बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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कामया के नरम हाथ उसके गालों को छू रहे थे उसके हाथों में एक आग्रह था और एक खिचाब था जो कि भोला को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही थी नजर में भी एक गुजारिश थी जो की भोला से नहीं बच पाई थी वो थोड़ा सा उठा और अपने आपको कामया के नजदीक ले गया और उसकी पतली सी कमर को अपनी बाहों में भरते हुए अपने होंठों को उसके गुलाबी होंठों पर रख दिया वो क्या करता इससे पहले ही कामया की पकड़ इतनी मजबूत हो गई थी कि भोला ने अपने आपको ढीला छोड़ दिया कामया अपने पूरे जी जान से अपने हाथों में आए उस गंदे से इंसान के होंठों को ऐसे चूस रही थी जैसे उसे उससे नया जीवन मिलने वाला था उसकी आतूरता को देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता था कि कामया की क्या हालत है उसके हर अंग से एक आग की लपट निकलती जा रही थी वो भोला को चूमते हुए कुछ कह भी रही थी पर क्या वो भोला को नहीं समझ आया पर हाँ… कामया से अपने होंठों को उसने जरूर छुड़ा लिया था और धीरे से कामया की नजर से नजर मिलाते हुए उसे धीरे से बेड पर लिटा दिया था और खुद खड़ा होकर अपनी पैंट उतारने लगा था और नीचे लेटी हुई कामया की ओर देखता जा रहा था कामया के शरीर में हलचल चल रही थी वो उसके हर अंग से निकल रही थी उसके अकड़ने से और अपने हाथों को बेड की चद्दर पर घुमाने से और उसका हर अंग जैसे कुछ कह रहा था भोला से

भोला अपने आपको बहुत ही संतुलित सा करते हुए अपने अंदर के हैवान को पता नहीं कहाँ छोड़ आया था और बहुत ही धीरे-धीरे अपनी पैंट को खोलकर पैरों से बाहर निकाल ही रहा था कि कामया का सीधा हाथ उसकी जाँघो से टकराया उसकी आँखो में एक भूख थी जो कि अब धीरे-धीरे बेशरम सी होती जा रही थी और भोला की मजबूत जाँघो को अपनी पतली पतली और नरम उंगलियों से सहलाने लगी थी


कामया की उत्तेजना इतनी बढ़ गई थी कि वो अपने आपको नहीं रोक पा रही थी और उसके हाथ अब भोला के अंडरवेर तक पहुँचा कर उसे खींचने लगी थी भोला थोड़ा सा आगे बढ़ा और कामया के खींचने से अपने अंडरवेर को फटने से बचाने लगा था वो कामया की ओर देखता जा रहा था और उसके हर अंग से निकल रहे एक आमंत्रण को देख रहा था उसकी आँखों में उठ रही उसकी उत्तेजना को देख रहा था अपने अंडरवेर को खींचते देखकर वो खुद ही अपने अंडरवेर को नीचे की ओर कर दिया और कामया के हाथों को पकड़कर अलग कर दिया और अपने आपको अंडरवेर से अलग करने लगा उसके लिंग को एक ही झटके से बाहर आते देखकर कामया के शरीर में जैसे एक आहह निकल गई थी


वो, अपने हाथों को एक बार भोला की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करने लगी थी पर भोला की पकड़ से वो नहीं छुड़ा पाई थी पर कोशिश बरकरार थी और अपने हाथों को मोड़कर जैसे वो भोला से बिनती करने लगी थी कि प्लीज छोड़ दो और मुझे पकड़ने दो पर भोला एकटक उसकी ओर देखता हुआ अपने ही हाथो को अपने लिंग पर चलाने लगा था दो तीन बार उसने अपने लिंग को आगे पीछे किया तब तक, कामया आ चुकी थी एक अजीब सी स्थिति में थी वो उसके अंग से निकल रही उत्तेजना की हर एक बात भोला के लिए एक पहेली थी वो जहां देखता था एक आमंत्रण सा दिखता था आखों में या कहिए होंठों में आधखुले होंठों के बीच से दिख रही उसकी जीब को जो की उसके होंठों पर कभी-कभी घूमकर फिर अंदर चली जाती है गालों में उठ रही लालिमा और फिर गले से जाते हुए घूंठ जो कि उसके सीने के उभारों को और भी उभार कर कही अंदर गुम हो जाते थे


