बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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मालिनी परेशान होकर खिड़की से बाहर देखने लगी। अब राजीव ने थोड़ी देर बाद सरला का हाथ लेकर अपने लौड़े पर रखा और सरला उसे दबाने लगी। फिर वह अपना हाथ सरला की चूचि से हटा कर मालिनी की बाँह सहलाने लगा। मालिनी चौंक कर पलटी और उसकी आँख सरला के हाथ पर पड़ी जो कि राजीव के पैंट के ज़िपर पर थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मी भी ना,कितनी गरमी है इनमे अभी भी। तभी राजीव का हाथ उसकी चूचि पर आ गया। वह धीरे से उसको घूरी और उसका हाथ हटाते हुए बोली: पापा जी जगह कम पड़ रही है तो मैं टैक्सी में आ जाती हूँ।

सरला ने झट से अपना हाथ हटा लिया।

शिवा: क्या हुआ? आप लोग आराम से नहीं हो क्या?

राजीव: अरे नहीं बेटा, सब ठीक है। मैं ज़रा हाथ फैलाकर बैठा तो बहु को लगा कि मैं आराम से नहीं बैठा हूँ। सब ठीक है तुम गाड़ी चलाओ। वो मालिनी को आँख मारते हुए बोला।

फिर थोड़ी देर बाद उसने सरला का हाथ अपने लौड़े पर रख दिया जिसे वो दबाने लगी। और वह सरला की दोनों चूचि बारी बारी से दबाने लगा। मालिनी ने देखा और फिर खिड़की से बाहर देखने लगी। उसने सोचा कि जब वो दोनों इसमें मज़ा ले रहे हैं तो वो भला इसमें क्या कर सकती है।

थोड़ी देर में वो एक शानदार रेस्तराँ में पहुँचे। शिवा और श्याम बाहर आए और मालिनी और सरला भी बाहर आ गए। राजीव अपनी पैंट को अजस्ट किया कि क्योंकि उसकी पैंट का तंबू ज़रा ज़्यादा ही उभरा हुआ दिख रहा था। वो भी वहाँ हाथ रखकर बाहर आया। ख़ैर डिनर टेबल तक पहुँचते हुए उसका लौड़ा थोड़ा शांत हो गया था।

टेबल गोल थी। राजीव के बग़ल में सरला बैठी और उसकी बग़ल में श्याम बैठा। उसकी बग़ल में शिवा और फिर मालिनी बैठी। मालिनी के बग़ल में एक कुर्सी ख़ाली थी।

राजीव: श्याम थोड़ा सा ड्रिंक चलेगा?

श्याम: यार परिवार के साथ अटपटा लगता है।

राजीव: अरे इसने अटपटा की क्या बात है? सब अपने ही तो हैं। बोलो सरला, अगर हम पिएँ तो तुमको कोई आपत्ती है क्या?

सरला: मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। शिवा से पूछ लीजिए।

शिवा: पापा जी लीजिए ना जो लेना है। और उसने वेटर को आवाज़ दी।

राजीव ने उसे दो पेग व्हिस्की लाने को कहा। फिर उसके जाने के बाद श्याम बोला: शिवा अभी तक लेनी शुरू नहीं की क्या?

शिवा: ताऊ जी कॉलेज में एक दो बार लिया था। पर आप लोगों के सामने हिचक होती है।

राजीव: अरे बेटा अब तुम जवान हो गए हो। इसमें हिचकना कैसा? चलो तुम्हारे लिए भी मँगाते हैं। पर बेटा, इसको कभी भी आदत नहीं बनाना। कभी कभी ऐसे अवसरों पर चलता है।

फिर वह सरला से बोला: भाभी आप भी वाइन ट्राई करो ना। आजकल बहुत आम बात है लेडीज़ का वाइन पीना।

श्याम: हाँ सरला ले लो ना वाइन। यह तो सभी औरतें आजकल लेती हैं। बोलो मँगाए क्या?

सरला हँसकर : मैंने तो आज तक कभी ली नहीं है। मेरे दामाद जी बोलेंगे तो लूँगी नहीं तो नहीं लूँगी।

शिवा हँसकर: मम्मी जी आप भी ट्राई करिए ना।फिर मालिनी से बोला: मालिनी तुम भी लो ना थोड़ी सी वाइन।

मालिनी: ना बाबा , मुझे नहीं लेना है। मम्मी को लेना है तो ले लें।

राजीव ने वाइन भी मँगा ली। मालिनी के लिए कोक मँगाया।

अब सबने चियर्स किया और पीने लगे। सरला: ये तो बहुत स्वाद है। मालिनी तू भी एक सिप ले के देख।

मालिनी ने थोड़ी देर विरोध किया पर जब शिवा भी बोला: अरे क्या हर्ज है एक सिप तो ले लो। तो वो मना नहीं कर पाई और मम्मी की वाइन के ग्लास से एक सिप ली।

सरला: कैसी लगी?

मालिनी: अच्छी है मम्मी। स्वाद तो ठीक है।

फिर क्या था उसी समय राजीव ने मालिनी के लिए भी एक वाइन का ग्लास मँगा लिया। अब सब पीने लगे। क्योंकि सरला और मालिनी पहली बार पी रहे थे जल्दी ही उनको नशा सा चढ़ने लगा। सभी जोक्स सुनाने लगे और ख़ूब मस्ती करने लगे। जल्दी ही पीने का दूसरा दौर भी चालू हुआ। मालिनी ने मना कर दिया कि और नहीं पियूँगी। पर राजीव ने उसके लिए भी मँगा लिया।

दूसरे दौर में तो शिवा को भी चढ़ गयी। अब वो भी बहकने लगा। मालिनी ने अपना दूसरा ग्लास नहीं छुआ। बाक़ी सब पीने लगे। अब अडल्ट्स जोक्स भी चालू हो गए और सब मज़े से थोड़ी अश्लील बातें भी करने लगे। मालिनी हैरान रह गयी जब शिवा ने भी एक अश्लील जोक सुनाया।

सरला भी अब बहकने लगी थी। राजीव उसे बार बार छू रहा था और वह भी उसको छू रही थी। शिवा भी मालिनी को छू रहा था। मालिनी को बड़ा अजीब लग रहा था। वह बार बार उसकी जाँघ दबा देता था।

तभी खाना लग गया। सब खाना खाने लगे। राजीव ने सरला को एक और वाइन पिला दी जो कि मालिनी ने भी पी थी। खाना खाते हुए अचानक राजीव अपने फ़ोन पर कुछ करने लगा और फिर मालिनी के फ़ोन में कोई sms आया । वह चेक की तो पापाजी का ही मेसिज था: बहु, चम्मच गिरा दो और उसे उठाने के बहाने टेबल के नीचे देखो ।

मालिनी ने राजीव को देखा तो उसने आँख मार कर नीचे झुकने का इशारा किया। मालिनी ने उत्सुकतावश नीचे चम्मच गिराया और उसको उठाने के बहाने से टेबल के नीचे देखी और एकदम से सन्न रह गयी। उसने देखा कि पापा जी की पैंट से उनका लौड़ा बाहर था और मम्मी की मुट्ठी में फ़ंसा हुआ था। श्याम ताऊजी का हाथ मम्मी की जाँघ पर था और वह काफ़ी ऊपर तक क़रीब बुर के पास तक अपने हाथ को ले जाकर मम्मी को मस्त कर रहे थे।

मम्मी अपने अंगूठे से मोटे सुपाडे के छेद में अँगूठा फेर रही थी और लौड़े को बड़े प्यार से मूठिया रही थी। छेद के ऊपर एक दो प्रीकम भी चमक रहा था। अचानक मम्मी ने प्रीकम को अंगूठे में लिया और वहाँ से हाथ हटाइ।
उफफफफ क्या हो गया है इन तीनों को? मालिनी सीधी हुई और राजीव ने फिर से आँख मारी। तभी मालिनी ने देखा कि सरला राजीव को दिखाकर अपना अँगूठा चूसी और प्रीकम चाट ली। मालिनी बहुत हैरान थी मम्मी के व्यवहार पर। फिर उसने सरला की चूचियों की ओर इशारा किया जो कि उसके टॉप से आधी नंगी दिख रही थी क्योंकि नशे के सुरूर में उसकी चुन्नी गले में थी। फिर उसने एक sms किया और मालिनी ने पढ़ा। लिखा था: शिवा को देखो , उसकी आँखें अपनी सासु मा की चूचियों पर बार बार जा रही हैं।

मालिनी चौंकी और कनख़ियों से शिवा को देखी और सच में वह बार बार मम्मी की आधी नंगी चूचियों को देखे जा रहा था। उसे बड़ा बुरा लगा। पर वह कुछ बोल नहीं पायी एकदम से। फिर धीरे से वह उसे बोली: क्या कर रहे हो? मम्मी को क्यों घूर रहे हो? छी शर्म नहीं आती।

शिवा झेंपकर: कुछ भी बोल रही हो? मैं कहाँ घूर रहा हूँ।

मालिनी ने टेबल के नीचे से हाथ बढ़ाकर उसके लौड़े को चेक किया तो वो पूरा खड़ा था। वो फुसफुसाई : ये क्या है? आप मेरी मम्मी को गंदी नज़र से देख रहे हो और ये आपका खड़ा हथियार इस बात का सबूत है।

शिवा: अरे नहीं जान ये तो बस ऐसे ही खड़ा हो गया है। आज रात को मज़ा करने का सोच कर।

मालिनी: झूठ मत बोलो चलो घर आज तो आपसे मैं बात ही नहीं करूँगी ।

शिवा उसकी जाँघ दबाकर मुस्कुराया। फिर सबने खाना खाया। और राजीव ने बिल पे किया और सब उठ गए। सब हल्के नशे में थे। नशा शिवा और सरला को ही ज़्यादा हुआ था। शिवा ने बहुत दिन बाद पी थी और सरला ने पहली बार और वो भी तीन पेग वाइन पी ली थी। मालिनी की निगाह पापा जी के पैंट के सामने वाले भाग पर गई और वहाँ अभी भी तंबू बना था। फिर श्याम ताऊजी का भी थोड़ा फूला सा ही था वह हिस्सा और शिवा का भी खड़ा ही था। उफफफ आज इन मर्दों को क्या हो गया है। शिवा मुश्किल से चल पा रहा था। बाहर आकर श्याम बोला: गाड़ी मैं चलाउंगा। शिवा को तो चढ़ गयी है। शिवा उसके बग़ल में बैठकर सो गया। पीछे मालिनी के बैठने के बाद राजीव जल्दी से बीच में बैठ गया और सरला आख़िर में बैठी।

मालिनी समझ गयी की पापा जी अब अपने कमीनेपन पर आ जाएँगे। रात के दस बज चुके थे और अंधेरे का फ़ायदा तो उसने उठाना ही था । वह सरला की चूचि के नंगे हिस्से को चूमने लगा। और खुलकर उसे दबाने लगा। उसका दूसरा हाथ मालिनी की जाँघ को सहला रहा था । मालिनी ने उसे हटाने की कोशिश की तो वो उसकी भी चूचि दबा दिया। मालिनी आऽऽऽह कर उठी। सरला जो नशे में आँख बंद करके मज़ा ले रही थी , आँख खोलकर पूछी: क्या हुआ बेटी?

