयार है? क्या सिमिरन उसके लिए सही लड़की साबित होगी .क्या उसका ताल मेल उसके साथ बैठ जायगा, क्या वो उसके साथ अड्जस्ट कर पाएगी, या वो खुद उसके साथ अड्जस्ट कर पाएगा. क्या आज की दुनिया में अरेंज्ड मॅरेज कामयाब होगी?

पता नही क्या क्या सवाल उसके दिमाग़ में उठने लगे जिस की वजह से कभी कभी वो कहीं और खो जाता और उसकी एकाग्रता पर फरक पड़ने लगा. इस कारण वो रेड लाइट क्रॉस कर गया, शुक्र है कोई आक्सिडेंट नही हुआ, लेकिन कॉन्स्टेबल ने बहुत खुश हो कर,उसकी बाइक का नंबर. नोट कर लिया. और राजेश बाइक दौड़ाता चला गया, कॉन्स्टेबल की हरकत को नज़र-अंदाज करते हुए,जो होगा देखा जाएगा.

पोलीस कहीं रोक ना ले इस लिए उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी. अभी मुश्किल से 1किमी ही आगे गया था कि बाइक रोकनी पड़ी, सामने लोकल एंपी का जलूस जा रहा था जो उसके 15 मिनट खा गया. मज़े की बात ये वो एंपी उसी सरकार के खिलाफ जलूस निकल रहा था जिसका वो खुद मेंबर था.

इस रुकावट की वजह से उसके दिमाग़ में फिर कई सवाल खड़े हो गये अपनी फियान्से सिमरन के बारे में और अपने बॉस मूर्ति के बारे में. आगे बढ़ने पे एक एक कर हर सिग्नल पर उसे रुकना पड़ा हो, रोज उसे हरी झंडी दिखाया करते थे. ऐसा लग रहा था जैसे उसके खिलाफ कोई कॉन्स्पिरेसी करी जा रही हो – ‘बॅड टाइमिंग’.

हर सिग्नल पर जब बाइक रुकती तो वो अपनी शक्ल बॅक व्यू मिरर में ज़रुस देखता . अपनी लुक्स के लिए बहुत ही कॉन्षियस था.

कुछ देर बाद उसे बहुत ही कष्ट सा महसूस होने लगा. एक डर दिमाग़ में घर कर गया. सोचने पर महसूस किया कि डीहाइड्रेशन हो रही है. पर ऐसे क्यूँ हो रहा है, शायद आज बहुत पसीना आ रहा है इसलिए. दोपहर से पहले ही तापमान 39 को छू रहा था और उमस भी बहुत ज़यादा थी.उसकी दिमागी हालत और बिगड़ने लगी जैसे जैसे उसे और पसीना आता गया.

अपनी बाइक पे चलाते हुए , वो उम्मीद कर रहा था कि इस जानलेवा गर्मी से कब छुटकारा मिलेगा, कब मुंबई का मान्सून शुरू होगा.ये उसका पहला मान्सून होगा मुंबई में. उसने मुंबई की बारिश के बारे में बहुत सुना था और हिन्दी मूवीस में बहुत बहुत देखा था. अब मई के आखरी हफ्ते में, मुंबई की जादुई बारिश ज़यादा दूर नही थी, कुछ ही हफ्तों में शुरू हो जाएगी.

कुछ पल के लिए उसने सिमरन और खुद को इस बारिश का मज़ा लेते हुए सोचा.फिर इस ख़याल को दिमाग़ से झटक दिया, क्या वो दोनो सच में रोमॅंटिक लगेंगे मुंबई की बारिश में भीगते हुए – जैसे शाह रुख़ और काजोल लगते हैं डीडीएलजी में.

कोई भी अगर उसके दिमाग़ में घूमती हुई इन बातो को जानता तो निसंदेह उसे पागल करार कर देता.
ऐसा ही हाल था उसके दिमाग़ का जब वो ऑफीस से कुछ ही दूरी पे था.

जब राजेश ऑफीस में घुसा तो उसने ऑफीस काफ़ी खाली पाया. कम से कम एक तिहाई स्टाफ गायब था. अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ पायल – रिसेप्षनिस्ट- ने उसका स्वागत किया.

राजेश को कुछ गड़बड़ लग रही थी और पायल की बत्तीसी से कुछ पता नही चलने वाला था. वो आर्यन के ऑफीस की तरफ लपका तो ऑफीस खाली था.
‘आर्यन साहिब, बड़े बॉस के कॅबिन में हैं’ पीयान ने बताया.

आर्यन के ऑफीस में बैठ कर वेट करना ही उसे उत्तम लगा, ताकि बड़े बॉस का सामना करने से पहले करेंट स्थिती का पता चल जाए. एर कंडीशंड ऑफीस में वेट करते हुए भी वो पसीने से सराबोर हो रहा था, और बाहर की गर्मी से ज़यादा पसीना तो एसी में आ रहा था. आस पास के लोगो को घूरते हुए वो तनावग्रस्त होते हुए अपने नाख़ून चबाने लगा.

