बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete

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prkin

Re: बड़े घर की बहू

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पर लाखा के दिमाग में कुछ और ही था वो झट से कामया को अपनी गोद में फिर से उठा लिया और धीरे से बाथरूम की ओर चल दिया और बाथरूम के डोर को खोलकर उसे पॉट पर बिठा दिया वैसे ही नंगी
लाखा- करले बहू आज नहीं छोड़ूँगा एक मींनट के लिए भी नहीं और खुद भी नंगा उसके सामने खड़ा हुआ अपने लिंग को उसके चहरे पर अपने हाथों से मारने लगा था कामया जिंदगी में पहली बार किसी इंसान के सामने वैसे पॉट पर बैठी थी शायद जिंदगी में अपने पति के सामने भी वो यह नहीं कर पाई थी पर लाखा के सामने वो एक असहाय नारी की तरह पॉट पर बैठी हुई उसके लिंग को अपने चहरे पर घिसते हुए देख रही थी तभी बाथरूम के दरवाजे पर भीमा भी नजर आया और वो भी अंदर आ गया वो भी अपने हथियार को अपने हाथों से सहलाते हुए कामया की ओर देखते हुए अंदर आते जा रहा था कामया से और नहीं रोका गया और वो पॉट पर बैठी बैठी पिशाब करने लगी दोनों के सामने लाखा काका ने जैसे ही आवाज सुनी तो वो थोड़ा सा मुस्कुराए और थोड़ा सा आगे बढ़ कर अपने लिंग को कामया के चेहरे पर घिसते हुए उसके होंठों से घिसने लगे थे कामया जानती थी कि क्या करना है उसने भी कोई आना कानी नहीं की और अपने गिलाबी होंठों के अंदर उस बड़े से लिंग को ले लिया और धीरे-धीरे अपने जीब से उसे चाटने लगी थी लिंग बहुत सख़्त नहीं था थोड़ा सा ढीला था पर आकृति वैसे ही थी मोटा सा और काला सा तभी उसे अपने गालों के पास एक और लिंग आके टकराया वो भीमा चाचा का लिंग था वो अपने होंठों को लाखा काका के लिंग से अलग करके भीमा चाचा के लिंग पर झुक गई और एक हाथ में लाखा काका के लिंग को घिसते हुए दूसरे हाथ से भीमा चाचा के लिंग को पकड़कर अपने मुख के अंदर डाल लिया वो भी थोड़ा सा ढीला था पर उसके हाथों में आते ही जैसे जादू हो गया था वो धीरे धीरे अपने आकार में आने लगा था एक हाथ में लाखा काका का लिंग और दूसरे में हाथों में भोला चाचा का लिंग लिए वो चूस रही थी और पॉट के ऊपर बैठी हुई वो यह सब करती जा रही थी


उसे मना करने वाल कोई नहीं था और नहीं कोई आपत्ति करने वाला वो जो चाहती थी कर सकती थी कैसे भी और कितनी भी देर तक जाने क्यों उसे यह सब अच्छा लग रहा आता एक औरत को दो-दो आदमी एक साथ प्यार करे और उसे कैसा लग रहा हो यह कोई पूछे तो शायद कोई जबाब ना ही मिले पर कामया को यह खेल पसंद आया था वो पूरे तल्लीनता के साथ एक के बाद एक लिंग को अपने होंठ के पास लाती और झट से अपने मुख में घुसाते हुए अपनी जीब से चूसती जाती दोनों खड़े-खड़े नीचे बहू की हरकतों को देख रहे थे और अपने जीवन के सुख से परिचित हो रहे थे वो इस सुख की कल्पना भी नहीं किए थे की बहू उन्हें वो सुख दे जाएगी जिसे भोगने के लिए पता नहीं इंसान क्या-क्या जतनकरता है फिर भी उसे नसीब नहीं होता वो दोनों भी अपने मुख को ऊपर उठाए हुए बाथरूम के अंदर ही कामया को इस खेल का मास्टर बना चुके थे जब जब कामया के होंठ उनके लिंग को चूसकर मुख से बाहर निकालते थे तो एक सिहरन सी उठ जाती थी उनके शरीर में दोनों का लिंग बारी बारी चूसती हुई कामया को अब उनके लिंगो को पकड़ने की जरूरत नहीं थी अब उसने उनको छोड़ कर, चाचा और काका को कमर से पकड़ लिया था और अपने मुख के पास खींचने लगी थी उसकी नरम नरम हथेलिया काका और चाचा के सख़्त नितंबों पर घूम घूमकर उसकी रचना और गोलाई और मर्दाने पन का एहसास भी करने लगी थी कामया फिर से आतुर थी और वो अब तैयार थी अपनी 3री पारी के लिए एक-एक करके दो पारी तो वो खेल चुकी थी पर इस बार वो जरूरत से ज्यादा तैयार थी दोनों चाचा और काका ने उसकी दोनों जाँघो को अपनी टांगों के बीच में दबा रखा था और बहुत जोर लगा कर उसे अपनी जाँघो से ही दबाते जा रहे थे अपने हाथों से दोनों एक के बाद एक उसके सिर और चहरे पर अपनी हथेलियो को फेरते जाते थे शायद अपने प्यार को दिखने का तरीका था या फिर जो सुख कामया उन्हें दे रही थी उसे प्रदर्शित करने का यही एक तरीका था उनके पास कामया अब भी दोनों के लिंग को बारी बारी अपनी जीब और होंठों से चाट-ती और चुबलती जा रही थी और बीच बीच में थक कर अपने चहरे को उनके लिंग के आस-पास घिसते भी जा रही थी अब उसकी जाँघो के बीच से पानी जैसा कुछ बहने लगा था वो तैयार थी और बहुत तैयार वो अब नहीं रुक पा रही थी अपना चहरा उठाकर वो दोनों की ओर देखने लगी थी लाखा और भीमा भी एकटक कामया की ओर ही देख रहे थे
कामया- आअह्ह सस्स्स्स्स्स्शह चाचा आआआअ प्लीज ईईईई अब करो
भीमा- आआह्ह बहू
लाखा- उूुुुुउउम्म्म्मममम
नीचे झुक कर, लाखा ने कामया के होंठों को अपनी गिरफ़्त में लेलिया और कस कर अपनी उत्तेजना को दिखाने लगा था वो एक ही झटके में बहू को फिर से अपनी गोद में खींचकर उठा लिया था और बिना किसी परेशानी के उसे उठाकर बाहर की तरफ लगभग दौड़ता हुआ निकला कामया की दोनों जांघे लाखा काका की कमर के दोनों तरफ से कस गई थी उसे पीछे से भी अपने नितंबों पर दो हथेलियों का स्पर्श सॉफ महसूस हो रहा था जो की उसके गुदा द्वार तक जाते थे और फिर वापस उसके गोल गोल नितंबों का आकार प्रकार नापने में मस्त हो जाते थे वो वैसे ही लटकी हुई अपने रूम में आ गई थी काका का लिंग उसकी योनि और नितंब के बीच में टकरा रहा था और गरम गर्म सा एहसास उसके अंदर एक अजीब सी हलचल मचा रहा था वो जैसे ही रूम में पहुँची लाखा काका ने बिना किसी देर के झट से अपने को बिस्तर पर लिटा लिया और कामया को अड्जस्ट करते हुए उसे ऊपर बिठाकर अपने लिंग को उसकी योनि के अंदर कर दिया लिंग को बिना किसी तकलीफ के एक ही झटके में अंदर तक समा गया जैसे वो रास्ते को जानते थे या फिर वो इतना साफ था कि उसे कोई तकलीफ ही नहीं हुई भीमा चाचा भी पीछे से कामया के नितंबों को अपने हाथों और होंठों से प्यार कर रहे थे और बीच बीच में उसके गुदा द्वार पर भी सहलाते जाते थे कामया के अंदर जैसे एक सेक्स का सागार जनम ले रहा था उत्तेजना के साथ ही एक अजीब सा सुख उसे मिल रहा था जो की आज तक उसने एहसास नहीं किया था जब भी भीमा चाचा उसके गुदा द्वार को छूते वो एक झटके से आगे की ओर होती थी नीचे लेटे लाखा काका को भी इस बात का एहसास होता और वो अपने गंतव्य की ओर एक कदम आगे बढ़ जाते आज पता नहीं क्यों कामया की उत्तेजना शिखर पर थी दो बार झड़ने के बाद भी वो अब तक उत्तेजित थी कि शायद पूरी रात वो इन दोनों के साथ इस खेल में शामिल रह सकती थी पर जो भीमा चाचा कर रहे थे वो उसके लिए नया था वो लगातार उसके गुदा द्वार को छेड़ रहे थे और अचानक ही उनकी एक उंगली भी उसके अंदर चली गई वो एक झटके से आगे की ओर हुई पर कहाँ भीमा की उंगली और भी अंदर तक जाती चली गई वो पलटकर कुछ कहने वाली थी कि लाखा काका की बालिस्ट हथेलियों ने उसकी गर्दन को कस कर पकड़ लिया और अपने होंठों पर झुका लिया वो अपने होंठों को काका के होंठों से अलग नही कर पाई थी और उनका साथ देने लगी थी भीमा चाचा की उंगलियाँ अब धीरे-धीरे उसके गुदा द्वार के अंदर-बाहर होने लगी थी बहुत ही धीरे-धीरे पर वहाँ ल्यूब्रिकेशन ना होने के कारण उसे थोड़ा सा दर्द भी हो रहा था और एक अंजान सा डर उसके जेहन में घर करता जा रहा था वो अपनी कमर को हिलाकर और अपने गुदा द्वार को सिकोड कर भीमा चाचा को रोकने की कोशिश करती जा रही थी अपने हाथों को पीछे की ओर लेजाकर वो अपने गुदा द्वार को ढकने की भी कोशिस कर रही थी पर सब बेकार भीमा चाचा तो अपने काम में लगे हुए थे और अपनी उंगलियों को अब बहुत तेजी से अंदर-बाहर करने लगे थे कामया के मुख से चीख निकलने लगी थी पर जाने क्यों उसे अच्छा भी लगने लगा था वो इस खेल में नई थी पर आगे से लाखा काका अपना कमाल दिखा रहे थे और पीछे से भीमा चाचा उसके अंदर बाहर अपनी उंगलियों को कर रहे थे जिससे कि वो और भी तेजी से आगे पीछे होने लगी थी और बहुत ही तेजी से अपने मुकाम की ओर भागने लगी थी नीचे पड़े हुए लाखा काका की स्पीड भी अब लगभग किसी एंजिन की तरह हो गई थी होंठों को होंठों से जोड़े हुए बिना रुके लगातार झटके पर झटके दे रहे थे अचानक ही कामया को अपने पीछे किसी गाढ़े चिप चिपे तेल जैसी किसी चीज का अहसास हुआ वो कुछ करती इतने में भीमा चाचा के लिंग का एहसास उसे अपने गुदा द्वार पर हुआ वो चौंक गई यह क्या कर रहा है यह पागल वहां भी कोई करता है पर कुछ कहती उससे पहले ही भीमा चाचा का लिंग हल्के से उसके अंदर समा गया वो एक लंबी सी चीख के साथ ही पलट गई पर लाखा की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो अपने अंदर से उस मान्स्टर को निकालने में सफल तो हो गई पर अपने को नीचे नही ला पाई फिर से वो उस स्थिति में आ गई थी जैसे वो पहले थी पर एक डर उसके अंदर समा गया था अगर फिर से भीमा चाचा ने कोशिश की तो नहीं यह नहीं चलेगा उंगली तक तो बात ठीक थी पर वो नहीं बहुत बड़ा है अगर वो अंदर गया तो तो वो मर जाएगी नहीं मर फिर से जैसे ही वो अपनी जगह पर पहुँची भीमा चाचा की उंगली फिर से उसके गुदा द्वार के अंदर-बाहर होने लगी थी जैसे तैसे अपने मुख को काका के होंठों से अलग करके