मालिनी: कुछ नहीं मम्मी। सिर टकरा गया था खिड़की से।

राजीव मुस्कुराकर फिर से उसकी चूचि दबाया। मालिनी फुसफुसाई: आप हाथ हटा लो नहीं तो मैं चिल्ला दूँगी।

राजीव अपने हाथ को हटाकर उसके गाल को चूमा और फुसफुसाया: बहु कब तक तड़पाओगी ? चलो छोड़ दिया। पर रात को अपनी मम्मी की चुदाई देखने आना। मैं एक खिड़की खुला छोड़ूँगा। देखना कितनी मस्त रँडी की तरह चुदवाएगी हम दोनों से । आओगी ना बहु रानी?

मालिनी मुँह घुमाकर बाहर की ओर देखने लगी। उसने कोई जवाब नहीं दिया। फिर अचानक उसने महसूस किया कि उसकी बुर अब काफ़ी गीली हो चुकी थी। उसके निपल्ज़ भी कड़े हो चुके थे। हमेशा की तरह उसे अपने आप पर ग़ुस्सा आया कि वह क्यों इतनी उत्तेजित हो जाती है?
तभी घर आ गया। और सब घर में पहुँचे। मालिनी ने देखा कि अब सिर्फ़ पापा जी का ही तंबू तना था बाक़ी शांत हो चुके थे। शिवा अपने कमरे में आया और अपने कपड़े उतारकर सो गया। जल्दी ही वह नशे के कारण सो गया। मालिनी ने भी अपने कपड़े बदले और नायटी पहनी और नीचे आदतन पैंटी और पेटिकोट भी नहीं पहनी। वह बाहर आके किचन में पानी लेने गयी। तभी सरला भी नायटी में आयी और मालिनी अपनी मम्मी को देखती ही रह गयी । उसके निपल्ज़ सिल्क नायटी से खड़े हुए साफ़ दिख रहे थे। वह नीचे भी कुछ नहीं पहनी थी।

मालिनी: मम्मी आपने ब्रा उतार दी है क्या?

सरला: हाँ बेटी मैं आजकल नायटी के नीचे कुछ नहीं पहनती। अब सोना ही तो है, पानी लेने आयी थी।

मालिनी सोची कि कितना सफ़ेद झूठ बोल रही है। अभी पापा जी और श्याम से चुदेंगी ये रात भर। और क्या सती सावित्री बन रहीं हैं।

फिर दोनों अपने अपने कमरों में चली गयीं।
मालिनी अपने कमरे में आकर शिवा को देखी तो वो नशे के मारे सो रहा था। वह सोचने लगी कि आज तो मम्मी की ज़ोर की बैंड बजने वाली है। पापा जी और ताऊ जी तो आज उनकी ज़बरदस्त चुदाई करेंगे। नशा तो उसने भी पहली बार किया था इसलिए वो भी थोड़ी सी भ्रम की स्तिथि में थी।उसे याद आया कि कैसे पापा जी का लंड मम्मी मूठिया रही थी और बाद में प्रीकम भी चाट लीं। उसकी बुर उन दृश्यों को याद करके पनियाने लगी।
वह फिर से शिवा को देखी और अचानक उसकी बुर की खुजली उसके दिमाग़ पर हावी हो गयी और वह उठ खड़ी हुई और उसने मम्मी की चुदाई को देखने का निश्चय किया। पापा जी ने उसे कहा ही था कि वो एक खिड़की खुली रखेंगे ताकि वह अपनी मम्मी की चुदाई देख सके। वह बाहर की ओर जाने को निकली फिर रुक गयी और अपनी खिड़की से चुपचाप सरला के कमरे के दरवाज़े को देखने लगी।
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उधर सरला पानी पीकर एक बोतल और लेकर अपने कमरे में गयी। वह बाथरूम से फ़्रेश होकर बाहर आइ। उसने बाथरूम में अपनी बुर और गाँड़ का हिस्सा ज़रा ज़्यादा ही अच्छी तरह से साफ़ किया क्योंकि उसे पता था ये मर्द आज पागल होकर उसकी चुसाई और चुदाई करेंगे। नशे की हालत में वह और ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी। उसने अपनी गीली हुई जा रही बुर को तौलिए से फिर से साफ़ किया।
तभी फ़ोन पर राजीव का sms आया: जान आ जाओ, हम दोनों नंगे पड़े हुए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। वह मुस्कुराई और फिर वह चुपके से बाहर आयी और शिवा के कमरे की ओर झाँकी। कोई हलचल ना देख कर वह चुपचाप राजीव के कमरे में जाकर घुस गयी और अंदर से दरवाज़ा बंद कर ली।

मालिनी ने उसे चोरों की तरह पापा जी के कमरे में जाते देखा और ख़ुद भी उसके पीछे वह पापा के कमरे की खिड़की की तरफ़ गयी। पापा ने अपना वादा निभाया था, खिड़की का एक पट खुला था और उसपर पर्दा लगा था। उसने हल्के से पर्दा हटाया और अंदर झाँकी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ऐसे दृश्य की उसने कल्पना भी नहीं की थी। अंदर पापा और ताऊ पूरे नंगे लेटे हुए थे और अपने अपने लौड़े सहला रहे थे जो पूरे खड़े थे। मम्मी उनके सामने सिर्फ़ एक नायटी में अपना बदन मटक कर कमरे में चल कर दिखा रही थी। उसके दूध और गाँड़ बुरी तरह हिल रहे थे। तभी पापा ने मोबाइल में एक अश्लील भोजपुरी गाना लगा दिया और मम्मी को नाचने को कहा।

मम्मी अश्लील तरीक़े से अपनी छातियाँ और कुल्हे मटका कर नाचने लगी। तभी पापा बोले: अरे यार नायटी उतार कर नाचो ना। हम भी तो नंगे पड़े हैं। मम्मी मुस्करायी और अपनी नायटी उतार दी और पूरी नंगी होकर किसी रँडी की तरह अपनी छातियाँ उछालकर नाचने लगी। उफफफ क्या घटिया दृश्य था। मालिनी का मन वित्रिश्ना से भर गया। पापा बोले: जान गाँड़ मटका कर दिखाओ ना। वह उनके सामने आकर चूतर मटका कर नाचने लगी। फिर पापा बोले: ज़रा झुक कर अपनी बुर और गाँड़ दिखाओ ना जानू।

मम्मी आगे को झुकी और अपने चूतरों को ख़ुद ही फैला कर अपनी बुर और गाँड़ दोनों मर्दों को दिखाने लगी। मालिनी ने ध्यान से देखा कि मम्मी लड़खड़ा भी रही थीं। ओह इसका मतलब है कि ये शायद वाइन का ही असर है कि वो इस तरह की हरकत कर रही हैं। तभी पापा ने अपना लौड़ा हिलाते हुए कहा: आओ जान चूसो हम दोनों का लौड़ा। आओ।

मालिनी ने देखा कि मम्मी थोड़ा सा झूमते हुए बिस्तर पर बैठी और राजीव का लौड़ा पहले पकड़कर प्यार से सहलाई और फिर जीभ से सुपाडे को चाटी और फिर मुँह खोलकर चूसने लगी। फिर श्याम का लौड़ा भी चाटने लगी। अब बारी बारी से दोनों के लौड़े और बॉल्ज़ चाट और चूस कर दोनों मर्दों को मस्त करने लगी।
राजीव उठ कर बैठा और उसके हाथ उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबा रहे थे। फिर राजीव ने कहा: जानू, आओ ६९ की पोजिसन में आ जाओ।यह कहते हुए वह फिर से लेट गया। अब सरला अपनी जाँघों को फैलाकर अपनी बुर राजीव के मुँह पर रखी और राजीव
उसे चाटने लगा और जीभ से चोदने लगा। सरला भी उसके लौड़े को चूसने लगी। मालिनी ने देखा कि वह अब डीप थ्रोट दे रही थी।मालिनी सोची कि शिवा भी कई बार उसे डीप थ्रोट के लिए बोलता है पर वह तो कर ही नहीं पाती क्योंकि उसकी साँस ही रुक जाती है । और यहाँ मम्मी कितने आराम से और मज़े से पापा जी को डीप थ्रोट दे रही हैं। तभी मम्मी की उइइइइइइ माऽऽऽऽऽ निकलने लगी, लगता है पापा उनके clit को छेड़ रहे हैं जीभ से। शिवा भी ऐसे ही उसकी चीख़ निकाल देता है। उसका अपना हाथ अपनी बुर के ऊपर चला गया और वह वहीं कपड़े के ऊपर से अपनी बुर को सहलाने लगी ऊँगली डालके।

उधर ताऊजी भी अब मम्मी की छातियाँ मसल रहे थे ।मम्मी उनका लौड़ा भी सहलाने लगी। अब राजीव बोला: जानू चलो अब चढ़ो मेरे ऊपर और मेरा लौड़ा अंदर करो । फिर श्याम से बोला: क्या भाई तुम गाँड़ मारोगे या मुँह में दोगे इसको।

