त्यागमयी माँ और उसका बेटा complete

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Smoothdad
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Re: त्यागमयी माँ और उसका बेटा

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राज अब उसकी गर्दन को चूम और चाट रहा था, और उसकी चूचियाँ दबा रहा था।
मनीष: मम्मी अब रहा नहीं जा रहा , गाँड़ मार लूँ?
राज: भय्या पूछ क्यों रहे हो, देखो ना माँ कैसे गाँड़ उठा उठा के मज़ा ले रही हैं । वो तुम्हारा लौड़ा ही तो माँग रही हैं। हाँ बस वह क्रीम रखी है उसे लगा कर ही मारिएगा।
मनीष उठकर क्रीम लाया और राज को बोला: राज, ज़रा मदद कर दे ना क्रीम लगाने में।
राज उठा और बोला: माँ ज़रा चूतरों को उठाओ ना।
नमिता ने अपने चूतरों को हवा में उठा दिया।
अब राज अपनी माँ के चूतरों को फैलाया और गाँड़ के छेद में मनीष का थूक लगा देख कर बहुत उत्तेजित हो गया और उसका लौड़ा ऊपर नीचे होने लगा।
राज मनीष को बोला: लो यहाँ क्रीम लगाओ।
मनीष ये सोचकर कि सगा बेटा अपनी माँ के चूतरों को फैलाकर उसे गाँड़ में क्रीम लगाने को बोल रहा है वह बहुत उत्तेजित हो गया और उसके लौड़े ने प्रीकम छोड़ना शुरू कर दिया। उसने क्रीम लेकर अपनी दो उँगलियाँ गाँड़ में डालीं और नमिता आऽऽहहहह कहकर मस्त हो कर अपनी गाँड़ हिलाके अपनी ख़ुशी दिखायी।
मनीष दिखावा करते हुए: मम्मी दर्द हो रहा है क्या?
नमिता: नहीं रे बहुत अच्छा लग रहा है। गाँड़ बहुत खुजा रही है।
राज: भय्या अब अपने लौड़े में क्रीम लगाओ और माँ की गाँड़ कि खुजली मिटा दो।
मनीष ने क्रीम लगाया और लौड़े को गाँड़ के छेद पर रख कर दबाने लगा। अब राज ने अपना हाथ चूतरों से हटा लिया और नमिता के मुँह के पास जाकर बैठ गया। नमिता ने अपने मुँह के पास राज का लौड़ा देखा तो उसको मस्ती से चूसने लगी।
उधर मनीष को अब गाँड़ मारने में मज़ा आने लगा था।
अब उसके मस्त धक्कों से पलंग हिलने लगा। क़रीब १५ मिनट की घमासान चुदायी के बाद वह हम्म्म्म्म्म करके झड़ने लगा।
नमिता भी चिल्लाए जा रही थी: फ़ाऽऽऽऽऽऽऽऽड़ देएएएएएए मेंएएएएएएरि गाँड़। आऽऽऽऽऽहहह।वह बीच बीच में राज का लौड़ा भी चूसती थी।
मनीष हाँफते हुए अलग हो गया। नमिता चिल्लायी: आऽऽऽहहब्ब राऽऽऽज बेटाआऽऽऽ अब तू चोओओओओओओओओद हाऽऽऽय।
राज उठकर नमिता की गाँड़ के पास आया और वहाँ देखा कि मनीष का रस बाहर आ रहा था उसके छेद से। वह तौलिए से साफ़ किया और गाँड़ में अपना लौड़ा घुसेड़ दिया। नमिता हाऽऽऽऽऽऽयह्यय मेरे राआऽऽऽऽऽऽऽजा कहकर मस्ती से अपनी गाँड़ पीछे करके और मज़े से अपनी गाँड़ मरवाने लगी।
अब राज भी चुदायी के मूड में आ गया और लम्बे लम्बे धक्के मारके मस्ती से चोदने लगा। जल्दी ही वह भी झड़ने लगा। अब नमिता भी आऽऽऽऽऽहहह मैं भी गइइइइइइइइइ कहते हुए हुए झड़ गयी।
अब सब साफ़ सफ़ाई करके साथ में खाना खाए। नमिता ब्लाउस और पेटिकोट पहनी थी और वह दोनों चड्डी में थे। नमिता की आँखें बार बार उनकी मस्कूलर छातियों को देख कर ख़ुश हो रही थी।
खाना खाकर थोड़ी देर TV देखकर वह सब सोने लगे। मनीष ने नमिता का ब्लाउस उतार दिया और बाद में दोनों एक एक दूध मुँह में लेकर सो गए। नमिता भी बहुत प्यार से अपने दोनों बेटों के बाल सहला रही थी। फिर सब नींद की आग़ोश में समा गए।

सुबह सबसे पहले नमिता की नींद खुली तो उसने देखा कि मनीष का हाथ उसकी एक चूचि पर था और राज का हाथ उसके चूतर पर था। दोनों के लौड़े सुबह सुबह ही पूरे खड़े थे। वह मुस्करायी और धीरे से उठकर बाथरूम गयी। फिर वह सबके लिए चाय बनाई और आके दोनों लड़कों को उनके लौड़े पकड़कर उठाने लगी। राज उठकर नामित को चूमा और बाथरूम चला गया। मनीष ने नमिता को ब्लाउस और पेटिकोट में देखा और बोला: मम्मी ये कपड़े क्यों पहन लिए?
नमिता: अच्छा तो क्या मम्मी को हमेशा नंगी रखेगा?
मनीष: मेरा बस चले तो यही होगा।
अब नमिता उसको प्यार की और बोली: चलो उठो और फ़्रेश हो कर चाय पी लो।
थोड़ी देर बाद सब अपनी अपनी चाय की प्याली के कर सोफ़े पर बैठे थे कि तभी नमिता का फ़ोन बजा।
सुधाकर था, बोला: हाय जान कैसी हो ?
नमिता: मेरे ऊपर दो दो जवान साँड़ छोड़ दिए हैं आपने और पूछ रहें है कैसी हो?
सुधाकर: साँड़ मतलब?
नमिता हँसते हुए बोली: रात से मनीष यहाँ है मेरे पास और राज तो दूसरा साँड़ है ही।
सुधाकर हैरानी से: मनीष वहाँ है? मैं सोच रहा था की अब तक शायद सो रहा है। चलो कोई बात नहीं। तो फिर ख़ूब मस्ती की दोनों ने तुम्हारे साथ?
नमिता: बेचारे क्या मस्ती करते मैंने तो पैड ही बाँध रखा है।
सुधाकर: फिर भी बाक़ी के दो छेदों का तो मज़ा लिए ही होंगे?
नमिता: क्यों आपको जलन हो रही है क्या?
सुधाकर: अरे मुझे क्यों जलन होने लगी। मस्ती करो सब , बोलो तो मैं भी आ जाऊँ?
नमिता: नहीं नहीं, इस हालत में इन दोनों को सम्भालना ही मुश्किल है और आप भी आ गए तो मैं तो गयी काम से।
सुधाकर हँसते हुए: चलो नहीं आता , ज़रा मनीष को देना फ़ोन।
मनीष: गुड मोर्निंग पापा।
सुधाकर: गुड मोर्निंग, अरे तुम्हें जाना था तो बता के जाते ना, मैं रोकता थोड़े ही।
मनीष: सारी पापा, आगे से ऐसा नहीं होगा।
सुधाकर: चलो कोई बात नहीं। अब वापस आ जाओ , हमको अभी मुंबई के लिए निकलना है २ दिन के लिए।
मनीष: ओके पापा मैं अभी आता हूँ।
मनीष जल्दी से कपड़े पहन कर आया और नमिता को गले लगाकर प्यार किया और फिर राज से भी गले मिलकर वापस चला गया।
नमिता: चलो राज तुम भी तय्यार होकर स्कूल जाओ।
अब नमिता भी किचन में घुस गयी।
अगले तीन दिनों तक कुछ ख़ास नहीं हुआ। नमिता का पैड खुलते ही राज उसकी बुर की सेवा में लग गया।
उस दिन राज और वह नंगे सो रहे थे, तभी मनीष का फ़ोन आया।
मनीष: मम्मी कैसी हैं?
नमिता अपनी चूचि से सोए हुए राज का हाथ हटा कर बोली: ठीक हूँ, आज सुबह सुबह फ़ोन? सब ठीक है ना।
मनीष: सब बढ़िया है मम्मी, हम कल रात को ही वापस आए हैं और पापा ने बोला था कि आपको और राज को आज दिन भर यहाँ रहने के लिए बुला लूँ। इसीलिए फ़ोन किया है , आज इतवार है ना, राज की भी छुट्टी है।
तभी राज ने करवट ली और बोला: माँ किसका फ़ोन है?
नमिता: मनीष का , वह आज हमें दिन भर के लिए अपने घर बुला रहा है, कहता है उसके पापा ने कहा है।
राज ख़ुश होकर : तो चलो ना माँ बहुत मज़ा आयेगा ।
नमिता हँसते हुए: हाँ तुम सबको तो मज़ा आएगा पता नहीं मेरा क्या होगा?
मनीष: अरे मम्मी आपको कुछ नहीं होगा। आख़िर हमारी मम्मी का हम ख़याल नहीं रखेंगे तो और कौन रखेगा ?
नमिता: मुझे सब पता है कि कैसा ख़याल रखने वाले हो?
तभी मनीष बोला : लो मम्मी , पापा आपसे बात करेंगे।
सुधाकर: क्या हाल है जान, आ जाओ ना संडे मनाएँगे साथ में मिलकर, आज तो राज की भी छुट्टी ही होगी।
नमिता: ठीक है आते हैं हम लोग। कुछ खाने के लिए बना कर लाऊँ क्या?
सुधाकर: अरे नहीं हम नौकरों से बनवा लेते हैं, बस तुम लोग आ जाओ।
नमिता: अच्छा आते हैं। ये कहकर फ़ोन काट दी।
अब राज ने नमिता को अपने ऊपर खिंच लिया और उसके होंठ चूसते हुए उसकी नंगी पीठ सहलाते हुए बोला: माँ वहाँ आज क्या होगा?
नमिता: क्या पता तुम तीनों मुझे तंग मत करना।
राज: माँ मैं तो नहीं करूँगा पर अंकल और भय्या का पता नहीं। वह नमिता के चूतरों को दबाते हुए बोला।
नमिता की आऽऽह निकल गयी और वह बोली: क्या कर रहा है क्यों दुखा रहा है।
राज: सॉरी माँ बहुत ही मस्त हैं आपके चूतर ।
नमिता: मस्त है तो नोच डालेगा क्या बंदर?