पेट का अंदर-बाहर होना और फिर हर एक सांसों के साथ उसके सीने को और भी बाहर की ओर धकेल देती थी जाँघो को खोलकर और फिर जोड़ लेने से जो हालत कामया की थी वो शायद इतने इतमीनान से भोला भी नहीं देख पाता अगर वो अब तक उसपर टूट गया होता तो पर यह नजारा तो उसकी जान पर बन आई थी सिर्फ़ ब्रा पहने हुए कामया उठकर बैठी हुई थी और अपने दूसरे हाथ को धीरे-धीरे उसके लिंग की ओर ले जा रही थी भोला का लिंग किसी खंबे की तरह अपने अस्तित्व की सलामी दे रहा था और अपने इस्तेमाल होने की तैयारी में था कामाया के नरम हाथों ने जैसे ही उसके लिंग को पकड़ा था एक बिजली सी भोला के शरीर में दौड़ गई थी और वो खड़ा-खड़ा थोड़ा सा हिल गया था पर जल्दी ही दूसरे हाथ से उसने कामया के हाथों को अपने लिंग को छुड़ा लिया और थोड़ा सा पीछे हो गया था



कामया की नजर एक बार फिर से उससे टकराई थी एक अजीब सी नजर थी उसकी एक फरमाइश थी एक गुजारिश थी एक भीक थी शायद हाँ… वो भीख ही थी जो वो आज माँग रही थी उससे भोला से पर भोला अपने हाथों से उसे रोक कर धीरे से उसे थोड़ी देर तक देखता हुआ उसे पीछे की ओर धकेल दिया था कामया अपने आपको ना संभाल पा कर एक दम से चित होकर लेट गई थी पर शरीर पर उसका कंट्रोल नहीं था वो अब भी लेटी हुई अपने शरीर में उठ रही उत्तेजना से लड़ रही थी और वो गुंडा खड़ा हुआ देख रहा था साला जानवर कही का और क्या चाहिए इसे करता क्यों नहीं खड़ा-खड़ा देख रहा है उसके लिंग को देखते हुए कामया की साँसे फुल्ती जा रही थी सांसों के साथ-साथ अब उसके होंठों से आह्ह और सिसकारी के साथ साथ शायद रोने की आवाज भी आने लगी थी रोने की हाँ… यह रोने की ही आवाज थी कुछ ना कर पाने की स्थिति में जो रोना निकलता है वो ही है उसकी आखों में शायद आँसू भी आ गये थे


उस नजर से भोला, थोड़ा सा धूमिल हो जाता पर एक सख़्त हथेली ने जैसे उसकी जान में जान डाल दी थी वो हथेली जैसे ही उसके पेट को सहलाते हुए उसके सीने की ओर उठी तो वो फिर से अकड गई थी धीरे-धीरे वो एक बोझ से दबने लगी थी वो भोला का बोझ था एक सख़्त और बहुत ही मैली खुशुबू से वो ढँक गई थी एक-एक अंग उस बोझ से दबने को तैयार था हाँ वो यही तो चाह रही थी कामया की बाँहे एक साथ ही उठी और भोला के शरीर के चारो ओर धीरे से कस गई थी और उस मर्दाना खुशबू में वो खो गई थी उसे अब कुछ याद नहीं था सिर्फ़ याद था तो अपने आपको एक सख़्त और मजबूत बाहों के घेरे में जाने का और एक अद्भुत सा एहसास जिसका कि उसे कब से इंतजार था धीरे-धीरे उसकी जाँघो के बीच में अपनी जगह बना रहा था और अपनी सांसें रोके उस चीज को अपने अंदर और अंदर तक उतारने की जगह बनाने लगी थी
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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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वो साँसे रोके हुए अपने आपको उस शरीर से और भी चिपका कर रखना चाहती थी उसके सीने से लगी हुई उसकी ब्रा अब उसे चुभने लगी थी पर भोला को कोई चिंता नहीं थी उसे उतारने की पर वो उसे उतारना चाहती थी कामया अपनी सांसों को नियंत्रित करते हुए उस शरीर को अपने दूर नहीं जाने देते हुए एक हल्की सी आवाज जो कि शायद भोला के कानों में ही सुना जा सकता था