श्याम: गाँड़ ही मार लेता हूँ। यह कह कर वह तेल की शीशी लेकर अपने लौड़े पर लगाने लगा। तब तक सरला अपनी बुर राजीव के लौड़े पर रख कर उसको अंदर करने लगी थी। जल्दी ही वो अपने चूतर उछालकर चुदवाने लगी। तभी श्याम आया और उसके हिलते चूतरों को दबाने लगा। राजीव ने सरला को रुकने को कहा: रुको जानू, श्याम आप गाँड़ में तेल लगाओ और डालो अपना लौड़ा अंदर। श्याम ने दो ऊँगली में तेल लिया और उसकी गाँड़ में डाला और अंदर बाहर करने लगे। मालिनी ने देखा कि मम्मी आराम से गाँड़ में दो उँगलियाँ डलवा रहीं थीं। फिर अपने तेल लगे लौड़ेको श्याम ने उसके गाँड़ के छेड़ पर लगाया और दो धक्कों में पूरा अंदर कर दिया मम्मी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर मस्त हो कर अपने चूतर उछालने लगी। अब कमरा फ़च फ़च और ठप्प ठप्प और पलंग की चूँ चूँ की आवाज़ों से गूँजने लगा। मम्मी आऽऽऽह और हाय्य्य्य्य्य कहकर चुदवा रही थी और डबल चुदाई का मज़ा ले रही थी।मालिनी ने अब अपनी नायटी उठाकर अपनी बुर में दो ऊँगली डाल ली थी और उनको बुरी तरह से हिला रही थी। उधर मम्मी की चीख़ें बढ़ने लगीं और वह जल्दी ही आऽऽऽंह्ह्ह्ह्ह मैं गयीइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी और श्याम भी अब अपनी गाँड़ ज़ोर ज़ोर से हिलाकर धक्का मारने लगा और हम्म कहकर झड़ने लगा। राजीव भी नीचे से धक्के मारने लगा और वह भी आऽऽआह कहकर झड़ गया। यह देखकर अब शायद मालिनी की बुर पानी छोड़ने को तय्यार थी। वह अब अपनी बुर के clit को सहलाने लगी और अपनी चीख़ दबाकर झड़ने लगी। तभी शायद उसके बदन के हिलने के कारण पर्दा हिला और राजीव की आँख खिड़की की तरफ़ गयी और उसकी आँख मालिनी की आँख से मिली और वह मुस्कुराया और झड़ कर पास में करवट में पड़ी सरला की मोटी गाँड़ दबा दिया।मालिनी शर्मा कर वहाँ से भाग कर वापस अपने कमरे में आयी।

शिवा अभी भी सो रहा था। उसने लम्बी साँस ली और चुपचाप लेट गयी और उसकी आँखों के सामने उसी चुदाई के दृश्य घूम रहे थे। उसने मम्मी की आँखों में एक अजीब सी संतुष्टि देखी थी। क्या इस तरह से चुदवाने में सच में इतना मज़ा आता है। वो तो हमेशा से यही मानती है कि हम जिसे प्यार करते हैं उसके साथ ही चुदाई में सुख मिलेगा। पर यहाँ तो उलटा लग रहा है, ऐसा लग रहा है कि परपुरुष के साथ ज़्यादा मज़ा है। वह लेटी हुई सोची कि अब तक तो मम्मी की दूसरे राउंड की चुदाई भी चालू हो चुकी होगी। पापा जी ने उसे चुदाई देखते हुए देख लिया है और इस बात का वो ज़रूर फ़ायदा उठाएँगे। तभी उसकी इच्छा हुई कि एक बार और देखे कि वो अब क्या कर रहे हैं? पर पापा जी तो खिड़की की तरफ़ देखेंगे ही ये जानने के लिए कि वो वहाँ खड़ी है या नहीं? उफफफ वो क्या करे? मन कह रहा है कि एक बार और देखना चाहिए। फिर वह उठी और धीरे से खिड़की के पास पहुँची और धीरे से पर्दा हटाकर झाँकी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था। पापा नीचे लेटे थे और मम्मी उनके ऊपर पीठ के बल अपने हाथों के सहारे आधी लेटी थीं और उनकी जाँघें फैली हुई थीं। उनके चूतर पापा के मुँह पर थे। पापा उनके चूतर फैलाकर गाँड़ चाट रहे थे। मम्मी की बुर पूरी खुली हुई साफ़ दिखाई दे रही थी जो कि नमी के कारण चमक रही थी।ताऊ जी अपना लौड़ा सहला कर उनकी चूचियाँ चूस रही थे। फिर वो भी आकर अपना मुँह उनकी बुर में घुसेड़कर उसे चूसने लगे। मम्मी इस दुगने हमले से उइइइइइइइ कर उठीं। अब वह ताऊ जी का सर अपनी बुर में दबाने लगीं।

मालिनी ने मम्मी का मुँह ध्यान से देखा । उनकी आँखें अत्याधिक मज़े से बंद थीं और वो आऽऽऽऽऽह बहुत अच्छाआऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽ है आऽऽहहहह हाय्य्य्य्य्य्य । और चूसोओओओओओओओ चिल्लाए जा रही थी।
फिर राजीव अपना मुँह गाँड़ से हटा कर बोला: चलो अब चुदाई करते हैं। मालिनी ने देखा कि पापा ने मम्मी को करवट लिटाया और ख़ुद उनके पीछे चला गया और अपने हाथों से उनके मोटे चूतरों को दबाने लगा और फिर अपने लौड़े पर तेल चुपड़कर उसकी गाँड़ में पेल दिया। ताऊ भी उसके सामने लेट गया और उसकी चूचियाँ चूसते हुए उसकी बुर में अपना लौड़ा डालकर चुदाई में लग गया। अब फिर से मम्मी की सिसकारियाँ गूँजने लगी। मम्मी ने एक टाँग हवा में उठायी हुई थी और आराम से कमर हिला कर दोनों छेदों में लौड़े घुसवा कर मज़े से भरी जा रहीं थीं।और फिर हाऽऽऽऽऽऽय्य्य्य्य मरीइइइइइइइ आऽऽऽऽऽऽऽहहह । वगेरह चिल्लायीं जा रहीं थीं। मम्मी के हाथ ताऊ के पीठ पर थे और वह उसे सहलाते हुए अब उसकी चूतरों तक ले आइ थीं और उसके चूतरों को ज़ोर से दबा रहीं थीं मानो कह रही हो और अंदर तक डालो। ताऊ और पापा के चूतर किसी पिस्टन के माफ़िक़ चल रहे थे और वो भी ह्म्म्म्म्म आऽऽह कर रहे थे। पूरा कमरा चुदाई की आवाज़ों से गूँजने लगा था । और मालिनी ने एक बार फिर से अपनी नायटी उठाई और अपना हाथ एक बार फिर से अपनी बुर में डाल दिया था। उसे याद आया कि चुदाई के दौरान कभी कभी शिवा भी उसकी गाँड़ में ऊँगली करता है। वो हमेशा उसकी ऊँगली वहाँ से हटाकर अपनी चूचियों पर रख देती थी।आज ना जाने उसे क्या हुआ कि वो अपनी गाँड़ में एक ऊँगली ख़ुद ही डाली और आगे पीछे करने लगी। उसने अँगूठा बुर में और एक ऊँगली गाँड़ में डाल दी और उनको हिलाने लगी।

चुदाई करते हुए राजीव ने अपना सिर उठाया और खिड़की की तरफ़ देखा और उसकी आँखें फिर से मालिनी की आँखों से टकरा गयीं। वह मुस्कुराया और हाथ भी हिलाया। मालिनी के तो शर्म के मारे पसीना निकल गया और वह फिर से भाग कर वापस अपने कमरे में आ गयी। अब मालिनी के शरीर में आग लगी हुई थी। उसने देखा कि शिवा अभी भी आराम से सो रहा है। उसने शिवा को हिलाया और उठाया। शिवा उठकर बोला: क्या हुआ रानी क्या बात है?

मालिनी ने कहा: मुझे नींद नहीं आ रही है। आप तो सोए ही जा रहे हो। यह कहते हुए उसने नायटी के ऊपर से अपनी बुर को खुजा दी। शिवा मुस्कुराया और बोला: ओह बुर खुजा रही है? आओ रानी अभी शांत कर देता हूँ ।

मालिनी: आपने ऐसी आदत डाल दी है कि बिना करवाए नींद नहीं आती है। चलो कपड़े उतारो। मैं भी उतारती हूँ। ये कहते हुए इसने नायटी उतार दी और फिर ब्रा खोलकर बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी। जब वह बाहर आयी तो शिवा भी पूरा नंगा खड़ा था और वह भी बाथरूम में घुसकर फ़्रेश होकर वापस आया।

मालिनी ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगी । वह भी मज़े से उसकी चूचियाँ दबाकर मस्त होने लगा। फिर मालिनी उसकी छाती को चूमते हुए उसके पेट को चुमी और फिर वह उसके नाभि में जीभ डालकर उसके लौड़े को सहलाने लगी। फिर नीचे जाकर वह उसके लौंडे को चूसने लगी। उसका लौड़ा अब पूरी तरह से तन गया था। मालिनी अब उसके लौड़े पर वैसे ही अपनी बुर रख कर बैठी जैसे मम्मी पापाजी के लौड़े पर बैठी थी। अब वह अपनी कमर उछाल कर चुदवाने लगी। शिवा भी उसकी हिलती हुई चूचियाँ दबाने लगा।

अचानक मालिनी ने अपना हाथ शिवा के हाथ पर रखा जो कि उसकी छाती पर था। फिर वह बोली : शिवा, आज मेरे पीछे ऊँगली करो ना। जैसे पहले कभी कभी करते थे।

शिवा: पर तुम तो हमेशा मेरा हाथ वहाँ से हटा देती थी तो आज क्या हो गया?

