बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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फिर उसका चहरा घुमा एक हाथों ने घुमाया और फिर से दूसरी तरफ से एक होंठों ने उसके होंठों को अपनी गिरफ़्त में ले लिया और बहुत देर तक उनको अपने होंठों के बीच में लेकर चूमता रहा उसके शरीर में एक साथ बहुत से हाथ और होंठ घूमने लगे थे जहां भी वो महसूस कर पाती वहां एक हथेलियाँ जरूर होती थी

- बहू आज लाखा भी है सेलेब्रेट करने आया है और आज से यही इस घर में रहेगा हुहम्म्म्मममममममममम
और एक बार फिर से वो दूसरे सख्स ने उसके होंठों को अपने कब्ज़े में लेलिया अच्छा तो वो लाखा काका थे जो कि भीमा चाचा के बिस्तर पर सोए हुए थे अब तो कामया के शरीर में फिर से एक अजीब सी स्फूर्ति आ गई थी आज का पल वो खोना नहीं चाहती थी उसकी योनि में फिर से हलचल होनी शुरू हो गई थी और भीमा चाचा तो उसे किस कर रहे थे पर लाखा काका तो फिर से अपनी उंगली उसकी योनि में डाले उसे फिर से उत्तेजित करने में लगे थे भीमा चाचा उसे किस करते हुए उसकी चूचियां निचोड़ रहे थे जो कि उसे आज बहुत ही अच्छा लग रहा था और नीचे लाख काका भी उसकी योनि के अंदर अपनी उंगलियों को बहुत ही तेजी से अंदर बाहर कर रहे थे अचानक ही लाखा काका ने उसकी जाँघो को अलग किया और अपने लिंग को एक ही झटके में उसके अंदर तक उतार दिया कामया बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इस तरह के बरतब के लिए और एक लंबी सी चीख उसके मुख से निकली जो कि झट से भीमा चाचा ने अपने मुख के अंदर लेके कही गुम करदी अब लाखा काका नीचे से उसकी योनि के अंदर-बाहर हो रहे थे और बहुत ही तेजी के साथ हो रहे थे जिससे कि उसका पूरा शरीर ही बिस्तर पर ऊपर-नीचे की ओर हो रहा था पर भीमा चाचा की पकड़ इतनी मजबूत थी कि जैसे वो उसे उनके हाथों से छोड़ना ही नहीं चाहते हो वो कस कर कामया को छाती से जकड़े हुए अपने होंठों से कामया के होंठों को पी रहे थे और बहुत ही बेदर्दी से उसकी चूचियां को दबा भी रहे थे कामया के मुख से निरंतर चीख निकल रही थी और उसकी योनि में एक बार फिर से तूफान आने लगा था पर वो सांसें भी नहीं ले पा रही थी भीमा चाचा और लाखा काका ने उसे इतनी जोर से जकड़ रखा था कि वो हिल भी नहीं पा रही थी बस उनकी मर्ज़ी की हिसाब से उनके हाथों का खिलोना बनी हुई थी लाखा काका तो जैसे जंगलियो की तरह से उसे भोग रहे थे वही भीमा चाचा भी बहुत ही उत्तेजित से दिख रहे थे वो अब कामया के होंठों को काटने भी लगे थे और उसकी जीब को खींचकर अपने होंठों के अंदर तक ले जाते थे कामया की जान निकल गई थीउसके शरीर का रोम रोम उसके हाथों के सुपुर्द था और जैसा वो दोनों चाहते थे कर रहे थे कोई डर नहीं था उनके मन में ना कोई चिंता बस अपने हाथों में आई इस हसीना को चीर कर रख देना चाहते थे

लाखा काका की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी जैसे कि वो अपने मुकाम पर पहुँचने ही वाले थे पर जाने क्या हुआ कि भीमा चाचा की पकड़ अचानक ही उसके सीने पर से थोड़ी ढीली हुई और

भीमा- लाखा हट अब मुझे करने दे

लाखा- अरे रुक जा बस थोड़ी देर

भीमा- अरे हट ना साले तू ही करेगा क्या मुझे भी मौका दे साले

लाखा- रुक यार साली दोनों को खुश किए बिना कहाँ जाएगी बस हो गया तू मुँह में डाल दे जबरदस्त चूसती है डाल साली के मुँह में

कामया नीचे पड़ी हर धक्के में कोई ना कोई आवाज सुन जरूर रही थी पर धक्के इतने जबरदस्त होते थे कि पूरी बातें उसे सुनाई नहीं दी थी पर हाँ इतना जरूर था कि दोनों एक दूसरे को हटाकर उसे भोगना चाहते थे पर अचानक ही उसके मुख से चीख निकलती, वही भीमा चाचा ने जरबारदस्ती उसके बालों को खींचकर अपने लिंग पर उसका मुख रगड़ने लगे थे उसकी सांसों को एकदम से बंद कर दिया था भीमा चाचा के उतावले पन ने पर उनके जोर के आगे वो कहाँ एक ही झटके में उसके मुख में भीमा चाचा का लंबा और सख़्त सा लिंग समा गया था वो गूओगू करती हुई अपने को संभालती तब तक तो भीमा चाचा के हाथों के जोर से वो खुद आगे पीछे होने लगी थी कामया का शरीर अब अपने शिखर पर पहुँचने ही वाला था और इस तरह से छीना झपटी और बेदर्दी उसने पहली बार सहा था जिससे की वो कुछ ज्यादा ही जल्दी झड़ने लगी थी वो अपने चेहरे को भीमा चाचा के लिंग से अलग करने की कोशिस करने लगी थी और कमर के हर एक झटके के साथ ही वो दूसरी बार झड़ने लगी थी लाखा काका भी झड़ गये थे पर अभी भी लगातार झटके लगा रहे थे इतने में