******* का दावा था कि कम से कम 10000 शादियाँ दुनिया भर में इस पोर्टल के द्वारा हुई हैं और 2 मिलियन से ज़यादा रिजिस्टर्ड लोग हैं .

एक कमर्षियल कॉंप्लेक्स के तीसरे फ्लोर पे इनका ऑफीस है, छोटा ऑफीस लेकिन प्लॅनिंग अच्छी है.

ऑफीस का दरवाजा खुलते ही सामने पायल बैठ ती है अपनी जादुई मुस्कान लिए जो हर आनेवाले का दिल मोह लेती है.

ऑफीस का एक पार्ट मार्केटिंग और फाइनान्स की लिए है जहाँ 4 कॅबिन बने हुए हैं उनमे से एक राजेश का है एक आर्यन का जो सीए है और राजेश का दोस्त भी. दूसरे हिस्से में जमघट है लड़कियों का जो वेब डिज़ाइनिंग, मेंटेनेन्स, सबस्क्रिपशन लेना वगेरा वगेरा करती हैं. रिसेप्षन के पीछे आ छोटा कॅबिन है जहाँ दो लोग बैठ सकते हैं एडिटोरियल टीम के पर अभी सिर्फ़ एक ही है समीर.

मेज़. फ्लोर पे सीईओ का ऑफीस है एक कान्फरेन्स हाल है जो मीटिंग वगेरा के लिए इस्तेमाल होता है, लोग वहाँ लंच भी कर लिया करते हैं.

किसी के आने की आवाज़ से राजेश यथार्थ में वापस आता है. गर्दन घुमा कर देखा तो आर्यन था. ‘अरे कब आया भाई, बहुत खुशी हुई तुझे देख के’ खुशी प्रकट करते हुए आर्यन राजेश के गले लगता है.

‘बस अभी थोड़ी देर पहले, क्या पंगा है मूर्ति का, सुबह तो तुम्हारी कभी उसके साथ मीटिंग नही हुआ करती थी, सब ठीक तो है’राजेश के आवाज़ में चिंता और उत्सुकता दोनो ही थे.

‘तुम्हें तो पता ही है उसके बारे में, हर वक़्त टेन्षन – छोड़ उसे – ये बता तेरे साथ क्या हुआ’

अपने ही ख़यालों में राजेश ने पूछा – ‘यार ये ऑफीस आधे से ज़यादा खाली लग रहा है’
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कुछ देर आर्यन ने सोचा क्या जवाब दे ‘ जैसा कि तुझे पता ही है, जब से लीवर ने फाइनान्सिंग बंद करी है मुस्किलें बढ़ गई हैं और मजबूरन स्टाफ को निकालना पड़ा’
राजेश का चेहरा पीला पड़ गया अपने सामने उसे पिंक स्लिप नज़र आने लगी – आड़ सेल्स मॅनेजर की ज़िम्मेवारी होती है आड़ रेवेन्यूस लाने की जो ऑफीस की रीड की हड्डी का काम करती है.

पिछले कुछ महीनो से एड रेवेन्यू ना के बराबर थे. काफ़ी अच्छे क्लाइंट दूसरी वेबसाइट्स पे शिफ्ट कर गये थे , फाइनॅन्सी भी हट गया था तो अब सारा भार राजेश के काम पर ही पंडा था यानी उसे एड रेवेन्यू बढ़ने थे इतने कॉंपिटेशन के होते हुए भी.

आर्यन और राजेश बातें कर ही रहे थे कि पीछे से आवाज़ आइी ‘ ओए हुए तू वापस आ गया, क्या चमका है चेहरे पे लगता है सिमरन का जादू चढ़ गया तेरे पे’ कहते हुए समीर राजेश को गले लगा लेता है. समीर भी पायल की तरहा हमेशा मस्त रहता था कोई चिंता नही , फरक बस इतना था कि कंपनी में उसकी पोज़िशन थी.

बाकी स्टाफ के लोग भी राजेश को सगाई की मुबारकबाद देते हैं जो वो फीकी मुस्कान के साथ मंजूर करता है और फिर अपने दोस्त आर्यन और समीर के साथ बातें करने लगता है.

सॉफ दिख रहा था राजेश सगाई से खुश नही है.

‘समझ में नही आ रहा मैं शादी का फ़ैसला कर के ठीक कर रहा हूँ या नही. एक तो मैं सिमरन के बारे में कुछ ज़यादा जानता नही और दूसरा जो थोड़ी देर उस से मिला तो मेरे टाइप की नही लगती…..’

‘क्या मतलब तेरा – तेरे टाइप की’ आर्यन ने कुरेदा.

‘देख पहले तो उसका रंग सांवला है जब कि मैं हमेशा अपनी बीवी को गोरी होने के ख्वाब देखता था’

समीर ने झट इस बात को कूड़े दान में डाल दिया कि बकवास सोचता हूँ मैं ‘ तू पागल है साँवली लड़कियों में जो सेक्स अपील होती है वो गोरी लड़कियों में नही – रेखा और बिपाशा को ही देख सब मरते हैं उनपर उनका सांवला पन ही उनका चर्म बढ़ा देता है और बिस्तर पे तो वो धमाल मचाती हैं, मेरा खुद का एक्सपीरियेन्स है’

‘अबे तू ये कैसे कह सकता है’ आर्यन ने मुखॉल उड़ाते हुए कहा.