मालिनी: हाँ पर आज मेरी इच्छा हो रही है। करो ना। लाओ मैं आपकी ऊँगली गीली कर देती हूँ। यह कहकर मालिनी ने शिवा की एक ऊँगली मुँह में लेकर चूसी और उसमें थूक लगा दी ।
शिवा अब उसकी गाँड़ ने उस उँगली को अंदर डाल दिया। मालिनी की चीख़ निकल गयी। वह बोली: उइइइइइ माँ जलन हो रही है।

शिवा ऊँगली निकाल कर बोला: वो तेल उठाना ज़रा। मालिनी ने उसे चुदाई करते हुए तेल पकड़ा दिया। अब शिवा अपने ऊँगली में तेल लगाया और फिर से उसकी गाँड़ में ऊँगली डाला। अबके मालिनी हाऽऽऽय्य कर उठी। इसमें सच में बहुत मज़ा आ रहा था। वह बोली: उफ़्फ़ बहुत मज़ा आ रहा है। आप ऐसे ही ऊँगली करते रहिए। अब वह और ज़ोर ज़ोर से अपनी गाँड़ हिलाकर चुदवाने लगी। जल्दी ही वह लम्बे धक्के मारने लगी। नीचे से शिवा भी अपनी कमर उछालकर उसकी बुर में लौड़ा जड़ तक पेल रहा था। फिर दोनों आऽऽऽहहह करके झड़ने लगे और एक दूसरे से चिपक गए।

शिवा ने उसकी गाँड़ से ऊँगली निकाली और उसे सूँघने लगा और बोला: उफ़्फ़ क्या मस्त गंध है तेरी गाँड़ की।

मालिनी ने उसको एक चपत मारी और कहा: छी कुछ भी करते है आप। जाओ हाथ धो के आओ।

शिवा हँसते हुए बाथरूम चला गया। मालिनी वहीं नंगी लेटी हुई पिछले कुछ घण्टों में आए ख़ुद के बदलाव के बारे में सोचने लगी। उसने अपनी टाँग उठाई और अपनी बुर और गाँड़ पर हाथ फेरकर सोची कि सच में मुझे कुछ होने लगा है। शिवा बाथरूम से बाहर आया तो वो भी फ़्रेश होकर वापस आइ और शिवा के साथ नंगी ही लिपट कर सोने लगी।

तभी पता नहीं उसे क्या हुआ कि वो शिवा को बोली: वो आपका ख़ास दोस्त असलम आजकल आपसे बात करता है क्या?

शिवा चौंक कर बोला: अरे आज उसकी कैसे याद आ गयी? हाँ करता है बल्कि वह तो तुमको मिलने की भी बात करता है। वह तो हम दोनों को खाने पर भी बुला रहा है।

मालिनी: खाने पर जाएँगे तो वह बीवियों की अदला बदली की बात तो नहीं करेगा?

शिवा: करना तो नहीं चाहिए। पर अगर वह तुमको पसंद आ गया तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं होगा। वो हँसने लगा।

मालिनी: आपको भला क्यों ऐतराज़ होगा। आपको भी तो आयशा मिल जाएगी मज़े करने के लिए।
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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फिर दोनों हँसने लगे और एक दूसरे को चूम कर सोने की कोशिश करने लगे। शिवा सोच रहा था कि मालिनी में अचानक आए इस परिवर्तन की वजह क्या है? आज वो गाँड़ में ऊँगली डलवायी और अब असलम की बात , वो भी इस समय? कुछ तो बात है। वो सोचते हुए सो गया। मालिनी भी सोच रही थी कि उसे अचानक से आज असलम क्यों याद आ गया? वो तो कभी भी दूसरे मर्द से चुदवाने का कभी सोची ही नहीं। यह सब सोचते हुए वह भी सो गयी।
आज छुट्टी थी तो एक बड़ा सा अपडेट तो बनता है दोस्तों----

अगली सुबह मालिनी सुबह उठी और फ़्रेश होकर ब्रा और पेटिकोट और नायटी पहनी। आज उसने पेटिकोट इसलिए पहनी कि ताऊ जी भी थे। जब वह किचन में गयी तो मम्मी को वहाँ देखकर हैरान रह गयी। उन्होंने भी अभी ब्रा और पेटिकोट पहना था नायटी के नीचे। मम्मी की मुस्कान ने मालिनी के मन की सारी कड़वाहट को धो धिया और वह उनसे लिपट कर प्यार करने लगी। सरला ने उसके गाल को चूमा और बोली: चल आज मुझे चाय बना लेने दे ।

मालिनी: ठीक है आप बनाओ , मैं मदद करती हूँ । फिर माँ बेटी मिलकर नाश्ते की तय्यारी में लग गयीं।
मालिनी सरला दो देखते हुए सोच रही थी कि अभी इनको देखकर कौन कहेगा कि ये रात को दो मर्दों के साथ एक रँडी की तरह व्यवहार कर रहीं थी। अभी वो चाय बनाते हुए एक गृहिणी लग रहीं थीं। मालिनी सोची कि हम सबके कितने रूप हैं इस जीवन में। ख़ैर वो रोज़ की तरह राजीव के कमरे के सामने जाकर आवाज़ दी: पापा जी , ताऊ जी आइए। चाय बन गयी है।

ताऊ जी की आवाज़ आयी: आते हैं बेटी अभी ।

थोड़ी देर में दोनों बाहर आए लूँगी और बनियान में। सरला और मालिनी टेबल पर बैठकर चाय पी रही थीं। वो दोनों भी आकर उनके आमने बैठ गए।चाय पीते हुए ताऊ जी बोले: बेटी बड़ा अच्छा लगा तुम सबसे मिलकर। बस नाश्ता करके हम लोग निकलेंगे।

मालिनी: ठीक है ताऊजी, ये दुकान जाते हुए आपको बस अड्डे छोड़ देंगे।

राजीव: अरे यार कुछ दिन और रहते तो ज़्यादा मज़ा आता। ये कहते हुए उसने सामने बैठी मालिनी को सबकी नज़र बचा कर आँख मार दी। मालिनी ने अपना मुँह घुमा लिया ।

सरला मुस्कुरा कर बोली: भाई सांब आप जब बुलाएँगे फिर आ जाएँगे ।

ताऊजी: अगली बार आप सब भी आयिए हमारे घर।

राजीव: हाँ जी ज़रूर आएँगे। आप सबसे मिलना तो बड़ा अच्छा लगता है। इस बार भी वह मालिनी को देखते हुए मुस्कुरा कर कहा था।

फिर सब नहाने चले गए और शिवा भी सोकर उठा और सबने साथ नाश्ता किया और फिर सरला और श्याम शिवा के साथ चले गए। अब घर में सिर्फ़ राजीव और मालिनी ही रह गए। कमला सफ़ाई कर के चली गयी थी। राजीव सोफ़े पर बैठा और बोला: बहु एक और चाय पिलाओ ना प्लीज़।

मालिनी: जी पापा जी अभी लायी। कहकर किचन में चली गयी। जब वह चाय लाई तो पापा सोफ़े पर बैठा हुआ मोबाइल में फ़ोटो देख रहे थे। चाय का प्याला सामने रख कर वह जाने लगी तो राजीव बोला: बहु बैठो और ये फ़ोटो देखो। मैं अपना चश्मा लेकर आता हूँ। मालिनी वहीं बैठ गयी और मोबाइल में फ़ोटो देखनी लगी। राजीव अपने कमरे में चला गया था चश्मा लाने।

मालिनी ने फ़ोटो देखना शुरू किया। मम्मी की फ़ोटो थी साड़ी में ,अगली फ़ोटो में वो टॉप में थी जिसमें रेस्तराँ गयीं थीं। अगली फ़ोटो में मम्मी नायटी में थी। यहाँ तक सब ठीक था। उसके बाद की फ़ोटो सब गड़बड़ थीं। अब नायटी में मम्मी के दूध दिख रहे थे। फिर अगली फ़ोटो में मम्मी पूरी नंगी खड़ी थी। सामने से और पीछे से भी फ़ोटो खींची हुई थी। अगली फ़ोटो ने मम्मी बिस्तर पर लेटकर अपनी दोनों टाँगे उठाकर और फैलाकर अपनी बुर और गाँड़ दिखा रही थी। उफफफफ मम्मी को ये क्या हो गया है। ऐसे भी कोई फ़ोटो खिंचवाता है क्या।

राजीव अचानक आकर उसके बग़ल में बैठ कर बोला: ये नंगी फ़ोटो मैंने तुम्हारे खिड़की से हटने के बाद खींची थी। क्या मस्त पोज दिया है ना तुम्हारी मम्मी ने। असल में ज़्यादा चढ़ गयी थी उसको दारू।

मालिनी को समझ नहीं आया कि वो कैसे इस बात का आवाज़ दे वह बोली: पापा जी ये फ़ोटो आप प्लीज़ डिलीट कर दीजिए।

राजीव: ज़रूर कर दूँगा जब तुम मुझे मिल जाओगी। अभी तो वो मेरे मूठ्ठ मारने के काम आएगी । वैसे तुम निश्चिन्त रहो ये मेरे पास सुरक्षित है। वैसे एक बात बताओ कल जो तुमने खिड़की से देखा , उसके बाद भी तुमको लगता है कि ज़िंदगी मज़े लेने के लिए नहीं तो और किसके लिए बनी है। देखा नहीं कि सरला ने कितना मज़ा लिया। वो एक एक पल का आनंद ले रही थी। हम दोनों भी बहुत मज़ा लिए तुमने देखा ही था।

मालिनी उठकर जाने लगी तो वह उसे पकड़कर बिठा लिया और बोला:बहु बात करोगी तभी तो बात बनेगी । ऐसे उठकर चली जाओगी तो फिर हम आगे कैसे बढ़ेंगे। अच्छा एक बात बताओ कि तुम और शिवा चुदाई करते हो तो उसमें ज़्यादा वेरायटी तो नहीं होती होगी ना? वही रोज़ रोज़ एक या दो आसनों में चुदाई करती होगी। जब तुम किसी और से चुदवाओगी तो तुमको एक अजीब सा मज़ा मिलेगा और वेरयटी भी मिलेगी। हर आदमी का चोदने का एक अपना तरीक़ा होता है और फिर लौड़े और बुर भी अलग अलग नाप और बनावट की होतीं हैं। इसलिए लोग पार्ट्नर बदल कर मज़े लेते है। कुछ समझ में आया मेरी प्यारी बहु रानी।

मालिनी पापा की बातें वो भी इतने खुले और अश्लील शब्दों में सुनकर हक्की बक्की रह गयी। वो बोली: पापा जी आप मुझसे इतनी गंदी भाषा में बात कैसे कर रहे हैं। मुझे बहुत अजीब लग रहा है।

राजीव: बहु , जब तुम खिड़की से अपनी मम्मी को चुदवाते देख सकती हो वो भी मुझसे और अपने ताऊ जी से तो ऐसी बातें तो मैं कर ही सकता हूँ। सच बताओ तुमने हमारी चुदाई देखकर अपनी बुर नहीं मसली क्या? या शिवा से उसी समय नहीं चुदवाई? दोनों में से एक काम तो किया ही होगा।

मालिंनि क्या बोलती, सच तो ये है कि उसने दोनों ही काम किया था, बुर भी मसली थी और चुदायी भी की थी । पर वह सामने से बोली: पापा जी आप ये कैसी बातें कर रहे हैं? मुझे जाने दीजिए। वह अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की।

राजीव: बहु क्यों तड़पा रही हो? मान जाओ और मज़े लो मुझसे और मुझे भी मज़ा दो। ये कहकर वो उसकी चूचि दबाने लगा। अब मालिनी की बुर गीली होने लगी पर वह विरोध करके उठी और राजीव के हाथ को अपनी चूचि से हटायी और बोली: पापा जी प्लीज़ अभी नहीं । मैं अभी तय्यार नहीं हूँ। यहकहकर वो अपने कमरे में चली गयी। वह महसूस की उसकी छातियाँ पापा के बातों से वह बहुत उत्तेजित हो चली थीऔर निप्पल्स कड़े हो गए थे। उसने अपनी बुर दबाई और बिस्तर पर लेट गयी।

उसने शिवा को फ़ोन लगाया: हेलो, आपने उनको बस चढ़ा दिया ना?

