कामेश- हाँ कर तो लो वो नहीं तो उनका लड़का ही सही पर साला झल्ला है
कामया- झल्ला .....................
कामेश- हाँ यार ढीला है
कामया- हाँ… हाँ… हाँ… हूँ हीही
कामेश- हाँ… देखोगी तो हँसोगी
कामया- क्यों
कामेश- अरे कुछ भी कहो समझ ही नहीं आता से डील की बातें करो तो बगले झाँकने लगता है अरे कुछ तो सिखाया पढ़ाया हो तब ना
कामया- अरे तुम तो जबरदस्ती परेशान हो रहे हो ऐसा है तो अच्छा ही है उसे कुछ समझ नहीं आएगा और तुम अपना काम करते जाना और क्या
कामेश कामया की ओर आश्चर्य से देखने लगा उसके होंठों में एक हँसी थी एक आँख दबाकर वो कामया के नजदीक आया और झट से अपने होंठों से कामया के होंठों को कस कर चूम लिया
कामेश- अरे वाह मेडम सच ही तो कहा तुमने साले को ले लेता हूँ हाँ यार
कामया-
कामेश- लेकिन परेशानी एक है
कामया- क्या
कामेश- वो दिन भर तुम्हारे पीछे पड़ा रहेगा
कामया- मेरे पीछे क्यों
कामेश अरे वो जो कॉंप्लेक्स बन रहा है ना उसमें भी उन्होंने फाइनेंस किया है और एक्सपोर्ट में भी उनका पार्ट्नर शिप है इकलौता बेटा है थोड़ा मेंटल प्राब्लम है दो या तीन लड़कियों के बाद है ना साला वो भी लड़कियों जैसा ही हो गया है
कामया- तो क्या हुआ में संभाल लूँगी कौन सा मुझे उसे हाथों से खिलाना है दौड़ा दूँगी दिन रात और वो कितने साल का है
कामेश- है तो 23 24 साल का पर बहुत ही दुबला पतला है और लड़कियों जैसा है बड़ा लचक कर चलता है हिहीही
कामया- धात तुम तो ना चलो जल्दी से तैयार हो जयो पापाजी वेट करते होंगे
और दोनों झट पट तैयार होने लगे थे दोनों को पापाजी के साथ ही निकल ना था जब वो नीचे पहुँचे तो पापाजी नहीं आए थे डाइनिंग टेबल पर खाना लगा था कामया और कामेश के बैठने के बाद पापाजी भी आ गये और सभी खाना खाके बाहर की ओर निकल गये
इसी तरह से दो तीन दिन निकल गये कोई बदलाब नहीं आया कामया के जीवन में रोज सुबह वो पापाजी के साथ ही निकल जाती और शाम को अपने पति के साथ ही वापस आती और रात को भी वो अपने पति के साथ ही रहती
हर रात वो अपने शरीर की संतुष्टि के लिए अपने पति को उकसाती और अपनी ओर से कोई भी कमी नहीं रखती पर कामेश हर बार दो बार में सिर्फ़ एक बार ही कामया को साथ दे पाता था हर बार पहले झड़ जाता और दूसरी बार में थोड़ा बहुत कामया को संतुष्ट कर देता
पर कामया को यह प्यार कुछ जम नहीं रहा था पर वो एक पति व्रता नारी की तरह अपने पति का साथ देती रही वो एक सेक्स मशीन बन चुकी थी कामेश भी उसे उकसाता था वो उसे अपने साथ होते हुए हर खेल को बहुत ही अच्छे तरीके से अपना लेता था वो कामया को खुश देखना चाहता था और उसे किसी भी तरह से मना नहीं करता था
कामया जब उसका लिंग वा फिर उसके शरीर को किस करती तो वो उसे खूब प्यार से सहलाता और उसे और भी करने को उकसाता था कामया को मालूम था कि कामेश को यह सब अब अच्छा लगने लगा था सो वो अपने तरीके से कामेश के साथ खेलती और अपने को पतिव्रता स्त्री के रूप में रखती जा रही थी
अब तो कामया बिज़नेस में भी थोड़ा बहुत इन्वॉल्व होने लगी थी लोग बाग अब उसे थोड़ा सीरियस्ली लेने लगे थे और बहुत कुछ बताने भी लगे थे कॉंप्लेक्स के काम के बारे में भी उसे रिपोर्टिंग करने लगे थे उसे पता था कि स्टोर में क्या शार्ट है क्या मंगाना पड़ेगा कौन सा स्टाफ क्या करता है और किसकी क्या रेपोंसिबिलिटी है कौन सा काम धीरे चल रहा है और कौन सा काम आगे
कौन कहाँ जाता है और कौन छुट्टी पे है और भी बहुत कुछ अब कामेश कामया को बहुत से बिज़नेस पार्ट्नर्स से भी मिला चुका था और बहुत सी बातें भी समझा चुका था कामया अब एक निपुण बिज़नेस विमन की तरह रेएक्ट करने लगी थी उसकी चाल में एक कान्फिडेन्स आ गया था जो पहले नहीं था अब वो बहुत ही कॉनफीदेंतली बातें करती कोई इफ’स आंड बॅटस नहीं होते थे पापाजी सुबह हमेशा उसके आस-पास होते कभी कामेश भी जाता उसके साथ और दुपहार को जब वो शोरुम पहुँचती तब भी वो शोरुम मे बहुत से बदलाब ले आई थी ड्रेस कोड जारी कर दिया था और शोरुम में गानो की धुन हमेशा बजती रहती थी कोल्ड ड्रिंग्स कस्टमर्स के लिए सर्व होने लगी थी एक कोने को बच्चो के लिए डेवेलप किया था जहां कष्टमर के बच्चे खेल सके बड़े-बड़े सेट भी लगा दिया था शोरुम में और भी बहुत कुछ कर दिया था कामया ने जो कि उसके पति और पापाजी को बहुत ही पसंद आया
कामया का जीवन अब बहुत ही संतुलित सा हो गया था बीच में मम्मीजी का फोन भी आया तो उन्होंने भी कामया को बहुत बधाई दी और अपने काम को ठीक से करने की नसियात भी दी कामेश और पापाजी को कामया का इस तरह से बिज़नेस में इन्वॉल्व होना बहुत ही अच्छा लगा था और वो दोनों ही कामया को और भी सजेशन्स देने को उकसाते रहते थे उनका शोरुम उस इलाके का एक ऐसा शोरुम हो गया था जिसे देखकर बड़े दुकान दार अपने हिसाब से अपनी दुकान को रेनवेट करने लगे थे पर कामया के सामने वो कुछ नहीं कर पाते थे उसका दिमाग हमेशा कुछ ना कुछ अलग करता रहता था
इसी तरह कमाया का जीवन आगे चलता जा रहा था
पर यह कहानी तो कुछ और ही कहने को बनी है तो अब वो बातें करते है ठीक ओके…
तो हमेशा की तरह आज भी कामया कामेश और पापाजी के साथ ही तैयार थी शोरुम जाने को खाने के बाद कामेश तो चला गया पर कामया और पापाजी जब बाहर निकले तो आज वो कामेश के साथ ही कॉंप्लेक्स का काम देखने चली गई और पापाजी और कामेश का दिन आज कल थोड़ा बहुत व्यस्त सा हो गया था वो शोरुम पर कम टाइम दे पा रहा था उसका ज्यादा ध्यान कॉंप्लेक्स की ओर था और वहां की दुकानों को बेचने का काम भी पापाजी और कामया ने संभाल लिया था
कामेश- कामया अब सोच रहा था कि शोरुम में आना बंद कर दूं
कामया- क्यों
कामेश- अरे यहां का काम थोड़ा सा सफर हो रहा है और कुछ परचेजर्स भी जब देखो तब बुला लेते है इसलिए
कामया- आप देखो जो ठीक लगे
कामेश- तुम क्या कहती हो
कामया- ठीक है पर वहां के डील्स जो होते है वो पापाजी कर लेंगे
कामेश- अरे तुम तो हो तुम डील करना शुरू करो
कामया- अरे मुझसे नहीं बनेगा रोज तो प्राइस ऊपर-नीचे होते रहते है
कामेश- अरे तो क्या जब बढ़ते है तो रुक जाओ और जब घट-ते है तो खरीद लो और क्या है इसमें
कामया- पता नहीं
कामेश- अरे तुम चिंता मत करो पापाजी तो है सीख जाओगी
और कामेश की गाड़ी तब तक कॉंप्लेक्स के अंदर पार्क हो गई थी
आस-पास के लोग सावधान हो गये थे और कामेश और कामया की ओर देखते हुए नमस्कार करते जा रहे थे कामेश कामया के साथ आफिस की ओर बढ़ा था पर कामया थोड़ा सा रुक कर सामने से खड़े होकर एक बार ऊपर की ओर देखते हुए अपने नाम से बन रहे कॉम्प्लेक्स की ओर देखा
कामेश- आओ
कामया- आप चलिए में थोड़ा देखकर आती हूँ
और कामेश अंदर आफिस की ओर चला गया कामया इधर उधर टहलती हुई सी लोगों को अपने काम में लगे हुए देखती जा रही थी और एक-एक करके सीढ़िया चढ़ती हुई हर फ्लोर में काम का जाएजा लेती जा रही थी जहां भी जाती लोग एक बार उसे जी भर के देखते और झुक कर सलाम भी करते अब तो कामया को यह आदत सी पड़ गई थी सो कोई ज्यादा तवज्जो नहीं देती थी वो इधर उधर देखती हुई हर फ्लोर के कोने तक देखती और फिर एक फ्लोर ऊपर चढ़ जाती
लगभग हर फ्लोर में काम अपनी तेज गति से चल रहा था और हर कोई काम में ज्यादा ही व्यस्त दिखाई दे रहा था कामया का ध्यान बारीकी से हर काम को अंजाम देते हुए देखते हुए जा रही थी फिफ्थ फ्लोर तक ही बना हुआ था और उसके ऊपर छत थी इसलिए वहां सिर्फ़ लिफ्ट का टवर था और डक्ट बने हुए थे स्टेर केस का रास्ता भी था और खोल छत थी कामया चलती हुई फिफ्थ फ्लोर पर खड़ी होकर सामने का नजारा देखती रही बहुत ही मन भावन था हर तरफ काम से लगे हुए लोग काम से खाली होकर बाहर की ओर जा रहे थे तो कुछ लोग समान भर कर अंदर की ओर आ रहे थे