कामया- नहियीईईईई चाचा आआआआअ वहां नहीं प्लीज ईईईईई
पर कहाँ भीमा मानने वाला था वो लगातार अपनी उंगली को बहू के अंदर-बाहर करता जा रहा था नीचे से लाखा भी उसे निरंतर धक्के देता हुआ उसे ऊपर-नीचे कर रहा था और अब तो पीछे से भी यही हाल था भीमा चाचा की उंगली तो अब कमाल करने लगी थी कामया की ना नुकर अब बंद थी बल्कि लंबी-लंबी सांसें लेती हुई वो हर झटके के साथ लगातार अपने एक नये मुकाम पर पहुँचने वाली थी तभी शायद नीचे से लाखा ने उसे कस कर जकड़ लिया था और वो उससे लिपट गई थी पर हाँ… अब उसे भीमा चाचा से परेशानी नहीं थी वो अपने लिंग को वहां नहीं डाल रहे थे वो सिर्फ़ अपनी उंगलियों को ही वहां चला रहे थे और तेज और तेज वो अपनी योनि के साथ-साथ अपने नितंबों को भी सिकोड़ कर अपनी उत्तेजना को अंदर तक समेटने की कोशिश में लगी थी कि लाखा काका की गिरफ़्त में वो लगातार हर झटके के साथ अपनी योनि से एक लंबी सी धार लिकलते हुए महसूस कर रही थी पर पीछे का आनंद तो लगा तार बढ़ने लगा था भीमा चाचा की उंगलियां अब उसके गुदा द्वार के अंदर और बहुत ही अंदर तक समा जाती थी और उसे कोई तकलीफ भी नहीं बल्कि उसे तो मजा आने लगा था वो निढाल सी काका के ऊपर लेटी हुई थी पर अपने नितंबों को जरूर पीछे करते हुए भीमा चाचा का साथ दे रही थी और भीमा चाचा भी अब लगातार अपनी स्पीड बढ़ाने लगे थे जो कि एक अजीब सी हलचल उसके अंदर तक मचा रहे थे कामया ने अपनी पूरी जान लगाकर पीछे की ओर एक बार देखा भीमा चाचा अपने लिंग को अपने हाथों में पकड़े हुए झटके दे रहे थे और आगे पीछे कर रहे थे और एक हाथ से वो उसके गुदा द्वार के अंदर अपनी उंगलियां आगे पीछे कर रहे थे एक आवाज उसके कानों में टकराई
लाखा- कमाल की है तू बहू मजा आ गया
कामया- हाँ… आअह्ह और नहीं चाचा आआआआअ प्लीज अजीब सा लग रहा है
भीमा- रुक जा बहू आज के बाद तू कभी मना नहीं करेगी रुक जा इसे पकड़
और थोड़ा सा आगे बढ़ कर उसने अपने लिंग को कामया के हाथों में पकड़ा दिया

तभी नीचे से लाखा हट गया और कामया बेड पर आ गई थी वो अब भी वैसे ही स्थिति में थी पीछे की ओर अपने नितंबों को उठ कर साइड दे भीमा चाचा के लिंग को अपनी गिरफ़्त में लिए हुए अपने गुदा द्वार के अंदर-बाहर होते उनकी उंगलियां के मजे लेते हुए वो और भी नीचे एक ओर झुक गई थी पता नहीं क्या हुआ पर वो अपने आपको संभाल नहीं पाई और अपनी उत्तेजना को फिर से बढ़ते देखकर उसने झट से भीमा चाचा के तकड़े लिंग को झट से अपने मुख के अंदर कर लिया और खूब जोर-जोर से चुबलने लगी अब वो बेड पर थी और उसके नितंब अब पीछे की ओर हो गये थे और वो नीचे झुक कर भीमा चाचा के लिंग पर झुकी हुई थी भीमा चाचा का हाथ अब उसके नितंबों तक ही पहुँच पा रहा था गुदा द्वार उसकी पहुँच से दूर हो गया था पर नहीं वो बची नहीं थी एक उंगली फिर से उसके अंदर समा गई थी पीछे से वो लाखा काका की उंगली थी वो भी वैसे ही बहुत तेजी से उसके अंदर बाहर होने लगी थी और एक साथ उसकी योनि के अंदर भी दो उंगलियां एक पीछे और एक आगे जैसे लगता था कि अंदर से किसी चीज को जोड़ने की कोशिस में थे वो लगातार हो रहे इस तरह के आक्रमण से कामया थक गई थी और उसके अंदर अब इतनी ताकत नहीं थी कि किसी को मना कर पाई ना ही उसके घुटनों में ही इतनी ताकत बची थी कि अपने नितंबों को उँचा उठाकर रख पाई धीरे-धीरे अपने घुटनों को सीधा करते हुए वो बेड पर लेट गई थी कि तभी उसके चहरे पर गरम-गरम वीर्य एक साथ बहुत सारा झटके देता हुआ भीमा का लिंग छोड़ गया वो अपने अंदर उठ रही 4थी बार एक उमंग को शांत होते हुए भी पाया जो कि लाखा काका की उंगलियों का ही कमाल था जो कि अब भी लगातार उसकी योनि और गुदा द्वार के अंदर-बाहर उसी स्पीड से हो रहा था वो अब पीठ के बल लेटी हुई थी और अपने अंदर की उमँगो को हर झटके के साथ अपनी कमर को उठाकर निकाल रही थी अपनी योनि से वो निढाल होकर पड़ी रही और सबकुछ शून्य हो गया बहुत दूर से कुछ आवाज उसके कानों में टकरा रही थी लाखा काका और भीमा चाचा की उसे समझ नहीं आया और वो एक गभीर निद्रा की चपेट में चली गई थी
भीमा- मजा आ गया आज तो
लाखा- हाँ यार गजब की है बहू अपनी पर सताया बहुत इसने
भीमा- अरे तू ही तो बेसबरा हो रहा था मुझे तो पता था की जिस दिन टाइम मिलेगा बहू फिर से अपने पास आएगी
लाखा- हाँ यार तेरी बातों में दम है ही ही
और दोनों धीरे से उस कमरे से बाहर की ओर निकल गये


कामया वैसे ही रात भर अपने बिस्तार पर पड़ी रही उसके शरीर में जब जान आई तो सुबह हो चुकी थी वो एकदम फ्रेश थी सुबह की धूप उसके कमरे में पर्दे से छन कर आ रही थी वो एक झटके से उठी और घड़ी की ओर देखा
कामया- बाप रे 11 बज गये है
झट से बाथरूम में जाकर फ्रेश हुए और फोन उठकर किचेन का नंबर डाईयल किया
भीमा- जी
कामया- पापाजी कहाँ है
भीमा- जी कमरे में तैयार ही रहे है चाय लाऊ बहू
कामया- हाँ… जल्दी
थोड़ी देर में ही डोर में आवाज़ आई और भीमा चाचा पहली बार उसके कमरे में चाय लेकर आए
टेबल पर रखकर वो कामया को देखते हुए
भीमा- कुछ और बहू
कामया- नहीं जाओ
उसकी नजर जब भीमा चाचा से टकराई तो उनके चहरे में एक-एक अजीब सी, शरारत थी और एक मुश्कान भी वो झेप गई और वही खड़ी रही तब तक जब तक वो बाहर नहीं चले गये

जल्दी से चाय पीकर वो तैयार होने लगी बहुत ही सलीके से तैयार हुई थी आज वो टाइट चूड़ीदार था और कुर्ता जो की उसके शरीर के हर भाग को स्पष्ट दिखाने की कासिश कर रहा था हर उतार चढ़ाव को साफ-साफ दिखा रहा था लाल और ब्लच का कॉंबिनेशन था पर ज्यादा ब्लैक था

सिल्क टाइप का कपड़ा था और उसपर एक महीन सा चुन्नी उसके इस शरीर पर गजब ढा रहा था बालों को सिर्फ़ एक क्लुचेयर के सहारे सिर्फ़ पीछे बाँध लिया था और बाकी के खुले हुए थे जोकि उसके स्लीव्ले कुर्ते से होकर गले के कुर्ते के ऊपर पीठ तक आते थे कसे हुए कुर्ते के कारण पीछे से गजब की खूबसूरत लग रही थी कामया एक बार फिर से दर्पण में अपने को निहारने के बाद वो झटके से अपना पर्स उठाकर कमरे से बाहर निकलकर लगभग उछलती हुई सी सीढ़िया उतरने लगी थी पापाजी को डाइनिंग स्पेस पर बैठे देखकर वो थोड़ा सा सकुचा गई थी और धीरे-धीरे कदम बढ़ा कर डाइनिंग टेबल पर आ गई थी
पापाजी- आज बहुत देर तक सोई तुम
कामया- जी वो रात नींद नहीं आई इसलिए
पापाजी- हाँ… जल्दी सो जाया करो नहीं तो सुबह के काम में फरक पड़ जाएगा हाँ…
कामया- जी
और झुक कर अपना खाने में जुट गये थे दोनों बातें काम और जल्दी ही दोनों खाना खतम करके बाहर की ओर हो लिए बाहर लाखा काका हमेशा की तरह नजर नीचे किए दोनों का इंतजार करते मिले पापाजी और कामया के बैठने के बाद झट से ड्राइविंग सीट पर जम गया
पापाजी- लाखा एक काम कर पहले बहू को कॉंप्लेक्स छोड़ देते है और जरा हमें मार्केट की ओर ले चल थोड़ा काम है
लाखा- जी
पापाजी- एक काम करते है बहू तुमको कॉंप्लेक्स छोड़ देता हूँ पहले फिर मुझे थोड़ा मार्केट में काम है जाते हुए तुम्हें लेता हुआ चलूँगा
कामया- जी पर क्या आप वापस आएँगे
पापाजी- हाँ… क्यों
कामया- जी नहीं वो में सोच रही थी कि आप शोरुम चले जाइए जब मुझे आना होगा में आपको फोन कर दूँगी तो आप गाड़ी भेज देना
पापाजी- यह भी ठीक है
कामया- जी
और गाड़ी अपनी रफ़्तार से कॉंप्लेक्स की ओर दौड़ पड़ी कॉंप्लेक्स के बाहर पहुँचते ही वहां एक सन्नाटा सा छा गया था बड़े साहब की गाड़ी जो थी सब थोड़ी देर के लिए अटेन्शन में थे फिर दो एक आदमी दौड़ते हुए गाड़ी की ओर आए पापाजी के साथ कामया भी उतरी जैसे कोई अप्सरा हो हर किसी की नजर एक बार तो कामया के हुश्न के दीदार के लिए उठे ही थे और कुछ आहे भर कर शांत भी हो गये थे