शिवा: हाँ जानू चढ़ा दिया। और क्या हाल है? उनकी याद आ रही है क्या?

मालिनी: हाँ एक दो दिन तो याद आएगी ना।

शिवा: तुम्हारे दोस्त का फ़ोन आया था।

मालिनी: मेरा दोस्त? मेरा कौन सा दोस्त पैदा हो गया?

शिवा हँसकर :वही असलम का यार। कह रहा था कब आएँगे खाना खाने। मैंने कह दिया कि तुमसे पूछ कर बताऊँगा।

मालिनी: हाँ हाँ आप तो मरे जा रहे हो ना आयशा को खाने के लिए। मेरा नाम क्यों लेते हो?

शिवा: अरे यार मैंने तो ऐसे ही कह दिया टालने के लिए। तुम ना जाना चाहो तो कोई ज़बरदस्ती थोड़े ना ले जाऊँगा

मालिनी: चलिए अब रखती हूँ।

राजीव अपने कमरे में बैठा सोच रहा था कि ये लड़की तो बहुत मुश्किल से पटेगी लगता है ।

उसके बाद कुछ दिन और कुछ नया नहीं हुआ। राजीव ने एक नया व्यवहार शुरू कर दिया था। वह अक्सर किचन में जाकर मालिनी को पकड़कर चूम लेता था और अक्सर उसकी चूचि आराम से दबा देता था। कभी कभी वह उसकी बुर और गाँड़ भी दबा देता था। मगर मालिनी हर बार उसका विरोध भी करती थी। इसी तरह चल रहा था। मालिनी अभी भी दुविधा में थी कि क्या करे और क्या ना करे।

उस दिन मालिनी और राजीव दोपहर का खाना खा रहे थे तभी राजीव का मोबाइल बजा। क्योंकि वह खाना खा रहा था उसने फ़ोन को स्पीकर मोड में डालकर कहा: हेलो। कौन बोल रहा है? मालिनी ने भी देखा कि कोई नाम नहीं आ रहा था सिर्फ़ नम्बर था।

उधर से एक लड़की जी आवाज़ आयी: अंकल मैं नूरी बोल रही हूँ।

एक मिनट के लिए राजीव उसे नहीं पहचान पाया और बोल पड़ा: कौन नूरी?

नूरी: ओह आप मुझे भूल भी गए। वाह कैसे पापा हैं आप मेरे बेटे के?

राजीव को अचानक याद आया कि ये तो वही नूरी है जिसे उसने प्रेगनेंट किया था और उसे एक बेटा भी हुआ था। वह बोला: अरे सॉरी नूरी भूल गया था। कैसी हो तुम? और हमारा मुन्ना कैसा है?

अब मालिनी ने चौंकने की बारी थी ।पापा का “हमारा मुन्ना” कहना उसे चौंका गया था। वो ध्यान से सुनने लगी।

नूरी: अंकल मैं भी बढ़िया हूँ और हमारा बेटा भी। बिलकुल आपके ऊपर गया है। आपके जैसा ही दिखता है। और स्वभाव भी आपके जैसा है।

राजीव: अरे दो साल का लड़का कैसे मेरे ऊपर गया है ?

नूरी: वो भी आपके जैसे मेरे दूध चूसता था। अब तो मैंने छुड़ा दिया है। हा हा ।

राजीव: हा हा बदमाश हो तुम। अच्छा बताओ कैसे याद आयी हमारी?

नूरी: मतलबी हूँ ना इसलिए मतलब से याद किया।

राजीव: तुम्हारी ये बात मुझे बहुत पसंद है कि साफ़ साफ़ बात करती हो। बोलो क्या काम है? तुम्हारा पति कैसा है?

नूरी: वो बहुत अच्छें हैं और उनका काम भी अच्छा चल रहा है । मैंने आपको इस लिए फ़ोन किया हाँ कि मेरे पति और ससुराल वालों को एक और बच्चा चाहिए। मैंने समझाने की बहुत कोशिश की पर सब अड़े हुए हैं। मैंने मजबूर होकर आपको फ़ोन किया।

राजीव: अरे तो क्या हुआ, बेबी। आख़िर तुम हमारी जान हो और अपनी हो। पर आजकल तुम हो कहाँ?

नूरी: मैं दिल्ली में रहती हूँ। पर आपसे मिलने मैं आपके शहर आ सकती हूँ , वहाँ एक मेरी आंटी रहती है। आपके दोस्त का फ़्लैट अब भी है क्या जहाँ हम मस्ती करते थे? वहीं अब भी मस्ती हो सकती है।

मालिनी स्तब्ध रह गयी की क्या कोई शादीशुदा लड़की अपने बाप की उम्र के आदमी से ऐसे बात कर सकती है।

राजीव: नहीं उसने वह फ़्लैट बेच दिया। अब तुमको मेरे घर पर ही आना पड़ेगा।

नूरी: आप अकेले रहते है क्या? आंटी कहाँ गयीं?

राजीव: तुम्हारी आंटी भगवान के घर चली गयीं। लेकिन अब मेरे साथ मेरा बेटा और बहु रहते हैं। बेटा तो दिन भर दुकान में रहता है और बहु घर पर ही रहती है।

नूरी: ओह तब तो गड़बड़ हो गया ना? मैं तो रोज़ आंटी के यहाँ से आपसे मिलने के लिए २ घंटे निकाल लूँगी पर आपके घर में तो बहु होगी ना। फिर कैसे होगा? आपको कोई जगह का इंतज़ाम करना पड़ेगा।

राजीव ने मालिनी को देखते हुए कहा: बेबी , मेरी बहु बहुत अच्छी है । जब मैं उसे ये बताऊँगा कि मैं तुमको माँ बनाने के लिए चोद रहा हूँ, तो वो बात को समझ जाएगी और हमारी मदद करेगी।

नूरी: आप बिलकुल नहीं बदले। आपको अभी भी चुदाई शब्द का बहुत शौक़ है। हा हा । पर आपकी बहू इसमेंआपकी मदद करेगी वो बात मेरे गले नहीं उतर रही। सच सच बताइये कि आप कहीं उसकी भी चुदाई तो नहीं कर रहें हैं?

राजीव मालिनी को आँख मारते हुए: नहीं नहीं सच में ऐसी कोई बात नहीं है। वो बहुत ही अच्छी लड़की है। वह सबकी मदद करती है, जब मैं उसे पूरी बात बताऊँगा कि तुम्हारा पति तुमको माँ नहीं बना सकता है और तुमको मेरी इसमें मेरी मदद चाहिए, तो वो तुम्हारी भी मदद करेगी।

मालिनी पापा की बात सुनकर हैरानी से भर गयी। उस लड़की को मेरे ही घर में चोदने के लिए वो मेरी मदद माँग रहे हैं। हे भगवान। इस आदमी का मैं क्या करूँ?

नूरी: तो आप अपनी बहु से बात करके मुझे बता दीजिए। असल में मेरे अन्सेफ़ पिरीयड कल से ही शुरू हो रहा है। अगर आप हाँ करोगे तो मैं कल ही फ़्लाइट से आकर दोपहर में आपसे मिलने हा हा नहीं चुदवाने आ सकती हूँ। हाँ मेरे साथ मेरा बेटा भी होगा। मैं दस बारह दिन का प्रोग्राम बनाऊँगी। इतने दिनों में तो आप मुझे प्रेगनेंट कर देंगे ना?

राजीव मालिनी को देखकर मुस्कुराकर बोला: अरे अभी कुछ महीने पहिले ही एक लड़की को एक महीने की चुदाई में माँ बना दिया है। फिर स्पीकर पर हाथ रख कर मालिनी से बोला: मैं रानी की बात कर रहा हूँ। मालिनी का चेहरा लाल हो रहा था। वह चुपचाप सुन रही थी। उसने अपना मुँह घुमा लिया।

नूरी: ओह तब तो मेरा काम भी हो जाएगा, अंकल , तो फिर कब फ़ोन करूँ आपको? आप अपनी बहु से बात करके बता दीजिए।

राजीव: अरे बेबी, मैं उससे बात करके थोड़ी देर में फ़ोन करता हूँ। अब सच बोलूँ , तुम्हारी टाइट बुर को याद करके मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है। उफफफ क्या मज़े से चुदवाती थी तुम।

नूरी: अंकल, मेरा भी बुरा हाल है आपसे बात करके। मेरी भी बुर गीली हो रही है। क्या मज़ा करते थे हम? दो दो घंटे चुदाई करते थे। चलो ठीक है , मैं आपके फ़ोन का इंतज़ार करती हूँ। बाई।

राजीव: बाई मेरी जान।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव उठा और उसकी लूँगी का उभार मालिनी को जता दिया कि वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है नूरी से बात करके। वह वाशबेसिन में हाथ धोया खाना ख़त्म करके। मालिनी भी उठकर किचन में जाकर बर्तन रखी और हाथ धोते हुए सोचने लगी। क्या ये सब जो वो सुन रही है ये सम्भव है? एक लड़की माँ बनने के लिए अपने पति को धोका दे सकती है। वह फिर अपने पति से कैसे आँख मिला पाती होगी। पर ये सब सुनकर उसे उत्तेजना क्यों हो रही है। उसने अपनी बुर खुजायी और बाहर आयी। वो जानती थी की पापा अब उससे उसकी हामी के लिए पूछेंगे। पता नहीं क्या हो रहा है इस घर में।

वो किचन से बाहर आयी तो राजीव सोफ़े पर बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था। वह बोला: बहु आओ बैठो तुमसे नूरी के बारे में बात करनी है । मालिनी चुपचाप उसके सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयी। आज उसने सलवार कुर्ता पहना था। उसकी चुन्नी सलीक़े से उसकी बड़ी छातियों को ढकीं हुई थी।

राजीव बोला: बहु , आज मैं तुमको एक बात बताऊँगा जो कि सिर्फ़ कुछ लोगों को मालूम है, जैसे तुम्हारी मम्मी को। दरअसल में मैंने अब तक रानी को मिलाकर कुल चार लड़कियों को माँ बनाया है। नूरी को तो उसकी माँ लेकर आयी थी मेरे पास चुदवाने के लिए। इसके पहले भी एक और लड़की को उसकी सास लेकर आयी थी जिसे मैंने मॉ बनाया था।

मालिनी का मुँह खुला का खुला रह गया। वो बोली: मा और सास अपनी बेटी और बहु लेकर आयीं थीं आपके पास इस काम के लिए? क्या हो गया है दुनिया को?