‘यार गोरी लड़कियों के भाव हम लड़कों ने बढ़ा रखें हैं जीने गोरी चमड़ी ज़यादा अच्छी लगती है, डार्क कंपेक्स्षन वाली लड़कियाँ किसी भी हद तक जाएँगी हमारी फॅंटसीस को पूरा करने के लिए’ बड़े ही कॉन्फिडेन्स के साथ समीर बोला अपना बेस्ट एक्सपीरियेन्स जताते हुए.

राजेश सोचने लग गया लेकिन आर्यन ने बहस करते हुए कहा ‘ यार तेरी ये रिसर्च किसी सिग्ज़लजिस्ट को ही ठीक लगेगी, लेकिन जिंदगी में हर चीज़ सेक्स की आगे पीछे नही घूमती.’

‘शर्त लगा – बहुत फरक पड़ता है, यार तुम्हारे बीवी के साथ में कुछ भी डिफरेन्सस हो सकते हैं , लेकिन जब वो बिस्तर में तुम्हें खुश करती है तो सब कुछ पीछे रह जाता है और तुम बाहर झाँकोगे भी नहीं, लेकिन अगर बिस्तर में वो तुम्हें खुश नही रखती तो बिल्कुल उल्टा ही होगा’

संशय के साथ देखते हुए, राजेश , समीर की धारणा पर शक़ करने लगा, उस विषय पर जिसपे समीर को महारत हासिल थी.

उसके दिमाग़ में खिचड़ी पक रही थी , एक सवाल उठ रहा था – किस तरहा दो विभिन्न और खास स्वाभाव वाले प्राणी – बिस्तर पर एक दूसरे के साथ सब कुछ भुला कर सेक्स का आनंद लेंगे.

क्या एक दूसरे के स्वभावों में अनुकूलता अनिवार्य नही एक मर्द और एक औरत के बीच वैवाहिक बंधन में बँधने से पहले? ताज्जुब के साथ राजेश सोच रहा था.

विपरीत सेक्स के बारे में अपने ज्ञान का राजेश कायल था, समीर आज पहली बार उसे ग़लत लग रहा था.

स्वाभाव की अनुकूलता के बिना बिस्तर पे एक रोमचक सेक्स की कल्पना - कतई भी मुमकिन नही.

क्या होगा अगर एक को मजेदार संभोग की पूर्व क्रीड़ा में उत्सुकता हो और दूसरा बस फटाफट संभोग कर छुटकारा पाना चाहता हो? ऑर क्या होगा अगर एक पहले प्यार भरी सेडक्टिव बातें करना चाहता हो जिस्मो को छूने से पहले और दूसरा सिर्फ़ शांत रहे कोई भाग ना ले ? ऐसे ना जाने कितने सवाल उसके दिमाग़ में कोंध रहे थे जिनका जवाब सिर्फ़ कर के ही पता चलेगा और इसका मतलब है वास्तव में पहले शादी करना – और ये संभावना उसके लिए ख़तरों की लाडियाँ लगा रही थी.

गतिरोध को अवरुद्ध करने के लिए आर्यन ने पूछा ‘ चलो वो तो एक कारण हुआ, दूसरा कारण क्या है जो तुम्हें सिमरन के प्रति आशंकावान कर रहा है.’

राजेश वन्ग्मय रह गया इस डर के कारण कहीं उसका फिर से मज़ाक ना उड़ाया जाए.
बारबार पूछने पर बस मुँह में ही बड़बड़ा कर रह गया –‘ यार मुझे सच मुच कुछ नही पता. बस जब हम ने आपस में एक दूसरे से बात कर रहे थे तो ऐसा ही लग रहा था जैसे हमारी वेव्लेंत बिल्कुल अलग हैं’

‘क्यूँ , क्या हुआ’ समीर ने एक कॉन्स्टेबल की तरहा सख्ती से पूछा.

‘ देखो सच में मुझे वो एक मूक लगी – टोटली डंब यार, उसे यूके के एलेक्षन्स तक के बारे में कुछ नही पता था. और बस उसकी बुद्धिमता को जाँचने के लिए मैने उस से कॅपिटल पनिशमेंट के बारे में पूछा तो ऐसे देखने लगी जैसे मैं चाइनीस में बोल रहा हूँ’

राजेश जैसे जैसे अपनी कहानी उनको सुना रहा था उसे लगा आर्यन और समीर दोनो ही उसे घूर रहे थे जैसे अभी अभी चिड़ियाघर से छूट की आ रहा हो.

‘तुम से ज़यादा अकल्मंद कोई दुनिया में पैदा भी हुआ है’ आर्यन ने उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा.

समीर तो पागलों की तरहा हँसने लगा ‘ तू क्या उसका सरकारी नौकरी के लिए इंटरव्यू ले रहा था’

तभी पीयान वहाँ आ गया – ‘मूरती साहिब ने बुलाया है अभी इसी वक़्त’ उसने राजेश को बताया.