पापाजी के साथ कामया भी आगे बढ़ी और इधर उधर देखती हुई अपने आफिस की ओर बड़ी थी पीछे-पीछे बहुत से लोग पापाजी को ओर उसे कुछ समझाते हुए आगे पीछे बने हुए थे थोड़ी देर बाद ही पापाजी अपने काम से निकल गये और कामया अकेली रह गई आज पहला दिन ऐसा था जब कामया अपने आप कॉंप्लेक्स के काम को अकेला देखने के लिए रुकी थी नहीं तो हमेशा ही कामेश या फिर पापाजी उसके साथ ही होते थे


आफिस में हर कोई कामया मेडम के आस-पास होने की कोशिश कर रहा था हर कोई अपने आवाज में सहद घोल कर और आखों में और चेहरे में एक मदमस्त मुश्कान लिए कामया मेडम को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहा था कामया यह बात अच्छे से जानती थी कि क्यों आज लोग उसके आस-पास और इतनी सारी बातें उससे शेयर कर रहे है कोई कुछ बताने की कोशिस कर रहा था तो कोई कुछ हर कोई अपनी इंपार्टेन्स उसके सामने साबित करने की कोशिश
कर रहा था थोड़ी देर में ही कामया को जो जानना था वो जान चुकी और एक-एक करके सारे लोग उसके केबिन से विदा हो गये अब वो अकेली रह गई थी थोड़ी देर में ही आफिस में सन्नाटा सा छा गया था बाहर चहल पहल थोड़ी सी रुक गई थी वो थोड़ा सा सचेत हुई कि क्या बात है पर जब घड़ी में नजर गई तो लंच टाइम था शायद इसलिए सबकुछ शांत था वो भी चहल कदमी करती हुई अपने केबिन से निकली और आफिस को देखती हुई बाहर की ओर चल दी दौड़ता हुआ उसका चपरासी उसके पीछे आया
चपरासी- मेडम
कामया- हाँ…
चपरासी- जी कुछ
कामया- नहीं नहीं आप जाइए हम थोड़ा सा काम देखकर आते है
चपरासी- जी और चपरासी हाथ बाँधे हुए अपनी नजर नीचे किए हुए पीछे हट गया कामया अपने आफिस से निकलते ही उसने एक नजर पूरी बिल्डिंग में घुमाई हर कही कोई ना कोई काम कर रहा था कुछ लोग खाना खा रहे थे कामया को देखकर थोड़ा सा चौके जरूर पर कामया के हाथ ऊपर करने से वो सहज हो गये और अपने काम में लगे रहे घूमते हुए कामया थोड़ा बाहर की ओर निकली और सामने का काम देखते हुए थोड़ा और बाहर वो देखना चाहती थी कि कॉंप्लेक्स सामने से कैसा देखता है सो वो थोड़ा और आगे बढ़ कर सामने से उसे देखती रही सच में जब बनकर तैयार होगा तो अकेला ही दिखेगा एक नजर घुमाकर उसने कॉंप्लेक्स और मल्टी प्लेक्स की ओर देखा फिर विला की ओर घूम गई वो उसके
बारे में भी थोड़ा बहुत जानने की कोशिस करना चाहती थी आगे बढ़ते हुए साइड की ओर देखती जा रही थी छोटे छोटे झुग्गी टाइप बने हुए थे साइट पर काम करने वाले वर्कर वही रहते थे कुछ गंदे से बच्चे वही रेत और मिट्टी में खेल रहे थे शायद माँ बाप दोनों काम पर थे इसलिए उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था थोड़ा आगे चलने पर वो थोड़ा सा ठिठकी उसे कुछ याद आया वो थोड़ा सा रुकी और एक बार अपने चारो ओर देखती रही उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई हथेलिया आपस में जुड़ गई थी और कदम भारी से होचले थे उसपर किसी की नजर नहीं थी सब अपने काम में व्यस्त थे एक बार फिर उसके कदम आगे की ओर बढ़े और पास में खेल रहे कुछ बच्चो को उसने हँसकर देखा एक छोटी सी लड़की उसके जबाब में मुस्कुराई
कामया- यहां रहती हो
वो लर्की- (मुस्कुराते हुए अपना सिर हिला दिया )
कामया- और कौन रहता है यहां
वो लड़की- (कुछ नहीं कहा बस मुस्कुराती रही )
कामया- अच्छा वो भोला कहाँ रहता है (कामया का गला सुख गया था पूछने में )
झट से पूछकर वो एक बार पीछे घूमकर देखने लगी शायद उसे डर था कि किसी ने उसकी आवाज तो नहीं सुनी
prkin

Re: बड़े घर की बहू

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उस लड़की ने अपने छोटे से हाथों को उठाकर एक कोने में बनी थोड़ी सी मजबूत सी घर की ओर इशारा कर दिया और आपस में फिर से खेल में मस्त हो गये और एक दूसरे के पीछे भागने लगे कामया उस ओर देखती रही बिल्कुल शांत था वहां का माहॉल बस बच्चो के खेलने और साइट से कुछ आवाजें इधार जरूर आती थी वो अपने कदम को धीरे-धीरे उस ओर बढ़ा रही थी जाने क्यों वो भोला को ढूँढ़ रही थी क्या काम था उसे वो तो अचानक ही उसे याद आ गया था कि कामेश ने कहा था कि कन्स्ट्रक्षन साइट वाले घर में नहीं जाना तो आखिर वो रहता कहाँ है शायद यही देखना चाहती थी वो
थोड़ा आगे बढ़ कर वो जब उस कमरे के सामने पहुँची तो दरवाजा भिड़ाया हुआ सा था थोड़ा बहुत खुला था एक माटमेला सा परदा भी था पकिंग वुड से बना दरवाजा सिर्फ़ कहने को दरवाजा था और कुछ नहीं अंदर कोई हलचल नहीं थी ना कोई आवाज वो थोड़ा सा झुक कर उस दरवाजे के पास जाके हाथों से एक थपकी दी कोई आवाज नहीं शायद नहीं है कामया ने सोचा फिर भी मन नहीं माना एक जोर दार थपकी फिर दी
अंदर से एक तेज आवाज बाहर आई
भोला- कौन है बे
कामया सुन्न रह गई उस कड़कती हुई आवाज को सुनकर जानवर सा वर्ताब है इस भोला का तो सच में इंसान कम जानवर ज्यादा है यह वो बिना कुछ आवाज देकर वापस पलट गई जाने को पर पीछे से आवाज फिर आई

भोला- कौन है साले गोली मार दूँगा अंदर आ ******* (भद्दी सी गाली देकर एक बार फिर से उसकी आवाज गूँजी )
कामया के हाथ पाँव फूल गये थे क्या करे वापस चल देती हूँ क्यों आई यहां मरने दो इसको मर ही जाना चाहिए इसे किसी जानवर से कम नहीं है इतनी बत्तमीजी पर कुछ करती इतने में झट से दरवाजा खुला और सिर्फ़ एक लूँगी पहने भोला उसके सामने अंधेरे में खड़ा था अंदर होने के कारण उसपर धूप नहीं पड़ रही थी और अंदर कोई इतना वेंटिलेशन नहीं था कि अंदर लाइट हो ढीली बँधी हुई लूँगी उसके कमर के चारो और बस झूल रही थी कामया को देखकर एक बार तो भोला भी सन्न रह गया पर एक मुश्कान उसके चहरे पर दौड़ गई और
भोला- आइए मेम साहब क्या बात है आज आप यहां कैसे
कामया थोड़ा सा सहज होकर अपने गले को तर करते हुए इधर उधर देखने लगी थी उसकी सांसें फूल रही थी और स्पष्ट दिख रहा था कि वो बेचैन है

भोला- आइए अंदर आइए यहां तक आई है तो थोड़ा सा पानी पीकर जाइए हाँ…
पर कामया वही खड़ी रही हिली तक नहीं वो अंदर जाना नहीं चाहती थी कितना गंदा सा था वो जगह ब्रिक्स से बना था ऊपर टीन की चद्दर थी रोशनी के नाम पर कुछ नहीं गंदी सी बदबू उसके नाक में घुस रही थी भोला दरवाजे के पास थोड़ी सी जगह बना के खड़ा था एक हाथ से अपनी लूँगी पकड़े जो कि शायद ढीली थी और एक हाथ से दरवाजे से टिक कर उसके सीने और कंधो पर अब भी पट्टी बँधी थी पेट के पास भी कमर के पास छिला हुआ था तभी भोला की आवाज ने उसे चोका दिया

भोला- वहां खड़ी रही तो कोई देख लेगा मेमसाहब कि आप यहां खड़ी है
और कुछ कहती या करती तब तक तो भोला के सख़्त हाथों ने उसे अंदर खींच लिया था वो लगभग चीखती हुई सी अंदर पहुँच गई थी उसकी चुन्नि उसके कंधे से, नीचे गिर पड़ी थी एक तरफ से और लड़खड़ाती हुई सी वो अंदर हो गई भोला ने पीछे से दरवाजा बंद कर दिया और उसके पास से गुज़रते हुए उसके गोल गोल नितंबों पर अपनी हथेलिया फेरते हुए वापस अपने बेड पर जाके लेट गया वैसे ही अधनन्गा
एक सिहरन सी दौड़ गई थी कामया के शरीर में पर हिम्मत करके
कामया- दरवाजा बंद क्योंकिया
भोला- खोल दीजिए मेमसाहब हमें क्या
पर कामया नहीं हिली खोल दो अगर किसी ने देख लिया तो यह कहाँ आ गई वो और क्यों और तो और इस भोला की हिम्मत तो देखो बिना कुछ कहे ही उसके शरीर को भी छू गया और वो कुछ नहीं कह सकी एक आवाज ने उसका ध्यान खींचा भोला अपने पैरों से बेड के पास पड़े हुए टीन के एक चेयर को खींच रहा था और ठीक बेड के पास ला के छोड़ दिया थोड़ा सा उठा और अपने हाथों से थोड़ा सा और आगे खींचा और कामया की ओर देखता हुआ

भोला----बैठिए मेमसाहब इस गरीब के घर में यही है बस

कामया हिली तक नहीं वो जाना चाहती थी पर ना जाने क्यों उसके कदम जम गये थे वो चाह कर भी अपने कदम को हिला नहीं पा रही थी उसकी सांसें फूल रही थी और नाक से सांस लेना दूभर हो गया था पर ना जाने क्यों वो वहां खड़ी थी और भोला कामया को लेटे लेटे देख रह आता लंबी सी खूबसूरत सी कामया काले रंग का टाइट चूड़ीदार पहने एक अप्सरा सी लग रही थी उसकी चुन्नि डल जाने के कारण उसकी गोल गोल गोलाइया उसे साफ-साफ देखाई दे रही थी वो लेटे लेटे उस सुंदरता का रस पान कर रहा था वो जानता था कि कामेश यहां नहीं है और कामया आज फिर उसके पास क्यों आई है वो एक चरित्रहीन मनुष्य था लड़कियों और औरतों के बारे में उसे कुछ ज्यादा ही मालूम था किस औरत को कैसे और कहाँ चोट करने से वो उसके काबू में आएगी वो जानता था