कामया ने फिफ्थ फ्लोर को धीरे-धीरे घूमकर पूरा देखा वहां लोग भी कम थे और धूल भी थोड़ा कम उड़ रही थी सो कामया को कोई दिक्कत नहीं हो रही थी जब वो सीढ़िया उतर कर नीचे की ओर जाने को हुई तो ना जाने क्यों वो ऊपर छत की ओर देखती हुई रुकी और वहां का क्या हाल है जान-ने के लिए ऊपर की ओर चल दी छत में कोई नहीं था एकदम खाली था बहुत तेज हवा चल रही थी यहां वहां थोड़ा बहुत समान फैला हुआ था पर कोई काम करता हुआ नहीं दिखा वो थोड़ी देर रुक कर वहां का हाल जानकर सामने साइन को देखती हुई वापसा नीचे की ओर जाने को पलटी ही थी कि
उसे कोई चीज गिरने की आवाज आई उसका सिर उस तरफ घूम गया वहां कोई नहीं था पर गिरा क्या वो अपने को रोक ना पाई और उस गिरने वाली चीज को देखने को वो आगे बढ़ी पर उसे कोई दिखाई नहीं दिया डक्ट और बड़े-बड़े पाइप के बीच में उसे कुछ भी ना दिखा पर फिर से किसी आहट ने उसे चोका दिया वो किसी चीज के हिलने की आवाज़ थी या फिर कुछ गड़बड़ थी जो भी हो कामया जल्दी से एक डक्ट के पीछे से जहां से वो आवाज आ रही थी वहां पहुँचने लगी थी जैसे-जैसे वो डक्ट के पीछे की ओर देखने को आगे बढ़ती जा रही थी उसे आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही थी उसे इतना तो पता चाल गया था कि जरूर कोई गड़बड़ है पर क्या पता नहीं
आवाज से अंदाजा लगाया जा सकता था कि दो जने है पर क्या उठा रहे है या कुछ खिसका रहे है पता नहीं हाँ… हाँफने की आवाज जरूर आ रही थी कामया दबे पाँव जैसे ही वहां डक्ट के पीछे पहुँची तो चिहुक कर एकदम से पीछे की ओर हट गई जो उसने देखा उस चीज की कल्पना भी उसने अपने जीवन में कभी नहीं की थी
बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete
- sexi munda
- Novice User
- Posts: 1305
- Joined: 12 Jun 2016 12:43
Re: बड़े घर की बहू
मित्रो नीचे दी हुई कहानियाँ ज़रूर पढ़ें
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
- sexi munda
- Novice User
- Posts: 1305
- Joined: 12 Jun 2016 12:43
Re: बड़े घर की बहू
वहाँ एक इंसान ने एक औरत को अपने से सटा कर रखा था और अपनी कमर को आगे पीछे करता हुआ उसके साथ संभोग कर रहा था और वो दो नो अपने इस खेल में इतना लिप्त थे कि उन्हे कामया के आने तक की भनक नहीं लगी उस औरत की साड़ी उसके कमर के ऊपर थी और टाँगें कमर तक नंगी थी साँवले रंग की वो औरत उस आदमी की तरह पीठ किए हुए थी और वो आदमी उसको कमर से पकड़कर अपने लिंग को उसके योनि में पीछे से घुसाए हुआ था और अपने दोनों हाथों से उसे कस कर पकड़े हुए था और लगातार झटके दे रहा था कामया के चिहुकने से उनकी नजर एक दम से इधर घूमी और औरत के मुख से एक चीख निकल गई और वो एक ही झटके से अपने को उस आदमी के चुंगल से छुड़ा कर वहां से भाग गई
पर वो आदमी वही खड़ा रहा और एकटक कामया की ओर ही देखता रहा कामया उस इंसान को एकटक देख रही थी कमर के नीचे से नंगा था वो बहुत ही तगड़ा और मास पेशिया कसी हुई थी लंबा और काला सा था बहुत ही बलिष्ठ था वो और किसी सांड़ की तरह अपने लिंग को हवा में लहरा कर खड़ा था उसका लिंग किसी मूसल की तरह सामने की ओर मुँह उठाए झटके ले रहा था बहुत ही लंबा और मोटा सा था वो कामया की सांसें रुक गई थी और वो उस इंसान को एकटक पैर से लेकर माथे तक आश्चर्य से देखती ही रह गई उस इंसान के चेहरे पर भाव बदल रहे थे पर डर के भाव नहीं थे उसके हाथ से उस लड़की के निकल जाने के बाद के भाव थे जो कि उसे अधूरे में ही छोड़ कर भाग गई थीकामया उसे देखती ही रह गई जब उसके चहरे के भाव एकदम से किसी जानवर से बदल कर किसी निरीह प्राणी में तब्दील हुई तो उसके चहरे पर एक दया की माँग थी उसके चहरे पर एक हवस की जगह अब दयनीय स्थिति में पहुँचने के भाव थे वो धीरे से अपने लिंग को अपने ही हाथों से धीरे से पकड़कर कामया की आँखो में आँखे डाले अपने लिंग को कस कर पकड़कर एक दो लंबे लंबे झटके दे रहा था जैसे कि वो खड़े-खड़े ही कामया के साथ संभोग कर रहा था कामया के शरीर में एक अजीब सी झंझनाहट दौड़ गई थी और वो सांसें रोके उस इंसान की हरकतों को देखती ही रह गई वो ना तो हिल पा रही थी और नहीं इधार उधर देख ही पा रही थी वो इंसान धीरे-धीरे उसकी ओर ही बढ़ रहा था और अपने लिंग को अपनी मुट्ठी में बाँधे हुए उसकी ओर ही देखता हुआ लंबे लंबे झटके दे रहा था
वो और कोई नहीं भोला था जो कि उसकी ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा था पर कामया को जैसे साँप सूंघ गया था वो अपनी सांसें रोके हुए भोला को अपनी ओर बढ़ते देखती ही रही और भोला उसके सामने आके थोड़ी दूर पर ही रुक गया और उसकी आँखों में आखों डाले अपने लिंग को सहलाते हुए झटके दे रहा था कामया की नजर भी आनयास ही उसके उस लंबे और मोटे से लिंग पर टिक गई थी और उस सांड़ को अपनी ओर बढ़ते हुए देखते हुए अपनी सांसों को गति देने की कोशिश कर रही थी पर सांस जैसे मुख और नाक में अटक गई हो वो खड़ी हुई उसे देखती रही और भोला उसकी ओर देखते हुए अपने लिंग को झटके देता रहा और एक क्षण ऐसा आया कि उसके लिंग से एक लंबी सी पिचकारी सी निकलकर कामया के पैरों के पास जमीन पर गिर गई उसके वीर्य के कुछ छींटे उसके पैरों पर भी गिरे जो कि उसके सेंडल को थोड़ा बहुत गीलाकर गये
कामया के मुख से अचानक ही एक लंबी से सांस निकली और भोला के चहरे की ओर देखने लगी आआआआआआअह्ह, उसे भोला के चहरे पर एक सुकून सा दिखाई दिया जो कि उसे देख रहा था और अब भी उसके चहरे पर एक दयनीय सा भाव था शायद कह रह हो बहुत देख चुकी मुझे अब तो कुछ कर और भोला ने अपना हाथ कामया की ओर बढ़ाया ताकि वो कामया को छू सके पर कामया को जैसे ही उसके सामने एक लंबा और काला सा हाथ दिखा उसने अपने शरीर के पूरे जोर से भोला को एक धक्का दिया ताकि भोला उसे छू ना सके पर धक्का इतना तेज था कि भोला के पैर लड़खड़ा गये और वो डक्ट के पीछे रखे छोटे बड़े पाइप पर फिसल गया और सीधे पीछे की ओर गिर पड़ा और गिरता ही चला गया
कामया को जैसे ही होश आया तो उसने पलटकर लंबे लंबे पग भरती हुई जल्दी-जल्दी नीचे की ओर दौड़ लगा दी फिफ्थ और फोर्त फ्लोर तो बिना कुछ सोचे ही उतरगई पर थर्ड फ्लोर पर आते आते वहां मची हुई खलबली को देखकर वो थोड़ा सा सहज हुई और बिना किसी की ओर देखे और बिना किसी के जाने ही वो जल्दी से नीचे की ओर उतरगई थी जब वो आफिस में घुसी तो, अपने पति को फोन पर उलझे पाया और सेंटर टेबल पर अपनी काफी का कप ढँका हुआ पाया कामया पसीना पसीना हो चुकी थी कामेश की नजर एक बार उसपर पड़ी और फिर वो फोन पर उलझ गया
कामया को भी शांति मिली ना तो किसी को कुछ पता चला और ना ही किसी ने उसे कोई हरकत करते हुए ही देखा वो आराम से बैठकर काफी पीने लगी थी
इतने में एक आदमी केबिन में दाखिल हुआ और कामया और कामेश की ओर देखते हुए
- सर मेम वो भोला छत से नीचे गिर गया है बहुत चोट लगी है उसे हास्पिटल ले जा रहे है
कामेश- क्या छत से कैसे
- सर पता नहीं शायद पाइप पर से पैर फिसल गया होगा बच गया नीचे थर्ड फ्लोर में रेत के ऊपर गिरा
कामेश- हाँ हाँ… ले जाओ में भी आता हूँ मेम को छोड़ कर
कामेश जल्दी से कामया की ओर देखते हुए
कामेश- चलो तुम्हें शोरुम छोड़ दूं पता नहीं कैसे गिर गया में जरा हास्पिटल से हो आता हूँ
कामया- जी
वो चुप थी पर अंदर एक उथल पुथल मची हुई थी अगर भोला को कुछ हो गया तो कही ज्यादा चोट तो नहीं आई कामया को लिए कामेश शो रूम पहुँचा और पापाजी को भी भोला के गिरने की खबर बताया पापाजी भी चिंतित दिखे कामेश थोड़ी देर बाद ही शोरुम छोड़ कर हास्पिटल की ओर लपका