राज उससे जो से चिपकते हुए बोला: माँ आइ लव यू ।
नमिता हँसते हुए उठी और बोली: चल अब उठ और तय्यार हो जा , नाश्ता करके मनीष के घर जाएँगे।
फिर वह दोनों तय्यार हुए। नमिता ने सेक्सी ब्रा और जाली दार पैंटी पहनी। ऊपर से एक टाइट टॉप पहन जिसमें से उसकी चूचियाँ फटी जा रहीं थीं। नीचे से उसने लेग्गिंग पहनी जिसमें से उसकी मादक और भरी हुई जाँघें बहुत मस्त दिख रहीं थीं। उसने लाल लिप्स्टिक लगाई और वह बहुत ही सेक्सी दिख रही थी। राज भी जींस और टी शर्ट में आया और उसकी आँखें नमिता को देखकर फटी रह गयी।
वह बोला: ओह माँ आज आप क्या दिख रही हो। मस्त सेक्सी माल ।
नमिता: नालायक, अपनी माँ को माल बोलता है। शर्म नहीं आती?
राज हँसते हुए बोला: माँ मैं तो बेशर्म हो गया हूँ।
यह कहकर उसने नमिता के टॉप के ऊपर से उसकी दोनों चूचियाँ दबायीं। और फिर नीचे झुककर उसके लेग्गिंग के ऊपर से जाँघों के जोड़ को दबाया वह आऽऽऽंह कर उठी। उसने नमिता को घुमाया और उसके चूतरों को दबाने लगा।
नमिता: आऽऽऽह अब बस भी कर , कितना दबाएगा?
राज: आऽऽऽह माँ मन ही नहीं भरता। आज आप इतनी सुंदर दिख रही हो कि दोनों बाप बेटा आप पर चढ़ जाएँगे।
नमिता: तू तो नहीं चढ़ेगा ना?
राज: माँ मुझे नहीं पता उस समय क्या होगा।
नमिता: चल अब जो भी होगा देखा जाएगा।
तभी नमिता का फ़ोन बजा।
मनीष: मम्मी आप लोग तय्यार हो गए क्या?
नमिता: हाँ हम तय्यार है।
मनीष: मैं अभी कार भेज रहा हूँ। आप दोनों आ जायिये। दस मिनट में कार चौक पर आ जाएगी।
नमिता: ठीक है।
थोड़ी देर बाद वो बाहर आए और चौक ओर खड़े हुए। राज ने देखा कि सभी लोग नमिता को घूरे जा रहे थे। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ और उभरे हुए बड़े बड़े चूतर सबके आकर्षण का कारण थे।कई लोग तो अपना लौड़ा
भी खुजा रहे थे नमिता को देख कर।
तभी कार आइ और वो दोनों उसमें बैठ गए।
सुधाकर के घर में कार रुकी। उसका घर भी फ़ार्म हाउस की तरह काफ़ी बड़ा था और शानदार बंगला था।
घर के अंदर मनीष ने उनका स्वागत किया। वह टी शर्ट और हाफ़ पैंट में था। वह दोनों से गले मिला।
तभी सुधाकर बाहर आया और नमिता को देखकर बोला: राज बेटा, आज कितने लोग तुम्हारी माँ को देख कर बेहोश हुए?
राज हँसने लगा। मनीष: आप सच बोल रहे हो पापा, आज मम्मी बहुत ही सुंदर दिख रही है।
सुधाकर: अरे तू इनको मम्मी कब से बोलने लगा?
नमिता: कल रात से ही।
राज: अंकल मैं भी आपको पापा बोल सकता हूँ?
सुधाकर उसे प्यार से गले लगाते हुए: हाँ बेटा क्यों नहीं? ज़रूर बोल सकते हो।
अब सब लोग सोफ़े पर बैठे और बातें करने लगे।
मनीष: पापा आप लोग शादी कब कर रहे हो?
सुधाकर: मैं तो चाहता हूँ कि इसी हफ़्ते हम शादी के लिए कोर्ट में अर्ज़ी लगा दें। नमिता तुम्हारा क्या ख़याल है?
नमिता: ठीक है जैसे आपकी मर्ज़ी।
मनीष: पापा अपनी शादी की पार्टी तो होगी या नहीं?
सुधाकर: हाँ जरुर देंगे किसी बढ़िया होटेल में।
मनीष: पापा फिर अनिका और नानी भी आएँगी ना?
सुधाकर: नानी का तो पता नहीं पर अनिका ज़रूर आएगी।
नमिता मुस्कुराते हुए बोली: और अनिका फिर यहीं हम सबके साथ रहेगी और यहीं स्कूल जॉऐन करेगी। हैं ना सुधाकर?
सुधाकर : हाँ ऐसा ही प्लान है।
नमिता ने आँख मारी सुधाकर को और उसका लौड़ा नमिता की उस बात को याद करके झटका मारने लगा कि वह उसे अनिका की जवानी का मज़ा दिलवाएगी ।
नमिता ने सुधाकर को अपन लौड़ा अजस्ट करते देखा।
वह मन ही मन हँसने लगी ये सोचकर कि कैसे वह अपनी बेटी को चोदने के लिए बेचैन हो रहा है।
नमिता: अनिका कब आ रही है?
सुधाकर: शायद दो दिन में आ ही जाएगी। चलो उसे फ़ोन करके पूछ लेते हैं।
उसने फ़ोन लगाया: हाँ बेटी कैसी हो? सब पूछ रहे हैं तुम कब आ रही हो?
अनिका: पापा आपकी शादी कि तारीख़ पक्की हो गयी क्या?
सुधाकर: अरे जब तुम आओगी उसी दिन कर लेंगे। कोर्ट में रेजिस्टर्ड शादी ही तो करनी है। नमिता भी यहीं बैठी है।
अनिका : ठीक है पापा मैं परसों आ जाती हूँ। पापा मेरी नमिता जी से बात कराओ ना।
नमिता ने फ़ोन लिया: कैसी हो अनिका ?
अनिका: आंटी मैं बिलकुल ठीक हूँ। बस आपसे मिलने का बहुत मन है।
नमिता: मेरे भी तुमसे मिलने का बहुत मन है।
अनिका: चलिए फिर परसों मिलते हैं।
नमिता: ठीक है । वो फ़ोन बंद कर देती है।
सुधाकर: चलो कहीं घूमने चलते हैं, क्या ख़याल है?
मनीष: पापा कहाँ जाएँगे। यहीं घर में ही रहते हैं ना?
तभी सुधाकर का फ़ोन बजा।
सुधाकर: अरे क़ासिम क्या हुआ बोलो?
क़ासिम उसका मुंबई ऑफ़िस का बंदा था।
क़ासिम: सर, एक बड़ा ऑर्डर मिलने की सम्भावना है, क्या आप ऑफ़िस आ सकते हो, हम यहाँ मुंबई से आपके साथ विडीओ कोनफरेंसिंग करना चाहते हैं।
सुधाकर: आज तो इतवार है ?
क़ासिम: सर, हमारे लिए ये ऑर्डर बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए हम सब आज भी काम कर रहे हैं।
सुधाकर: शाबाश मुझे बड़ी ख़ुशी हुई, चलो मैं ऑफ़िस आता हूँ अभी ।
मनीष: क्या पापा आपने मम्मी को बुलाया और ख़ुद बाहर जा रहे हैं ।
सुधाकर: अरे भाई बहुत ख़ास ऑर्डर है इसीलिए जाना पड़ेगा। एक काम करना तुम लोग १ बजे मुझे हमारे ऑफ़िस के सामने वाले रेस्तराँ में मिलना , खाना साथ में खाएँगे।
यह कहकर वह अपने कमरे में चला गया और तय्यार होने लगा।
नमिता राज और मनीष शादी की बातें करने लगे।
तभी कमरे से सुधाकर ने आवाज़ लगायी: नमिता ज़रा आना तो।
मनीष: जाओ मम्मी पापा को मज़ा लेना होगा आपसे।
नमिता हँसते हुए : चल हट बेशर्म कुछ भी बोलता है।
नमिता सुधाकर के कमरे में घुसती है तो वह सिर्फ़ एक चड्डी में होता है और वह अपनी बग़लों पर स्प्रे लगा रहा था।
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नमिता को देखकर वह उसको अपनी बाहों में भर लेता है और उसे बेतहाशा चूमने लगता है। नमिता भी उसके चुम्बन का जवाब बराबर से देती है। वह भी उसके निपल और बालों से भारी छाती को चूमती है।
सुधाकर उसके चूतरों को दबाकर बोला: हाय जान क्या मस्त लग रही हो आज।
नमिता: इसीलिए छोड़ के जा रहे हो?
सुधाकर: डार्लिंग काम ही ऐसा आ गया है। लंच के बाद हम साथ रहेंगे और चुदायी करेंगे। ठीक है?
नमिता: ठीक है देखते हैं ।
नमिता ने उसकी चड्डी के ऊपर से उसके आधे खड़े लौड़े को दबाया। फिर वह नीचे होकर उसके लौड़े को चड्डी से बाहर निकाली और उसकी चमड़ी को पीछे करके मोटे सुपाडे को चूम ली, और फिर जीभ से चाट भी ली।
सुधाकर: आऽऽह क्या मस्त चूसती हो?
नमिता: एक राउंड पानी निकाल दूँ?
सुधाकर: नहीं डार्लिंग समय नहीं है अभी दोपहर को मज़े करेंगे।
नमिता हँसती हुई उठी और बोली: पता नहीं आपके जाने के बाद ये दोनों साँड़ मेरा क्या हाल करेंगे? मैं तो आज आपसे मज़े लेने के मूड में आयी थी।
सुधाकर: अरे जान खाना खाकर वापस आएँगे तो हम भी मज़ा लेंगे ।
नमिता ने उसके होंठ चूमे और बाहर आ गयी।
थोड़ी देर में सुधाकर बाहर आया और सबको बाई कहकर ऑफ़िस चला गया।
अब नमिता दोनों लड़कों के साथ बैठी थी।
मनीष: मम्मी , पापा तो गए, चलो हम लोग स्विमिंग करते हैं।
राज: यहाँ भी पूल है? दिखाई तो नहीं दे रहा है।
मनीष: पीछे साइड में है । फ़ार्म हाउस से छोटा है पर है बढ़िया।
राज: चलो ना माँ चलते हैं।
नमिता: चलो मुझे तो पानी में तैरना बहुत अच्छा लगता है।
मनीष: मम्मी हम लोग आज नंगे होकर तैरेंगे।
नमिता: ये क्या बकवास कर रहे हो? मैं ब्रा पैंटी में ही रहूँगी। तुम लोग चाहो तो नंगे नहा लो।
राज: माँ आप भी ना , क्यों ज़िद कर रही हो , प्लीज़ हम सब नंगे होंगे तो ज़्यादा मज़ा आएगा।
मनीष ने अपनी टी शर्ट निकाल के वहीं फेंक दी और अपनी हाफ़ पैंट भी उतार के फेंक दी। नमिता ने उसके कपड़े उठाकर कहा: यहाँ ड्रॉइंग रूम में कपड़े क्यों उतार रहे हो? चलो अपने कमरे में चलो।
मनीष के कमरे में आकर राज भी अपने कपड़े उतार दिया। अब दोनों चड्डी में थे और उनके आधे खड़े लौड़े चड्डी से फूले हुए साफ़ दिख रहे थे।
मनीष आकर नमिता के पास खड़े होकर उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा दबाकर बोला: मम्मी अब आपका टॉप उतार दूँ?