कामया- प्लीज इसे उतार दो प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज
और उसकी बाँहे और भी कस गई थी पर भोला के हाथ तो बस उसको पीछे से सहलाते हुए उसकी ब्रा की पट्टियों से खेल रहे थे और धीरे-धीरे भोला कामया के अंदर तक उतर रहा था वो जितना धीरे-धीरे कर रहा था वो एक आश्चर्य ही था पर इसका राज तो सिर्फ़ भोला ही जानता था आज उसकी स्थिति ऐसी थी

(( कि जैसे वो एक रेस्तरो के बाहर से रोज जाता था और कभी-कभी परदा के उड़ने से थोड़ा सा अंदर दिख जाया करता था एक तमन्ना लिए वो हमेशा ही वहां खाने की तमन्ना लिए जीता जा रहा था और आज जब उसे अंदर से देखने का और खाने का मौका मिला तो अंदर तक जाते हुए भी अपने कदम को वहां रख रहा था कि जैसे कार्पेट तक खराब ना हो जाए या फिर कुछ और खराब ना हो जाए जितनी सहजता और नाजूक्ता को अपने आपको इस रेस्तरा में चल रहा था )))

उसकी हालत ऐसी थी कि वो धीरे धीरे उस अप्सरा को अंदर जाते हुए अपनी बाहों में कसे हुए था वो एक रूई के गोले के समान लग रही थी नाजुक और नरम सी कोमल सी और गदराई सी अपनी कमर को उठाकर अपने अंदर की जगह को निरंतर फैलाकर उसके लिए जगह पर जगह बनाती जा रही थी कामया के शरीर से उठ रही एक मादक गंध जो की उसके बालों से और उसके शरीर से आ रही थी एक अजीब सा नशा सा भर रही थी भोला के शरीर में वो अपनी रफ़्तार को बढ़ाना चाहता था पर कामया की हरकतों से वो खुद को काबू में रखे हुए था कामया नीचे से अपनी कमर को उठाकर उसके काम को आसान बना रही थी वो जैसे ही थोड़ा सा अलग होता वो खुद अपनी कमर को उठाकर उसके निकले हुए लिंग को फिर से अपने अंदर तक समा लेती थी और अपनी टांगों के दबाब से उसे फिर से अपने ऊपर खींचकर गिरा लेती थी भोला की उत्तेजना जो की धीरे-धीरे अपने शिखर पर पहुँचने वाली थी पर वो खुद होकर कुछ नहीं कर पा रहा था जो भी करना था वो कामया ही कर रही थी उसके झटके इतने तेज हो गये थे कि शायद वो फिर से एक बार झड़ने की तैयारी में थी और भोला भी पर उसने तो अपनी मेमसाहब को अपनी सप्निली चीज को देखा तक नहीं अभी तक पूरा और नहीं अपने मन की ही कर पाया और नहीं ही वो कर पाया जिसका कि वो कितने दिनों से इंतजार कर रहा था और ना जाने कितने सपने देखते थे उसने पर ऐसा लगा कि

(((जैसे ही वो उस रेस्तरा में घुसा उसकी हर चीज उसे नई लगी थी और वो उसे देखता ही रह गया और खाते खाते ही बिल पे करने का समय आ गया )))

पर धीरे-धीरे वो भी कामया के रिदम से रिदम मिलाने लगा था पर बहुत ही आहिस्ते और बहुत ही सटीक तरीके से वो अपने आपको रिलीस करने ही वाला था कि कामया के मुख से एक जोरदार चीत्कार निकली

कामया- जोर से करो प्लीज और जोर से जोर से पकडो और जोर से

भोला की पकड़ धीरे-धीरे और भी मजबूत होती गई और अपनी मेमसाहब के हर शब्द जो कि उसके लिए एक आग्या थी उसे निभाने लगा था

कामया- जोर-जोर से करो प्लीज और जोर-जोर से हाँ प्लीज और र्र्र्र्र्ररर
और कामया का शरीर एक झटके में भोला के शरीर से लिपट गया था जैसे की कोई बेल थी वो अपने होंठों के ठिकाना ढूँडने से उसे भोला का कान ही मिला सो उसने उसे ही अपने होंठों में दबा लिया और अपने आपको रिलीज़ करने लगी थी भोला भी अपने आपको रोक नहीं पाया था और दो तीन झटके में ही वो अपने लिंग को बाहर निकाल कर अपने आपको रिलीस कर दिया और कामया को कसकर पकड़कर अपनी बाहों में भरने लगा था वो उसे इतना अपनी बाहों में भर लेना चाहता था कि वो उसके हाथों से निकल ना जाए