पापाजी के साथ कामया शोरुम पर ही रुकी मगर उसका मन कही और ही घूम रहा था कही भोला ने अगर कामेश को बता दिया तो फिर क्या होगा कामेश तो उससे मार ही डालेगा वो क्या करे कहाँ जाए आखिर क्यों गई वो छत पर और क्या जरूरत थी उसे उसे आहट के पीछे जाने की आखिर क्या जरूरत थी और गई भी थी तो चुपचाप चली आती वहां खड़े होकर देखने की क्या जरूरत थी
अचानक ही उसके हाथ पाँव में एक अजीब सी सनसनी होने लगी थी वो अपने चेयर में बैठी बैठी शून्य को घूर रही थी और उस समय उसकी नज़रें कुछ अपने सामने होते हुए सा देख रही थी पापाजी अपने काम में लगे थे और उसकी ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था और कामया के शरीर पर होने वाली हरकत से भी अंजान थी और कामया के शरीर में एक अजीब सी सिहरनने जनम ले लिया था उसे रह रहकर वो सीन याद आरहा था क्या सीन था वो लड़की जो कि उसके सामने झुकी हुई थी कमर के नीचे से बिल्कुल नंगी थी और वो सांड़ भोला उसको पीछे से घुसाकर मजे ले रहा था उसे कोई डर नहीं था कि कोई आ जाएगा या फिर कोई देख लेगा सच में गुंडा है कामेश सच ही कह रहा था और तो और जब उसने भोला को देख लिया था तो तो डरता पर वो तो उसे ही खा जाने वाली नजर से देखता रहा था
वो बैठे बैठे एक बार फिर से सिहर उठी एक बार पापाजी की ओर देखा और फिर से ध्यान मग्न हो गई बहुत ही बदमाश है भोला डर नाम की कोई चीज उसमें है ही नहीं मालकिन है वो वो लड़की तो भाग गई थी डर के मारे पर भोला वो तो बल्कि उसकी ओर ही बढ़ रहा था और तो और उसने अपने को धमकाने की भी कोशिश नहीं की थी कितना बड़ा और मोटा सा था काले साँप की तरह एकदम सीधा खड़ा हुआ था किसी सहारे की भी ज़रूरत नहीं थी देख कैसे रहा था उसकी ओर जैसे वो उसकी कोई खेलने की चीज है
कामया का पूरा शरीर सनसना रहा था गुस्से में और कही कही कामुकता में उसे पता नहीं था पर जैसे ही उसका ध्यान उसके लिंग के बारे में पहुँचा वो अपने मुख से एक लंबी सांस छोड़ने से नहीं रुक पाई थी पापाजी की नजर एक बार उसकी ओर घूमी फिर से वो अपने काम में लग गए कामया भी फिर से अपनी सोच में डूब गई थी कितना बड़ा था उसका अपने हाथों से पकड़ने के बाद भी आधा उसके हाथों से बाहर की ओर निकला हुआ था काला लेकिन सामने की ओर लाल लाल था कामया की जांघे आपस में जुड़ गई थी उसके जाँघो के बीच में कुछ होने लगा था वो सोचने में ही मस्त थी
कैसे बढ़ते हुए वो अपने लिंग को झटके दे रहा था जैसे कि उसके साथ संभोग कर रहा था और कितना सारा वीर्य उसके लिंग से निकला था उसके ऊपर भी तो आया था अचानक ही उसने अपने पैरों के बीच में अपनी पैरों की उंगलियां चलाकर देखा हाँ चिप चिपा सा अब भी था कामया अब जैसे सोचते हुए फिर से वही पहुँच गई थी कितने अजीब तरीके से उसे देख रहा था जैसे कुछ माँग रहा था या फिर तकलीफ में था पर वो उसकी तरफ क्यों आ रहा था वो उसे क्यों पकड़ना चाहता था अच्छा ही हुआ कि उसने उसे धक्का मार दिया नहीं तो पता नहीं क्या होता कोई भी नहीं था वहां छत पर और उस सांड़ से लड़ने की हिम्मत उसमें तो नहीं थी
अच्छा हुआ कि गिर गया नहीं तो वो मर जाती उस औरत ने भी तो उसे देख लिया था पर वो थी कौन और कहाँ चली गई थी अरे हाँ… उसने इस बात पर तो ध्यान दिया ही नहीं अगर उस औरत ने ही बता दिया तो कि कामया मेडम छत पर थी मर गये अब कही कामेश को मालूम चल गया तो बाप रे अब क्या होगा अब कामया के चहरे पर परेशानी के भाव साफ-साफ देखने लगे थे और कही भोला मर गया तो तब तो पोलीस केस भी होगा और वो लाखा काका ने जो कहा था कि उसके पास एक वीडियो भी है तब वो क्या करेगी और कही भोला ने ही पोलीस को सब बता दिया तो तो तो उसकी इज़्ज़त तो गई और इस घर से भी गई
पर वो आदमी वही खड़ा रहा और एकटक कामया की ओर ही देखता रहा कामया उस इंसान को एकटक देख रही थी कमर के नीचे से नंगा था वो बहुत ही तगड़ा और मास पेशिया कसी हुई थी लंबा और काला सा था बहुत ही बलिष्ठ था वो और किसी सांड़ की तरह अपने लिंग को हवा में लहरा कर खड़ा था उसका लिंग किसी मूसल की तरह सामने की ओर मुँह उठाए झटके ले रहा था बहुत ही लंबा और मोटा सा था वो कामया की सांसें रुक गई थी और वो उस इंसान को एकटक पैर से लेकर माथे तक आश्चर्य से देखती ही रह गई उस इंसान के चेहरे पर भाव बदल रहे थे पर डर के भाव नहीं थे उसके हाथ से उस लड़की के निकल जाने के बाद के भाव थे जो कि उसे अधूरे में ही छोड़ कर भाग गई थीकामया उसे देखती ही रह गई जब उसके चहरे के भाव एकदम से किसी जानवर से बदल कर किसी निरीह प्राणी में तब्दील हुई तो उसके चहरे पर एक दया की माँग थी उसके चहरे पर एक हवस की जगह अब दयनीय स्थिति में पहुँचने के भाव थे वो धीरे से अपने लिंग को अपने ही हाथों से धीरे से पकड़कर कामया की आँखो में आँखे डाले अपने लिंग को कस कर पकड़कर एक दो लंबे लंबे झटके दे रहा था जैसे कि वो खड़े-खड़े ही कामया के साथ संभोग कर रहा था कामया के शरीर में एक अजीब सी झंझनाहट दौड़ गई थी और वो सांसें रोके उस इंसान की हरकतों को देखती ही रह गई वो ना तो हिल पा रही थी और नहीं इधार उधर देख ही पा रही थी वो इंसान धीरे-धीरे उसकी ओर ही बढ़ रहा था और अपने लिंग को अपनी मुट्ठी में बाँधे हुए उसकी ओर ही देखता हुआ लंबे लंबे झटके दे रहा था
वो और कोई नहीं भोला था जो कि उसकी ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा था पर कामया को जैसे साँप सूंघ गया था वो अपनी सांसें रोके हुए भोला को अपनी ओर बढ़ते देखती ही रही और भोला उसके सामने आके थोड़ी दूर पर ही रुक गया और उसकी आँखों में आखों डाले अपने लिंग को सहलाते हुए झटके दे रहा था कामया की नजर भी आनयास ही उसके उस लंबे और मोटे से लिंग पर टिक गई थी और उस सांड़ को अपनी ओर बढ़ते हुए देखते हुए अपनी सांसों को गति देने की कोशिश कर रही थी पर सांस जैसे मुख और नाक में अटक गई हो वो खड़ी हुई उसे देखती रही और भोला उसकी ओर देखते हुए अपने लिंग को झटके देता रहा और एक क्षण ऐसा आया कि उसके लिंग से एक लंबी सी पिचकारी सी निकलकर कामया के पैरों के पास जमीन पर गिर गई उसके वीर्य के कुछ छींटे उसके पैरों पर भी गिरे जो कि उसके सेंडल को थोड़ा बहुत गीलाकर गये
कामया के मुख से अचानक ही एक लंबी से सांस निकली और भोला के चहरे की ओर देखने लगी आआआआआआअह्ह, उसे भोला के चहरे पर एक सुकून सा दिखाई दिया जो कि उसे देख रहा था और अब भी उसके चहरे पर एक दयनीय सा भाव था शायद कह रह हो बहुत देख चुकी मुझे अब तो कुछ कर और भोला ने अपना हाथ कामया की ओर बढ़ाया ताकि वो कामया को छू सके पर कामया को जैसे ही उसके सामने एक लंबा और काला सा हाथ दिखा उसने अपने शरीर के पूरे जोर से भोला को एक धक्का दिया ताकि भोला उसे छू ना सके पर धक्का इतना तेज था कि भोला के पैर लड़खड़ा गये और वो डक्ट के पीछे रखे छोटे बड़े पाइप पर फिसल गया और सीधे पीछे की ओर गिर पड़ा और गिरता ही चला गया
कामया को जैसे ही होश आया तो उसने पलटकर लंबे लंबे पग भरती हुई जल्दी-जल्दी नीचे की ओर दौड़ लगा दी फिफ्थ और फोर्त फ्लोर तो बिना कुछ सोचे ही उतरगई पर थर्ड फ्लोर पर आते आते वहां मची हुई खलबली को देखकर वो थोड़ा सा सहज हुई और बिना किसी की ओर देखे और बिना किसी के जाने ही वो जल्दी से नीचे की ओर उतरगई थी जब वो आफिस में घुसी तो, अपने पति को फोन पर उलझे पाया और सेंटर टेबल पर अपनी काफी का कप ढँका हुआ पाया कामया पसीना पसीना हो चुकी थी कामेश की नजर एक बार उसपर पड़ी और फिर वो फोन पर उलझ गया
कामया को भी शांति मिली ना तो किसी को कुछ पता चला और ना ही किसी ने उसे कोई हरकत करते हुए ही देखा वो आराम से बैठकर काफी पीने लगी थी
इतने में एक आदमी केबिन में दाखिल हुआ और कामया और कामेश की ओर देखते हुए
- सर मेम वो भोला छत से नीचे गिर गया है बहुत चोट लगी है उसे हास्पिटल ले जा रहे है
कामेश- क्या छत से कैसे
- सर पता नहीं शायद पाइप पर से पैर फिसल गया होगा बच गया नीचे थर्ड फ्लोर में रेत के ऊपर गिरा