मुसीबत को भाँपते ही राजेश फटाफट मूरती के कॅबिन की तरफ भागा – जैसे फ़ौजी जनरल के पास जाता है .

आर्यन और समीर दोनो ही एक मत थे राजेश पे गिरने वाली बिज़ली के बारे में सोच कर.

मूरती, कंपनी का फाउंडर और सीईओ, छोटी हाइट,पेट निकला हुआ,गहरा भूरा रंग आँखों में चस्मा.अभी तो सिर्फ़ 40 ही क्रॉस किया है पर लगता 50 से उप्पर है. अब मूरती ने ये कंपनी कैसे शुरू की उसके साथ क्या क्या हुआ, उसमे ना जाते हुए हम राजेश के साथ ही रहते हैं. मूरती ना राजेश को बधाई देने तो बुलाया नही.

राजेश कॅबिन में घुसता है और मूरती उसे 15 लाख का एड रेवेन्यू का टारगेट दे देता है वो भी दो हफ्ते के अंदर.राजेश ने सोचा 5 लाख होगा, 15 तो मज़ाक में बोल रहा है.

‘और अगर तुम ये टारगेट पूरा नही करते तो ये कंपनी मुझे बंद करनी पड़ेगी’
एक बुरी खबर की तरहा राजेश ने ये झटका सहा और उसके दिमाग़ में ‘बॅड टाइमिंग’ ने फिर जड़ें पकड़ ली.

रात भर चिंता के कारण राजेश सो ना सका और सुबह होने में देर ना थी कि उसे नींद आ गई.

बिस्तर पे लेटे उपर घूमते पंखे को देखता रहा और जाने क्या क्या विचार और चेहरे उसके दिमाग़ में घूमने लगे. अपनी जिंदगी उसे इस पंखे की तरहा बिना किसी मकसद के घूमती नज़र आने लगी.

कभी सिमरन के अल्फ़ाज़ याद कर उनका मतलब जानने की कोशिश करता तो कभी बॉस के दिए हुए टारगेट के बारे में सोचता. अंत में सोचा कि दूसरी नौकरी अब ढूंडनी ही पड़ेगी. पर ब्राइड का क्या? क्या वो सर जिंदगी सिमरन के साथ गुजरने के लिए तयार है. कुछ जवाब नही था उसके पास.

कभी अपने माँ बाप के उपर गुस्सा आता जिन्होंने शादी उसके सर पे थोप दी. अभी 29 का ही तो हुआ हूँ, ये टाइम तो मज़े करने का है अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने का है. उसके शहर की बात और है पर मुंबई जैसे शाहर में कौन 29 की एज में शादी करता है. इस उम्र में तो पैसा आना शुरू होता है और मोज मस्ती की जाती है. फिर माँ बाप के साथ सहानुभूति भी हुई, उन्होने ने तो पूरी छूट दे रखी थी अपना करियर जैसा वो चाहे बनाने की. क्या उनका कुछ भी हक़ नही उस पर जहाँ तक उसकी शादी का सवाल है?

माँ बाप ने तो उसे पूरी छूट दे रखी थी अपनी पसंद की लड़की से शादी करने के लिए पर समय की सीमा भी बंद रखी थी. पर राजेश ही टालता रहा ,टालता रहा और उनके लिए वो समय आ चुका था जब राजेश को हर हालत में शादी कर लेनी चाहिए. इसलिए उसके पिता ने अपने दोस्त की बेटी सिमरन के साथ उसकी सगाई कर दी.
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बिना कोई हरकत किए राजेश एक पत्थर की तरहा बिस्तर पे लेटा रहा, उसकी मुखाक्रुति पे कोई भाव ना था. रात के ढाई बज चुके थे अल्साते हुए वो उठा और बेड के नीचे से एक ट्रंक निकाल कर उसमे से एक डाइयरी निकाल ली.

डाइयरी में एक लिफ़ाफ़ा था, उसमे से फोटोस निकाल कर बिस्तर पे बिखेर दी.और दुखी नज़रों से उन फोटोस को देखने लगा. ये फोटो उसकी जिंदगी के सबसे खूबसूरत हिस्से को बयान करती थी. इन में उसके साथ सॉनॅक्षी थी, एक हसीन लड़की जिसके साथ कितने ही सुनहरे पल उसने अपने कॉलेज की जिंदगी में गुज़ारे थे. आज भी जब वो पल उसे याद आता है तो उसकी आँखें भर आती हैं. सॉनॅक्षी उसे अपने पिता से मिलाने ले गई थी. मिलते ही उसके पिता ने सीधा उसके सपनो में अपनी कुल्हाड़ी चला दी.


“ह्म्म तो तुम मेरी बेटी से शादी करना चाहते हो, बेटा सॉनॅक्षी जैसी होनहार लड़की के लिए रिश्तों की लाइन लगी पड़ी है – अगर तुम मुझे 10 लाख का अपना बॅलेन्स दिखा सकते हो तो मैं आज ही तुम्हारी शादी उस से करने को तयार हूँ, वरना जब तुम्हारे पास इतना हो जाए तब मुझ से बात करना- नमस्कार’ कह कर मुझे चलता कर दिया.