नमिता मुस्करायी और बोली: लो उतार दो। ये कहते हुए उसने अपना हाथ ऊपर कर दिया।
अब मनीष ने उसका टॉप उतार दिया। नमिता अब ब्रा में थी। राज भी आकर नमिता की लेग्गिंग उतारने लगा, और नमिता ने भी अपना पैर उठाकर उसे बाहर निकाल दिया।
अब मनीष उसको ब्रा और पैंटी में देखकर मस्त हो गया और उसके सामने बैठ गया। उसका मुँह अब नमिता की पैंटी के सामने था। वह उसकी पैंटी पर मुँह डालकर सूँघने लगा। नमिता ने उसके सिर में हाथ मारा और बोली: चल हट , ये क्या कर रहा है?
मनीष: मम्मी क्या गंध है आपकी बुर की। ये कहकर वह पैंटी उतारने लगा। नमिता ने भी कोई विरोध नहीं किया।
अब नमिता नीचे से नंगी थी। उधर राज भी उसके पीछे आकर उसकी ब्रा खोल दिया और उसे उतार दिया। अब राज ने उसके दोनों दूध को हाथ में लेकर दबाने लगा।
उधर मनीष ने अपना मुँह उसकी बुर में घुसेड़ दिया और चाटने लगा।
नमिता: आऽऽँहह तुम लोग तैरने का बोले थे, ये क्या हो रहा है?
राज: उठो भय्या चलो पूल में।
मनीष ने एक चुम्मी ली उसके बुर की और खड़ा हुआ और अपनी चड्डी उतार दी। अब उसका लौड़ा ऊपर नीचे हो रहा था उत्तेजना वश।
अब राज ने भी अपनी चड्डी उतार दी और अपना लौड़ा ख़ुद ही सहलाने लगा।
अब नमिता ने मस्ती से दोनों के लौडों को पकड़ा और बोली: चलो अब पूल में।
अब तीनों पूल के पास आए।
राज: वाह माँ देखो क्या शानदार पूल है।
नमिता: हाँ बहुत सुंदर है।
अब मनीष ने उसमें छलाँग लगा दी, और तैरने लगा। राज भी उसके पीछे गया। अब नमिता भी पूल में उतर गयी। सब तैरने लगे।
फिर थोड़ी देर तैरने के बाद नमिता बाहर आकर पास रखे हुए एक लम्बे तख़्त पर जिसमें क़ुशन था उसके उपर लेट गयी।
राज और मनीष भी बाहर आए और अपना लौड़ा झुलाते हुए नमिता के पास आ गये।
राज और मनीष उसके अग़ल बग़ल आकर बैठ गए और झुक कर नमिता के गालों को चूमने लगे। जल्दी ही वो उसकी चूचियों को दबाकर नमिता को मस्त कर दिया। फिर वो एक एक चूचि मुँह में लेकर चूसने लगे।
नमिता की साँसे गरम होने लगी। अब उसने हाथ बढ़ाके उनके लौड़े एक एक हाथ में ले लिया और सहलाने लगी।
अब राज नीचे जाकर नमिता की बुर चाटने लगा। फिर उसने उसकी टाँगें उठाकर अपना लौड़ा बुर में पेल दिया और नमिता को चोदने लगा।
अब नमिता की आह निकलने लगी। तभी राज भी उसकी चूचि दबाकर मस्त हो गया और बाद में अपना लौड़ा उसके मुँह में ठूँस दिया।
अब नमिता राज का लौड़ा चूसते हुए मनीष से चुदवाने लगी। वह अपने चूतरों को उछाल कर चुदवाने का मज़ा के रही थी। फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी। मनीष ह्म्म्म्म्म्म करके उसे चोदे जा रहा था। नमिता राज के लौड़े को अब डीप थ्रोट देने लगी थी।
जल्दी ही वह झड़ने लगा और ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर नमिता की बुर में अपना रस छोड़ने लगा।
अब नमिता बोली: आऽऽऽह राज अब तू अपना लौड़ा डाल दे मेरी बुर में।
अब राज भी मनीष को हटा कर उसकी बुर को रुमाल से साफ़ किया और नमिता की बुर में अपना लौड़ा डाला और उसे मस्ती से चोदने लगा। नमिता फिर से चूतरों को उछालके चुदवाने लगी।
नमिता की आऽऽहहह हाऽऽय्य निकल रही थी।
राज भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर उसे ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। अब नमिता भी झड़ने लगी और चिल्लायी: आऽऽऽहहहह बेएएएएएएएटा मैं गयीइइइइइइइइइइ।
राज भी ह्म्म्म्म्म्म्म्म माँआऽऽऽऽऽऽऽऽ कहकर अपना रस उसकी बुर में ठेल दिया।
अब तीनों झड़कर आराम से वहाँ पड़े थे।
अब नमिता उठी और पूल में वापस जाकर थोड़ी देर तैरी और बाहर आकर अपने कपड़े पहन लिए।
राज और मनीष भी पूल में तैरकर आकर अपने कपड़े पहने।
थोड़ी देर बाद वो दोनों नमिता की एक एक जाँघ पर लेटे थे और नमिता उनके बालों में उँगलियाँ घुमा रही थीं।
तभी सुधाकर का फ़ोन आया और वो बोला: चलो आ जाओ रेस्तराँ में , मैं अगले आधे घंटे में पहुँच रहा हूँ।
अब नमिता झुक कर उन दोनों को चुमी और बोली: चलो अब तैयार हो जाओ।
दोनों उठे और तय्यार होने लगे। नमिता ने भी मेक अप किया और फिर तीनों कार से सुधाकर के पास रेस्तराँ जाने के लिए निकल पड़े।
रेस्तराँ में सुधाकर पहले से उनका इंतज़ार कर रहा था।
नमिता उसके साथ बैठी और सामने राज और मनीष बैठे थे। सुधाकर बातें करते हुए नमिता की जाँघ पर हाथ फेरने लगा। नमिता भी अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर सहलाने लगी। राज और मनीष को दिखाई नहीं दे रहा था, पर वो सोच रहे थे कि पापा कुछ तो शरारत कर रहे हैं।
सुधाकर ने नमिता के पेट में अपना हाथ फेरा और उसकी नाभि के छेद को छेड़ने लगा।
अब सूप पीते हुए सुधाकर उसकी कमर सहला रहा था। नमिता भी मस्ती से उसकी जाँघ सहलाने लगी। अचानक उसका हाथ सुधाकर के खड़े लौड़े पर पड़ा जो कि उसकी जाँघ के ऊपर एक साइड में था। सुधाकर का हाथ उसकी कमर पर कड़ा हो गया। नमिता की आह निकल गयी।
राज: क्या हुआ माँ ?
नमिता: आऽऽह कुछ नहीं इनका पैर मेरे पैर को दबा दिया।
सुधाकर: ओह सॉरी डार्लिंग।
नमिता उसके लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाकर बोली: मैं ठीक हूँ। आप परेशान ना होएँ।
सुधाकर : चलो खाना खाओ।
नमिता हँसते हुए: मुझे तो बैगन खाना है। ये बोलकर उसने लौड़े को दबा दिया।
सुधाकर: मंगाओ भाई जो भी इनको खाना है।
उसकी कमर को सहलाते हुए वह बोला।
इसी तरह मस्ती करते हुए सब ने खाना खाया।
फिर सब सामने एक माल में गए, वहाँ सुधाकर ने सबके लिए कपड़े लिए। उसने नमिता को सेक्सी टॉप और स्कर्ट भी दिलाया। राज और मनीष भी अपने लिए कपड़े लिए।
नमिता को सुधाकर ने जब सेक्सी कपड़े दिलवाए तब वो दोनों ही थे उस दुकान पर।
सुधाकर: डार्लिंग कोई सेक्सी नायटी और अंडर गारमेंट्स भी लो ना।
नमिता: आपको जो दिलवाना है दिलवा दीजिए। मैं तो पहन कर आपको ही मज़ा दूँगी।
सुधाकर ने नमिता की गाँड़ पर अपना लौड़ा रगड़ा काउंटर पर नमिता के पीछे खड़े होकर । नमिता ने मज़े से उसको महसूस किया और बोली: चलिए ना आप तो बहुत गरम हो गए हो। घर चल के आपके हथियार को शांत कर दूँगी।
सुधाकर: चलो सच में अब नहीं रुका जा रहा है। ये सब फिर कभी ख़रीद लेंगे।

फिर वह अपनी पैंट के उभार को छुपाने के लिए उसके सामने कपड़ों के थैले रख लिया और वापस कार से घर पहुँचे।
राज और मनीष बोले: पापा हम तो आराम करेंगे।
सुधाकर: हाँ हम भी आराम करेंगे। !
फिर वह और नमिता बेडरूम में चले गए।
राज और मनीष भी हाफ़ पैंट में आकर लेट गए।
मनीष: पापा आज मम्मी को छोड़ेंगे नहीं ।
राज: हाँ दोनों बहुत अधीर लग रहे थे ।
मनीष: उनकी चुदायी देखनी है क्या?
राज: क्या हम देख सकते हैं?