और तेज-तेज सांसें लेता हुआ कामया के कंधे के पास उसकी जुल्फो में खो गया था नीचे पड़ी कामया की आखें तो बंद थी पर एक बड़ा सा चेंज उसके अंदर आ गया था वो सख्स जो कि उसके ऊपर पड़ा हुआ था वो सख्स जो की अभी-अभी, उसके तन से खेला था वो सख्स जिसे कि वो घृणा करती थी वो सही मायने में प्यार करने की चीज थी हाँ… नहीं तो आज तक जिसने भी उसके साथ यह सब किया था वो उसके अंदर ही झडा था पर भोला ने अपने आपको बाहर झड़ाया था क्यों


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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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आख़िर क्यों वो उसकी इतनी चिंता करता है क्यों नही वो अपनी आमानुष होने का परिचय दिया था अभी-अभी क्यों नहीं उसे निचोड़ कर रख दिया था जैसे लाखा और भीमा ने किया था जैसे उसके पति ने किया था या कोई भी अपने सामने उस जैसी नाचीज़ को पाकर करता पर नहीं इस पागल ने तो मन जीत लिया यह सच में पागल ही है सांड़ कही का कितना दुलारा है उसने आज और कितना मजबूत था यह सोचते सोचते वो कब सो गई उसे पता ही नहीं चला पर हाँ… अपनी बाहों से निकलकर भोला को जाते हुए और एक बार प्यार से उसे चूमते हुए और उसे एक बार ठीक से प्यार से सहलाते हुए उसने देखा था

उसे कोई दिक्कत नहीं थी भोला से अब वो जानती थी कि यह जैसा दिखता है या जैसा सब जानते है वो ऐसा नहीं है वो गवाह है उसकी “


सोते ही उसे भोला की हरकतों ने घेर लिया था कैसे उसने उसके हर अंग से खेला था कितने प्यार से उसने उसे सहलाया था और कितने ही प्यार से उसे उसके चरम शिखर तक एक ही झटके में पहुँचा दिया था सोते सोते वो एक सुखद और उतेजना के शिखर में कब गोते लगाने लगी थी उसे नहींमालूम चला था पर हाँ… एक खुशबू ने उसे एक बार फिर से घेर लिया था और एक गरम सा स्पर्श उसकी पीठ पर फिर से हुआ था


और एक मजबूत सी गिरफ़्त में फिर से वो पहुँच गई थी एक हाथ जो कि उसके नीचे से उसकी कमर से होते हुए धीरे से उसकी चुचियों पर आके टिक गये थे और दूसरा हाथ उसकी जाँघो के चिकने पन से खेल रहा था कामया नींद में थी या जागी हुई उसे नहीं पता था पर हाँ… उत्तेजना में डूबती हुई कामया को यह सब अच्छा लग रहा था वो नींद में ही एक मुस्कुराहट लिए थोड़ा सा पीछे की ओर हो गई थी हाँ… पीछे कोई है भोला की खुशबू है फिर से आ गया मन नहीं भरा होगा चलो करने दो जो करना है में तो सो जाती हूँ आखें खोलने की हिम्मत नहीं थी उसमें वो जो खेल उसने खेला था