जब मैं अपनी एमबीए कर के वापस पहुँचा तो सॉनॅक्षी से मिलने की बहुत कोशिश करी, तब पता चला कि एक साल पहले ही उसकी शादी किसी एनआरआइ से हो गई थी. वक़्त का चकरा घूमता रहा और राजेश खुद को संभालने की कोशिश करता रहा.
सॉनॅक्षी के जिंदगी से जाने के बाद की जिंदगी तो पछतावे और गुस्से में ही गुज़री.

देल्ही छोड़ के वो मुंबई आ गया एक नयी दुनिया में जीने के लिए.

वो पहले की तरहा एक विद्रोही जिंदगी जीना चाहता था. आज वो दुविधा में फसा हुआ था – अपनी नौकरी बचाए या उस अंजान लड़की से शादी करे.

अपनी फॅंटसीस के बारे में सोचते हुए वो कल्पनिनिक दुनिया में जीने की इच्छा करने लगा.

अब भी ईस्वक़्त हवा का कोई नामोनिशान ना था और उमस इतनी ज़यादा थी कि पसीना बहना रुक ही ना रहा था, अपनी शर्ट उतार के बिस्तर पे उछाल दी इस उमस भरी गर्मीी से कुछ राहत पाने के लिए. मान्सून अभी भी कुछ हफ्ते दूर था – बॅड टाइमिंग.



आज सॅटर्डे है, पाँच दिन गुजर चुके हैं और टारगेट के नाम पे एक पैसा तक नही आया, तलवार वहीं की वहीं लटक रही है, और राजेश के दिमाग़ में सिमरन को लेके जो दुविधाएँ मन में हैं वो बरकरार हैं उपर से उमस भरी जानलेवा गर्मी.

अपने माता पिता द्वारा किसी ऐसी लड़की से सगाई करना जिसे वो जानता नही था जो उसके लिए ‘राइट गर्ल’ नही थी काफ़ी व्यंग्यात्मक स्तिथि है, मॅट्रिमोनियल वेबसाइट में काम करते हुए ना जाने कितने प्रपोज़ल उसके पास आए थे, कुछ से बात आगे भी बढ़ी.

समस्या वहाँ खड़ी होती थी जब राजेश हर लड़की में वो सारे गुण देखना चाहता था, जो उसने सॉनॅक्षी में पाए थे.

हर लड़की की तुलना वो सॉनॅक्षी से करता था.

कुछ लड़कियों के साथ तो डेटिंग से पहले उसने काफ़ी प्लॅनिंग करी. वो लड़कियों का पाँच अलग मापदंडो से मूल्यांकन करता था – रूप, अकल्मंदी,पढ़ाई/जॉब, स्वाभाव और दृष्टिकोण.

कहना बेकार है इन सभी मापदंडों में वो सबसे उत्तम की ही तलाश करता था. उसकी अपेक्षाएँ हमेशा युक्ति संगत नही होती थी इसलिए वो हमेशा निराश होता था.

मॅट्रिमोनियल वेबसाइट के द्वारा उसकी पहली मुलाकात राम्या से हुई एक साल पहले. फोटो में लड़की काफ़ी सुंदर दिख रही थी, जो उसकी पहली ज़रूरत थी.उपर से वो एयिर्हसटेस्स थी जो उसे एग्ज़ाइट कर रही थी.बिना टाइम वेस्ट किए उसने राम्या से मीटिंग फिक्स करने की कोशिश करी और राम्या मान भी गई.


राम्या का स्वभाव राजेश से एक दम उलट था. सीधी साधी जिंदगी को आज पे ले कर जीनेवाली, कोई प्लॅनिंग नही जैसे राजेश किया करता है.एक दम चुलबुली, नटखट टाइप,मजाकिया. और दिल खोल के ज़ोर ज़ोर से हँसने वाली. कुछ दिन दोनो को साथ ठीक ठाक रहा, शायद ऑपोसिट पोल्स एक दूसरे को खींचते हैं.

दोनो वॅलिंटाइन वाले दिन भी मिले, पर दोनो में से किसी ने प्रपोज़ नही किया, शायद दूसरा पहल करे यही सोचते रहे. पहले तुम कहो, पहले तुम कहो, वाली स्तिथि राजेश सह नही पा रहा था , दिल ही दिल में शायद वो फ़ैसला कर चुका था कि राम्या के साथ टाइम तो पास किया जा सकता है पर वो शादी वाली योग्यताएं जो राजेश चाहता था उसमे नहीं हैं.

एक एयिर्हसटेस्स उसे अच्छी लगेगी जिस्मानी तौर पे ये राजेश जानता था, पर शायद दोनो ही इंटेलेक्चुयली कंपॅटिबल नही थे. शायद उसेके पास वो ज्ञान नही था जो उसे दिमागी तौर पे एक लेवेल पे ला सके और एक दूसरे को एक कर सके.