कामेश- हाँ हाँ… ले जाओ में भी आता हूँ मेम को छोड़ कर
कामेश जल्दी से कामया की ओर देखते हुए
कामेश- चलो तुम्हें शोरुम छोड़ दूं पता नहीं कैसे गिर गया में जरा हास्पिटल से हो आता हूँ
कामया- जी
वो चुप थी पर अंदर एक उथल पुथल मची हुई थी अगर भोला को कुछ हो गया तो कही ज्यादा चोट तो नहीं आई कामया को लिए कामेश शो रूम पहुँचा और पापाजी को भी भोला के गिरने की खबर बताया पापाजी भी चिंतित दिखे कामेश थोड़ी देर बाद ही शोरुम छोड़ कर हास्पिटल की ओर लपका
पापाजी के साथ कामया शोरुम पर ही रुकी मगर उसका मन कही और ही घूम रहा था कही भोला ने अगर कामेश को बता दिया तो फिर क्या होगा कामेश तो उससे मार ही डालेगा वो क्या करे कहाँ जाए आखिर क्यों गई वो छत पर और क्या जरूरत थी उसे उसे आहट के पीछे जाने की आखिर क्या जरूरत थी और गई भी थी तो चुपचाप चली आती वहां खड़े होकर देखने की क्या जरूरत थी
अचानक ही उसके हाथ पाँव में एक अजीब सी सनसनी होने लगी थी वो अपने चेयर में बैठी बैठी शून्य को घूर रही थी और उस समय उसकी नज़रें कुछ अपने सामने होते हुए सा देख रही थी पापाजी अपने काम में लगे थे और उसकी ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था और कामया के शरीर पर होने वाली हरकत से भी अंजान थी और कामया के शरीर में एक अजीब सी सिहरनने जनम ले लिया था उसे रह रहकर वो सीन याद आरहा था क्या सीन था वो लड़की जो कि उसके सामने झुकी हुई थी कमर के नीचे से बिल्कुल नंगी थी और वो सांड़ भोला उसको पीछे से घुसाकर मजे ले रहा था उसे कोई डर नहीं था कि कोई आ जाएगा या फिर कोई देख लेगा सच में गुंडा है कामेश सच ही कह रहा था और तो और जब उसने भोला को देख लिया था तो तो डरता पर वो तो उसे ही खा जाने वाली नजर से देखता रहा था
वो बैठे बैठे एक बार फिर से सिहर उठी एक बार पापाजी की ओर देखा और फिर से ध्यान मग्न हो गई बहुत ही बदमाश है भोला डर नाम की कोई चीज उसमें है ही नहीं मालकिन है वो वो लड़की तो भाग गई थी डर के मारे पर भोला वो तो बल्कि उसकी ओर ही बढ़ रहा था और तो और उसने अपने को धमकाने की भी कोशिश नहीं की थी कितना बड़ा और मोटा सा था काले साँप की तरह एकदम सीधा खड़ा हुआ था किसी सहारे की भी ज़रूरत नहीं थी देख कैसे रहा था उसकी ओर जैसे वो उसकी कोई खेलने की चीज है
कामया का पूरा शरीर सनसना रहा था गुस्से में और कही कही कामुकता में उसे पता नहीं था पर जैसे ही उसका ध्यान उसके लिंग के बारे में पहुँचा वो अपने मुख से एक लंबी सांस छोड़ने से नहीं रुक पाई थी पापाजी की नजर एक बार उसकी ओर घूमी फिर से वो अपने काम में लग गए कामया भी फिर से अपनी सोच में डूब गई थी कितना बड़ा था उसका अपने हाथों से पकड़ने के बाद भी आधा उसके हाथों से बाहर की ओर निकला हुआ था काला लेकिन सामने की ओर लाल लाल था कामया की जांघे आपस में जुड़ गई थी उसके जाँघो के बीच में कुछ होने लगा था वो सोचने में ही मस्त थी
कैसे बढ़ते हुए वो अपने लिंग को झटके दे रहा था जैसे कि उसके साथ संभोग कर रहा था और कितना सारा वीर्य उसके लिंग से निकला था उसके ऊपर भी तो आया था अचानक ही उसने अपने पैरों के बीच में अपनी पैरों की उंगलियां चलाकर देखा हाँ चिप चिपा सा अब भी था कामया अब जैसे सोचते हुए फिर से वही पहुँच गई थी कितने अजीब तरीके से उसे देख रहा था जैसे कुछ माँग रहा था या फिर तकलीफ में था पर वो उसकी तरफ क्यों आ रहा था वो उसे क्यों पकड़ना चाहता था अच्छा ही हुआ कि उसने उसे धक्का मार दिया नहीं तो पता नहीं क्या होता कोई भी नहीं था वहां छत पर और उस सांड़ से लड़ने की हिम्मत उसमें तो नहीं थी
अच्छा हुआ कि गिर गया नहीं तो वो मर जाती उस औरत ने भी तो उसे देख लिया था पर वो थी कौन और कहाँ चली गई थी अरे हाँ… उसने इस बात पर तो ध्यान दिया ही नहीं अगर उस औरत ने ही बता दिया तो कि कामया मेडम छत पर थी मर गये अब कही कामेश को मालूम चल गया तो बाप रे अब क्या होगा अब कामया के चहरे पर परेशानी के भाव साफ-साफ देखने लगे थे और कही भोला मर गया तो तब तो पोलीस केस भी होगा और वो लाखा काका ने जो कहा था कि उसके पास एक वीडियो भी है तब वो क्या करेगी और कही भोला ने ही पोलीस को सब बता दिया तो तो तो उसकी इज़्ज़त तो गई और इस घर से भी गई
मित्रो नीचे दी हुई कहानियाँ ज़रूर पढ़ें
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
- sexi munda
- Novice User
- Posts: 1305
- Joined: 12 Jun 2016 12:43
Re: बड़े घर की बहू
वो बहुत चिंतित हो उठी नहीं नहीं भोला को कुछ नहीं होगा और ना ही वो किसी को कुछ बताएगा वो जानती थी क्योंकी अगर उसे बताना होता तो क्या वो कामेश या पापाजी को अभी तक नहीं बता दिया होता बिकुल ठीक पर वो चाहता क्या है नहीं उसके सामने पड़ता है और नहीं कभी कोई इशारा ही किया उसने वो तो कई बार कॉंप्लेक्स के काम से गई थी पर हमेशा वो कही ना कही काम से ही फँसा रहता था और जब भी उसके सामने आया तो नजर बिल्कुल जमीन पर गढ़ाए हुए ही रहता था उसके दिल में जरूर कुछ है पता नहीं क्या पर अभी तो कामेश गया है पता नहीं क्या खबर लाता है वो चाहती थी कि एक बार फोन करके पता करे पर हिम्मत नहीं हुई पर उसे देखकर स्पष्ट कहा जा सकता था कि वो परेशान है आखिर पापाजी से नहीं रहा गया
पापाजी-क्या बात है बहू कुछ परेशान हो
कामया- जी जी नहीं बस
पापाजी- अरे कन्स्ट्रक्षन साइट में यह सब होता ही रहता है और कामेश तो गया है तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा
कामया- जी
पर कामया को कहाँ चैन था उसे तो इस बात की चिंता थी कि भोला कुछ उगल ना दे कही उसके बारे में किसी को बता ना दे और तो और वो औरत कौन थी जिसे उसने भोला के साथ देखा था वो भी तो बता सकती है मन में हलचल लिए कामया कामेश के इंतेजार में दोपहर से शाम और फिर रात तक बैठी रही पर कामेश का कही पता नहीं था वो पापाजी के साथ ही घर भी आ गई घर पहुँचकर ही उसने पापाजी को ही कहा कि फोन करे
पापाजी ने ही उसके सामने फोन किया
कामेश- जी
पापाजी- क्या हुआ बड़ी देर लग गई तुझे
कामेश- जी कुछ नहीं सब ठीक है निकल गया हूँ आता हूँ
पापाजी ने फोन काट कर कामया को बताया कि कोई चिंता की बात नहीं है कामेश भी घर पहुँचता ही होगा
कामया अपने कमरे में जाने से डर रही थी क्यों पता नहीं वो वही पापाजी के सामने खड़ी रही
पापाजी- अरे क्या हुआ
कामया- जी कुछ नहीं
पापाजी- अरे जाओ प्रेश हो जाओ कामेश भी आता होगा चल कर खाना खाते है
कामया ना चाहते हुए भी जल्दी से अपने कमरे की ओर लपकी और फ्रेश हो ही रही थी कि कामेश की गाड़ी की आवाज आई वो थोड़ा सा डरी पर खुद पर काबू रखकर कामेश का इंतेजार करती रही
कामेश के कमरे में घुसते ही वो कामेश के सामने एक प्रश्न सूचक चेहरा लिए खड़ी मिली
कामेश- बच गया अगर नीचे रेत नहीं होती ना मर ही जाता
कामया- हाँ… क्या हुआ है
कामेश कुछ नहीं थोड़ा बहुत ही चोट है असल में गिरा ऊपर से ना इसलिए थोड़ा बहुत अन्द्रूनि चोट है ठीक हो जाएगा दो एक दिन लगेंगे
कामया- अभी कहाँ है हास्पिटल में या
कामेश- अरे हास्पिटल में ही है पोलीस भी आई थी आक्सिडेंटल केस है ना इसलिए
कामया- पोलीस क्यों
कामेश-, अरे तो नहीं आएगी क्या आक्सिडेंटल केस में आती ही है गवाही के लिए
कामया- क्या गवाही
कामेश- अरे यार गिरा कैसे कौन था वहाँ और बहुत कुछ पूछा उससे
कामया की तो जैसे जान ही निकल गई थी गला सुख गया था थूक निगलते हुए पूछा
कामया- तो क्या बताया
कामेश तब तक अपने कपड़े चेंज करते हुए बाथरूम में घुस गया था बड़ा ही कषुयल था पर कामया की जान तो जैसे जाने ही वाली थी अगर उसने पोलीस को बता दिया कि उसने उसे धक्का दिया था तो
कामया को चैन नहीं था बाथरूम के बाहर ही खड़े होकर फिर से चिल्लाकर पूछा