एक हाथ बढ़ा कर उसने फिर से कामया की कोमल सी हथेलियो को पकड़ा और खींचते हुए उसे बेड के पास खींच लिया कामया पहले तो थोड़ा सा जोर लगाकर खड़ी रही पर भोला के शक्ति के आगे वो कुछ ना कर सकी खींचती हुई वो बेड के पास पहुँच गई
कामया- नहीं प्लीज़
भोला- बैठिया ना मेमसाहब कहाँ खो गई है आप कब तक खड़ी रहेंगी
और अपने पैरों से फिर से उस टीन के चेयर को और भी बेड के पास खींच लिया वो अब लगभग उसके पेट के पास पड़ा था कामया का हाथ अब भी भोला की सख़्त गिरफ़्त में था और वो उसे खींचता हुआ सा उस चेयर पर बैठने की कोशिश कर रहा था कामिया ने भी जोर लगाना छोड़ दिया और ना चाहते हुए ही उस चेयर पर बैठ गई थी उसके घुटने बेड की ओर थे और वो बेड को छू रहे थे बैठने में थोड़ी सी असुविधा हो रही थी पर पता नहीं क्यों वो कुछ भी नहीं कर पा रही थी वो चाहती तो कब का यहां से निकल जाती या फिर उस भोला को खींचकर एक चाँटा लगाती और उसकी गुस्ताखी की सजा दे सकती थी पर क्यों वो चुप थी उसे नहीं पता बल्कि वो अपनी सांसों को कंट्रोल करती जा रही थी उसकी सांसें जब से वो यहां आई थी लगातार उसका साथ नहीं दे रही थी वो फुल्ती ही जा रही थी

वो बड़े मुश्किल से अपने सांसों को अपने अंदर थामे हुए थी और निरंतर अपने से लड़ते हुए अपने को सामान्य दिखाने की कोशिश कर रही थी उसने बैठे ही भोला ने उसकी जाँघो में एक प्यार भरी थपकी दी और मुस्कुराते हुए
भोला- हो यह हुई ना बात बड़ी अच्छी लड़की हो तुम
अचानक मेम्साब से लड़की और वो भी अच्छी यह क्या हो रहा है कामया का शरीर अब सनसना रहा था भोला के गरम-गरम और लोहे जैसे कठोर हाथों ने जब उसके जाँघो को थपकी दी तो वो उसके चूड़ीदार को छूकर उसकी जाँघो तक और बहुत अंदर तक एक अजीब सी सिहरन पैदा कर गई थी चूड़ीदार का कपड़ा भी बहुत मोटा नहीं था कि वो भोला के हाथों की गर्मी को उसके स्किन तक ना पहुँचा सके वो तो लगता था कि सिर्फ़ उसकी स्किन को ही छूकर बैठ गया था
कामया एक बार भोला की ओर देखा और बैठकर अपनी नजरें झुका ली भोला बेड पर लेटा हुआ था सीधा हाथ अब उसके सिर के नीचे था और उल्टे हाथ से वो अपनी कमर से लेकर अपने सीने तक को सहलाते जा रहा था काले काले बाल और उसपर सख़्त मसमेशियो में घिरा वो दानव और बीच बीच में कही कही पट्टियाँ और लाल खून के निशान थे उसके शरीर में कामया का दिल बड़े जोरो से धड़क रहा था पर वो कुछ नहीं कर सकती थी वही किसी बुत की तरह से बैठी आने वाले पल का इंतजार करने के सिवा अब उसकी नजर थोड़ी साफ हो गई थी उसने एक बार भोला की ओर देखा वो अब भी उसे ही एक भूखी नजर से देख रहा था वो झेप गई और कमरे में इधर उधर देखने की कोशिश करने लगी थी बेड के पास एक दुनाली बंदूक रखी थी जो शायद उसकी ही थी और जमीन पर कुछ शराब की खाली बोटल थी कुछ छोटे बड़े प्लेट थे जो कि झूठे थे और कुछ में खाने के बाद सब्जी और हल्दी के दाग अब तक साफ देख रहे थे छोटे प्लेट में शायद कुछ नमकीन के आवसेश बचे हुए थे पूरा कमरा एक अजीब सी दुर्गंध लिए हुए था कही से रोशनी नहीं थी खिड़की भी बंद थी और दरवाजा भी उनके बीच से होती हुई कुछ रोशनी अंदर तक आती थी बस वही थी इतने में भोला की आवाज उसे सुनाई दी
भोला- क्या देख रही है मेमसाहब
कामया-
बस सिर हिला दिया ना करते हुए
भोला- मेरा जीवन तो मेमसाहब आप लोगो के लिए है
और एक अजीब सी हँसी से पूरा कमरा गूँज उठा वो अब भी कामया को घूरता हुआ अपने छाती और पेट को सहला रहा था और एक अजीब सी निगाहे कामया की ओर डाले अजीब सी बातें कर रहा था
भोला- कैसे आई थी मेमसाहब यहां गरीब की कुटिया में हाँ…
कामया क्या कहती कि क्यों आई थी वो एक बार भोला की ओर देखा और फिर जैसे-जैसे वो अपने हाथ अपने शरीर पर चला रहा था उस ओर गोर से देखने लगी फिर अचानक ही झेप कर अपनी निगाहे फेर ली

भोला- हाँ… हाँ… ही ही देखिए मेमसाब सब कुछ आपका ही दिया हुआ है और सबकुछ आपका ही है ही ही ही
कामया को अब थोड़ा सा गुस्सा आ रहा था कुछ नहीं कह रही है तो वो बढ़ता ही जा रहा है जो मन में आ रहा था कहे जा रहा था
कामया- फालतू बातें मत करो (
उसके आवाज में कड़कपन था जो की शायद भोला ने भी पहली बार सुना था थोड़ा सा चुप होकर वो फिर से कामया की ओर देखता हुआ मुस्कुराते हुए अपने सीने से हाथों को घिसते हुए पेट तक ले जाने लगा था उसकी नजर कमी अपर ही टिकी थी और पेट के बाद वो अपनी कमर के चारो ओर अपनी हथेलिया को घुमाने लगा था
भोला- तो कहिए मेमसाहब क्या सेवा करू और कैसे हाँ… ही ही ही
कामया-
भोला- क्या मेमसाहब हम कुछ कहते है तो डाट देती है और आप कुछ कहती नहीं
और भोला का सीधा हाथ फिर से एक बार कामया की जाँघो को छूने लगा और धीरे-धीरे सहलाने लगा था वो धीरे-धीरे अपने हाथों को उसकी जाँघो के जाइंट की ओर बढ़ा रहा था और एकटक कामया के चहरे की ओर देखता भी जा रहा था कामया की आखें भोला की हरकतों को अनदेखा नहीं कर पाई जैसे ही उसका हाथ उसकी जाँघो से टकराया कामया का एक हाथ उसके हाथों पर आ गया और जोर लगाकर उसे हटाने की कोशिश करने लगी थी उसके चहरे में भय के भाव साफ-साफ देखे जा सकते थे वो बार-बार भोला की ओर बड़े ही मिन्नत भरे नजर से देख रही थी पर वो राक्षस तो जैसे दीवाना हो गया था

मुस्कुराते हुए अपने हाथों को ठीक से सहलाते हुए वो एकटक कामया के चहरे की ओर ही देखे जा रहा था
कामया का जोर काम नहीं आ रहा था पर वो क्या करती बैठी रही रुआंसी सी होकर उसे देखकर साफ कहा जा सकता था कि अब कभी भी रो देगी पर भोला का हाथ अचानक ही उसकी जाँघो से हट गया और वो सकते में आ गई गई एक बार उसके तरफ देखती हुई वो अपने कुर्ते को खींचते हुए फिर से जगह में बनाने की कोशिश करने लगी भोला अपने हाथ को फिर से माथे के नीचे ले गया और मुस्कुराते हुए देखता रहा अपने दूसरे हाथों को वो अब भी अपने शरीर पर ही चला रहा था हाँ… थोड़ा और नीचे की ओर ले जाने लगा था ढीली बँधी हुई लूँगी ओपचारिकता भर रह गई थी उसके लिंग के ऊपर का हिस्सा लूँगी से बाहर किया दिख रहा था और घने बालों का गुच्छा तो साफ-साफ वो जान बूझ कर ऐसा कर रहा था बार-बार कामया की ओर देखता हुआ वो ऐसा दिखा रहा था कि जैसे वो उसके शरीर को नहीं बल्कि कामया के शरीर को सहला रहा था उसकी आखें बिल्कुल पत्थर के जैसे हो गई थी और आखों में एक वहशीपन ने जनम लेलिया था कामया का बुरा हाल था वो वहां कैसे बैठी थी वो नहीं जानती थी पर हाँ… उठने की कोशिश तो उसने नहीं की थी सांसों को कंट्रोल करने की कोशिश में ही लगी रही और भोला अपनी कोशिश में लगा था बार-बार अपने कमर के नीचे की ओर उसका हाथ चला जाता था तभी उसने वो किया जिसका की कामया ने सपने में भी नहीं सोचा था एक झटके से अपने बड़े से लिंग को लूँगी के बाहर निकाल कर अपने हाथों से मालिश करने लगा वो अपनी हथेलियो को बार-बार उसके लंबाई के साथ-साथ ऊपर और फिर नीचे की ओर ले जाता था कामया की नजर जैसे ही उसके लिंग पर पड़ी जितनी सांसें उसने रोक रखी थी एक बार में ही बाहर आ गई थी घबराहट से या फिर उत्तेजना से यह तो वही बता सकती थी पर भोला के होंठों पर एकलंबी सी मुस्कुराहट दौड़ गई थी

उसका एक हाथ [फिर से कामया की जाँघो तक आ गया था और अपने सिर को तकिये को फोल्ड करके टिका लिया था कामया की सांसें फूलने लगी थी और फिर से वो अपने हाथों के जोर से भोला के हाथों को हटाने की कोशिश करने लगी थी भोला भी कौन सा हटने वाला था चुपचाप अपने काम में लगा था वो बड़ी ही सरलता से अपने हाथों को घुमाकर अपनी सप्नीली रचना को अपने हाथों से सवारने में लगा था कपड़े के ऊपर से भी उसे कामया की नरम और मुलायम सी जाँघो का स्पर्श उसे अच्छा और लुभावना लग रहा था जितनी भी औरत उसकी जिंदगी में आई होंगी वो तो शायद इस कपड़ों से भी ज्यादा खुरदूरी थी या फिर सख़्त थी पर कामया मेडम का तो कोई सानी नहीं थी इतनी चिकनी थी कि हाथ रखते ही फिसल जाते थे भोला किसी तरह से अपने उत्तावलेपन को ढँके हुए और दबाए हुए मेमसाहब की जाँघो को सहलाते हुए एकटक उसकी और देखे जा रहा था और कामया जो की अपने पूरे जोर लगाने के बाद भी जब भोला के हाथ को को नहीं हटा पाई तो अपने पैरों के जोर से उस टीन की चेयर को ही पीछे की ओर धकेला पर वो गिर जाती अगर भोला के दूसरे हाथ ने कस कर उसके कलाईयों को पकड़ नहीं लिया होता कामया अब पूरी तरह से भोला के गिरफ़्त में थी
भोला- क्या मेमसाहब गिर जाती ना
कामया- प्लीज मत करो प्लीज़
उसकी आवाज में एक गुजारिश थी पर मना कही से भी नहीं था वो चाहती थी कि भोला उसे छोड़ दे पर कोशिश नहीं थी उसकी नरम नरम हथेलिया अब पूरी तरह से भोला के हाथों के ऊपर थी और दूसरा हाथ उसकी गिरफ़्त में था वो भोला की तरफ देखती पर क्या देखती वो तो अधनन्गा सा उसे ही घूर रहा था उसके चेहरे में जो वहशीपन था वो जानकर भी उसकी आखों से आखें नहीं मिला पा रही थी मन्नत तो कर रही थी पर जान नहीं थी उसका लिंग आ जादी से बार-बार झटके ले रहा था वो उसे ढकने की कोशिश भी नहीं कर रहा था बल्कि उसके हिलने से उसकी लूँगी और भी नीचे खिसक गई थी