कितनी अजीब बात है, राजेश बाकी लोगों की तरहा लड़कियों को दो टाइप की समझने लगा एक टाइम पास जिसके साथ मोज मस्ती करी जा सके और एक शादी के लायक जो भावी बच्चों की माँ बनने का दायत्व निभा सके. राम्या उसके लिए पहली केटेगरी में आती थी. लड़कियाँ तो लड़कियाँ ही होती हैं, राजेश की अच्छी फ्लर्टिंग नेचर राम्या को भा गई और वो राजेश के नज़दीक आने लगी और राजेश भी बाकी मर्दों की तरहा ये समझने लगा शायद राम्या कुछ और आगे बढ़ना चाहती है. समीर ने राजेश को उकसाया और राजेश हद से आगे बढ़ने लगा – बस यहीं इन दोनो की दोस्ती ख़तम हो गई .

‘बेह्न्चोद – ये लड़कियाँ अचानक रूढ़िवादी क्यूँ हो जाती हैं’ राजेश ने शिकायत करी . पर उसे ये भी समझ में आया कि बाकी लोग जो वेबसाइट से मिलते हैं वो इसे सीरीयस लेते हैं .

उसके बाद कई लड़कियों से राजेश मिला, एक फॅशन डेज़ाइनर उसे अच्छी लगी पर साला ये मांगलिक वाली चीज़ बीच में आ गई. वो लड़की मांगलिक थी. राजेश ने एक पंडित से बात करी कुछ हल निकालने के लिए पर कोई फ़ायदा ना हुआ.

एक और लड़की जो बहुत बड़ी कंपनी में काम करती थी, उसे मिली और पहली ही मीटिंग में अपने इतिहास के बारे में सब कुछ बता दिया, उसका किसी के साथ ब्रेकप हो गया था. राजेश को अच्छा लगा कि उसने कुछ छुपाया नही पर वो लड़की शायद आज भी दिल ही दिल में उस लड़के का इंतेज़ार कर रही थी और राजेश दूसरा विक्रांत नही बनना चाहता था. विक्रांत के बारे में बाद में बात करेंगे.

आख़िर में एक लड़की जो उसे बहुत अच्छी लगी, उसे उसके माँ बाप ने रिजेक्ट कर दिया, क्यूकी वो राजेश से 6 महीने बड़ी थी और उनकी बहू बेटे से उम्र में बड़ी हो, ये उन्हें मंजूर नही था.

ये सब हादसे राजेश को अकेला करते गये जहाँ उसने ढूँढना बंद कर दिया और उसके माँ बाप ने उसे एमोशनली ब्लॅकमेल कर सिमरन के साथ सगाई कर दी.

राजेश की तरहा, समीर भी एक खोज में था, पर उसकी खोज अलग किस्म की थी. समीर उन लड़कियों और औरतों को ढूंढता था जिनके लिए एक छोटा मॉटा अफेर कोई बड़ी बात नही थी.

समीर, एक सीनियर जर्नलिस्ट वेबसाइट में, उन लड़कियों को ज़यादा महत्व देता था जिन्हे पटाना थोड़ा मुस्किल होता था, वो लड़किया उसके लिए एक चुनौती होती थी जिस से उसे मज़ा आता था. वह बड़े बड़े स्टोर्स में जहाँ ग्लॅमरस लड़कियाँ आती हैं वहाँ अपना शिकार तलाश किया करता है, और धीरे धीरे उस शिकार की पर्सनल जिंदगी में घुस जाया करता है. अपने आप को इस कार्य में वो माहिर समझता था . उसका कहना है जर्नलिज़म सबसे बढ़िया प्रोफेशन है अगर तुम सेलेब्रिटी फीमेल्स की चार दीवारी के भीतर घुसना चाहते हो. वो तुम्हे सर पे चढ़ाएँगी अच्छी पब्लिसिटी पाने के लिए. अब ये आदमी पे निर्भर करता है कैसे वो फ़ायदा उठा कर उन्हें अपने बिस्तर तक ले जाता है. सिर्फ़ एक ही तरीका है लड़कियों को डील करने के लिए – उन्हें सिड्यूस करो और तुम्हारे सारे रास्ते सॉफ हो जाएँगे.

समीर एक, शादी शुदा आदमी है , पर कोई भी ऐसा नही समझता उसे देख कर – चार्मिंग आत्लेटिक बॉडी, एकदम इन्फेकियियस, खिली हुई मुस्कान और उसके हर्वक़्त तयार फ्लर्टेशस कॉमेंट्स.

तीन साल हो गये शादी को अभी 30 साल ही क्रॉस किए हैं और अब भी कॉलेज रोमीयो की तरहा ही रहता है. लड़की को पटाने का कोई भी मोका नही छोड़ता.
आर्यन उसके लिए एक ही बात बोलता है – ये भाई साहिब तो आँखों ही आँखों में रेप कर दिया करते हैं लड़कियों का.

समीर कहता है उसकी आँखों में एक शक्ति है दूसरे को अपनी तरफ खींचने की. अगर ठीक आइ कॉंटॅक्ट बन जाए तो लड़की को बिस्तर तक ले जाने में कोई देर नही लगती.

अपनी बातें इतने कॉन्फिडेन्स के साथ करता है जैसे केवल उसके पास आँखें हैं और बाकी सब अंधें हैं.