कामया- क्यों बताया नहीं क्या बताया
कामेश की अंदर से आवाज आई
कामेश- अरे यार मुझे नहीं पता अरे बाहर तो आने दो
कामया की सांसें अब भी अटकी हुई थी बाथरूम का दरवाजा खुलने की राह देखते हुए वो वही बेड पर बैठी रही क्या यार कहाँ फस गई जब देखो तब वो कही ना कही फस जाती है कुछ दिनों पहले वो लाखा और भीमा के साथ फस गई थी और अब भोला
किसी तरह से अपने को उन लोगों से अलग करके अपने को बचाया था पर अब भोला तो क्या वो कभी भी ईमानदारी से जी नहीं सकती हमेशा ही उसे कॉंप्रमाइज करते रहना पड़ेगा अगर वो भोला को धक्का नहीं देती तो क्या वो गिरता और अगर वो उसे धक्का नहीं देती तो वो तो उसे पकड़ लेता और फिर उूउउफफ्फ़ क्या स्थिति में फस गई थी कामया गुस्से के साथ-साथ उसे रोना भी आ रहा था पर करे क्या क्या लाखा या फिर भीमा उसकी मदद कर सकते है इस बारे में अगर वो थोड़ा सा रिक्वेस्ट करके उनसे कहे कि भोला को धमकी दे-दे की चुप रहे किसी को कुछ ना कहे तो कैसा रहे
लाखा ने तो कहा ही था भोला उनसे डरता है हाँ यह ठीक रहेगा पर कहेगी कब वो तो अब पापाजी के साथ ही आती जाती है या फिर कामेश के साथ और तो और वो तो आज कल ना तो भोला की ओर ही देखती है और नहीं भीमा की ओर
पर इस स्थिति से निकलने के लिए तो इन दोनों से अच्छा कोई नहीं है पर अचानक ही उसके दिमाग में एक ख्याल आया पर इन लोगों को कहेगी क्या कि क्या नहीं बोलना है या क्यों धमकी देना है भोला को वो कुछ सोच नहीं पा रही थी तभी कामेश भी बाथरूम से निकल आया और दोनों नीचे डिनर के लिए चले गये पापाजी के साथ डाइनिंग टेबल पर जब बैठे तो
पापाजी- कैसा है
कामेश- हाँ ठीक है चोट ज्यादा नहीं है ठीक हो जाएगा
पापाजी- कहाँ है सरकारी हास्पिटल में
कामेश- हाँ… पोलीस केस हुआ है ना इसलिए कल या फिर परसो प्राइवेट में ले आएँगे
पापाजी- ठीक है पर देखना कुछ ज्यादा गड़बड़ ना हो जाए
कामेश- नहीं नहीं वैसा कुछ नहीं है एक्सीडेंटल केस है ना इसलिए पोलीस आई थी नहीं तो प्राइवेट हास्पिटल में ही अड्मिट करता
पापाजी- अच्छा ठीक है वो धरम पाल जी का फोन आया था कह रहे थे बॉम्बे जाना है कुछ एक्सपोर्टेर आ रहे है बात कर लेना
कामेश- जी कब आ रहे है
पापाजी- पता नहीं तू ही बात कर लेना
कामेश- हाँ… यह प्राब्लम तो ठीक हो पहले
पापाजी- पर वो गिरा कैसे
कामया जो कि अब तक दोनों की बातें सुन रही थी और खाने में व्यस्त थी अचानक ही रुक गई और कामेश की ओर देखती हुई चुप हो गई
कामेश- पता नहीं कह रहा था कि पैर फिसल गया था और कुछ नहीं बताया पोलीस भी ब्यान लिख कर ले गई
पापाजी- वो तो इतना बुद्धू नहीं है इतने दिनों से काम कर रहा है उसका पैर फिसल गया पता नहीं नशे में था क्या
कामेश- अरे नहीं वो काम के समय नहीं पीता मुझे पता है
पापाजी- हाँ तुझे तो सब पता रहता है बड़ा ही विस्वास पात्र है तेरा
कामेश- अरे पापा एक बात तो है बड़ा ही स्मार्ट है पढ़ा लिखा नहीं है पर एक बार जो समझा दिया वो कभी नहीं भूलता मुझे तो विस्वास है अब उसे वहां से हटा लूँगा
पापाजी- क्यों वहां क्या हुआ
कामेश - नहीं ऐसा कुछ नहीं पर वो शोरुम में ठीक है और जब कॉंप्लेक्स बन जाएगा तब उसे सेक्योंरिटी का इचार्ज बना दूँगा
पापाजी- जैसा तेरा मन ठीक है पर ध्यान रखना
कामेश- जी
और सभी खाने के बाद उठकर अपने-अपने कमरे में चले गये पर कामया के दिमाग में एक बात घर कर गई थी आखिर क्यों भोला ने यह बात कही कि वो पैर फिसलने से गिरा था आखिर उसने उसका नाम क्यों नहीं लिया
क्यों उसने इस तरह से उसे बचाया पहले भी उसने लाखा को जब बताया था कि उसने कामया को उसके साथ देख लिया है तब भी उसने किसी से इस बात की चर्चा नहीं की आख़िर क्या बात है भोला क्यों उसके साथ इस तरह का वर्ताब कर रहा है आखिर वो चाहता क्या है उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे कमरे में वो यही सोचते हुए बिस्तर पर अपनी जगह लेट गई थी कामेश भी उसके पास लेटा था पर कामया वहां होते हुए भी कहीं और थी
पापाजी-क्या बात है बहू कुछ परेशान हो
कामया- जी जी नहीं बस
पापाजी- अरे कन्स्ट्रक्षन साइट में यह सब होता ही रहता है और कामेश तो गया है तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा
कामया- जी
पर कामया को कहाँ चैन था उसे तो इस बात की चिंता थी कि भोला कुछ उगल ना दे कही उसके बारे में किसी को बता ना दे और तो और वो औरत कौन थी जिसे उसने भोला के साथ देखा था वो भी तो बता सकती है मन में हलचल लिए कामया कामेश के इंतेजार में दोपहर से शाम और फिर रात तक बैठी रही पर कामेश का कही पता नहीं था वो पापाजी के साथ ही घर भी आ गई घर पहुँचकर ही उसने पापाजी को ही कहा कि फोन करे
पापाजी ने ही उसके सामने फोन किया
कामेश- जी
पापाजी- क्या हुआ बड़ी देर लग गई तुझे
कामेश- जी कुछ नहीं सब ठीक है निकल गया हूँ आता हूँ
पापाजी ने फोन काट कर कामया को बताया कि कोई चिंता की बात नहीं है कामेश भी घर पहुँचता ही होगा
कामया अपने कमरे में जाने से डर रही थी क्यों पता नहीं वो वही पापाजी के सामने खड़ी रही
पापाजी- अरे क्या हुआ
कामया- जी कुछ नहीं
पापाजी- अरे जाओ प्रेश हो जाओ कामेश भी आता होगा चल कर खाना खाते है
कामया ना चाहते हुए भी जल्दी से अपने कमरे की ओर लपकी और फ्रेश हो ही रही थी कि कामेश की गाड़ी की आवाज आई वो थोड़ा सा डरी पर खुद पर काबू रखकर कामेश का इंतेजार करती रही
कामेश के कमरे में घुसते ही वो कामेश के सामने एक प्रश्न सूचक चेहरा लिए खड़ी मिली
कामेश- बच गया अगर नीचे रेत नहीं होती ना मर ही जाता
कामया- हाँ… क्या हुआ है
कामेश कुछ नहीं थोड़ा बहुत ही चोट है असल में गिरा ऊपर से ना इसलिए थोड़ा बहुत अन्द्रूनि चोट है ठीक हो जाएगा दो एक दिन लगेंगे
कामया- अभी कहाँ है हास्पिटल में या
कामेश- अरे हास्पिटल में ही है पोलीस भी आई थी आक्सिडेंटल केस है ना इसलिए
कामया- पोलीस क्यों
कामेश-, अरे तो नहीं आएगी क्या आक्सिडेंटल केस में आती ही है गवाही के लिए
कामया- क्या गवाही
कामेश- अरे यार गिरा कैसे कौन था वहाँ और बहुत कुछ पूछा उससे
कामया की तो जैसे जान ही निकल गई थी गला सुख गया था थूक निगलते हुए पूछा
कामया- तो क्या बताया
कामेश तब तक अपने कपड़े चेंज करते हुए बाथरूम में घुस गया था बड़ा ही कषुयल था पर कामया की जान तो जैसे जाने ही वाली थी अगर उसने पोलीस को बता दिया कि उसने उसे धक्का दिया था तो
कामया को चैन नहीं था बाथरूम के बाहर ही खड़े होकर फिर से चिल्लाकर पूछा
कामया- क्यों बताया नहीं क्या बताया
कामेश की अंदर से आवाज आई
कामेश- अरे यार मुझे नहीं पता अरे बाहर तो आने दो
कामया की सांसें अब भी अटकी हुई थी बाथरूम का दरवाजा खुलने की राह देखते हुए वो वही बेड पर बैठी रही क्या यार कहाँ फस गई जब देखो तब वो कही ना कही फस जाती है कुछ दिनों पहले वो लाखा और भीमा के साथ फस गई थी और अब भोला
किसी तरह से अपने को उन लोगों से अलग करके अपने को बचाया था पर अब भोला तो क्या वो कभी भी ईमानदारी से जी नहीं सकती हमेशा ही उसे कॉंप्रमाइज करते रहना पड़ेगा अगर वो भोला को धक्का नहीं देती तो क्या वो गिरता और अगर वो उसे धक्का नहीं देती तो वो तो उसे पकड़ लेता और फिर उूउउफफ्फ़ क्या स्थिति में फस गई थी कामया गुस्से के साथ-साथ उसे रोना भी आ रहा था पर करे क्या क्या लाखा या फिर भीमा उसकी मदद कर सकते है इस बारे में अगर वो थोड़ा सा रिक्वेस्ट करके उनसे कहे कि भोला को धमकी दे-दे की चुप रहे किसी को कुछ ना कहे तो कैसा रहे
लाखा ने तो कहा ही था भोला उनसे डरता है हाँ यह ठीक रहेगा पर कहेगी कब वो तो अब पापाजी के साथ ही आती जाती है या फिर कामेश के साथ और तो और वो तो आज कल ना तो भोला की ओर ही देखती है और नहीं भीमा की ओर