राजीव: बहु, हमारे समाज में माँ नहीं बन पाने का दोष सिर्फ़ लड़की को दिया जाता है। यहाँ तक कि लड़के की दूसरी शादी की बात भी होने लगती है। फिर लड़की और उसकी माँ क्या करें? वो मेरे जैसे आदमी की मदद लेती हैं और कुछ लड़कियाँ अगर घर में ही कोई ज़ेठ या देवर या ससुर हो तो उनसे ही चुदवा कर माँ बन जाती हैं और कुछ पड़ोसी या मेरे जैसे किसी जान पहचान वाले से चुदवा लेती हैं माँ बनने के लिए। समझी तुम?

मालिनी: ओह, मैं तो ऐसा कुछ होता है सोच भी नहीं सकती थी।

राजीव: अब तुमने सुना ही है कि नूरी के ससुराल वालों को दूसरा बच्चा चाहिए। अब उसका पति हालाँकि उसे चोदकर संतुष्ट कर लेता है पर स्पर्म की कमज़ोरी के कारण उसे माँ नहीं बना सकता। अब बताओ वो क्या करे?

मालिनी: ओह , तो ये बात है।

राजीव: हाँ बहू यही बात है। अब तुम उसकी मदद कर दो और अगर उसे यहाँ दो घंटे के लिए आने दो और मुझसे चुदवाने दो तो उस बेचारी को माँ बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा और मुझे भी फिर से एक जवान बदन को चोदने का सुख मिलेगा।

ये कहकर वो खड़ा हुआ और उसकी लूँगी में से खड़ा लौड़ा मालिनी की आँखों के सामने था। वह आकर मालिनी के पास बैठा और उसकी जाँघ सहला कर बोला: बहु, प्लीज़ हाँ कर दो। देखो मैं भी कैसे मरा जा रहा हूँ उसको चोदने के लिए। यह कहकर उसने अपनी लूँगी खोली और अपना लौड़ा हवा में झुलाकर उसको दिखाने लगा। मालिनी इतने पास बैठी थी कि उसे पापा के लौड़े की गंध भी आ रही थी। उसकी बुर भी बुरी तरह से गीली होने लगी।

वो बोली: ठीक है पापा जी आप आने दीजिए उसको। और उसकी और अपनी इच्छा पूरी कर लीजिए।

राजीव ख़ुशी से भर कर बोला: आह बहु , तुमने मुझे ख़ुश कर दिया । थैंक यू बहु । तुम बहुत अच्छी हो सच में। यह कहकर वो उसको अपनी बाँह में दबाकर चूम लिया। मालिनी इस अचानक हमले के किए तय्यार नहीं थी। फिर वह उसकी चुन्नी हटाकर उसकी एक चूची दबाने लगा। मालिनी कसमसाते हुए बोली: पापा जी छोड़िए ना प्लीज़।

मगर राजीव ने उसका हाथ अपने लौंडे पर रखा और उसके हाथ को दबाकर मूठ्ठ मारने लगा। उसके गरम लौड़े का स्पर्श उसे भी पागल करने लगा। वह अब दूसरी चूची दबाने लगा। मालिनी का हाथ अभी भी उसके लौड़े पर ही था और वह अभी भी अपने हाथ से उसे दबाकर मूठ्ठी मार रहा था।

मालिनी: आऽऽऽंहहह पापा जी छोड़िए ना।

राजीव ने करीब गिड़गिड़ाते हुए कहा: बहु, प्लीज़ एक बार मेरा पानी गिरा दो। आऽऽऽह बहुत अच्छा लग रहा है।

मालिनी समझ गयी कि बिना झड़े वो शांत नहीं होगा, तो उसने हार मान ली और अब उसके लौड़े को ख़ुद ही मुट्ठी में जकड़ कर हिलाने लगी। अब राजीव ने अपना हाथ वहाँ से हटाया और बहु की दोनों चूचियाँ दबाने लगा। मालिनी ने शर्म और उत्तेजना से अपनी आँखें बंद कर लीं और ज़ोर ज़ोर से अपने हाथ हिलाने लगी। तभी राजीव ने उसकी क़ुर्ती उठाई और सलवार के ऊपर से उसकी बुर को सहलाने लगा और उसने पाया कि वो इतनी गीली थी जैसे उसने पेशाब कर दिया हो। उसने दो उँगलियाँ सलवार के पतले कपड़े से ही उसकी बुर में डाल दीं।

मालिनी अब उइइइइइइ करके उसका लौड़ा हिलाती रही और अनजाने में अपनी कमर भी हिलाने लगी। फिर अचानक उसे लगा कि पापा आऽऽऽहहहह कर रहे हैं तो उसने आँख खोली और देखा कि उसी समय उनका लौड़ा झटका मारकर पानी छोड़ने लगा। वीर्य गाढ़ा सा काफ़ी दूर तक ज़मीन में फैल गया और उसका हाथ भी उससे गीला हो गया। तभी वो भी पापा की उँगलियों में झड़ने लगी। ऐसा पहली बार हुआ था कि वो अपने पति के अलावा किसी और से ये सब की थी।

वो चुपचाप से उठी और अपराध बोध से भरकर वह अपने कमरे में आ गयी और बाथरूम में जाकर अपने हाथ को धोने का सोची। तभी फिर उस दिन जैसे उसने पापा के वीर्य को सूँघा और फिर पता नहीं उसे क्या हुआ कि वह अपने हाथ को चाटने लगी। उफफ़ग़फ उसे क्या हो रहा है? वो इतनी कामुक कैसे होती जा रही है? ये सब सही है क्या? शिवा को ये सब पता चलेगा तो उसपर क्या बीतेगी? आऽऽऽह वह क्या करे। वह टोयलेट की सीट पर बैठकर मूतने लगी। फिर सफ़ाई करके बाहर आयी और बिस्तर पर लेट गयी। उसकी आँख लग गयी।

थोड़ी देर में राजीव अंदर आया और उसके पास आकर वह उसके माथे पर हाथ फेरा। वह हड़बड़ा कर उठने की कोशिश की। पर राजीव ने उसे कंधे दबाकर ज़बरदस्ती लेटे ही रहने को कहा। वो बोला: तो बहु, मैं नूरी को बोल दूँ ना कि वो कल से आ सकती है। देखो बाद में अपना इरादा बदल नहीं लेना।

मालिनी धीरे से बोली: ठीक है ।

राजीव: तो मैं उसे बोल देता हूँ। पर उसका बेटा भी तो आएगा, उसे तुम थोड़ी देर सम्भाल लोगी ना जब हम चुदाई करेंगे।

मालिनी: ठीक है पापा जी मैं उसे भी संभाल लूँगी।

राजीव ख़ुश होकर उसके गाल को चूम लिया। फिर वह नूरी को फ़ोन लगाया। फ़ोन को इसने स्पीकर मोड में रखा। राजीव: हेलो बेबी।

नूरी: जी अंकल क्या बोली आपकी बहू। वैसे उसका नाम क्या है।

राजीव मालिनी के माथे को सहलाते हुए बोला: उसका नाम मालिनी है और वह बहुत ही प्यारी बच्ची है। और हाँ वो मान गयी है और जिस समय हम चुदाई करेंगे वो हमारा बच्चा भी सम्भालेगी।

नूरी: सच में मालिनी बहुत अच्छी लड़की है, क्या आप मेरी उससे बात करवा देंगे?

राजीव : हाँ अभी करवाता हूँ। उसने मालिनी को फ़ोन दिया।

मालिनी ने हिचकते हुए कहा: हेलो।

नूरी: हेलो मालिनी, मैं तुमको थैंक्स कहना चाहती हूँ। तुम मेरी मदद करोगी और मुझे सम्मान से जीने का अवसर दोगी। सच में तुम बहुत अच्छी लड़की हो। भगवान तुम्हें सब ख़ुशियाँ दे।

मालिनी : अरे नहीं नहीं आप ज़्यादा सोचो मत । आप आओ और बाक़ी बच्चे को मैं संभाल लूँगी।

नूरी ख़ुश होकर: ठीक है तो फिर कल मिलते हैं। बाई ।

राजीव ने फ़ोन लेकर नूरी को कहा: अब तो कल मिलोगी ना बेबी।

नूरी: जी तीन बजे दोपहर में आती हूँ आपके पास । ठीक है?