कामया- प्लेआस्ीईईईईई नहियीईई पल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीीआआआआअसस्स्स्स्स्स्स्सीईईईईई हमम्म्ममममममममममममम
भोला की उंगलियां कामया की जाँघो के जोड़ तक शायद पहुँच गई थी इसलिए मनाही के साथ-साथ एक सिसकारी भी उसके मुख से उस कमरे में गूँज गई थी भोला बड़े ही प्यार से कामाया की जाँघो को सहलाते हुए धीरे-धीरे उसकी जाँघो के जाइंट तक पहुँच गया था और अपनी उंगलियों से उसे छेड़ रहा था कामया को उसकी उंगलियों के नाखून जैसे ही टच हुए वो थोड़ा और आगे की ओर हो गई और अपनी जाँघो को खोल दिया ताकि उसे नाखून ना टच हो पर भोला को लगा कि कामया ने उसे रास्ता दिया है वो और भी आगे की ओर बढ़ा और धीरे से अपनी उंगलियों से कामया की योनि को छेड़ता रहा एक गीला पन सा उसकी उंगलियों से टकराया वो जानता था कि कामया को बस थोड़ा सा उत्तेजित करने भर की देर है वो मना नहीं कर पाएगी दूसरे हाथ में कामया की नरम नरम हथेलिया अब तक उसकी गिरफ़्त में थी जो की अब वो धीरे-धीरे अपने लिंग की ओर खींचने लगा था जो की कामया भी लगा रहा था पर वो जार लगाकर अपनी कलाईयो को छुड़ाने की कोशिश भी कर रही थी पर उसमें उतनी जान नहीं बची थी उसके हथेलिया लगभग उसके लिंग तक पहुँच ही चुकी थी और पीछे की ओर से उसकी हथेलियो पर टच भी हो गये थे वो कुछ ना कर पाई थी और जो कर पाई थी वो था कि अपनी मुट्ठी को कसकर बंद करके अपनी कलाईयों को घुमाने लगी थी कि वो उससे टच ना हो पर भोला की ताकत के सामने वो कहाँ तक टिकती आखिर में वही हुआ जो की होना था भोला अपने मकसद पर कामयाब हो गया था कामया की हथेलिया उसके लिंग को छू गई थी और वो अपने हाथों के जोर से कामया की हथेलियो को अपने लिंग पर घिसने लगा था
भोला- हमम्म्म छू लो मेमसाहब कुछ नहीं करेगा आपके लिए बेताब है प्लीज़ मेमसाहब
कामया- नहीं प्लीज छोड़ो मुझे
भोला- थोड़ी देर मेमसाहब प्लीज़ थोड़ी देर के लिए नहीं तो यह शांत नहीं होगा
कामया- नहीं प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज कोई आ जाएगाआआआआआअ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह
भोला- नहीं मेमसाहब कोई नहीं आएगा कोई नहीं आता यहां और मेरे कमरे में साले को मरना है क्या आप चिंता मत करो मेमसाहब
कामया- प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह
पर वो हार चुकी थी उसकी कालाई अब दर्द करने लगी थी अब उसमें ताकत नहीं बची थी भोला की पकड़ इतनी मजबूत थी की उसकी नाजुक कलाई टूट ही जाएगी उसने धीरे से बड़े ही अनमने मन से उसके लिंग को पकड़ लिया और धीरे से दबाने लगी
कामया- दर्द हो रहा है मेरा हाथ छोड़ो प्लीज
रुआंसी सी कामया के मुख से यह आवाज बड़े ही धीरे से निकली
भोला ने झट उसके हाथ को छोड़ दिया और
भोला- माफ करना मेमसाहब गलती हो गई ध्यान नहीं दिया था क्या करू आपको देखता हूँ तो पागल हो जाता हूँ
जैसे ही भोला की गिरफ़्त उसकी कालाई से छूटी उसने झट से अपने हाथों को खींच लिया और उसे दूसरे हाथ से सहलाने लगी पर भोला भी कम नहीं था झट से अपने सीधे हाथों का जोर्र उसकी योनि में बढ़ा दिया और कामया झट से थोड़ा सा आगे हो गई दोनों हाथ उसके सीधे हाथ को रोकने को पर एकटक देखती हुई भोला की आखों से वो आखें नहीं मिला पाई भोला की आखों को देखकर उसे फिर से उसके लिंग की ओर देखा
भोला- क्यों छोड़ दिया मेमसाहब प्लीज
कामया ने बिना कोई ना नुकुर के थोड़ा सा आगे बढ़ कर उसके लिंग को सीधे ही अपनी कोमल सी नाजुक सी हथेलियो के बीच में ले लिया और बहुत धीरे-धीरे दबाते हुए उसकी गर्मी और कडेपन के एहसास को अपने जेहन में समेटने लगी उसकी सांसें तो तेज चल ही रही थी पर अब तो जैसे धड़कन ज्यादा तेज हो गई थी उसकी चुन्नि तो कभी की उसकी जाँघो के ऊपर गिर चुकी थी और उसकी चूचियां कुर्ते के अंदर से बाहर की ओर निकलने को आतुर थी

साँसे रुक रुक कर चल रही थी थोड़ी सी हल्की सी होंठों से एक बार फिर से उसकी आवाज निकली
कामया- प्लीज़ मत करो नाआआ रुक जाओ प्लीज़
भोला- हाँ… तो दा सा मेमसाहब बहुत मन कर रहा है प्लीज़
कामया- प्लीज नहियीईई प्लीज तुम्हारे नाख़ून लग रहे है
झट से भोला के हाथ उसकी योनि से अलग हो गये थे और कामया जैसे एक बार फिर से अधर में लटक गई थी साँसे एक बार फिर से थम सी गई और आखें एक बार फिर से भोला के चहरे पर क्यों इतनी चिंता करता है अगर लग रहा था तो लगे पर उसे ऐसे नहीं रुकना चाहिए था क्यों रुक गया पर अगले ही पाल वो फिर से चौक गई थी भोला उन्ही उंगलियों को अपनी नाक के सामने लेजा कर सूंघने लगा था और फिर अपनी जीब को निकलकर थोड़ा सा चाट कर कामया की ओर देखता रहा कामया की हथेलिया अब भी उसके लिंग पर ही थी और धीरे-धीरे अपने आप उसका कसाव उसपर बढ़ता ही जा रहा था और उसे पता भी नहीं चला पता चला तो सिर्फ़ भोला को क्योंकी उस नरम नरम और कोमल उंगलियों की मालकिन ही थी जिसे वो अब तक अपने संपनो में देखता रहा था और जाने कितनी औरतों के साथ संभोग कर चुका था वो पड़े पड़े अपने दाँये हैंड को फिर से कामया की जाँघो तक ले आया और धीरे-धीरे फिर से उन गोल गोल और कोमल सी जाँघो को फिर से सहलाने लगा बड़े ही प्यार से वो जानता था कि अब कामया भी गरम हो चुकी थी उसके हाथों के कसाव से ही उसे पता चल रहा था और उसके हाथोंके सहलाने से भी कामया के चेहरे पर हर उतार चढ़ाव को वो निरंतर भाँपने में लगा था वो थोड़ा सा और आगे की ओर हो गया था ताकि वो कामया के और नजदीक हो सके उसके पास होते ही कामया के शरीर में एक बिजली सी दौड़ गई थी क्योंकी कामया के पैर तो बेड से टच थे ही भोला के पास आते ही उसके पेट और सीने के बाल चूड़ीदार पर से होते हुए उसकी टांगों से टच होने लगे थे वो शिहरन से भर उठी थी पर हर बार अपने सांसों को कंट्रोल करती हुई बैठी रही थी पर जैसे ही भोला की उंगलियां फिर से उसके योनि के पास पहुँची वो और नहीं रुक पाई थी एक जोर दार सांस उसके मुख और नाक से एक साथ निकली जो कि एक सिसकारी के रूप में पूरे कमरे को गूँज चुकी थी वो कामया का समर्पण था की इच्छा पता नहीं पर हाँ भोला अब फ्री था उसके हाथों को रोकने के लिए इस बार कामया के हाथ नहीं थे ना जोर लगा रहे थे और नहीं मना कर रहे थे वो तो बस अब उसके बालों के गुच्छे से भरे हुए सख़्त और मजबूत कलाईयो को सहलाते जा रहे थे और अपने चहरे को ऊपर उठाकर अपने अंदर बहुत सी सांसों को भरने में लगी थी


उसकी नजर अब बंद थी पर जानती सब थी कि क्या हो रहा था पर अपनी शरीर में उठ रही काम अग्नि के हाथों मजबूर थी उसकी जांघे अब बहुत खुल चुकी थी और वो अपनी चेयर से आगे की ओर भी होने लगी थी भोला के सख़्त और मोटे-मोटे उंगलियां उसकी योनि को चूड़ीदार के ऊपर से छेड़ रहे थे जो कि उसके अंदर के तूफान को जनम दे रहा था जिसे अब शांत करना ही था और वो ही इसे शांत कर सकता था अगर भोला चाहता तो एक ही झटके में कामया की अपने ऊपर खींच सकता था और वही अपने बेड पर लिटाकर उसके साथ वो सब भी करसकता था पर नहीं उसने ऐसा नहीं किया कर रहा था तो बस इतना की वो कामया की उत्तेजना को और भी बढ़ा रहा था