मनीष: हाँ , मैंने इंतज़ाम किया हुआ है। पापा रात को कई बार ऑफ़िस की लड़की लाते थे, और चुदायी करते थे। मुझे देखने में बहुत मज़ा आता था।
राज: तो चलो ना देखते हैं।
अब मनीष उसे पूल की तरफ़ ले गया। वहाँ पर एक छोटा सा कमरा था, जिसके अंदर जाकर वह एक स्टोर रूम में पहुँचे और वहाँ एक दरवाज़ा था जो की पापा के कमरे में खुलता था। उसकी चाबी मनीष के पास थी। उसने धीरे से दरवाज़ा खोला और स्टोर रूम में अंदर जाकर उसके दरवाज़े में से अंदर झाँका। वहाँ से अंदर का दृश्य बहुत साफ़ दिख रहा था। पर्दा हटा कर दोनों अंदर का दृश्य देखे और उनका मुँह खुला रह गया।
उधर नमिता और सुधाकर जैसे ही कमरे में पहुँचे सुधाकर ने अधिरता दिखाकर उसे अपनी बाहों में ले लिया और बेतहाशा चूमने लगा। नमिता भी उसका साथ देने लगी।
अब सुधाकर उसके होंठों को चूसने लगा। वह भी मज़े से उसका साथ दे रही थी।
सुधाकर: आऽऽह जाऽऽन कितने दिन हो गए तुम्हें चोदे हुए? मेरा लौड़ा मरा जा रहा है तुम्हारी बुर के अंदर जाने में लिए।
नमिता ने पैंट के ऊपर से उसको दबाते हुए कहा: हाँ मैं भी देख रही हूँ, कितना मोटा हो गया है बेचारा प्यासा लौड़ा आपका?
वह भी लेग्गिंग के ऊपर से उसकी बुर को अपने पंजे में दबा कर बोला: ये भी तो गीली हुई जा रही है अपने यार की याद में।
अब दोनों हँसने लगे।
सुधाकर ने नमिता का टॉप उतारा और ब्रा में ऊपर से उसकी चूचियों को चूमने लगा। नमिता ने भी उसकी टी शर्ट निकाल दी और वह उसके निप्पल चूमने लगी।
अब नमिता पलंग पर बैठ कर अपनी लेग्गिंग निकालने लगी। और सुधाकर ने भी अपनी पैंट और चड्डी निकाल दी और अपना लौड़ा हिलाते हुए बाथरूम में घुस गया।
नमिता ने भी अपनी ब्रा और पैंटी उतारी और वह भी बाथरूम में घुसी। सुधाकर अपना लौड़ा धो रहा था। नमिता भी कोमोड पर बैठी और मूतने लगी। फिर वह भी भी हैंड शॉवर से अपनी बुर और गाँड़ धोने लगी।
सुधाकर: आज तो लगता है कि ओरल सेक्स की पूरी तैयारी है हम दोनों की तरफ़ से ।
नमिता: इतने दिनों बाद मज़े लेंगे तो पूरे दिल से लेंगे, है ना?
सुधाकर: बिलकुल जान आज तो मस्त चुदायी करेंगे ।
अब नमिता और सुधाकर एक दुसरे से लिपटकर कमरे में आकर बिस्तर पर एक दूसरे की ओर करवट लेकर लिपट गए। अब सुधाकर उसकी चूचि मुँह में लेकर चूसने लगा। नमिता भी उसका लौड़ा सहलाए जा रही थी।
थोड़ी देर बाद सुधाकर बोला: जान ६९ करें?
नमिता: हाँ क्यों नहीं, उसमें ही तो मज़ा है असली।
अब सुधाकर पीठ के बल लेट गया और नमिता उसके ऊपर उलटा होकर लेट गई। नमिता का मुँह उसके लौड़े पर था उसकी बुर सुधाकर के मुँह के पास थी। नमिता ने लौड़े पर जीभ फेरनी शुरू की। सुधाकर भी उसकी बुर को फैलाकर चाटने लगा।
जब वो दोनों ऐसी स्तिथि में थे तभी राज और मनीष अंदर झाँके। वो जहाँ थे वहाँ से उनको पूरी लम्बाई में दोनों दिख रहे थे ।
राज अपनी माँ को इस तरह से सुधाकर से ओरल सेक्स करते देख कर बहुत उत्तेजित हो गया। मनीष का भी लौड़ा पूरा खड़ा था।
अब नमिता जीभ से पूरे सुपाडे को चाटी और फिर एक एक आँड मुँह में लेकर चूसने लगी।
मनीष: पापा के आँड बहुत बड़े है ना? देख मम्मी क्या मज़े से चूस रही है।
राज: हाँ माँ को आंड चूसना बहुत पसंद है, मेरे भी चूसती है।
उधर अब नमिता उसके लौड़े को चूसने लगी थी।
सुधाकर भी उसकी बुर की फाँकों में जीभ डालकर चाट रहा था और फिर वह उसके clit को जीभ से छेड़ने लगा, और दो उँगलियाँ बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगा।
दोनों मज़े में डूबे जा रहे थे। सुधाकर उसके चूतरों को दबाए जा रहा था। अब वह उसकी गाँड़ की दरार में भी अपना मुँह डाला और उसकी गाँड़ को चूसने और चाटने लगा ।
नमिता भी अपनी कमर को उसके मुँह में हिला रही थी और उसके लौड़े को पूरी तरह से मस्ती से भर कर चूस रही थी। अब वह उसको डीप थ्रोट भी देने लगी।
अब सुधाकर आऽऽऽऽऽह कर उठा। वह अपना चूतर उछलकर उसके मुँह को नीचे से ही चोदने की कोशिश करने लगा।
अब नमिता बोली: आऽऽऽहहह बस करिए मेरी clit को छेड़ना नहीं तो मैं अभी ही झड़ जाऊँगी। हाऽऽऽऽऽयय्यय ।
अब सुधाकर ने अपना मुँह हटाया और बोला: आऽऽह क्या चूस रही हो , ऐसा ही चूसोगी तो मैं भी अभी झड़ जाऊँगा।
अब नमिता ने भी उसका लौड़ा अपने मुँह से बाहर निकाल लिया।
फिर वह उठी और उलटा होकर सुधाकर के ऊपर आ गयी और वह उसकी मोटी छातियों को दबाते हुए चूसने लगा।
मनीष: मम्मी की छातियाँ कितनी मस्त हैं जितना भी चूसो दिल नहीं भरता।
राज: हाँ भय्या मैं तो मुँह में लेकर भी सोता हूँ फिर भी मेरा दिल नहीं भरता।
अब मनीष ने अपना लौड़ा पैंट से बाहर निकाला और उसे हिलाने लगा। राज ने भी वैसा ही किया।
नमिता ने अपनी कमर उठा कर उसके लौड़े को पकड़ा और सुधाकर से बोली: थोड़ा बुर को खोल दीजिए ना।
सुधाकर ने उसकी बुर की फाँकों को अलग किया और नमिता ने उसका मोटा सुपाड़ा वहाँ लगाया और धीरे से उस पर बैठती चली गयी और लौड़ा उसके बुर में समाता चला गया।
राज: माँ कितने मज़े से चुदवाती हैं ना?
मनीष: सच भाई मैंने ऐसे मज़े लेने और देने वाली औरत नहीं देखी। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह देख क्या उछल उछल कर चुदवा रही है ?
राज: आऽऽहहहह सच में वह बहुत मज़ा ले रही है।
अब नमिता चूतरों को उछाल कर भरपूर चुदायी कर रही थी।
सुधाकर भी उसकी छातियों को दबाते हुए नीचे से कमर को उछालके धक्के मार रहा था
अब नमिता बोली: आऽऽऽहहहह मैं ही चोदूंग़ी या आप भी कुछ करोगे?
सुधाकर हँसते हुए: आऽऽहहह मज़ा तो बहुत आ रहा है। पर चलो अब तुम नीचे आ जाओ और मैं इसे ख़त्म करता हूँ।
नमिता ऊपर से उठ कर सीधे लेट गयी और अपनी टाँगें फैलाकर सुधाकर को जैसे बोल रही हो कि आओ मुझे चोदो । सुधाकर उसके पैरों के बीच में आकर अपना लौड़ा उसकी बुर में डाला और नमिता ने अपनी टाँगें उसकी कमर में फँसाकर नीचे से अपनी गाँड़ उछाली और पूरा लौड़ा अपने बुर में ले ली।
अब सुधाकर ने ज़बरदस्त चुदायी शुरू की और पलंग भी बुरी तरह से हिलने लगा। और नमिता की आऽऽऽऽऽहहह और जोओओओओओओओओओर से चोओओओओओओओओदो फ़ाऽऽऽऽऽऽऽऽड़ दोओओओओओओ मेरीइइइइइइइइइ बुर कोओओओओओओओ हाऽऽऽयय्यय मज़ाआऽऽऽऽऽऽ। आऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है।
अब वह भी ह्म्म्म्म्म्म्म्म कहकर बोला: मैं अब गयाआऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽहहहह।
नमिता भी चिल्लायी: आऽऽऽऽऽऽहहह मैं भी गयीइइइइइइइइइइइ ।
अब वह उसकी बुर के अंदर तक पूरा रस डाल दिया और फिर उससे चिपक कर लेट गया। बाद में वह साइड में लेटा और बहुत देर तक दोनों एक दूसरे को चूमते रहे।
फिर बाथरूम से वापस आकर एक दूसरे की बाहों में लेट कर बातें करने लगे।
राज और मनीष का बुरा हाल हो गया था इस ज़बरदस्त चुदायी को देखकर।
दोनों मनीष के कमरे में गए और मनीष बोला: आऽऽह मम्मी क्या माल है भाई। आह्ह्ह्ह्ह्ह क्या चुदायी हुई आज।
राज: एक काम करो भय्या, आप माँ को मेसिज करो मोबाइल पर और यहाँ आने को कहो अभी के अभी। वह आ जायेंगी और हमारे लौडों को भी शांत कर देंगी।
मनीष : ठीक है करता हूँ। फिर उसने SMS भेजा।
नमिता सुधाकर से नंगी लिपटी हुई पड़ी थी। उसके मोबाइल में मेसिज आया और वह धीरे से अलग होकर SMS पढ़ी- मम्मी जल्दी से मेरे कमरे में आओ आपसे काम है और हाँ कपड़े मत पहनना प्लीज़।
नमिता ने देखा कि अब सुधाकर दूसरी तरफ़ करवट लेट कर खर्राटे भरने लगा था।
वह धीरे से उठी और एक तौलिया लपेटकर मनीष के कमरे में पहुँची। वहाँ दोनों बिस्तर पर बैठे थे और अपने अपने लौंडे को मूठिया रहे थे।
वह मुस्करायी और बोली: ये क्या हो रहा है?