भीमा- साले हट हो तो गया
और उसने लाखा को एक धक्का दिया और उसे पीछे की ओर धकेल दिया और जल्दी से अपने लिंग को निकाल कर कामया की जाँघो के बीच में बैठ गया और किसी ओपचारिकता के बिना ही एक ही झटके में अपना लिंग उसके अंदर तक उतार दिया कामया जो कि झड चुकी थी और अपनी सांसों को नियंत्रण करने में लगी थी इस अचानक आक्रमण के लिए तैयार नहीं थी पर अब क्या हो सकता था भीमा चाचा तो जनवरो की तरह से उसे भोग रहे थे उन्होंने कसकर कामया को अपनी बाहों में भर लिया था और उसके होंठों पर टूट पड़े थे और जम्म कर अपने पिस्टन को अंदर-बाहर कर रहे थे इतने में लाखा भी भीमा को उससे अलग करने लगा था तो भीमा की पकड़ थोड़ी सी ढीली हुई पर एक और मुसीबत उसके सामने थी लाखा काका ने अपने लिंग को उसके मुख में घुसा दिया उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं थी कि उसे कैसा लगेगा वो दोनों अपने हिसाब से उसे मिल बाँट कर खा रहे थे और वो भी बिना किसी ना नुकर के सब झेल भी रही थी उसके मुख में जैसे ही लाखा काका ने अपना लिंग डाला उसे उबकाई सी आने लगी थी पर लाखा काका ने जोर से उसका माथा पकड़ रखा था और अपने लिंग को आगे पीछे कर रहे थे उधर भीमा चाचा भी अपने पूरे जोर से कामया को भोग रहे थे या कहिए अपना गुस्सा निकाल रहे थे जो भी हिस्सा उनके हाथों में आता उसे मसलकर रख देते थे या फिर जो भी हिस्सा उसके होंठों में आता वहां एक काला दाग बना देते थे कामया तो जैसे मर ही गई थी उनकी हरकतों के आगे वो कुछ भी नहीं कर पा रही थी बस हर धक्के में आगे या फिर पीछे हो जाती थी और लाखा काका के लिंग को अपने गले तक उतरते हुए महसूस करती थी वो कब झड़ गई उसे पता नहीं चला पर हाँ… थोड़ी देर बाद दोनों शांत होकर उसके शरीर के हर हिस्से सटे हुए थे वो अब भी खाँसते हुए सांस ले रही थी पर वो दोनों तो जैसे मर ही गये थे उसके शरीर को किसी गद्दे की तरह समझ कर वही सो गये थे वो भी बिल्कुल हिल नहीं पा रही थी और उसके जेहन में कोई भी बात आने से पहले ही वो भी वही सो गई
वो सो क्या गई बल्कि कहिए निढाल हो चुकी थी उसका शरीर और दिमाग़ बिल कुल सुन्न हो गया था जिस तरह से भीमा और लाखा काका ने उसे यूज़ किया था वो एक खतर नाक मोड़ पर थी वो अपने आपको किस तरह से संभाले वो नहीं जानती थी

उसके शरीर के ऊपर दोनों किसी मुर्दे की तरह लेटे हुए थे और अपने मुख से निकलने वाली लार से उसे भिगो रहे थे और अपने हाथों से उसे जाने नहीं देना चाहते थे वो सोई हुई अपनी परिस्थिति को समझने की और अपने आपको इस तरह की परिस्थिति से अलग करने के बारे में कही अपने जेहन में सोच रही थी पर उसके हाथों और पैरों में इतनी ताकत
ही नहीं बची थी कि वो अपने को हिला भी सके और ऊपर से यह दो राक्षस उसके ऊपर उसे अभी तक कस के पड़े हुए थे उनकी सांसें अब भी उसके शरीर पर पड़ रही थी कामया बिल्कुल नंगी थी उसके शरीर में जहां तहाँ लाल काले धब्बे उभर आए थे पर उसे कोई होश नहीं था वो तो बेसूध सी पड़ी हुई थी थोड़ी देर बाद उसे अपने नीचे की ओर कोई हरकत होते सुनाई दी भीमा चाचा थे या लाखा काका थे पता नहीं पर जो भी था वो आगे की ओर जो सख्स था उसे हिलाकर उठा रहा था
- ओये लाखा उठ बहू को उसके कमरे में छोड़ देते है

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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लाखा- हाँ… अरे रुक यार थोड़ी देर रुक जा देखने दे

और दोनों झुक कर कामया को छूकर देख रहे थे शायद जानना चाहते थे कि जिंदा है कि मर गई कामया भी थोड़ा सा कसमसाई उनके हाथों के आगे

भीमा- बहू उठो और अपने कमरे में जाओ बहुत देर हो गई है

कामया- हाँ… उूउउम्म्म्म और एक बड़ी सी अंगड़ाई लेकर फिर से सिकुड़ कर सो गई

लाखा- अभी मन नहीं भरा यार और देख इसे भी कोई फरक नहीं पड़ता थोड़ी देर रुक जा ना फिर आपण दोनों छोड़ आएँगे
और झुक कर कामया के चहरे को अपनी हथेलियो के बीच में लेकर उसके होंठों को चूसने लगा था बड़े ही प्यार से उसके मुख के अंदर तक अपनी जीब को लेजाकर लाखा कामया को बहुत देर तक किस करता रहा उसे इस तरह से देखकर भीमा भी अपने हाथ कामया की जाँघो के चारो ओर घुमाने लगा था उसके हाथों में आई इस सुंदरी का वो हिस्सा लगता था वो किसी के साथ शेयर करने के मूड में नहीं था वो अपने होंठों को भी जोड़ कर कामया की जाँघो और टांगों को फिर से किस करने लगा था और ऊपर से लेकर पैरों के तले तक किस करते हुए जा रहा था कामया जो कि अब भी अपनी दुनियां से दूर अपने ऊपर हो रहे इस नये आक्रमण को धीरे-धीरे बढ़ते हुए सहन कर रही थी पर इस बार दोनों के हाथों और होंठों में जानवर पना नहीं था प्यार था और बहुत ही नर्मी से पेश आ रहे थे वो अपने आपको कभी सीधा तो कभी उनके किसके साथ अपने शरीर को इधर उधर करती जा रही थी उनके हाथों और उंगलियों के इशारे वो भी समझ रही थी पर जान तो बिल्कुल बची ही नहीं थी वो चाह कर भी उन दोनों को रोक नहीं पा रही थी वो इतना थक चुकी थी कि अपने हाथ पैरों को भी सीधा करने के लिए उसे बहुत ताकत लगानी पड़ रही थी पर ना जाने क्यों उसे दोनों के इस तरह से अपने जिस्म से खेलते हुए देखकर अच्छा लग रहा था वो अपने शरीर पर होने वाली हर हरकत को सहने को तैयार हो रही थी उसके अंतर्मन में एक आग फिर से भड़क ने लगी थी उसने अपने हाथों को फिर से आगे करके लाखा काका को छूने की एक कोशिश की लाखा जो की उसके होंठों को चूमने में लगा था