कभी कभी तो उसका कॉन्फिडेन्स इतना ज़यादा होता है कि सबको यही कहता है – कोई लड़की उस से बच नही सकती. लड़कियों को वो सिर्फ़ संभोग की वस्तु समझता है – यही उसके बारे में सभी सोचते है.

लड़कियों के लिए अपनी कमज़ोरी को वो सिर्फ़ ये कह कर छुपाता था कि उसे सही पत्नी नही मिली, अगर कोई उस से ये पूछता कि क्या वो सही पति है अपनी पत्नी के लिए तो उसे गुस्सा आ जाता. जो भी वो करता था, उसका एक ही मानना था कि सारी छूट सिर्फ़ उसके लिए ही है, उसकी पत्नी के लिए नही.

राजेश को समीर की इन हरकतों पे काफ़ी गुस्सा आता था और वो उसे छुपाता भी नही था समीर के मुँह पे बोल दिया करता था .अगर उसके इन व्यभिचारी इच्छाओं को छोड़ दिया जाए तो ऑफीस में सबसे बढ़िया इंसान वो ही था. मुश्किल हालातों में भी सबको हँसा के रखता था.

समीर और आर्यन दोनो ही एक दूसरे के विपरीत हैं. आर्यन, अकाउंट्स का हेड, सीधा साधा इंसान जो अपने काम और अपनी दोस्ती दोनो को ही सीरियस्ली लेता है. आर्यन का कहना है कि किसी भी रिश्ते में प्राब्लम तभी आती है जब आप दूसरे से उसकी क्षमता और अपेक्षाओं से अधिक की इच्छा करें. आदमियों के साथ ये समस्या हमेशा रहती है – सारी जिंदगी वो – राइट गर्ल – की तलाश में रहता है – जबकि जो लड़की तुम्हे मिलती है – जिससे तुम्हारी शादी होती है – वोही राइट गर्ल – है तुम्हारे लिए. आर्यन की शादी को अभी एक साल भी नही हुआ है . उसने त्रिवेणी से लव मॅरेज करी है और, त्रिवेणी को पुराने ब्रेकप की दुखी यादों से बाहर निकालने में काफ़ी मदद की है.उसके टूटे हुए दिल को अपने प्यार से सींचा है.
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rangila
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Re: वो जिसे प्यार कहते हैं

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हर महीने के पहले शनिवार को, ये तीन आर्यन, समीर और राजेश शाम को अपनी पार्टी किया करते हैं और ये रस्म ये पिछले पाँच महीनो से पूरी कर रहे हैं बिन नागा.

तीनो एक्स रेटेड मूवी देखेंगे, फिर दारू के जाम चॅलेंज और फिर डिन्नर और ये पार्टी सुबह तक चलती रहेगी.

पार्टी हमेशा राजेश के घर ही होती है क्यूंकी तीनो में से वोही अकेला है. समीर के हाथों कबाना चिली चिकन हमेशा लाजवाब होता है और इसकी खास डिमॅंड होती है इनकी पार्टी में.

ये पार्टी समीर और आर्यन को उनके ब्रह्मचर्या वाले दिनो की याद दिलाती है . समीर ने अपनी बीवी से हर महीने इस पार्टी की मंज़ूरी ले ली है. और वो जानती है हर महीने चाहे कुछ भी हो समीर ये पार्टी नही मिस करेगा, अपने फ्रेंड्स की कंपनी शायद बीवी के चार्म्स से उसे ज़यादा अच्छी लगती है.

राजेश को हमेशा शक़ रहता था कि कैसे कोई बीवी ये मान जाएगी कि उसका पति महीने में एक दिन अपने दोस्तों के साथ गायब हो जाता है.


आर्यन, को हमेशा गिल्ट होता था कि वो अपनी पत्नी को अकेले छोड़ अपने दोस्तों के साथ वक़्त गुज़ार रहा है. त्रिवेणी ही उसे समझती थी कि ये भी ज़रूरी है उनके रिश्ते को सही ढंग से चलाने के लिए, दोनो को एक दूसरे को थोड़ा स्पेस देना ही पड़ेगा.अगर एक रात दोस्तों के साथ गुजारने से खुशी मिलती है तो इसमे बुरा क्या है. आर्यन को फिर भी ग्लानि महसूस होती थी.

राजेश सोचता था शायद उसे त्रिवेणी जैसे ही बीवी चाहिए जो उसपे थोड़ा कंट्रोल रखे. जहाँ तक वो समझता था उसकी नेज़ल आज़ादी और भरोसे के लायक नही है. शादी के बाद क्या सोचेगा, पता नही.


आर्यन को हमेशा ताजुब होता था त्रिवेणी इतनी मेच्यूर कैसे है और आँख मूंद के उसपे भरोसा करती है. ये भरोसा ही उसके अंदर ग्लानि की भावनाएँ भर देता है.

समीर जो बना रहा था उसका सत्यानाश हो गया, मूरती ने जो सुबह उसकी क्लास लगाई थी, वो उसके दिमाग़ में घूमती रही और किचन में वो क्या कर रहा था ये भूलते हुए कुछ का कुछ कर गया.