और कामया उसके बहाने के तरीके में बढ़ती जा रही थी जैसा वो चाहता था उसे करने दे रही थी हाँ उसकी उत्तेजना को जानने का एक ही तरीका था उसके हाथों में जो कुछ था उसे यानी कि भोला का लिंग जो कि अब कामया की नरम उंगलियों के बीच में बहुत ही कसे हुए सा प्रतीत हो रहा था जैसे वो उसे निचोड़ कर रख देना चाहती थी और जोर-जोर से निचोड़ती ही जा रही थी उसकी सांसें लेने के तरीके से ही लगता था कि वो शायद बहुत थकी हुई है और जोर-जोर से सांसें लेती जा रही थी रुआंसी सी होकर कई बार तो खाँसती भी थी पर कोई मनाही नहीं और नहीं कोई ना नुकर हाँ थोड़ा और आगे होकर भोला की ओर इशारा जरूर हो जाता कि आगे बढ़ो सबकुछ तुम्हारा है पर भोला भी बहुत धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ा रहा था जिस चीज की इच्छा उसने की थी वो कोई मामूली चीज नहीं थी और नहीं रोज मिलने वाली चीज थी कामया वो तो एक नाचीज थी जिसकी कल्पना तो सिर्फ़ सपनो में ही हो सकता था या फिर कोई देवता ही कर सकता था किसी स्वर्ग की अप्सरा थी कामया उसकी नजर में सुडोल शरीर की मालकिन एक नम्र और मादक यौवन का मिस्रण लिए हुए एक चलती फिरती बला थी कामया जो कि उसके बेड के पास उसके आगे बढ़ने की राह देख रही थी
और भोला भी अपनी राह पर बढ़ता हुआ आगे की ओर बढ़ता ही जा रहा था वो अब कामया की जाँघो के बीच से आगे बढ़ा और अपनी हथेलियो को उसके पेट के ऊपर से एक बार घुमाकर वापस उसकी जाँघो पर ले आया कामया के मुँह से एक बार फिर से एक लंबी सी सिसकारी निकली और फिर वो हाँफने लगी थी भोला की हथेलिया अब कामया के खाली पेट तक भी पहुँचने लगी थी उसका कुर्ता भी अब उसके हाथों के साथ ही उठने लगा था उल्टे हाथों से वो कामया को संभालने के लिए उसके कंधे तक पहुँचा चुका था और कभी-कभी अपनी कमर को भी एक झटका दे देता था सीधे हाथ से कामया को सहलाते हुए जब वो अपनी उंगलियां उसकी कमर के चारो ओर उसकी खाली स्किन पर घुमाने लगा तो कामया का सिर धनुष की तरह ही पीछे हो गया था और भोला के मजबूत हाथों के सहारे के बिना वो शायद पीछे ही गिर जाती पर भोला ने उसे संभाल लिया था

खाली पेट पर कामया ने पहली बार भोला की खुरदरी उंगलियों का एहसास किया था वो उस स्पर्श को सहन नहीं कर पाई थी और अपनी जाँघो को और खोलकर और भी आगे की ओर हो गई थी भोला के लिंग को कस कर पकड़ रखा था और उसकी पकड़ से अब तो भोला को भी तकलीफ होने लगी थी अपने उल्टे हाथ को वापस लाके उसने कामया की उंगलियों की पकड़ को थोड़ा सा हिलाया और उसे ऊपर नीचे करने का इशारा किया संपनो से जागी कामया की सिर्फ़ थोड़ी सी आखें खुली और फिर अपने कसाब को थोड़ा सा ढीला करके भोला के इशारे को समझ कर अपने हाथों को हल्के से ऊपर-नीचे करने लगी थी पर कसाव तो जैसे उसके बस में नहीं था वो कसता ही जा रहा था उस गरम-गरम लोहे की सलाख पर और तो और जब भोला की उंगलियां कामया के चूड़ीदारर की नाडे को छेड़ने लगी तो कामया जैसे होश में आ गई थी झट से उसका एक हाथ भोला के हाथों को रोकने में लग गया था
prkin

Re: बड़े घर की बहू

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Re: बड़े घर की बहू

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updates kaha gayee?
😪
prkin

Re: बड़े घर की बहू

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कामया- नहीं प्लीज
भोला-
कामया- नहीं प्लीज यहां नहीं कोई आ जाएगा प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज
भोला- कोई नहीं आएगा मेमसाहब प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज मना मत कीजिए प्लीज थोड़ी देर और
कामया सिर्फ़ अपने माथे को हिलाकर ही मना कर पाई थी अब की बार जैसे उसकी आवाज गले में कही गुम हो गई थी रुआंसी सी भोला को एकटक देखती जा रही थी और भोला उसके नाडे को खोल चुका था और धीरे से अपने हाथों से उसके चूड़ीदार को ढीलाकरके थोड़ा सा नीचे कर दिया था उसकी सफेद कलर की डिजाइनर पैंटी की सिर्फ़ एक डोरी उसके सामने थी और सफेद कलर की लेस से उसके गोल्डन ट्राइंगल को नीचे तक ढँकी हुई थी अपनी उंगलियों के जोर से भोला ने अपने हाथों को फिर से कामया की जाँघो के बीच में पहुँचा दिया इस बार सलवार उसके बीच में नहीं थी और था तो सिर्फ़ पैंटी का महीन सा कपड़ा जो की उसकी उंगलियों को उसकी योनि के गीले पन को छूने से नहीं रोक पाया था एक उंगली से उसने उसे भी साइड में कर दिया था और झट से अपनी उंगली को कामया के भीतर तक समा दिया था कामया के मुँह से सिसकारी की लड़ी सी लग गई थी और शरीर को पीछे की ओर धकेल्ति हुई अपनी कमर को और आगे और आगे की और धकेलने की कोशिश करने लगी थी शायद वो भोला की उंगलियों के पास जाना चाहती थी पास और पास सांसों का एक तूफान सा उसके अंदर जनम ले रहा था और वो लगातार उसकी नाक और मुख से सिसकारी और आअह्ह के रूप में निकल रही थी गर्म हुई कामया की हथेलिया अब भोला के एक हाथ को और भी अपने अंदर की ओर इशारा कर रही थी और दूसरे हाथ में जो कुछ था हो उसे निचोड़ते हुए बहुत ही तेजी से अपनी ओर खींचने लगी थी उसकी नमर नरम उंगलियों के स्पर्श से तो भोला अपने काबू से बाहर हो ही चुका था आज उसका दूसरा अनुभव था जब मेमसाहब की नाजुक ऑर कोमल उंगलियां उसके लिंग को समेटे हुए थी पर इतनी कामुकता जो मेमसाहब के अंदर छुपी थी वो आज वो पहली बार ही देख रहा था वो अपनी उंगलियों का स्पीड धीरे-धीरे उसकी योनि में बढ़ने लगा था उसके गीले पन से वो जान चुका था कि कामया ज़्यादा देर की मेहमान नहीं है पर वो तो अपने काम में लगा रहा और कामया को जितनी जल्दी शांत कर सकता था करने की पूरी कोशिश करने लगा और उधर कामया भी अपने शिखर पर पहुँचने ही वाली थी उसके शरीर में आचनक ही एक बड़ी सी उथल पुथल मची हुई थी जैसे वो लगातार अपनी योनि की ओर जाते हुए महसूस कर रही थी वो एक झटके से आगे बढ़ी, और झट से अपने एक हाथ को अपने दूसरे हाथ से जोड़ दिया और भोला के लिंग को पूरा का पूरा अपनी हथेलियो में समेटने की कोशिश करने लगी थी


हान्फते हुए कब वो भोला के ऊपर गिर पड़ी उसे पता ही नहीं चला और भोला के पसीने की बदबू या कहिए उस जानवर की खुश्बू जैसे ही उसकी नाक में टकराई वो एक असीम सागार में गोते लगाने लगी थी उसके हाथों की पकड़ अब धीरे-धीरे उस लिंग पर भी ढीली होने लगी थी पर भोला के हाथों की रफ़्तार अब भी कम नहीं हुई थी इसलिए अपने को संभालते हुए उसने भी अपनी पकड़ फिर से उस मजबूत से लिंग को फिर से अपनी गिरफ़्त में ले लिया और बड़ी तेजी से जैसे कि भोला का हाथ चल रहा था उसे चलाने लगी अचानक ही भोला की उल्टे हाथ की गिरफ़्त उसके कंधों से लेकर अपने दूसरे कंधो तक पहुँच गई थी और वो झुकी हुई उसके सीने से चिपक गई थी और भोला के लिंग से गरम-गरम लावा सा उसकी कोमल उंगलियों को छूते हुए नीचे की ओर बह निकला भोला की पकड़ इतनी मजबूत थी कि कामया की सांसें ही रुक गई थी नाक में ढेर सारी पसीने की बदबू के साथ ही उसके दाँत भी भोला के सीने में घुसने की कोशिश करने लगे थे मुख से सांसें लेने की और भोला की पकड़ के आगे लाचार कामया और कर भी क्या सकती थी दोनों थोड़ी देर के लिए वैसे ही पड़े रहे भोला की पकड़ भी सख्ती से कामया की गर्दन के चारो ओर थी और हर झटके में बहुत सा वीर्य वो निकलता जा रहा था कामया के कोमल हाथों की पकड़ भी उसके लिंग पर वैसे ही थी जैसे की पहले थी और वही भोला के पेट और सीने के बीच में अपने सिर का सहारा लिए हुए लंबी-लंबी सांसें छोड़ती हुई वो नार्मल होने की कोशिश कर रही थी भोला का भी यही हाल था


लेटे लेटे बहुत देर बार उनके कानों में एक साथ ही बाहर की हलचल की आवाजें उन तक पहुँचने लगी थी कामया एकदम से सचेत हो उठी और बड़ी ही डरी हुई नज़रों से भोला की ओर देखने लगी थी पर भोला को जैसे कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था वो लेटे लेटे कामया के बालों के साथ खेल रहा था अपनी चौड़ी और खुरदरी हथेली को वो कामया के सिर पर घुमा रहा था और उसकी नाक से निकलने वाली सांसों को वो अपने शरीर में महसूस कर रहा था कामया के जोर लगाने से वो भी थोड़ा सा सचेत हुआ और कामया पर से अपनी पकड़ ढीली करदी


कामया थोड़ा सा स्ट्रॅगल करने के बाद उठकर अपनी चेयर पर ठीक से बैठने लगी और धीरे से अपनी हथेलियो को भी भोला के लिंग से आजाद कर लिया अपनी हथेलियों में लगा हुआ वीर्य उसने बेड की चादर पर ही पोन्छ लिया और अपनी चूड़ीदार को पकड़कर ठीक करने लगी उसकी नजर भोला पर नहीं थी पर हाँ बाहर की आवाज पर जरूर थी डर था कि कोई आ ना जाए अपने कपड़ों को ठीक करते हुए जब वो खड़ी हुई तो भोला की नजर चली गई वो एकटक उसे ही देख रहा था उसकी आँखों में अब भी वही भूख थी जो पहले थी अब भी उसकी नजर उसे खा जाने को तैयार थी पर कामया को जाना था आफिस अगर यहां किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा वो अपने चूड़ीदार को बाँधने के बाद अपनी चुन्नि को नीचे से उठाया और जैसे ही अपने को ढकने लगी कि भोला के एक हाथ ने उसे ऐसा करने से रोक लिया

भोला- रुकिये ना मेमसाहब थोड़ी देर और

कामया- नहीं
भोला की गिरफ़्त चुन्नी से ढीली पड़ गई और कामया ने झट से अपने को ढँक लिया और खड़ी हो गई वो एक बार भोला की ओर देख रही थी और फिर बाहर के दरवाजे की ओर भी उसकी नजर चली जाती थी बाहर के शोर को सुनकर वो डरी हुई थी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कैसे जाए बाहर और यह बदमाश तो वैसे ही लेटा हुआ था जैसे कोई चिंता ही नहीं था पर कामया के चहरे पर चिंता की लकीरे साफ देखी जा सकती थी वो कभी भोला तो कभी दरवाजे की ओर ही देख रही थी वो थोड़ा सा चलती हुई दरवाजे तक पहुँची और उसकी गैप से बाहर की ओर देखने लगी थी वहाँ लेबर लोगों का हुजूम लगा हुआ था जो शायद वही रहते है कोई बीड़ी पी रहा था तो कोई कुछ कर रहा था पर हर कोई बाहर ही था कामया के तो होश उड़ गये थे वो पलटकर भोला की ओर देखने लगी चेहरा रुआंसा सा हो गया था रोने को थी वो अब कुछ पल
वो भोला को देखती रही जो अब भी अपने आपको ढके बिना ही वैसे ही लेटा हुआ था उसका मुरझाया हुआ लिंग भी इतना बड़ा था कि वो लगभग तैयार ही दिख रहा था पर कोई चिंता नहीं थी उसे