थकि नहीं थी पर शायद शरम के चलते वो उसकी ओर नहीं देखना चाहती थी पर हाँ कोई रोक टोक नहीं था उसकी हरकतों में बल्कि अपने हाथों को लेकर उसके हाथों के सखतपन को एक बार उसने चखा जरूर था हाँ वही है करने दो जो करना है लेटी हुई कामया ने अपने आपको ढीला छोड़ दिया था भोला की हरकत को रोक सके वो सिर्फ़ कामया ही थी और उसे अपनी मेमसाहब से पहल करने की आजादी मेल चुकी थी वो अब थोड़ा सा और खुल गया था अपने आपको ना रोक पाकर वो बहुत ही उलझन में इस कमरे में वापस आया था और आते ही कामया को जिस तरह से सोया हुआ देखा था वो एक ओर तो पागल ही हो गया था पर बहुत ही धीरे से उसने अपनी सांसों पर काबू पाकर वही बॅड पर बैठे बैठे ही अपनी मेमसाहब को देखता रहा था गोरी गोरी जाँघो के नीचे से उसकी टांगों को देखकर एक बार तो मन हुआ था कि जोर से पकड़कर चूम ले पर अपने आपको संभाल कर उसने ऊपर की ओर देखना शुरू किया था और देखकर समझ गया था कि कामया ने पैंटी नहीं पहना था तो क्या मेमसाहब ऐसे ही सोती है गाउन कमर के पास था और सबकुछ खुला हुआ था और कमर के चारो तरफ जो गाउन घिरा हुआ था वो एक खुला दे रहा था और शायद ही दुनियां में कोई मर्द ऐसा होगा इस मौके को छोड़दे और भोला उन मर्दो में ही था जो आपने हाथों में आई इस मल्लिका-ये-हुश्न को फिर से अपने शरीर से जोड़ कर देखना चाहता था अपने मन की कर लेना चाहता था सो उसने किया भी


अपने कपड़े उतार कर धीरे से उसके पीछे लेट गया था और अपने हाथों से उस काया को उस रूई की गेंद को फिर से अपनी बाहों में भर लिया था और जो कुछ देख कर लेटा था एक हाथ जरूर उस ओर ले गया था शायद हर मर्द की यही इच्छा होती है कि जिसे देखे उसे जरूर छुए सो उसने भी किया अपने हाथों को घुमाते हुए वो धीरे-धीरे ऊपर उठाने लगा था कमर के घेरे पर अपने हाथों को छूता हुआ वो कमर से ऊपर की ओर बढ़ा अपनी उंगलियों से छूते हुए वो पेट और फिर धीरे से अपने हाथों को उस कोमल और चिकने से शरीर को छुआते हुए उसकी चुचियों तक ले गया था


उउउफफ्फ़ कितने सुंदर और सुडोल थे कितने कोमल और रूई के गोले के समान थे कामया के चुचे . निपल्स टाइट होते ही एकदम से बाहर की ओर निकले हुए एक दाने की समान थे वो दूसरे हाथ को भोला कामया के कंधे पर से घुमाकर उसके गाउन के अंदर तक पहुँचा चुका था वहां भी यही स्थिति थी पागल सा हो उठा था वो कितने दिनों की तमन्ना थी इस चीज को छूने की बहुत ही धीरे-धीरे और बहुत ही आराम से भोला अपने हाथों को घुमाकर उन चुचों को अपने हाथों से सहलाता हुआ कामया की पीठ पर अपने होंठों को रगड़ता जा रहा था और अपने जीब को निकाल कर उसके शरीर का रस भी पीता जा रहा था अपनी कलाई में कामया के हाथों का स्पर्श पाकर भोला तो जैसे मस्त ही हो उठा था वो जान गया था कि कामया जाग रही थी और उसे कोई दिक्कत नहीं है वो कर सकता था जो वो करना चाहता था

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Re: बड़े घर की बहू

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वो अपने आपको कामया के और भी करीब ले गया था और बहुत ही कस कर उसको अपने से भींच लिया था उसके हाथ अब भी उसके दोनों चुचों पर कब्जा किए हुए थे और एक जाँघ को उठाकर कामया की जाँघो पर रख दिया था कामया जो की अपनी जाँघो पर भोला की सख़्त सी जाँघ का स्पर्श पाकर और भी निढाल हो गई थी वो थोड़ा सा अपने शरीर को साधने लगी थी ताकि भोला की जाँघ का पूरा स्पर्श अपनी जाँघो पर ले सके सख़्त और बालों से भरा हुआ गरम सा मर्दाना जाँघ का स्पर्श उसे अच्छा लग रहा था और उसे साथ-साथ उसके गरम-गरम लिंग का स्पर्श भी उसकी जाँघो के आस-पास जिस तरह से हो रहा था वो और भी पागल करदेने वाला था कामया की जाँघो के साथ-साथ उसकी कमर ने भी हरकत करना शुरू कर दिया था और वो थोड़ा सा और पीछे की ओर होती हुई अपनी कमर के नीचे उसके लिंग को अपने नितंबों से छूने की कोशिश करने लगी थी हर टच उसके लिए एक जान लेवा साबित हो रहा था