पर इस स्थिति से निकलने के लिए तो इन दोनों से अच्छा कोई नहीं है पर अचानक ही उसके दिमाग में एक ख्याल आया पर इन लोगों को कहेगी क्या कि क्या नहीं बोलना है या क्यों धमकी देना है भोला को वो कुछ सोच नहीं पा रही थी तभी कामेश भी बाथरूम से निकल आया और दोनों नीचे डिनर के लिए चले गये पापाजी के साथ डाइनिंग टेबल पर जब बैठे तो
पापाजी- कैसा है
कामेश- हाँ ठीक है चोट ज्यादा नहीं है ठीक हो जाएगा
पापाजी- कहाँ है सरकारी हास्पिटल में
कामेश- हाँ… पोलीस केस हुआ है ना इसलिए कल या फिर परसो प्राइवेट में ले आएँगे
पापाजी- ठीक है पर देखना कुछ ज्यादा गड़बड़ ना हो जाए
कामेश- नहीं नहीं वैसा कुछ नहीं है एक्सीडेंटल केस है ना इसलिए पोलीस आई थी नहीं तो प्राइवेट हास्पिटल में ही अड्मिट करता
पापाजी- अच्छा ठीक है वो धरम पाल जी का फोन आया था कह रहे थे बॉम्बे जाना है कुछ एक्सपोर्टेर आ रहे है बात कर लेना
कामेश- जी कब आ रहे है
पापाजी- पता नहीं तू ही बात कर लेना
कामेश- हाँ… यह प्राब्लम तो ठीक हो पहले
पापाजी- पर वो गिरा कैसे
कामया जो कि अब तक दोनों की बातें सुन रही थी और खाने में व्यस्त थी अचानक ही रुक गई और कामेश की ओर देखती हुई चुप हो गई
कामेश- पता नहीं कह रहा था कि पैर फिसल गया था और कुछ नहीं बताया पोलीस भी ब्यान लिख कर ले गई
पापाजी- वो तो इतना बुद्धू नहीं है इतने दिनों से काम कर रहा है उसका पैर फिसल गया पता नहीं नशे में था क्या
कामेश- अरे नहीं वो काम के समय नहीं पीता मुझे पता है
पापाजी- हाँ तुझे तो सब पता रहता है बड़ा ही विस्वास पात्र है तेरा
कामेश- अरे पापा एक बात तो है बड़ा ही स्मार्ट है पढ़ा लिखा नहीं है पर एक बार जो समझा दिया वो कभी नहीं भूलता मुझे तो विस्वास है अब उसे वहां से हटा लूँगा
पापाजी- क्यों वहां क्या हुआ
कामेश - नहीं ऐसा कुछ नहीं पर वो शोरुम में ठीक है और जब कॉंप्लेक्स बन जाएगा तब उसे सेक्योंरिटी का इचार्ज बना दूँगा
पापाजी- जैसा तेरा मन ठीक है पर ध्यान रखना
कामेश- जी
और सभी खाने के बाद उठकर अपने-अपने कमरे में चले गये पर कामया के दिमाग में एक बात घर कर गई थी आखिर क्यों भोला ने यह बात कही कि वो पैर फिसलने से गिरा था आखिर उसने उसका नाम क्यों नहीं लिया
क्यों उसने इस तरह से उसे बचाया पहले भी उसने लाखा को जब बताया था कि उसने कामया को उसके साथ देख लिया है तब भी उसने किसी से इस बात की चर्चा नहीं की आख़िर क्या बात है भोला क्यों उसके साथ इस तरह का वर्ताब कर रहा है आखिर वो चाहता क्या है उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे कमरे में वो यही सोचते हुए बिस्तर पर अपनी जगह लेट गई थी कामेश भी उसके पास लेटा था पर कामया वहां होते हुए भी कहीं और थी
मित्रो नीचे दी हुई कहानियाँ ज़रूर पढ़ें
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
- sexi munda
- Novice User
- Posts: 1305
- Joined: 12 Jun 2016 12:43
Re: बड़े घर की बहू
Happy new year friends
मित्रो नीचे दी हुई कहानियाँ ज़रूर पढ़ें
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
- sexi munda
- Novice User
- Posts: 1305
- Joined: 12 Jun 2016 12:43
Re: बड़े घर की बहू
उसके मन में ढेर सारे सवालों के बीच में वो घिरी हुई अपने आपसे उत्तर ढूँडने की कोशिश करती रही पर उसे कोई जबाब नहीं मिला तभी कामेश के नजदीक आने से से और उसे कस कर पकड़ लेने से उसकी सोचने में ब्रेक लग गया
कामेश कामया को पीछे से पकड़कर अपने हथेलियों से उसके चूचियां धीरे धीरे गाउनके ऊपर से ही दबाने लगा था और उसके गले पर अपनी जीब फेरने लगा था
कामया- उूुउउफफ्फ़ हमम्म्म आज नहीं प्लीज
कामेश- क्यों
कामया- मन नहीं कर रहा
कामेश- बाप रे तुम्हारा मन नहीं कर रहा
बड़े ही आश्चर्य से कामेश ने कामया के चेहरे को अपनी ओर घुमाकर पूछा कामया को अचानक ही पता नहीं क्यों एक चिड सी लगी
कामया- क्यों मेरा मन नहीं है तो इसमें बाप रे का क्या
कामेश- हाँ… हाँ… ही ही अरे यार भूत के मुख से राम नाम पहली बार सुन रहा हूँ
कामया- छोड़िए मुझे में भूत ही हूँ
पर कामेश जानता था कि कामया को क्या चाहिए उसने फिर से कामया को पीछे से जकड़कर अपनी बाहों में भर लिया और उसके गर्दन और गले पर किस कने लगा था और अपनी हथेलियो को उसकी चुचियों पर बारी बारी से घुमाने लगा था अपने लिंग को भी कामया के नितंबों पर रगड़कर अपनी उत्तेजना को प्रदर्शित कर रहा था
कामया जो कि अपनी सोच से निकलना नहीं चाहती थी पर कामेश की हरकतों से वो भी थोड़ा थोड़ा उत्तेजित होने लगी थी
कामेश- इधर घुमो हाँ… और अपने होंठ दो,
कामया भी बिना ना नुकार के कामेश की ओर पलट गई और अपने होंठों को कामेश को सोप दिया कामेश उसके होंठों को पीता गया और अपने हाथों से उसके गाउनको सामने से खोलकर अपने हाथों को उसके गोल गोल उभारों पर रख कर उनके साइज का सर्वे करने लगा था
कामया- हमम्म्म कहा ना मन नहीं है
कामेश- बस थोड़ी देर हाँ… बस लेटी रहो बाकी में कर लूँगा आज
कामया- प्लीज ना आज नहीं
पर उसके मना करने के तरीके से पता चलता था कि वो चाहती तो थी पर क्यों मना कर रही थी पता नहीं उसके हाथ अब कामेश के सिर और पीठ पर घूमने लगे थे
कामेश- रूको थोड़ी देर बस
कामया- उूउउम्म्म्ममममम ईईईईईईीीइसस्स्स्स्स्सस्स
करती हुई धीरे-धीरे कामेश का साथ देने लगी थी कामेश के किस करने में आज कुछ अलग था वो आज बहुत ही तरीके से किस कर रहा था जोर लगा के उसके पूरे होंठों को अपने मुख के अंदर तक चूसकर घुसा लेता था और फिर अपनी जीब को भी उसके मुख के अंदर तक घुसा ले जाता था उसके हाथ अब थोड़े रफ हो गये थे
उसकी चूचियां खूब जोर-जोर से दबाते जा रहे थे कि तभी कामेश कामया के ऊपर से थोड़ा सा हटा और अपने पाजामे को नीचे की ओर सरका दिया और कामया के हाथ को पकड़कर अपने लिंग पर रखने लगा
कामेश- पकडो इसे
कामया ने कोई ना नुकर नहीं की और झट से उसके लिंग को अपनी कोमल हथेलियो में जकड़ लिया और कामेश को रिटर्न किस करने लगी
कामेश का लिंग टाइट हो चुका था पर अचानक ही उसकी आखों के सामने वो एक मोटा सा और लंबा सा लिंग घूम गया भोला का काले रंग की वो आकृति उसके जेहन में एक अजीब सी उथल पुथल मचा रही थी कसी हुई जाँघो के सामने से झूलता हुआ वो लिंग उसके मन में अंदर तक उसे हिलाकर रख दिया उसकी हथेलिया कामेश के लिंग पर बहुत कस गई और वो कामेश को किस करती हुई उसके लिंग को जैसे निचोड़ने लगी थी कामेश को भी अचानक ही हुए कामया की हरकतों में बदलाव से बेचैनी होने लगी थी वो थोड़ा सा उठा और कामया की जाँघो के बीच से एक ही झटके में उसकी पैंटी को उतार फेका और झट से उसकी योनि में समा गया
कामया भी जैसे तैयार ही थी अंदर जाते ही कामया फिर से एक सेक्स मेनिक बन गई थी अपनी कमर को उछाल कर बहुत ही तेजी से कामेश का साथ देने लगी थी वो जानती थी कि कामेश ज्यादा देर का मेहमान नहीं है पर ना जाने क्यों वो आज बहुत ही कामुक हो उठी थी शायद उसकी बजाह थी वो आकृति जो उसके जेहन में अचानक ही उठ गई थी भोला का सर्पाकार काले और मोटे लिंग की आकृति उसकी माँस पेशियाँ और उसका वो गठीला कद काठी और खा जाने वाली नजर वो अपनी आखों के सामने उस इंसान की याद करके अपने पति का साथ दे रही थी पता नहीं क्यों वो आज कामेश से पहले ही झड गई और एक ठंडी लाश की तरह से कामेश की बाहों में लटक गई
कामेश भी खुश था कि आज वो कामया को संतुष्ट कर सका और अपनी रफ़्तार को बढ़ाए हुए कामया को अब भी भोग रहा था और बहुत ही जोर-जोर से कामया को लगातार किस करता जा रहा था
कामेश- क्यों क्या हुआ आज तो मन नहीं था अन्नाअनाआआआआआआआआआआ हमम्म्ममममममममममम
हान्फते हुए कामेश भी कामया के ऊपर ढेर हो गया