राजीव मुस्कुरा कर अपना लौड़ा दबाया और बोला: बिलकुल बेबी मैं तो बस अब बेकरार हूँ तुमसे और हमारे बेटे से मिलने के लिए। अच्छा अब रखता हूँ। बाई ।

राजीव अब मालिनी को देखा और बोला: बहु आज मैं तुम्हारा ऋणी याने क़र्ज़दार हो गया। थैंक यू। वह झुका और उसके गाल चूम लिया और बाई कहकर उसे आराम करने को कहा और अपने कमरे में चला गया।

मालिनी आज दिन भर की घटनाओं के बारे में सोचते हुए सो गयी।
उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रात को शिवा ने मालिनी को दो राउंड चोदा। मालिनी चुदाई करवाते हुए सोच रही थी कि शिवा कितने प्यार से उसे चोद रहा है, आख़िर मैं उसे कैसे धोका दे सकती हूँ। आज शिवा भी तेल लगाकर उसकी गाँड़ में दो उँगलियाँ डालकर मालिनी को मज़े से भर रहा था। मालिनी भी अपनी कमर उछालकर मज़े ले रही थी। चुदाई के बाद दोनों संतुष्ट होकर लिपट कर सो गए। मालिनी शिवा को दिन भर की घटनाओं के बारे में कुछ भी बता नहीं पाई।

अगले दिन मालिनी सुबह फ़्रेश हुई और ब्रा पहनकर नायटी पहनी और किचन जाकर चाय बनाई। राजीव के कमरे में आवाज़ दी कि वो चाय पी ले।

राजीव बाहर आया और उसके हाथ में एक प्लास्टिक का थैला था। वो बोला: देखो बहु तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ?

मालिनी: क्या लायें हैं पापा जी?

राजीव: बहु आज मोर्निंग वॉक से आ रहा था तो हलवाई जलेबियाँ और कचौरी निकाल रहा था। वही ले आया। मुझे सरला ने बताया कि तुमको ये पसंद है। तुमने तो कभी बताया ही नहीं।

मालिनी हँसकर: पापा जी आपने कभी पूछा ही नहीं।

वह राजीव के हाथ से थैला लेकर किचन में जाकर प्लेट में डालकर लाई। राजीव ने लाड़ दिखाते हुए उसके मुँह के पास एक जलेबी रखी और बोला: लो बहु एक मेरे हाथ से खाओ।

मालिनी हँसती हुई मुँह खोली और बोली: नूरी के आने की ख़ुशी में। वह जलेबी खाते हुए बोली: आपने उसे मेरा नम्बर दिया है शायद। उसका sms आया है कि वो दिल्ली से जहाज़ में बैठकर निकल चुकी है। उसका जहाज़ अभी एक घंटे में आ जाएगा। वह हमारे घर ३ बजे तक आएगी।

राजीव: हाँ मुझे भी यही sms आया है। उसकी आंटी उसे लेने एयरपोर्ट पहुँचेगी। चलो शाम को मज़ा आएगा। उसने आँख मारते हुए कहा।

मालिनी चाय के कप रखने किचन में गयी तो वह भी उसके पीछे पीछे गया और वहाँ जाकर मालिनी को पीछे से पकड़कर अपने से चिपका लिया। उसके पेट के हिस्से को सहला कर बोला: सच में तुम बहुत ही प्यारी लड़की हो, पर पता नहीं मुझसे दूर दूर क्यों रहती हो।

मालिनी अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की और उसके चूतर उसके लौड़े से रगड़ गए। वह बोला: अच्छा बताओ कल रात शिवा ने चुदाई की थी?

मालिनी: आऽऽऽह छोड़िए ना प्लीज़।

राजीव: बताओ ना चोदा कि नहीं उसने?

मालिनी ने महसूस किया कि उसका लौड़ा अब उसे चुभने लगा है। वो बोली: उफफफफ आप भी ना। हाँ दो बार किया था। बस अब छोड़िए।

राजीव: दो बार क्या किया था?

मालिनी: आऽऽहहह चुदाई की थी और क्या करते हैं।

राजीव: और भी बहुत कुछ करते हैं। जैसे बुर चूसते हैं । वो चूस था तुम्हारी इस प्यारी सी मुनिया को? उसने नायटी के ऊपर से उसकी बुर को दबाकर पूछा?

मालिनी: उइइइइइ हाँ चूसे थे। हमेशा चूसते है। छोड़िए ना प्लीज़।

उसने मालिनी का हाथ पकड़कर अपने खड़े लौड़े पर रखा और बोला: और तुमने उसका ये यानी लौड़ा चूसा था?

मालिनी: आह्ह्ह्ह्ह्ह पापा जी छोड़िए ना। हाँ चूसा था और हमेशा चूसतीं हूँ।

राजीव: आऽऽऽऽऽऽह बहु मेरा कब चूसोगी?

वो बोली: कभी नहीं। मैं अपने पति को धोका नहीं दे सकती।

राजीव अभी भी उसका हाथ पकड़कर उससे अपना लौड़ा दबवा रहा था। वह उसकी बुर दबा कर बोला: अच्छा कोई बात नहीं मेरा मत चूसो पर मुझसे यह अपनी मुनिया तो चूसवा सकती हो बहु रानी।

मालिनी: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ छोड़िए। मैं कयों चूसवाऊँ? आप नूरी का चूसो ना। मम्मी का भी तो चूसते हो आप।

राजीव हँसकर: अरे भाई आज जलन की बू आ रही है। अरे तुम मेरी बन जाओ तो ये नूरी और मम्मी को मैं घर में घुसने ही नहीं दूँगा। अभी हाँ करो और अभी नूरी को मना करता हूँ।

मालिनी हँसकर: वाह बेचारी दिल्ली से सिर्फ़ आपसे चु- मतलब करवाने आ रही है और आप ऐसा बोल रहे हो? मालिनी की बुर आज सबेरे से ही खुजाने लगी थी, पापा जी की हरकतों के कारण।

राजीव उसके गाल चूमकर; क्या करवाने आ रही है?

मालिनी हँसकर उसके लौड़े को दबाकर बोली: इससे करवाने मतलब चुदवाने आ रही है। चलिए अब छोड़िए इनको भी उठाना है। बस बहुत हो गई आपकी ज़बरदस्ती और फ़ालतू की मस्ती।

राजीव उसको एक बार और अपनी बाहों में भींचकर उसके होंठ चूमा और फिर उसे छोड़ते हुए बोला: भगवान सब देख रहा है कि तुम इस ग़रीब पर कितना ज़ुल्म ढा रही हो, पाप लगेगा इस बिचारे को सताने का। वह अपने लौड़े को मसल कर बोला।

मालिनी भी हँसकर: वाह , एक आप ग़रीब और दूसरा ये बेचारा? वाह । वह उसके लौड़े को इशारा करके बोली।

फिर दोनों हँसने लगे। राजीव ने नोटिस किया कि अब मालिनी इस तरह की बातों से विचलित नहीं हो रही है जैसे कि पहले हो जाती थी। उसका कमीना मन यह सोच कर ख़ुश था कि लौंडिया फँस रही है।
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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उधर मालिनी सोची कि वह पापा जी से ज़रा ज़्यादा ही खुलकर बात करने लगी है। ओह उसे क्या हुआ जा रहा है वह अब पापा जी से चुदाई जैसे शब्द बोलने में भी संकोच नहीं कर रही है। और उसकी बुर को क्या हुआ जा रहा है जो बात बात पर गरम हो जाती है। उफफफफ मैं किस चक्रव्यूह में फँसी जा रही हूँ। वह सोचते हुए शिवा की चाय बनाई और उसे उठाने के किए कमरे में गयी। वो पूरा नंगा सो रहा था। उसने उसे प्यार से देखा और उठाकर चाय पीने को कहा। वह उसे बाहों में अपने ऊपर खींचकर उसे चूमा और गुड मॉर्निंग बोला। वह भी उसे प्यार की और फिर वह फ़्रेश होने के लिए चला गया।

नाश्ता आराम से निपट गया और शिवा अपने काम पर चला गया। तभी नूरी का फ़ोन आया।

मालिनी: हेलो।

नूरी: हाय कैसी हो? मैं तो आंटी के घर में हूँ। आंटी यहाँ अकेली रहती हैं। वो स्कूल में टीचर हैं। वो स्कूल चली गयी हैं। यहाँ बस एक नौकरानी है। मैं बोर हो रही हूँ।

मालिनी: तो आ जाओ अभी । क्या दिक़्क़त है। खाना हमारे साथ खा लेना।

नूरी: सच में अभी आ जाऊँ? आंटी शाम को पाँच बजे आएँगी। इसलिए मैं चार बजे भी निकलूँगी तुम्हारे घर से तो भी हो जाएगा।

मालिनी: अभी आ जाओ। ठीक है?

नूरी: तुम बहुत अच्छी हो। तुमसे मिलने की बड़ी इच्छा है।

मालिनी हँसकर: मुझसे या पापा जी से ? हा हा ।

नूरी भी हँसकर: दोनों से ही। अच्छा आती हूँ एक घंटे में ।

मालिनी ने फ़ोन रखा और राजीव के कमरे में बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी।

मालिनी ने देखा कि पापा जी ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने दरवाज़े को धक्का दिया और देखा कि कमरा ख़ाली है। बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुन कर वह बाथरूम के दरवाज़े को खटखटाई और ज़ोर से बोली: पापा जी, नूरी अभी एक घंटे में ही आ जाएगी। ठीक है ना?

उसी समय दरवाज़ा खुला और सामने राजीव पूरा नंगा खड़ा था। उसका मर्दाना बदन पानी से भीगा हुआ था। उसका लौड़ा लटकते हुए भी बहुत सेक्सी लग रहा था। उसके नीचे दो बड़े से बॉल्ज़ भी बहुत प्यारे लगे मालिनी को। वह शर्माकर पलट गयी और बाहर जाते हुए बोली: बस आपको बताना था कि नूरी अभी एक घंटे में आ जाएगी।

राजीव: इतनी जल्दी? वो तो दोपहर को आने वाली थी ना।

मालिनी उसकी बात का जवाब देने को पलटी और फिर से उसे नंगा देखकर झेंपकर बोली: हाँ वो अकेली है और ख़ाली है इस लिए अभी ही आना चाहती है और मैंने हाँ कर दी है। उसने एक नज़र उसके मस्त कसरती बदन को देखा और फिर बाहर जाते हुए बोली: मैं भी नहा लेती हूँ।

राजीव: अरे बहु सुनो तो एक मिनट।

मालिनी जाते हुए फिर रुकी और पलट कर बोली: जी बोलिए।

वह मुस्कुरा कर बोला: आओ ना साथ में ही नहाते हैं। मज़ा आ जाएगा। सच में बिलकुल तंग नहीं करूँगा। वह अपने लौड़े को हिलाकर बोला।