दोनों बिस्तर से उठे और मनीष आगे से उसका तौलिया खींचकर निकाल दिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा। पीछे से राज उसके चूतरों पर अपना लौड़ा दबाने लगा। फिर दोनों ने उसकी चूचियाँ चूसीं और नमिता भी उनके लौड़े एक एक हाथ में लेकर दबाने लगी।
अब मनीष बोला: मम्मी आऽऽहहहह आपको अभी चोदना है। ये कहते हुए उसने नमिता को बिस्तर पर ऐसे लिटाया की उसके चूतर बिस्तर के किनारे पर थे । अब उसने नमिता की टाँगें उठायी और अपने कंधों पर रखकर नीचे खड़ा होकर , अपना लौड़ा उसकी खुली हुई बुर में पेला और जल्दी से चोदने लगा।
नमिता: आऽऽऽह क्या कर रहा है, क्यों इतना उतावला हो रहा है ? मैं कहीं भागी जा रही हूँ क्या? आह्ह्ह्ह्ह्ह ।
मनीष: आऽऽहहह मम्मी पागल हो रहा हूँ आऽऽऽऽऽऽह आपको चोओओओओओओओदने के लिए हाऽऽऽऽऽऽयह।
वह बुरी तरह से धक्का मारे जा रहा था , नमिता की चूचियाँ दबाते हुए। उसके चूतर पिस्टन की तरह चल रहे थे। राज भी उसकी बग़ल में बिस्तर पर बैठा अपनी माँ को चुदवाते देखकर और गरम हो गया था।
तभी मनीष ह्न्म्म्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। और फिर नमिता से चिपक कर अपना रस उसकी बुर में छोड़ दिया। फिर वह अलग हुआ और आऽऽह कहकर साइड में लेट गया।
अभी नमिता पैर नीचे करने हो वाली थी कि राज झपट कर उसकी टांगों के बीच आ गया और एक तौलिए से उसकी बुर को पोंछा जिसमें से मनीष का वीर्य बाहर आ रहा था। फिर उसने वहाँ अपना लौड़ा डाल दिया और इससे पहले की नमिता कुछ समझ पाती वह उसे चोदने लगा।
नमिता: हाऽऽऽय्यय आज तुम दोनों पागल हो गए हो क्या? हाऽऽय्यय इतनी बुरी तरह से क्यों चोद रहा है? मार ही डालेगा क्या?
राज हाँफते हुए: आऽऽऽहहह माँ चुदायी से कोई नहीं मरता । आऽऽऽऽऽप ही तो बोलती होओओओओओओओओओ ह्म्म्म्म्म्म्म्म।
अब वह नमिता की बुर में पूरे गहरायी तक लौड़ा डालके मस्ती से चोदने लगा।
नमिता भी चिल्लायी: आऽऽऽहहहह आऽऽऽऽऽज्ज क्याआऽऽऽऽऽऽ सवाआऽऽऽऽऽर है तुम दोनों पर हाऽऽऽयाय्य इतनी जल्दी क्योंओओओओओओओओ ।
नमिता को कहाँ पता था की दोनों लड़के उसकी चुदायी देखकर ही बावरे से हुए बैठे हैं।
मनीष भी उसकी एक चूचि चूसने लगा। राज के ज़ोरदार धक्के जारी थे। अब नमिता भी अपने कमर को नीचे से उछालकर उसके धक्कों का जवाब बराबरी से देने लगी। राज भी ज़मीन पर खड़े खड़े ही पूरा लौड़ा उसकी बुर में ठूँस कर नमिता को मस्ती से भर रहा था।
नमिता चिल्लाने लगी: आऽऽहहहह बेएएएएएएएएटा और जोओओओओओओर से चोओओओओओओद । फ़ाऽऽऽऽऽऽऽड़ दे मेरीइइइइइइइइओ बुउउउउउउउउर कोओओओओओओओ।
राज:: हाम्म्म्म्म्म्म्म्म माँआऽऽऽऽऽऽ क्याआऽऽऽऽ बुर है आऽऽऽऽऽऽपकी।
फिर दोनों एक दूसरे से चिपक कर झड़ने लगे।
मनीष माँ बेटे की चुदायी को बड़ी ही हैरानी और उत्सुकता से देख रहा था।
फिर राज नमिता के ऊपर से हटा और बिस्तर पर बैठ गया और नमिता की जाँघें सहलाने लगा।
नमिता: आऽऽह मैं बिलकुल थक गयी हूँ। तुम लोगों ने मेरी जान ही निकाल दी। अब तो मैं बाथरूम भी नहीं जा सकती , इतना थक गयी हूँ।
राज: अरे माँ मैं हूँ ना , चलो आपको गोदी में उठाके ले जाता हूँ।
फिर राज ने उसने नमिता को अपनी बाँहों में उठाया और उसको बाथरूम में ले जाकर कोमोड पर बिठा दिया। नमिता भी बेशर्मी से मूतने लगी। मनीष भी पीछे पीछे आ गया।
राज: भय्या मैं माँ को खड़ी करता हूँ आप उनकी बुर की सफ़ाई कर दो।
राज ने नमिता को उठाकर सहारा देकर खड़ा किया और मनीष नीचे बैठ कर शॉवर और साबुन से नमिता की बुर और गाँड़ की अच्छी तरह से सफ़ाई किया।
फिर उसने तौलिए से पोंछा और फिर से राज नमिता को गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया।
मनीष जाकर नमिता के लिए बिस्कुट और जूस लाया। नमिता ने ये सब लिया और बोली: आऽऽऽहब अब जान में जान आयी। सच में मैं बिलकुल ही पस्त हो गयी थी।
उसने मनीष और राज को प्यार किया और बोली: चलो अब मैं थोड़ा सा आराम करती हूँ, तुम्हारे पापा के पास जाकर। फिर वह तौलिया लपेटी और बाहर निकल गयी। फिर वह एक गाउन पहनी और सुधाकर के बग़ल में लेटी और सो गयी।
उधर राज बोला: भय्या आपने माँ को नहीं बताया कि हमने उनको पापा से चुदते हुए देखा है।
मनीष: जानबूझकर नहीं बताया। अभी तो हमें अनिका और पापा की चुदायी भी देखनी है, मम्मी कह रही थीं ना कि पापा उसकी सील तोड़ेंगे।
राज अपना लौड़ा दबाकर बोला: हाँ यार क्या मज़ा आयेगा वो दृश्य देखने में। अच्छा किया जो माँ को नहीं बताया।
मनीष: इसीलिए तो नहीं बताया। ताकि असली मज़ा ले सकें।
अब दोनों अपने लौड़े दबाए और आराम से सो गए।
casanova0025
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Re: त्यागमयी माँ और उसका बेटा

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Smoothdad
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Re: त्यागमयी माँ और उसका बेटा

Post by Smoothdad »

शाम को नमिता की नींद खुली तो वह कपड़े पहनकर सबके लिए चाय बनाई और सबको आवाज़ दी।
सबने साथ में चाय पी और फिर नमिता ने कहा: अब हमें जाना होगा, कल राज का स्कूल है और उसे होम वर्क भी होगा।
सुधाकर: परसों अनिका आएगी तो तुम उससे मिलने आओगे नहीं ?
नमिता: मैं तो उसे स्टेशन पर रिसीव करने जाना चाहती हूँ।
सुधाकर: हाँ हाँ क्यों नहीं । मैं तुम्हें चौक से पीक अप कर लूँगा।
फिर नमिता और राज सबसे गले मिल कर अपने घर चले गए।
घर पर राज ने आकर पढ़ाई शुरू की और नमिता किचन में व्यस्त हो गयी। रात को खाना खाने के बाद राज फिर से अपने पढ़ाई में लग गया।
नमिता गहरी नींद में थी जब रात के १२ बजे राज सोने आया और उसने नींद से नमिता को उठाया और उसकी ज़बरदस्त चुदायी की, फिर दोनों सो गए।
अगले दिन राज के स्कूल जाने के बाद नमिता ऑफ़िस के लिए तय्यार हो रही थी, तभी मनीष का फ़ोन आया।
मनीष: मम्मी मैं और पापा अभी मुंबई जा रहे हैं और शाम को वापस आएँगे। पापा ने कहा है कि आप ऑफ़िस मत आओ और शादी के लिए कपड़े वग़ेरह ख़रीद लो। उन्होंने आपके अकाउंट में अभी २ लाख ट्रान्स्फ़र किए हैं।
नमिता: ठीक है। कहकर फ़ोन रख दी।
नमिता सोची कि अकेली क्या शॉपिंग करूँगी, देखती हूँ शायद सुषमा का साथ मिल जाए।
उसने सुषमा को फ़ोन लगाया।
नमिता: कैसी हो?
सुषमा: ठीक हूँ आज बहुत दिन बाद याद आयी।
नमिता: नहीं यार बिज़ी थी, क्या कर रही है?
सुषमा: आज राजू स्कूल नहीं गया है, आज अपने पापा के साथ वह डेंटिस्ट को दाँत दिखाएगा क्योंकि उसके दाँत में दर्द है।
नमिता: ओह मैं तो तुमको बाज़ार जाने के लिए बोल रही थी क्योंकि मुझे शॉपिंग करनी थी।
सुषमा: ओह अभी तो राजू घर पर है, थोड़ी देर में जब वह जाएगा तब मैं चल सकती हूँ।
नमिता: ठीक है ना एक घंटे बाद चलते हैं। राजू घर में है तो ठोक ही रहा होगा तुमको।
सुषमा: हाँ सुबह से एक राउंड तो बाप बेटा कर लिए हैं। अब कोई भरोसा नहीं है इन लोगों का।
नमिता: हा हा चलो मज़े है तुम्हारे। फिर मिलते हैं।
क़रीब १२ बने दोनों एक माल के निकलीं। नमिता ने आज साड़ी पहनी थी जिसमें से उसका सुंदर भरा बदन बहुत ही सज रहा था। सुषमा ने लेग्गिंग और टॉप पहना था और वह भी बहुत सेक्सी दिख रही थी। क़रीब ४० साल की दोनों औरतें जहाँ से भी गुज़रते लोग मुड़कर देखने को मजबूर हो जाते थे।
नमिता ने एक ऑटो लिया, दोनों माल पहुँची। वहाँ जब वह पैसे दे रही थी, तभी उसने देखा कि एक दूसरा ऑटो भी रुका और उसमें से दो लड़के उतरे क़रीब २३/२४ साल के होंगे। उन्होंने टी शर्ट और जींस पहनी थी। उनके बाहों के मस्कूलर बल्ज बता रहे थे कि वह कसरती बदन के लड़के हैं।
तभी नमिता का पर्स छिनकर एक देहाती सा लड़का भागने लगा। इसके पहले कि नमिता चिल्लाती , वो दोनों लड़के चीते की तरह उस चोर पर झपटे और क़रीब ५ मिनट की दौड़ के बाद उसको पकड़ा और उसको एक तो थप्पड़ लगाकर वापस हाँफते हुए आए और नमिता को पर्स दे दिए।
नमिता: आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
पहला लड़का: अरे दीदी इसमें धन्यवाद की क्या बात है ये तो हम मिलिटेरी वालों का फ़र्ज़ है।
नमिता: आप आर्मी में हैं?