कामया कामेश के नीचे लेटी हुई अपने हाथों से कामेश के बालों को धीरे-धीरे सहलाते हुए कामेश को अपनी बाहों में धीरे से कस्ती जा रही थी जैसे वो नहीं चाहती थी कि कामेश उसके ऊपर से हटे पर अंदर की ओर देखती हुई वो भोला के बारे में सोचने को मजबूर हो रही थी क्यों सोच रही थी वो पर ना जाने क्यों बार-बार उसके जेहन में उस समय का सीन उभरकर आ जाता था उस औरत का और पीछे की ओर से भोला को आगे पीछे होते हुए देखा था उसने वो औरत चिल्ला भी नहीं रही थी यानी कि उसे मजा आ रहा था वो उसका साथ दे रही थी उस सांड़ का उस हबसी का और वो भी दिन के उजाले में छत पर आखिर क्यों
वो औरत कौन थी और भोला के साथ वहां कैसे पहुँची क्या वो औरत उनके यहां ही काम करती है या कौन है पर भोला को मना भी कर सकती थी ऐसा क्या हुआ जो वो छत पर जाके यह सब करना पड़ा इतनी उत्तेजना किसकाम की
पता नहीं सोचते सोचते कब वो सो गई पर रात भर उसके सपने में वो सीन उसके शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना को हवा देता रहा और जब वो सुबह उठी तो उसकी उत्तेजना वैसे ही थी जैसे रात को थी वो पलटी और कामेश की ओर घूमी पर कामेश तो उठ चुका था और शायद नीचे भी चला गया था बाथरूम भी खाली था वो भी जल्दी से उठी और चाय पीने को नीचे आई फिर तो कुछ भी पासिबल नहीं था जल्दी-जल्दी से कामेश और कामया तैयार होकर कॉंप्लेक्स फिर शोरुम और फिर शाम और पूरा दिन यू ही निकल गया रात को भी कुछ ज्यादा बदलाब नहीं हाँ… एक बदलाब जरूर था कामेश अब ज्यादा ही कामया को प्यार करने लगा था रोज रात को कामेश खुद ही कामया को पकड़कर निचोड़ने लगा था और कामया भी उसका साथ देने लगी थी पर एक बदलाब जो कि कामया के जीवन में आ गया था वो था कॉंप्लेक्स में देखा गया वो सीन जो हमेशा ही उसके जेहन में छाया रहता था और उसे उत्तेजित करता रहता था शायद इसीलिए अब हमेशा कामेश की जीत होती थी और कामया की हार पर कामेश खुश था और कामया भी लेकिन कामया थोड़ा सा आब्सेंट माइंडेड हो गई थी वो हमेशा ही कुछ ना कुछ सोचती रहती थी
क्या वो तो कामया के आलवा कोई नहीं जानता था कि उसके जीवन में जो एक उथल पुथल मचने वाली है यह उसके पहले की शांति है यह कामया भी नहीं जानती थी कि जिस अतीत को को वो भुलाकर एक पति व्रता स्त्री का जीवन निभा रही है वो कहाँ तार तार हो जाएगा जिस मेनिक को उसने अपने अंदर दबा रखा था वो खुलकर बाहर आ जाएगा और वो एक सेक्स मशीन में फिर से तब्दील हो जाएगी इसी तरह तीन दिन निकल गये
आज भी हमेशा की तरह कॉंप्लेक्स का काम खतम करके कामेश और कामया शोरुम की ओर जा रहे थे कि रास्ते में अचानक ही
कामेश- सुनो कल शायद मुझे बाहर जाना पड़ेगा
कामया- क्यों कहाँ
कामेश- बॉम्बे कुछ एक्षपोटेर आने वाले है उनसे मिलना है और धरम पाल जी कह रहे थे कि कुछ नये डीलर्स भी ढूँढने पड़ेंगे
कामया- तो
कामेश- तो क्या अब तो तुम ने काफी काम देख भी लिया है और समझ भी चुकी हो थोड़ा बहुत तुम देख लेना और थोड़ा बहुत पापाजी भी मदद कर देंगे
कामया- हाँ… पर कितने दिन के लिए
गाड़ी चलाते हुए
कामेश- पता नहीं, जल्दी नहीं करूँगा एक बार में ही फिक्स करके आउन्गा
कामया- हाँ पर जल्दी आ जाना में और पापा जी ही है घर में मम्मीजी भी नहीं है
कामेश- हाँ वो तो है पर चिंता मत करो भीमा और लाखा है ना उनके रहते कोई चिंता नहीं है
कामया- भी चुपचाप कामेश को देखती रही
कामेश- चलो यहां से जा रहे है तो भोला को भी देखते चलते है शायद आज या कल में उसकी भी छुट्टी हो जाएगी
कामया एकदम से सिहर उठी पता नहीं क्यों उसके शरीर में हजारो चीटियाँ एक साथ रेंगने लगी थी वो वाइंड स्क्रीन के बाहर देख तो रही थी पर जाने क्यों पलटकर कामेश की ओर नहीं देख पाई फिर भी बड़ी हिम्मत करके
कामया- अभी शोरुम जाना नहीं है
कामेश- अरे रास्ते में है देखते चलते है और फिर कल बाहर चला जाऊँगा तो टाइम नहीं मिलेगा और अगर आज कल में छुट्टी दे देते है तो बिल वगेरा भी भर देता हूँ और कहता हुआ गाड़ी दूसरी ओर जहां हास्पिटल था मुड़ गई कामया को जाने क्या हो गया था उसके सामने फिर से वही दृश्य घूमने लगा था वो धीरे धीरे अपनी सांसों को बढ़ने से नहीं रोक पा रही थी वो नहीं जानती थी कि ऐसा उसके साथ क्यों हो रहा था पर वो मजबूर थी वो नहीं चाहते हुए भी अपनी सांसों को कंट्रोल में नहीं रख पा रही थी एक उत्तेजना के असीम सागर में गोते लगाने लगी थी उसके जाँघो के बीच में गीलापन उसे परेशान कने लगा था उसकी सोच टूटी तो वो एक छोटे से हास्पिटल के सामने खड़े थे बहुत बड़ा नहीं था पर सॉफ सुथरा था
सीडिया चढ़ते हुए वो कामेश के पीछे-पीछे ऊपर आ गई ड्रेस पहने हुए नर्स और कुछ ट्रेनी डाक्टर्स घूम रहे थे कामेश और कामया को देखकर वहां खड़े हुए कुछ लोगों ने उन्हें नमस्कार भी किया कामेश को तो शायद वहां के लोग पहचानते ही थे नहीं पहचानते थे तो सभी की निगाहे कामया पर अटक गई थी
टाइट चूड़ीदार पहने हुए पोनी टेल किए हुए बाल लाइट येल्लो कलर का उसमें मेरूँ और ब्लू कलर के चीते लिए हुए कुर्ते में उसका जिस्म एक अद्भुत सा लग रहा था टाइटनेस के कारण उसके शरीर का हर अंग कपड़े के बाहर से ही दिख रहा था और हाइ हील की सँडल के कारण उसका प्रिस्ट भाग भी उभरकर कुछ ज्यादा ही पीछे की ओर निकला हुआ था
कामया को इस तरह की नजर की आदत थी वो जहां भी जाती थी सभी का ध्यान अपनी ओर ही खींच लेती थी सो वो एक बार फिर से अपने होंठों में एक मधुर सी मुश्कान लिए कामेश के पीछे-पीछे जाने लगी थी कामेश ने थोड़ा सा आगे बढ़ कर एक कमरे का दरवाजा खोला अंदर दो तीन बेड पड़े हुए थे एक खाली था और दो भरे हुए थे
कामेश कामया को पीछे से पकड़कर अपने हथेलियों से उसके चूचियां धीरे धीरे गाउनके ऊपर से ही दबाने लगा था और उसके गले पर अपनी जीब फेरने लगा था
कामया- उूुउउफफ्फ़ हमम्म्म आज नहीं प्लीज
कामेश- क्यों
कामया- मन नहीं कर रहा
कामेश- बाप रे तुम्हारा मन नहीं कर रहा
बड़े ही आश्चर्य से कामेश ने कामया के चेहरे को अपनी ओर घुमाकर पूछा कामया को अचानक ही पता नहीं क्यों एक चिड सी लगी
कामया- क्यों मेरा मन नहीं है तो इसमें बाप रे का क्या
कामेश- हाँ… हाँ… ही ही अरे यार भूत के मुख से राम नाम पहली बार सुन रहा हूँ
कामया- छोड़िए मुझे में भूत ही हूँ
पर कामेश जानता था कि कामया को क्या चाहिए उसने फिर से कामया को पीछे से जकड़कर अपनी बाहों में भर लिया और उसके गर्दन और गले पर किस कने लगा था और अपनी हथेलियो को उसकी चुचियों पर बारी बारी से घुमाने लगा था अपने लिंग को भी कामया के नितंबों पर रगड़कर अपनी उत्तेजना को प्रदर्शित कर रहा था
कामया जो कि अपनी सोच से निकलना नहीं चाहती थी पर कामेश की हरकतों से वो भी थोड़ा थोड़ा उत्तेजित होने लगी थी
कामेश- इधर घुमो हाँ… और अपने होंठ दो,
कामया भी बिना ना नुकार के कामेश की ओर पलट गई और अपने होंठों को कामेश को सोप दिया कामेश उसके होंठों को पीता गया और अपने हाथों से उसके गाउनको सामने से खोलकर अपने हाथों को उसके गोल गोल उभारों पर रख कर उनके साइज का सर्वे करने लगा था
कामया- हमम्म्म कहा ना मन नहीं है
कामेश- बस थोड़ी देर हाँ… बस लेटी रहो बाकी में कर लूँगा आज
कामया- प्लीज ना आज नहीं
पर उसके मना करने के तरीके से पता चलता था कि वो चाहती तो थी पर क्यों मना कर रही थी पता नहीं उसके हाथ अब कामेश के सिर और पीठ पर घूमने लगे थे
कामेश- रूको थोड़ी देर बस
कामया- उूउउम्म्म्ममममम ईईईईईईीीइसस्स्स्स्स्सस्स
करती हुई धीरे-धीरे कामेश का साथ देने लगी थी कामेश के किस करने में आज कुछ अलग था वो आज बहुत ही तरीके से किस कर रहा था जोर लगा के उसके पूरे होंठों को अपने मुख के अंदर तक चूसकर घुसा लेता था और फिर अपनी जीब को भी उसके मुख के अंदर तक घुसा ले जाता था उसके हाथ अब थोड़े रफ हो गये थे