अचानक ही बहू के शरीर में हुई हरकत से थोड़ा सा ठिठका पर जैसे ही बहू की हथेलिया उसके सिर के चारो ओर गई वो अस्वस्त हो गया कि बहू को कोई आपत्ति नहीं है वो फिर से अपने काम में जुट गया कामया की टांगों में भी धीरे-धीरे जान फुक रहा था भीमा और अपने होंठों से उसके हर कोने को चूमने की कोशिश कर रहा था और कामया भी अब धीरे से अपनी टांगों को मोड़कर या फिर थोड़ा उँचा करके उसे अपने यौवन कर रस पिला रही थी भीमा को भी पता चल गया था कि बहू को कोई आपत्ति नहीं है सो वो भी बहू के शरीर पर फिर से टूट पड़ा था अब तो दोनों फिर से कामया के शरीर को रौंदने लगे थे अपनी हथेलियो से और होंठों से जहां मन करता वहां किस करते और जहां मन करता वहाँ जोर से दबाते या फिर सहलाते लाखा काका तो ऊपर से कामया को किस करते हुए उसकी चुचियों पर आके रुक गये थे पर भीमा चाचा उसकी टांगों से लेकर उसकी कमर तक आ चुके थे वो अपनी जीब को निकाल कर अब कामया की नाभि में झुका हुआ था और अपनी जीब को जहां तक हो सके वो उसके अंदर तक घुसा देना चाहता था वो अब भी कामया को अपनी गोद में लिए हुए था उसकी कमर से वो कामया को अपने लिंग के ऊपर रखे हुए धीरे-धीरे अपने काम को अंजाम दे रह था और ऊपर लाखा भी कामया को अपनी दोनों बाहों में कसे हुए उसकी एक चूची को अपने होंठों के अंदर लिए हुए जम कर चूस रहा था वो अपने हाथों से दूसरी चुचि को धीरे धीरे दबा के उन्हें भी खुश करने की कोशिश कर रहा था

भीमा भी अब तक उसकी नाभि को छोड़ कर कामया के शरीर के ऊपरी हिस्से की ओर चल दिया था होंठों को उसके शरीर से बिना अलग किए वो अब भी कामया को बेतहाशा किस करते जा रहा था और कामया जो कि बस किसी तरह से अपने ऊपर हो रहे इस दोहरे आक्रमण को झेल रही थी अब फिर से काम अग्नि के भेट चढ़ने वाली थी उसके शरीर में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर बहुत ही गति से फेलने लगी थी वो अपनी सांसों को फिर से अपनी नाक और मुख से जोर से छोड़ने लगी थी और भीमा चाचा और लाखा काका की हर हरकत पर फिर से अपने शरीर को मरोड़ कर उनकी हरकतों का आनंद लेने लगी थी वो जानती थी कि अब की बार वो दोनों को अपने जहन में उतारने में उसे कोई दिक्कत नहीं होगी और वो अपने को उस एनकाउंटर के लिए बिल्कुल तैयार कर रही थी वो अब अपने मुख से निकलने वाली सिसकारी को भी सुन सकती थी जो कि कमरे में बहुत ही तेजी से फेल रही थी


भीमा अपने आपको कामया की चुचियों तक ले जाने में कोई देरी नहीं करना चाहता था और वो पहुँच भी गया लाखा को थोड़ा सा हटाकर उसने भी एक चुचि पर अपना कब्जा जमा लिया अब तो दोनों लाखा और भीमा ने जैसे बहू को आपस में बाँट लिया हो दोनों अपने-अपने हिस्से को चूमकर और चाट कर बहू के हर अंग का स्वाद लेने में लगे हुए थे कामया को भी जैसे जन्नत का मजा आने लगा था दोनों जिस तरह से उसकी चूचियां चुस्स रहे थे वो उसके लिए एक नया और और बिल कुल अनौखा अनुभव था दो होंठ उसकी एक-एक चुचि को अपने मुख में लिए हुए उसका रस चूस रहे थे और दोनों ही बिल्कुल अलग अलग अंदाज में दोनों के हाथों का दबाब भी अलग था और सहलाने का तरीका भी आआआआअह्ह
एक लंबी सी सिसकारी कामया के मुख से निकलकर पूरे कमरे में फेल गई उसकी सिसकियो में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना थी वो अब लाखा काका और भीमा चाचा की गिरफ़्त में भी मचल रही थी जैसे ही दोनों के चूसने की रफ़्तार बढ़ने लगी थी भीमा और लाखा कामया को सहारा देकर अब उठा चुके थे और दोनों ओर से उसे घेरे हुए उसकी चुचियों को ऊपर उठाकर चूस रहे थे वो एक-एक निपल्स को मुख में डाले हुए जोर-जोर से चूसते जा रहे थे और बीच बीच में पूरा का पूरा चुचि को अपने मुख के अंदर घुसाकर जोर से काट भी लेते थे और अपने हाथों से बाहर निकाल कर जोर से दबा भी देते थे कामया का सिर ऊपर हवा में लटका हुआ था पर साँसे अभी भी बहुत तेजी चल रही थी दोनों अपने हिस्से का काम बहुत ही सही अंदाज से अंजाम दे रहे थे भीमा और लाखा ने कामया को अपनी एक-एक जाँघ के सहारे बैठा रखा था और अपने एक-एक हाथों को भी उसकी पीठ पर फेर रहे थे दूसरे हाथ से दोनों कामया को चुचियों से लेकर जाँघो तक और फिर टांगों के तले तक सहलाने में व्यस्त थे