जहां वो सोने का नाटक करने की कोशिश करने वाली थी वही अब अपने आपको रोक नहीं पा रही थी वो भोला के अपनी चूचियां पर से हाथों को भी रोकना चाहती ही और भोला को अपने और भी पास भी खींचना चाहती थी एक हाथ को भोला के हाथों पर रखते हुए उसके दाए हाथ को पीछे की ओर ले गई थी कामया और भोला की कमर को छूकर और फिर अपनी कोमल उंगलियों से उसे धीरे से अपनी ओर खींचने लगी थी अपनी कमर को थोड़ा सा उचका करके उसे रास्ता भी दिखाने की कोशिश करने लगी थी योनि के अंदर एक भूचाल सा आने लगा था सांसें फिर से रफ़्तार पकड़ने लगी थी उसका दिल धड़कनों को छूने लगा था और चूचियांतनकर और भी बाहर की ओर हो गई थी भोला की पकड़ से वो कभी-कभी छूट जाती थी उसकी हरकतों के कारण पर भोला की पकड़ वैसे ही सख़्त थी जो कि कामया की कमर से होकर और कामया के कंधे से होकर गये उसके हाथो में थी कामया को हिलने के लिए बहुत जोर लगाना पड़ रहा था


पर शरीर में उठ रही उत्तेजना के ज्वार के आगे और काम अग्नि में जल रही कमाया को भोला की पकड़ भी नहीं रोक पा रही थी वो भोला की कमर को और भी अपनी ओर खींचती हुई अपने नितंब को लगातार उसके लिंग पर घिसने लगी थी भोला भी पीछे से उसके नितंबों को अच्छे से अपने लिंग से छूता हुआ अपना दायां हाथ धीरे से नीचे की ओर ले आया था और कामया की जाँघो के बीच में ले गया था कामया की जांघे अपने आप ही भोला की दाई जाँघ पर उठ गया था और उसने भोला के लिए जगह बना दी थी अपनी उंगलियों को धीरे से उसने कामया की योनि में डाली ही थी कि एकदम से कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और उसका मुख थोड़ा सा घूमकर भोला की ओर आ गया था अधखुले होंठों से और नथुनो से निकलने वाली खुशबू से भरी उसकी सांसें अब भोला की नाक से टकराने लगी थी वो घूमकर शायद अपने होंठों पर कब्जा जमाने को कह रही थी



सो भोला भी अपने पकड़ को थोड़ा सा ढील देकर ऊपर उठा और पीछे से ही उसके होंठों को छू लिया और फिर धीरे से अपनी जीब को एक बार उसके होंठों पर फेर दिया कामया की सिसकारी और भी तेज होती जा रही थी और वो अपने आपको घुमाने की कोशिस करती जा रही थी पर एक हाथ उसकी चुचियों पर और एक हाथ उसकी जाँघो के बीच में होने के कारण वो ऐसा नहीं कर पाई थी पर हाँ घूम तो थोड़ा सा गई थी और अपने होंठों को और भी खोलकर भोला को प्रेज़ेंट कर रही थी भोला ने भी उस उत्तेजना में जल रही अपनी मेमसाब को और नहीं तड़पाया और झट से उसके होंठों पर कब्जा जमा लिया था और धीरे-धीरे उसके होंठों का रस्स पान करने लगा था एक मदहोशी सी थी उसके होंठों में वो क्या किस करता उससे कही ज्यादा और उसके कही ज्यादा तेजी थी कामया की जीब और होंठों की उसके होंठों को खींच खींचकर वो छूती और अपनी जीब को उसके मुख के अंदर तक घुमाती जा रही थी


भोला को ऐसा किस आज तक किसी ने नहीं किया था आज तक जो भी मिला वो सिर्फ़ होंठों को देकर चुपचाप अपना काम करने देता था पर आज बात कुछ और थी भोला को जितनी जरूरत मेमसाब की थी शायद उससे कही ज्यादा मेमसाब को उसकी जरूरत ज्यादा थी भोला का अंदर बैठा हुआ शैतान अब धीरे-धीरे जाग रहा था और उसकी पकड़ के साथ-साथ उसकी आक्टिविटी भी वायलेंट होने लगी थी उसकी पकड़ का कोई तोड़ नहीं था इतनी कस गई थी कि कामया का हिलना तो दूर सांस भी लेना दूभर हो रहा था पर कामया को जिस बात की चिंता थी वो थी अपनी काम अग्नि को शांत करने की भोला का जानवर वो जगा चुकी थी अब सिर्फ़ उसे रास्ता दिखाना है सो वो अपनी कमर को झटकने लगी थी उसके हाथों के साथ साथ और मुख से अजीब सी आअहहे और सिसकारी भरती हुई भोला को और भी उत्तेजित करने लगी थी कामया के शरीर का हर पार्ट अब इस खेल में शामिल था उसके हर अंग से एक अजीब सी मादक सी खुशबू निकलकर भोला को पागल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी


भोला भी मेमसाहब की उत्तेजना में बराबर का हिस्से दार बन गया था और हर कदम में मेमसाहब का बराबर का साथ देने को तैयार था वो कामया को अपनी बाहों में कसे हुए अपनी उंगलियों को उसकी जाँघो के बीच में तेजी से चलाने लगा था और अंदर और अंदर तक जहां तक वो जा सकता था जा रहा था कामया की जांघे भोला की जाँघो के ऊपर होने की वजह से एकदम खुल गई थी और वो लगातार सिसकारी भरती हुई भोला को और भी उकसा रही थी उसकी सिसकारी में कोई गुस्सा व मनाही नहीं थी बल्कि, भोला को और भी आगे बढ़ने की तथा ऑर भी रफ होने की फरमाइश थी भोला की उंगलियाँ अब तक वो कमाल काफ़ी बार कर चुकी थी पर भोला के शरीर का सबर अब टूट गया था वो कामया को अपने तरीके से भोगना चाहता था अब तक जो उसने किया था एक सुंदर और खूबसूरत नारी का सम्मान किया था और अब जो वो करने जा रहा था वो एक भोला को करना था जो कि औरतों के बीच में पहचाना ही जाता था अपने दरिंदगी के कारण
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Re: बड़े घर की बहू

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भोला ने अपनी बाहों को कामया के नीचे से निकाल कर उसके साथ उसकी गाउनको भी निकाल दिया था और एक बार उसकी नंगे तन को पीछे से देखा था और फिर से उसे घुमाकर अपने होंठों को उसके होंठों से आजाद करते हुए उसकी पीठ पर रख दिया था उसका एक हाथों कामया की एक चुचि पर था नीचे से जाते हुए और दूसरा हाथ अब भी उसकी योनि में था और अपने काम में लगा हुआ था होंठों ने एक बार उसकी पीठ का जायजा लिया और फिर अचानक ही अपने मुँह को उसकी पीठ पर गढ़ा दिया और फिर एक लंबा सा चुंबन जड़ दिया एक लंबी सी चीख और साथ में एक लंबी सी सिसकारी उस कमरे में गूँजी और फिर शांत हो गई थी पर कामया की भूख और भी बढ़ गई थी और भोला की चाहत भी


भोला लगा तार वही करता जा रहा था और अपने हाथों का दबाब भी उसकी चुचियों पर बढ़ाने लगा था फिर आचनक ही उसने अपनी उंगली को कामया के योनि से निकाल लिया था और पीछे से ही उसकी योनि में अपना डंडा घुसाने की कोशिस करने लगा था एक गरम सा लोहे जैसा सख़्त उसका लिंग जैसे ही, कामया की चूत के द्वार पर थोड़ा सा घुसा कामया की आखें बंद थी वो और भी कसकर बंद हो गई थी और अपनी कमर को पीछे करते हुए वो लगभग भोला के ऊपर चढ़ जाना चाहती थी


भोला की गिरफ़्त इतनी कसी हुई थी कामया के कमर पर कि कामया को दर्द होने लगा था , पर उसके लिंग के स्पर्श में जो सुख उसे मिल रहा था वो एक अनौखा एहसास था वो उसे और भी अंदर की ओर ले जाने को आतुर थी और अपनी योनि को और भी खोलकर अपनी जाँघो को उसके ऊपर किया और चढ़ती हुई अपनी कमर को और पीछे की ओर धकेलती जा रही थी और भोला अपने एक हाथ से कामया की कमर को पकड़े हुए अपने लिंग को उसकी जगह में और उसके रास्ते में आगे बढ़ाते हुए पीछे से उसको कसकर पकड़ रखा था और धीरे-धीरे आगे पीछे होने लगा था