दूसरा लड़का: हाँ जी। हम कुछ दिन की छुट्टियों में आए हैं।
नमिता: मेरा नाम नमिता है और ये सुषमा है मेरी दोस्त।
पहला लड़का: जी मैं राहुल हूँ और यह नज़ीर है।
नज़ीर: दीदी चलिए आपके पर्स मिलने की ख़ुशी में हमारे साथ कॉफ़ी पीजिए।
नमिता: ओह, अच्छा चलो।
सुषमा: इस उम्र के लड़के तो हमको आंटी बोलते हैं ये दीदी बोले अच्छा लगा ना?
नमिता: हाँ सच अच्छा लगा। वो दोनों आगे चल रहीं थीं और लड़के उनके पीछे उनके उठे हुए नितम्बों को देखकर एक दूसरे को आँख मारे।
राहुल: क्या माल हैं दोनों? मस्त भरी हुई।
नज़ीर: मेरा तो खड़ा हो रहा है इनकी मटकती गाँड़ देख कर। ये कहते हुए उसने अपनी पैंट में लौड़े को अजस्ट किया ।
राहुल: यार कोई रास्ता निकाल, इनको पटाके तेरे घर ले चलते हैं और मज़े करते हैं।
नज़ीर: चलो देखते हैं।
कॉफ़ी शॉप में चारों कॉफ़ी पी रहे थे।
नमिता: आप लोगों की पोस्टिंग बॉर्डर पर है?
राहुल: जी हाँ हम लोग कश्मीर बॉर्डर पर पोस्टेड हैं।
सुषमा: आप लोगों को डर नहीं लगता?
नज़ीर: दीदी डर नहीं लगता, एक दिन सबको हो मरना है। पर एक बार ग़लत है कि हम आपसे चाहिए छोटे हैं हमें आप नहीं तुम बोलिए।
नमिता हँसते हुए: चलो ठीक है , अच्छा ये बताओ कि तुम्हारी शादी हुई की नहीं?
नज़ीर: दीदी अभी तो हम बच्चे हैं अभी से शादी?
सुषमा उनके मस्कूलर बाहों को देखकर बोली: बच्चे तो नहीं हो तुम, ज़रा अपनी बाहों को देखो कितने तगड़े हैं।
राहुल: हाँ दीदी अब हम बड़े हो गए हैं पर अभी शादी से डर लगता है।
नमिता: डर क्यों?
नज़ीर: दीदी आप नाराज़ नहीं होगी तो बोलूँ?
नमिता: नहीं होऊँगी बोलो?
नज़ीर: दीदी हमको वो वो- मतलब-- याने -
नमिता: अरे साफ़ साफ़ बोलो ना जो भी बोलना है।
नज़ीर: मतलब हमें सुहागरात से डर लगता है ।
सुषमा: वह क्यों ?
राहुल: असल में हमने कभी सेक्स नहीं किया है ना , इसलिए बड़ा डर लगता है। किसी भी लड़की को कैसे मतलब सुहाग रात में मतलब कैसे यानी कि । आऽऽह दीदी आप समझ गयी ना?
नमिता हँसते हुए: इतना बड़ा शरीर है और ऐसी बात करते हो।
नज़ीर: दीदी आप हंस रही हो, हम सच में डर रहे हैं।
सुषमा: तो कोई गर्ल फ़्रेंड तो होगी उसके साथ रिहर्सल कर लो ना।
नज़ीर: दीदी गर्ल फ़्रेंड कहाँ से बनेगी हम तो कुछ दिनों के लिए ही घर आते हैं। अच्छा दीदी ये तो बताईये कि आपके घर में कौन कौन हैं?
नमिता: मैं और मेरा बेटा बस ,वह १२ थ में पढ़ता है।
नज़ीर: क्या कह रही हैं आप दीदी? आपका बेटा १२ थ में है, आप इतनी उम्र की तो बिलकुल ही नहीं लगती। मैं तो आपको ३०/ ३२ की सोच रहा था। आपके फ़िगर को देखकर कोई नहीं मानेगा कि आप एक जवान बेटे की माँ हो।
नमिता: धत्त तुम भी बस ऐसे ही मुँझे चढ़ा रहे हो।
नज़ीर: दीदी वह सच ही कह रहा है।
राहुल: और दीदी आपके परिवार में कौन कौन है?
सुषमा: मैं मेरा बेटा जो १० थ में है और मेरे पति।
नज़ीर: आपका भी एक जवान बेटा है? कमाल है आप दोनों ने अपनी उम्र को मानो रोक लिया है। कितनी छोटी दिखती हैं आप दोनों।
नमिता ने देखा कि सुषमा के टॉप से उसकी चूचियों का उभार दिख रहा था और दोनों लड़के उसकी क्लिवेज़ को देख रहे थे।
नमिता मन ही मन मुसकायी। उसकी चूचि कड़ी होने लगी और निपल्ज़ भी कड़े हो गए। क्या मस्त जवान कड़क लड़के हैं।
उसने चुपके से अपनी साड़ी का पल्ला एक चूचि के ऊपर से हटा दिया। फिर उसने कनख़ियों से देखा कि सुषमा भी आगे की ओर होकर बात कर रही थी और अपने चूचियो की गहरायी को दिखा रही थी।
नमिता : सुषमा कॉफ़ी ख़त्म करो, शॉपिंग नहीं करनी?
तभी नमिता ने देखा कि अब दोनों लड़कों की आँखें जैसे उसकी ब्लाउस में कसे एक चूचि से चिपक ही गयी थी। वास्तव में ब्लाउस में से वो इतने बड़े और ऊपर से आधे नंगे दिख रहे थे कि बिचारे लड़कों को दोष देना भी ग़लत होता।
अब नमिता मन ही मन मुस्करायी। उसने नोटिस किया कि दोनों के हाथ अपने पैंट के ऊपर चले गए।
नमिता सोचने लगी कि क्या सच में इन्होंने सेक्स का अनुभव नहीं किया होगा क्या? फिर वह सोची कि नहीं ये दोनों इनको बातों में फंसा रहे हैं। वो अच्छे खासे अनुभवी लग रहे हैं।अचानक उसके मन में एक विचार आया कि क्यों नहीं आज इनसे मज़े किए जाए।
तभी वह सुषमा से बोली: चलो मेरे साथ ज़रा वाशरूम चलो।
नमिता और सुषमा बाहर निकलीं। अब नमिता बोली: मज़ा करना है इनके साथ?
सुषमा: दीदी, क्या बोल रही हो? किसी को पता चल गया तो?
नमिता: अरे किसी को कैसे पता चलेगा? हम इनके साथ २/३ घंटे ही तो बितायेंगीं।
सुषमा अपनी बुर खुजाते हुए बोली: है तो मस्त मर्दाने लड़के। क्या मछलियाँ है उनके बाहों की। पर डर लगता है।
नमिता: अरे डरने की कोई बात नहीं है। चल उनको पटाते हैं।
फिर दोनों बाहर आए तो वो दोनों उठकर कॉफ़ी शाप से बाहर आकर उनका इंतज़ार कर रहे थे।
नमिता: देख उनके पैंट, कैसे सामने से फूले हुए हैं।
सुषमा: हाँ सच दीदी मस्त लौंडे हैं ।
उनके पास पहुँचने पर राहुल बोला: दीदी आपको आते हुए देख कर लग रहा था जैसे फ़िल्म की हीरोइन आ रहीं हैं। सच में आप दोनों बहुत ही सेक्सी हो।
नमिता: अच्छा अब हम सेक्सी हो गयीं? अभी तक सुंदर थीं।
नज़ीर: दीदी आप लोग सुंदर तो हो ही साथ में सेक्सी भी हो।
नमिता: अच्छा चलो बहुत मक्खन मार लिया । अब हम शॉपिंग करें।
नज़ीर: दीदी मैं बहुत अच्छा खाना बनाता हूँ, चलिए ना मेरे घर आपको ऐसी बिरयानी खिलाऊँगा आप उँगलियाँ चाटती रह जाओगी।
नमिता: कौन कौन है तुम्हारे घर में?
नज़ीर: दीदी कोई नहीं, सब अचानक एक डेथ के कारण बाहर गए हैं। पूरा घर ख़ाली है।
नज़ीर ने ये बात नमिता की चूचि को घूरते हुए और अपना लौड़ा खुजाते हुए कहा।
अब नमिता की पैंटी भी गीली होने लगी थी।
तभी राहुल सुषमा को घूरते हुए बोला: दीदी चलो आप भी शॉपिंग किसी और दिन कर लेना ।
अब नमिता ने सुषमा को देखा और बोली: क्या कहती हो? बिरयानी खानी है?
सुषमा: जैसे आप कहो।
अब नमिता बोली: ठीक है चलो देखें कैसी बिरयानी बनाते हो? कितनी दूर है तुम्हारा घर?
नज़ीर: बस दीदी १५ मिनट लगेंगे ऑटो से ।
नमिता: चलो पर हम २ बजे तक वापस अपने घर जाएँगे। हमारे बच्चे स्कूल से वापस आ जाते हैं।
राहुल: हाँ दीदी कोई बात नहीं , हो जाएगा।
अब चारों माल से बाहर आए और उन्होंने दो ऑटो किए। एक ऑटो में दोनों लड़के बैठे और पीछे से दूसरे ऑटो में ये दोनों बैठी। और उनके पीछे पीछे चल पड़े।
राहुल: यार चुदवाने आ रही हैं या सच में बिरयानी खाने आ रही हैं ?
नज़ीर: अरे फ़िकरना कर ,वो दोनों हमारे लंड लेने ही आ रही है ।
थोड़ी देर में एक घर के सामने वो रुके, और अंदर गए। अच्छा घर था नज़ीर का। उसके पापा का कपड़े का व्यवसाय है जो अच्छा चलता है।
अब सब सोफ़े पर बैठे और नज़ीर सबके लिए पानी लाया। सबने पानी पिया।
नमिता: नज़ीर तुम्हारा घर बहुत सुंदर है।
राहुल: दीदी इसका बेडरूम भी बहुत सुंदर है ।
सुषमा: बेडरूम तो सुंदर है मगर सुंदर बहु कब लाएगा?