कामया के शरीर में उठने वाली वासना की तरंगे अब उसके बस से बाहर थी वो अपने शरीर को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी और अपने मुख से जोर से सांसें लेते हुए अपनी सिसकारी और अह्ह्ह को रोकने की जी भर के कोशिश करती जा रही थी पर वो उसके मुख से फिसलते हुए पूरे कमरे को भरती जा रही थी उसकी सिसकारी जब तेज होने लगी तो अचानक ही एक जोड़ी होंठों ने उसे अपने होंठों के अंदर लेके बंद कर दिया अब कामया फ्री थी कितना भी जोर से सिसकारी लेने को वो कौन था इससे उसे फरक नहीं पड़ता पर जो भी था उसे किस करना आता था और बहुत ही अच्छे ढंग से किस करना आता था अब तो वो बिल्कुल उत्तेजित थी होंठों के बीच में जब भी वो अपनी जीब से उसके मुख के अंदर चुभलाने लगता तो वो मस्त हो करके अपने सीने को और आगे बढ़ा देती वो जो सख्स उसकी चूचियां अपने मुख लिए हुए था वो भी कस कर उसकी चूचियां अपने एक हाथ से थामे दूसरे से उसे चूसते जा रहा था अब तो दोनों की उंगलियां धीरे धीरे उसकी योनि के अंदर-बाहर भी होने लगी थी पर दोनों बारी बारी से उसकी योनि के अंदर-बाहर कर रहे थे उसकी योनि रस से भरी हुई थी और अब अपने अंदर की चाह को मिटाने के लिए उत्तेजित भी थी और लाखा तो जैसे अब अपनी पर ही उतर आया था
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Re: बड़े घर की बहू

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वो कामया को अपने सीने से लगाए हुए जोर से भीचे हुए उसकी चुचियों को और निपल्स को अपने दाँतों से काट-ता जा रहा था और जोर से अपनी उंगली को उसकी योनि में घुसाता जा रहा था लगता था कि जैसे उसकी अंतिम सीमा तक पहुँचना चाहता था उधर भीमा भी अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पा रहा था और बहू को बाहों में भरे हुए उसके होंठों पर लगा हुआ था एक हाथ में उसके कभी-कभी लाखा के छोड़ने से एक चुचि आ जाती थी तो उसे वो बहुत जोर से निचोड़ता था उसे कोई डर नहीं था क्योंकी उसने बहू का मुख बंद कर रखा था वो कोई भी अब धीरे नहीं कर रहा था वो भी जानवर हो चुका था और बहशी के समान कमाया को निचोड़ने में कोई नहीं रहा था वो भी अपनी उंगली को कामया की जाँघो के बीच में घुसाता था पर जब वहां लाखा की उंगलियां होती थी तो कामया की जाँघो को सहलाकर वापस अपने लिए जगह बनाता था दोनों के हिस्से में आए कामया का शरीर को दोनों अपने तरीके से सहला रहे थे और जोर से उसे इश्तेमाल करते जा रहे थे पर अचानक ही लाखा एकदम से कामया की जाँघो के बीच में पहुँच गया और बिना किसी पूर्व चेतावनी के ही एक ही धक्के के उसके अंदर तक समा गया वो अचानक ही कामया के पूरे शरीर को अपने गिरफ़्त में लेने को हुआ और भीमा के हाथों से छुड़ा कर उसने कामया को अपनी बाहों में भर कर अपनी गोद में बिठा लिया था और कामया की गर्दन और गालों को चूमे जा रहा था पर कामया का पूरा शरीर जैसे लटका हुआ था वो जब तक कुछ करती तब तक तो लाखा ने उसपर पूरा नियंत्रण कर लिया था और उसके होंठों को भी ढूँढ़ कर अपने होंठों से दबा लिया था लाखा घुटनों के बल बैठा हुआ कामया को गोद में लिए हुए झटके लगाता जा रहा था और हर धक्के में कामया उसकी गोद में उच्छल कर उसके कंधे से ऊपर चली जाती थी भीमा जो कि वही पास बैठे हुए लाखा को अपनी हरकत करते हुए देख रहा था और अचानक अपने हाथों से बहू के निकल जाने के बाद सोच ही रहा था कि कहाँ से अपना कब्जा शुरू करे तभी कामया पीछे की ओर धनुष जैसे हुई तो भीमा ने लपक कर कामया को अपने हाथों से सहारा दिया और कसकर फिर से कामया के होंठों पर झुक गया वो भी अपने को किसी तरह से रोके हुए था पर कामया को इस तरह से उछलते हुए देखकर वो भी अपने आप पर काबू नहीं रख पाया और वो भी एक बहशी बन गया था वो जोर-जोर से कामया को चूमे जा रहा था और अपनी दोनों बाहों को कामया के शरीर के चारो ओर घेर कर अपने सीने से कस के लगाए हुए था लाखा भी अपने पूरे जोर से कामया की कमर को जकड़े हुए नीचे से धक्के लगाते जा रहा था और लाखा कामया को चूमते हुए देखता जा रहा था शायद वो अपने चरम सीमा की ओर पहुँचने ही वाला था क्योंकी उसके धक्के अब बहुत ही गतिवान हो गये थे और वो कामया को थोड़ा सा ऊपर करके लगातार धक्के लगा रहा था
और उधर भीमा भी अपने आपको और ज्यादा नहीं रोक पाया तो वो कामया के पीछे की ओर हो गया और पीछे से अपने लिंग को कामया के नितंबों को छू रगड़ने लगा था और लाखा की ओर देखते हुए

भीमा- लाखा, अब छोड़ मुझे भी करना है

लाखा आआह्ह रुक जा यार बस हो गया

भीमा को कहाँ शांति थी उसने एक बार अपने हाथों को कामया और लाखा के बीच में डाल ही दिया और कामया की कमर को पकड़कर एक ही झटके में कामया को अपने पास खींच लिया कामया जो कि एक लाश के समान थी एक ही झटके में भीमा की गोद में पहुँच गई और लाखा काका के हाथों से छूट गई अब वो पीछे से भीमा चाचा की गोद में पहुँच गई थी और एक फ्रॉग की तरह से नीचे गिर पड़ी पर गिर पड़ी क्या लाखा कहाँ छोड़ने वाला था उसने कामया को झट से खींच कर अपने हाथों से संभाला और उसके चहरे को अपने लिंग के आस-पास घिसने लगा और भीमा ने देर नहीं की और झट से कामया के पीछे से उसकी योनि में झट से घुस गया और क्या अपने जोर से उसे लगा जैसे कि अपनी हवस को अंजाम देने की कोशिश कर रहा हो वो बहुत उत्तेजित था उसकी हरकतों को देखकर ही कहा जा सकता था उसे कोई चिंता नहीं थी ना तो कामया की और नहीं लाखा की वो तो बस कामया के अंगो को पीछे से निचोड़ता हुआ अपने लिंग को कामया की योनि में बिना किसी रोक टोक के लगातार अंदर और बहुत अंदर तक जा रहा था कामया जो की अब दोनों ओर में अटकी हुई थी अब उसके मुख में लाखा काका के लिंग से एक लंबी सी पिचकारी निकलकर उसके गले तक उतरगई थी और नीचे भीमा चाचा के लिंग से निकली पिचकारी उसके अंदर बहुत अंदर तक कही जाकर समा गई थीएक गरम सी बौछार दोनों और से उसके शरीर के अंदर तक उतरगई थी कामया ने अपने जीवन का पहला और बहुत ही दर्दनाक सेक्स आज की रात किया था पर एक बात जरूर थी उसने एक बार भी किसी को मना नहीं किया था जाने क्यों उसे इस तरह से अपने शरीर को रौंदने वाले भीमा और लाखा पर कही से भी गुस्सा नहीं था वो बिल्कुल निश्चल सी नीचे पड़ी हुई थी जैसे कोई मर गया हो और उसके मुख की ओर लाखा काका बैठे हुए थे और नीचे की ओर भीमा चाचा लंबी सांसें लेते हुए अपने आपको कंट्रोल कर रहे थे सभी बहुत थके हुए थे और किसी के शरीर में इतनी जान नहीं बची थी कि जल्दी से हरकत में आए
कुछ 20 25 मिनट बाद अचानक ही लाखा और भीमा जैसे नींद से जागे हो अपनी जाँघो के पास कामया को इस तरह से नंगे पड़े हुए देखकर दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा

लाखा- क्यों इसे कमरे में कैसे ले जाए

भीमा- रुक बहू उूुउऊबहुउऊउ
और कामया को थोड़ा सा हिला के देखा कामया के शरीर में जान कहाँ थी इस तरह से हिलाने से क्या होना था अगर झींझोड़ कर उठाया नहीं गया तो शायद वो वही ऐसे ही पड़ी रहती सुबह तक पर लाखा और भीमा को उससे ज्यादा फिकर थी वो कामया के शरीर को अपने हाथों से एक बार अच्छे से सहलाते हुए अपने मुख को कामया के कानों के पास तक ले गये और धीरे-धीरे उसको आवाज लगाते हुए उसे उठाने लगे किसी तरहसे उठाकर बैठा लिया दोनों ने

लाखा--- वो रहा गाउन तेरे पीछे दे

भीमा ने अपने पीछे से गाउन उठाकर लाखा की ओर किया और कामया को सीधा करके उसके माथे के ऊपर से दोनों मिलकर उसे गाउन पहनाने में लगे थे बीच बीच में अपने हाथों से उसकी गोल गोल चूची को भी अपने हाथों से छू लेते थे और उसके पेट से लेकर नीचे तक उसे देखते हुए उसे सहला भी देते थे
लाखा- अब तो छोड़
भीमा- तू भी चल ध्यान देने थोड़ा सा चल
और दोनों कामया को अपने हाथों से उठाने को उतावले हो उठे पर यह सौभाग्य भीमा ने उठाया और आधी नंगी कामया को बिना, पैंटी के ही वैसे गाउन मे लेके बाहर आ गये लाखा धीरे-धीरे घर का जायजा लेने लगा था और भीमा अपनी बाँहों में भरे हुए कामया को उसके बेडरूम तक ले जाने लगा था लाखा आगे जाकर देख रहा था और पीछे भीमा उसे लिए हुए दबे कदम कामया के कमरे तक पहुँच गये

कमरे के बाहर भीमा और लाखा दोनों रुक गये और फिर लाखा ने कामया को एक बार फिर से होश में लाना चाहा

लाखा- बहू उठो बहू

पर बहू तो जाने कहाँ थी वो अब भी मुर्दे की भाँति भीमा चाचा की बाहों में पड़ी हुई थी
लाखा- अब हाँ…

भीमा- रुक दरवाजा खोल

लाखा- नहीं मरवाएगा क्या भैया है अंदर

भीमा- नहीं बहू नहीं पहुँची ना तो तू भी और में भी और यह भी अपनी गोद में लिए कामया की ओर इशारा करते हुए भीमा ने जताया
लाखा ने बड़ी हिम्मत करते हुए दरवाजे को धकेला पर वो नहीं खुला
लाखा- अंदर से बंद है
भीमा चाचा और लाखा के चहरे से रंगत उड़ गई थी पर तभी उनका ध्यान नीचे लॉक पर गया और देखकर थोड़ी सी हिम्मत बनी कि वो तो बाहर से बंद था लाखा ने धीरे से उसे खोला और अंदर आ कर देखा अंदर कामेश दूसरी तरफ मुँह किए सो रहा था अंदर मस्त एसी की ठंड थी और दरवाजा खुलते ही बाहर तक आने लगी थी लाखा ने दरवाजा खोलकर भीमा की ओर देखा भीमा धीरे से कामया को गोद में लिए अंदर की ओर हुआ और बहुत ही धीरे से कामया को भैया के पास सुलाकर वैसे ही दबे कदम बाहर की ओर हो लिया दरवाजे पर लाखा वैसे ही खड़ा हुआ भीमा को सबकुछ करते हुए देख रहा था और उसका साथ देने को खड़ा हुआ था

भीमा अपने काम को अंजाम देने के बाद वैसे ही दबे कदम बाहर आ गया और दरवाजा बंद करते हुए दोनों जल्दी से अपने कमरे में आ गये थे




दोनो के चहरे में एक संतोष था और एक अजीब सी खुशी भी थी जैसे कोई मैदान मारकर आए हो कमरे में पहुँचते ही दोनों कमरे को ठीक करने में लग गये थे
लाखा- यार मजा आ गया बहू तेरे कमरे में भी आ जाती है

भीमा- हाँ यार दूसरी बार ही आई है

लाखा- साले बताया नहीं तूने तो साले खेल रहा था हाँ…

भीमा- अरे यार क्या बताता तुझे तो पता है फिर तू कौन सा साधु है तूने भी तो कोई कमी नहीं छोड़ी ना

लाखा- हाँ यार क्या माल है साले मेंने भी कभी नहीं सोचा था कि इस घर की बहू को भी भोगने का मिलेगा यार गजब की माल है

भीमा- हाँ… सला भैया खुश नहीं कर पाता होगा नहीं तो क्या वो अपने पास आती

लाखा- हाँ यार साला खाली कपड़े और गाड़ी ही देता होगा ही ही और बाकी हम देते है हा हा हा
भीमा भी उसकी हँसी में शामिल हो गया और कुछ देर बात करते हुए दोनों कब सो गये पता ही नहीं चला

उधर कामया जब अपने बिस्तर पर पहुँची तो उसे थोड़ा बहुत होश था पर शरीर में इतना जोर नहीं था कि उठ सके या कोई काम कर सके वो वैसे ही बहुत देर तक लेटी रही और फिर बहुत संघर्ष करके अपने आपको एक चादर से ढँक कर सो गई उसके जेहन में अब तक लाखा और भीमा की छवि छाइ हुई थी किसी तरह से उन दोनों ने मिलकर उसे निचोड़ कर रख दिया था उसका बुरा हाल हो रहा था और उसकी चूचियां और शरीर का हर हिस्सा दर्द में बदल चुका था वो लेटी हुई अपने बारे में सोच रही थी और पास में लेटे हुए अपने पति के बारे में भी वो क्या से क्या हो गई थी आज तो जैसे वो अपनी नजर से बहुत गिर चुकी थी उसने जो आज किया था वो क्या कोई घर की बहू करती है
क्या उसने जो भी किया उसके लिए ठीक था जाने क्यों वो इस बात के निर्णय पर नहीं पहुँच पाई और शून्य की ओर देखती हुई कब सो गई पता ही नहीं चला


सुबह जब आखें खुली तो कामेश उसकी बगल में नहीं था शायद नीचे चाय पीने गया था वो जल्दी से उठी और झट से बाथरूम में घुस गई नहाते समय उसे अपने शरीर में काले नीले धब्बे दिखाई दिए और मिरर में देखकर वो चकित रह गई थी यह धब्बे कल रात का परिणाम था उसके शरीर के साथ हुए कर्म की निशानी थे पर एक सी मुस्कान उसके होंठों में दौड़ गई थी क्या वो इतनी गिरी हुई है कि लाखा और भीमा उसके शरीर में इस तरह के निशान छोड़ गये

क्या वो इतनी कामुक है कि उसे कल पता भी नहीं चला कि क्या हो गया पर हाँ… उसे दर्द या फिर कुछ भी अजीब सा नहीं लगा था तब अच्छा ही लगा होगा नहीं तो वो संघर्ष तो करती या फिर कुछ तो आशा करती जो उसे अच्छा नहीं लगने का संकेत होता पर उसने तो बल्कि उन दोनों का साथ ही दिया और उन्हें वो सब करने दिया जो कि वो चाहते थे हाँ… उसे मजा ही आया था और बहुत मजा आया था उसने कभी जिंदगी में मजा कभी नहीं लिया था वो भी सेक्स का वो इतना कभी नहीं झड़ी थी जितना कि कल रात को वो कभी सेक्स में इतना नहीं थकि थी जितना कि कल रात को उसके शरीर का इस्तेमाल भी कभी किसी ने इस तरह से नहीं किया था कि जितना कि कल हाँ… यह सच था और उसी का
ही परिणाम था यह जो की उसके शरीर में जहां तहाँ उभर आए थे वो अपने शरीर को घुमाकर हर हिस्से को एक बार देखना चाहती थी उसकी जाँघो में नितंबों में जाँघो के पीछे के हिस्से में कमर में नाभि के आस-पास और चूचियां में और निपल्स में गले में हर कही उसे दिख रहे थे वो मिरर में एक बार अपने को देखकर और फिर अपने शरीर को मिरर में देखने लगी थी कितनी सुंदर है वो क्या शरीर पाया है उसने मस्त चूचियां जो की निपल्स के साथ किसी की चोटी की तरह से सामने की ओर देख रहे थे उसके नीचे पतली सी कमर उसके बीच में गहरी नाभि जो कि उसके शरीर को और भी ज्यादा सुंदर बना देती थी नीचे नितंबों का सिलसिला होते हुए जाँघो से नीचे तक टाँगें जो कि उसके शरीर को किसी बोतल के शेप में चेंज कर देती थी

कंधों के ऊपर से सुराहीदार गर्दन और फिर उसका प्यारा सा चहरा लाल होंठ उसके ऊपर नोक दार नाक पतली सी और फिर उसकी कातिल निगाहे जो कि बहुत कुछ ना कहते हुए भी बहुत कुछ कह जाती थी
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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

Post by sexi munda »

वो खड़ी-खड़ी अपने को बहुत देर तक इसी तरह से देख रही थी कि डोर पर नॉक होने से वो वापस वास्तविकता में आई और बाहर खड़े कामेश को आवाज दी
कामया- जी

कामेश- जल्दी निकलो मुझे जाने में देर हो जाएगी

कामया- बस दो मिनट
और वो जल्दी से अपने आपको संभाल कर बाहर आने की जल्दी करने लगी बाहर आते ही उसे कामेश अपने आफिस बैग में कुछ करता दिखा

कामेश- कल क्या हुआ था तुम्हें

कामया क्यों

कामेश उसके पास आया और, माथे को और फिर होंठों को चूमते हुए उसकी आखों में आँखे डालकर कहा
कामेश- बिना पैंटी के ही सो गई थी

कामया- छि छि तुमने देखा

कामेश- ही ही हाँ… नशा ज्यादा हो गया था क्या

कामया- जंगली हो तुम

कामेश- यार यह तो मैंने नहीं किया
वो कामया की गर्दन और गाल के नीचे तक लाल और काले निशानो की ओर इशारे करता हुआ बोला

कामया- हाँ…और कहाँ आए थे किसने किया

कामेश- यार नशे में था पर सच बताऊ तो मुझे कुछ याद नहीं

तब तक कामया पलटकर अपने ड्रेसिंग टेबल तक पहुँच चुकी थी वो कामेश से नजर नहीं मिला पा रही थी
पर कामेश उसके पीछे-पीछे मिरर तक आ गया और उसे पीछे से पकड़कर कंधों से बाल को हटा कर उसकी पीठ पर आया और गर्दन पर निशानो को देखकर छूता जा रहा था

कामेश- सच में डियर मुझे कुछ भी याद नहीं सॉरी यार

कामया- धात जाइए यहां से और अपने को झटके से कामेश से अलग करती हुई वो अपने बालों पर कंघी फेरने लगी थी कामेश भी थोड़ी देर खड़ा हुआ कुछ सोचता रहा और फिर घूमकर बाथरूम की ओर चल दिया
कामेश- आज आओगी ना

कामया- नहीं मन नहीं कर रहा

कामेश- घर में क्या करोगी आ जाना पापा के साथ

कामया देखती हूँ मन किया तो
और कामेश बाथरूम की ओर चला गया था कामया अपने आपको संवारती हुई अपने पति के बारे में सोचने लगी क्या वो जो कर रही है वो ठीक है उसका पति उसे कितना प्यार करता है और वो उसे धोका दे रही है

हां धोखा ही तो है वो सोच रहा है कि वो दाग उसने दिया पर हकीकत तो कुछ और ही है वो मिरर के सामने अपने से अपनी नजर नहीं मिला पा रही थी और वापस अपने बिस्तर पर आके बैठ गई और कंघी करने लगी उसके दिमाग में बहुत सी बातें चल रही थी पर उसे अपने पति को धोखा देना अच्छा नहीं लगा उसका मन एकदम से निराश सा हो गया वो शायद रो भी देती पर कामेश को क्या बताती कि वो क्यों रो रही है इसलिए चुपचाप बैठी हुई बाल ठीक करके उसके आने का इंतेजार करने लगी

कामेश जब तक बाहर आया तब तक वो थोड़ा सा नार्मल हो चुकी थी पर जेहन में वो बातें चाल तो रही थी कामेश के तैयार होने के बाद जब वो नीचे गया तो वो भी उसके साथ ही नीचे गई डाइनिंग टेबल पर सजे हुए डिश और खाने को देखकर वो भी थोड़ा सा नार्मल होती चली गई और खाना परोश कर कामेश को खिलाने लगी थी

पापाजी- अरे बहू थोड़ा जल्दी तैयार हो जाना आज तुम्हें एक शोरुम दिखाने ले चलता हूँ
पापाजी अपने कमरे से निकलते हुए डाइनिंग टेबल पर आ गये थे वो कुछ जल्दी तैयार हो गये थे कामेश की नजर कामया पर रुक गई थी कुछ कहता पर उससे पहले ही

कामया- जी पापाजी में आती हूँ
और कामेश की देखते हुए वो जल्दी से अपने कमरे की ओर भागी हाँ… अब वो इस तरह से नहीं करेगी अपने पति का साथ देगी छि क्या किया उसने नहीं अब नहीं बहुत हो गया यह सब
और कामया अपने कमरे में पहुँचकर जल्दी से तैयार होने लगी थी उसे जाना ही था वो अब यह धोखा धड़ी के खेल से अपने को आजाद करना चाहती थी जल्दी से तैयार होकर जब वो नीचे पहुँची तो पापाजी को उसी का इंतजार करते हुए पाया खाना खाकर कामया पापाजी के साथ बाहर निकल गई गाड़ी आज भी लाखा काका ही चला रहे थे पर कामया को कोई फरक नहीं पड़ता उसने एक बार भी लाखा काका की ओर नहीं देखा पर हाँ… कल के बारे में एक बार उसके जेहन में बात आई तो जरूर थी पर झटके से कामया ने उस बात को अपने दिमाग में घर करने से बाहर निकाल दिया

पापाजी के साथ कामया अपने नये काम को देखती हुई कॉंप्लेक्स में आज कुछ और अंदर तक घुसी वहां के लोगों से मिली और कुछ देर बाद वहां से निकलकर अपने शोरुम में भी पहुँची और फिर कल की तरह ही पूरी शाम तक वो अपने पति और पापाजी के साथ ही रही उसके मन में एक बार भी कही कोई त्रुटि नहीं आई या फिर कहिए सेक्स के बारे में कोई भी सोच नहीं आई वो इसी तरह से अपने शाम तक का टाइम निकाल कर जब अपने पति के साथ घर पहुँची तो बहुत थक गई थी घर पहुँचकर भी उसने ना तो भीमा चाचा से नजर ही मिलाई और नहीं लाखा काका के सामने कोई उत्तेजना ही

इसी तरह रात को भी कामया अपने कमरे में ही रही रात को कामेश के साथ सेक्स का मजा भी लिया और बहुत ही प्यार भरी बातें भी की कामेश उसे बहुत छेड़ रहा था उसे बार-बार अपने काम के बारे में पूछकर उसे एमडी एमडी कहकर, छेड़ता जा रहा था उसे भी अपने पति की छेड़ छाड़ अच्छी लग रही थी वो अगर इतना ध्यान उसे दे तो क्या जरूरत है उसे किसी के पास जाने की अगर वो उसे समय दे तो क्या जरूरत है उसे किसी से समय माँगने की वो बहुत खुश थी और अपने बिस्तर पर पड़े हुए वो एक चरम सुख का आनद ले रही थी उसे आज साफ्ट सेक्स में मजा आ रहा था कितना प्यार करते है कामेश उसे कितने हल्के हाथों से और कितने जतन से कही उसे चोट ना लग जाए या फिर निशान ना पड़ जाए कितने प्यार से उन्होंने उसकी चुचियों को छुआ था और कितने प्यार से उन्हें मुख में डालकर चूसा भी था वो एक परम आनंद के सागर में गोते लगा रही थी जब कामेश ने उसकी योनि के अंदर प्रवेश किया तो आआआआआह्ह एक सिसकारी उसके मुख से आनयास ही निकल गई थी और वो कामेश के होंठों को अपने होंठों में लेकर चुबलने लगी थी कितना आनंद और सुख है कामेश के साथ कोई चिंता नहीं कैसे भी और किसी भी वक़्त वो अपने पति के साथ आनंद ले सकती थी कामेश की स्पीड धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी और वो अब पूरी गति से कामया पर छाया हुआ था और कामया भी अपने पति का पूरा साथ दे रही थी और आज तो कुछ ज्यादा ही