‘शिट कुछ भी ठीक नही हो रहा’ शिकायत करता हुआ वो लिविंग रूम में आ गया जहाँ आर्यन और राजेश टीवी के चॅनेल बदल बदल कर देख रहे थे.

हर चॅनेल पे सीएम का इंटरव्यू आ रहा था डॅन्स बार्स बंद करने के लिए. और इस तरहा बोल रहा था जैसे आंतक के खिलाफ जंग लड़ रहा हो.

महॉल को हल्का करने के लिए राजेश बोल पड़ा’ इसकी शक्ल तो देखो ऐसा लग रहा है किसी बार डॅन्सर ने इसकी ले ली’ समीर का मूड बहुत खराब था उसने हाइवे पे लोंग ड्राइव के लिए मना कर दिया. शायद वो कुछ और ही चाहता था, जो बाकी दोनो नही जानते थे.

वो सीधा एक डॅन्स बार के सामने गाड़ी रोकता है, मुंबई का सबसे फेमस डॅन्स बार ‘महफ़िल’ , राजेश और आर्यन दोनो ही हैरान हो गये, ये तो उन्हे बिल्कुल भी उम्मीद नही थी, कि समीर यहाँ लेके आएगा.

‘अरे बॅन अगले हफ्ते से शुरू होगा, आज तो मज़े कर लो जितना दिल चाहे’

आर्यन ने मना किया पर दिल में कहीं उसे भी इच्छा थी, एक बार तो अंदर घुस के देखे, इसलिए वो चुप हो गया. राजेश तो खिल उठा आनेवाले मज़े के बारे में सोच कर. उसने डॅन्स बार्स के बारे में बहुत सुना था और एक मूवी में भी देखा था जब वो देल्ही में था, वो देखना चाहता था असलियत में डॅन्स बार्स कैसे होते हैं.वो सोच रहा था कि यहाँ शायद वैसा बुरा नही होगा जैसा उसने मूवी में देखा था. डर था तो बस पोलीस का जो अचानक राइड करती है.

‘ओये फिकर नोट ये जगह शहेर से बाहर है और सेफ है इसीलिए तो यहाँ लाया हूँ, पोलिसेवाले यहाँ नही आते, और लड़कियाँ भी कमाल की हैं कोई नखरा नही करती जैसे सिटी के अंदर जो बार्स हैं वहाँ की किया करती हैं.’

एक लीडर की तरहा वो दोनो को अंदर ले गया, जितनी जानकारी समीर को थी, उसके हिसाब से तो वो यहाँ बार बार आता था.

जब तीनो अंदर घुस्से तो वॉटर्स ने हॅंडशेक किया मुस्कुराते हुए, राजेश को लगा जैसे प्रोटोकॉल फॉलो कर रहे हैं उसी तरहा जिस तरहा दो अंबासडॉस मिलते हैं.

फरक ये था कि वेटर्स ने जल्दी हाथ नही छोड़ा और संमीर ने एक 100 का नोट निकाल उसे थमा दिया, अब जो लड़की समीर चाहेगा उसके पास ही भेजी जाएगी, चाहे पहले किसी और ने डिमॅंड कर रखी हो. शायद दूसरा वेटर जिसने राजेश से हाथ मिलाया था यही अपेक्षा कर रहा था राजेश ने झट से अपना हाथ खींच लिया.

तीनो जल्दी ही एक सोफा पे बैठ गये, डॅन्स फ्लोर के चारों तरफ सोफे लगे हुए थे. कम से कम दर्जन लड़कियाँ कामुकता भरा डॅन्स कर रही थी और पीछे से चुने हुए गाने बज रहे थे. एक गाना शायद इन्हें बहुत पसंद था दम मूवी का – बाबूजी ज़रा धीरे चलना-. लेकिन ये डॅनसस तो यना गुप्ता के किल्लिंग चार्म्स का कहीं भी मुकाबला नही कर पा रही थीं आ लुक्स में और ना ही थिरकन में, लेकिन कॉमपेनसेट ज़रूर कर रही थी ये इशारे कर के कि वो अवेलबल हैं.

राजेश समझ गया कि इन लड़कियों से कॉंटॅक्ट करना आसान है.बस किसी को ये जताना था कि वो उनके साथ काफ़ी वक़्त गुजारेगा.इसके बाद जो लड़की चुन्नी वो आ जाएगी.

जब वो आजाएगी तो एक कोज़ी पोज़ में साथ बैठेगी और रात के लिए गरम करना शुरू करेगी , अगर तुम उसके साथ रात बिताना चाहोगे, या फिर उनके बूब्स दबाओ, उंगली करो, कुछ मज़े ले कर उन्हें जाने दो.

राजेश यही सब हर सोफे पे देख रहा था.सारी लड़कियाँ खुश नही नज़र आ रही थी, उनमे से एक तो काफ़ी परेशान लग रही थी, उसका क्लाइंट उसे स्मूच कर रहा था और हर स्मूच के लिए 10 रूपरे पकड़ा रहा था.जब राजेश ने ध्यान से उस लड़की किी तरफ देखा तो कुछ पलों के लिए उसे शरम आई , ये रेप नही तो पैड मोलेस्टेशन तो ज़रूर है.

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