कामया- सुनो बाहर बहुत लोग है प्लीज़ उठो मुझे जाना है

भोला- मेमसाहब में तो यहां हूँ दरवाजा भी नहीं रोका है फिर

कामया लगभग दौड़ती हुई सी वापस बेड के पास पहुँची थी

कामया- प्लीज किसी ने देख लिया तो में मर जाऊँगी प्लीज मेरी मदद करो

जैसे भोला के शरीर में एक करेंट दौड़ गया था एक झटके से उठा और अपनी लूँगी को अपने कमर में बाँधने लगा एकटक नजर से वो कामया की ओर देखने लगता कामया डर के मारे थोड़ा सा पीछे की ओर हो गई थी

भोला-, मेरे होते मेमसाहब आप चिंता क्यों करती है साली पूरी दुनियां में आग लगा दूँगा लेकिन मेमसाहब आपको कुछ नहीं होने दूँगा ही ही ही

कामया डर के मारे अब तक सिहर रही थी उसकी आवाज उसके गले में ही अटक गई थी खड़ी-खड़ी उसकी टाँगें काँपने लगी थी कैसी मुसीबत में पड़ गई थी और यह भोला तो जैसे कुछ समझता ही नहीं सिर्फ़ डायलाग मार रहा है वो काँपती हुई सी खड़ी-खड़ी भोला की ओर बड़ी ही मिन्नत भरी नजरों से देख रही थी भोला उठकर उसके पास आया और अपने दोनों हाथो को जोड़ कर उसके गालों को अपने हथेलियो में भर लिया और एक नजर उस पर मार मारकर दरवाजे पर पहुँच गया और उसे खोलकर बाहर निकल गया कामया ने जल्दी से अपने को दरवाजे के सामने से हटा कर साइड में कर लिया और बाहर की आवाजें सुनने लगी कड़कती हुई भोला की आवाज ही सुनाई दे रही थी और फिर भगदड़ मची हुई थी

भोला- क्यों काम पर नहीं जाना क्या ################### साले दिहाड़ी माँगते समय तो साले सबसे आगे खड़े रहोगे चलो यहां से और मुझे सोने दो

बाहर फिर से एकदम सन्नाटा सा छा गया था उसकी बड़ी बड़ी गालियाँ जैसे ही उन तक पहुँची सब यहां वहां हो गये थे कुछ देर बाद ही उसे भोला अंदर आके फिर से दरवाजा बंद करते हुए दिखा यह क्या कर रहा है दरवाजा फिर से क्यों बंद कर रहा है उसे जाना है पर आवाज ही नहीं निकली वो एकटक भोला की ओर देखती रही भोला दरवाजा बंद करके एक बार फिर से अपनी लूँगी को खोलकर उसके सामने ही ठीक किया और धीरे-धीरे कामया की ओर बढ़ा कामया झट से थोड़ा पीछे हट गई दीवाल से टिक गई थी अपने पैर जितना पीछे कर सकती थी कर लिया था अब उसके पास जाने की कोई जगह नहीं थी दीवाल पर अपने हाथों से टटोल कर भी देख लिया हाँ दीवाल ही थी वो टिक कर खड़ी भोला की ओर देखती रही सांसें धमनियो को छूकर बाहर आ रही थी जोर-जोर से टिकने की वजह से और काँपने की वजह से धीरे-धीरे उसकी चुन्नी फिर से उसके कंधों से सरकने लगी थी और वो नीचे भी गिर पड़ती अगर भोला ने उसे संभाल नहीं लिया होता उसका सीना बिल्कुल भोला के सामने था और गोल गोल उभारों को अपने आप में छुपाने की कोई भी कोशिश नहीं थी कामया का सारा शरीर फिर से एक बार काँपने लगा था और सांसें रोक कर वो भोला ओर ही देख रही थी जाने क्या करेगा अब यहाँ कितनी देर हो गई है अगर कोई उसे ढूँढते हुए यहां तक आ गया तो वो क्या कहेगी पर भोला ने ऐसा कुछ नहीं किया आगे बढ़ कर धीरे से कामया की चुन्नी को उसके कंधे पर डालकर उसके कंधों को पकड़कर खड़ा हो गया और सीधे उसकी नजर से नजर मिलाकर
भोला- बहुत सुंदर हो मेमसाहब आप ऊपर वाले ने बड़े जतन से बनाया है आपको
और कहते हुए उसके हाथ धीरे से उसकी कमर पर से होते हुए धीरे धीरे उसके पेट पर जब उसकी हथेलिया पहुँची तो कामया थोड़ा सा और भी ऊँची हो गई साँसे बिल्कुल भोला के चहरे पर पड़ने लगी थी बड़ी मुश्किल से उसके मुख से आवाज निकली
कामया- प्लीज मत करो जाना है प्लीज ईईईई सस्स्स्स्शह

भोला- हमम्म्मममममम कितनी सुंदर हो कितनी मुलायम और मक्खन की तरह हो मेमसाहब

कामया- प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज जाने दो बहुत देर हो गई है

भोला- हाँ मेमसाहब देर तो हो गई है पर मेमसाहब क्या करू छोड़ने का मन नहीं कर रहा है और उसके दोनों हाथ अब कामया के शरीर को बड़े ही आराम से सहलाते हुए घूमने लगे थे वो धीरे से एक हाथ से कामया के पेट से होते हुए उसकी पसलियों को छूता हुआ ऊपर की ओर उठ रहा था और दूसरा हाथ धीरे-धीरे उसके गोल गोल नितंबों को सहलाते हुए पीछे से ऊपर की ओर उठ रहा था कामया का सारा शरीर फिर से एक काम अग्नि में जल उठा था वो फिर से तैयार थी पर जैसे ही भोला की मजबूत और कठोर हथेलिया उसकी चुचियों को छूते हुए इधर उधर होने लगी थे उसका सारा सब्र टूट गया था दोनों हाथों से कस कर भोला की मजबूत बाहों को कस कर पकड़ लिया था और अपनी चुचियों को भोला के हाथों में और भी धकेल दिया था पर भोला ने उन्हें दबाया नहीं था पर बड़े ही हल्के हल्के से उन्हें सहलाते हुए उनके आकार प्रकार का जाएजा ले रहा था और उनकी कोमलता को सहजता हुआ उनकी नर्मी के एहसास को महसूस कर रहा था अपने चेहरे पर पड़ती हुई कामया की सांसें अब उसके होंठों पर और नथुनो पर पड़ रही थी वो हल्के से कराहता हुआ
भोला- हाँ… मेमसाहब रुकिये में देखता हूँ फिर आप निकल जाना नहीं तो देर हो जाएगी
और कहता हुआ अपनी जीब को निकालकर उसके गोरे गोरे गालों को चाट कर उसके नथुनो को भी चाटता रहा और उसकी खुशबू को अपने अंदर समेटने की कोशिश करने लगा

भोला- कितनी प्यारी खुशबू है मेमसाहब आपकी हह, म्म्म्मममममम
और धीरे से कामया से अलग होते हुए उसकी दोनों चुचियों को हल्के से सहलाता रहा और दरवाजे की ओर चल दिया कामया की हालत खराब थी दीवाल पर टिकी हुई अपनी सांसों को कंट्रोल करती हुई वो भोला को दरवाजे की ओर जाते हुए देखती रही जैसे उसके शरीर में जान ही नहीं है सांसें रोके हुए वो अपने को ठीक से खड़ा करती तब तक तो भोला दरवाजा खोल चुका था और एक कदम आगे बढ़ाया ही था कि एक लाल रंग की गेंद उसके पैरों के पास लुढ़कती हुई आ गई थी भोला ने एक बार उस गेंद को देखा और एक जोर दार लात लगाई थोड़ी दूर से एक बच्चे की रोने की आवाज आने लगी थी
भोला- चुप यहां नहीं खेलना जाओ घर के अंदर

कामया को जैसे हँसी आई थी वो सिहर कर अपने आपको आगे की ओर धकेल्ति हुई दरवाजे तक आ गई थी भोला अब भी बाहर ही था पीछे की आवाज सुनकर वो पलटा और कामया की ओर देखकर मुस्कुराता हुआ फिर से उसकी ओर बढ़ा और बाहर खड़े हुए ही अपने हाथों को बढ़ा कर उसकी चुन्नी को उसके कंधे पर ठीक से रखता हुआ
भोला- आप साड़ी में ज्यादा सुंदर लगती हो मेमसाहब
उसके गाल में एक थपकी दी और आखों से इशारा करते हुए इस ओर से जाने को कहा कामया नज़र घुमाकर जैसे ही बाहर निकली भोला के हाथों का स्पर्श उसकी जाँघो से लेकर पीछे नितंबों तक होता चला गया था पर वो मुड़ी नहीं नाही इधर उधर देखा बस चलती चली गई और जब आखें उठाई तो अपने को कॉंप्लेक्स के पीछे की ओर पाया यहाँ से भी एक रास्ता अंदर कॉंप्लेक्स की ओर जाता था उसे अचानक वहां देखकर वहां काम करने वाले अचंभित हो गये थे और सिर्फ़ नजर झुका कर खड़े हो गये थे कामया जल्दी से उनको पार करते हुए अपने आफिस की ओर भागी पर रास्ते में उसके केबिन से पहले ही पीओन से उसे आवाज दे दी
पीओन- मेडम जी
कामया हाँ… उउउहह (खाँसती हुई ) हाँ…
पीओन- जी मेडम जी कोई आए हैं आपसे मिलने को में हर कही देख आया मेडम जी पर आप नहीं मिली
कामया- कौन है
पीओन जो कि उसके पीछे-पीछे ही चल रहा था बोला कोई लड़का है कह रहा था भाभी जी कहाँ है
कामया ने एक बार उसकी ओर देखा और पीओन उसके कमरे का दरवाजा खोलकर खड़ा हो गया