वो हर धक्के पर उच्छल जाती और अपनी बाहों के घेरे को और भी कामेश के चारो ओर कस्ति जा रही थी हर धक्के को वो भी कामेश के धक्के के साथ मिलाना चाहती थी और हर धक्के के साथ ही वो कामेश को किस भी करती जा रही थी और उसके होंठों के बाद अब तो वो उसकी जीब को भी अपने होंठों में दबा कर अपने मुख के अंदर तक ले जाने लगी थी कामया की सेक्स करने की कला से कामेश भी हैरान था और वो जानता था, कि कामया बहुत ही गरम है और वो अब ज्यादा देर तक ठहर नहीं पाएगा जिस तरह से कामया अपनी कमर को उछाल कर उसका साथ दे रही थी उसे अंदाजा हो गया था कि कामया भी कभी भी उसका साथ छोड़ सकती है कामया के होंठों से निकलने वाली हर आवाज अब उसे साफ-साफ सुनाई दे रही थी जो कि उसके कान के बिल्कुल करीब थी और भी उसे उसके करीब खींचने की कोशिश कर रही थी

कामेश ने भी अपने पूरे जोर लगाकर कामया को अपनी बाहों के घेरे में कस रखा था और लगातार अपनी स्पीड को बढ़ा रहा था हर धक्के में वो कामया के जेहन तक उतर जाना चाहता था और उसे रास्ता भी मिल रहा था आज कामया उसे पागल कर दे रही थी वो जिस तरह से अपनी दोनों जाँघो को उसकी कमर के चारो ओर घेर रखा था उससे वो बहुत ज्यादा ऊपर भी नहीं हो पा रहा था उसकी जकड़ इतनी मजबूत थी कि वो छुड़ाने की कोशिस भी नहीं कर पा रहा था
कामया- जोर से कामेश और जोर से

कामेश- हूँ हूँ आअह्ह हाँ…

कामया- और कस कर पकडो प्लीज और कस कर मारो प्लीज
कामेश अपनी पूरी ताकत लगाके कामया को जकड़े हुए था पर कामया उसे और भी पास और भी नजदीक लाने की कोशिस कर रही थी वो उत्तेजना में जाने क्या-क्या कह रही थी वो अपने पूरे जोर से कामया के अंदर-बाहर हो रहा था पर कामया के मुख से निकल रहे शब्दों को सुनकर, सच में पागल हुए जा रहा था वो अपनी पूरी शक्ति लगाकर कामया को भोगने में लगा था पर कामया को उपने शिखर में पहुँचने में अभी थोड़ी देर थी वो कामेश को जितना हो सके उसने जोर से कस कर भिच रखा था और लगातार अपनी कमर को हिलाकर कामेश के लिंग को जितना हो सके अंदर तक ले जाने की कोशिश करती जा रही थी वो एक साधारण औरत जैसा बिहेव नहीं कर रही थी वो एक सेक्स मेनिक जैसी हो गई थी और अपने ऊपर अपने पति को ही निचोड़ने में लगी हुई थी वो अपनी योनि को भी सिकोर्ड कर उसके रस को अपने अंदर तक समा लेने चाहती थी


और उधर कामेश जितना रुक सकता था रुका और धम्म से कामया के ऊपर ढेर हो गया वो अपनी पूरी शक्ति लगा चुका था और कामया को भोगने में कोई कसर नहीं छोड़ा था पर पता नहीं कामया को क्या हो गया था कि आज वो उसका साथ नहीं दे पाया वो अब भी नीचे से धक्के लगा रही थी और कामेश के सिकुडे हुए लिंग को अपने से बाहर निकलने नहीं दे रही थी अचानक ही कामया जैसे पागल हो गई थी एक झटके से अपनी जाँघो को खोलकर वापस आपास में जोड़ लिया और कामेश को नीचे की ओर पलट दिया और खुद उसके ऊपर आके उसके ऊपर सवार हो गई अब कामया कामेश को भोग रही थी ना कि कामया को कामेश शिथिल होता जा रहा था उसके शरीर में इतनी भी ताकत नहीं थी कि वो कामया को सहारा दे और उसे थामे पर कामया को जैसे किसी तरह की मदद की जरूरत ही ना हो वो कामेश के ऊपर सवार होकर अपनी कमर को तेजी चलाकर अपनी हवस को शांत करती जा रही थी पर शायद कामेश के सिकुड़ जाने के बाद उसे इतना मजा नहीं आया था वो एकदम से कामेश के सीने में गिर गई और उसे चूमते हुए
कामया- प्लीज कामेश थोड़ी देर और प्लीज करो ना आआआआआआअ
कमाया की कमर अब भी अपने अंदर कामेश के लिंग को निचोड़ जा रही थी पर कामेश में अब ताकत नहीं बची थी सो वो अपने हाथों को उसकी कमर के चारो और लेजाकर कस के उसे पकड़ लिया और नीचे से धीरे-धीरे धक्के मारने लगा था ताकि कामया को शांत कर सके पर कामया ने तो जैसे आशा ही छोड़ दी थी वो कामेश के सीने से चिपकी हुई अपने कमर को आगे पीछे करती जा रही थी और कामेश के सीने पर किस करते-करते अपनी उंगलियों से उसके बालों को खींचने लगी थी

कामेश- आहह क्या करती हो

कामया- धात थोड़ी देर और नहीं कर सके

कामेश- अरे आज क्या हुआ है तुम्हें पहले तो ऐसा नहीं देखा

कामया- एक तो इतने दिन बाद हाथ लगाते हो और फिर अधूरा ही छोड़ देते हो
और कामेश के ऊपर से अपनी साइड में उतरगई कामेश को भी दुख हुआ और कामया को अपनी बाहों में भर कर उसके गालों को चूमते हुए कहा

कामेश- अरे यार पता नहीं क्या हुआ आज पर पहले तो ऐसा नहीं हुआ

कामया- बुड्ढे हो गये हो और क्या सिर्फ़ दुकान और, पैसा ने तुम्हें बूढ़ा बना दिया है और कुछ नहीं
और गुस्से में पलटकर सोने की कोशिश करने लगी पर नींद कहाँ वो अपनी अधूरी छोड़ी हुई वासना को कैसे पूरी करे सोचने लगी थी
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