नमिता भी हँस कर बोली: बिना बहु के बेडरूम का क्या मज़ा ?
राहुल: दीदी आपको तो बताया ना अगर बहु लाएँगे तो भी टेन्शन ही होगा कि कोई अनुभव तो है नहीं।
नज़ीर: दीदी आप चाहो तो हमारा जीवन बन सकता है।
नमिता सब कुछ समझकर भी अनजान बनते हुए बोली: वो कैसे? हम क्या कर सकती हैं?
नज़ीर: दीदी आप हमको ट्रेनिंग दे दो ना कि कैसे सुहागरात मनायी जाती है?
सुषमा: धत्त बदमाश कहीं के। ऐसी भी ट्रेनिंग कहीं होती है?
राहुल: दीदी सच में प्लीज़ हमारी मदद कर दीजिए ना ताकि हम लोग शादी की हिम्मत जुटा सकें।
ये कहकर वह सुषमा के पास आके बैठा और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर उसे दबाने लगा।
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Re: त्यागमयी माँ और उसका बेटा

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नज़ीर भी नमिता के पास आके बैठा और बोला: दीदी हमारी क़िस्मत बदल दीजिए ना प्लीज़। और वह भी उसका हाथ पकड़कर दबाने लगा।
नमिता की निगाह उसकी पैंट के उभार पर पड़ी और वह मस्त होकर उसके हाथ को दबाने लगी और बोली: अच्छा चलो जैसा तुम चाहो।
उधर सुषमा भी राहुल के मर्दाने बदन की गंध से मस्त होकर बोली: अच्छा जैसा तुम चाहो।
अब दोनों लड़के ख़ुश हो गए।
नज़ीर नमिता को बोला: चलिए ना हम दोनों मेरे बेडरूम में चलते हैं। और ये दोनों मेरे पापा के बेडरूम में जा सकते हैं।
अब नमिता मुस्कुराते हुए उठी और नज़ीर के साथ उसके बेडरूम में जाकर बिस्तर पर बैठ गयी।
उधर सुषमा भी राहुल के साथ दूसरे बेडरूम में चला गया।
नमिता के पास आकर उसके बग़ल में बैठा और फिर नज़ीर बोला: दीदी एक बात बोलूँ?
नमिता: हाँ बोलो।
नज़ीर: मुझे बचपन से अपनी अम्मी अच्छी लगती हैं। क्या मैं आपको अम्मी बुला सकता हूँ?
नमिता प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरी और बोली: हाँ हाँ क्यों नहीं बेटा ज़रूर।
फिर नज़ीर ने अपना सिर नमिता की छातियों पर रखा और नमिता ने उसके सिर को अपनी छातियों में दबा लिया । नज़ीर नमिता की छातियों की चुम्मी लेने लगा। फिर नमिता ने भी अपनी साड़ी का पल्लू गिराया और अपनी तनी हुई ब्लाउस में क़ैद छातियाँ नज़ीर के सामने कर दीं। अब तो नज़ीर पागल सा हो गया और वह नमिता की छातियाँ खुल कर दबाकर चूमने लगा। नमिता भी उसके गालों को चूमने लगी। अब जल्दी ही नज़ीर अपने हाथों में नमिता की चूचियाँ लेकर दबाते हुए नमिता के होंठ चूसने लगा।
नमिता समझ गयी कि वह अनुभवहीन तो नहीं है। सिर्फ़ नाटक कर रहा था।
वह मुस्करायी और सोची कि चलो अनुभव वाला होगा तो ज़्यादा ही मज़ा देगा।
अब नज़ीर उसको चूमते हुए उसका ब्लाउस खोलने लगा, और नमिता भी उसकी ब्लाउस उतारने में मदद की। ब्रा में नमिता की बड़ी गोरी चूचियाँ देखकर वह उनको चूमने लगा और बोला: अम्मी आपके दूध कितने बड़े हैं , मुझे पिलाएँगीं ना?
नमिता: हाँ बेटा ज़रूर पिलाऊँगी।
नमिता ने ख़ुद अपनी ब्रा खोली और अपने दूध बाहर निकाले और वह उन्हें दबाकर मस्ती से भर गया और फिर नमिता ने अपने हाथ ने अपने एक दूध को पकड़कर उसके मुँह में दे दिया। नज़ीर उसे चूसने लगा और म्म्म्म्म्म करके मस्त हो गया। उसका दूसरा हाथ उसकी दूसरी चूचि के निपल को मसल रहा था और नमिता की बुर में आग लग गयी थी। जी भर के दूध पीने के बाद वह उठा और अब उसने अपना कपड़ा निकाल दिया।
उसकी बालों से भरी हुई छाती और उसकी चड्डी में फँसे हुए लौड़े को देखकर नमिता भी अपना पेटिकोट निकाली और फिर अपनी गीली पैंटी भी निकाल दी।
नज़ीर ने ज़मीन से उसकी पैंटी उठायी और उसे सूँघने लगा।
नमिता भी नीचे उसकी चड्डी के सामने बैठी और वहाँ अपना मुँह रगड़ने लगी। फिर वह उसकी चड्डी उतारी और उसके काली झाँटों के बीच से उसका कटा हुआ लौड़ा अपने फूले हुए सुपाडे के साथ उसके सामने झूल रहा था। लौड़ा कम से कम ८ इंच का था।
नमिता की बुर लौड़े को देखकर पानी छोड़ने लगी।
बीमा देर किए वह उसके सुपाडे को चूसने लगी और फिर वह नीचे उसके बड़े आँड को भी दबाकर मस्ती से भर गयी। नमिता ने जीभर के उसका लौड़ा चूसा और फिर नज़ीर ने उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी जाँघों को फैलाकर उसकी बुर देख कर बोला: अम्मी क्या मस्त बुर है आपकी, जी करता है खा जाऊँ। यह कहकर वह उसे चूमते हुए चाटने लगा।
नमिता भी अपनी बुर को उसके सिर को दबाकर मज़ा लेने लगी।
फिर वह उसकी बुर में अपना मोटा लम्बा लौड़ा घुसाया और उसे चोदने लगा। नमिता भी आऽऽऽह करके चुदवाती हुई बोली: आऽऽऽऽहहह तुम तो पक्के चोदू हो। हाऽऽऽऽऽय्यय क्या नाटक कर रहे थे।
नज़ीर: अम्मी आपको पटाने के लिए नाटक तो करना ही था। हम्ममनन क्या मस्त बुर है आपकी अम्मीइइइइइइइ।
नमिता: आऽऽऽहहब मज़ाआऽऽऽऽऽ। आऽऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है बेटाआऽऽऽऽऽऽऽ और जोओओओओओओओर से चोओओओओओओओओदो।
अब नमिता अपने चूतर उछालकर चुदवाने लगी।
जल्दी ही दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे।
उधर राहुल और सुषमा भी ज़बरदस्त चुदायी में लगे थे।
वह भी सुषमा की टाँगे उसकी छाती तक उठाकर उसको पूरे ज़ोर से चोद रहा था। जल्दी ही चिल्ला चिल्ला कर वो भी झड़ गए।
अब बाथरूम से सफ़ाई करके वो दोनों नंगे ही नज़ीर के कमरे में पहुँचे तो वहाँ भी वो दोनों चुदायी के बाद आराम कर रहे थे।
नज़ीर: मज़ा आया राहुल?
राहुल: हाँ यार सुषमा दीदी को मम्मी बनाकर ख़ूब चोदा।
नज़ीर: मैं भी इनको अम्मी बनाकर मस्ती से चोदा।
नमिता: देखा सुषमा, ये दोनों बोलते थे कि ये अनुभवहीन है। जबकि सच में पक्के चुद्दड़ हैं।
सुषमा: सच दीदी ये भी बहुत ज़बरदस्त चुदायी किया और देखो इसका लौड़ा भी कितना बड़ा है।
नमिता ने हाथ बढ़ाकर राहुल का लौड़ा पकड़ा और बोली: बेटा ८ इंच का है या उससे भी बड़ा है?
राहुल: हाँ क़रीब ८ इंच ही है।
नमिता: दोनों लड़के साँड़ हैं।
राहुल अपने लौड़े को लेटी हुई नमिता के मुँह के पास ले जाकर बोला: मम्मी चूसो ना प्लीज़।
नमिता: दीदी से मम्मी हो गयी मैं?
राहुल ने अपना लौड़ा उनके मुँह में डाला और बोला: आऽऽह मम्मी कहकर चोदने में जो मज़ा है दीदी कहकर चोदने में कहाँ?
अब नमिता भी उसके नरम लौड़े को चूसकर मस्ती से भरने लगी और उसका आकार उसके मुँह में बड़ा होते जा रहा था नज़ीर ने भी सुषमा के मुँह पर अपना नरम लौड़ा रखा और वह भी उसके कटे लौड़े को बड़े प्यार से चूसने लगी। जल्दी ही दोनों के लौड़े अपने पूरे आकार में आ गए और फिर उन्होंने उनको पेट के बल लिटाया और उनको चूतर उठाने को बोला।
वो दोनों अब चौपाया बन गयीं । उनके मोटे गोरे चूतरों को दबाकर वो दोनों मज़े से भर के उनको काटने भी लगे। फिर वो उनकी बुर को चाटने लगे और गाँड़ में भी जीभ फिराए। दोनों औरतें आऽऽऽह कर उठीं। अब उन्होंने अपने लौड़े उनकी बुर में डाले फ़र्क़ इतना था कि पार्ट्नर बदले हुए थे। और एक बार से पलंग डबल चुदायी से हिलने लगा और वो औरतें भी चुदासि होकर अपनी गाँड़ पीछे दबाकर चुदाई करवा रहीं थीं।
थप्प थप्प की आवाज़ से कमरा गूँज रहा था और हाऽऽऽऽय्य मरीइइइइइइइइ आऽऽऽऽऽऽहहहह और जोओओओओओओर सेएएएएएएए। चोओओओओओओओओदो जैसी आवाज़ें कमरे में भरी हुई थीं।
फिर वो सब आऽऽहहहह ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगे।
बाद में सब लेटे और सुस्ताने के बाद नमिता बोली: बहुत मस्त बिरयानी खिलायी।
सब हँसने लगे।
फिर नमिता बोली: अब हमें जाना होगा।
सब तय्यार हुए और फिर राहुल एक ऑटो लाया और नमिता और सुषमा उसमें बैठ कर अपने घर को चल दिए।
रास्ते में नमिता फुसफुसाकर बोली: मज़ा आया?