अंदर एक लड़का बैठा हुआ था बहुत ही दुबला पतला सा गोरा सा और नाजुक सा बड़ी-बड़ी आखें और किसी लड़की की तरह से दिखने वाला उठकर जल्दी से अपने हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया कामया घूमकर जब अपने सीट पर बैठी और उस सख्स को देखने लगी
कामया- जी कहिए
- जी में ऋषि हूँ धरम पाल जी का लड़का
कामया- ओहो हाँ… हाँ… अच्छा तुम हो
और एक मुस्कुराहट सी उसके होंठों में दौड़ गई थी कामेश ने सच ही कहा था बिल्कुल लड़की छाप है लड़कियों के साथ पला बढ़ा है इसलिए शायद
कामया- हाँ… ठीक है कैसे आना हुआ
और अपने बालों को ठीक करने के लिए जैसे ही पीछे अपने हाथ ले गई तो उसके बालों से क्लुचेयर गायब था पता नही कहाँ गिर गया था खेर अपने साइड के बालों को लेकर बीच में एक गाँठ बाँध लिया उसने और ऋषि की ओर देखती हुई फिर से बोली
कामया- हाँ… बताओ
ऋषि- जी वो पापाजी ने कहा था कि आपसे मिल लूँ
क्माया के होंठो एक मधुर सी मुस्कान फेल गई थी
कामया- हाँ… और मिलकर क्या करूँ हाँ…
ऋषि- हिहिहीही जी पापा कर्हते है कि भाभी बहुत स्मार्ट है उनके साथ रहेगा तो सब सीख जाएगा हिहिहीही
कामया- हिहिहीही क्या सीख जाओगे हाँ…
ऋषि झेप कर इधर उधर देखने लगा और फिर से हिहीही कर उठा
कामया- हाँ… आज तो मुझे जाना है एक काम करो तुम कल आ जाओ हाँ… फिर देखते है ठीक है
ऋषि किसी स्कूली बच्चे की तरह से झट से खड़ा हो गया और हाथ बाँध कर जी कह उठा
ऋषि- तो में जाऊ
कामया- हिहीही हाँ… कहाँ जाओगे हाँ…
वो भी ऋषि को एक बच्चे की तरह ही ट्रीट कर रही थी
ऋषि-, जी घर और कहाँ और आप
कामया- घर क्यों
ऋषि- फिर कहाँ जाऊ
कामया- हाँ… अभी तो आए हो फिर घर चले जाओगे तो कोई पूछेगा तो क्या कहोगे
ऋषि- घर पर में ही हूँ और सभी तो दीदी के यहां गये है
कामया- हाँ… हाँ… याद आया तो चलो ठीक है
और अपना मोबाइल उठाकर पापाजी का नंबर डायल करने ही वाली थी कि
ऋषि- आप कहाँ जाएँगी भाभी
कामया- में शोरुम जाउन्गी क्यों
ऋषि- कैसे गाड़ी चलानी आती है आपको
कामया- नहीं ड्राइवर को बुला लूँगी इसलिए पापाजी को फोन कर रही हूँ
ऋषि- में छोड़ दूं आपको में वही से तो जाऊँगा
कामया- हाँ ठीक है लेकिन तुम्हे तकलीफ तो नहीं होगी
ऋषि- हिहीही नहीं क्यों कौन सा मुझे आपको उठाकर ले जाना है हिहिहीही
कामया को भी हँसी आ गई थी उसके लड़कपन पर हाँ… बिल्कुल बच्चा था बस बड़ा हो गया था शायद लड़कियों के साथ पालने से ही यह ऐसा हो गया था घर में सभी बड़े थे यही सबसे छोटा था इसलिए शायद वो अपना पर्स उठाकर ऋषि के साथ बाहर निकली और उसी के साथ शोरुम की ओर बढ़ चली

रास्ते में ऋषि भी उससे खुलकर बातें करता रहा कोई अड़चान नहीं थी उसे भाभी के साथ बिल्कुल घर जैसा ही माहॉल था उसके साथ इस दोरान यह भी फिक्स हो गया कि कल से वो ही भाभी को लेने आएगा और दोनों कॉंप्लेक्स का काम देखेंगे और दोपहर को वो ही भाभी को शोरुम भी छोड़ देगा

कामया को भी ऋषि अच्छा लगा और दोनों में एक अच्छा रिस्ता बन गया था पापाजी से भी मिलवाया ऋषि थोड़ी देर तक बैठा हुआ वो भी उनके काम को देखता रहा और बीच बीच में जब उसकी आखें कामया से मिलती तो एक मुश्कान दौड़ जाती उसके चहरे पर

पूरा दिन कब निकल गया कामया को पता भी नहीं चला और शोरुम बंद करने का टाइम भी आगया रात को जब वो वापस घर पहुँची तो सबकुछ वैसा ही था जैसा जाते समय था कोई बदलाब नहीं पर जब कामया डाइनिंग रूम को क्रॉस कर रही थी तो अचानक ही उसकी नजर टेबल पर रखे ताजे और लाल पीले फूलो के गुच्छे पर पड़ी और वो चौक गई थी

पापाजी की नजर भी एक साथ ही उन गुलदस्ते पर पड़ी यह यहां कौन लाया और क्यों भीमा के अलावा और कौन रहता है इस घर में

पापाजी की ओर देखते हुए वो कुछ कहती पर
पापाजी- अरे भीमा
एक उची आवाज गूँज उठी थी भीमा जो की किचेन में था दौड़ता हुआ बाहर आया और नजर नीचे किए वहां हाथ बाँधे खड़ा हो गया

भीमा- जी
पापाजी- यह फूल कौन लाया

भीमा- जी वो फूल वाला दे गया था बाबूजी कह रहा था मेमसाहब के लिए भिजवाया है

पापाजी- अच्छा हाँ…
और वो अपने कमरे की ओर चल दिए पर कामया वही खड़ी रही मेमसाहब मतलब वो नजर उठाकर एक बार भीमा की ओर देखा तो वो गर्दन नीचे किए

वापस किचेन की ओर जाते दिखा वो जल्दी से उन फूलो के पास पहुँची और किसने भेजा था ढूँढने लगी थी कही कोई नाम नहीं था पर एक प्रश्न उसके दिमाग में घर कर गई थी किस ने भेजा उसे फूल आज तक तो किसी ने नहीं भेजा है कौन है

इसी उधेड़ बुन में वो अपने कमरे में पहुँची और चेंज करने लगी थी बाथरूम से जल्दी से तैयार होकर निकली थी कि नीचे जाकर खाना खाना है पर मोबाइल पर रिंग ने उसे एक बार फिर से जगा दिया शायद कामेश का फोन है सोचते हुए उसने फोन उठा लिया पर वो किसी नंबर से था

अरे यार यह कंपनी वाले भी ना रात को भी परेशान करने से नहीं चूकते, बिना कुछ सोचे ही उसने फोन काट दिया पर फिर वो बजने लगा क्या है कौन है वो हाथों में सेल लिए सीढ़ियो तक आ गई थी नीचे डाइनिंग स्पेस पर पापाजी भी आते दिख रहे थे
कामया ने आखिर फोन उठा लिया
कामया- हेलो
- फूल कैसे लगे मेमसाहब
कामया-
कामया जैसे थी वैसे ही जम गई थी यह और कोई नहीं भोला था इतनी हिम्मत तो सिर्फ़ वही कर सकता था और फोन भी राक्षस है शैतान है वो वही खड़ी हुई सकपका गई थी और कुछ सूझ नहीं रहा था पर नीचे से पापाजी की आवाज उसके कानों में टकराई तो वो संभली और झट से फोन काट कर जल्दी से डाइनिंग रूम में आ गई थी खाने खाते समय वो सिर्फ़ भोला के बारे में ही सोच रही थी क्या चीज है वो और कितनी हिम्मत है उसमें

जरा भी डर नहीं कि मुझे फोन कर ले रहा है वो भी रात में पर कामया के शरीर में एक तरंग सी दौड़ गई थी जैसे ही भोला का नाम उसके जेहन में आया था वो खाना तो खा रही थी पर उसे उस समय की घटना फिर से याद आ गई थी ना जाने क्यों बार-बार मन को झटकने से भी वो सब फिर से उसके सामने बिल्कुल किसी पिक्चर की तरह घूम रहा था

वो खाते खाते अपने आपको भी संभाल रही थी और अपने जाँघो के बीच में हो रही हलचल को भी दबाने की कोशिश करती जा रही थी पर वो थी कि धीरे-धीरे रात के घराने के साथ ही उसके शरीर में और गहरी होती जा रही थी वो एक बार फिर से कामुक होने लगी थी खाना खाना तो दूर अब तो वो अपने सांसों को कंट्रोल तक नहीं कर पा रही थी उसका दिल धड़क कर उसके धमनियो से टकराने लगा था पर किसी तरह से अपना खाना पूरा करके वो भी पापाजी के साथ ही उठ गई थी
पापाजी- कुछ सोच रही हो बहू
कामया- जी नहीं क्यों
पापाजी- नहीं खाना नहीं खाया ठीक से तुमने
कामया- जी वो भूख नहीं थी पता नहींक्यों
पापाजी---वो चलते समय काफी पी ली थी ना शायद इसलिए
कामया- जी
कामया ने पापाजी को झूठ बोला था पर क्या वो सच बता देती छी क्या सोचती है वो पर अब क्या वो तो अपने कमरे में जाने लगी थी पर क्या करेगी वो कमरे में जाकर कामेश तो है नहीं फिर

नहीं वो नहीं जाएगी कही वो जल्दी से अपने कमरे में घुस गई और सारे बोल्ट लगा दिए और कपड़े चेंज करने लगी थी पर बाथरूम में घुसते ही फिर से भोला का वो वहशी पन वाला चेहरा उसके सामने था उसके लोहे जैसा लिंग और हाथों का स्पर्श उसके पूरे शरीर में एक बार फिर से धूम मचा रहे थे वो बार-बार अपने को उस सोच से बाहर निकालती जा रही थी पर वो और भी उसके अंदर उतरती जा रही थी

वो फिर से उसी गर्त में जाने को एक बार फिर से तैयार थी जिससे वो बचना चाहती थी पर हिम्मत नहीं थी अपने कमरे में चेंज करने के बाद बैठी हुई कामेश के फोन का वेट करती रही पर उसका फोन नहीं आया वो एक बार दरवाजे के पास तक हो आई कि कोई आवाज उसे सुनाई दे तो कुछ आगे बढ़े पर शायद खाने के बाद सब सो गये थे पर लाखा और भीमा क्या वो भी क्या उन्हें भी इंतजार नहीं था पर क्या वो उनके पास चली जाए या क्या करे उनका इंतजार
हां इंतेजार ही करती हूँ आएँगे वो वो एक बार फिर उठी और हल्के से दरवाजे को अनलाक करके वापस आके बेड पर लेट गई और इंतजार करने लगी बहुत देर हो गई थी लेटे लेटे कामया का पूरा शरीर जल रहा था वो लेटे लेटे भोला के बारे में सोच रही थी और उसी सोच में वो काम अग्नि की आग में जलती जा रही थी और वो उसे शांत करने का रास्ता ढूँढने भी लगी थी पर कहाँ लाखा और भीमा तो जैसे मर गये थे कहीं पता नहीं था आखिर थक कर कामया खुद ही उठी और अपना बेड छोड़ कर धीरे से अपने कमरे के बाहर निकली महीन सा गाउन पहने हुए अपने आपको पूरा का पूरा उजागार करते हुए वो खाली पाँव ही बाहर आ गई थी

वो सीढ़ियो पर उतरती हुई और गर्दन घुमाकर ऊपर भी देखने की कोशिश करती रही पर कोई नहीं दिखा और नहीं कोई हलचल वो अपने आपको संभालती हुई बड़े ही भारी मन से अपने को ना रोक पाकर धीरे-धीरे अपने तन की आग के आगे हार कर सीढ़ियाँ चढ़ रही थी हर एक कदम पर वो शायद अंदर से रोती थी या फिर वापस लोटने की कोशिश करती थी पर पैरों को नहीं रोक पा रही थी वो कुछ ही सीढ़िया शेष बची थी कि पीछे से एक आहट सी हुई उसने पलटकर देखा तो भीमा चाचा ऊपर की ओर ही आ रहे थे यानी भीमा चाचा का काम खतम नहीं हुआ था अब ख़तम हुआ है यानी कि उसे भी जल्दी थी
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