एक हाथ में उसके चुचे को दबाते हुए वो कामया के चहरे तक भी चला जाता था और, फिर नीचे आते हुए उसकी चुची को फिर से कस कर जकड़ लेता था भोला की मनोस्थिती एकदम मदहोशी के समान थी वो अपने लिंग को अंदर तक पहुँचाने के बाद से ही कामया को अपने आपसे कस कर जोड़े रखना चाहता था और उसकी पीठ पर अपना सिर रखकर अपनी कमर को चलाने लगा था अपने दूसरे हाथ को भी वो कामया चुचियों पर ले आया था और अपने ही जोर से वो दबाता जा रहा था पर कामया के मचलने से और उसकी हरकतो से वो कभी-कभी अपनी पकड़ को ढीला भी करता था और फिर कसकर पकड़ लेता था पर हर बार वो इस तरह से अपने आपको उठाती और गिराती थी कि भोला को अपनी स्पीड को बरकरार रखने में थोड़ा सा दिक्कत होती थी कामया के झटपटाने का ढंग अब निरंतर बढ़ने लगा था वो अपना सिर पीछे की ओर करते हुए भोला के सिर से लग गई थी अगर भोला उसे अपना सिर उठाकर जगह नहीं देता तो शायद उसके माथे पर ही जोर से सिर मार देती पर भोला के सिर उठाने से एक रास्ता कामया के लिए बन गया था और अपने सिर को भोला के कंधे पर टिका लिया था और अपनी नथुने और मुख से निकल रही सांसों को वो भोला के चहरे पर फेकने लगी थी



कामया की हालत खराब थी पर वो अपने नितंबों को कस कर भोला की जाँघो के जाइंट पर टिकाए हुए थी और भोला का एक हाथ उसकी जाँघो के सामने की ओर से होते हुए उसके बीच में था और पीछे से वो लगातार अपनी रफ़्तार को बनाए हुए था कामया के शरीर में एक अजीब सी हलचल मची हुई थी और उसे पता था कि वो ज्यादा देर तक अब नही रुक सकती थी क्योंकी भोला की पकड़ के सामने वो अब बिल्कुल बेबस थी उसकी बाँहे सिर्फ़ शायद उसके हाथों और टांगों पर ही कुछ जगह को छोड़ती थी और हर कही भोला था उसकी चुचियों से लेकर उसके पेट तक और उसके चहरे से लेकर उसकी जाँघो तक वो था हर कही वो था एक ओक्टोपस की तरह शायद उससे भी ज्यादा जगह घेर रखी थी उसने और उसके धक्के लगाने की रफ़्तार भी इतनी तेज थी कि हर धक्के में एक आहह कामया के मुख से निकल आती थी उसकी चोट इतनी अंदर तक जाती थी कि शायद उसके मुख तक आती थी वो बड़ा सा लिंग कही अंदर एक उफ्फान सा उठाने लगा था कामया के अंदर और वो निरंतर वायलेंट होती जा रही थी उसके होंठों को अब कुछ चाहिए था अपने एक हाथ को उसने भोला के हाथों के ऊपर से हटा कर भोला के गालों को पकड़कर अपनी ओर करती हुई उसके होंठों को ढूँढ़ ही लिया था उसने और अपने होंठों से उसके होंठों पर टूट पड़ी थी जी जान लगाकर चूस रही थी



पर भोला भी कम नहीं था अपने उल्टे हाथ को उसकी चुचियों से हटा कर उसने भी कामया के चेहरे को अपनी तरफ किया और उसके पूरे होंठों को अपने अंदर कर लिया था चूसने और चुबलने का एक ऐसा दौर शुरू हुआ था कि जिसका कि कोई अंत नहीं था कामया का एक हाथ छूट कर अब बिस्तर पर घूमने लगा था वो धीरे-धीरे अपने मुकाम को हासिल करने वाली थी उसकी उत्तेजना तो देखते ही बनती थी सीधे हाथ को भोला के हाथों पर रखे हुए अपनी कमर को उसकी स्पीड के साथ आगे पीछे करते हुए वो बिस्तर पर हर चीज को पकड़कर अपने पास खींचने लगी थी बेड शीट और पिल्लो को भी .

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