उसकी चूचियां खूब जोर-जोर से दबाते जा रहे थे कि तभी कामेश कामया के ऊपर से थोड़ा सा हटा और अपने पाजामे को नीचे की ओर सरका दिया और कामया के हाथ को पकड़कर अपने लिंग पर रखने लगा
कामेश- पकडो इसे
कामया ने कोई ना नुकर नहीं की और झट से उसके लिंग को अपनी कोमल हथेलियो में जकड़ लिया और कामेश को रिटर्न किस करने लगी
कामेश का लिंग टाइट हो चुका था पर अचानक ही उसकी आखों के सामने वो एक मोटा सा और लंबा सा लिंग घूम गया भोला का काले रंग की वो आकृति उसके जेहन में एक अजीब सी उथल पुथल मचा रही थी कसी हुई जाँघो के सामने से झूलता हुआ वो लिंग उसके मन में अंदर तक उसे हिलाकर रख दिया उसकी हथेलिया कामेश के लिंग पर बहुत कस गई और वो कामेश को किस करती हुई उसके लिंग को जैसे निचोड़ने लगी थी कामेश को भी अचानक ही हुए कामया की हरकतों में बदलाव से बेचैनी होने लगी थी वो थोड़ा सा उठा और कामया की जाँघो के बीच से एक ही झटके में उसकी पैंटी को उतार फेका और झट से उसकी योनि में समा गया
कामया भी जैसे तैयार ही थी अंदर जाते ही कामया फिर से एक सेक्स मेनिक बन गई थी अपनी कमर को उछाल कर बहुत ही तेजी से कामेश का साथ देने लगी थी वो जानती थी कि कामेश ज्यादा देर का मेहमान नहीं है पर ना जाने क्यों वो आज बहुत ही कामुक हो उठी थी शायद उसकी बजाह थी वो आकृति जो उसके जेहन में अचानक ही उठ गई थी भोला का सर्पाकार काले और मोटे लिंग की आकृति उसकी माँस पेशियाँ और उसका वो गठीला कद काठी और खा जाने वाली नजर वो अपनी आखों के सामने उस इंसान की याद करके अपने पति का साथ दे रही थी पता नहीं क्यों वो आज कामेश से पहले ही झड गई और एक ठंडी लाश की तरह से कामेश की बाहों में लटक गई
कामेश भी खुश था कि आज वो कामया को संतुष्ट कर सका और अपनी रफ़्तार को बढ़ाए हुए कामया को अब भी भोग रहा था और बहुत ही जोर-जोर से कामया को लगातार किस करता जा रहा था
कामेश- क्यों क्या हुआ आज तो मन नहीं था अन्नाअनाआआआआआआआआआआ हमम्म्ममममममममममम
हान्फते हुए कामेश भी कामया के ऊपर ढेर हो गया
कामया कामेश के नीचे लेटी हुई अपने हाथों से कामेश के बालों को धीरे-धीरे सहलाते हुए कामेश को अपनी बाहों में धीरे से कस्ती जा रही थी जैसे वो नहीं चाहती थी कि कामेश उसके ऊपर से हटे पर अंदर की ओर देखती हुई वो भोला के बारे में सोचने को मजबूर हो रही थी क्यों सोच रही थी वो पर ना जाने क्यों बार-बार उसके जेहन में उस समय का सीन उभरकर आ जाता था उस औरत का और पीछे की ओर से भोला को आगे पीछे होते हुए देखा था उसने वो औरत चिल्ला भी नहीं रही थी यानी कि उसे मजा आ रहा था वो उसका साथ दे रही थी उस सांड़ का उस हबसी का और वो भी दिन के उजाले में छत पर आखिर क्यों
वो औरत कौन थी और भोला के साथ वहां कैसे पहुँची क्या वो औरत उनके यहां ही काम करती है या कौन है पर भोला को मना भी कर सकती थी ऐसा क्या हुआ जो वो छत पर जाके यह सब करना पड़ा इतनी उत्तेजना किसकाम की
पता नहीं सोचते सोचते कब वो सो गई पर रात भर उसके सपने में वो सीन उसके शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना को हवा देता रहा और जब वो सुबह उठी तो उसकी उत्तेजना वैसे ही थी जैसे रात को थी वो पलटी और कामेश की ओर घूमी पर कामेश तो उठ चुका था और शायद नीचे भी चला गया था बाथरूम भी खाली था वो भी जल्दी से उठी और चाय पीने को नीचे आई फिर तो कुछ भी पासिबल नहीं था जल्दी-जल्दी से कामेश और कामया तैयार होकर कॉंप्लेक्स फिर शोरुम और फिर शाम और पूरा दिन यू ही निकल गया रात को भी कुछ ज्यादा बदलाब नहीं हाँ… एक बदलाब जरूर था कामेश अब ज्यादा ही कामया को प्यार करने लगा था रोज रात को कामेश खुद ही कामया को पकड़कर निचोड़ने लगा था और कामया भी उसका साथ देने लगी थी पर एक बदलाब जो कि कामया के जीवन में आ गया था वो था कॉंप्लेक्स में देखा गया वो सीन जो हमेशा ही उसके जेहन में छाया रहता था और उसे उत्तेजित करता रहता था शायद इसीलिए अब हमेशा कामेश की जीत होती थी और कामया की हार पर कामेश खुश था और कामया भी लेकिन कामया थोड़ा सा आब्सेंट माइंडेड हो गई थी वो हमेशा ही कुछ ना कुछ सोचती रहती थी
क्या वो तो कामया के आलवा कोई नहीं जानता था कि उसके जीवन में जो एक उथल पुथल मचने वाली है यह उसके पहले की शांति है यह कामया भी नहीं जानती थी कि जिस अतीत को को वो भुलाकर एक पति व्रता स्त्री का जीवन निभा रही है वो कहाँ तार तार हो जाएगा जिस मेनिक को उसने अपने अंदर दबा रखा था वो खुलकर बाहर आ जाएगा और वो एक सेक्स मशीन में फिर से तब्दील हो जाएगी इसी तरह तीन दिन निकल गये
आज भी हमेशा की तरह कॉंप्लेक्स का काम खतम करके कामेश और कामया शोरुम की ओर जा रहे थे कि रास्ते में अचानक ही
कामेश- सुनो कल शायद मुझे बाहर जाना पड़ेगा
कामया- क्यों कहाँ
कामेश- बॉम्बे कुछ एक्षपोटेर आने वाले है उनसे मिलना है और धरम पाल जी कह रहे थे कि कुछ नये डीलर्स भी ढूँढने पड़ेंगे
कामया- तो
कामेश- तो क्या अब तो तुम ने काफी काम देख भी लिया है और समझ भी चुकी हो थोड़ा बहुत तुम देख लेना और थोड़ा बहुत पापाजी भी मदद कर देंगे
कामया- हाँ… पर कितने दिन के लिए
गाड़ी चलाते हुए
कामेश- पता नहीं, जल्दी नहीं करूँगा एक बार में ही फिक्स करके आउन्गा
कामया- हाँ पर जल्दी आ जाना में और पापा जी ही है घर में मम्मीजी भी नहीं है
कामेश- हाँ वो तो है पर चिंता मत करो भीमा और लाखा है ना उनके रहते कोई चिंता नहीं है
कामया- भी चुपचाप कामेश को देखती रही
कामेश- चलो यहां से जा रहे है तो भोला को भी देखते चलते है शायद आज या कल में उसकी भी छुट्टी हो जाएगी
कामया एकदम से सिहर उठी पता नहीं क्यों उसके शरीर में हजारो चीटियाँ एक साथ रेंगने लगी थी वो वाइंड स्क्रीन के बाहर देख तो रही थी पर जाने क्यों पलटकर कामेश की ओर नहीं देख पाई फिर भी बड़ी हिम्मत करके
कामया- अभी शोरुम जाना नहीं है
कामेश- अरे रास्ते में है देखते चलते है और फिर कल बाहर चला जाऊँगा तो टाइम नहीं मिलेगा और अगर आज कल में छुट्टी दे देते है तो बिल वगेरा भी भर देता हूँ और कहता हुआ गाड़ी दूसरी ओर जहां हास्पिटल था मुड़ गई कामया को जाने क्या हो गया था उसके सामने फिर से वही दृश्य घूमने लगा था वो धीरे धीरे अपनी सांसों को बढ़ने से नहीं रोक पा रही थी वो नहीं जानती थी कि ऐसा उसके साथ क्यों हो रहा था पर वो मजबूर थी वो नहीं चाहते हुए भी अपनी सांसों को कंट्रोल में नहीं रख पा रही थी एक उत्तेजना के असीम सागर में गोते लगाने लगी थी उसके जाँघो के बीच में गीलापन उसे परेशान कने लगा था उसकी सोच टूटी तो वो एक छोटे से हास्पिटल के सामने खड़े थे बहुत बड़ा नहीं था पर सॉफ सुथरा था
सीडिया चढ़ते हुए वो कामेश के पीछे-पीछे ऊपर आ गई ड्रेस पहने हुए नर्स और कुछ ट्रेनी डाक्टर्स घूम रहे थे कामेश और कामया को देखकर वहां खड़े हुए कुछ लोगों ने उन्हें नमस्कार भी किया कामेश को तो शायद वहां के लोग पहचानते ही थे नहीं पहचानते थे तो सभी की निगाहे कामया पर अटक गई थी
टाइट चूड़ीदार पहने हुए पोनी टेल किए हुए बाल लाइट येल्लो कलर का उसमें मेरूँ और ब्लू कलर के चीते लिए हुए कुर्ते में उसका जिस्म एक अद्भुत सा लग रहा था टाइटनेस के कारण उसके शरीर का हर अंग कपड़े के बाहर से ही दिख रहा था और हाइ हील की सँडल के कारण उसका प्रिस्ट भाग भी उभरकर कुछ ज्यादा ही पीछे की ओर निकला हुआ था
कामया को इस तरह की नजर की आदत थी वो जहां भी जाती थी सभी का ध्यान अपनी ओर ही खींच लेती थी सो वो एक बार फिर से अपने होंठों में एक मधुर सी मुश्कान लिए कामेश के पीछे-पीछे जाने लगी थी कामेश ने थोड़ा सा आगे बढ़ कर एक कमरे का दरवाजा खोला अंदर दो तीन बेड पड़े हुए थे एक खाली था और दो भरे हुए थे
मित्रो नीचे दी हुई कहानियाँ ज़रूर पढ़ें
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete