बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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वो इंसान- नमस्कार गुरु भाई में यहां का खादिम हूँ यह जगह मेरे सुपुर्द है और में यहां का करता धर्ता हूँ यह जगह गुरु जी ने आप लोगों के लिए चुना है आइए एक नजर देख लीजिए अगर पसंद ना आए तो बदलाव किया जा सकता है या फिर कोई दूसरी जगह भी चुनी जा सकती है आइए

उसके कहने का तरीका इतना शक्तिशाली था की सभी चुप थे पर आखें फटी पड़ी थी सबकी इतना बड़ा महल में क्या वो लोग रहेंगे बाप रे अंदर घुसते ही एक बड़ा सा हाल था बड़ेबड़े शांडाल लाइट से सजा हुआ और वाइट ग्रीन के साथ-साथ रेड कलर के कॉंबिनेशन का फ्लोर और वैसे ही पर्दे उसपर पड़े हुए गोल्डन कलर का रोप छत पर भी ग्लोड़ें कलर की नक्काशी थी बीच से सीढ़िया जो जा रही थी उसपर रेड कलर का कार्पेट था और सीढ़ियो के साइड में जो पिल्लर थे वो गोल्डन थे वाकई वो एक महल है

वो इंसान- जी अब आपका निवास यह रहेगा गुरु भाई आप अपने परिवार के साथ यहां रहेंगे सभी यहां आपके खादिम है और आपकी आग्या के आनुसार चलने के लिए है बस हुकुम कीजिएगा आइए में आपको बाकी की जगह दिखा देता हूँ फिर क्या था लगभग दो घंटे कैसे निकल गये थे पता भी नहीं चला था एक-एक कमरा और एक-एक जगह दिखाने के बाद जब वो लोग नीचे वापस आए तो किसी के पास कुछ कहने को नहीं था पूरा घर अरे धत्त महल को देखने से लगता था की किसी ने बड़े ही जतन से बनवाया है और कही कोई त्रुटि निकाल कर दिखाने का खुला चेलेंज दिया है नीचे आते ही पीछे की ओर एक रास्ते से बाहर निकलकर वहां पर पड़े बड़े-बड़े चेयर नुमा सोफा पर बैठ गये थे सब मम्मीजी थक गई थी पर बोली कुछ नहीं

वो इंसान- कहिए गुरु भाई कुछ कमी हो तो सब आपके हिसाब का होना चाहिए गुरु जी का आदेश है

पापाजी- नहीं नहीं सब ठीक है

कुछ कहते इससे पहले ही दो शिष्य हाथों में ट्रे लिए हुए उसके सामने हाजिर थी 30 35 साल की होंगी वो बड़े ही अजीब तरह के कपड़े थे एक सफेद कलर का कपड़ा डाल रखा था उन्होंने शायद ऊपर से काट कर गले में डाल लिया था और कमर के चारो ओर एक गोल्डन कलर के पत्ते से बँधा हुआ था और उसपर एक रेड तो कोई गोल्डन कलर का रोप से बाँध रखा था साइड से थोड़ा बहुत स्किन दिख रहा था पर ज्यादा नहीं वैसा ही पोशाक जेंट्स का भी था पोशाक घुटनों तक जाती थी पर कुछ लोग जो गुरु जी के साथ थे उनकी पोशाक तो पैरों तक थी और शायद सिल्क का कपड़ा था वो पर यहां जो लोग थे उनकी पोशाक शायद काटन की थी जो भी हो वो दोनों शिस्या उनलोगों के लिए ग्लास में कुछ ठंडा पेय डालकर उनके सामने रखकर साइड में खड़ी हो गई थी

वो इंसान- यह पे पी लीजिए गुरु भाई आप लोगों की थकान दूर हो जाएगी

सच में जाने क्या था उस शरबत में कि अंदर जाते ही सबकुछ एकदम तरो ताजा हो गये थे शरबत कुछ जड़ी बूटी वाला था यह तो साफ था पर था क्या नहीं मालूम

पापाजी- आअह्ह अच्छा एक बात बताओ गुरु जी से मिलना है कहाँ जाए

वो इंसान- जी बुला लेंगे आपको गुरु भाई आप चिंता ना करे हम यही खड़े है आप लोग थोड़ा सुस्ता ले कहिए तो कमरा ठीक कर दूं

पापाजी- नहीं नहीं ठीक है यही

वो इंसान थोड़ा सा पीछे जाकर खड़ा हो गया था सभी मंत्र मुग्ध से इधर उधर देख रहे थे की पापाजी बोले
पापाजी- हाँ… अब क्या क्यों कामेश कामया

कामेश- जी मुझे तो कुछ समझ में नही आ रहा पापा इतना इंतज़ाम कब कर लिया गुरु जी ने

मम्मीजी- अरे गुरु जी है उनको सब पता है

पापाजी- हाँ… पर बात सिर्फ़ इतना नहीं है कि यहां रहना है पर दायत्व बहुत बड़ा है और गुरु जी तो कामया को अपना उत्तरिधिकारी भी चुन चुके है तो फिर अब क्या करना है यह सोचो

कामेश- हाँ… पापा गुरु जी से यह साफ कर लो कि कामया से पूजा पाठ जैसा कोई काम अभी से मत करवाएँ यह नहीं बनेगा इससे क्यों कामया

कामया ......

मम्मीजी हाँ… और क्या अभी उमर ही क्या है इसकी यह सब बाद में

पापाजी- पर बोलेंगे क्या यह सोचो इतना इंतज़ाम करके रखा है पूरा परिवार के लिए जगह बना दी है और पता नहीं क्या के सोचकर बैठे होंगे वो

तभी वो इंसान उनके पास आया और पापाजी से कुछ बोला

पापाजी- चलो गुरु जी ने बुलाया है

वो सब उस इंसान के साथ उसे छोटे से महल के डोर तक आए फिर वही शिस्या उन्हे लेके एक अलग रास्ते से चल पड़ी थी एक बड़े से खुले हुए कमरे में कुछ लोग बैठे थे और कुछ खड़े थे गुरु जी का आसान यहां भी अलग सा था देखते ही बोले
गुरु जी- क्यों ईश्वर पसंद आया क्या कहते हो विद्या कुछ बदलाव चाहिए

पापाजी- नहीं गुरु जी सब ठीक है

गुरु जी ..बैठो हाँ और यह पेपर्स है पढ़ लो और साइन करदो और कुछ बदलाव चाहिए तो बता दो वकील लोग यही खड़े है
एक ब्लैक कोट पहेने हुए अधेड़ सा आदमी कुछ पेपर्स को देखते हुए आगे बढ़ा था कामेश और कामया एक सोफे में बैठे थे और पापाजी और मम्मीजी एक सोफे में बैठे ही अंदर तक धस्स गये थे पर था आराम दायक वो एक पेपर का सेट पापाजी के हाथों में, एक पापर का सेट कामेश के हाथों में और एक सेट कामया के हाथों में रखकर पीछे हट गया था कामया के हाथों में जो सेट था उसमें साफ-साफ लिखा था कि आज से कामया जो की कामेश की पत्नी है और ईश्वर के घर की बहू है को गुरु जी अपना उत्तराधिकारी बनाते हुए अपनी चल आचल संपत्ति का मालिकाना हक दे रहे है अब वो इस अश्राम के साथ-साथ बहुत से और भी अड्रेस्स और बहुत कुछ लिखा था की मालकिन है पढ़ते पढ़ते कामया की आखें फटी की फटी रह गई थी वो कामेश की ओर देख रह थी पर कामेश तो साइन कर रहा था

कामया ने भी एक बार पलटा कर उस पेपर को देखा था पीछे गुरु जी के साइन के अलावा चार साइन भी थे और गुरु जी की फोटो के साथ उसका फोटो भी लगा था बस साइन करना बाकी था

तब तक कामेश ने अपना पेन कामया की ओर कर दिया था कामया ने एक नजर कामेश और फिर पापाजी की ओर उठाई थी पर सभी चुपचाप थे कामेश ने एक बार उसे आखों से इशारा भर किया था कि साइन कर दे और कामया ने साइन कर दिया वो वकील वापस आके सभी से पेपर ले लिया और गुरु के सामने रख दिया

गुरु जी- तो ईश्वार आज से तेरा परिवार यहां का हो गया ठीक है अब से तुम और कामेश मेरे अरे नहीं हमारी सखी की संपत्ति की देख भाल करोगे अब मेरा कुछ नहीं है यहां चाहो तो एक धक्का मारकर निकाल दो हाहहाहा

पापाजी- अरे गुरु जी आपका ही दिया हुआ है सब हमारा क्या है

गुरुजी- अरे नहीं ईश्वर यह सभी तो हमारी सखी का है और तुम लोग बस इसकी देख भाल करोगे बाकी का काम हमारी सखी करेगी अब से सखी जो करेगी वो तुम दोनों को सम्भालना है मेरी जो भी चल आचल संपत्ति थी आज से वो उसकी मालकिन है और तुम दोनों मेरे पूरे बैंक और रुपये पैसे का हिसाब रखोगे इसके बाद जो भी निर्णए लेना हो तुम दोनों के हाथों में है मेरा यहाँ किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा फिर थोड़ा सा बातें और फिर खाने के लिए सभी एक साथ आगे बढ़े बाअप रे बाप इतना बड़ा डाइनिंग स्पेस उउउफफ्फ़ पूरा शहर समा जाए यहां तो खाने से टेबल पटा पड़ा था कितने लोग थे पता नहीं कुछ कोट पहने हुए थे तो कुछ पैंट शर्ट पहने हुए थे सभी के साथ साथ गुरु जी ने भी आसन ग्रहण किया और खाना शुरू हो गया था

खाने के बाद गुरु जी ने एक बार फिर कामेश के परिवार को अपने पास बुला लिया था और एक आलीशान कमरे में बुलाकर बोले
गुरु जी- हाँ तो ईश्वर क्या सोचा तुमने बोलो

पापाजी- जी हमें क्या सोचना गुरु जी सब आपके ऊपर है जैसा आदेश होगा करेंगे

गुरु जी- हाँ… एक काम करो तुम जल्दी से अपना बाहर का काम कब तक खतम कर लोगे यानी की दुकान शो रूम और सभी काम को किसी ना किसी को तो सोपना पड़ेगा ना

पापाजी- जी कोई एक हफ़्ता तो लगेगा ही गुरु जी

गुरु जी- हाँ… और कामेश तुम्हारा

कामेश- लगभग इतना तो

गुरु जी- तो ठीक है एक काम करो तुम सब लोग अपना काम खतम करके वापस यहां एक हफ्ते में चले आओ विद्या तुम भी और इसी जगह में शिफ्ट हो जाओ तुम लोग तो अपना काम ठीक से कर लोगे चिंता है तो सिर्फ़ हमें हमारी सखी की है क्यों सखी तुम्हारा कोई काम बचा है क्या

कामया- जी

गुरु जी- तुम्हारी जिम्मेदारी कुछ अलग सी है हमें तुम्हारी जरूरत ज्यादा है क्योंकी तुम्हारा अभिषेक करना है हमारे जाने से पहले इसके लिए तुम्हें तैयार होना या करना बहुत जरूरी है और हमारे पास ज्यादा टाइम नहीं है

मम्मीजी- आप आदेश करे गुरु जी

गुरु जी- हाँ… वैसे हमारी सखी का काम है क्या बाहर

पापाजी- जी , कुछ खास नहीं गुरु जी वो तो कामेश देख लेगा और में हूँ थोड़ा बहुत ही है

गुरु जी तो ठीक है एक काम करते है तुम लोग जब तक वापस आओगे तब तक हम हमारी सखी को देश के सामने कामयानी देवी बनाकर प्रस्तुत करदेंगे कहो कोई आपत्ति तो नहीं

मम्मीजी- पर गुरु जी बहू की उम्र अभी कम है अभी से पूजा पाठ करेगी तो,

गुरु जी- अरे विद्या तू तो अब तक भोली ही है में कौन सा इससे इसका जीवन छीन रहा हूँ में तो इसे इस अश्राम के हिसाब से ढाल रहा हूँ इसके लिए इसे यहां रहना पड़ेगा की नहीं

पापाजी- जी गुरु जी

गुरु जी- जैसे की हम इसे अपना उत्तराधिकारी बनाएगे तो इसे कुछ तो सिखाना पड़ेगा की नहीं काम से काम अश्राम के तौर तरीके तो समझना पड़ेगा और फिर जब यह संसार के सामने कामयानी देवी के रूप में आएगी तब देखना क्या वैभव और सम्मान मिलता है तुम्हारी बहू को क्यों सखी तैयार हो ना

कामया-
मम्मी और पापाजी- जी जैसा आप उचित समझे गुरु जी

गुरु जी- क्यों कामेश- एक हफ्ते तक अपनी पत्नी से अलग रह पाओगे की नहीं

कामेश- जी झेंपता हुआ सा जबाब दिया था

गुरु जी- और तुम दोनों जिंदगी भर पति पत्नी रहोगे में तुम्हें अलग नहीं कर रहा हूँ बस एक दायित्व सोप रहा हूँ क्यों ईश्वर

पापाजी- जी गुरु जी जैसा आप ठीक समझे

गुरु जी- तो ठीक है आज से बल्कि अभी से सखी अश्राम में रहेगी और तुम लोग जितना जल्दी हो सके अपना काम खतम करके यहां लौट आओगे दो दिन बाद सखी एक बार घर आएगी और फिर अश्राम क्यों सखी कोई आपत्ति तो नहीं

कामया-
चुप क्या कहती वो चुपचाप सिर झुकाए हुए बैठी रही झुकी नजर से एक बार कामेश की और फिर पापाजी और मम्मीजी की ओर देखा सभी को सहमत देखकर वो भी चुप थी

गुरु जी- मनसा
एक सख्त पर धीमी आवाज उस कमरे में गूँज गई थी एक 30 35 साल की औरत वही वाइट कलर का ड्रेस पहने हुए जल्दी से आई और गुरु जी के सामने हाथ जोड़ कर खड़ी हो गई थी

गुरु जी- आज से रानी साहिबा आपकी जिम्मेदारी है हमारी सखी का पूरा खयाल आपको रखना है और इस आश्रम के नियम क़ायदे भी इन्हें सिखाना है आज से आप पूरे समय 24 घंटे रानी साहिबा के साथ रहेंगी

मनसा- जी जो हुकुम गुरु जी

और कामया की ओर पलटकर
मनसा- आइए रानी साहिबा
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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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कामया ने एक बार कामेश और सभी की ओर देखा सबकी चेहरे पर एक ही भाव थे कि आओ सो कामया ने भी अपने कदम आगे बढ़ा दिए और धीरे से मनसा के साथ हो ली, मनसा कामया को लेकर जैसे ही उस कमरे के बाहर निकली वो एक बड़े से गलियारे में थे साइड में बहुत सी ऊँची पैंटिंग लगी थी और गमलों का तो अंबार था कुछ लोग भी थे जो शायद साफ सफाई कर रहे थे जैसे ही कामया को देखा सभी हाथ जोड़े खड़े हो गये थे सबके चहरे पर एक आदर का भाव था और एक इज़्ज़त थी
कामया उन सबके बीच से होती हुई संकोच और लजाती हुई धीरे-धीरे मनसा के पीछे-पीछे चली जा रही थी चमकीले फर्श पर से उसे सामने का और ऊपर का हर दृश्य साफ दिख रहा था पर शरम का उसके ऊपर एक बोझ सा था कुछ भी ठीक से देख नहीं पाई थी वो एक तो डर था कि कामेश और घर वाले से दूर थी एक अंजान सी जगह पर

मनसा के साथ चलते हुए वो एक घुमाव दार सीढ़ियो पर से होते हुए दूसरे माले पर पहुँची थी

मनसा- आइए रानी साहिबा यहां आपका कमरा है

बड़े-बड़े पर्दे के बीच से होते हुए नक्काशी किए हुए गमले और कुछ आंटीक प्फ्र के बीच से होते हुए कामया एक बहुत बड़े से कमरे में पहुँची थी कमरा नहीं हाल कहिए एक बड़ा सा बेड कमरे के बीचो बीच में था ग्राउंड लेवेल से ऊँचा था काफी ऊँचा था उसके चारो और नेट लगा था कमरे में कुछ नक्काशी दार चेयर्स और दीवान थे कालीन था और ना जाने क्या-क्या पर था बड़ा ही आलीशान

मनसा- आज से यह कमरा आपका है रानी साहिबा

कामया- यह मुझे रानी साहिबा क्यों कह रहे हो आप

मनसा- यहां का उसूल है जो नाम गुरु जी देते है उससे ही बुलाया जाता है बस इसलिए आपको रानी साहिबा आपके पति को राजा साहब और आपकी मम्मीजी को रानी माँ और आपके पापाजी को बड़े राजा साहब
बस यही नियम है

कामया- एकटक उस कमरे की वैभवता को देख रही थी और मनसा की बातें भी सुन रही थी

मनसा- अच्छा आप कपड़े बदल लीजिए

और एक बड़ी सी अलमारी की ओर बढ़ ती वो पर उसे खोलते ही कामया का दिल बैठ गया था वहां तो सिर्फ़ एक ही लंबा सा वही सफेद कलर का कपड़ा टंगा हुआ था मनसा ने उस कपड़े को निकलकर कामया के सामने रख दिया था

मनसा- आइए में चेंज कर दूं

कामया- नहीं नहीं में कर लूँगी और यह क्या है क्या मुझे भी इस तरह का ड्रेस पहनना पड़ेगा

मनसा- हाँ रानी साहिबा यह अश्राम का नियम है यहां कोई सिला हुआ कपड़ा नही पहनता सिर्फ़ गुरु जी और शायद बाद में आप

कामया- पर यह तो क्या है सिर्फ़ एक लंबा सा कपड़ा ही तो है फिर

मनसा- यह आश्रम है रानी साहिबा आपको भी आदत हो जाएगी आइए

और मनसा कामया की ओर बढ़ी थी कामया थोड़ा सा पीछे की ओर हट गई थी

कामया- कहा ना हम करलेंगे आप जाइए

मनसा के होंठों पर एक मुश्कान थी

मनसा- अब से आदत डाल लीजिए रानी साहिबा आपका काम करने के लिए पूरा अश्राम नत मस्तक है आपको कुछ नहीं करना है बस आराम और आराम बस

कामया ने एक बार मनसा की ओर देखा था पर हिम्मत नहीं हुई थी सो वो वैसे ही खड़ी रही थी मनसा थोड़ा सा पीछे हटी थी और नमस्कार करते हुए बाहर की ओर जाने लगी थी

मनसा- आप कपड़े बदल कर थोड़ा आराम कर लीजिए और कुछ जरूरत हो तो साइड टेबल पर रखी घंटी बजा दे में आजाउन्गी ठीक है रानी साहिबा

कामया ने एक बार घूमकर उस टेबल पर रखी हुई घंटी को देखा और फिर सिर हिलाकर उसे विदा किया था मनसा के कमरे से बाहर जाते ही वो एक बार उस कपड़े को पलटकर देखने लगी थी वो सिर्फ़ बीच से थोड़ा सा कटा हुआ था ताकि सिर घुसा सके और कुछ कही नहीं था यानी कि उसे सिर से घुसाकर पहनना था और वही कमर के चारो और वो एक सुनहरी सी डोरी पड़ी थी उसे बाँधना है

कामया ने एक बार कमरे के चारो ओर देखा था एक डोर और था वो आगे बढ़ी थी और उसे खोला था बाथरूम था या हाल बाप रे बाप इतना बड़ा बाथरूम क्या नहीं था वहाँ चेयर भी था अरे बाथ टब पर सोने की नक्काशी किया हुआ था फ्लोर एकदम साफ चमकता हुआ सा और जैस दूध से नहाया हुआ था उसका बाथरूम पर्दे और ना जाने क्या-क्या कामया बाथरूम में घुसी और अपने कपड़े चेंज करने लगी थी मनसा ने बताया था कि सिले हुए कपड़े नहीं पहनना है तो क्या ब्रा और पैंटी भी नहीं फिर क्या ऐसे ही छि

पर क्या कर सकती थी वो किसी तरह से अपने कपड़े उतार कर उसने वही रखे हुए टेबल पर रख दिए थे और जल्दी से वो कपड़ा ऊपर से डाल लिया था कमर में डोरी बाँध कर अपने आपको मिरर में देखा था वह कोई रोमन लेडी लग रही थी हाँ शायद रोमन लोग इस तरह का ड्रेस पहनते थे साइड से थोड़ा सा खुला हुआ था उसने किसी तरह से कपड़े को खींचकर अपने आपको ढका था और डोरी से बाँध कर अपने आपको व्यवस्थित किया था

अब ठीक है वो मुँह हाथ धोकर वापस कमरे में आ गई थी और बेड की ओर बढ़ी थी एक छोटी सी तीन स्टेप की सीढ़ी थी जो कि बेड पर जाती थी उठकर वो बेड पर पहुँचि थी और बेड कवर को खींचकर हटाया था बेड वाइट और पिंक कलर के हल्के से प्रिंट का था शायद पूरा का पूरा ही सिल्क का था कामया थकि हुई थी इसलिए कुछ ज्यादा देख ना सकी और जानने की चाहत होते हुए भी उसने जल्दी से अपने आपको बिस्तर के सुपुर्द कर दिया था लेट-ते ही वो अंदर की ओर धँस गई थी शायद बहुत अंदर क्या गधा था वो नरम और इतना आराम दायक बाप रे किससे बना था यह
पर बहुत जल्दी ही वो सो गई थी और शायद किसी के हिलाने से ही वो उठी थी

मनसा- उठिए रानी साहिबा आपके स्नान का समय हो गया है

कामया को समझ नहीं आया कि अभी नहाना है पर अभी क्या बजा है अरेक्या है यह क्या रिवाज है धात

कामया- टाइम क्या हुआ है

मनसा- जी गो धूलि बेला हो गई है

कामया- क्या

मनसा- जी शाम हो गई है शायद 7 बजे होंगे

कामया- तो अभी नहाना पड़ेगा

मनसा- जी रानी साहिबा असल में गुरु जी का आदेश है आपके काया कल्प का उसके लिए जरूरी है चलिए आपके लिए चाय लाई हूँ आपको चाय की आदत है ना,

कामया ने एक बार मनसा की ओर देखा बहुत ही साफ रंग था मेच्यूर थी पर बड़ी ही गंभीर थी सुंदर थी नाक नक्स एकदम सटीक था कही कोई गलती नहीं अगर थोड़ा सा सज कर निकलेगी तो कयामत कर देगी पर
मनसा ने उसे चाय का कप बढ़ाया था कामया जल्दी से चद्दर के नीचे से निकलकर बैठी थी वो कपड़ा ठीक ही था ढँका हुआ था पर चद्दर के अंदर वो उसके कमर तक आ गया था उसने अंदर हाथ डालकर एक बार उसे ठीक किया था और हाथ बढ़ा कर चाय का कप ले लिया था मनसा उसके पास खड़ी थी नीचे नज़रें किए हुए

कामया सहज होने की पूरी कोशिश कर रही थी पर एक अलग सा वातावरण था वहां शांत सा और बहूत ही शांत इतने सारे लोगों होने के बाद भी इतनी शांति खेर चाय पीकर कामया ने खाली कप मनसा की ओर बढ़ा दिया था

मनसा- अब चलिए स्नान का वक़्त हो गया है

कामया- अभी स्नान

मनसा- जी आज से आपका काया कल्प का दौर शुरू हो रहा है रानी साहिबा बाहर की दुनियां को कुछ दिनों के लिए भूल जाइए
कामया- पर अभी शाम को स्नान कोई नियम है क्या

मनसा- नहीं रानी साहिबा आपके लिए कोई नियम नहीं है पर गुरु जी का आदेश है

इतने में साइड टेबल पर रखा इंटरकम बज उठा था मनसा ने दौड़ कर फोन रिसीव किया था

मनसा- जी गुरु जी जी

और फोन कामया की ओर बढ़ा दिया था

कामया- जी

गुरु जी- कैसी हो सखी अच्छे से नींद हुई

कामया- जी

गुरु जी- अच्छा मेरी बात ध्यान से सुनो और अगर मन ना हो तो मत करो ठीक है

कामया- जी

गुरु जी- जब तक तुम आश्रम में हो अपना तन मन और धन का मोह छोड़ दो और अपने आपको इस संसार के लिए तैयार करो आने वाले कल आपको हमारी जगह संभालनी है इसलिए तैयार हो जाओ और किसी चीज का ध्यान मत करो फिर देखो कैसे तुम्हारा तन और मन के साथ धन तुम्हारे पीछे-पीछे चलता है यह संसार तुम्हारे आगे कैसे घुटने टेके खड़ा रहता है और तुम हमारी सखी कैसे इस संसार पर राज करती है

कामया-

गुरु जी -- हमारी बात ध्यान से सुनना सखी कोई नहीं जानता कि कल तुम क्या करोगी पर हम यानी की में और आप ही यह बात जानते है इस अश्राम में रहने वाला हर इंसान तुम्हारा गुलाम है एक आवाज में वो अपनी जान तक दे सकता है और जान भी ले सकता है इसलिए तैयार हो जाओ और जो मनसा कह रही है करती जाओ कोई संकोच मत लाना दिमाग में नहीं तो जो कुछ तुम पाना चाहती हो वो थोड़ा सा पीछे टल जाएगा और कुछ दिनों के बाद तुम अपने पति सास ससुर के साथ आराम से इस अश्राम में रह सकती हो और राज कर सकती हो

कामया- जी

गुरु जी- हम तुम्हें दो दिन बाद मिलेंगे तब तक तुम्हारा काया कल्प हो जाएगा और तुम अपने घर से भी घूम आओगी ठीक है ना सखी

कामया- जी
और फोन कट गया था रिसीवर मनसा की ओर बढ़ा दिया था

और अपने ऊपर से चद्दर खींचकर अलग कर दिया था जैसे ही अपने आपको देखा तो वो जल्दी से अपने आपको ढकने की कोशिस करने लगी थी

मनसा- आइए रानी साहिबा

और अपने हाथों से कामया की जाँघो को ढँक कर उसे सहारा देकर बेड से उतरने में सहायता की कामया ने भी अपने जाँघो को थोड़ा सा ढँका फिर कुछ ज्यादा ना सोचते हुए अपने पैर नीचे जमीन पर रख दिए पैरों में हल्की सी गुदगुदी मची तो नीचे देखने पर पाया कि सफेद सिल्क का बना हुआ एक स्लीपर रख हुआ था मनसा ने आगे बढ़ कर उसके पैरों में वो स्लीपर डाल दिया और आगे आगे चल दी कामया उस अजीब सी पोशाक पहने हुए मनसा के पीछे-पीछे चल दी चलते समय उसकी टाँगें बिल्कुल खाली हो जाती थी और उसके ऊपर से कपड़ा हट जाया करता था जिससे कि उसकी टाँगें जाँघो तक बिल कुल चमक उठ-ती थी

कामया की चाल में एक लचक जो थी पता नहीं क्यों अब कुछ ज्यादा दिख रही थी वो जा तो मनसा के पीछे रही थी पर निगाहे हर जगह घूम रही थी कॉरिडोर से चलते हुए जो भी मिलता था अपनी नजर नीचे किए हुए था और एक आदर भाव से नतमस्तक हुए खड़ा था सफेद और गोल्डन कलर के बड़े-बड़े पर्दो के बीच से होते हुए कामया एक बड़े से कमरे में पहुँचि थी जहां बीचो बीच एक बड़ा सा तालाब बना हुआ था और पास में वैसे ही कुछ छोटे कुंड बने हुए थे शेर के मुख से पानी की निर्मल धार बहुत ही धीमे से बह रही थी एक कल कल की आवाज़ से वो कमरा भरा हुआ था कुंड के पानी में गुलाब की पंखुड़िया तैर रही थी
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Re: बड़े घर की बहू

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कामया एक बार पूरे कमरे को गोर से देखती हुई आगे बढ़ती रही कही कोई नहीं था हल्के से सफेद पर्दो से ढका हुआ था पूरा कमरा भीनी भीनी खुशबू आ रही थी हर तरफ शांति थी पर फिर भी घुन घुन की एक मदमस्त आवाज से गूंजा हुआ था वो कमरा खड़ी-खड़ी कामया हर चीज को बड़े ध्यान से देख रही थी

मनसा- खास आपके लिए बनाया है यह कमरा गुरु जी ने

कामया एक बार मनसा की ओर देखकर फिर से उस वैभव भरे कमरे को देखती रही इतने में दूर एक बड़ा सा डोर खुला और बहुत सी लगभग 7-8 महिलाए वही सफेद कलर का कपड़ा डाले हाथों कुछ थाली या दोना लिए आगे उसकी ओर बढ़ी थी कामया ने एक बार मनसा की ओर देखा

मनसा- सब आपके लिए है रानी साहिबा,

कामया- पर क्यों
मनसा- आपके स्नान के लिए

कामया- पर में खुद नहा सकती हूँ

मनसा- नहीं रानी साहिबा अब से अपना काम खुद करना छोड़ दीजिए यह सब दस दासिया है ना आपके लिए इस आश्रम का हर एक सख्स आपका दास है आइए नहा लीजिए

और मनसा कामया को लिए आगे उस कुंड की ओर बढ़ी और उसके पास जाकर अपने हाथों से कामया की कमर में बँधे सिल्क के वो रोप को खोलने लगी पर कामया ने झट से अपने हथेली रखकर मनसा को रोक दिया

कामया- पर इतने लोगों के सामने

मनसा- आप चिंता मत कीजिए रानी साहिबा दस दसियो से कैसा शरम वो तो है ही इसकाम के लिए और रानी साहिबा आप खुद क्यों करेंगी काम चलिए बहुत कुछ बचा है समय से पूरा होना है

और धीरे से मनसा ने कामया के कमर में बँधे उस सिल्क रोप को खोलकर साइड में रख दिया और उसका कपड़े को भी धीरे से उसके सिर से निकालने के लिए आगे बढ़ी

कामया- नहीं प्लीज मुझे शरम आ रही है

मनसा- शरम कैसी रानी साहिबा सभी तो महिलाए ही है कुछ नया नहीं है सभी एक जैसी ही होती है
कामया कुछ ना कह सकी और चुपचाप खड़ी रहकर अपना मूक समर्थन दे दिया था और जैसे ही कपड़ा सिर से हटा था कामया एकदम नग्न अवस्था में खड़ी थी दोनों हाथों को इधर-उधर करके अपनी योनि और चूचियां पर रखा था पर कोई फ़ायदा नहीं मनसा उसे लिए आगे बढ़ी थी और धीरे-धीरेएक-एक स्टेप करके उसे उस कुंड में उतार दिया था बहुत सारे हाथों के सहारे वो हो चुकी थी एक साथ और धीरे से उसे खड़ा करके उन महिलयो ने उसे धीरे-धीरे अपने चुल्लू में पानी भरकर उसे गीलाकरने लगी थी पानी में जाते ही कामया का शरीर एक बार फिर से ढँक गया था और गले तक वो बैठने से गीला हो चुका था
थोड़ा गरम था वो पानी थकान के साथ पूरे दिन का भाग दौड़ का अंत था वो कितना अच्छा लग रहा था उस कुंड में बैठे हुए 7-8 महिलाओ ने अपना काम बाँट लिया था कोई पैरों से लेकर जाँघो तक तो कोई सिर्फ़ हाथों पर तो कोई पीठ पर तो कोई पेट से लेकर उसके चूचियां पर कई हाथों का स्पर्श एक साथ उसके शरीर पर होने लगे थे मनसा जो की अब भी ऊपर थी कुंड से बोली

मनसा- रानी साहिबा अपने शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दे और इन्हें इनका काम करने दे स्नान के लिए ही है यह अभी जरा भी तनाव में मत रहिएगा नहीं तो नहाने का कोई मतलब नहीं निकलेगा

कामया नहीं समझ पाई कि क्या कह रही है वो पर अब धीरे-धीरे कामया को मजा आने लगा था गरम-गरम पानी में वो सीधा बैठी थी पर हर एक हाथ उसके शरीर में घूम घूमकर उसके हर एक अंग को छूकर उसे थोड़ा सा रगड़कर साफ करती जा रही थी इतने सारे हाथों ने एक साथ कामया को कभी नहीं छुआ था हर एक हथेली अलग अलग प्रकार का स्पर्श कर रही थी कोई सहलाकर तो कोई रगड़कर तो कोई थोड़ा सा छेड़ कर कामया को नहलाने की कोशिश कर रहा था कोई आवाज नहीं हो रही थी सिर्फ़ और सिर्फ़ कल कल की एक मधुर आवाज जो की पूरे कमरे में गूँज रही थी कामया ने धीरे से अपनी आखें बंद करली थी पास में ऊपर बैठी मनसा उससे कुछ कुछ कहती जा रही थी जैसे उसे डाइरेक्ट कर रही हो

कामया अब तक थोड़ा सा नार्मल हो चुकी थी जहां तहाँ हाथों का घूमना अब उसे अच्छा लगने लगा था अब तक उसके शरीर ने सिर्फ़ मर्दाना हाथों का स्पर्श ही जाना था पर आज महिलयो के स्पर्श से उसे एक नई बात का पता चला था कि कितना नरम और सुखद स्पर्श था यह कितना जाना पहचाना और बिना किसी जिग्याशा लिए हुए हर कोने को इस तरह से साफ कर रही थी जैसे की तरस रही थी एक अजीब सी उत्तेजना कामया के अंदर जनम लेने लगी थी जाँघो के साथ-साथ जब कोई उंगलियां उसे योनि में टच होती थी तो एक सिसकारी सी उसके मुख से निकल जाती थी पर वहां खड़े किसी को कोई फरक नहीं पड़ रहा था पानी में बैठी हुई कामया ने अपने दोनों बाहों को फैला रखा था या कहिए उन महिलाओ ने ही उसे ऐसा करने को मजबूर कर दिया था

बाहों के साथ-साथ उसकी चुचियों तक को अच्छे से धीरे-धीरे सहलाकर साफ करती जा रही थी वो उसके दोनों ओर बैठी महिलाए बिना किसी संकोच के उसके हर अंग को इस तरह से छू रही थी कि जैसे कोई मूर्ति हो या फिर कोई चीज हो कामया जिसे उन्हें सॉफ और सुंदर बनाना था इसी तरह से महिलाओं ने कामया को इस तरह से मसलना और छुना शुरू किया था क़ी कामया पहले तो थोड़ा सा नियंत्रण में थी पर धीरे-धीरे अपने आपको भूलने लगी थी और उन्ही के सुपुर्द अपने शरीर को धीरे-धीरे उनकी हरकतों के अनुरूप और उसके छूने के अनुरूप अपनी उत्तेजना को और भी आगे की ओर ले जाने लगी थी कोई उसके शरीर को इस तरह से छुए तो क्या वो रुक सकती थी वह फिर कंट्रोल कर सकती थी क्या जहां एक नजर के आगे वो झुक जाती थी और एक स्पर्श के आगे वो अपने आपको सुपुर्द कर देती थी वही जब इतने सारे हाथों का स्पर्श उसके शरीर में होने लगा तो वो अपने आपको और संभाल नहीं पाई थी और धीरे-धीरे उसके शरीर में अंगड़ाई भरने लगी थी अब तो उसकी टांगे भी थोड़ा इधर उधर होने लगी थी और जैसे ही उसकी चुचियों को कोई छूता था तो वो खुद थोड़ा सा आगे होकर अपनी चुचियों को उसकी हथेली तक पहुँचाने की कोशिश करने लगी थी

कामया का शरीर अब उसके नियंत्रण में नहीं था अब उसपर उत्तेजना हावी होती जा रही थी उसके हर अंग में एक अजीब सी कसक और मदभरी और मस्ती का रंग धीरे-धीरे चढ़ने लगा था पर वहां बैठी महिलाए इस बात से अंजान थी शायद किसी को भी कामया का हाल पता नहीं था या कहिए उन्हें सब पता था और वो कर भी इसीलिए रही थी जो भी हो कामया अब जाग सी गई थी आखें खोलकर हर महिला की ओर देखने लगी थी बड़ी-बड़ी आँखों वाली कामया के देखने में भी एक ललक थी जैसे कह रही हो और करो और कामया के साइड में बैठी दोनों महिलाए उसकी बाहों को एक सफेद कपड़े से घिस रही थी और कभी-कभी वही कपड़ा उसके बगल से होता हुआ उसकी चुचियों तक पहुँच जाता था एक लहर सी दौड़ जाती थी उसके अंदर अपनी बड़ी-बड़ी आखों से वो उस महिला की ओर देखती थी पर वो तो चुपचाप अपने काम को अंजाम दे रही थी कामया की जाँघो के पास बैठी दो महिलाए भी इसी तरह से अपने हाथों में लिए तौलिया के टुकड़े से उसकी जाँघो से लेकर पैरों के नीचे तक घिस घिस कर साफ कर रही थी पर जैसे ही वो ऊपर की ओर उठ-ती थी उसकी उंगलियां उसकी योनि को छूती थी कामया एक बार तो गहरी सांस लेकर चुप हो जाती थी पर अब तो जैसे वो उठकर उन्हें और आग भड़काने को उकसाने लगी थी उसने धीरे-धीरे से अपनी जाँघो को उठा लिया था और अपनी खुली हुई बाहों को भी थोड़ा सा अपने पास तक मोड़कर ले आई थी
मनसा- अपने आपको बिल्कुल ढीला छोड़ दे रानी साहिबा
कामया- हाँ… आआआआआआअ

मनसा- बिल्कुल कुछ ना सोचे यह सब इसकाम में निपुण है आपको कोई दिक्कत ना होगी रानी साहिबा

कामया- हमम्म्ममम
और अपने पास बैठी, हुई महिला के गले में अपनी बाँहे डाल दी थी कामया ने और अपने पास खींचने लगी थी उस महिला ने भी कोई आपत्ति नहीं की और खींचकर कामया से सट कर बैठ गई थी और वही धीरे-धीरे अपने हाथों से कामया की चुचियों के बाद उसके पेट तक गीले कपड़े से साफ करती जा रही थी कामया अपनी दोनों बाहों को खींचने लगी थी और उसके अंदर पास में बैठी हुई महिलाए भी आने लगी थी कामया के खींचने से कोई फरक नहीं पड़ा था उन दोनों को बल्कि खींचकर उसके पास आने पर भी वो अपने काम में ही लगी रही थी बल्कि और ज्यादा ही इन्वॉल्व हो कर लगता था की जैसे रानी साहिबा को उनका काम पसंद आया था इसलिए अपने पास खींचा था पर यहां तो कहानी कुछ और थी कामया की उत्तेजना इतनी बढ़ गई थी कि उसे अब बस कुछ ऐसा चाहिए था कि उसे शांत कर सके पर यहां जो था वो कामया के लिए पर्याप्त नहीं था


अपनी बाहों में भरे हुए दोनों महिलाओं का चेहरा उसके बहुत पास था और उसकी साँसे एक-एक कर उसके गर्दन घुमाने से उसके ऊपर पड़ रहा था पर वो तो एक कट्पुतली की तरह अपने काम में लगी हुई थी पर पास या कुंड के ऊपर बैठी हुई मनसा यह सब ध्यान से देख रही थी और अब वो धीरे से कामया के पास सरक आई थी और अपने हाथों को जोड़ कर ऊपर से ही कामया के गालों पर रख दिया था और धीरे से सहलाने लगी थी आग में घी का काम करने लगा था यह कामया का चेहरा धीरे से ऊपर उठा था होंठ खुले हुए और आखें बंद थी उसकी पर हर अंग जाग चुका था अपने सामने इस तरह के लोग उसने जीवन में पहली बार देखे थे और उनके हाथों का कमाल भी पहली बार ही एहसास किया था कोमल पर सधे हुए हर स्पर्श में एक जादू सा छा रहा था कामया के अंदर एक अजीब सी कसक को जनम दे रहे थे और एक उत्तेजना को जनम दे रहे थे

कामया के चहरे पर जो हाथ मनसा का घूम रहा था वो भी सधे हुए तरीके से अपना काम कर रहे थे गालों से लेकर गले तक और फिर थोड़ा सा नीचे की ओर पैरों के पास बैठे हुए दोनों महिलाए टांगों से लेकर जाँघो तक हाथों के फेरते हुए उसके योनि और गुदा द्वार को कभी-कभी छेड़ देते थे योनि के अंदर एक गुदगुदाहट होने लगी थी पानी के अंदर ही पानी की बोछार होने लगी थी कामया अपने को और नहीं रोक पाएगी वो जानती थी वो भूल चुकी थी कि वो अश्राम में है और उसके पास दस दासियाँ उसे नहला रही है एक के बाद एक अजीब तरह की आवाजें उसके होंठों से निकल रही थी उत्तेजना से भरी मादकता से भरी और हर एक आवाज में एक नयापन लिए हुए मंद आखों से कामया अपने चारो ओर बैठी हुई औरतों को देखती भी थी और उन्हे अपने पास खींचती भी थी वो सारी औरते कामया के हर खिचाव के साथ अब कामया से सटी हुई थी और अपने काम में लगी हुई थी कि जाँघो के पास बैठी हुई दोनों औरतों ने बारी बारी से उसकी योनि को छेड़ना शुरू कर दिया था और पास में बैठी हुई दोनों औरतों ने कामया की चुचियों को धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया था कभी-कभी उसके निपल्स को भी दबाकर उन्हें साफ करती जा रही थी कामया के मुख से आवाज जो की थोड़ा सा हल्का था अब तक वो और तेज होने लगी थी हाथ पाँव कसने लगे थे

कामया- हमम्म्ममम आआआह्ह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह उूुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफ्फ़

मनसा- ढीला छोड़ दीजिए रानी साहिबा अपने शरीर को हर अंग को धोना और साफ करना जरूरी है आराम से बैठ जाइए आप और हमें अपना काम करने दीजिए बिल्कुल संकोच ना कीजिए

कामया- पर अजीब सा लग रहा है हमम्म्मम सस्स्स्स्स्शह,

मनसा- लगने दीजिए रानी साहिबा सब ठीक हो जाएगा

कामया- खूब अजीब सा सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स लग रहा, आआआह्ह

मनसा- कुछ नहीं है रानी साहिबा आपके शरीर के अंदर का ज्वर है ढीला छोड़ दीजिए निकल जाएगा और ढीला छोड़ दीजिए अपने शरीर को

कामया ने अब अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया था पर उत्तेजना के शिखर पर पहुँचे हुए इंसान को क्या कुछ सूझता है योनि के अंदर तक धीरे-धीरे उन दोनों ने अपनी उंगली पहुँचा दी थी वो भी एक के बाद एक ने और धीरे-धीरे और अंदर तक उसके अंतर मन को छेड़ती हुई सी वो कैसे ढीला छोड़ दे

पर कामया का कोई बस नहीं था अपने ऊपर वो कुछ नहीं कर सकती थी तभी उसके चेहरे को सहलाती हुई मनसा की उंगलियां उसके होंठों को छूकर जैसे ही आगे बढ़ती कामया ने झट से उसकी उंगली को अपने होंठों से बढ़ा लिया था और अपनी जीब से उसे चूसने लगी थी दोनों बाहों में भरे हुए साथ में बैठे हुए दसियो को भी कस्स कर जकड़ लिया था अपनी बाहों में ताकि वो उसकी सांसो के करीब रहे और जाँघो को और खोलकर दोनों पैरों के पास बैठी हुई दासियों के लिए अपने द्वार को खोल दिया था और थोड़ा सा कमर को उँचा कर लिया था

किसी को कोई आपत्ति नहीं थी और सभी अपने काम को अंजाम तक पहुँचाने की कोशिश में थे और बहुत जल्दी में भी नहीं थी थी जल्दी तो सिर्फ़ कामया को जल्दी और बहुत जल्दी

अचानक ही उसने अपनी दोनों बाहों से अपने पास बैठी दासियों को अलग किया और पैर के पास बैठी दासियों की कलाईयों को पकड़ लिया था और होंठों से मनसा की उंगलियों को आजाद करते हुए उन्हें कस कर अपनी जाँघो के पास खींच लिया था और अजीब सी उत्तेजना से भरी आवाजें निकलने लगी थी लगता था कि जैसे अब वो उनकी कलाईयों को पकड़कर अपने तरीके से ही अपने आपको संतुष्ट करना चाहती थी
पर जैसे ही आगे की ओर हुई
मनसा- रानी साहिबा आप आराम से बैठिए हमें बताइए और बिल्कुल चिंता मत कीजिए

कामया- हमम्म्म और प्लेआस्ीईईईई उूुुुउउफफफफफफफफफ्फ़
और फिर कामया के कंधों को हल्के से पकड़कर मनसा ने उसे फिर से कुंड के किनारे से सटा लिया था और उसके कानों के पास आके धीमे से बोली

मनसा- रानी साहिबा निकलने दीजिए अपने अंदर की उत्तेजना को दबाइए नहीं निकलने दीजिए कोई चिंता मत कीजिए यहां सब आपकी दस और दासियाँ है इस कमरे के बाहर कोई बात नहीं जाएगी सिर्फ़ हुकुम कीजिए रानी साहिबा

कामया- उूउउफफफ्फ़ जोर-जोर से करो उूउउम्म्म्मम

दोनों पास में बैठी हुई दासिया अपने आप अपने काम में लग गई थी अपने हाथों को एक बार फिर से उसकी जाँघो पर से सहलाते हुए उसकी योनि तक पहुँचते हुए उसके अंदर तक पहुँचने की कोशिश फिर से शुरू हो गई थी अब तो, उसके हाथ उसके नितंबू के नीचे तक जाके लगता था की जैसे उसे उठानेकी कोशिश भी कर रही थी कामया को कोई चिंता नहीं थी पास में बैठी हुई मनसा उसके गालों से लेकर गले तक फिर से सहलाने लगी थी और धीरे-धीरे उसके चेहरे पर अपनी सांसें छोड़ती हुई उसे नसीहत भी देती जा रही थी

मनसा- छोड़ दीजिए रानी साहिबा सब चिंता छोड़ दीजिए कुछ मत सोचिए कुछ नहीं होगा सबकुछ यही है और सभी कुछ आपके अंदर है उसे निकलने दीजिए इस उत्तेजना को दबाइए नहीं निकलने दीजिए

कामया- उउउफफफ्फ़ प्लीज और अंदर तक करो और अंदर तक

और अपने दोनों पास बैठी हुई दासियों को अपनी बाहों में एक बार फिर से भरकर अपनी चुचियों के पास खींचने लगी थी उन्होंने भी कोई देर नहीं की जैसे उन्हें पता था कि क्या करना है दोनों ने कामया की कमर के चारो ओर अपने हाथों को रखकर उसे सहलाते हुए अपने होंठ उसकी चुचियों पर रख दिए और पहले धीरे फिर तेज-तेज अपनी जीब से चुबलने लगी थी कामया का शरीर एक फिर अकड़ गया था और खींचकर पानी के ऊपर की ओर हो गया था नीचे बैठे हुए दोनों दासियों ने उसे उठा लिया था और फिर तो जैसे कामया पागल सी हो गई थी

पैरों के पास बैठी दासिया एक-एक करके उसके जाँघो के बीच में आ गई थी और उसके दोनों जाँघो को बात कर अपने एक-एक कंधे पर लेकर लटका लिया था नितंब के पास अपने हाथों से कामया को उठा रखा था और अपने होंठों को उसके योनि के पास लाकर उसे धीरे-धीरे चाट्ती हुई उसे शांत करने की कोशिश करने लगी थी कामया छटपटा उठी थी
कामया- आआआआअह्ह उम्म्म्म जल्दी प्लीज

और अपना मुख उठाकर मनसा की ओर देखने लगी थी मनसा ने भी देरी नहीं की और झुक कर अपने होंठ को कामया के सुपुर्द कर दिया था कामया पागलो की तरह से उसके होंठों पर टूट पड़ी थी और अपनी जीब को घुमा-घुमाकर उसके होंठों को और फिर उसकी जीब तक को पकड़कर अपने होंठों के अंदर तक खींच लिया था नीचे की ओर लगी हुई दोनों दासिया उसके बूब्स को अच्छे से चूस रहे थे और एक के बाद एक चुचियों को अच्छे से दबाते हुए उनके निपल्स को अपने होंठों में लेकर चुबलते हुए उसकी कमर से लेकर पेट से लेकर पीठ तक सहलाते हुए ऊपर-नीचे हो रहे थे और जाँघो के बीच बैठी दासिया तो अपने काम में निपुण थी ही एक के बाद एक अपनी जीब घुसा घुसाकर कामया की योनि को साफ करते जा रहे थे और कामया के अंदर के ज्वर को शांत करने की कोशिश करती जा रही थी

कामया छटपताती हुई अपनी जाँघो को और पास खींचती हुई
कामया- उूुउउम्म्म्म बस और नहीं और अंदर तक चूसो और अंदर, तक जोर-जोर से प्लीज हमम्म्मम सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह आआआआआआआअह्ह
और उसका शरीर एकदम से आकड़ कर ढीला पड़ गया था और सिसकारियों से भरे हुए उस कमरे में एकदम से शांति छा गई थी कामया निढाल होकर अपने शरीर का पूरा भार उन दासियों के ऊपर छोड़ दिया था मनसा अब भी कामया के होंठों पर झुकी हुई थी और चारो दासिया अब भी उसकी चूचियां और योनि को अंदर तक साफ करने में अब भी लगी हुई थी पर कामया थक कर निढाल होकर पस्त होकर अपने शरीर को ढीला छोड़ कर उसके ऊपर ही लेटी हुई थी और सभी को खुली छूट दे दी थी की कर लो जो करना है

थोड़ी देर में ही सभी नार्मल हो गये थे और कामया को छोड़ कर अलग हो गये थे

मनसा- आइए रानी साहिबा अब तेल से मालिश के लिए तैयार हो जाइए

कामया- नहाने के बाद तेल से मालिश … …

मनसा- अभी स्नान कहाँ हुआ है अभी तो सिर्फ़ आपके शरीर को गीला भर किया है अभी तो मालिश होगी फिर उबटन लगेगा फिर उबटान को तेल से छुड़ाया जाएगा फिर स्नान होगा रानी साहिबा
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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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एक बड़ा सा कपड़ा लिए खड़ी थी मनसा शायद उसे ढकने के लिए कामया अब थोड़ा सा बिंदास होने लगी थी वो भी एक झटके में उठी और नग्न अवस्था में ही से बाहर निकलकर मनसा के पास पहुँच गई थी

पीछे-पीछे वो दासिया भी बाहर निकल आई थी और सिर झुकाए हुए धीरे-धीरे चलते हुए बाहर की ओर जाने लगी थी मनसा ने कामया को उस बड़े से कपड़े में लपेट लिया था पर कामया की नजर उन जाने वाली दसियो पर थी सभी वही सफेद कपड़ा पहने हुए थी पर पानी से वो कपड़ा उसके शरीर से चिपक गया था और
उनका पूरा शरीर साफ-साफ दिख रहा था पर एक बात जो उसने देखी थी कि अभी-अभी जो कुछ भी घटा था उसका कोई जिकरा या कोई निशान तक उनके चेहरे पर नहीं था ना मनसा के ही चहरे पर कोई चिन्ह था


कामया ने भी कुछ ना कहते हुए एक बार मनसा की ओर देखा मनसा ने उसे आगे बढ़ने को कहा एक के बाद एक पर्दे को छोड़ कर वो थोड़ा सा आगे बढ़े थे तो वहाँ कुछ अजीब सा स्मेल था और एक कुंड बना हुआ था और उसपर एक काला ग्रनाइट पत्थर आरपार रखा हुआ था कुछ काला था और उसपर तैरता हुआ जल भी काला था

साफ था कमरे में कोई नहीं था पर जैसे ही कामया और मनसा उस कमरे में पहुँचे थे एक छोटा सा दरवाजा खुला और उसमें से 5 बोनी सी महिलाए निकलकर कुंड की ओर बढ़ी थी बड़े ही अजीब तरह का ड्रेस था कमर से कसा हुआ था कुछ कुछ जांघीए की तरह से और ऊपर सिर्फ़ एक कपड़ा बड़े ही टाइट तरीके से बँधा हुआ था

कुछ ना कहते हुए एक बार कामया की ओर नतमस्तक होते हुए धीरे से कुंड में फिसलती हुई सी उतरगई थी सभी जैसे उन्हें सब पता था कि क्या करना है उतरते ही कुछ तेल सा लेकर अपने हाथों पर घिसने लगी थी और सिर झुकाए खड़ी रही
मनसा- आगे बढ़िए रानी साहिबा

कामया थोड़ा सा आगे बढ़ी तो मनसा उसके पास आके उसके ऊपर के कपड़े को हटा दिया था एक बार फिर पूरे कमरे में नग्न अवस्था में खड़ी थी नहाने के बाद उसका शरीर चमक रहा था और कही कही पानी की बूँद अब तक रुका हुआ था सुडोल और तराशे हुए शरीर का हर कोना देखने लायक था लंबी-लंबीटाँगें गोल होती हुई जब कमर तक जाती थी और जाकर फेल कर नाभि में उतर जाती थी तो उूउउफफ्फ़ चिपका हुआ सा पेट और फिर उसके ऊपर गोल गोल उभरे
तने हुए निपल्स के ऊपर होते हुए गले के बाद गाल और फिर आखें तना हुआ सा सिर कयामत था उस समय कोई भी पुरुष उसे इस अवस्था में देखकर रोक नहीं पाता अपने आपको (मे तो नहीं ), थोड़ा सा सकुचा कर एक बार मनसा की ओर देखती हुई कामया आगे बढ़ी थी

मनसा- किनारे पर बैठ जाइए रानी साहिबा फिर धीरे से नीचे सरक जाइए

कामया ने यही किया किनारे पर बैठते ही धीरे से उस ग्रनाइट पर से फिसलती हुई और उन बोनी महिलाओं का सहारा लिए वो उस कुंड में धीरे से सरक गई थी अभी भी उसी प्लॅटफार्म पर ही बैठी थी कुछ गरम-गरम सा तेल था उन महिलयो ने उसे घुमाकर वापस उसके पैर को किनारे की ओर कर दिए थे और एक गोल सा तकिया रब्बर का था शायद उसके सिर के नीचे रख दिया था

मनसा- आराम से लेट जाइए आप और इन्हें अपना काम करने दे बिल्कुल भी चिंता ना करे इन्हें सब आता है और बिल्कुल ढीला छोड़ दे अपने आपको

कामया थोड़ा सा सहज हो चुकी थी अब उसे पता था कि उसे क्या करना था बस चुपचाप लेट गई थी और उन बोनी महिलयो को देख रही थी पर वो महिलाए कोई भी शिकन और नहीं कोई उत्सुकता लिए हुए कामया को शून्य की तरह निहार रही थी शायद उसके मन में कोई इच्छा नहीं थी या फिर वो अपने काम में इतना इन्वॉल्व थी की उनके पास समय ही नहीं था यह सब सोचने का

कामया भी निसचिंत होकर एक बार इसको और एक बार उसको देखती हुई चुपचाप लेटी हुई थी कामया का शरीर का कुछ हिस्सा तेल में डूबा हुआ था और बाकी का हिस्सा ऊपर था वो औरते एक-एक कर अपने हाथों में तेल लगाकर धीरे से कामया के शरीर का स्पर्श किया छोटे छोटे हाथों में छोटी-छोटी उंगलियां और वो भी पत्थर के समान सख्त थे पर अपने काम में निपुण थे छूते ही उसकी उंगलियां कामया के शरीर में घूमने लगी थी जैसे किसी पिनो के टब्स को छेड़ रहे हो कामया के हाथों से लेकर बाहों तक और पैरों की उंगलियों से लेकर उसकी पिंदलियो तक उनकी उंगलियां घूमने लगी थी अभी-अभी कामया ने अनुभव किया था वो एक बार फिर जागने लगा था तेल में कुछ था जो कि उसके शरीर को छूते ही एक गुदगुदाहट पैदा करने लगा था उसके शरीर में और फिर इन हुनर से भरी हुई औरतों की उंगलियां बाकी का कमाल कर रही थी सिर के पास खड़ी हुई महिला उसके बालों को अच्छे से तेल से भिगो रही थी और धीरे धीरे उसके सिर की मालिश करना शुरू कर दिया था उसके हाथों में जादू था एकदम से कामया की आखें बंद होने लगी थी तेल का भारीपन और उस महिला के हाथ का स्पर्श इतना सुखद था की कामया अपने आप ही आखें बंद करती चली गई थी साइड में खड़ी हुई महिलाए एक-एक करके उसकी हाथों की उंगलियों को धीरे-धीरे तेल में डुबो कर उनकी मसलिश करती जा रही थी और नीचे खड़ी हुई महिलाए, उसकी टांगों का हर हिस्सा उनके सुपुर्द था कामया के मन में एक अजीब तरह की शांति थी कामया को कोई चिंता और कोई भी हिचक नहीं था उसके अंदर अपने आपको बिल्कुल ढीला छोड़ दिया था उसने उसे अब यह अच्छा लगने लगा था वैसे भी सभी जो भी अब तक उसे मिला था उसे उसके नंगे पन से कोई एतराज नहीं था और नहीं शायद उसके लिए यह कोई नया था इसलिए कामया भी सहज होने में ज्यादा देर नहीं लगी वो लेटी हुई उबकी उंगलियों का स्पर्श अपने शरीर के हर हिस्से में महसूस करती रही और अपने अंदर धीरे धीरे उठ-ते हुए उफान को भी दबाने की कोशिश करती रही पर ज्यादा देर तक नहीं


उसके मुख से धीरे-धीरे और मध्यम सी सिसकारी निकलने लगी थी एक नई उर्जा उसके अंदर जनम लेती जा रही थी सिसकारी के साथ-साथ हर अंग के अंदर फिर से एक आग भड़कने लगी थी कामया के अंगो के साथ जिस तरह से वो महिलाए खेल रही थी या कहिए मसल रही थी उससे उसके जेहन में उत्तेजना की लहर फिर से दौड़ने लगी थी कामया के मुख से सिसकारी अब धीरे-धीरे आह्ह्ह में बदलने लगी थी और हाथ पाँव भी चलने लगे थे उसके उठने और गिरने से साथ में मालिश कर रही महिलाए भी थोड़ा सा बिचलित सी दिखाई दी पर शायद उन्हें आदत थी इसकी


कामया के पूरे शरीर में धीरे-धीरे अकड़न सी भरती जा रही थी सिर पीछे की ओर होने लगा था और हाथ पास खड़ी हुई महिलाओं के शरीर को छूने की कोशिश करने लगी थी अब तो उन महिलाओं के हाथ भी उसके नाजुक अंगो तक पहुँच गये थे पास खड़ी हुई दोनों महिलाए उसके सीने पर उसके गोल गोल चुचो को धीरे से मसलती हुई और पेट तक का हिस्सा अपने कब्ज़े में ले चुकी थी और नीचे खड़ी हुई महिलाए उसकी जाँघो से लेकर उसकी योनि तक फ्रीली अपने हाथों को घुमा रही थी उंगली छूती जरूर थी पर सख्त थी और कोई नाजूक्ता नहीं थी उनमें योनि की दरार पर उनकी उंगलियां तेल की मालिश करते हुए धीरे से ऊपर की ओर उठ जाती थी और फिर से एक बार घूमकर योनि में धीरे से सहलाकर नीचे की ओर उतर जाती थी