सुषमा: बहुत , क्या मस्त लौंडे थे। आह निचोड़ दिया उन्होंने।
नमिता: सच में बड़े हलकट मर्द थे बहुत मज़ा आया।
सुषमा: ये ग़लत नहीं है क्या?
नमिता: ज़िंदगी मज़ा करने के लिए है, हम कोई रँडी तो है नहीं , क्या हमने पैसे लिए? इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है। बुर और लौड़े मज़े के लिए ही बनाए गए हैं। इसलिए कोई गिल्ट फ़ीलिंग मत रखना। समझी?
सुषमा: हाँ सच कह रही हो आप।
वो ये बातें फुसफुसाकर कर रही थीं ताकि कहीं ऑटो सुन ना लें।
फिर वो दोनों अपने अपने घर चली गयीं।

अगले दिन राज के स्कूल जाने के बाद नमिता नहा कर आयी तभी सुधाकर का फ़ोन आया: अनिका को लेने जाना है ना?
नमिता: हाँ हाँ क्यों नहीं, बिलकुल जाना है। मैं १० बजे तक चौक पर आ जाऊँगा, तुम वहीं मिलना।
नमिता: ठीक है।
अब नमिता बहुत अच्छी तरह से तय्यार हुई और अपने आप को शीशे में देख कर मस्त हो गयी। साड़ी में से उसके उभार ग़ज़ब ढा रहे थे, फिर वह मुड़ी और शीशे में अपने नितम्ब देख कर मुस्करायी क्योंकि यही तो उसके बहुत ख़ास हथियार थे मर्दों को घायल करने के लिए। गोरा पेट और गहरी नाभि उसके मादक रूप को और भी मस्त बना रही थी। गहरी लाल लिपस्टिक में उसका बदन जैसे खिला जा रहा था।
आज उसने एक ख़ास ब्लाउस पहना था जिसमें से उसकी क़रीब आधी क़्लिवेज नंगी दिख रही थी।
जब वह चौक पर पहुँची तो शायद ही कोई मर्द ऐसा होगा जिसने उसे देख कर आहें ना भरी हो या अपना लौड़ा ना मसला हो।
दो लड़के तो उसके पास आकर उसकी चूचियों को घूरते हुए बोले: आंटी जी नमस्ते , ऑटो लाऊँ क्या आपके लिए? बताइए कहाँ जाना है?
नमिता मुस्कुराती हुई बोली: नहीं चाहिए बेटा।
लड़का : आंटी जी अगर समय हो तो हम आपको घुमा सकते हैं। ये कहकर खुले आम उसने अपना लौड़ा दबाया और नमिता को आँख मार दी।
नमिता: कहा ना मुझे कहीं नहीं जाना है।
तभी उसे सुधाकर की कार आती दिखाई दी।
वह बोली: वो मेरी कार आ रही है।
वो लड़के चुपचाप चले गए।
सुधाकर की कार में बैठते ही वह बोला: आऽऽह क्या दिख रही हो। आज ख़ास तय्यार हुई हो अपनी बेटी के लिए?
ये कहते हुए उसने नमिता की जाँघ दबा दी।
नमिता: हाँ जब उसको आपसे चुदवाना है तो तय्यारी तो करनी होगी ना।
अब दोनों हँसने लगे।
सुधाकर : सच में मुझे अनिका के साथ ये सब सोचकर घबराहट होती है। अभी छोटी है वो।
अब वह नमिता की जाँघ से हाथ ऊपर लेज़ाकर उसकी बुर के हिस्से को साड़ी के ऊपर से दबाने लगा।
नमिता: आऽऽह क्या कर रहे हैं? पैंटी गीली हो जाएगी। वैसे उसका साइज़ छोटी या बड़ी है मुझे डिसाइड करने दो। आप परेशान ना हो । क्या पता उसकी सील टूट ही चुकी हो? आजकल की लड़कियों का कुछ भरोसा नहीं।
सुधाकर: लगती तो नहीं वो ऐसी लड़की, पर अब तुम मिलोगी तो फ़ैसला करना।
नमिता: सील टूटी हुई होगी तो पटाना और भी आसान हो जाएगा।
अब नमिता ने उसके पैंट के उभार को दबा दिया
सुधाकर: आऽऽहहह , हाँ वो तो है। मनीष और राज भी उसे चोदना चाहते हैं?
नमिता: हाँ वो दोनों भी मरे जा रहे हैं, ख़ासकर मनीष।
मनीष नहीं आया अनिका को लेने?
सुधाकर: वो तो अभी सोकर उठा था सो मैं उसे घर में ही छोड़ आया।
तभी स्टेशन आ गया और वह दोनों अंदर जाकर ट्रेन का इंतज़ार करने लगे।
स्टेशन में बहुत भीड़ थी। तभी नमिता को लगा कि कोई उसके चूतरों को दबाकर निकल गया है।
तभी ट्रेन आयी और ac वाले डिब्बे से अनिका अपने सामान के साथ बाहर आयी। उसने एक टाइट सा टॉप और जींस पहनी थी। उसमें से उसके संतरों सी मस्त चूचियाँ और मस्त गोरा पेट और जींस में फँसे चूतर कमाल के दिख रहे थे।
सुधाकर ने उसका सामान ले लिया और वह नीचे उतरी और अपने पापा की बाहों में समा गयी। नमिता भीड़ में फँसी थी तभी किसी ने उसके चूतरों को दबा दिया और एक हाथ उसकी चूचि भी मसल कर ग़ायब हो गया।
नमिता ने देखा कि अनिका की चूचियाँ अपने पापा के चौड़े सीने में दबी थीं और सुधाकर उसकी नंगी कमर को भी सहला रहा था।
नमिता मुस्करायी और उनके पास पहुँची तो सुधाकर उससे अलग हुआ और नमिता का परिचय कराया। अनिका नमिता के भी गले लग गयी और बोली: मैं आपको मम्मी बुला सकती हूँ ना?
नमिता: हाँ बेटा क्यों नहीं?
फिर नमिता ने उसके गाल चूम लिए। नमिता उसके कड़े संतरों का अहसास अपने बड़े आमों पर महसूस की और उसकी लेज़्बीयन प्रवृत्ति ज़ोर मारने लगी और उसकी पैंटी गीली हो गयी। वह सोचने लगी कि शायद सुधाकर से पहले वह ख़ुद ही इस स्वीट बेबी का मज़ा ले लेगी।
यह सोचकर वह मुस्कुरा उठी।
अब सुधाकर अनिका का हाथ पकड़ा और क़ुली के साथ साथ आगे बढ़ने लगा। नमिता भी उनके पीछे पीछे चलने लगी। भीड़ ज़्यादा ही थी। फिर से नमिता को अपने चूतरों पर किसी के हाथ का अहसास हुआ और वह मुड़कर देखी तो एक अधेड़ सा आदमी दूसरी तरफ़ देखने लगा।
आगे सुधाकर अब अपनी बेटी से सटकर उसकी कमर में हाथ डाल कर चल रहा था। बीच बीच में उसका हाथ उसके उभरे हुए नितम्बों के पास भी चला जाता था। नमिता ये सब देखकर मुस्कुरा रही थी।
कार में अनिका नमिता के साथ पीछे बैठी।
अब नमिता ने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और बोली: बेटा सफ़र में कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई?
अनिका: मम्मी वैसे तो सब ठीक था पर दो लड़के थोड़ा बदतमिजी कर रहे थे।
नमिता धीरे से : क्या किए?
अनिका ने अपने दूध की ओर इशारा किया और फूसफुसाइ : इनको दबा दिए जब मैं बाथरूम जा रही थी।
नमिता: ओह बेटा दुखा तो नहीं?
अनिका : थोड़ा सा दुखा था।
सुधाकर: अरे क्या फुसफुसा रही है दोनों ?
नमिता: कुछ नहीं ये माँ बेटी की बात है, आपको क्या?
नमिता फिर धीरे से बोली: और कुछ तो नहीं किया?
अनिका: जी वो पीछे भी दबाए थे।
नमिता: चल बस इतना ही या और कुछ?
अनिका: नहीं बस इतना ही।
नमिता : चलो कोई बात नहीं। अरे ये बदमाश लड़के ये सब तो करते रहते हैं।
तभी वो घर पहुँचे और मनीष आकर अनिका से लिपट गया और वह भी अपने सीने पर उसके मस्त संतरों को अहसास कर के मस्त हो गया ।
फिर वह भी उसकी नंगी कमर को सहलाया और बोला: अनिका , मम्मी पसंद आयी ?
अनिका: हाँ ये तो बहुत सुंदर हैं। बहुत अच्छी हैं।
अब अनिका और नमिता सोफ़े पर बैठी और सामने सुधाकर और मनीष बैठे।
अनिका के जींस में कसी जाँघें ग़ज़ब ढा रही थीं।
नौकर ने पानी और जूस पिलाया। सब उसकी पढ़ाई की बातें करने लगे।
नमिता: बेटा आप चलो अपने कमरे में और नहा लो और फिर बातें कर लेना।
अनिका उठी और अपनी मस्त गाँड़ मटकाते हुए अपने कमरे में चली गयी।
सुधाकर: नमिता, देख लो ना जाकर उसे किसी चीज़ की ज़रूरत ना हो?
नमिता उठते हुए बोली: ठीक है मैं देखती हूँ।
नमिता उसके कमरे में पहुँची तो वह अपना सूटकेस खोल रही थी।
नमिता: कोई मदद चाहिए बेटा?
अनिका: आइए ना मम्मी यहाँ बैठिए।
नमिता वहीं अनिका के पास बिस्तर पर बैठ गयी।
अनिका के समान में काफ़ी कपड़े थे। वह बोली: मम्मी मैं घर पर अभी क्या पहनूँ?
नमिता ने उसके कपड़ों में से एक छोटा सा टॉप और स्कर्ट निकाला और बोली: ये बहुत अच्छा है इसको पहन लो।
अनिका: ठीक है मम्मी। फिर वह अपने लिए ब्रा और पैंटी भी निकाली।
नमिता: अरे बेटी ये ब्रा तो बड़ी छोटी दिख रही है, तुम्हारे तो काफ़ी बड़े दिख रहे हैं।
अनिका शर्मा कर: नहीं मम्मी ये मेरे साइज़ के ही हैं।
नमिता: लगता तो नहीं। चलो अभी चेक कर लेते हैं।
यह कहते हुए वह उठी और दरवाज़े को अंदर से बंद किया और अनिका को टॉप उतारने को बोली। अनिका ने हिचकते हुए टॉप निकाल दिया। अब उसके संतरे ब्रा में बहुत सेक्सी दिख रहे थे।
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