मालिनी: धत्त पापा जी आप भी कुछ भी बोलते रहते हैं। मैं जा रही हूँ। अब वह अपने कमरे में आइ और बाथरूम में जाकर कपड़े उतारते हुए उसे पापा जी का मस्त बदन और उनके मोटे मोटे बॉल्ज़ नज़र आ रहे थे। वह सोची की पापा जी के बॉल्ज़ में कितना रस भरा हुआ है जो कि वो सब लड़कियों को माँ बना देते हैं। उसने अपनी गीली हो रही बुर को सहलाया और सोची कि आज वो तो नूरी की प्यास बुझाएँगे। उसके मन में ये सोचकर थोड़ी सी जलन हुई जिसका कारण वह ख़ुद ही नहीं समझ पाई। वो नहाने लगी।

आज मालिनी ने पहली बार घर में मम्मी का लाया हुआ टॉप और स्कर्ट पहना। वह शीशे में अपने आप को देखी। वह बला की ख़ूबसूरत दिख रही थी। टॉप उसकी छातियों को ढके हुए था और वो दोनों उभारों को और भी उभार रहे थे। स्कर्ट भी शालीन ही था। उसके घुटनो से थोड़ा नीचे तक आ रहा था। आज उसने पैंटी पहन ली थी। वो नहीं चाहती थी कि नूरी उसे बिना पैंटी के देखे। फिर उसने अपनी छातियों को छुपाने के लिए एक जैकेट सा पहना। अब सब ठीक था। जैकेट में चेन लगी थी । वो बाहर आयी और कमला को खाना बनाने में मदद करने लगी।
थोड़ी देर बाद कमला चली गयी। वह किचन से बाहर आइ तभी राजीव बाहर आए। उन्होंने लूँगी बनियान ही पहनी थी। वो मालिनी को देखकर बोले: वाह आज तो बहुत सज रही हो बहु। ऐसे ही रहा करो। बहुत प्यारी लग रही हो। फिर वो मालिनी के पास आकर बोले: ये जैकेट क्यों पहनी हो? क्यूँ मस्त छातियों को छुपा रही हो। चलो निकालो इसे। यह कहते हुए उसने उसकी जैकेट की चेन नीचे को खिंची और जैकेट के दोनों पल्ले अलग हो गए। और मस्त उभरी हुई छातियाँ उसके सामने आ गयीं जो कि टॉप के ऊपर से बहुत ही मादक लग रहीं थीं।

मालिनी ने विरोध किया पर उसकी एक ना चली। फिर राजीव ने उसके दोनों चूचियों को दबाया और बोला: इनकी सुंदरता इनको दिखाने में है बहु । इस तरह जैकेट में छिपाने में नहीं है।
मालिनी उसके हाथ हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापा जी छोड़िए ना। नूरी आने वाली है । उसकी मसल दीजिएगा। मुझे बक्श दीजिए।

राजीव हँसने लगा और अपना हाथ उसकी चूचियों से हटा लिया पर उसने उसका जैकेट तो उतार ही दिया था । मालिनी जैकेट को अपने कमरे में रखने के लिए जाने के लिए जैसे ही पलटी राजीव की आँख उसकी गाँड़ के ऊपर चुस्त स्कर्ट से झलक रही पैंटी के किनारों पर पड़ी। वह फिर उसको कमर से पकड़ लिया और उसकी गाँड़ को दबाते हुए बोला: बहु आज पैंटी क्यों पहन ली? तुमने तो घर में पहनना छोड़ दिया था ना?

मालिनी झल्लाती हुई: पापा जी क्या स्कर्ट के नीचे भी पैंटी ना पहनूँ? साड़ी या सलवार के नीचे ना पहनूँ तो चल जाता है पर स्कर्ट के नीचे तो पहनना ही पड़ता है।

राजीव: अरे बहु क्यों पहनना पड़ता है? आख़िर मैं अकेला ही तो हूँ तो घर में और वैसे भी तुम्हारी बुर देखने के लिए मरा जा रहा हूँ। तुम ऐसे तो दिखाती नहीं हो, शायद ग़लती से ही दिख जाए तो मज़ा आ जाए।

मालिनी: आपको अपना सब कुछ दिखाने वाली आ रही है अभी। उसका सब देख लेना। चलिए अब छोड़िए मुझे।

राजीव उसकी गाँड़ दबाकर बोला: बहु तुमसे एक रिक्वेस्ट है, मानोगी?

मालिनी: बोलिए। वो अब राजीव की हरकतों से गरम हो रही थी उसका हाथ अभी भी उसकी गाँड़ की गोलाइयों को दबा रहा था।

वह बोला: बहु आज भी मैंने एक पल्ला खिड़की का खोल दिया है। मैं चाहता हूँ कि तुम आज हमारी चुदाई देखो।

मालिनी सन्न रह गयी। उफफफफ कितना खुलकर ऐसी गंदी बातें करते हैं। वो कुछ नहीं बोली।

वो फिर से बोला: देखोगी ना हमारी चुदाई? मैं ऐसा करता हूँ कि जब तुमको बुलाना होगा तो मैं तुमको एक मिस्ड कॉल दूँगा। तुम समझ जाना कि तुम्हारे लिए मेरा शो चालु हो गया है। बोलो आओगी ना? अब वह उसकी गाँड़ मसलता हुआ उसके गाल भी चूमने लगा।

मालिनी ने अब छूटने का प्रयत्न किया और बोली: पता नहीं।

तभी कॉल बेल बजी। मालिनी बोली: नूरी आ गयी लगता है।

राजीव: आने दो उसे, जब तक तुम नहीं बोलोगी कि तुम आकर देखोगी खिड़की से मेरी मिस्ड कॉल के बाद, मैं नहीं छोड़ूँगा।

मालिनी: अच्छा ठीक है छोड़िए ना , आ जाऊँगी देखने । बस अब छोड़िए ना।

राजीव ने उसे चूमा और छोड़ दिया। उसने अपने बदन के कपड़े ठीक किए और दरवाज़ा खोली।सामने एक भरे बदन की बहुत गोरी अच्छे नाक नक़्श की एक लड़की अपनी गोद में एक बच्चा लेकर खड़ी थी। बच्चा सो रहा था ।

मालिनी: नूरी दीदी?

नूरी: हाँ और तुम मालिनी?

मालिनी: जी दीदी । आइए प्लीज़।

वह अपना एक बैग और पर्स लेकर आयी और बोली: इसे कहाँ सुला दूँ?

मालिनी: मेरे कमरे में सुला दीजिए।

नूरी ने बच्चे को बिस्तर पर लिटाया और फिर सीधी खड़ी हुई और मालिनी को गले लगा ली। मालिनी की गोल पुष्ट छातियाँ उसकी पहाड़ जैसी छातियों से टकरा रहीं थीं। नूरी ने एक टॉप पहना था जिसमें से उसकी ब्रा भी दिख रही थी और नीचे उसने जींस पहनी थी जो उसके विशाल चूतरों से चिपकी हुई थी। फिर नूरी बोली: यार तीन साल पहले मेरा फ़िगर भी तुम्हारे जैसा ही था जब मैं अंकल से मिली थी। बच्चा होने के बाद शरीर काफ़ी बदल जाता है।

मालिनी: दीदी, आप तो अभी भी बहुत सेक्सी दिख रही हो। पापा जी तो फ़िदा हो जाएँगे।

वो हँसकर: अरे उनका क्या है? उनको तो बस तो मस्त चूचियाँ और एक छेद मिल जाए तो उनका काम हो जाता है।

मालिनी: छी दीदी आप भी कैसी बातें कर रही हैं। चलिए आपको पापा जी से मिलवाती हूँ।

बाहर आकर मालिनी ने देखा कि पापा वहाँ भी नहीं हैं। वह उनके कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी नूरी से नहीं मिलना क्या?

राजीव बाहर आकर बोला: वो तो तुमसे मिलने आई है , देखो ना सीधे तुम्हारे कमरे में चली गई। मेरे पास तो आइ नहीं। फिर जैसे ही उसकी नज़र नूरी पर पड़ी वह सब ग़ुस्सा भूल गया। उसकी आँखों में एक चमक दौड़ गयी और उसने बाँहें फैलाकर कहा: wow क्या दिख रही हो जान। पहले से भी ज़्यादा मस्त भर गयी हो। आओ मेरी बाहों में आओ ।

नूरी भी बाँहें फैलाकर उसकी तरफ़ जाकर उससे लिपट गयी। राजीव को मज़बूत बाहों ने उसे जकड़ लिया और वह उसके गाल चूमता हुआ अब उसके होंठ चूसने लगा। उसके हाथ उसकी पीठ , नंगी कमर से होता हुआ उसके बड़े। बड़े चूतरों तक जा पहुँचा था। अब वह उसकी गाँड़ की गोलाइयों को नाप रहा था। ये सब देखकर मालिनी की हालत ख़राब होने लगी।
उसे मन ही मन जलन की भावना से भर गई। उसे ख़ुद पर हैरानी हुई कि वह इस तरह से क्यों सोच रही है।

मालिनी: अच्छा तो मैं चलती हूँ। दीदी आप चाय पीयोगि क्या?

रेणु अपने आप को छुड़ाकर बोली: हाँ ज़रूर पियूँगी। चलो बनाते हैं। फिर राजीव को बोली: आप बैठो हम चाय लाते हैं।

वो दोनों किचन में चली गयी। मालिनी: आपको तो पापा जी बहुत प्यार करते हैं ।

नूरी: तुम अपना बताओ कि तुम दोनों के बीच क्या चक्कर है? अंकल को जहाँ तक मैं जानती हूँ वो तुम्हारे जैसे हॉट और मस्त माल को छोड़ने वाले हैं नहीं। चुदवा चुकी हो क्या उनसे?


मालिनी उसकी बात सुनकर सन्न होकर बोली: ऐसा कुछ नहीं है। मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ।

नूरी: तो क्या मैं नहीं करती अपने पति से प्यार। वो मुझे भी प्यारे हैं। पर उनको बच्चा भी चाहिए इसलिए मैं इनके पास आयीं हूँ। अब वो मुझे अभी तुम्हारे घर में चोदेंगे और तुम्हारी जानकारी में ही। इसका मतलब तो ये हुआ ना कि तुम दोनों का रिश्ता ससुर और बहु से कुछ आगे का भी है। क्या कहती हो?

मालिनी: ऐसा कुछ नहीं है। वो मेरे को बोले कि तुमको उनकी मदद चाहिए तो मैंने आप दोनों की मदद कर दी। बस इतना ही है। और कुछ नहीं।
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