कामया इस हरकत पर एक सिसकारी छोड़ती हुई अपने शरीर को मोड़कर हर हरकत का जबाब देती जा रही थी
धीरे-धीरे उन महिलयो के मालिश के तरीके में थोड़ा सा चेंज आने लगा था अब वो कामया के शरीर के अंदूनी पार्ट या कहिए उसके सीक्रेट पार्ट्स को आजादी से छूने लगे थे नीचे की महिलाए तो कुछ ज्यादा ही उनकी उंगलियां योनि के दोनों पार्ट्स को कुछ ज्यादा ही खोलकर उसके अंदर तक तेल लगा रही थी तेल से कामया का पूरा शरीर चमक रहा था एक-एक अंग में तेल ने वो खेल रचा था कि अगर कोई देख लेता तो शायद अपने आपको रोक नहीं पाता उस ब्लैक ग्रनाइट के प्लॅटफार्म में लेटी कामया एक अप्सरा के समान लग रही थी काले रंग के ग्रनाइट पर दूध के समान गोरी और तेल में डूबी हुई कामया सच में किसी आलोकिक सुंदरता का प्रतीक ही लग रही थी और उसपर उत्तेजना की जो लहर उसके अंदर जनम ले रही थी वो उसे कही का नहीं छोड़ रही थी उसके शरीर का मचलना अब भी बरकरार था इधर उधर होते हुए वो अपनी कमर को उठा देती थी तो कभी अपने सिर को कभी साथ में खड़ी हुई महिला को खींच लेती थी तो कभी अपने सिर के पास खड़ी हुई महिला के पेट में सिर टिका लेती थी कुछ ऐसी ही हालत थी उसकी जब भी नीचे खड़ी हुई महिला उसकी योनि के आस-पास भी छूती थी तो एक लंबी सी सिसकारी उस कमरे में फेल जाती थी

कामया के पैर अपने आप खुलते और बंद होने लगे थे जाँघो के खुलने और बंद होने से उन महिलाओं को थोड़ा सा अड़चन होती थी पर फिर तो जैसे उन महिलाओं ने ही अपने हाथों में सबकुछ ले लिया था जो काम अब तक धीरे-धीरे और नजाकत से चल रहा था वो एक अग्रेसिव हो गया था दोनों महिलाए जो की उसके पैरों के पास खड़ी थी अचानक ही उसके ऊपर आगई थीऔर हाथों के साथ-साथ अपने शरीर को भी कामया के शरीर पर घिसने लगी थी बोनी होने के कारण वो कामया की जाँघो से ऊपर तक नहीं आपाती थी और साथ में खड़ी हुई महिलाए भी उसके ऊपर चढ़ गई थी और एक एक कर उसके चूचो पर कब्जा जमा लिया था
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Re: बड़े घर की बहू

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कामया अब चार महिलाओं को अपने ऊपर लिटाए हुए थी साइड की महिलाए अपनी जाँघो के बीच में उसके हाथों को कस्स कर पकड़े हुए उसके चुचों से लेकर नाभि तक हाथों से और अपने शरीर से मालिस कर रही थी और पैरों के पास की महिलाए उसकी टांगों से लेकर जाँघो तक का सफर तय कर रही थी पर एक बात जो अलग थी वो थी उसकी योनि के अंदर तक वो महिलाए एक के बाद एक करके अपनी उंगलियां डालकर उसकी मालिश कर रही थी और धीरे-धीरे उसके गुदा द्वार को भी छेड़ रही थी कामया के अंदर उठ रहे तूफान को एक नई दिशा दे रही थी कामया की हालत बहुत खराब थी और वो अपने ऊपर की महिलाओं को कभी कस कर पकड़ने की कोशिश करती तो कभी लंबी-लंबीसांसों को छोड़ती हुई नीचे की ओर देखने की कोशिश करती पर उन महिलाओं को इससे कोई फरक नहीं पड़ता था वो अपने काम में लगी हुई थी चम्मचमाती हुई सी कामया उत्तेजित सी और अपने में काबू ना रख पाने वाली कामया के साथ अचानक ही एक साथ दो काम अचानक ही हुए

नीचे की महिलाओं की उंगलियां जो कि अभी तक उसकी योनि को छेड़ भर रही थी अचानक ही तेल से डूबी उनकी उंगलियाँ धीरे-धीरे उसकी योनि के अंदर तक उतरने लगी थी कामया की जाँघो को खोलकर वो महिलाए किसी पक्के खिलाड़ी की तरह अपनी छोटी और आसक्त कलाईयों को धीरे-धीरे उसकी योनि में घुसाने की कोशिस करने लगी थी कामया ने एक लंबी सी सिसकारी ली और जहां तक हो सके अपनी जाँघो को फैलाकर उसे रास्ता दिया था


पर एक साथ पीछे से भी उसके अंदर तक जाने की कोशिस ने उसे आचरज में डाल दिया था वो कुछ समझती, इससे पहले ही उसके गुदा द्वार पर एक आक्रमण और हो गया था तेल में डूबा उसका शरीर इतना मुलायम और फिसलता हुआ सा था की लगता था कि जहां जो घुसाओ वो वही घुस जाएगा और हुआ भी यही धीरे-धीरे योनि के साथ साथ उन महिलाओ की उंगलियों के साथ-साथ कलाईयों तक का सफर इतना आराम से हो जाएगा इसकी उम्मीद कामया को नहीं थी पर कामया को दर्द का नामो निशान नहीं था पता नहीं क्यों पर उसे यहां काम अच्छा लग रहा था उसने भी कोई आना कानी नहीं की और अपनी उत्तेजना को छुपाने की कोशिश छोड़ दी थी उसने और अपनी दोनों जाँघो को खोलकर पत्थर तक ले आई थी वो ले आई थी नहीं शायद उन महिलाओं ने ही किया होगा और योनि के साथ साथ उसके गुदा द्वार के अंदर तक की मालिश होने लगी थी उत्तेजना के शिखर की ओर भागती हुई सी कामया अपने ऊपर के शरीर पर चिपटी हुई महिलाओं को कस्स कर पकड़ी हुई सी सिसकारी के साथ साथ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह धीरे-धीरे चीत्कार भी लेने लगी थी उसकी चीत्कार में एक अलग ही बात थी जैसे उत्तेजना के और आनंद के असीम सागर डुबकी लगा रही हो पूरा कमरा एक दम से आह्ह और सिसकारी से भर उठा था और महिलाओं का काम चालू था ऊपर की महिला कामया के चहरे को सहारा दिए हुए उसके कानों से लेकर गले तक सहालती हुई और कभी-कभी चूचियां की भी मालिश करती हुई ऊपर की ओर चली जाती थी
और सीने तक का सफर करती महिलाए उसकी चूचियां को निचोड़ती हुई उसके निपल्स को उमेठ-ती हुई उसके पेट तक का सफर करती रही और नीचे की महिला अपने आपको कामया की जाँघो के बीच में रखती हुई उसके गुदा द्वार और योनि के अंदर और अंदर तक उतरती जा रही थी एक असहनीय स्थिति बना दी थी उन्होंने कामया के लिए

कामया- उूउउम्म्म्म उूुुुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफ्फ़
मनसा- आराम से रानी साहिबा बस हो गया है रोकिए नहीं अपने आपको जो हो रहा है उसे होने दीजिए काया कल्प के लिए यह जरूरी है होने दीजिए

कामया- प्लीज यह क्या उूुउउफफफफफफफफफफफफफफ्फ़

दोनों महिलाए जो कि उसके नीचे की ओर थी अचानक ही उनके हाथों की स्पीड बढ़ने लगी थी योनि के साथ-साथ गुदा द्वार पर भी छोटी-छोटी कलाइयाँ तेल से डूबी हुई थी और आराम से अंदर-बाहर होते हुए कमाया को एक पर लोक की सैर कराने लगी थी कामया को भीमा की याद आ गई थी उसने एक बार उसके वहां पर अपने उंगलियों से कोशिश किया था पर पता नहीं था कि इतना मजा आता है वहाँ कामेश ने आज तक वहां कुछ भी नहीं किया था


आकड़ी हुई सी कामया चीत्कार करती हुई कब और कैसे चढ़ गई पता भी नहीं चला था पर उन महिलाओ को इससे कोई फरक नहीं पड़ा था वो अब भी कामया के अंदर तक अपनी कलाईयों तक के हाथों को पहुँचा कर उसकी मालिश में लगी हुई थी कामया का पूरा शरीर एक बार फिर सिथिल पड़ गया था पर उन महिलाओं पर जैसे कुछ फरक ही नहीं था वो अब भी लगातार उसके साथ वही क्रिया दुहरा रही थी जो चल रहा था कामया थकि हुई सी लंबी-लंबी सांसें लेती हुई अपने शरीर को ढीला छोड़ कर लेट गई थी हर अंग ढीला पड़ा हुआ था जैसे उसके शरीर में कोई ताकत ही नहीं बचा था ऊपर की महिलाओं को जब लगा की कामया सिथिल पड़ चुकी है वो धीरे से उसके ऊपर से हटी थी और नीचे खड़ी हो कर कामया को फिर से अपने हाथों से घिसने लगी थी
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